राहुल गांधी का दावा: ट्रम्प का दबाव, मोदी बेबस? जानिए अडाणी जांच का सच
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत पर दबाव बना रहे हैं। उनका आरोप है कि यह दबाव विशेष रूप से भारतीय उद्योगपति गौतम अडाणी के खिलाफ अमेरिका में चल रही जांचों से जुड़ा है। राहुल गांधी के अनुसार, इस जांच के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्थिति कमजोर हो गई है और वे अमेरिका के दबाव का सामना करने में असमर्थ हैं। यह बयान भारत की विदेश नीति, द्विपक्षीय संबंधों और राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े करता है, विशेषकर जब यह सीधे तौर पर भारत के एक प्रमुख कारोबारी समूह और उसके वैश्विक संबंधों से जुड़ा हो।
यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि भू-राजनीति (Geopolitics), अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून (International Trade Law), कॉर्पोरेट गवर्नेंस (Corporate Governance) और कूटनीति (Diplomacy) के जटिल जाल को छूता है। UPSC परीक्षाओं की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह समझना आवश्यक है कि ऐसे आरोप कैसे उत्पन्न होते हैं, इनका अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, और एक राष्ट्र के रूप में भारत को ऐसी परिस्थितियों में कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
| भू-राजनीतिक परिदृश्य: जब व्यापारिक हित कूटनीति से टकराते हैं |
अंतर्राष्ट्रीय संबंध अक्सर व्यापारिक हितों और कूटनीतिक रणनीतियों के जटिल अंतर्संबंध से परिभाषित होते हैं। डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) की नीति ने वैश्विक व्यापार और कूटनीति को एक नया आयाम दिया। इस नीति के तहत, अमेरिका ने कई देशों के साथ व्यापार घाटे को कम करने और अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखने पर जोर दिया। इसी संदर्भ में, जब किसी भारतीय कारोबारी समूह, विशेषकर जिसका अमेरिका में महत्वपूर्ण व्यावसायिक जुड़ाव हो, के खिलाफ अमेरिकी नियामकों द्वारा जांच शुरू की जाती है, तो यह स्वाभाविक रूप से दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकती है।
| अडाणी समूह: एक उभरता वैश्विक खिलाड़ी |
गौतम अडाणी के नेतृत्व वाला अडाणी समूह भारत के सबसे बड़े और तेजी से बढ़ते व्यापारिक समूहों में से एक है। इसकी गतिविधियां ऊर्जा, बंदरगाह, हवाई अड्डे, खनन, लॉजिस्टिक्स, रियल एस्टेट, और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे विविध क्षेत्रों में फैली हुई हैं। हाल के वर्षों में, समूह ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी उपस्थिति बढ़ाई है, जिसमें अमेरिका में भी इसके कुछ महत्वपूर्ण व्यावसायिक हित हैं। किसी भी बड़े वैश्विक समूह के साथ, समय-समय पर नियामक जांचें होना असामान्य नहीं है। हालांकि, जब ऐसी जांचें किसी विशेष देश के राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बन जाती हैं, तो इसका प्रभाव बहुत व्यापक हो जाता है।
| अमेरिकी जांच का दायरा और संभावित आरोप |
यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि अडाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी जांच का विवरण सार्वजनिक रूप से पूरी तरह से स्पष्ट नहीं किया गया है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स और विश्लेषणों के अनुसार, इन जांचों में मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल हो सकते हैं:
