Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

इतिहास का महासंग्राम: अपनी ज्ञान की अग्नि को प्रज्वलित करें!

इतिहास का महासंग्राम: अपनी ज्ञान की अग्नि को प्रज्वलित करें!

एक नए दिन की शुरुआत, ज्ञान की एक नई यात्रा! क्या आप इतिहास के विशाल सागर में गोता लगाने और अपनी तैयारी को परखने के लिए तैयार हैं? आज का यह मॉक टेस्ट आपको प्राचीन भारत की गहराइयों से लेकर मध्यकालीन सल्तनतों के वैभव और आधुनिक भारत के संघर्षों तक ले जाएगा। आइए, अपनी स्मरण शक्ति को चुनौती दें और समय के धागों को एक बार फिर सुलझाएं!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस हड़प्पा स्थल से घोड़े के अवशेष मिले हैं?

  1. लोथल
  2. कालीबंगन
  3. सुरकोटडा
  4. हड़प्पा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सुरकोटडा (गुजरात) से घोड़े के अवशेष मिले हैं। यह स्थल सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे पुराने स्थलों में से एक है।
  • संदर्भ और विस्तार: सुरकोटडा से घोड़े की हड्डियों के अलावा, दफनाने की एक अनूठी विधि भी मिली है, जहाँ शवों को मिट्टी के बर्तनों में रखकर दफनाया जाता था। लोथल एक प्रमुख बंदरगाह था, और कालीबंगन से जुताई वाले खेत के प्रमाण मिले हैं। हड़प्पा स्वयं एक प्रमुख शहर था, लेकिन वहां घोड़े के स्पष्ट अवशेष सुरकोटडा जितने निर्णायक नहीं हैं।
  • गलत विकल्प: लोथल एक बंदरगाह शहर था जो व्यापार के लिए महत्वपूर्ण था। कालीबंगन अपने चबूतरे वाली बस्ती और जूते हुए खेत के प्रमाण के लिए जाना जाता है। हड़प्पा शहर भी महत्वपूर्ण था, लेकिन घोड़े के प्रत्यक्ष साक्ष्य के लिए सुरकोटडा अधिक प्रमुख है।

प्रश्न 2: ‘अष्टध्यायी’ के लेखक कौन थे, जिसने संस्कृत व्याकरण के नियमों का व्यवस्थित रूप से वर्णन किया?

  1. पतंजलि
  2. पाणिनि
  3. कात्यायन
  4. भारतीहरि

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: पाणिनि ‘अष्टध्यायी’ के लेखक थे। यह पुस्तक ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में लिखी गई थी और इसे संस्कृत व्याकरण का सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: पाणिनि ने अपने ग्रंथ में लगभग 4000 सूत्र (नियम) प्रस्तुत किए, जिन्होंने संस्कृत भाषा को एक स्थिर और व्यवस्थित रूप प्रदान किया। यह रचना भारतीय भाषा विज्ञान के लिए एक आधारशिला है।
  • गलत विकल्प: पतंजलि ने ‘महाभाष्य’ की रचना की, जो पाणिनि के ‘अष्टध्यायी’ पर एक टीका है। कात्यायन ने ‘वार्तिक’ लिखे, जो ‘अष्टध्यायी’ के नियमों पर विचार-विमर्श करते हैं। भारतीहरि ने ‘वाक्यपदीयम्’ की रचना की, जो दर्शन और भाषा विज्ञान से संबंधित है।

प्रश्न 3: चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में किस धर्म को अपनाया?

  1. बौद्ध धर्म
  2. हिंदू धर्म
  3. जैन धर्म
  4. अजीविका संप्रदाय

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में जैन धर्म को अपनाया था। यह बदलाव संभवतः तब हुआ जब वह मैसूर (वर्तमान कर्नाटक) के श्रवणबेलगोला में चले गए थे।
  • संदर्भ और विस्तार: परंपरागत मान्यता के अनुसार, चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की बागडोर अपने पुत्र बिंदुसार को सौंपने के बाद भद्रबाहु नामक जैन भिक्षु के प्रभाव में जैन धर्म स्वीकार किया। उन्होंने श्रवणबेलगोला में ‘संलेखना’ (उपवास द्वारा मृत्यु) के माध्यम से अपने प्राण त्यागे।
  • गलत विकल्प: सम्राट अशोक बौद्ध धर्म के महान संरक्षक थे, चंद्रगुप्त के पुत्र बिंदुसार भी इसी धर्म से जुड़े थे। हिंदू धर्म उस समय प्रमुख धर्म था, लेकिन चंद्रगुप्त के जैन धर्म अपनाने के प्रमाण अधिक मिलते हैं। अजीविका संप्रदाय भी एक प्राचीन भारतीय दर्शन था, लेकिन चंद्रगुप्त का इससे संबंध नहीं है।

प्रश्न 4: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?

