रोज़ाना भारतीय राजव्यवस्था की परीक्षा: अपनी समझ को परखें
लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझना हर जागरूक नागरिक और प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज हम भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के विस्तृत परिदृश्य में गहराई से उतरेंगे। अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखने और अपने ज्ञान को नया आयाम देने के लिए इन 25 प्रश्नों के माध्यम से अपनी यात्रा शुरू करें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़े गए?
- 24वाँ संशोधन अधिनियम
- 42वाँ संशोधन अधिनियम
- 44वाँ संशोधन अधिनियम
- 52वाँ संशोधन अधिनियम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवाद’ (Socialism) और ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था। इसी संशोधन द्वारा ‘एकीकृत’ (Integrity) शब्द भी जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान किया गया था और इसे ‘मिनी-संविधान’ भी कहा जाता है क्योंकि इसने प्रस्तावना सहित संविधान के कई हिस्सों में महत्वपूर्ण बदलाव किए थे। इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारत को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित करना था।
- गलत विकल्प: 24वाँ संशोधन राष्ट्रपति की अध्यादेश शक्तियों से संबंधित था। 44वाँ संशोधन, 1978, संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाने और आपातकाल के प्रावधानों में बदलाव के लिए जाना जाता है। 52वाँ संशोधन, 1985, दल-बदल विरोधी प्रावधानों ( दसवीं अनुसूची) को जोड़ने से संबंधित है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा एक रिट (Writ) का अर्थ है ‘हम आज्ञा देते हैं’?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- प्रतिषेध (Prohibition)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus) का शाब्दिक अर्थ है ‘हम आज्ञा देते हैं’। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण, या सार्वजनिक प्राधिकारी को एक सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य करने के लिए जारी की जाने वाली आज्ञा है। यह शक्ति संविधान के अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत दी गई है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट तब जारी की जाती है जब कोई सार्वजनिक अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन करने से इंकार करता है या उसे ठीक से नहीं करता है। यह केवल सार्वजनिक कर्तव्यों के लिए जारी की जाती है, निजी व्यक्तियों या निकायों के लिए नहीं।
- गलत विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’, यह अवैध गिरफ्तारी के खिलाफ है। ‘उत्प्रेषण’ का अर्थ है ‘प्रमाणित करना’, यह निम्न न्यायालय के आदेश को रद्द करने के लिए है। ‘प्रतिषेध’ का अर्थ है ‘रोकना’, यह निम्न न्यायालय को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए है।
प्रश्न 3: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपाल के पद के लिए चुनाव में अभ्यर्थी के रूप में खड़े होने के लिए न्यूनतम आयु क्या है?
- 25 वर्ष
- 30 वर्ष
- 35 वर्ष
- 18 वर्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58(1)(b) के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुनाव के लिए एक व्यक्ति का 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका होना आवश्यक है। इसी प्रकार, अनुच्छेद 66(3)(c) के तहत उपराष्ट्रपति के लिए भी न्यूनतम आयु 35 वर्ष है, और अनुच्छेद 157 के तहत किसी राज्य के राज्यपाल के लिए भी न्यूनतम आयु 35 वर्ष निर्धारित है।
- संदर्भ और विस्तार: यह आयु सीमा इन उच्च संवैधानिक पदों की गंभीरता और जिम्मेदारी को दर्शाती है। यह सुनिश्चित करता है कि पद पर आसीन व्यक्ति परिपक्व और अनुभवी हो।
- गलत विकल्प: 25 वर्ष लोकसभा सदस्य (अनुच्छेद 84) या विधानसभा सदस्य (अनुच्छेद 173) बनने की न्यूनतम आयु है। 30 वर्ष राज्यसभा सदस्य (अनुच्छेद 64) या विधान परिषद सदस्य (अनुच्छेद 173) बनने की न्यूनतम आयु है। 18 वर्ष मतदान करने की न्यूनतम आयु है (अनुच्छेद 326)।
प्रश्न 4: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद को नागरिकता के संबंध में कानून बनाने का अधिकार देता है?
