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समाजशास्त्र की परख: आज का गहन अभ्यास

समाजशास्त्र की परख: आज का गहन अभ्यास

प्रिय समाजशास्त्र के जिज्ञासुओं! अपनी अवधारणाओं को पैना करने और परीक्षा की तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार हो जाइए। हर दिन नए सवालों के साथ अपने ज्ञान का परीक्षण करें और समाजशास्त्र की जटिलताओं को गहराई से समझें। आइए, आज के इस बौद्धिक सफर की शुरुआत करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: “प्रत्यक्षवाद” (Positivism) की अवधारणा का समाजशास्त्र में सर्वप्रथम किसने प्रतिपादन किया?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. ऑगस्ट कॉम्टे
  4. एमिल दुर्खीम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: ऑगस्ट कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ही समाज के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का सिद्धांत दिया था। उनका मानना था कि समाज का अध्ययन प्राकृतिक विज्ञानों की तरह ही अनुभवजन्य (empirical) और वस्तुनिष्ठ (objective) विधियों से किया जाना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: कॉम्टे ने अपनी पुस्तक ‘The Course of Positive Philosophy’ में इस विचार को प्रस्तुत किया। वे समाज में ‘सामाजिक स्थायित्व’ (Social Statics) और ‘सामाजिक प्रगति’ (Social Dynamics) के नियमों को खोजना चाहते थे।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ऐतिहासिक भौतिकवाद और वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) यानी व्याख्यात्मक समझ पर बल दिया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों (Social Facts) के अध्ययन की वकालत की, जो प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण का ही एक रूप है, लेकिन कॉम्टे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस शब्द को गढ़ा और सिद्धांत दिया।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति उत्पन्न होती है जब:

  1. व्यक्ति अपने समूह के प्रति अत्यधिक निष्ठावान हो जाता है।
  2. सामाजिक नियम या मानदंड शिथिल या अनुपस्थित हो जाते हैं।
  3. लोग अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं को दबा देते हैं।
  4. सांस्कृतिक भिन्नताएं बहुत अधिक बढ़ जाती हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) शब्द का प्रयोग समाज की उस अवस्था का वर्णन करने के लिए किया जहाँ सामाजिक मानदंड (norms) शिथिल हो जाते हैं या व्यक्तियों के लिए उनका कोई अर्थ नहीं रह जाता। इससे व्यक्ति दिशाहीन और अनिश्चित महसूस करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में एनोमी की चर्चा की है। उनका मानना था कि सामाजिक परिवर्तन की तीव्र अवधि में या जब समाज अपने सदस्यों को एकीकृत करने में विफल रहता है, तब एनोमी उत्पन्न हो सकती है।
  • गलत विकल्प: (a) अत्यधिक निष्ठा सामाजिक एकीकरण का प्रतीक हो सकती है, एनोमी का नहीं। (c) व्यक्तिगत इच्छाओं को दबाना व्यक्तिवादी या रूढ़िवादी समाजों में हो सकता है, लेकिन यह सीधे एनोमी का कारण नहीं है। (d) सांस्कृतिक भिन्नताएं विविध समाज की विशेषता हैं, लेकिन यदि समाज में स्पष्ट मानदंड हों तो वे एनोमी का कारण नहीं बनतीं।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री “प्रतिमान चर” (Pattern Variables) की अवधारणा से जुड़ा है?

  1. टैल्कॉट पार्सन्स
  2. रॉबर्ट मर्टन
  3. चार्ल्स कूले
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक क्रिया (Social Action) और सामाजिक संरचना (Social Structure) का विश्लेषण करने के लिए ‘प्रतिमान चर’ (Pattern Variables) की एक प्रणाली विकसित की। ये पांच द्वंद्वात्मक जोड़े (dichotomous pairs) हैं जो निर्णय लेने की प्रक्रिया के आधार का वर्णन करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ये पाँच जोड़े हैं: 1. Ascription vs. Achievement, 2. Diffuseness vs. Specificity, 3. Affectivity vs. Neutrality, 4. Universalism vs. Particularism, 5. Self-orientation vs. Collective-orientation. पार्सन्स ने इनका उपयोग पारंपरिक और आधुनिक समाजों के बीच अंतर करने के लिए भी किया।
  • गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने ‘अनुकूलित व्यवहार’ (Deviant Behavior) और ‘कार्यप्रणाली’ (Function) के संदर्भ में संकल्पनाएं दीं। चार्ल्स कूले “प्राथमिक समूह” (Primary Group) और “आईने वाला स्व” (Looking-glass Self) जैसे विचारों के लिए जाने जाते हैं। जॉर्ज हर्बर्ट मीड “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) के प्रमुख विचारक हैं।

प्रश्न 4: मैकाइवर और पेज के अनुसार, “समाज” (Society) क्या है?