  1. गुप्तों की विशाल सैन्य शक्ति के कारण
  2. कला, विज्ञान और साहित्य के उत्कृष्ट विकास के कारण
  3. केवल राजनीतिक स्थिरता के कारण
  4. विदेशी आक्रमणों से मुक्ति के कारण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ मुख्य रूप से कला, विज्ञान, साहित्य, वास्तुकला और खगोल विज्ञान जैसे क्षेत्रों में हुए अभूतपूर्व विकास के कारण कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस काल में कालिदास जैसे महान कवियों का उदय हुआ, आर्यभट्ट ने खगोल विज्ञान और गणित में महत्वपूर्ण योगदान दिया (शून्य की अवधारणा और दशमलव प्रणाली का विकास), और विष्णु शर्मा ने ‘पंचतंत्र’ की रचना की। अजंता की गुफाओं की चित्रकलाएं भी इसी काल की उत्कृष्ट कृतियाँ हैं।
  • गलत विकल्प: हालांकि गुप्त काल में राजनीतिक स्थिरता थी, यह एकमात्र कारण नहीं था। सैन्य शक्ति भी थी, लेकिन सांस्कृतिक और वैज्ञानिक उपलब्धियां अधिक महत्वपूर्ण थीं। विदेशी आक्रमणों से पूर्ण मुक्ति नहीं थी, हालांकि वे बड़े पैमाने पर नियंत्रित थे।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘किताब-उल-हिंद’ के बारे में सत्य है?

  1. यह अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल का इतिहास है।
  2. यह अल-बरूनी द्वारा लिखा गया था और भारत का विस्तृत विवरण देता है।
  3. यह इब्न बतूता द्वारा लिखा गया था और मोरक्को की यात्राओं का वर्णन करता है।
  4. यह तैमूर के आक्रमण का वृत्तांत है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘किताब-उल-हिंद’ (जिसे ‘तारीख-अल-हिंद’ भी कहते हैं) अल-बरूनी द्वारा लिखी गई थी, जो महमूद गजनवी के साथ भारत आया था। इस पुस्तक में उसने भारतीय दर्शन, विज्ञान, समाज, रीति-रिवाजों और भूगोल का विस्तृत और निष्पक्ष वर्णन किया है।
  • संदर्भ और विस्तार: अल-बरूनी की यह कृति 11वीं शताब्दी की भारतीय समाज की एक अनमोल धरोहर है। उसने तत्कालीन भारत की तुलना अन्य देशों से की और अपनी अवलोकन क्षमता से तत्कालीन सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को दर्शाया।
  • गलत विकल्प: अलाउद्दीन खिलजी के समय का इतिहास जियाउद्दीन बरनी की ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ में मिलता है। इब्न बतूता ने ‘रेहला’ लिखा था, जिसमें उसकी यात्राओं का वर्णन है। तैमूर के आक्रमण का वृत्तांत उसकी अपनी आत्मकथा ‘तुजुके-तैमूरी’ में मिलता है।

प्रश्न 6: दिल्ली सल्तनत की स्थापना किस वर्ष हुई थी?

  1. 1192 ईस्वी
  2. 1206 ईस्वी
  3. 1290 ईस्वी
  4. 1320 ईस्वी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: दिल्ली सल्तनत की स्थापना 1206 ईस्वी में हुई थी। यह वह वर्ष था जब मुहम्मद गोरी के दास और उत्तराधिकारी कुतुबुद्दीन ऐबक ने स्वयं को दिल्ली के सुल्तान के रूप में घोषित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: 1192 ईस्वी में तराइन के दूसरे युद्ध में मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराया, जिससे उत्तर भारत में मुस्लिम शासन की नींव पड़ी। 1206 में गोरी की मृत्यु के बाद, ऐबक ने गुलाम वंश की स्थापना की, जिससे दिल्ली सल्तनत का पहला राजवंश शुरू हुआ।
  • गलत विकल्प: 1192 ईस्वी तराइन के दूसरे युद्ध का वर्ष है। 1290 ईस्वी जलालुद्दीन खिलजी द्वारा खिलजी वंश की स्थापना का वर्ष है। 1320 ईस्वी ग्यासुद्दीन तुगलक द्वारा तुगलक वंश की स्थापना का वर्ष है।

प्रश्न 7: ‘बाबरनामा’ का फारसी अनुवाद किसने किया था?

