समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी पकड़ मज़बूत करें!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्रियों! आज का दिन आपकी समाजशास्त्रीय समझ को पैना करने और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी को परखने का है। हम लाए हैं 25 चुनिंदा प्रश्न, जो समाजशास्त्र के हर महत्वपूर्ण पहलू को छूते हैं। तो, तैयार हो जाइए अपने ज्ञान को चुनौती देने और अपनी विश्लेषणात्मक क्षमताओं को निखारने के लिए!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य’ (Functionalist Perspective) के अनुसार, समाज एक जटिल प्रणाली के रूप में कैसे कार्य करता है?
- व्यक्तिगत हितों के टकराव से
- विभिन्न भागों के परस्पर संबंधित संरचनाओं से जो सामाजिक स्थिरता बनाए रखते हैं
- शक्ति संबंधों और प्रभुत्व से
- संघर्ष और परिवर्तन के माध्यम से
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य, जिसे संरचनात्मक-कार्यात्मकतावाद भी कहा जाता है, समाज को विभिन्न परस्पर संबंधित भागों (जैसे संस्थाएं, संरचनाएं) से बनी एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है, जो सभी मिलकर स्थिरता और व्यवस्था बनाए रखने में योगदान करते हैं। एमिल दुर्खीम और टैल्कॉट पार्सन्स इस परिप्रेक्ष्य के प्रमुख विचारक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिप्रेक्ष्य इस बात पर जोर देता है कि समाज के प्रत्येक अंग का एक विशिष्ट कार्य होता है जो समग्र प्रणाली के अस्तित्व और संतुलन को बनाए रखता है। उदाहरण के लिए, शिक्षा प्रणाली समाज के मूल्यों को प्रसारित करने और कुशल श्रमशक्ति तैयार करने का कार्य करती है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) मार्क्सवादी और संघर्ष सिद्धांत के पहलू हैं, जबकि (d) संघर्ष की भूमिका को स्वीकार करता है लेकिन कार्यात्मकतावाद के केंद्रीय विचार (स्थिरता और संतुलन) को व्यक्त नहीं करता है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) के विश्लेषण पर विशेष बल देता है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्ते
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने समाजशास्त्र को ‘सामाजिक क्रिया’ के अध्ययन के रूप में परिभाषित किया, जिसमें व्यक्ति अपने कार्यों में विषयगत अर्थ (subjective meaning) जोड़ते हैं। वेबर का मानना था कि समाज को समझने के लिए इन अर्थों को समझना आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर की पद्धति ‘Verstehen’ (समझ) या व्याख्यात्मक समाजशास्त्र है, जो सामाजिक क्रियाओं के पीछे के प्रेरणाओं और अर्थों को जानने पर केंद्रित है। यह उनके कार्य ‘Economy and Society’ में स्पष्ट है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स आर्थिक निर्धारवाद और वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित करते हैं। एमिल दुर्खीम सामाजिक तथ्यों (social facts) और सामूहिक चेतना (collective consciousness) पर बल देते हैं, जबकि ऑगस्ट कॉम्ते ने प्रत्यक्षवाद (positivism) की नींव रखी।
प्रश्न 3: ‘विविधीकरण’ (Stratification) का अर्थ क्या है?