  1. व्यक्तियों का एक संग्रह जो समान भौगोलिक क्षेत्र में रहते हैं।
  2. व्यक्तियों के बीच अंतःक्रियाओं की एक जटिल प्रणाली।
  3. एक साझा संस्कृति और परंपराओं वाला एक समूह।
  4. एक राजनीतिक इकाई जो संप्रभुता का दावा करती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: आर. एम. मैकाइवर और सी. एच. पेज ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘Society: An Introduction’ में समाज को “अंतःक्रियाओं की एक जटिल प्रणाली” (a complex system of interrelationships) के रूप में परिभाषित किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज केवल व्यक्तियों का समूह नहीं है, बल्कि उन व्यक्तियों के बीच चलने वाली निरंतर अंतःक्रियाएं हैं जो समाज का निर्माण करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मैकाइवर और पेज समाज को ‘सहमति’ (common understanding) पर आधारित मानते थे, जिसके माध्यम से लोग एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हैं और सामाजिक संबंध स्थापित करते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘जनसमूह’ (population) या ‘समुदाय’ (community) की परिभाषा के करीब है, समाज की नहीं। (c) साझा संस्कृति समाज का हिस्सा है, लेकिन समाज अपने आप में केवल संस्कृति नहीं है। (d) यह ‘राज्य’ (state) की परिभाषा है, समाज की नहीं।

  • प्रश्न 5: भारतीय समाज में “सकर्मण्यता” (Dominance) की अवधारणा का प्रयोग किस समाजशास्त्री ने जाति व्यवस्था के विश्लेषण में किया?

    1. एम.एन. श्रीनिवास
    2. इरावती कर्वे
    3. श्रीनिवास
    4. गोविंद सदाशिव घुरिये

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय गाँवों के अपने अध्ययन में “सकर्मण्यता” (Dominance) की अवधारणा का प्रयोग किया। यह केवल ब्राह्मणों जैसी उच्च जातियों के प्रभुत्व तक सीमित नहीं है, बल्कि उन जातियों के प्रभुत्व को दर्शाता है जो किसी गाँव में आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से सबसे शक्तिशाली होती हैं, भले ही उनका स्थान पारंपरिक जाति पदानुक्रम में थोड़ा नीचे हो।
    • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने ‘सकर्मण्यता’ को किसी क्षेत्र में ‘प्रमुख जाति’ (Dominant Caste) की पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण मानदंड माना। यह एक मिश्रित अवधारणा है जिसमें कई प्रकार की शक्तियों का मिश्रण होता है।
    • गलत विकल्प: इरावती कर्वे ने भारतीय समाज के नातेदारी (Kinship) ढांचे का अध्ययन किया। गोविंद सदाशिव घुरिये ने जाति व्यवस्था पर कई महत्वपूर्ण कार्य किए, लेकिन ‘सकर्मण्यता’ की विशिष्ट अवधारणा श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित है। (b) और (c) एक ही व्यक्ति (एम.एन. श्रीनिवास) का उल्लेख कर रहे हैं; यहाँ (c) अधिक सटीक है क्योंकि यह उनकी व्यक्तिगत पहचान है।

    प्रश्न 6: “अजनबी” (The Stranger) नामक अवधारणा किसने विकसित की, जो किसी समाज में नए व्यक्ति के अनुभव का विश्लेषण करती है?

    1. अल्फ्रेड शुट्ज़
    2. इर्विंग गोफमैन
    3. सिगमंड फ्रायड
    4. एच. स्नायडर

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: अल्फ्रेड शुट्ज़ (Alfred Schütz) एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री थे जिन्होंने “अजनबी” (The Stranger) की अवधारणा विकसित की। यह अवधारणा उन व्यक्तियों की स्थिति और अनुभव का वर्णन करती है जो किसी ऐसे समाज में प्रवेश करते हैं जिसके साथ वे मूल रूप से जुड़े नहीं होते।
    • संदर्भ और विस्तार: शुट्ज़ ने “अजनबी” को उस व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जो समाज में “नजदीक से दूर” (near and yet so far) होता है। वह समाज के रीति-रिवाजों, विश्वासों और सामाजिक दुनिया को समझता है, लेकिन उस पर उसका अपना एक बाह्य दृष्टिकोण होता है, जो उसे पूरी तरह से आंतरिक होने से रोकता है।
    • गलत विकल्प: इर्विंग गोफमैन “स्टिग्मा” (Stigma) और “प्रबंधन” (Dramaturgy) जैसी अवधारणाओं से जुड़े हैं। सिगमंड फ्रायड मनोविश्लेषण के जनक हैं। एच. स्नायडर का नाम समाजशास्त्र में इतनी प्रमुखता से इस अवधारणा से नहीं जुड़ा है।

    प्रश्न 7: जजमानी व्यवस्था (Jajmani System) मुख्य रूप से किस सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था का वर्णन करती है?

