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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी पकड़ मजबूत करें!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी पकड़ मजबूत करें!

तैयारी के इस सफर में, निरंतर अभ्यास ही सफलता की कुंजी है! आज हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के 25 महत्वपूर्ण प्रश्न, जो आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखेंगे। आइए, देखें कि आज आप अपनी समझ को कितना निखार पाते हैं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “सामाजिक तथ्य” (Social facts) की अवधारणा किसने विकसित की, जो सामाजिक जीवन के अध्ययन के लिए एक वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण पर जोर देती है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य बाहरी, व्यक्ति पर दबाव डालने वाले और समाज में व्यापक रूप से प्रचलित होते हैं, जैसे कि कानून, नैतिकता, प्रथाएं और संस्थाएं। उन्होंने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में इस पर विस्तार से चर्चा की है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम का मानना था कि समाजशास्त्र को प्राकृतिक विज्ञानों की तरह वैज्ञानिक और वस्तुनिष्ठ होना चाहिए, और सामाजिक तथ्यों को ‘वस्तुओं’ के रूप में अध्ययन करना चाहिए।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य जोर वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर था। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रियाओं के अर्थ को समझने पर बल दिया (Verstehen), जो दुर्खीम के वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण से भिन्न है। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास को जैविक विकास के रूप में देखा।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा एक “प्राथमिक समूह” (Primary Group) का उदाहरण है, जिसकी विशेषता घनिष्ठ, आमने-सामने की अंतःक्रिया और सहयोग है?

  1. एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल
  2. एक विश्वविद्यालय का कक्षा
  3. एक परिवार
  4. एक पेशेवर संघ

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: परिवार एक प्राथमिक समूह का उत्कृष्ट उदाहरण है। चार्ल्स कूले ने इस अवधारणा को प्रतिपादित किया था, जहाँ सदस्यों के बीच भावनात्मक जुड़ाव, आपसी निर्भरता और दीर्घकालिक संबंध पाए जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक समूह वे होते हैं जो हमारे समाजीकरण और व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परिवार, बचपन के मित्र समूह और पड़ोस इसके उदाहरण हैं।
  • गलत विकल्प: एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल, विश्वविद्यालय की कक्षा और एक पेशेवर संघ द्वितीयक समूह (Secondary Groups) के उदाहरण हैं, जहाँ संबंध अधिक औपचारिक, उद्देश्य-उन्मुख और अल्पकालिक होते हैं।

प्रश्न 3: “संरचनात्मक-प्रकार्यवाद” (Structural-Functionalism) के प्रमुख समर्थकों में से कौन शामिल हैं, जिन्होंने समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जिसके विभिन्न भाग मिलकर एक साथ काम करते हैं?

  1. जॉर्ज सिमेल
  2. टॉल्कॉट पार्सन्स
  3. सी. राइट मिल्स
  4. ई. पी. थॉम्पसन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: टॉल्कॉट पार्सन्स संरचनात्मक-प्रकार्यवाद के एक प्रमुख प्रस्तावक थे। उन्होंने समाज को एक स्व-नियमित प्रणाली के रूप में देखा, जहाँ प्रत्येक संस्था (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) अपने विशिष्ट ‘कार्य’ (function) के माध्यम से संपूर्ण व्यवस्था के संतुलन और स्थिरता को बनाए रखने में योगदान करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स के AGIL मॉडल (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) ने सामाजिक व्यवस्था के कार्यों को वर्गीकृत करने का प्रयास किया।
  • गलत विकल्प: जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक अंतःक्रियाओं और ‘रूपों’ (forms) का अध्ययन किया। सी. राइट मिल्स ने शक्ति अभिजात वर्ग और सामाजिक स्तरीकरण की आलोचना की। ई. पी. थॉम्पसन एक सामाजिक इतिहासकार थे।

प्रश्न 4: “अजनबी” (The Stranger) की अवधारणा, जो समाज में किसी व्यक्ति की द्वि-अर्थी स्थिति का वर्णन करती है, किसने प्रस्तुत की?