- समाज में लोगों का विभिन्न समूहों में विभाजन
- समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सहयोग
- जाति व्यवस्था का उन्मूलन
- सामाजिक गतिशीलता का अभाव
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सामाजिक विविधीकरण (Social Stratification) से तात्पर्य समाज में व्यक्तियों और समूहों को उनकी सामाजिक स्थिति, शक्ति, धन और प्रतिष्ठा के आधार पर पदानुक्रमित स्तरों (hierarchical levels) में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया से है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें वर्ग, जाति, लिंग, आयु आदि के आधार पर असमान वितरण शामिल है। यह एक सार्वभौमिक सामाजिक घटना है जो समाज की संरचना का हिस्सा है।
- गलत विकल्प: (b) सहयोग (cooperation) का संबंध नहीं है, (c) जाति व्यवस्था का उन्मूलन (abolition of caste system) एक सामाजिक परिवर्तन है, (d) सामाजिक गतिशीलता का अभाव (lack of social mobility) विविधीकरण का परिणाम हो सकता है, लेकिन इसका अर्थ नहीं है।
प्रश्न 4: निम्न में से कौन सा समाजशास्त्री ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा से जुड़ा है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- जी. एच. मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा को विकसित किया। एनोमी वह स्थिति है जब समाज में सामाजिक मानदंड (social norms) कमजोर हो जाते हैं या उनका अभाव होता है, जिससे व्यक्तिगत भ्रम और दिशाहीनता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘Suicide’ में एनोमी को आत्महत्या के कारणों में से एक के रूप में पहचाना। यह विशेष रूप से सामाजिक परिवर्तन या संकट के समय देखी जाती है, जब लोगों को यह नहीं पता होता कि क्या स्वीकार्य व्यवहार है।
- गलत विकल्प: वेबर ने ‘Verstehen’ दिया, मार्क्स ने वर्ग संघर्ष, और मीड ने ‘स्व’ (Self) और भूमिका निभाने (Role-taking) की अवधारणाएं दीं।
प्रश्न 5: ‘पवित्र’ (Sacred) और ‘अपवित्र’ (Profane) के बीच भेद किस समाजशास्त्री के धर्म संबंधी विश्लेषण का केंद्रीय बिंदु है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- सी. राइट मिल्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Elementary Forms of Religious Life’ में धर्म का समाजशास्त्रीय विश्लेषण करते हुए ‘पवित्र’ और ‘अपवित्र’ के बीच भेद को धर्म की एक मौलिक विशेषता बताया।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, धर्म वह है जो ‘पवित्र’ की श्रेणी में आता है, जो अलग, वर्जित (forbidden) और श्रेष्ठ मानी जाने वाली चीजों को संदर्भित करता है, जबकि ‘अपवित्र’ रोजमर्रा की, सामान्य और लौकिक चीजों से संबंधित है। यह भेद समाज को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गलत विकल्प: वेबर ने प्रोटेस्टेंट नैतिकता और पूंजीवाद के बीच संबंध का अध्ययन किया। मार्क्स ने धर्म को ‘जनता की अफीम’ कहा। सी. राइट मिल्स ने ‘Sociological Imagination’ की बात की।
प्रश्न 6: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?
- बड़े सामाजिक संरचनाओं और संस्थाओं पर
- व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म स्तर पर होने वाली अंतःक्रियाओं और प्रतीकों पर
- सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने वाले कारकों पर
- आर्थिक उत्पादन के साधनों पर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) समाजशास्त्रीय सिद्धांत है जो इस बात पर केंद्रित है कि लोग कैसे प्रतीकों (जैसे भाषा, इशारे) का उपयोग करके एक-दूसरे के साथ संवाद करते हैं और इन अंतःक्रियाओं के माध्यम से वे कैसे अर्थ (meaning) का निर्माण करते हैं। जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गोफमैन इसके प्रमुख प्रस्तावक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि समाज व्यक्तियों द्वारा अपनी अंतःक्रियाओं में अर्थों को बनाने और व्याख्या करने के निरंतर प्रक्रिया का परिणाम है। ‘स्व’ (Self) का विकास भी इसी अंतःक्रियात्मक प्रक्रिया से होता है।
- गलत विकल्प: (a) बड़े संरचनाओं पर ध्यान संरचनात्मक-कार्यात्मकतावाद या मार्क्सवाद का ध्यान है। (c) सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता कार्यात्मकतावाद का मुख्य बिंदु है। (d) आर्थिक उत्पादन मार्क्सवाद का केंद्रीय विचार है।
प्रश्न 7: मैकियावेली ने अपनी कृति ‘द प्रिंस’ में किस प्रकार के नेतृत्व की वकालत की?