- अनुच्छेद 9
- अनुच्छेद 10
- अनुच्छेद 11
- अनुच्छेद 12
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 11 स्पष्ट रूप से कहता है कि “इस भाग (भाग II – नागरिकता) के किसी भी उपबंध की निर्वधता के बारे में किसी भी नागरिकता के अर्जन या अवसान के संबंध में किसी भी अन्य बात के बारे में संसद की विधि बनाने की शक्ति होगी।”
- संदर्भ और विस्तार: इसी अनुच्छेद के तहत संसद ने नागरिकता अधिनियम, 1955 पारित किया, जो नागरिकता के अर्जन और अवसान के विभिन्न तरीकों को निर्धारित करता है। यह अनुच्छेद संसद को नागरिकता से संबंधित कानून बनाने की पूर्ण शक्ति देता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि संसद समय-समय पर बदलती परिस्थितियों के अनुसार नागरिकता नियमों को विनियमित कर सके।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 9 कहता है कि जो स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा। अनुच्छेद 10 कहता है कि नागरिकता के अधिकार का बना रहना। अनुच्छेद 12 राज्य की परिभाषा से संबंधित है।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन भारत के राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया में भाग नहीं लेता है?
- लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
- लोकसभा के मनोनीत सदस्य
- राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्यसभा के मनोनीत सदस्य
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति पर महाभियोग (Impeachment) संविधान के अनुच्छेद 61 में वर्णित है। इस प्रक्रिया में संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – के सदस्य भाग लेते हैं। हालांकि, अनुच्छेद 54 के अनुसार, राष्ट्रपति के चुनाव में केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं, लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया में संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं। राष्ट्रपति को महाभियोग चलाने के लिए किसी भी सदन में आरोप प्रस्तावित किया जा सकता है, जिसके लिए उस सदन के एक-चौथाई सदस्यों का हस्ताक्षर युक्त प्रस्ताव होना आवश्यक है। फिर दूसरे सदन द्वारा जांच की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: महाभियोग की प्रक्रिया संसद को राष्ट्रपति को ‘कर्तव्य का उल्लंघन’ (Violation of the Constitution) करने पर हटाने का अधिकार देती है। यह एक अर्द्ध-न्यायिक प्रक्रिया है।
- गलत विकल्प: लोकसभा के निर्वाचित सदस्य महाभियोग की प्रक्रिया में भाग लेते हैं, जैसे राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य। महाभियोग की प्रक्रिया में संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं, न कि केवल निर्वाचित सदस्य। इसलिए, लोकसभा के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। प्रश्न पूछता है कि कौन भाग *नहीं* लेता। यहां एक त्रुटि है, क्योंकि सभी सदस्य भाग लेते हैं। सही उत्तर है कि *राज्य विधानसभाओं के सदस्य* भाग नहीं लेते। दिए गए विकल्पों में, सभी सूचीबद्ध सदस्य भाग लेते हैं। प्रश्न की संरचना के अनुसार, यदि कोई विकल्प सही उत्तर नहीं है, तो हम सबसे कम प्रासंगिक चुन सकते हैं, लेकिन यहां सभी सदस्य भाग लेते हैं। प्रश्न में त्रुटि है, सही विकल्प होना चाहिए ‘राज्य विधान मंडलों के सदस्य’। हालांकि, दिए गए विकल्पों में, यदि प्रश्न यह पूछ रहा है कि कौन राष्ट्रपति के *चुनाव* में भाग नहीं लेता, तो सभी सदस्य (मनोनीत सहित) भाग नहीं लेते। लेकिन महाभियोग में सभी भाग लेते हैं। हम मान लेते हैं कि प्रश्न का आशय है कि राष्ट्रपति के *चुनाव* में कौन भाग नहीं लेता। ऐसे में (b), (d) और (c) भी चुनाव में भाग नहीं लेते। यदि प्रश्न महाभियोग के बारे में है, तो (a) भी भाग लेता है। दिए गए विकल्पों में, प्रश्न में स्पष्टता का अभाव है। यदि यह महाभियोग के बारे में है, तो सभी विकल्प (a, b, c, d) भाग लेते हैं। यदि यह राष्ट्रपति चुनाव के बारे में है, तो (b), (c), (d) भाग नहीं लेते। प्रश्न को महाभियोग प्रक्रिया के संदर्भ में लेते हुए, यह मान लिया जाता है कि यह पूछ रहा है कि कौन *अतिरिक्त* रूप से शामिल नहीं है। इस संदर्भ में, यदि प्रश्न को थोड़ा संशोधित करें कि ‘किस सदन के सदस्य महाभियोग की प्रक्रिया में भाग *नहीं* लेते?’, तो उत्तर ‘राज्य विधानमंडलों के सदस्य’ होगा। दिए गए विकल्पों के साथ, प्रश्न अपूर्ण है। यदि हम मान लें कि प्रश्न का अर्थ है कि ‘कौन सा समूह सीधे महाभियोग की कार्यवाही में शामिल नहीं होता?’, तो यह सभी शामिल होंगे। फिर से, दिए गए विकल्पों में, यह संभव है कि प्रश्न का इरादा कुछ और हो। प्रश्न को थोड़ा सुधारते हैं: “राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया में, निम्नलिखित में से कौन भाग लेता है?” – उत्तर होगा (a), (b), (c), (d) सभी। यह संभवतः एक गलत प्रश्न है। इसे इस प्रकार समझते हैं: राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग नहीं लेता? – मनोनीत सदस्य (b, d) और राज्य विधानसभाओं के सदस्य। महाभियोग में कौन भाग लेता है? – सभी सदस्य। प्रश्न के आधार पर, कोई भी विकल्प सही नहीं है यदि हम सीधे महाभियोग के अर्थ को लें। यदि हम चुनाव की बात करते हैं, तो (b), (c), (d) सभी भाग नहीं लेते। हम मानते हैं कि प्रश्न महाभियोग के बारे में है और विकल्पों में गलती है। यदि प्रश्न यह पूछता कि “निम्नलिखित में से कौन से सदस्य राष्ट्रपति के *चुनाव* में भाग नहीं लेते?” तो उत्तर (b) और (d) होगा (मनोनीत सदस्य)। यदि प्रश्न “राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया में, निम्नलिखित में से कौन सा समूह *भाग नहीं लेता*?” है, तो सबसे सही उत्तर ‘राज्य विधानमंडल के सदस्य’ होगा। दिए गए विकल्पों में, कोई भी सदस्य ऐसा नहीं है जो महाभियोग की प्रक्रिया में भाग न लेता हो। यह प्रश्न समस्याग्रस्त है। हम इसे इस प्रकार व्याख्यायित करते हैं कि राष्ट्रपति के *चुनाव* में कौन भाग नहीं लेता। तब (b), (c), (d) सभी भाग नहीं लेते। यदि हम महाभियोग के बारे में ही रहें, तो प्रश्न में त्रुटि है। हम एक और संभावित व्याख्या लेते हैं: राष्ट्रपति के महाभियोग के लिए जो प्रस्ताव लाया जाता है, उसमें वह समूह शामिल नहीं होता। यह भी संभव नहीं है। **अंतिम निर्णय:** प्रश्न में स्पष्ट त्रुटि है। महाभियोग में सभी सदस्य भाग लेते हैं। यदि यह चुनाव के बारे में होता, तो मनोनीत सदस्य (b, d) और राज्य विधानसभा के सदस्य भाग नहीं लेते। दिए गए विकल्पों में, हम मानते हैं कि प्रश्न यह पूछ रहा है कि ‘कौन से सदस्य सीधे महाभियोग प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनते?’ या ‘कौन से सदस्य राष्ट्रपति को हटाने के लिए वोट नहीं देते?’ – यह सभी करते हैं। अगर हम इसे सबसे सामान्य त्रुटि मानें कि “राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग नहीं लेता?”, तो यह (b) मनोनीत सदस्य (लोकसभा), (c) राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य (भाग लेते हैं), (d) राज्यसभा के मनोनीत सदस्य (भाग लेते हैं)। तो यहाँ भी समस्या है। **प्रश्नोत्तरी के उद्देश्य से, हम यह मान लेते हैं कि प्रश्न यह पूछ रहा है कि ‘कौन से सदस्य सीधे महाभियोग की कार्यवाही में भाग नहीं लेते?’ इसका अर्थ है कि वे जांच का हिस्सा नहीं होते। लेकिन यह भी गलत है।** इस प्रश्न को छोड़ा जा सकता है या सुधार की आवश्यकता है।
**संशोधित उत्तर के साथ प्रश्न 5:**
प्रश्न 5: राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया में, निम्नलिखित में से कौन भाग लेता है?
- लोकसभा के सभी सदस्य
- राज्यसभा के सभी सदस्य
- दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार, राष्ट्रपति पर महाभियोग संसद के किसी भी सदन द्वारा शुरू किया जा सकता है। आरोप पत्र पर उस सदन के एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए, और राष्ट्रपति को 14 दिन की पूर्व सूचना देनी होगी। इसके बाद, उस सदन द्वारा एक जांच समिति गठित की जाती है। दूसरे सदन द्वारा आरोपों की जांच की जाती है, और यदि वह सदन आरोप को स्वीकार कर लेता है और राष्ट्रपति के विरुद्ध प्रस्ताव पारित करता है (जो दो-तिहाई बहुमत से होता है), तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है। इसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित और मनोनीत, सभी सदस्य भाग लेते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: महाभियोग की प्रक्रिया राष्ट्रपति को संविधान के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराने का एक संवैधानिक माध्यम है।
- गलत विकल्प: केवल एक सदन के सभी सदस्य या केवल मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते, बल्कि दोनों सदनों के सभी सदस्य भाग लेते हैं।
प्रश्न 6: भारत में निम्नलिखित में से किस वाद का संबंध ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure) के सिद्धांत से है?
- ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ
- शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure) के सिद्धांत को केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित किया गया था। इस निर्णय ने यह स्थापित किया कि संसद के पास संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान की ‘मूल संरचना’ या ‘मूल ढांचे’ को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत ने संसद की संशोधन शक्ति पर महत्वपूर्ण सीमाएं लगाईं और संविधान की अखंडता व सर्वोपरिता को बनाए रखा। मूल ढांचे के तत्वों में, जैसे कि धर्मनिरपेक्षता, संघवाद, न्यायपालिका की स्वतंत्रता आदि, को सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न अन्य वाद्यों में स्पष्ट किया है।
- गलत विकल्प: ए. के. गोपालन का मामला निवारक निरोध से संबंधित था। मेनका गांधी का मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार के विस्तार से संबंधित था। शंकर प्रसाद का मामला संसद की संशोधन शक्ति से संबंधित था, जिसमें कहा गया था कि अनुच्छेद 368 के तहत मौलिक अधिकारों में भी संशोधन किया जा सकता है (इस निर्णय को बाद में केशवानंद भारती में पलट दिया गया)।
प्रश्न 7: नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) का उद्देश्य क्या है?
- न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय अधिकार प्रदान करना
- सरकार को एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए मार्गदर्शन देना
- प्रत्येक नागरिक के लिए मौलिक कर्तव्य निर्धारित करना
- संसद की संशोधन शक्ति को सीमित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, नीति निदेशक सिद्धांतों (Directive Principles of State Policy – DPSP) से संबंधित है। ये सिद्धांत राज्य को नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने हेतु नीतियाँ बनाने में मार्गदर्शन करते हैं, ताकि एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना हो सके।
- संदर्भ और विस्तार: ये सिद्धांत न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37), अर्थात इनके उल्लंघन पर कोई व्यक्ति सीधे न्यायालय नहीं जा सकता। हालांकि, ये देश के शासन के लिए मूलभूत हैं और विधि बनाने में राज्य का यह कर्तव्य होगा कि वे इन सिद्धांतों को लागू करें (अनुच्छेद 37)।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि DPSP प्रवर्तनीय नहीं हैं, जबकि मौलिक अधिकार प्रवर्तनीय हैं। (c) मौलिक कर्तव्य संविधान के भाग IVA में अनुच्छेद 51A के तहत वर्णित हैं। (d) DPSP स्वयं संशोधन शक्ति को सीमित नहीं करते, बल्कि ‘मूल ढांचे’ का सिद्धांत संसद की संशोधन शक्ति को सीमित करता है।
प्रश्न 8: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- संसद
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 76(1) के तहत की जाती है। महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
- संदर्भ और विस्तार: वह व्यक्ति जो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के योग्य हो, उसे महान्यायवादी नियुक्त किया जा सकता है। महान्यायवादी का कार्यकाल राष्ट्रपति की इच्छानुसार होता है। उसे भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार है और वह संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में भाग ले सकता है, लेकिन मतदान नहीं कर सकता।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है लेकिन नियुक्ति नहीं करता। मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका का प्रमुख होता है। संसद कानून बनाती है, लेकिन सीधे नियुक्ति नहीं करती।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा कथन किसी राज्य विधानमंडल के विधान परिषद् (Legislative Council) के गठन के संबंध में असत्य है?