  1. अर्नेस्ट बर्गस
  2. अल्फ्रेड शुट्ज़
  3. विलियम आई. थॉमस
  4. रॉबर्ट ई. पार्क

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: अल्फ्रेड शुट्ज़, एक फेनोमेनोलॉजिस्ट समाजशास्त्री, ने “अजनबी” की अवधारणा को विकसित किया। यह व्यक्ति जो एक समाज में स्थायी रूप से रहता है लेकिन उसकी मूल संस्कृति से उसका संबंध बरकरार रहता है, वह ‘अजनबी’ होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: शुट्ज़ के अनुसार, अजनबी के पास समाज के सामान्य ज्ञान और अंतर्निहित धारणाओं (taken-for-granted assumptions) की कमी होती है, जिससे वह समाज को एक बाहरी, विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से देख पाता है।
  • गलत विकल्प: अर्नेस्ट बर्गस ने शहरी समाजशास्त्र में ‘शहरी वृत्त मॉडल’ (Concentric Zone Model) दिया। विलियम आई. थॉमस ने “परिस्थिति की परिभाषा” (Definition of the Situation) का विचार दिया। रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल से जुड़े थे और शहरीकरण का अध्ययन किया।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय समाज की विशेषता नहीं है?

  1. जाति व्यवस्था
  2. संयुक्त परिवार
  3. ग्राम आधारित समाज
  4. धर्मनिरपेक्षता का अभाव

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: “धर्मनिरपेक्षता का अभाव” भारतीय समाज की एक विशेषता नहीं है, बल्कि भारतीय संविधान और सामाजिक व्यवस्था धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है, जिसका अर्थ है राज्य का सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था, संयुक्त परिवार और ग्राम आधारित समाज (विशेषकर ऐतिहासिक रूप से) भारतीय समाज की प्रमुख विशेषताएं रही हैं, हालांकि इनमें परिवर्तन आ रहे हैं।
  • गलत विकल्प: जाति व्यवस्था सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रमुख आधार रही है। संयुक्त परिवार भी भारतीय समाज की एक पारंपरिक संरचना है। भारत की अधिकांश आबादी ऐतिहासिक रूप से गांवों में निवास करती रही है, हालांकि शहरीकरण बढ़ रहा है।

प्रश्न 6: “पूंजीवाद का सिद्धांत” (The Theory of Capitalism) और “प्रोटेस्टेंट नैतिकता और पूंजीवाद की आत्मा” (The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism) जैसी रचनाओं के लिए कौन से समाजशास्त्री जाने जाते हैं?

  1. अगस्त कॉम्टे
  2. इमाइल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. कार्ल मार्क्स

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर को इन महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जाना जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि प्रोटेस्टेंट नैतिकता, विशेष रूप से कैल्विनवाद, ने पश्चिमी यूरोप में पूंजीवाद के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, क्योंकि इसने कड़ी मेहनत, मितव्ययिता और लाभ को ईश्वर की इच्छा का संकेत मानने को प्रोत्साहित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने मार्क्स के आर्थिक निर्धारणवाद का खंडन करते हुए संस्कृति, धर्म और विचारों के महत्व पर प्रकाश डाला।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और भौतिकवाद पर ध्यान केंद्रित किया। दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और श्रम विभाजन का अध्ययन किया। कॉम्टे को समाजशास्त्र का संस्थापक पिता माना जाता है।

प्रश्न 7: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा, जिसमें समाज के भौतिक पहलू (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक पहलू (जैसे मूल्यों और मानदंडों) की तुलना में तेजी से बदलते हैं, किसने प्रस्तुत की?

  1. एल्बियन स्मॉल
  2. समर और केलर
  3. विलियम एफ. ओगबर्न
  4. ए. एल. क्रोबर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: विलियम एफ. ओगबर्न ने “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा को अपनी पुस्तक “सामाजिक परिवर्तन” (Social Change) में प्रस्तुत किया। उन्होंने देखा कि प्रौद्योगिकीय नवाचार अक्सर सामाजिक, कानूनी और नैतिक ढांचों को बदलने से बहुत पहले होते हैं, जिससे समाज में तनाव और असंतुलन पैदा होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, परमाणु ऊर्जा का आविष्कार हुआ, लेकिन इसके उपयोग के लिए आवश्यक नैतिक और कानूनी ढांचे विकसित होने में समय लगा।
  • गलत विकल्प: एल्बियन स्मॉल अमेरिकी समाजशास्त्र के संस्थापक थे। समर और केलर ने लोकरीति (Folkways) और प्रथाओं (Mores) पर काम किया। क्रोबर ने संस्कृति और व्यक्तित्व पर लिखा।

प्रश्न 8: “एकीकरण” (Integration) और “नियमन” (Regulation) के स्तर में भिन्नता से उत्पन्न आत्महत्या के प्रकारों का वर्णन किसने किया?