- लोकतांत्रिक नेतृत्व
- नैतिक और परोपकारी नेतृत्व
- यथार्थवादी और सत्ता-केंद्रित नेतृत्व
- सहभागी नेतृत्व
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: निकोलो मैकियावेली की ‘द प्रिंस’ एक राजनीतिक दर्शन का क्लासिक कार्य है जो शासकों (राजकुमारों) को सत्ता हासिल करने और बनाए रखने के लिए व्यावहारिक, यथार्थवादी और अक्सर क्रूर तरीकों की सलाह देता है। इसमें सत्ता और प्रभाव को सर्वोपरि माना गया है।
- संदर्भ और विस्तार: मैकियावेली को अक्सर ‘यथार्थवाद’ (realism) का जनक माना जाता है, क्योंकि वह इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि चीजें कैसी हैं, न कि वे कैसी होनी चाहिए। उन्होंने नेतृत्व में नैतिकता की तुलना में प्रभावशीलता को अधिक महत्व दिया।
- गलत विकल्प: मैकियावेली का दृष्टिकोण निश्चित रूप से लोकतांत्रिक, नैतिक या सहभागी नेतृत्व का समर्थन नहीं करता है।
प्रश्न 8: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का संबंध किससे है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
- किसी निम्न हिन्दू जाति या जनजाति का उच्च हिन्दू जाति की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाना
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
- शहरीकरण के कारण सामाजिक परिवर्तन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतीकरण’ की अवधारणा को भारत में जाति व्यवस्था के भीतर होने वाले सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया। इसमें निम्न जातियां उच्च जातियों (विशेषकर द्विजातियों) के आचार-विचार, खान-पान, पूजा-पद्धति आदि को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा पहली बार उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की गई थी। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है।
- गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण (Westernization) का अर्थ है पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण। (c) आधुनिकीकरण (Modernization) एक व्यापक प्रक्रिया है, और (d) शहरीकरण (Urbanization) एक अलग प्रक्रिया है।
प्रश्न 9: ‘बुद्धिजीवी वर्ग’ (Intelligentsia) की अवधारणा किसने दी?
- एंटोनियो ग्राम्स्की
- जुरगेन हैबरमास
- एंटोनियो ग्राम्सी
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एंटोनियो ग्राम्सी, एक इतालवी मार्क्सवादी विचारक, ने ‘बुद्धिजीवी वर्ग’ (Intelligentsia) की भूमिका और समाज में उनके प्रभाव पर विस्तार से लिखा है। उन्होंने ‘वैकल्पिक बुद्धीजीवी’ (organic intellectuals) और ‘पारंपरिक बुद्धीजीवी’ (traditional intellectuals) के बीच अंतर किया।
- संदर्भ और विस्तार: ग्राम्सी के अनुसार, बुद्धीजीवी वर्ग समाज के प्रमुख विचारों और संस्कृति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और शासक वर्ग अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए उनका उपयोग करता है। वह ‘सांस्कृतिक प्रभुत्व’ (cultural hegemony) की अवधारणा के माध्यम से यह समझाते हैं कि कैसे एक वर्ग अपने विचारों को सर्वमान्य बना लेता है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) एक ही विचारक के अलग-अलग प्रकार से लिखे गए नाम हैं। (b) हैबरमास ने ‘संचार क्रिया’ (communicative action) और ‘सार्वजनिक क्षेत्र’ (public sphere) पर काम किया। (d) मार्क्सवाद का केंद्रीय विचार वर्ग संघर्ष है, लेकिन ग्राम्सी ने बुद्धीजीवियों की भूमिका को विशिष्ट रूप से विश्लेषणित किया।
प्रश्न 10: ‘सामाजिक पूँजी’ (Social Capital) का अर्थ है:
- किसी व्यक्ति की आर्थिक संपत्ति
- किसी व्यक्ति के सामाजिक नेटवर्क, संबंध और उन नेटवर्कों से प्राप्त लाभ
- किसी व्यक्ति की शिक्षा और कौशल
- समाज द्वारा प्रदान की जाने वाली सरकारी सहायता
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सामाजिक पूँजी से तात्पर्य व्यक्तियों के सामाजिक संबंधों, नेटवर्क, विश्वास और सहयोग से उत्पन्न होने वाले संसाधनों से है। यह उन लाभों को संदर्भित करता है जो लोग अपने सामाजिक संपर्कों से प्राप्त कर सकते हैं। पियरे बॉर्डियू, जेम्स कोलमैन और रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा को विकसित किया है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक पूँजी व्यक्तियों और समूहों को सूचना, अवसर और समर्थन तक पहुँच प्रदान करके उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकती है। यह विश्वास और आपसी संबंधों पर आधारित है।
- गलत विकल्प: (a) आर्थिक पूँजी (economic capital) को संदर्भित करता है। (c) मानव पूँजी (human capital) को संदर्भित करता है। (d) यह एक अलग प्रकार की सहायता है, सामाजिक पूँजी नहीं।
प्रश्न 11: परिवार का ‘प्रसारण’ (Broadcasting) कार्य क्या है?