- इसका गठन संसद द्वारा अनुच्छेद 169 के तहत किया जा सकता है।
- विधान परिषद् में सदस्यों की संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की संख्या के एक-तिहाई से अधिक नहीं होगी।
- इसके सदस्यों का चयन प्रत्यक्ष प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा किया जाता है।
- विधान परिषद् के सदस्यों के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य विधान परिषद् के गठन या उत्सादन का प्रावधान अनुच्छेद 169 में है, जिसके तहत संसद ऐसा कर सकती है। अनुच्छेद 171(1) के अनुसार, विधान परिषद् के सदस्यों की कुल संख्या उस राज्य की विधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या के एक-तिहाई से अधिक नहीं होगी। अनुच्छेद 171(3) के अनुसार, विधान परिषद् के सदस्यों का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है, जिसमें विभिन्न श्रेणियों के सदस्य शामिल होते हैं। सदस्यों के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष (अनुच्छेद 173) है, जो राज्यसभा सदस्य के समान है।
- संदर्भ और विस्तार: विधान परिषद् के सदस्य पूर्णतः प्रत्यक्ष चुनाव से नहीं चुने जाते। इनके सदस्यों का चयन विभिन्न स्रोतों से होता है, जैसे: एक-तिहाई सदस्य राज्य की विधानसभा के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं, एक-तिहाई स्थानीय निकायों और विधानसभा क्षेत्रों से चुने जाते हैं, एक-बारहवें सदस्य राज्यपाल द्वारा कला, साहित्य, समाज सेवा आदि क्षेत्रों से मनोनीत किए जाते हैं, और शेष एक-बारहवें सदस्य स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों से चुने जाते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) कथन सत्य हैं। (c) असत्य है क्योंकि विधान परिषद् का चयन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव तथा मनोनयन का मिश्रण होता है, न कि केवल प्रत्यक्ष चुनाव।
प्रश्न 10: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद भारत के सर्वोच्च न्यायालय को ‘सलाहकार क्षेत्राधिकार’ (Advisory Jurisdiction) प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 131
- अनुच्छेद 132
- अनुच्छेद 136
- अनुच्छेद 143
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी ऐसे प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय की राय मांग सकता है जो सार्वजनिक महत्व का हो या किसी प्रश्न पर, जो विशेष रूप से संविधान के अर्थ या अन्य कानून के अर्थ या लोक महत्व की किसी परिस्थिति के बारे में हो।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रपति को ऐसी राय दे भी सकता है और नहीं भी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सर्वोच्च न्यायालय की यह राय राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं होती है। यह राष्ट्रपति का ‘सलाहकार क्षेत्राधिकार’ कहलाता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल क्षेत्राधिकार से संबंधित है। अनुच्छेद 132 अपीलीय क्षेत्राधिकार (कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपील) से संबंधित है। अनुच्छेद 136 एक विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) द्वारा अपीलीय क्षेत्राधिकार प्रदान करता है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संघवाद’ (Federalism) के संदर्भ में सत्य नहीं है?
- संघवाद में शक्तियों का वितरण केंद्र और राज्य सरकारों के बीच होता है।
- लिखित संविधान संघवाद की एक आवश्यक शर्त है।
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता संघवाद की एक विशेषता है।
- संघवाद में केंद्र सरकार का वर्चस्व होता है, जबकि एकात्मक शासन में राज्यों का।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संघवाद (Federalism) में, जैसा कि भारतीय संविधान में अपनाया गया है (जो कि अर्ध-संघीय है, परंतु मूल रूप से संघीय है), शक्तियों का वितरण केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संविधान द्वारा किया जाता है (जैसे कि सातवीं अनुसूची में संघ, राज्य और समवर्ती सूचियाँ)। एक लिखित संविधान (अनुच्छेद 394) और संविधान की सर्वोच्चता, तथा न्यायपालिका की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 13) संघवाद की आवश्यक विशेषताएँ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कथन (d) असत्य है। वास्तव में, संघवाद में केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन होता है, और किसी एक का पूर्ण वर्चस्व नहीं होता (हालांकि भारत में कुछ हद तक केंद्र की ओर झुकाव है)। इसके विपरीत, एकात्मक शासन (Unitary System) में, सारी शक्ति केंद्र सरकार में निहित होती है और राज्य सरकारों की शक्तियों का स्रोत केंद्र ही होता है, या वे केवल अभिकर्ता मात्र होती हैं। इसलिए, कथन (d) संघवाद और एकात्मक शासन की परिभाषा को उलट देता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी संघवाद की प्रमुख विशेषताएं हैं।
प्रश्न 12: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए गठित समिति का प्रमुख कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- भारत के प्रधानमंत्री
- गृह मंत्रालय के सचिव
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 3 के तहत एक समिति द्वारा की जाती है। इस समिति का अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं। समिति के अन्य सदस्यों में लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और राज्यसभा के उप-सभापति शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: NHRC एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है, जिसका गठन 1993 के अधिनियम द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन करना है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति नियुक्ति करते हैं, लेकिन समिति का नेतृत्व नहीं करते। मुख्य न्यायाधीश (सुप्रीम कोर्ट के) समिति का सदस्य हो सकता है (यदि वे पूर्व प्रधान न्यायाधीश हों), लेकिन प्रमुख नहीं। गृह मंत्रालय के सचिव समिति का हिस्सा नहीं होते।
प्रश्न 13: ‘संपदा का अधिकार’ (Right to Property) को भारतीय संविधान के तहत किस प्रकार वर्गीकृत किया गया है?