  1. अल्बर्ट कैम्ब्रिज
  2. ए. एल. क्रोबर
  3. डेविड इलियट
  4. एमिल दुर्खीम

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “आत्महत्या” (Suicide) में आत्महत्या के चार प्रकार बताए: अहस्तित्ववादी (Egoistic), परोपकारी (Altruistic), अनैतिक (Anomic) और घातक (Fatalistic)। इनमें से अनैतिक आत्महत्या सामाजिक नियमन की कमी से और घातक आत्महत्या सामाजिक एकीकरण की अत्यधिकता से जुड़ी है। (यहां प्रश्न में एकीकरण और नियमन के स्तर में भिन्नता से उत्पन्न प्रकार पूछे गए हैं, जबकि दुर्खीम ने अनैतिकता और अहस्तित्ववाद को नियमन और एकीकरण के स्तर में भिन्नता से जोड़ा है, परोपकारिता को एकीकरण की अति से और घातक को नियमन की अति से। स्पष्टता के लिए, हम अनैतिक और अहस्तित्ववादी को नियमन/एकीकरण के स्तर में भिन्नता से जोड़ेंगे।)
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, जब समाज में सामाजिक नियमों और मूल्यों का कोई स्पष्ट ढांचा नहीं रह जाता (अनैतिकता), तो व्यक्ति दिशाहीन महसूस करता है और आत्महत्या कर सकता है। इसी तरह, जब व्यक्ति का समाज से अलगाव हो जाता है (अहस्तित्ववाद), तो वह आत्महत्या का शिकार हो सकता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प दुर्खीम के आत्महत्या के सिद्धांत से संबंधित नहीं हैं।

प्रश्न 9: भारत में “जाति व्यवस्था” (Caste System) के संदर्भ में, “सगर्भता” (Endogamy) से क्या तात्पर्य है?

  1. समान व्यवसाय करना
  2. एक ही जाति के भीतर विवाह करना
  3. उच्च जाति के सदस्यों से विवाह करना
  4. जाति से बाहर विवाह करना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सगर्भता का अर्थ है किसी व्यक्ति का अपनी ही जाति या उप-जाति (sub-caste) के भीतर विवाह करना। यह जाति व्यवस्था का एक केंद्रीय नियम है जो जातिगत पहचान और शुद्धता को बनाए रखने में मदद करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: एम. एन. श्रीनिवास जैसे समाजशास्त्रियों ने जाति व्यवस्था पर विस्तार से लिखा है और सगर्भता को इसके पुनरुत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण कारक माना है।
  • गलत विकल्प: समान व्यवसाय करना (Anuloma/Pratiloma विवाह से भिन्न), उच्च जाति से विवाह करना (Pratiloma), या जाति से बाहर विवाह करना (Exogamy) सगर्भता के विपरीत हैं।

प्रश्न 10: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग के माध्यम से प्राप्त लाभों को संदर्भित करती है, के प्रमुख प्रतिपादकों में से कौन हैं?

  1. पियरे बॉर्डियू
  2. रॉबर्ट पुटनम
  3. जेम्स कॉलमैन
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: पियरे बॉर्डियू, रॉबर्ट पुटनम और जेम्स कॉलमैन तीनों को सामाजिक पूंजी की अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए श्रेय दिया जाता है। बॉर्डियू ने इसे अपनी व्यक्तिगत योग्यता के रूप में देखा, कॉलमैन ने इसे संस्थागत संदर्भ में, और पुटनम ने इसे नागरिक समाज के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक पूंजी व्यक्तियों या समूहों को सामाजिक संबंधों के माध्यम से संसाधनों तक पहुँचने में मदद करती है, जिससे उन्हें विभिन्न लाभ मिलते हैं।
  • गलत विकल्प: चूंकि तीनों ही इस अवधारणा से जुड़े हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।

प्रश्न 11: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का केंद्रीय विचार क्या है?