- परिवार के सदस्यों के बीच भावनाओं का आदान-प्रदान
- समाज के मूल्यों, मानदंडो और संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहुँचाना
- परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करना
- परिवार के सदस्यों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: परिवार का एक महत्वपूर्ण कार्य समाजीकरण (socialization) है, जिसके माध्यम से बच्चे समाज के नियमों, मूल्यों, विश्वासों और व्यवहार के तरीकों को सीखते हैं। इसे ही ‘प्रसारण’ या ‘सांस्कृतिक प्रसारण’ (cultural transmission) कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया परिवार को समाज की निरंतरता बनाए रखने में मदद करती है। बच्चे परिवार के माध्यम से अपनी संस्कृति और समाज के मानकों को आत्मसात करते हैं, जो उन्हें समाज का एक क्रियाशील सदस्य बनने के लिए तैयार करता है।
- गलत विकल्प: (a) भावनात्मक समर्थन (emotional support) का कार्य है। (c) आर्थिक सुरक्षा (economic security) का कार्य है। (d) सामाजिक सुरक्षा (social security) एक व्यापक अर्थ में हो सकता है, लेकिन ‘प्रसारण’ का सीधा संबंध सांस्कृतिक मूल्यों के हस्तांतरण से है।
प्रश्न 12: ‘जातिगत पंचायत’ (Caste Panchayat) का मुख्य कार्य क्या है?
- सभी जातियों के बीच विवाह की व्यवस्था करना
- जाति के सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करना और जातिगत नियमों का पालन करवाना
- भूमि सुधारों को लागू करना
- स्थानीय प्रशासन में सुधार करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जातिगत पंचायतें पारंपरिक रूप से किसी विशेष जाति के भीतर निर्णय लेने वाली संस्थाएं होती हैं। उनका मुख्य कार्य जाति के सदस्यों के आचार-विचार, सामाजिक व्यवहार, विवाह संबंधी नियमों और अन्य परंपराओं पर नियंत्रण रखना और अनुशासन बनाए रखना होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ये पंचायतें अक्सर जाति के नियमों को तोड़ने वाले सदस्यों को दंडित भी कर सकती हैं। वे जाति की पहचान और उसके सदस्यों के बीच सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- गलत विकल्प: (a) विवाह की व्यवस्था अक्सर व्यक्तिगत या परिवार स्तर पर होती है। (c) और (d) स्थानीय प्रशासन और भूमि सुधारों से सीधे संबंधित नहीं होती हैं।
प्रश्न 13: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया को निम्नलिखित में से किससे जोड़ा जा सकता है?
- परंपरागत सामाजिक संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण
- औद्योगीकरण, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षता
- स्थानीय और पारंपरिक ज्ञान का प्रसार
- कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: आधुनिकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें पारंपरिक समाजों का औद्योगिक, शहरी और धर्मनिरपेक्ष समाजों में परिवर्तन शामिल है। इसमें प्रौद्योगिकी, शिक्षा, शासन और जीवन शैली में व्यापक बदलाव आते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण में अक्सर वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास, तर्कसंगतता (rationality) में वृद्धि, विशेषज्ञता (specialization) और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बल देना शामिल होता है।
- गलत विकल्प: (a) आधुनिकीकरण पारंपरिक संरचनाओं को कमजोर या बदल देता है। (c) यह पारंपरिक ज्ञान की जगह वैज्ञानिक और तर्कसंगत ज्ञान को प्राथमिकता देता है। (d) यह कृषि से औद्योगिक अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता है।
प्रश्न 14: ‘परोपकार’ (Altruism) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्री से है?
- मैक्स वेबर
- अगस्त कॉम्ते
- एमिल दुर्खीम
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘परोपकार’ (Altruism) को आत्महत्या के प्रकारों में से एक के रूप में पहचाना। परोपकारी आत्महत्या तब होती है जब व्यक्ति इतना अधिक सामाजिक रूप से एकीकृत होता है कि वह समूह के कल्याण को अपने व्यक्तिगत कल्याण से ऊपर रखता है और समूह के लिए अपना जीवन बलिदान कर देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह उन समाजों में अधिक देखा जाता है जहाँ सामाजिक एकजुटता (social solidarity) बहुत मजबूत होती है, जैसे कि पारंपरिक समाजों में।
- गलत विकल्प: वेबर ने ‘Verstehen’ दिया। कॉम्ते को प्रत्यक्षवाद का जनक माना जाता है। मर्टन ने ‘अनॉमली’ (anomie) की अवधारणा को विस्तृत किया और ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (middle-range theory) का विकास किया।
प्रश्न 15: ‘संस्थागतकरण’ (Institutionalization) की प्रक्रिया क्या है?