- शेयरों में हेरफेर (Stock Manipulation): समूह की कंपनियों के शेयरों के मूल्यांकन में कृत्रिम रूप से वृद्धि करने या धोखाधड़ी वाले तरीके अपनाने के आरोप। हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के बाद इस तरह की चिंताएं बढ़ीं।
- कॉर्पोरेट गवर्नेंस (Corporate Governance): कंपनी के संचालन, खातों के रखरखाव और पारदर्शिता से संबंधित मानकों का पालन न करने के आरोप।
- संभावित मनी लॉन्ड्रिंग (Potential Money Laundering): अवैध धन को वैध बनाने के लिए वित्तीय प्रणालियों का दुरुपयोग करने के आरोप।
- नियामक अनुपालन (Regulatory Compliance): अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) जैसे नियामक निकायों के नियमों और कानूनों का उल्लंघन।
जब किसी विदेशी कंपनी के खिलाफ ऐसी जांचें होती हैं, तो अमेरिकी सरकार विभिन्न कानूनों का सहारा ले सकती है, जैसे कि सेबी (SEBI) के समकक्ष SEC के कानून, या अन्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय नियम।
| राहुल गांधी का दावा: ‘हाथ बंधे’ होने का क्या अर्थ है? |
राहुल गांधी का यह कहना कि “मोदी सामना नहीं कर पा रहे” और “उनके हाथ बंधे हुए हैं” यह दर्शाता है कि उनके अनुसार, भारत सरकार इस स्थिति में प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने में सक्षम नहीं है। इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं, जिनका विश्लेषण UPSC के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है:
- कूटनीतिक दबाव: यदि अमेरिकी सरकार अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से भारत पर दबाव बना रही है कि वह अडाणी समूह के खिलाफ अपनी नीतियों में नरमी बरते या जांचों को प्रभावित करे, तो यह भारत की संप्रभुता (Sovereignty) का मामला बन सकता है।
- व्यापारिक निर्भरता: भारत की अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारी है। यदि अमेरिका किसी भी तरह का व्यापारिक प्रतिबंध लगाने की धमकी देता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ सकता है।
- रक्षा सहयोग: भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए काफी हद तक विदेशी हथियारों पर निर्भर है, जिनमें अमेरिका भी एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। ऐसे संबंध भी कूटनीतिक दबाव का कारण बन सकते हैं।
- आंतरिक राजनीतिक लाभ: यह भी संभव है कि कांग्रेस जैसे विपक्षी दल सरकार पर निशाना साधने के लिए ऐसे मुद्दों को उठा रहे हों, खासकर जब अडाणी समूह राष्ट्रीय राजनीति में एक संवेदनशील विषय बन गया है।
“जब कोई देश किसी अन्य देश के एक प्रमुख व्यावसायिक घराने के खिलाफ जांच करता है, तो यह अक्सर उस देश की घरेलू राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों के बीच एक नाजुक संतुलन को दर्शाता है।”
| ट्रम्प का ‘धमकाना’: भू-राजनीति का एक नया आयाम |
डोनाल्ड ट्रम्प की कूटनीति को अक्सर मुखर और अप्रत्याशित माना जाता है। उनके कार्यकाल में, उन्होंने कई देशों पर टैरिफ लगाने, व्यापार समझौतों की पुनः बातचीत करने और अमेरिका के हितों को आगे बढ़ाने के लिए दबाव बनाने से परहेज नहीं किया। यदि राहुल गांधी का यह आरोप सही है कि ट्रम्प भारत पर अडाणी समूह की जांच के संबंध में दबाव बना रहे हैं, तो यह कई मायनों में चिंताजनक है:
- पारदर्शिता का अभाव: यदि दबाव बंद दरवाजों के पीछे हो रहा है, तो यह भारत की विनियामक स्वायत्तता (Regulatory Autonomy) पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
- उद्देश्य की निष्पक्षता: क्या यह जांच वास्तव में वित्तीय अनियमितताओं के बारे में है, या इसका कोई भू-राजनीतिक या व्यापारिक एजेंडा है?