  1. समाज बड़े पैमाने पर संरचनाओं और संस्थाओं से बना है।
  2. व्यक्ति अर्थों का निर्माण और साझा करते हैं जिसके आधार पर वे व्यवहार करते हैं।
  3. सामाजिक परिवर्तन मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष से संचालित होता है।
  4. समाज जैविक रूप से विकसित होता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसके प्रमुख प्रतिपादक जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर और अन्य थे, मानता है कि समाज व्यक्तियों के बीच प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से होने वाली अंतःक्रियाओं से बनता है। व्यक्ति इन प्रतीकों के माध्यम से अर्थ उत्पन्न करते हैं, जो उनके व्यवहार को निर्देशित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड ने “स्व” (Self) के विकास में ‘दूसरों की भूमिका निभाने’ (taking the role of the other) के महत्व पर जोर दिया, जो अर्थ निर्माण का आधार है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) संरचनात्मक-प्रकार्यवाद से संबंधित है। विकल्प (c) मार्क्सवाद का मुख्य विचार है। विकल्प (d) सामाजिक डार्विनवाद या सामाजिक विकासवाद का विचार है।

  • प्रश्न 12: “अनुष्ठानिक शुद्धता” (Ritual Purity) और “प्रदूषण” (Pollution) की अवधारणाएं निम्नलिखित में से किस सामाजिक संस्था के अध्ययन में महत्वपूर्ण हैं?

    1. राजनीति
    2. परिवार
    3. अर्थव्यवस्था
    4. जाति

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: अनुष्ठानिक शुद्धता और प्रदूषण की अवधारणाएं भारतीय जाति व्यवस्था के अध्ययन में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जाति पदानुक्रम (hierarchy) काफी हद तक इस विचार पर आधारित है कि कुछ जातियां ‘शुद्ध’ मानी जाती हैं और कुछ ‘अशुद्ध’ या ‘दूषित’। यह शुद्धता-अशुद्धता का भेद खान-पान, स्पर्श और वैवाहिक संबंधों जैसे क्षेत्रों में सामाजिक अलगाव (segregation) को बनाए रखता है।
    • संदर्भ और विस्तार: मैरियट, श्रीनिवास और अन्य मानवशास्त्रियों ने इस पर विस्तार से शोध किया है।
    • गलत विकल्प: ये अवधारणाएं सीधे तौर पर राजनीति, परिवार या अर्थव्यवस्था की मुख्य संरचनाओं को परिभाषित नहीं करतीं, हालांकि इनके प्रभाव अप्रत्यक्ष हो सकते हैं।

    प्रश्न 13: “पूंजीवाद के दो समाजशास्त्र” (The Two Sociologies of Capitalism) – एक मार्क्सवादी और एक वेबरियन – का उल्लेख करते हुए, निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री एक ‘मार्क्सवादी वेबरियन’ दृष्टिकोण का सुझाव देता है?

    1. एंथोनी गिडेंस
    2. ई. पी. थॉम्पसन
    3. माइकल सैंडल
    4. जोसेफ शैंपिटर

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: एंथनी गिडेंस, एक प्रमुख ब्रिटिश समाजशास्त्री, को अक्सर मार्क्सवादी और वेबरियन परंपराओं के बीच तालमेल बिठाने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। उन्होंने पूंजीवाद, आधुनिकता और सामाजिक संरचना का विश्लेषण करते समय दोनों विचारकों के योगदान को एकीकृत करने का प्रयास किया।
    • संदर्भ और विस्तार: गिडेंस का “संरचना सिद्धांत” (Structuration Theory) सामाजिक संरचना को व्यक्ति और समाज दोनों के संदर्भ में समझाने का प्रयास करता है।
    • गलत विकल्प: ई. पी. थॉम्पसन एक इतिहासकार थे। माइकल सैंडल एक राजनीतिक दार्शनिक हैं। जोसेफ शैंपिटर एक अर्थशास्त्री थे जिन्होंने पूंजीवाद के विनाशकारी नवाचार पर जोर दिया।

    प्रश्न 14: “औद्योगीकरण” (Industrialization) के समाज पर पड़ने वाले प्रमुख प्रभावों में से कौन सा एक नहीं है?