  1. अकबर
  2. हुमायूं
  3. अब्दुल रहीम खान-ए-खाना
  4. अबुल फजल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘बाबरनामा’ (जिसे ‘तुज़ुक-ए-बाबरी’ भी कहा जाता है) का फारसी अनुवाद अब्दुल रहीम खान-ए-खाना ने किया था। वह मुगल बादशाह अकबर के दरबार में एक प्रमुख कवि और विद्वान थे।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘बाबरनामा’ बाबर की आत्मकथा है, जो तुर्की भाषा में लिखी गई थी। अकबर के शासनकाल के दौरान, खान-ए-खाना ने इसका फारसी में अनुवाद करवाया, जो उस समय की राजकीय भाषा थी, ताकि यह व्यापक रूप से पठनीय हो सके।
  • गलत विकल्प: अकबर स्वयं एक संरक्षक थे, लेकिन उन्होंने अनुवाद का कार्य खान-ए-खाना को सौंपा। हुमायूं ने इसका अनुवाद नहीं करवाया। अबुल फजल ने ‘अकबरनामा’ और ‘आईन-ए-अकबरी’ जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे।

प्रश्न 8: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक ने ‘आमुक्तमाल्यदा’ नामक प्रसिद्ध तेलुगु महाकाव्य की रचना की?

  1. कृष्णदेवराय
  2. देवराय प्रथम
  3. देवराय द्वितीय
  4. अच्युत देवराय

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रतापी शासक कृष्णदेवराय ने ‘आमुक्तमाल्यदा’ की रचना की थी। यह कृति तेलुगु साहित्य की महानतम कृतियों में से एक मानी जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: कृष्णदेवराय स्वयं एक महान विद्वान और कवि थे। ‘आमुक्तमाल्यदा’ भगवान विष्णु की एक भक्त महिला, गोदादेवी (आंडाल) की कहानी पर आधारित है, जो उनकी अपनी पूजा करती थी। कृष्णदेवराय के दरबार में आठ महान तेलुगु विद्वान थे, जिन्हें ‘अष्टदिग्गज’ कहा जाता था।
  • गलत विकल्प: देवराय प्रथम और द्वितीय भी महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन उन्होंने ऐसी किसी प्रमुख साहित्यिक रचना का श्रेय नहीं लिया। अच्युत देवराय भी एक शासक थे, लेकिन ‘आमुक्तमाल्यदा’ का श्रेय कृष्णदेवराय को ही जाता है।

प्रश्न 9: 1857 के विद्रोह के दौरान, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ने वाले कई भारतीय सैनिकों में से, किस भारतीय जनरल ने लखनऊ में विद्रोहियों का नेतृत्व किया?

  1. रानी लक्ष्मीबाई
  2. तात्या टोपे
  3. बेगम हजरत महल
  4. बहादुर शाह जफर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: लखनऊ में 1857 के विद्रोह का नेतृत्व बेगम हजरत महल ने किया था। वह अवध के नवाब वाजिद अली शाह की पत्नी थीं।
  • संदर्भ और विस्तार: ब्रिटिश द्वारा अवध पर कब्जा करने के बाद, बेगम हजरत महल ने अपने नाबालिग पुत्र बिरजिस कद्र को सिंहासन पर बैठाया और विद्रोह का झंडा उठाया। उन्होंने ब्रिटिश सेना के खिलाफ जोरदार प्रतिरोध किया, लेकिन अंततः उन्हें नेपाल भागना पड़ा।
  • गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई झांसी से लड़ीं। तात्या टोपे ने कानपुर और मध्य भारत में विद्रोह का नेतृत्व किया। बहादुर शाह जफर दिल्ली में विद्रोह के प्रतीक बने, लेकिन उन्होंने प्रत्यक्ष सैन्य नेतृत्व नहीं किया।

प्रश्न 10: ‘नील दर्पण’ नाटक के लेखक कौन थे, जिसने ब्रिटिश नील बागान मालिकों के अत्याचारों का पर्दाफाश किया?

