50 से अधिक लापता, 10 जवान सहित – धराली आपदा की पूरी कहानी: बचाव, कारण और आगे की राह
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में, धराली क्षेत्र में हुई एक विनाशकारी भूस्खलन (landslide) और बाढ़ (flood) जैसी घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस भयानक प्राकृतिक आपदा में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, एक शव बरामद हुआ है, जबकि 10 जवानों सहित 50 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है, जिसमें 130 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। सेना, NDRF, SDRF और स्थानीय प्रशासन की टीमें मिलकर इस संकट से निपटने में जुटी हैं। यह घटना न केवल मानवीय क्षति का कारण बनी है, बल्कि इसने उन गंभीर पर्यावरणीय और अवसंरचनात्मक मुद्दों को भी उजागर किया है, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से, यह घटना भू-विज्ञान, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, राष्ट्रीय सुरक्षा और शासन जैसे महत्वपूर्ण विषयों से जुड़ी है।
धराली त्रासदी: घटना का विस्तृत विश्लेषण (Dharali Tragedy: A Detailed Analysis of the Event)
किसी भी प्राकृतिक आपदा का अध्ययन करते समय, हमें उसके कारणों, प्रभाव और प्रतिक्रिया का गहराई से विश्लेषण करना चाहिए। धराली की घटना भी इससे अलग नहीं है।
1. घटना की प्रकृति और कारण (Nature and Causes of the Event):
रिपोर्टों के अनुसार, धराली में हुई यह तबाही एक बड़े भूस्खलन के कारण शुरू हुई, जिसने संभवतः एक नदी को अवरुद्ध कर दिया। इस अवरोध के कारण नदी का पानी जमा हो गया और एक झील (landslide dam) का निर्माण हुआ। जब यह प्राकृतिक बांध टूट गया, तो भारी मात्रा में पानी और मलबा नीचे की ओर एक विनाशकारी बाढ़ के रूप में बह निकला।
- भूस्खलन (Landslides): यह घटना संभवतः अत्यधिक वर्षा, अस्थिर भूविज्ञान, भूकंपीय गतिविधि (यदि कोई हो), या मानवीय हस्तक्षेप (जैसे वनों की कटाई, निर्माण गतिविधियाँ) के कारण हुई। पहाड़ी इलाकों में, विशेष रूप से जहां ढलान तीव्र होते हैं और मिट्टी ढीली होती है, भूस्खलन का खतरा अधिक होता है।
- बाढ़ (Floods): भूस्खलन द्वारा नदी का मार्ग अवरुद्ध होना एक ‘आउटबर्स्ट फ्लड’ या ‘ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड’ (GLOF) जैसी स्थिति उत्पन्न कर सकता है, भले ही वह ग्लेशियर से संबंधित न हो। इस प्रकार की बाढ़ अत्यंत विनाशकारी होती है क्योंकि पानी अचानक और प्रचंड वेग से निकलता है।
- अन्य कारक:
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change): अनिश्चित मौसम पैटर्न, तीव्र वर्षा की घटनाएँ (extreme rainfall events) और तापमान में वृद्धि पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और बाढ़ के जोखिम को बढ़ा सकती है।
- अनियोजित विकास (Unplanned Development): सड़क निर्माण, इमारतों का निर्माण, या खनन जैसी गतिविधियाँ पहाड़ी ढलानों को अस्थिर कर सकती हैं।
- वनस्पति का क्षरण (Deforestation): पेड़-पौधे मिट्टी को बांधे रखते हैं। वनों की कटाई मिट्टी को ढीला कर देती है, जिससे भूस्खलन की संभावना बढ़ जाती है।
2. घटना का पैमाना और प्रभाव (Scale and Impact of the Event):
यह घटना अत्यंत गंभीर है, जैसा कि निम्नलिखित आंकड़ों से स्पष्ट है:
- हताहतों की संख्या: 4 की मौत, 1 शव बरामद।
- लापता: 50 से अधिक व्यक्ति, जिनमें 10 वीर जवान भी शामिल हैं जो शायद राहत या बचाव कार्य में लगे थे या किसी अन्य ऑपरेशन पर थे। यह लापता जवानों की संख्या राष्ट्रीय सुरक्षा और मनोबल के लिए एक बड़ा झटका है।
- बचाए गए: 130 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जो बचाव दलों के अथक प्रयासों का प्रमाण है।
- अन्य प्रभाव:
- बुनियादी ढांचा: सड़कें, पुल, संचार लाइनें और अन्य महत्वपूर्ण अवसंरचना नष्ट या क्षतिग्रस्त हो सकती है।
- आर्थिक क्षति: स्थानीय अर्थव्यवस्था, कृषि और आजीविका पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- पर्यावरणीय क्षति: वनस्पति, वन्यजीव और पारिस्थितिकी तंत्र पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
- विस्थापन: लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ सकता है।
राहत और बचाव अभियान: एक समन्वयित प्रयास (Relief and Rescue Operations: A Coordinated Effort)
ऐसी आपदाओं के समय, त्वरित और प्रभावी बचाव कार्य जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। धराली में चल रहे बचाव अभियान में कई एजेंसियां शामिल हैं:
- सेना (Army): आपदाग्रस्त क्षेत्रों में पहुँचने, लोगों को निकालने और प्रारंभिक सहायता प्रदान करने में सेना की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, खासकर जहां सड़कें अवरुद्ध हैं।
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF): NDRF विशेष रूप से आपदाओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित है और उन्नत उपकरणों के साथ बचाव कार्यों में माहिर है।
- राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF): राज्य स्तर पर SDRF भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो स्थानीय परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ होती है।
- स्थानीय प्रशासन (Local Administration): जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य सेवाएं घायलों के इलाज और प्रभावितों के प्रबंधन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
- स्वयंसेवक और स्थानीय समुदाय (Volunteers and Local Community): स्थानीय लोग अक्सर प्रारंभिक प्रतिक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
चुनौतियाँ (Challenges in Rescue Operations):
“बारिश, खराब मौसम, अस्थिर भूभाग, बिजली और संचार लाइनों का टूटना, और मलबा हटाने में लगने वाला समय बचाव कार्यों को और भी जटिल बना देता है।”
इसके अतिरिक्त, लापता व्यक्तियों के परिवारों के लिए अनिश्चितता एक बड़ा मानसिक बोझ है। बचाव दल न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी दबाव का सामना करते हैं।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)
धराली त्रासदी UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
1. प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) के लिए:
- भूगोल: भूस्खलन, बाढ़, भूगर्भीय संरचनाएं, नदी प्रणालियाँ।
- पर्यावरण और पारिस्थितिकी: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, वनों की कटाई, पारिस्थितिकीय संवेदनशीलता।
- आपदा प्रबंधन: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), NDRF, SDRF, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि (NDRF).
- सामयिकी (Current Affairs): हाल की प्रमुख आपदाएँ और संबंधित सरकारी नीतियाँ।
2. मुख्य परीक्षा (Mains) के लिए:
- GS Paper I (Geography): भारत के भू-भाग की भौतिक विशेषताएँ, भूकंप, बाढ़, भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक घटनाएँ, उनके कारण, वितरण।
- GS Paper III (Disaster Management): आपदाओं का प्रबंधन, निवारण, शमन, और पुनर्निर्माण। भारत में आपदा प्रबंधन की संरचना और कार्यप्रणाली।
- GS Paper III (Environment & Ecology): पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन, संरक्षण। जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव।
- GS Paper II (Governance): विभिन्न एजेंसियों की भूमिका और समन्वय, सरकारी नीतियाँ और योजनाएँ, राष्ट्रीय सुरक्षा पर आपदाओं का प्रभाव।
- GS Paper IV (Ethics): संकट के समय मानवीय प्रतिक्रिया, सरकारी अधिकारियों और जवानों के कर्तव्य और नैतिक दुविधाएँ।
आगे की राह: निवारण, शमन और पुनर्निर्माण (The Way Forward: Prevention, Mitigation, and Reconstruction)
ऐसी त्रासदियों से निपटने के लिए केवल प्रतिक्रिया ही पर्याप्त नहीं है; हमें सक्रिय निवारण और शमन रणनीतियों पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा।
- जोखिम मूल्यांकन और ज़ोनिंग (Risk Assessment and Zoning): भूस्खलन और बाढ़-प्रवण क्षेत्रों की पहचान करना और उन क्षेत्रों में निर्माण या विकास गतिविधियों को विनियमित करना।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Early Warning Systems): भूस्खलन और बाढ़ के लिए उन्नत निगरानी और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को स्थापित करना और उन्हें प्रभावी बनाना।
- वन और पर्यावरण संरक्षण (Forest and Environmental Conservation): वनों की कटाई को रोकना, बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाना, और संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करना।
- टिकाऊ अवसंरचना विकास (Sustainable Infrastructure Development): निर्माण के दौरान भू-तकनीकी अध्ययनों का कड़ाई से पालन करना और आपदा-प्रतिरोधी निर्माण तकनीकों का उपयोग करना।
- जन जागरूकता और क्षमता निर्माण (Public Awareness and Capacity Building): स्थानीय समुदायों को आपदाओं से निपटने और प्रारंभिक प्रतिक्रिया के लिए प्रशिक्षित करना।