    1. शहरीकरण में वृद्धि
    2. पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का विघटन
    3. श्रमिक वर्ग का उदय
    4. कृषि क्षेत्र पर निर्भरता में वृद्धि

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र पर निर्भरता में कमी आती है, न कि वृद्धि। औद्योगीकरण मुख्य रूप से विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के विकास की ओर ले जाता है, जिससे ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का स्थानांतरण (शहरीकरण) होता है और पारंपरिक, कृषि-आधारित सामाजिक संरचनाएं कमजोर पड़ती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: औद्योगीकरण अक्सर नए वर्ग, विशेष रूप से बुर्जुआजी (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) को जन्म देता है।
    • गलत विकल्प: शहरीकरण में वृद्धि, पारंपरिक संरचनाओं का विघटन, और श्रमिक वर्ग का उदय औद्योगीकरण के प्रमुख प्रभाव हैं।

    प्रश्न 15: “संस्कृति का द्वंद्वात्मक” (The Dialectic of Culture) की अवधारणा, जो सांस्कृतिक वस्तुओं और मानव चेतना के बीच पारस्परिक संबंध पर प्रकाश डालती है, के साथ कौन सा समाजशास्त्री जोड़ा जाता है?

    1. टेल्कोट पार्सन्स
    2. कार्ल मार्क्स
    3. जॉर्ज लुकाक्स
    4. सिगमंड फ्रायड

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जॉर्ज लुकाक्स, एक मार्क्सवादी दार्शनिक और साहित्यिक आलोचक, ने “संस्कृति का द्वंद्वात्मक” जैसे विचारों पर काम किया, विशेष रूप से अपनी पुस्तक “इतिहास और वर्ग चेतना” (History and Class Consciousness) में। उन्होंने देखा कि कैसे पूंजीवादी समाज में वस्तु-संबंध (reification) व्यक्ति की चेतना और संस्कृति को विकृत करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: लुकाक्स ने इस बात पर जोर दिया कि सांस्कृतिक वस्तुएं निष्क्रिय नहीं होतीं, बल्कि वे सामाजिक संबंधों और शक्तियों को प्रतिबिंबित और सुदृढ़ करती हैं।
    • गलत विकल्प: पार्सन्स प्रकार्यवाद से संबंधित हैं। मार्क्स ने संस्कृति को अधिरचना (superstructure) का हिस्सा माना जो उत्पादन के संबंधों से उत्पन्न होती है। फ्रायड मनोविश्लेषण के जनक हैं।

    प्रश्न 16: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) के संबंध में, “वर्ग” (Class) की अवधारणा आमतौर पर निम्नलिखित में से किस आधार पर परिभाषित की जाती है?

    1. वंशानुगत स्थिति
    2. धार्मिक संबद्धता
    3. आर्थिक स्थिति और संपत्ति
    4. जाति समूह

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण के संदर्भ में, ‘वर्ग’ की अवधारणा को मुख्य रूप से व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति, संपत्ति, आय और उत्पादन के साधनों से उनके संबंध के आधार पर परिभाषित किया जाता है। कार्ल मार्क्स और मैक्स वेबर दोनों ने वर्ग को सामाजिक स्तरीकरण के एक प्रमुख आधार के रूप में पहचाना।
    • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व के आधार पर बुर्जुआजी और सर्वहारा में विभाजन किया, जबकि वेबर ने वर्ग को बाजार की स्थिति, कौशल और जीवन शैली के आधार पर अधिक बहुआयामी रूप से देखा।
    • गलत विकल्प: वंशानुगत स्थिति और जाति समूह मुख्य रूप से जाति व्यवस्था से जुड़े हैं। धार्मिक संबद्धता भी एक आधार हो सकती है, लेकिन ‘वर्ग’ के लिए आर्थिक कारक प्राथमिक है।

    प्रश्न 17: “आधुनिकता” (Modernity) की अवधारणा के साथ अक्सर निम्नलिखित में से कौन सी विशेषताएं जुड़ी होती हैं?