  1. बंकिम चंद्र चटर्जी
  2. दीनबंधु मित्र
  3. शरत चंद्र चट्टोपाध्याय
  4. रवींद्रनाथ टैगोर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘नील दर्पण’ नाटक के लेखक दीनबंधु मित्र थे। यह नाटक 1860 में प्रकाशित हुआ था और इसमें उन क्रूरताओं को दर्शाया गया था जो बंगाल के नील किसानों को ब्रिटिश बागान मालिकों द्वारा झेलनी पड़ती थीं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस नाटक ने नील विद्रोह (1859-60) को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे अंग्रेजी में भी अनुवादित किया गया, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका प्रभाव पड़ा।
  • गलत विकल्प: बंकिम चंद्र चटर्जी ने ‘आनंद मठ’ लिखा, जिसमें ‘वंदे मातरम्’ गीत है। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘देवदास’ और ‘श्रीकांत’ जैसी रचनाएं कीं। रवींद्रनाथ टैगोर एक महान कवि और साहित्यकार थे, जिन्होंने ‘गीतांजलि’ लिखी।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से किस अधिनियम ने भारतीयों को शाही विधान परिषद में पहली बार प्रतिनिधित्व प्रदान किया?

  1. भारतीय परिषद अधिनियम, 1861
  2. भारतीय परिषद अधिनियम, 1892
  3. भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार)
  4. भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारतीय परिषद अधिनियम, 1861 ने पहली बार गवर्नर-जनरल की परिषद में भारतीयों को गैर-आधिकारिक सदस्य के रूप में शामिल करने का प्रावधान किया, जिससे उन्हें कुछ हद तक विधायी प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर मिला।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने वायसराय को अपनी कार्यकारी परिषद में नियुक्त करने का अधिकार दिया, जिनमें से कुछ भारतीय भी हो सकते थे। इसने कुछ हद तक विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया को भी शुरू किया।
  • गलत विकल्प: 1892 का अधिनियम अप्रत्यक्ष चुनाव का प्रावधान लाया और परिषदों के सदस्यों को बजट पर चर्चा करने का अधिकार दिया, लेकिन प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व नहीं। 1909 का अधिनियम सांप्रदायिक निर्वाचन का सिद्धांत लाया और भारतीयों को अधिक प्रतिनिधित्व दिया, लेकिन 1861 पहला कदम था। 1919 का अधिनियम द्वैध शासन प्रणाली लाया।

प्रश्न 12: ‘गांधी-इरविन समझौता’ कब हुआ था?

  1. 1929
  2. 1930
  3. 1931
  4. 1932

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह समझौता महात्मा गांधी और वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हुआ था। सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करने के बदले में, इरविन ने कुछ रियायतें दीं, जैसे कि गिरफ्तार कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रिहा करना और जब्त संपत्तियों को वापस करना। इस समझौते का उद्देश्य द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस की भागीदारी सुनिश्चित करना था।
  • गलत विकल्प: 1929 में लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की घोषणा हुई। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ और प्रथम गोलमेज सम्मेलन हुआ। 1932 में पूना समझौता हुआ।

प्रश्न 13: चौरी-चौरा की घटना, जिसने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का कारण बनी, कब हुई थी?

  1. 1920
  2. 1921
  3. 1922
  4. 1923

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: चौरी-चौरा की घटना 4 फरवरी 1922 को हुई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा नामक स्थान पर, असहयोग आंदोलन के प्रदर्शनकारियों की एक भीड़ पुलिस के साथ भिड़ गई और उन्होंने थाने में आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए। इस हिंसक घटना से आहत होकर, गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को तुरंत वापस ले लिया, क्योंकि यह उनके अहिंसा के सिद्धांत के विरुद्ध था।
  • गलत विकल्प: असहयोग आंदोलन 1920 में शुरू हुआ था। 1921 में आंदोलन अपने चरम पर था। 1923 में स्वराज पार्टी का गठन हुआ।

प्रश्न 14: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना कहाँ और कब हुई थी?