- अंतर-एजेंसी समन्वय (Inter-Agency Coordination): विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय और सहयोग सुनिश्चित करना।
- अनुसंधान और विकास (Research and Development): भूस्खलन और बाढ़ के कारणों और रोकथाम के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना।
- पुनर्निर्माण और पुनर्वास (Reconstruction and Rehabilitation): आपदा के बाद प्रभावित समुदायों के पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिए दीर्घकालिक योजनाएँ बनाना, जिसमें आजीविका की बहाली भी शामिल हो।
निष्कर्ष (Conclusion)
धराली की त्रासदी एक दुखद घटना है जो हमें प्रकृति की शक्ति और हमारे अपने विकास की कमजोरियों की याद दिलाती है। 10 जवानों सहित 50 से अधिक लोगों के लापता होने और कई लोगों की जान जाने से इस आपदा की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस घटना से सीखना और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए एक मजबूत, बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रारंभिक चेतावनी, बेहतर योजना, मजबूत अवसंरचना, और प्रभावी सामुदायिक भागीदारी ही हमें ऐसी चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकती है। यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हमारे विकास के प्रयास पर्यावरण के साथ सामंजस्य बिठाएं, न कि उसके विनाश का कारण बनें।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: हालिया धराली त्रासदी में, निम्नलिखित में से कौन सी प्राकृतिक घटना सबसे संभावित कारण मानी जाती है जिसने बाढ़ जैसी स्थिति पैदा की?
(a) ज्वालामुखी विस्फोट
(b) भूस्खलन के बाद नदी का अवरुद्ध होना
(c) भूकंपीय तरंगों का प्रभाव
(d) चक्रवाती तूफान
उत्तर: (b) भूस्खलन के बाद नदी का अवरुद्ध होना
व्याख्या: भूस्खलन से नदी के मार्ग में अवरोध उत्पन्न होने से जल का जमाव होता है, जो बांध टूटने पर विनाशकारी बाढ़ का कारण बनता है। - प्रश्न 2: भूस्खलन के लिए जिम्मेदार कारकों में से कौन सा कारक सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन से जुड़ा है?
(a) तीव्र वर्षा की घटनाएँ (Extreme rainfall events)
(b) हिमालय की भूगर्भीय संरचना
(c) वनों की कटाई
(d) शहरीकरण
उत्तर: (a) तीव्र वर्षा की घटनाएँ (Extreme rainfall events)
व्याख्या: जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के पैटर्न में बदलाव आता है, जिससे अचानक और तीव्र वर्षा की घटनाओं में वृद्धि होती है, जो भूस्खलन का प्रमुख कारण बनती है। - प्रश्न 3: भारत में आपदा प्रबंधन से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सी नोडल एजेंसी है जो विशेष रूप से खतरनाक आपदाओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित है?
(a) भारतीय वायु सेना (IAF)
(b) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
(c) सीमा सुरक्षा बल (BSF)
(d) केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF)
उत्तर: (b) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
व्याख्या: NDRF विशेष रूप से आपदाओं से निपटने के लिए स्थापित की गई एक विशिष्ट बल है। - प्रश्न 4: ‘लैंडस्लाइड डैम’ (Landslide Dam) या ‘आउटबर्स्ट फ्लड’ (Outburst Flood) का क्या अर्थ है?
(a) ग्लेशियर के पिघलने से बनी झील का अचानक फटना
(b) भूस्खलन के कारण नदी के मार्ग का अवरुद्ध होना और फिर उस अवरोध का टूटना
(c) तटीय क्षेत्रों में सुनामी के कारण आने वाली बाढ़
(d) अत्यधिक हिमपात के कारण नदियों में आने वाली बाढ़
उत्तर: (b) भूस्खलन के कारण नदी के मार्ग का अवरुद्ध होना और फिर उस अवरोध का टूटना
व्याख्या: भूस्खलन द्वारा नदी का मार्ग अवरुद्ध होने से जल जमा होता है, जो बाद में टूटकर विनाशकारी बाढ़ लाता है। - प्रश्न 5: भारत में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के लिए नोडल मंत्रालय कौन सा है?
(a) गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs)
(b) रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence)
(c) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change)
(d) जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti)
उत्तर: (a) गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs)
व्याख्या: गृह मंत्रालय आपदा प्रबंधन के लिए नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य करता है। - प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था भारत में आपदाओं के शमन (Mitigation) और तैयारी (Preparedness) पर राष्ट्रीय नीति और मार्गदर्शन प्रदान करती है?