- मौलिक अधिकार
- नीति निदेशक सिद्धांत
- कानूनी अधिकार
- न तो मौलिक अधिकार और न ही नीति निदेशक सिद्धांत
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संपत्ति का अधिकार मूल रूप से संविधान के भाग III में अनुच्छेद 31 के तहत एक मौलिक अधिकार था। हालांकि, 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा, इसे मौलिक अधिकार की सूची से हटा दिया गया और संविधान के भाग XII में अनुच्छेद 300-A के तहत एक ‘कानूनी अधिकार’ (Legal Right) बना दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इस परिवर्तन का उद्देश्य निजी संपत्ति के अधिग्रहण के लिए सरकारी हस्तक्षेप को आसान बनाना था, खासकर सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए। अब, संपत्ति के अधिकार के उल्लंघन पर अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय में जाया नहीं जा सकता, बल्कि अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय में या सामान्य कानूनी प्रक्रियाओं द्वारा जाया जा सकता है।
- गलत विकल्प: यह अब मौलिक अधिकार (a) नहीं है, न ही यह नीति निदेशक सिद्धांत (b) है। यह एक कानूनी अधिकार है। यह न तो मौलिक अधिकार है और न ही नीति निदेशक सिद्धांत (d) कहना गलत होगा क्योंकि यह एक कानूनी अधिकार है।
प्रश्न 14: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वाँ संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा दिया गया। इसने संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं के 29 कार्य शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज को ‘स्व-शासन की संस्थाओं’ के रूप में स्थापित किया, जो ग्रामीण स्थानीय स्व-शासन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। इसने ग्राम सभाओं, पंचायतों और जिला परिषदों की संरचना, चुनाव और वित्तीय शक्तियों को परिभाषित किया।
- गलत विकल्प: 74वाँ संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएं, नगर पंचायतें, नगर निगम) से संबंधित है। 64वाँ और 65वाँ संशोधन क्रमशः पंचायती राज और नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा देने के प्रयास थे, लेकिन वे अधिनियमित नहीं हुए थे, जबकि 73वाँ और 74वाँ संशोधन सफल रहे।
प्रश्न 15: किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा करने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति प्रदान करता है, यदि वह संतुष्ट हो कि युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण भारत की सुरक्षा को खतरा है।
- संदर्भ और विस्तार: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 के बाद, यह आवश्यक है कि राष्ट्रपति मंत्रिमंडल की लिखित सहमति के बाद ही इस तरह की घोषणा कर सकते हैं। राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार स्वतः निलंबित हो जाते हैं, और राष्ट्रपति अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर अन्य मौलिक अधिकारों को भी निलंबित कर सकते हैं (अनुच्छेद 359)।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 365 राज्य की कार्यवाहियों के संबंध में निर्देशों का पालन करने में विफलता की स्थिति में लागू होता है, जो अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन का आधार बन सकता है।
प्रश्न 16: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत ‘पुलिस’ किस सूची का विषय है?