  1. लंदन, 1910
  2. सैन फ्रांसिस्को, 1913
  3. बर्लिन, 1915
  4. टोक्यो, 1914

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: गदर पार्टी की स्थापना 1913 में सैन फ्रांसिस्को, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस पार्टी का गठन मुख्य रूप से उन भारतीय अप्रवासियों द्वारा किया गया था जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में संलग्न थे। लाला हरदयाल इसके प्रमुख नेताओं में से एक थे। पार्टी का मुख्य उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था।
  • गलत विकल्प: लंदन में इंडिया हाउस था, जो क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र था, लेकिन गदर पार्टी की स्थापना सैन फ्रांसिस्को में हुई। बर्लिन में भी एक भारतीय स्वतंत्रता समिति थी, लेकिन वह 1915 में बनी। टोक्यो में भी कुछ गतिविधियां थीं, लेकिन गदर पार्टी का मुख्य केंद्र सैन फ्रांसिस्को था।

प्रश्न 15: ब्रिटिश काल में ‘रैयतवाड़ी प्रणाली’ का मुख्य उद्देश्य क्या था?

  1. ज़मींदारों से सीधे कर वसूलना
  2. किसानों से सीधे कर वसूलना
  3. एक मध्यस्थ वर्ग बनाना
  4. सामुदायिक भूमि का स्वामित्व सुनिश्चित करना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: रैयतवाड़ी प्रणाली का मुख्य उद्देश्य किसानों (रैयतों) से सीधे भूमि कर वसूलना था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली को मद्रास प्रेसीडेंसी (थॉमस मुनरो द्वारा) और बॉम्बे प्रेसीडेंसी में लागू किया गया था। इसमें ज़मींदारी प्रथा के विपरीत, भूमि का स्वामित्व किसान के पास होता था, और वह सीधे ब्रिटिश सरकार को कर चुकाता था। इस प्रणाली ने व्यक्तिगत किसान को करदाता बनाया।
  • गलत विकल्प: ज़मींदारों से कर वसूलना स्थायी बंदोबस्त (ज़मींदारी प्रणाली) का हिस्सा था। एक मध्यस्थ वर्ग बनाना भी ज़मींदारी प्रणाली की विशेषता थी। सामुदायिक भूमि का स्वामित्व रैयतवाड़ी प्रणाली का हिस्सा नहीं था, बल्कि व्यक्तिगत स्वामित्व था।

प्रश्न 16: भारत में प्रथम आम चुनाव कब हुए थे?

  1. 1947
  2. 1950
  3. 1951-52
  4. 1957

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारत में प्रथम आम चुनाव 1951-52 में आयोजित हुए थे।
  • संदर्भ और विस्तार: ये चुनाव भारतीय स्वतंत्रता के बाद देश के पहले लोकसभा चुनाव थे। इन चुनावों में विभिन्न दलों के लाखों मतदाताओं ने भाग लिया और भारत के पहले निर्वाचित संसद का गठन हुआ।
  • गलत विकल्प: 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ, लेकिन चुनाव प्रक्रिया बाद में शुरू हुई। 1950 में संविधान लागू हुआ। 1957 में दूसरे आम चुनाव हुए थे।

प्रश्न 17: ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) के लेखक कौन थे, जिसने पूंजीवाद का विश्लेषण किया?

  1. व्लादिमीर लेनिन
  2. कार्ल मार्क्स
  3. फ्रेडरिक एंगेल्स
  4. रोज़ा लक्ज़मबर्ग

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) के लेखक कार्ल मार्क्स थे। यह कृति समाजवाद और साम्यवाद के विकास में एक आधारशिला मानी जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में, मार्क्स ने पूंजीवादी व्यवस्था की आलोचना की, उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व, वर्ग संघर्ष और अधिशेष मूल्य (surplus value) के सिद्धांत का वर्णन किया। यह पुस्तक औद्योगिक क्रांति के बाद के समाज के आर्थिक और सामाजिक ढांचे को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: व्लादिमीर लेनिन एक प्रमुख मार्क्सवादी क्रांतिकारी थे जिन्होंने रूस में क्रांति का नेतृत्व किया। फ्रेडरिक एंगेल्स मार्क्स के सह-लेखक थे और उन्होंने ‘दास कैपिटल’ के बाद के खंडों को संपादित किया। रोज़ा लक्ज़मबर्ग एक क्रांतिकारी सिद्धांतकार थीं।

प्रश्न 18: प्रथम विश्व युद्ध कब से कब तक चला?