    1. आधुनिक औद्योगिक उत्पादन
    2. पारंपरिक भारतीय ग्राम अर्थव्यवस्था में सेवा का आदान-प्रदान
    3. सामंतवादी भू-स्वामी और कृषक संबंध
    4. साम्यवादी वितरण प्रणाली

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: जजमानी व्यवस्था भारतीय ग्रामीण समाज की एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था थी जिसमें विभिन्न जातियाँ एक-दूसरे को वस्तु या सेवाएँ प्रदान करती थीं और इसके बदले में उन्हें पारंपरिक अधिकार और मान्यता मिलती थी। इसमें जाति के आधार पर सेवा प्रदाताओं (जैसे नाई, लोहार, कुम्हार) और सेवा ग्रहणकर्ताओं (जैसे कृषक) के बीच संबंध स्थापित होते थे।
    • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था प्रायः वंशानुगत होती थी और जीवन भर चलती थी। जजमान (सेवा ग्रहणकर्ता) और प्रजा (सेवा प्रदाता) के बीच संबंध विश्वास और पारस्परिक निर्भरता पर आधारित थे।
    • गलत विकल्प: (a) यह आधुनिक औद्योगिक उत्पादन से भिन्न है। (c) हालाँकि इसमें निर्भरता थी, पर यह पूरी तरह सामंतवादी व्यवस्था के समान नहीं है, क्योंकि इसमें सेवाओं का आदान-प्रदान प्रमुख था। (d) यह साम्यवादी वितरण से बिल्कुल अलग है, जो वर्गहीन समाज पर आधारित है।

    प्रश्न 8: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा का श्रेय किसे दिया जाता है?

    1. विलियम ग्राहम समनर
    2. अल्बर्ट ओ. हिर्शमैन
    3. विलियम एफ. ओगबर्न
    4. ए.एल. क्रॉबर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn) ने “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा दी। उनका तर्क था कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक संस्थाएं, मूल्य, नैतिकता) की तुलना में बहुत तेजी से बदलती है, जिसके कारण समाज में एक असंतुलन या विलंब की स्थिति उत्पन्न होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने अपनी पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature of Man’ में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। उदाहरण के लिए, कारों का आविष्कार जल्दी हुआ, लेकिन यातायात सुरक्षा नियम और शहरी नियोजन उसके अनुरूप ढलने में समय लगा, जिससे ‘सांस्कृतिक विलंब’ हुआ।
    • गलत विकल्प: विलियम ग्राहम समनर ने “लोकप्रियता” (Folkways) और “रूढ़ियाँ” (Mores) का अंतर स्पष्ट किया। अल्बर्ट ओ. हिर्शमैन आर्थिक विकास के सिद्धांतों से जुड़े हैं। ए.एल. क्रॉबर संस्कृति के मानवशास्त्रीय अध्ययन के लिए जाने जाते हैं।

    प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन “सामाजिक क्रिया” (Social Action) को अपने समाजशास्त्रीय विश्लेषण के केंद्र में रखते हैं?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. ऑगस्ट कॉम्टे
    3. मैक्स वेबर
    4. एमिल दुर्खीम

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: मैक्स वेबर ने समाजशास्त्र को “सामाजिक क्रिया का वैज्ञानिक अध्ययन” (the scientific study of social action) के रूप में परिभाषित किया। उनके लिए, समाजशास्त्र का कार्य केवल सामाजिक संरचनाओं का वर्णन करना नहीं है, बल्कि उन क्रियाओं के पीछे छिपे व्यक्तिपरक अर्थों (subjective meanings) को समझना है जो लोगों को एक विशेष तरीके से व्यवहार करने के लिए प्रेरित करती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समझ पर बल दिया, जिसमें समाजशास्त्री को कर्ताओं के दृष्टिकोण से दुनिया को देखना होता है।
    • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक संरचनाओं पर था। ऑगस्ट कॉम्टे ने प्रत्यक्षवादी सामाजिक भौतिकी की बात की। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों (social facts) को बाहरी और बाध्यकारी शक्तियाँ माना, न कि व्यक्तिपरक क्रियाओं के समुच्चय को।

    प्रश्न 10: “द्वितीयक समूह” (Secondary Group) की मुख्य विशेषता क्या है?