(a) राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA)
(b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
(c) भारतीय स्टेट बैंक (SBI)
(d) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
उत्तर: (b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
व्याख्या: NDMA आपदा प्रबंधन की योजना बनाने, नीतियों को लागू करने और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए सर्वोच्च वैधानिक निकाय है। - प्रश्न 7: धराली जैसी पहाड़ी क्षेत्रों में वनों की कटाई से किस प्रकार का प्रत्यक्ष खतरा बढ़ जाता है?
(a) रेगिस्तानीकरण (Desertification)
(b) भूस्खलन (Landslides)
(c) मरुस्थलीय बाढ़ (Flash Floods in deserts)
(d) समुद्र के जल स्तर में वृद्धि
उत्तर: (b) भूस्खलन (Landslides)
व्याख्या: पेड़-पौधे मिट्टी को बांधे रखते हैं। वनों की कटाई से मिट्टी की पकड़ ढीली हो जाती है, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ता है। - प्रश्न 8: ‘ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड’ (GLOF) के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह ग्लेशियरों से जुड़ी झीलों के अचानक फटने से उत्पन्न होता है।
2. जलवायु परिवर्तन GLOFs की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ा सकता है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c) 1 और 2 दोनों
व्याख्या: GLOF ग्लेशियरों से संबंधित है, लेकिन भूस्खलन के बाद बनने वाली प्राकृतिक बाधाओं का टूटना भी इसी श्रेणी की विनाशकारी बाढ़ ला सकता है, जिसे कभी-कभी GLOF के समान समझा जाता है। जलवायु परिवर्तन इन घटनाओं को बढ़ाता है। - प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसी पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की निगरानी और अनुसंधान से संबंधित है?
(a) भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India – GSI)
(b) राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC)
(c) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs)
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: GSI भूवैज्ञानिक खतरों जैसे भूस्खलन पर प्रमुख कार्य करता है, NRSC सुदूर संवेदन डेटा प्रदान करता है, और IITs अनुसंधान में सक्रिय हैं। - प्रश्न 10: किसी आपदा के बाद त्वरित प्रतिक्रिया के लिए “ह्यूमन चेन” (Human Chain) का क्या महत्व हो सकता है?
(a) राहत सामग्री को लंबी दूरी तक पहुँचाना
(b) बचाव कार्यों में लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए, विशेषकर दुर्गम स्थानों पर
(c) सूचनाओं का तेजी से आदान-प्रदान करना
(d) घायलों के परिवहन की व्यवस्था करना
उत्तर: (b) बचाव कार्यों में लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए, विशेषकर दुर्गम स्थानों पर
व्याख्या: कुछ बचाव अभियानों में, खासकर जहाँ उपकरण सीमित हों, मनुष्य एक कड़ी के रूप में कार्य कर सकते हैं, मलबे को हटाने या लोगों को सुरक्षित स्थानों तक ले जाने में मदद कर सकते हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: धराली जैसी हालिया त्रासदी का विश्लेषण करें और भारत में भूस्खलन और बाढ़ की बढ़ती घटनाओं के पीछे के भू-वैज्ञानिक, पर्यावरणीय और मानव-जनित कारणों पर प्रकाश डालें। इस प्रकार की आपदाओं के प्रबंधन के लिए एक व्यापक रणनीति का प्रस्ताव करें, जिसमें निवारण, शमन और पुनर्प्राप्ति के उपाय शामिल हों। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 2: पहाड़ी क्षेत्रों में अनियोजित विकास और वनों की कटाई का प्राकृतिक आपदाओं, विशेष रूप से भूस्खलन और बाढ़, की आवृत्ति और तीव्रता पर पड़ने वाले प्रभाव की व्याख्या करें। टिकाऊ पहाड़ी विकास के लिए आवश्यक उपायों का सुझाव दें। (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न 3: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन ग्रिड (National Disaster Management Grid) में विभिन्न एजेंसियों (जैसे सेना, NDRF, SDRF, स्थानीय प्रशासन) के बीच समन्वय के महत्व पर चर्चा करें। धराली त्रासदी जैसी घटनाओं से निपटने में इस समन्वय की क्या भूमिका रही और किन सुधारों की आवश्यकता है? (लगभग 200 शब्द)
- प्रश्न 4: जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर, भारत को भूस्खलन और हिमनद झील के फटने (GLOF) जैसी आपदाओं के लिए किस प्रकार तैयार रहना चाहिए? प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, सार्वजनिक जागरूकता और स्थानीय समुदायों की क्षमता निर्माण में नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करें। (लगभग 250 शब्द)