  1. 1910-1914
  2. 1914-1918
  3. 1918-1922
  4. 1939-1945

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक चला।
  • संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध 28 जुलाई 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी द्वारा सर्बिया पर युद्ध की घोषणा के साथ शुरू हुआ और 11 नवंबर 1918 को युद्धविराम के साथ समाप्त हुआ। इसमें दुनिया के अधिकांश देश शामिल थे, जो दो प्रमुख गुटों में बंटे थे: मित्र राष्ट्र (Allies) और केंद्रीय शक्तियां (Central Powers)।
  • गलत विकल्प: 1910-1914 युद्ध का काल नहीं था। 1918-1922 युद्ध के बाद का काल था। 1939-1945 द्वितीय विश्व युद्ध का काल था।

प्रश्न 19: किस वायसराय ने 1905 में बंगाल का विभाजन किया?

  1. लॉर्ड डलहौजी
  2. लॉर्ड कैनिंग
  3. लॉर्ड कर्जन
  4. लॉर्ड लिटन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: लॉर्ड कर्जन ने 1905 में बंगाल का विभाजन किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड कर्जन, जो उस समय भारत के वायसराय थे, ने पूर्वी बंगाल और असम के नए प्रांत के निर्माण के औचित्य में प्रशासनिक सुविधा का तर्क दिया था। हालाँकि, विभाजन का वास्तविक उद्देश्य बंगाल में बढ़ते राष्ट्रवाद को कमज़ोर करना था। इस विभाजन ने स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन को जन्म दिया, और अंततः 1911 में बंगाल का पुनर्गठन किया गया।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह के समय वायसराय थे। लॉर्ड लिटन ने वर्नाक्युलर प्रेस अधिनियम पारित किया था।

प्रश्न 20: ‘The Spirit of Laws’ (प्रशासनिक विधियों की आत्मा) नामक प्रभावशाली पुस्तक के लेखक कौन थे, जिसने सत्ता के पृथक्करण (separation of powers) के सिद्धांत को प्रतिपादित किया?

  1. जॉन लॉक
  2. जीन-जैक्स रूसो
  3. चार्ल्स डी मोंटेस्क्यू
  4. इमैनुअल कांट

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: चार्ल्स डी मोंटेस्क्यू ने ‘The Spirit of Laws’ (De l’esprit des lois) नामक पुस्तक लिखी थी, जिसमें उन्होंने सरकार की तीन शाखाओं – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका – के बीच सत्ता के पृथक्करण का सिद्धांत प्रस्तुत किया।
  • संदर्भ और विस्तार: मोंटेस्क्यू का यह विचार कि सत्ता के तीन अंग स्वतंत्र रूप से कार्य करें और एक-दूसरे पर अंकुश लगाएं, आधुनिक लोकतांत्रिक शासन प्रणालियों की नींव बना। यह विचार संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान के निर्माण में विशेष रूप से प्रभावशाली था।
  • गलत विकल्प: जॉन लॉक ने प्राकृतिक अधिकारों और सामाजिक अनुबंध पर लिखा। जीन-जैक्स रूसो ने ‘The Social Contract’ लिखी। इमैनुएल कांट एक जर्मन दार्शनिक थे जिन्होंने नैतिकता और ज्ञानमीमांसा पर काम किया।

प्रश्न 21: मुगल सम्राट शाहजहाँ के किस पुत्र ने औरंगजेब के विरुद्ध संघर्ष में निर्णायक भूमिका निभाई और अंततः पराजित हुआ?

  1. मुराद बख्श
  2. जहाँआरा
  3. दारा शिकोह
  4. शहजादा बख्श

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: दारा शिकोह, शाहजहाँ के चार पुत्रों में सबसे बड़े और विद्वान थे, जिन्होंने सत्ता के उत्तराधिकार के युद्ध में औरंगजेब से लड़ाई लड़ी और अंततः पराजित होकर मार दिए गए।
  • संदर्भ और विस्तार: शाहजहाँ के बीमार पड़ने पर, उनके बेटों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध छिड़ गया। दारा को उनके पिता का पसंदीदा माना जाता था, लेकिन औरंगजेब ने कुशलता से अपनी सेनाओं को संगठित किया और दारा शिकोह को विभिन्न लड़ाइयों में हराया, जिसमें सामूगढ़ की लड़ाई (1658) प्रमुख थी।
  • गलत विकल्प: मुराद बख्श ने भी औरंगजेब के साथ मिलकर दारा के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन बाद में उसे भी मार दिया गया। जहाँआरा शाहजहाँ की बेटी थीं और उनका राजनीतिक झुकाव दारा की ओर था। शहजादा बख्श कोई प्रमुख शाही पुत्र नहीं थे।

प्रश्न 22: महात्मा गांधी द्वारा प्रकाशित ‘हरिजन’ (Harijan) क्या था?