    1. गहरे भावनात्मक संबंध और दीर्घकालिक संपर्क
    2. अस्पष्ट उद्देश्य और अनौपचारिक नियम
    3. औपचारिक, अवैयक्तिक और उद्देश्य-उन्मुख संबंध
    4. सभी सदस्यों के बीच घनिष्ठ परिचय

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: द्वितीयक समूह (Secondary Group) वे होते हैं जिनमें सदस्य एक सामान्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक साथ आते हैं। इन समूहों में संबंध अक्सर औपचारिक, अवैयक्तिक, सीमित और उद्देश्य-उन्मुख होते हैं। सदस्य एक-दूसरे को व्यक्तिगत रूप से कम जानते हैं और मुख्य रूप से समूह के उद्देश्य से जुड़े होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, प्राथमिक समूह (Primary Group), जैसे कि परिवार, में गहरे भावनात्मक संबंध, दीर्घकालिक संपर्क और घनिष्ठ परिचय होता है। उदाहरण: एक कंपनी, एक राजनीतिक दल, एक क्लब।
    • गलत विकल्प: (a) और (d) प्राथमिक समूहों की विशेषताएँ हैं। (b) अस्पष्ट उद्देश्य और अनौपचारिक नियम भी प्राथमिक या अनौपचारिक समूहों के अधिक विशिष्ट हो सकते हैं, द्वितीयक समूहों के नहीं।

    प्रश्न 11: संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) द्वारा अपनाई गई “सतत विकास लक्ष्यों” (Sustainable Development Goals – SDGs) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?

    1. केवल विकसित देशों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
    2. गरीबी उन्मूलन, ग्रह की रक्षा और सभी के लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करना।
    3. केवल पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना।
    4. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सभी के लिए समान बनाना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) का मुख्य उद्देश्य 2030 तक विश्व स्तर पर गरीबी को समाप्त करना, ग्रह की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना है कि सभी लोग शांति और समृद्धि का अनुभव करें। इसमें 17 परस्पर जुड़े हुए लक्ष्य शामिल हैं जो सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय आयामों को संबोधित करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: SDGs 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राज्यों द्वारा अपनाए गए थे और ये एजेंडा 2030 का हिस्सा हैं। ये मानव कल्याण और ग्रह के लिए एक सार्वभौमिक आह्वान हैं।
    • गलत विकल्प: (a) यह केवल विकसित देशों पर केंद्रित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर सभी देशों के लिए है। (c) पर्यावरण संरक्षण एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यह एकमात्र उद्देश्य नहीं है। (d) यह आर्थिक विकास के व्यापक लक्ष्यों में से एक हो सकता है, लेकिन SDG का पूरा उद्देश्य इससे कहीं अधिक व्यापक है।

    प्रश्न 12: “आदर्श प्रारूप” (Ideal Type) की अवधारणा, जिसका उपयोग सामाजिक घटनाओं के विश्लेषण में किया जाता है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. ऑगस्ट कॉम्टे
    4. एच. स्पेंसर

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: मैक्स वेबर ने “आदर्श प्रारूप” (Ideal Type) की अवधारणा को विकसित किया। यह वास्तविक दुनिया की जटिलता को व्यवस्थित और समझने के लिए एक वैचारिक उपकरण है। आदर्श प्रारूप किसी विशेष सामाजिक घटना की कुछ प्रमुख विशेषताओं को अतिरंजित करके बनाया जाता है, जिससे उसकी तुलना और विश्लेषण किया जा सके।
    • संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, आदर्श प्रारूप एक “तार्किक रूप से सुसंगत” (logically consistent) अवधारणा है जो वास्तविकता का एक विकृत या अमूर्त संस्करण है, लेकिन यह शोध के लिए एक बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है। उदाहरण: नौकरशाही का आदर्श प्रारूप।
    • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम सामाजिक तथ्यों पर ध्यान केंद्रित करते थे। ऑगस्ट कॉम्टे प्रत्यक्षवाद के समर्थक थे। एच. स्पेंसर सामाजिक विकास के लिए उद्भववाद (evolutionism) का प्रयोग करते थे।

    प्रश्न 13: रॉबर्ट मर्टन के अनुसार, “अभिमत” (Manifest) और “अव्यक्त” (Latent) कार्यप्रणाली के बीच क्या अंतर है?