- किसी व्यवहार या सामाजिक पैटर्न का सामाजिक रूप से स्वीकृत और स्थायी तरीका बन जाना
- लोगों का एक समूह बनाना
- सामाजिक आंदोलनों का उदय
- व्यक्तिगत प्राथमिकताओं का विकास
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: संस्थागतकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यवहार, नियम, मूल्य या आदर्श एक सामाजिक समूह या समाज में इतने गहराई से स्थापित हो जाते हैं कि वे अपेक्षित, सामान्य और स्थायी हो जाते हैं। जैसे, विवाह एक संस्था है।
- संदर्भ और विस्तार: जब कोई सामाजिक क्रिया बार-बार दोहराई जाती है और स्वीकार्य हो जाती है, तो वह संस्था का रूप ले लेती है। यह समाज में व्यवस्था और पूर्वानुमेयता (predictability) बनाए रखने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: (b), (c), और (d) संस्थागतकरण की प्रक्रिया के परिणाम या संबंधित अवधारणाएं नहीं हैं, बल्कि ये स्वयं विभिन्न प्रक्रियाएं हो सकती हैं।
प्रश्न 16: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से औद्योगिक समाज के संदर्भ में, किस समाजशास्त्री के साथ सबसे अधिक जुड़ी हुई है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- जी. एच. मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा का गहन विश्लेषण किया। उन्होंने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिकों के अलगाव को चार मुख्य रूपों में वर्णित किया: उत्पादन के साधन से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, अपने ‘प्रजाति सार’ (species-being) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, श्रमिकों को उनके श्रम के उत्पादों, उनकी रचनात्मकता और स्वयं से अलग कर दिया जाता है, जिससे वे शक्तिहीन और दिशाहीन महसूस करते हैं। यह पूंजीवादी व्यवस्था की एक अंतर्निहित समस्या है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘एनोमी’ पर ध्यान केंद्रित किया। वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ और ‘नौकरशाही’ के अलगावपूर्ण प्रभावों पर लिखा, लेकिन मार्क्स का विश्लेषण अधिक मौलिक और व्यापक है। मीड ने ‘स्व’ (Self) के विकास का अध्ययन किया।
प्रश्न 17: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने दी?
- ए.एल. क्रोबर
- विलियम एफ. ओगबर्न
- रॉबर्ट ई. पार्क
- चार्ल्स एच. कूली
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: विलियम एफ. ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की। उनका मानना था कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, मशीनरी) अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, नैतिकता, सामाजिक संस्थाएं) की तुलना में बहुत तेजी से बदलती है, जिससे समाज में सामंजस्य की कमी और समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक नई तकनीक (जैसे इंटरनेट) का आविष्कार हो जाता है, लेकिन उसके उपयोग को नियंत्रित करने वाले कानून या सामाजिक मानदंड उस गति से विकसित नहीं होते, जिससे ‘सांस्कृतिक विलंब’ उत्पन्न होता है।
- गलत विकल्प: क्रोबर और पार्क ने शहरी समाजशास्त्र और सांस्कृतिक अध्ययन में योगदान दिया, जबकि कूली ने ‘looking-glass self’ की अवधारणा दी।
प्रश्न 18: सामाजिक अनुसंधान में ‘प्रश्नावली’ (Questionnaire) का उपयोग किस पद्धति का हिस्सा है?