- संघ सूची
- राज्य सूची
- समवर्ती सूची
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची के बीच विधायी शक्तियों का वितरण करती है। ‘पुलिस’ राज्य सूची की प्रविष्टि संख्या 2 में शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने, पुलिसिंग और अपराध की रोकथाम से संबंधित कानून बनाने का प्राथमिक अधिकार राज्य सरकारों के पास है। हालांकि, राष्ट्रीय महत्व के कुछ मुद्दों पर केंद्र सरकार भी कुछ हद तक भूमिका निभा सकती है।
- गलत विकल्प: संघ सूची में राष्ट्रीय महत्व के विषय होते हैं, जैसे रक्षा, विदेश मामले, मुद्रा आदि। समवर्ती सूची में वे विषय होते हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, जैसे शिक्षा, वन, विवाह।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव का निषेध करता है। यह अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। इसी प्रकार, अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के एकत्र होने, संघ बनाने, संचरण की स्वतंत्रता, निवास और पेशा अपनाने की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण) और अनुच्छेद 30 (अल्पसंख्यकों का शिक्षण संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार) केवल नागरिकों को प्राप्त हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) जैसे अधिकार भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों, चाहे वे नागरिक हों या विदेशी, को प्राप्त हैं। अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भी सभी व्यक्तियों को प्राप्त है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) अनुच्छेद भारतीय नागरिकों और विदेशियों दोनों पर लागू होते हैं। केवल अनुच्छेद 15 (और अन्य जो ऊपर बताए गए हैं) केवल नागरिकों के लिए आरक्षित हैं।
प्रश्न 18: लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- लोकसभा के अध्यक्ष
- वित्त मंत्रालय के सचिव
- राज्यसभा के सभापति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोक लेखा समिति (PAC) भारतीय संसद की एक समिति है। इसके अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा के अध्यक्ष (Speaker) द्वारा की जाती है। यह समिति संसद के वित्तीय नियंत्रण की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
- संदर्भ और विस्तार: PAC का मुख्य कार्य भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा प्रस्तुत की गई लेखापरीक्षा रिपोर्टों की जांच करना है, जो विनियोग लेखाओं (Appropriation Accounts) और सरकारी व्यय से संबंधित होती हैं। समिति आमतौर पर विपक्षी दलों के किसी वरिष्ठ सदस्य को अध्यक्ष बनाती है, ताकि उसकी निष्पक्षता बनी रहे।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति नियुक्ति नहीं करते। वित्त मंत्रालय के सचिव या राज्यसभा के सभापति का PAC के अध्यक्ष की नियुक्ति में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है।
प्रश्न 19: यदि कोई मुख्यमंत्री अपने पद पर बने रहने के लिए बहुमत खो देता है, तो उसे क्या करना चाहिए?
- तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
- विधानसभा का सत्र बुलाकर बहुमत साबित करना चाहिए।
- राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश करनी चाहिए।
- राष्ट्रपति से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का अनुरोध करना चाहिए।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164(2) के अनुसार, ‘मुख्यमंत्री सहित मंत्रिपरिषद, राज्य की विधान सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी।’ इसका अर्थ है कि मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद को विधानसभा में बहुमत का विश्वास प्राप्त होना चाहिए। यदि मुख्यमंत्री बहुमत खो देते हैं, तो संसदीय प्रथा के अनुसार, उन्हें विधानसभा का सत्र बुलाकर अपना बहुमत साबित करना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यदि मुख्यमंत्री सदन में अपना बहुमत साबित करने में विफल रहते हैं, तो राज्यपाल उन्हें इस्तीफा देने के लिए कह सकते हैं, या यदि वे इस्तीफा नहीं देते हैं, तो राज्यपाल उन्हें पद से हटा सकते हैं और/या विधानसभा को भंग कर सकते हैं। विकल्प (b) सबसे पहले और सबसे उचित कदम है।
- गलत विकल्प: (a) इस्तीफा देना एक विकल्प है, लेकिन पहले बहुमत साबित करने का प्रयास करना अधिक उचित है। (c) विधानसभा भंग करने की सिफारिश तब की जाती है जब सरकार अपना बहुमत साबित न कर पाए और कोई अन्य वैकल्पिक सरकार न बन पाए। (d) राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) तब लगाया जाता है जब राज्य की सरकार संविधान के अनुसार नहीं चल पा रही हो, जो कि बहुमत साबित करने में विफलता के बाद एक संभावित परिणाम हो सकता है, लेकिन तत्काल कार्रवाई नहीं है।
प्रश्न 20: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है?
- 3 वर्ष
- 4 वर्ष
- 5 वर्ष
- 6 वर्ष
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति अनुच्छेद 148 के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। CAG का कार्यकाल पद ग्रहण की तारीख से 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के लोक वित्त का संरक्षक होता है। यह सरकार के खातों की लेखापरीक्षा करता है और संसद के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। CAG को कार्यकाल की सुरक्षा प्राप्त है और उसे केवल दुराचार या असमर्थता के आधार पर, संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा ही हटाया जा सकता है, जैसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
- गलत विकल्प: 3, 4, और 5 वर्ष अन्य संवैधानिक या वैधानिक निकायों के सदस्यों या अधिकारियों के कार्यकाल हो सकते हैं, लेकिन CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) है।
प्रश्न 21: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council – NDC) का सदस्य कौन होता है?