    1. तर्कसंगतता (Rationality) और नौकरशाही
    2. सामूहिकतावाद (Collectivism) और परंपरा
    3. रहस्यवाद (Mysticism) और अंधविश्वास
    4. वंशानुगत पदानुक्रम

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: आधुनिकता की अवधारणा आमतौर पर तर्कसंगतता (जैसे वैज्ञानिक तर्क, नौकरशाही संगठन), व्यक्तिवाद, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक परिवर्तन की ओर झुकाव से जुड़ी होती है। नौकरशाही, जैसा कि मैक्स वेबर ने वर्णित किया, आधुनिक समाज की एक प्रमुख विशेषता है।
    • संदर्भ और विस्तार: आधुनिकता पारंपरिक समाजों से एक महत्वपूर्ण विचलन का प्रतिनिधित्व करती है।
    • गलत विकल्प: सामूहिकतावाद और परंपराएं अक्सर आधुनिकता के विपरीत मानी जाती हैं। रहस्यवाद और अंधविश्वास भी आधुनिकता के तर्कसंगत दृष्टिकोण से अलग हैं। वंशानुगत पदानुक्रम पारंपरिक समाजों की विशेषता है।

    प्रश्न 18: “अशास्त्रीय समाजशास्त्र” (Post-Structuralism) के प्रमुख सिद्धांतों में से कौन सा समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण है?

    1. समाज को स्थिर और अपरिवर्तनीय माना जाता है।
    2. सत्ता, ज्ञान और विमर्श (Discourse) एक-दूसरे से अविभाज्य हैं।
    3. सामाजिक संरचनाएं व्यक्तियों पर हावी होती हैं।
    4. सबूत-आधारित (Empirical) अनुसंधान ही एकमात्र मान्य पद्धति है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: अशास्त्रीय समाजशास्त्र (जिसे अक्सर उत्तर-आधुनिकतावाद से भी जोड़ा जाता है) में, मिशेल फूको जैसे विचारकों ने तर्क दिया कि सत्ता, ज्ञान और विमर्श (भाषा, विचार, संचार के तरीके) आपस में जुड़े हुए हैं और समाज को आकार देते हैं। ज्ञान केवल तटस्थ नहीं है, बल्कि यह शक्ति संबंधों से निर्मित होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण समाज को केवल निश्चित संरचनाओं के बजाय गतिशील और सामाजिक रूप से निर्मित मानता है।
    • गलत विकल्प: अशास्त्रीय समाजशास्त्र समाज को स्थिर नहीं मानता, बल्कि परिवर्तनशील और निर्मित मानता है। यह व्यक्तियों पर संरचनाओं के हावी होने के बजाय ज्ञान और सत्ता के जटिल खेल पर जोर देता है। यह केवल सबूत-आधारित अनुसंधान को ही मान्य नहीं मानता, बल्कि व्याख्यात्मक और आलोचनात्मक दृष्टिकोणों को भी महत्व देता है।

    प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा “सामाजिक नियंत्रण” (Social Control) का एक अनौपचारिक साधन है?

    1. पुलिस और न्यायपालिका
    2. कानून और दंड
    3. जनता की राय और सामाजिक बहिष्कार
    4. कारावास

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जनता की राय, सामाजिक बहिष्कार, रीति-रिवाज, परंपराएं और परिवार के सदस्यों द्वारा दिए जाने वाले सामाजिक संकेत अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण के साधन हैं। ये साधन समाज के सदस्यों को स्वीकृत मानदंडों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, अक्सर सजा के डर के बजाय सामाजिक स्वीकृति के लिए।
    • संदर्भ और विस्तार: अनौपचारिक नियंत्रण आमतौर पर प्राथमिक समूहों और अनौपचारिक संगठनों द्वारा लागू किया जाता है।
    • गलत विकल्प: पुलिस, न्यायपालिका, कानून, दंड और कारावास औपचारिक सामाजिक नियंत्रण के साधन हैं, जो राज्य और उसके संस्थानों द्वारा लागू किए जाते हैं।

    प्रश्न 20: “आधुनिकीकरण सिद्धांत” (Modernization Theory) के अनुसार, विकासशील समाजों को विकसित समाजों के पथ का अनुसरण करने के लिए किन परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है?