- द्विपक्षीय संबंधों पर असर: इस तरह के आरोप दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे दावों को बिना किसी ठोस सबूत के स्वीकार न किया जाए, लेकिन इन पर विचार अवश्य किया जाना चाहिए, खासकर जब वे राष्ट्रीय हित से जुड़े हों।
| भारत का रुख: संतुलन साधने की कला |
किसी भी संप्रभु राष्ट्र के लिए, यह सर्वोपरि है कि वह अपनी नीतियों और विनियामक प्रक्रियाओं में स्वतंत्र रहे। भारत सरकार को इस तरह की परिस्थितियों में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना होगा:
- पारदर्शिता और जवाबदेही: भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अडाणी समूह के खिलाफ जो भी जांचें चल रही हैं, वे निष्पक्ष, पारदर्शी और कानून के अनुसार हों।
- कूटनीतिक माध्यम: यदि अमेरिका की ओर से कोई अनुचित दबाव है, तो भारत को कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से इस पर अपनी चिंता व्यक्त करनी चाहिए।
- कानूनी सलाह: भारत को अडाणी समूह के कानूनी अधिकारों और भारत सरकार के विनियामक अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूत कानूनी रणनीति बनानी चाहिए।
- राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता: सभी फैसलों में भारत के राष्ट्रीय हितों और संप्रभुता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
“एक मजबूत लोकतंत्र में, सरकार को न केवल अपनी जनता के प्रति, बल्कि अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के प्रति भी जवाबदेह होना चाहिए।”
| UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता |
यह मुद्दा UPSC के विभिन्न चरणों में उम्मीदवारों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है:
- प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध: भारत-अमेरिका संबंध, भू-राजनीति, व्यापार समझौते।
- अर्थव्यवस्था: कॉर्पोरेट गवर्नेंस, शेयर बाजार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), विनियामक निकाय (SEBI, SEC)।
- भारतीय राजनीति: विपक्षी दलों की भूमिका, राष्ट्रीय हित।
- मुख्य परीक्षा (Mains):
- GS-II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध (भारत-अमेरिका संबंध, भू-राजनीतिक मुद्दे), सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में उनका विकास और प्रशासन।
- GS-III: भारतीय अर्थव्यवस्था (बुनियादी ढांचा, कॉर्पोरेट गवर्नेंस, शेयर बाजार), सुरक्षा (आर्थिक सुरक्षा), विज्ञान और प्रौद्योगिकी (नवीकरणीय ऊर्जा)।
- निबंध (Essay): यह मुद्दा ‘वैश्वीकरण का प्रभाव’, ‘राष्ट्रीय हित बनाम अंतर्राष्ट्रीय सहयोग’, या ‘लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका’ जैसे विषयों पर निबंध लिखने के लिए एक उत्कृष्ट केस स्टडी प्रदान कर सकता है।
- साक्षात्कार (Interview): अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, आर्थिक नीतियों और वर्तमान राष्ट्रीय मुद्दों पर समझ का परीक्षण करने के लिए प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
| संभावित खतरे और अवसर |
इस पूरी स्थिति में भारत के लिए खतरे और अवसर दोनों निहित हैं:
| खतरे (Threats) |
- प्रतिष्ठा को नुकसान: यदि विदेशी जांचों में गंभीर अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो यह भारत की विनियामक प्रणाली और कॉर्पोरेट जगत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती है।
- निवेश का माहौल: नकारात्मक प्रचार और अनिश्चितता विदेशी और घरेलू निवेश को प्रभावित कर सकती है।
- राजनीतिक अस्थिरता: विपक्षी दलों द्वारा इस मुद्दे को उठाना सरकार के लिए राजनीतिक चुनौती पैदा कर सकता है।
- कूटनीतिक तनाव: यदि भारत अमेरिका के दबाव का प्रभावी ढंग से जवाब नहीं दे पाता है, तो द्विपक्षीय संबंधों में खटास आ सकती है।
| अवसर (Opportunities) |
- सुधार का मौका: यह स्थिति भारत को अपने कॉर्पोरेट गवर्नेंस मानकों को और मजबूत करने और नियामक तंत्र को बेहतर बनाने का अवसर दे सकती है।
- कूटनीतिक परिपक्वता: इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करना भारत की कूटनीतिक परिपक्वता और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी स्थिति को मजबूत कर सकता है।
- आंतरिक मजबूती: यह भारत को अपनी आर्थिक नीतियों और स्वदेशी क्षमताओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
“हर संकट में एक अवसर छिपा होता है; यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम उस अवसर को कैसे पहचानते हैं और उसका लाभ उठाते हैं।”
| भविष्य की राह: क्या हो सकता है? |
आगे क्या हो सकता है, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन कुछ संभावित परिदृश्य इस प्रकार हैं:
- अमेरिकी जांच का निष्कर्ष: अमेरिकी नियामकों द्वारा जांच पूरी की जाएगी। यदि अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो संबंधित संस्थाओं पर जुर्माना या अन्य कार्रवाई हो सकती है। यदि नहीं, तो मामला शांत हो सकता है।
- भारत सरकार की प्रतिक्रिया: भारत सरकार विभिन्न स्तरों पर अमेरिका के साथ संवाद जारी रखेगी, अपनी चिंताओं को व्यक्त करेगी और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए कदम उठाएगी।
- राजनीतिक विमर्श: यह मुद्दा भारत की घरेलू राजनीति में एक प्रमुख मुद्दा बना रहेगा, खासकर आगामी चुनावों के मद्देनजर।
- कॉर्पोरेट क्षेत्र पर प्रभाव: इस घटनाक्रम से भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र में पारदर्शिता और कॉर्पोरेट गवर्नेंस को लेकर और अधिक जागरूकता और सुधार आ सकते हैं।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और व्यापार जटिल रूप से जुड़े हुए हैं। राहुल गांधी के बयान ने इस जटिलता को सार्वजनिक पटल पर ला दिया है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस घटना को केवल एक राजनीतिक आरोप के रूप में नहीं, बल्कि भू-राजनीति, अर्थव्यवस्था और कूटनीति के एक बड़े संदर्भ में देखना चाहिए।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
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प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी अमेरिकी एजेंसी आमतौर पर वित्तीय बाजार अनियमितताओं की जांच करती है?