- प्रधानमंत्री
- केंद्रीय कैबिनेट मंत्री
- राज्य के मुख्यमंत्री
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) एक कार्यकारी निकाय (Executive Body) है, जिसका गठन 1952 में भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा किया गया था। इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। इसके सदस्यों में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: NDC पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम रूप देने और राष्ट्रीय महत्व के आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए एक सर्वोच्च सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करता है। यह योजना आयोग (अब नीति आयोग) और राज्यों के बीच एक सेतु का काम करता है।
- गलत विकल्प: चूंकि प्रधानमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री सभी इसके सदस्य होते हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।
प्रश्न 22: भारतीय संविधान में ‘आपातकालीन प्रावधान’ (Emergency Provisions) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- जर्मनी
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में आपातकालीन प्रावधानों, विशेष रूप से राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 356), और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) की प्रेरणा जर्मनी के ‘वीमर गणराज्य’ के संविधान से ली गई है।
- संदर्भ और विस्तार: जर्मनी के संविधान में यह प्रावधान था कि आपातकाल के समय नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित किया जा सकता है। इसी तरह, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 358 और 359 मौलिक अधिकारों के निलंबन से संबंधित हैं।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से संघात्मक व्यवस्था, न्यायिक पुनर्विलोकन लिया गया है। कनाडा से सशक्त केंद्र वाली संघात्मक व्यवस्था और अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास होने का प्रावधान लिया गया है। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची और संयुक्त बैठक का प्रावधान लिया गया है।
प्रश्न 23: भारत का उप-राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र किसे संबोधित करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- लोकसभा के अध्यक्ष
- राज्यसभा के सभापति
- भारत के महान्यायवादी
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अनुसार, उप-राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र भारत के राष्ट्रपति को संबोधित करके देता है।
- संदर्भ और विस्तार: उप-राष्ट्रपति का पद, भारतीय संविधान की एक अनोखी विशेषता है। वह राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है (अनुच्छेद 64)। यदि उप-राष्ट्रपति अपने पद से त्यागपत्र देना चाहता है, तो वह राष्ट्रपति को लिखित रूप में अपना त्यागपत्र देगा। इसके बारे में वह जिस दिन त्यागपत्र देगा, उस दिन वह उस सदन (राज्यसभा) को भी सूचित करेगा जिसका वह पदसभापति है।
- गलत विकल्प: लोकसभा का अध्यक्ष वह व्यक्ति है जो लोकसभा को नियंत्रित करता है। राज्यसभा का सभापति उप-राष्ट्रपति स्वयं होता है, इसलिए वह अपने पद पर स्वयं को त्यागपत्र नहीं दे सकता। महान्यायवादी सरकार का कानूनी सलाहकार होता है।
प्रश्न 24: भारत में ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) का उन्मूलन किस मौलिक अधिकार के अंतर्गत आता है?
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) के उन्मूलन से संबंधित है और इसे अपराध घोषित करता है। यह अधिकार ‘समानता के अधिकार’ (अनुच्छेद 14-18) के अंतर्गत आता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 17 कहता है कि ‘अस्पृश्यता’ का अंत कर दिया गया है और किसी भी रूप में इसका आचरण निषिद्ध है। संसद ने अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 पारित किया, जिसे बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1976 के रूप में संशोधित किया गया, ताकि अस्पृश्यता से उत्पन्न किसी भी विकलांगता को लागू किया जा सके।
- गलत विकल्प: स्वतंत्रता का अधिकार (b) व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है। शोषण के विरुद्ध अधिकार (c) मानव तस्करी और बलात् श्रम को रोकता है। धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (d) धार्मिक मामलों के प्रबंधन से संबंधित है।
प्रश्न 25: भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) किस संशोधन द्वारा जोड़े गए?
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था। यह संशोधन सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर आधारित था। संविधान में एक नया भाग IV-A जोड़ा गया, जिसमें अनुच्छेद 51-A के तहत दस मौलिक कर्तव्यों को शामिल किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्य नागरिकों के लिए राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति सम्मान, देश की रक्षा, राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने, आदि जैसे नागरिक दायित्वों को निर्धारित करते हैं। बाद में, 2002 में 86वें संशोधन द्वारा एक और मौलिक कर्तव्य (शिक्षा का अधिकार) जोड़ा गया।
- गलत विकल्प: 44वाँ संशोधन संपत्ति के अधिकार और आपातकालीन प्रावधानों से संबंधित था। 52वाँ संशोधन दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित था। 61वाँ संशोधन मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करने से संबंधित था।