    1. पारंपरिक से आधुनिक, कृषि प्रधान से औद्योगिक
    2. औद्योगिक से सूचना-आधारित
    3. कृषि प्रधान से सामंतवाद
    4. आदिम से सामंतवाद

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: आधुनिकीकरण सिद्धांत, जो 1950 और 1960 के दशक में लोकप्रिय था, मानता है कि विकासशील समाजों को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से विकसित (मुख्य रूप से पश्चिमी) समाजों की तरह बनना चाहिए। इसका मतलब है पारंपरिक, कृषि प्रधान समाजों से आधुनिक, औद्योगिक और अक्सर लोकतांत्रिक समाजों की ओर संक्रमण।
    • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत की अक्सर इसकी पश्चिमी-केंद्रितता और विकासशील समाजों की जटिलताओं को कम आंकने के लिए आलोचना की जाती है।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प या तो गलत संक्रमण पथ का वर्णन करते हैं (जैसे सामंतवाद) या केवल आधुनिकीकरण के एक हिस्से को दर्शाते हैं (जैसे औद्योगिक से सूचना-आधारित)।

    प्रश्न 21: “पदानुक्रम” (Hierarchy) और “अधिकार” (Authority) की अवधारणाओं के बीच क्या अंतर है?

    1. पदानुक्रम शक्ति है, जबकि अधिकार वैधता है।
    2. पदानुक्रम सामाजिक स्थिति है, जबकि अधिकार शक्ति है।
    3. पदानुक्रम सामाजिक नियंत्रण है, जबकि अधिकार नियम है।
    4. दोनों अवधारणाएं समान हैं।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: समाजशास्त्रीय रूप से, पदानुक्रम (Hierarchy) एक सामाजिक व्यवस्था में किसी व्यक्ति या समूह की सापेक्षिक स्थिति या रैंकिंग को संदर्भित करता है, जो अक्सर शक्ति, विशेषाधिकार या प्रतिष्ठा से जुड़ी होती है। अधिकार (Authority) वह है जो किसी व्यक्ति या संस्था को दूसरों पर शासन करने या आदेश देने की वैध शक्ति प्रदान करता है। इसलिए, पदानुक्रम सामाजिक स्थिति से संबंधित है, जबकि अधिकार शक्ति से। (तकनीकी रूप से, विकल्प ‘a’ भी करीब है, लेकिन ‘b’ अधिक सटीक रूप से स्थिति बनाम शक्ति का अंतर बताता है)।
    • संदर्भ और विस्तार: मैक्स वेबर ने अधिकार के तीन आदर्श प्रकार बताए: पारंपरिक, करिश्माई और तर्कसंगत-कानूनी।
    • गलत विकल्प: पदानुक्रम केवल शक्ति नहीं है, बल्कि स्थिति है। अधिकार शक्ति है, लेकिन यह हमेशा वैध होती है (जब यह केवल शक्ति होती है, तो उसे प्रभुत्व कहते हैं)।

    प्रश्न 22: “रूपांतरण” (Transformation) या “पुनर्संरचना” (Restructuring) के सिद्धांतकार, जिन्होंने समाज के “ज्ञान” (Knowledge) और “संस्कृति” (Culture) पर जोर दिया, कौन हैं?

    1. इर्विंग गॉफमैन
    2. जीन बॉड्रिलार्ड
    3. जीन-फ्रांस्वा ल्योटार्ड
    4. पीटर एल. बर्जर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जीन-फ्रांस्वा ल्योटार्ड, एक प्रमुख उत्तर-आधुनिकतावादी दार्शनिक, ने “ज्ञान का अंत” (The End of Grand Narratives) और “उत्तर-आधुनिक स्थिति” (The Postmodern Condition) जैसी रचनाओं में इस विचार को विकसित किया कि आधुनिकता के “महान आख्यानों” (जैसे प्रगति, मुक्ति) का अंत हो गया है और समाज ज्ञान और संस्कृति के रूपांतरण से गुजर रहा है।
    • संदर्भ और विस्तार: ल्योटार्ड ने यह भी तर्क दिया कि उत्तर-आधुनिक समाज “लघु आख्यानों” (small narratives) द्वारा संचालित होता है।
    • गलत विकल्प: इर्विंग गॉफमैन ने ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) और दैनिक जीवन के प्रस्तुतिकरण पर काम किया। जी. बॉड्रिलार्ड ने ‘सिमुलैक्रा’ (Simulacra) और ‘हाइपररियेलिटी’ (Hyperreality) की बात की। पीटर एल. बर्जर ने ‘सामाजिक निर्माण’ (Social Construction) पर लिखा।

    प्रश्न 23: “नृजातीयता” (Ethnicity) की अवधारणा का अर्थ क्या है?