(a) फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI)
(b) सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC)
(c) डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (DOJ)
(d) ट्रेजरी डिपार्टमेंट
उत्तर: (b) सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC)
व्याख्या: SEC संयुक्त राज्य अमेरिका की एक स्वतंत्र सरकारी एजेंसी है जो संघीय प्रतिभूति कानूनों को लागू करने, प्रतिभूति बाजारों और सट्टा बाजारों और उनसे संबंधित आयोजनों के लिए संगठन और सुधार को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है। -
प्रश्न: ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति किस अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल से जुड़ी है?
(a) बराक ओबामा
(b) डोनाल्ड ट्रम्प
(c) जो बिडेन
(d) जॉर्ज डब्ल्यू. बुश
उत्तर: (b) डोनाल्ड ट्रम्प
व्याख्या: ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति और आर्थिक नीति का एक प्रमुख नारा था, जिसका उद्देश्य अमेरिकी हितों को प्राथमिकता देना था। -
प्रश्न: भारत में शेयर बाजार को कौन सी एजेंसी विनियमित करती है?
(a) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
(b) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)
(c) राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE)
(d) बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)
उत्तर: (b) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)
व्याख्या: SEBI भारत में पूंजी बाजार का एक वैधानिक नियामक है, जिसे 1992 में SEBI अधिनियम, 1992 के माध्यम से स्थापित किया गया था। -
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा अडाणी समूह के व्यावसायिक क्षेत्रों में शामिल नहीं है?
(a) बंदरगाह और विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ)
(b) नवीकरणीय ऊर्जा
(c) विमानन (Aviation)
(d) फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals)
उत्तर: (d) फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals)
व्याख्या: अडाणी समूह ऊर्जा, खनन, हवाई अड्डे, बंदरगाह, लॉजिस्टिक्स, रियल एस्टेट और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में प्रमुख रूप से सक्रिय है। फार्मास्यूटिकल्स इसका मुख्य व्यवसाय क्षेत्र नहीं है। -
प्रश्न: किसी देश की विनियामक स्वायत्तता (Regulatory Autonomy) से क्या तात्पर्य है?
(a) देश का अपने व्यापारिक भागीदारों के साथ अनुकूल संबंध होना
(b) देश का अपनी आंतरिक नीतियों और कानूनों को स्वतंत्र रूप से बनाने और लागू करने की क्षमता
(c) देश का अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने की क्षमता
(d) देश का अपने रक्षा बलों को मजबूत करने की क्षमता
उत्तर: (b) देश का अपनी आंतरिक नीतियों और कानूनों को स्वतंत्र रूप से बनाने और लागू करने की क्षमता
व्याख्या: विनियामक स्वायत्तता का अर्थ है कि एक देश अपने स्वयं के नियमों, कानूनों और नीतियों को बाहरी दबाव या हस्तक्षेप के बिना बनाने और लागू करने के लिए स्वतंत्र है। -
प्रश्न: भू-राजनीति (Geopolitics) का संबंध किससे है?
(a) केवल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का अध्ययन
(b) भूगोल, इतिहास और राजनीति के प्रभाव से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन
(c) केवल देशों के बीच सैन्य शक्ति का अध्ययन
(d) राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अध्ययन
उत्तर: (b) भूगोल, इतिहास और राजनीति के प्रभाव से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन
व्याख्या: भू-राजनीति भूगोल (जैसे कि स्थान, संसाधन, जलवायु) और इतिहास के साथ-साथ राजनीतिक कारकों के बीच संबंधों का अध्ययन है जो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और राज्य के व्यवहार को प्रभावित करते हैं। -
प्रश्न: हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) किस प्रकार की फर्म है?