- क्षेत्रीय कार्य (Fieldwork)
- साक्षात्कार (Interview)
- सर्वेक्षण (Survey)
- समूह चर्चा (Group Discussion)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रश्नावली (Questionnaire) सर्वेक्षण (Survey) अनुसंधान पद्धति का एक प्रमुख उपकरण है। इसका उपयोग बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं से मानकीकृत (standardized) तरीके से जानकारी एकत्र करने के लिए किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रश्नावली में पूर्वनिर्धारित प्रश्न होते हैं, जो लिखित रूप में या ऑनलाइन प्रस्तुत किए जा सकते हैं। ये या तो खुले (open-ended) या बंद (closed-ended) प्रकार के हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: क्षेत्रीय कार्य (fieldwork) अक्सर नृवंशविज्ञान (ethnography) में उपयोग होता है। साक्षात्कार (interview) एक प्रत्यक्ष बातचीत है। समूह चर्चा (group discussion) एक अलग गुणात्मक (qualitative) डेटा संग्रह विधि है।
प्रश्न 19: ‘समूह चेतना’ (Group Consciousness) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से संबंधित है?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- एडमंड हुसर्ल
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) की अवधारणा का प्रयोग किया, जिसे कभी-कभी ‘समूह चेतना’ के रूप में भी संदर्भित किया जाता है। यह एक समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए जाने वाले विश्वासों, विचारों, नैतिक दृष्टिकोणों और ज्ञान का योग है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, यही सामूहिक चेतना समाज को एकजुट करती है और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखती है। पारंपरिक समाजों में यह अधिक मजबूत होती है, जबकि आधुनिक समाजों में व्यक्तिगत चेतना का प्रभाव बढ़ता है।
- गलत विकल्प: वेबर ने ‘Verstehen’ पर काम किया। मार्क्स ने ‘वर्ग चेतना’ (class consciousness) की बात की, जो समूह चेतना से भिन्न है। हुसर्ल घटना विज्ञान (phenomenology) से संबंधित हैं।
प्रश्न 20: भारतीय समाज में ‘आदिवासी’ (Tribal) समुदायों की मुख्य विशेषता क्या है?
- एक समान भाषा और संस्कृति
- अपने स्वयं के अलिखित नियम, रीति-रिवाज और अक्सर एक अलग भौगोलिक क्षेत्र
- हिन्दू धर्म के साथ पूर्ण समाजीकरण
- उच्च स्तर की शहरीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: आदिवासी समुदायों की एक प्रमुख विशेषता यह है कि उनके अपने विशिष्ट सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक नियम होते हैं, जो अक्सर मुख्यधारा के समाज से भिन्न होते हैं। वे अक्सर भौगोलिक रूप से अलग-थलग क्षेत्रों में रहते हैं और उनकी अपनी अनूठी जीवन शैली, रीति-रिवाज और परंपराएं होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि सभी आदिवासी एक जैसे नहीं होते, फिर भी उनकी अपनी पहचान, सामाजिक संगठन और ऐतिहासिक अनुभव उन्हें परिभाषित करते हैं।
- गलत विकल्प: (a) सभी आदिवासियों की भाषा और संस्कृति एक समान नहीं होती। (c) उनका हिंदू धर्म या अन्य धर्मों के साथ समाजीकरण की प्रक्रियाएं भिन्न होती हैं, और वे हमेशा पूरी तरह से एकीकृत नहीं होते। (d) उनका शहरीकरण का स्तर आमतौर पर निम्न होता है।
प्रश्न 21: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) को एक ‘बंद स्तरीकरण’ (Closed Stratification) प्रणाली क्यों माना जाता है?
- क्योंकि यह समाज में गतिशीलता को बढ़ावा देती है
- क्योंकि इसमें जन्म से स्थिति निर्धारित होती है और सामाजिक गतिशीलता अत्यंत सीमित होती है
- क्योंकि यह शिक्षा पर आधारित है
- क्योंकि यह आर्थिक स्थिति पर आधारित है
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जाति व्यवस्था को एक बंद स्तरीकरण प्रणाली इसलिए कहा जाता है क्योंकि व्यक्ति की सामाजिक स्थिति उसके जन्म से तय होती है और एक जाति से दूसरी जाति में जाना (ऊपर या नीचे) अत्यंत कठिन या असंभव होता है। इसमें व्यावसायिक, सामाजिक और वैवाहिक प्रतिबंध होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, वर्ग व्यवस्था को अक्सर एक खुली स्तरीकरण प्रणाली माना जाता है, जहाँ आर्थिक या अन्य कारकों के आधार पर गतिशीलता संभव है।
- गलत विकल्प: (a) जाति व्यवस्था गतिशीलता को प्रतिबंधित करती है, बढ़ावा नहीं। (c) और (d) शिक्षा या आर्थिक स्थिति जाति व्यवस्था में गतिशीलता के मुख्य कारक नहीं हैं, बल्कि जन्म है।