    1. किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता
    2. किसी व्यक्ति की शारीरिक विशेषताएं
    3. सांस्कृतिक लक्षणों, राष्ट्रीयता या वंश के आधार पर लोगों का एक समूह
    4. किसी व्यक्ति का धर्म

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: नृजातीयता (Ethnicity) किसी व्यक्ति की उस भावना को दर्शाती है जो सांस्कृतिक लक्षणों, साझा इतिहास, भाषा, धर्म या राष्ट्रीय मूल के आधार पर एक समूह से संबंधित होने से उत्पन्न होती है। यह अक्सर साझा ‘जातीय पहचान’ (ethnic identity) से जुड़ी होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह राष्ट्रीयता से भिन्न है, जो अक्सर एक राजनीतिक राज्य से नागरिकता को संदर्भित करती है, और नस्ल (race) से भिन्न है, जिसे अक्सर सामाजिक रूप से निर्मित शारीरिक विशेषताओं के आधार पर परिभाषित किया जाता है।
    • गलत विकल्प: राष्ट्रीयता (a), शारीरिक विशेषताएं (b) (जो नस्ल से अधिक संबंधित है), और धर्म (d) नृजातीयता के घटक हो सकते हैं, लेकिन वे स्वयं नृजातीयता की पूर्ण परिभाषा नहीं हैं।

    प्रश्न 24: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) का अर्थ है:

    1. लोगों का विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच संचार
    2. सामाजिक स्तरीकरण की संरचना में परिवर्तन
    3. समाज में लोगों की स्थिति में परिवर्तन
    4. सामाजिक मानदंडों में परिवर्तन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य समाज में व्यक्तियों या समूहों के द्वारा अपनी सामाजिक स्थिति (जैसे आय, व्यवसाय, शिक्षा, वर्ग) को ऊपर या नीचे की ओर बदलने की प्रक्रिया से है। यह ऊर्ध्वाधर (vertical), क्षैतिज (horizontal), अंतर-पीढ़ी (intergenerational) या अंतः-पीढ़ी (intragenerational) हो सकती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह समाज की खुलीपन या बंदपन का सूचक है।
    • गलत विकल्प: सामाजिक समूहों के बीच संचार (a) सामाजिक संपर्क है। सामाजिक स्तरीकरण की संरचना में परिवर्तन (b) सामाजिक परिवर्तन का एक व्यापक रूप है। सामाजिक मानदंडों में परिवर्तन (d) सांस्कृतिक परिवर्तन है।

    प्रश्न 25: “शहरीकरण” (Urbanization) के संबंध में, “गैंग” (Gemeinschaft) और “गेसेलशाफ्ट” (Gesellschaft) की अवधारणाओं का उपयोग सामाजिक संबंधों के प्रकारों को समझाने के लिए किसने किया?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. फर्डिनेंड टोनीज़
    3. मैक्स वेबर
    4. जॉर्ज सिमेल

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: फर्डिनेंड टोनीज़ ने अपनी पुस्तक ” Gemeinschaft und Gesellschaft” (1893) में इन दो अवधारणाओं का परिचय दिया। गैंगेमाइनशाफ्ट (सामुदायिक या घनिष्ठ संबंध) को पारंपरिक, ग्रामीण समाज से जोड़ा जाता है, जहाँ संबंध व्यक्तिगत, भावनात्मक और दीर्घकालिक होते हैं। गेसेलशाफ्ट (सामजिक या साहचर्य संबंध) को आधुनिक, शहरी समाज से जोड़ा जाता है, जहाँ संबंध अधिक अमूर्त, तर्कसंगत, औपचारिक और उद्देश्य-उन्मुख होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: शहरीकरण की प्रक्रिया को अक्सर गैंगेमाइनशाफ्ट से गेसेलशाफ्ट की ओर एक संक्रमण के रूप में देखा जाता है।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘सांस्कृतिक एकता’ (Solidarity) के प्रकारों पर बात की। वेबर ने ‘अधिकार’ और ‘समाज’ के प्रकारों पर लिखा। सिमेल ने शहरी जीवन और आधुनिकता के प्रभाव का विश्लेषण किया, लेकिन इन विशिष्ट अवधारणाओं का श्रेय टोनीज़ को जाता है।

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