(a) एक निवेश बैंक
(b) एक रेटिंग एजेंसी
(c) एक शॉर्ट-सेलिंग रिसर्च फर्म
(d) एक सरकारी नियामक निकाय
उत्तर: (c) एक शॉर्ट-सेलिंग रिसर्च फर्म
व्याख्या: हिंडनबर्ग रिसर्च एक फॉरेंसिक वित्तीय शोध फर्म है जो इक्विटी, उधार और अन्य संपत्तियों पर शॉर्ट-सेलिंग अवसरों की पहचान करती है। यह कंपनियों में वित्तीय कदाचार के आरोपों के लिए जानी जाती है। -
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. भारत-अमेरिका संबंध वर्तमान में रणनीतिक साझेदारी के दौर से गुजर रहे हैं।
2. भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए विदेशी हथियारों पर निर्भर है, जिसमें अमेरिका एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c) 1 और 2 दोनों
व्याख्या: भारत और अमेरिका के बीच संबंध रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, और भारत अपनी रक्षा आधुनिकीकरण के लिए अमेरिका से काफी हथियार आयात करता है। -
प्रश्न: कॉर्पोरेट गवर्नेंस (Corporate Governance) से क्या तात्पर्य है?
(a) कंपनी के विपणन (Marketing) का प्रबंधन
(b) कंपनी के संचालन के निष्पक्ष और पारदर्शी प्रबंधन के सिद्धांत
(c) कंपनी के शेयर मूल्य का कृत्रिम रूप से बढ़ाना
(d) कंपनी के लाभ को पूरी तरह से कर्मचारियों में बांटना
उत्तर: (b) कंपनी के संचालन के निष्पक्ष और पारदर्शी प्रबंधन के सिद्धांत
व्याख्या: कॉर्पोरेट गवर्नेंस कंपनी के आंतरिक प्रबंधन और बाहरी संबंधों को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों, प्रथाओं और प्रक्रियाओं का एक ढांचा है, जिसमें शेयरधारकों, प्रबंधन और कर्मचारियों सहित विभिन्न हितधारकों के अधिकार और जिम्मेदारियां शामिल हैं। -
प्रश्न: यदि कोई देश किसी अन्य देश के प्रमुख कारोबारी घराने के खिलाफ जांच करता है, तो इससे निम्नलिखित में से किस पर प्रभाव पड़ सकता है?
1. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार
2. संबंधित देश की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता
3. संबंधित देश की घरेलू राजनीति
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: ऐसी जांचें द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं, उस देश की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता पर सवाल उठा सकती हैं, और घरेलू राजनीति में भी महत्वपूर्ण मुद्दे बन सकती हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: राहुल गांधी के इस दावे का विश्लेषण करें कि अमेरिकी जांच के कारण भारत के प्रधानमंत्री के “हाथ बंधे हुए हैं”। इस संदर्भ में, भू-राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और राष्ट्रीय हित के सिद्धांतों का उपयोग करते हुए भारत सरकार की संभावित प्रतिक्रियाओं और चुनौतियों पर चर्चा करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न: किसी बड़े कॉर्पोरेट घराने के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय जांचें अक्सर भारत जैसे विकासशील देशों के लिए जटिलताएं पैदा करती हैं। कॉर्पोरेट गवर्नेंस, पारदर्शिता और राष्ट्रीय संप्रभुता के संदर्भ में ऐसे मुद्दों से निपटने में भारत के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों और अवसरों का समालोचनात्मक मूल्यांकन करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न: भारत-अमेरिका संबंधों के संदर्भ में, अडाणी समूह जैसे प्रमुख भारतीय व्यावसायिक घरानों के खिलाफ अमेरिकी नियामक कार्रवाइयों के संभावित भू-राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थों की विवेचना करें। यह भारतीय विदेश नीति को कैसे प्रभावित कर सकता है? (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न: “डोनाल्ड ट्रम्प की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति ने भारत जैसे देशों के साथ उसके व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों को कैसे प्रभावित किया है?” इस कथन के आलोक में, वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर एक विश्लेषणात्मक टिप्पणी प्रस्तुत करें। (लगभग 150 शब्द)