  1. एक राजनीतिक दल
  2. एक साप्ताहिक समाचार पत्र
  3. एक सामाजिक आंदोलन
  4. एक स्वयंसेवी संगठन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘हरिजन’ महात्मा गांधी द्वारा प्रकाशित एक साप्ताहिक समाचार पत्र था।
  • संदर्भ और विस्तार: गांधीजी ने यह समाचार पत्र हरिजन (अस्पृश्य) वर्ग के उत्थान और अस्पृश्यता के उन्मूलन के उद्देश्य से शुरू किया था। इसका उद्देश्य समाज में समानता और सामाजिक न्याय के संदेश को फैलाना था। यह पत्रिका विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होती थी।
  • गलत विकल्प: यह कोई राजनीतिक दल, आंदोलन या संगठन नहीं था, बल्कि एक पत्रिका थी जो इन उद्देश्यों को बढ़ावा देती थी।

प्रश्न 23: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किस वर्ष हुई थी?

  1. 1885
  2. 1890
  3. 1905
  4. 1919

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को हुई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इसकी स्थापना ए.ओ. ह्यूम (एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी) द्वारा की गई थी, जिसका प्रारंभिक उद्देश्य भारतीयों के लिए एक मंच प्रदान करना था ताकि वे अपने विचारों को ब्रिटिश सरकार के सामने रख सकें। इसके पहले अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी थे, और यह बंबई (अब मुंबई) में आयोजित हुई थी।
  • गलत विकल्प: 1890 में भारतीय संघ की स्थापना हुई। 1905 में बंगाल का विभाजन हुआ। 1919 में रॉलेट अधिनियम पारित हुआ।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा जोड़ा ‘ब्रिटिश भारत में स्वतंत्रता सेनानी और उनके कार्यक्षेत्र’ से मेल नहीं खाता?

  1. रानी लक्ष्मीबाई – झांसी
  2. मंगल पांडे – बैरकपुर
  3. बेगम हजरत महल – लखनऊ
  4. तात्या टोपे – मेरठ

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: तात्या टोपे ने मुख्य रूप से कानपुर और मध्य भारत में 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किया था, न कि मेरठ से।
  • संदर्भ और विस्तार: रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी से वीरतापूर्वक संघर्ष किया। मंगल पांडे ने बैरकपुर छावनी में विद्रोह की पहली चिंगारी जलाई थी। बेगम हजरत महल ने लखनऊ में विद्रोह का नेतृत्व किया। 1857 के विद्रोह में मेरठ की महत्वपूर्ण भूमिका थी, लेकिन नेतृत्वकर्ताओं में तात्या टोपे का मुख्य कार्यक्षेत्र कानपुर और आसपास का क्षेत्र था।
  • गलत विकल्प: अन्य सभी जोड़े सही हैं। रानी लक्ष्मीबाई झांसी से जुड़ी थीं, मंगल पांडे बैरकपुर से, और बेगम हजरत महल लखनऊ से।

प्रश्न 25: ‘ऑपरेशन पोलो’ किस रियासत के भारत में विलय से संबंधित था?

  1. जूनागढ़
  2. हैदराबाद
  3. कश्मीर
  4. जोधपुर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘ऑपरेशन पोलो’ हैदराबाद रियासत के भारतीय संघ में विलय से संबंधित था।
  • संदर्भ और विस्तार: 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, हैदराबाद की रियासत के निज़ाम उस्मान अली खान ने स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया था। भारतीय संघ के दबाव और निज़ाम की सेना द्वारा हिंदुओं पर किए जा रहे अत्याचारों के जवाब में, भारतीय सेना ने सितंबर 1948 में सैन्य कार्रवाई शुरू की, जिसे ‘ऑपरेशन पोलो’ नाम दिया गया। इसके परिणामस्वरूप हैदराबाद का भारत में विलय हुआ।
  • गलत विकल्प: जूनागढ़ का विलय जनमत संग्रह द्वारा हुआ। कश्मीर का मुद्दा आज भी विवादास्पद है और उसका विलय विलय पत्र पर हस्ताक्षर के माध्यम से हुआ। जोधपुर के शासक ने भारत में शामिल होने का निर्णय लिया था।

Leave a Comment