प्रश्न 22: ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) की अवधारणा किस समाजशास्त्री के सिद्धांत का मूल आधार है?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- इरविंग गोफमैन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स का ऐतिहासिक भौतिकवाद (historical materialism) का सिद्धांत इस विचार पर आधारित है कि इतिहास मानव समाजों के वर्गों के बीच आर्थिक हितों के संघर्ष का परिणाम रहा है। उन्होंने पूंजीवाद में बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच निरंतर संघर्ष का वर्णन किया।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, यह वर्ग संघर्ष ही समाज में परिवर्तन और क्रांति का प्रमुख चालक है।
- गलत विकल्प: वेबर ने वर्ग, स्थिति (status) और शक्ति (party) को अलग-अलग आयामों के रूप में देखा। दुर्खीम ने सामाजिक एकता और श्रम विभाजन पर ध्यान केंद्रित किया। गोफमैन ने सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं और रंगमंच (dramaturgy) का अध्ययन किया।
प्रश्न 23: ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) की आदर्श-प्रकार (Ideal-Type) की अवधारणा किसने विकसित की?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- टैल्कॉट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने ‘नौकरशाही’ को आधुनिक समाजों में शक्ति और अधिकार के तर्कसंगत-वैधानिक (rational-legal) रूप के एक आदर्श-प्रकार के रूप में विश्लेषणित किया। उन्होंने नौकरशाही की विशेषताओं जैसे पदानुक्रम (hierarchy), लिखित नियम, विशिष्टीकरण (specialization) और अ-व्यक्तिगत संबंध (impersonality) का वर्णन किया।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि नौकरशाही दक्षता और निष्पक्षता लाती है, लेकिन साथ ही यह ‘लोहे के पिंजरे’ (iron cage) की तरह व्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित भी कर सकती है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक व्यवस्था पर ध्यान दिया। मार्क्स ने पूंजीवाद और क्रांति का विश्लेषण किया। पार्सन्स ने संरचनात्मक-कार्यात्मकतावाद में योगदान दिया, लेकिन नौकरशाही के आदर्श-प्रकार का मूल विश्लेषण वेबर का है।
प्रश्न 24: ‘समाजशास्त्र’ (Sociology) शब्द किसने गढ़ा?
- ऑगस्ट कॉम्ते
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
- मैक्स वेबर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: फ्रेंच दार्शनिक और समाजशास्त्री ऑगस्ट कॉम्ते को ‘समाजशास्त्र का जनक’ माना जाता है। उन्होंने 1838 में ‘समाजशास्त्र’ (Sociology) शब्द गढ़ा, जो लैटिन शब्द ‘socius’ (साथी) और ग्रीक शब्द ‘logos’ (अध्ययन) से मिलकर बना है।
- संदर्भ और विस्तार: कॉम्ते का उद्देश्य समाज का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन करना था ताकि समाज को बेहतर बनाया जा सके। उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का भी प्रस्ताव रखा, जो मानता है कि समाज का अध्ययन प्राकृतिक विज्ञानों की तरह ही वस्तुनिष्ठ (objective) और अनुभवजन्य (empirical) तरीकों से किया जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: दुर्खीम, स्पेंसर और वेबर सभी समाजशास्त्र के महत्वपूर्ण संस्थापक सदस्य हैं, लेकिन उन्होंने इस शब्द को नहीं गढ़ा।
प्रश्न 25: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) का अर्थ है:
- एक ही व्यक्ति पर परस्पर विरोधी भूमिकाओं को पूरा करने का दबाव
- दो विभिन्न व्यक्तियों के बीच संघर्ष
- समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष
- व्यक्तिगत पहचान का संकट
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भूमिका संघर्ष (Role Conflict) तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति से ऐसी भूमिकाएं निभाने की उम्मीद की जाती है जो आपस में विरोधी या असंगत हों। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति एक ही समय में एक प्रबंधक (निर्णायक, अनुशासनात्मक) और एक मित्र (सहायक, सहानुभूतिपूर्ण) होने की अपेक्षाओं का सामना कर सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह भूमिका तनाव (role strain) से भिन्न है, जहाँ एक ही भूमिका के भीतर कई अपेक्षाएं होती हैं। भूमिका संघर्ष विभिन्न सामाजिक स्थितियाँ या अपेक्षाएँ हो सकती हैं जो एक व्यक्ति को निभानी होती हैं, और ये अपेक्षाएँ अक्सर विरोधाभासी होती हैं।
- गलत विकल्प: (b) यह दो व्यक्तियों के बीच का संघर्ष है। (c) यह वर्ग संघर्ष है। (d) यह भूमिका संघर्ष का परिणाम हो सकता है, लेकिन इसका अर्थ नहीं है।