    1. अभिमत कार्यप्रणाली वे हैं जो अनपेक्षित होती हैं, जबकि अव्यक्त कार्यप्रणाली अपेक्षित होती हैं।
    2. अभिमत कार्यप्रणाली वे हैं जो स्पष्ट और प्रत्यक्ष होती हैं, जबकि अव्यक्त कार्यप्रणाली अनपेक्षित या छिपी होती हैं।
    3. अभिमत कार्यप्रणाली नकारात्मक होती हैं, जबकि अव्यक्त कार्यप्रणाली सकारात्मक होती हैं।
    4. अभिमत कार्यप्रणाली सामाजिक संरचनाओं से संबंधित हैं, जबकि अव्यक्त कार्यप्रणाली व्यक्तिगत व्यवहार से।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: रॉबर्ट मर्टन ने सामाजिक संस्थाओं या व्यवहारों के ‘कार्यप्रणाली’ (Functions) का विश्लेषण करते हुए ‘अभिमत’ (Manifest) और ‘अव्यक्त’ (Latent) में भेद किया। अभिमत कार्यप्रणाली वे हैं जो किसी सामाजिक व्यवस्था या संस्था द्वारा स्पष्ट रूप से पहचानी जाती हैं और जिनके इरादे पूरे होते हैं। अव्यक्त कार्यप्रणाली वे हैं जो अनपेक्षित, अप्रत्यक्ष या छिपी हुई होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक धर्मार्थ संगठन का अभिमत कार्य आयोजनों के माध्यम से गरीबों की मदद करना है, जबकि उसका अव्यक्त कार्य सदस्यों के बीच सामाजिक बंधुत्व की भावना को बढ़ाना हो सकता है।
    • गलत विकल्प: (a) यह विपरीत है; अव्यक्त कार्यप्रणाली अनपेक्षित होती हैं। (c) कार्यप्रणाली का सकारात्मक या नकारात्मक होना इस भेद का आधार नहीं है, बल्कि उनकी स्पष्टता या अस्पष्टता है। (d) दोनों कार्यप्रणाली सामाजिक संरचनाओं और व्यक्तिगत व्यवहार दोनों से जुड़ी हो सकती हैं।

    प्रश्न 14: “जातिगत बहिर्वाह” (Caste Endogamy) का अर्थ है:

    1. किसी व्यक्ति का अपनी जाति के बाहर विवाह करना।
    2. किसी व्यक्ति का अपनी जाति के भीतर ही विवाह करना।
    3. जाति के आधार पर सामाजिक अलगाव।
    4. जाति का किसी व्यवसाय से संबंध।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: “जातिगत बहिर्वाह” (Caste Endogamy) वह सामाजिक नियम है जिसके अनुसार किसी व्यक्ति को अपनी ही जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करना होता है। यह भारतीय जाति व्यवस्था का एक मौलिक सिद्धांत है जो जाति की निरंतरता को बनाए रखने में मदद करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था जाति की शुद्धता और पदानुक्रम को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके विपरीत, “जातिगत बहिर्विवाह” (Caste Exogamy) का अर्थ है अपनी जाति के बाहर विवाह करना, जो कुछ समाजों में हो सकता है लेकिन जातिगत बहिर्वाह एक प्रमुख विशेषता है।
    • गलत विकल्प: (a) यह जातिगत बहिर्विवाह है। (c) सामाजिक अलगाव ‘पवित्रता-अपवित्रता’ (Purity-Pollution) की अवधारणा से अधिक जुड़ा है। (d) व्यवसाय से संबंध ‘पेशेगत विभाजन’ (Occupational Division) है, विवाह नियम नहीं।

    प्रश्न 15: “पवित्र” (Sacred) और “अपवित्र” (Profane) का द्वंद्व (Dichotomy) किस समाजशास्त्री के धर्म के समाजशास्त्रीय विश्लेषण का केंद्रीय तत्व है?

    1. मैक्स वेबर
    2. कार्ल मार्क्स
    3. एमिल दुर्खीम
    4. मैरी डगलस

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Elementary Forms of Religious Life’ में “पवित्र” (Sacred) और “अपवित्र” (Profane) के द्वंद्व को धर्म की सार्वभौमिक विशेषता के रूप में पहचाना। उन्होंने तर्क दिया कि धर्म वह है जो पवित्र को अपवित्र से अलग करता है। पवित्र वस्तुएं वे होती हैं जिन्हें समाज द्वारा विशेष रूप से संरक्षित और पूजनीय माना जाता है, जबकि अपवित्र रोजमर्रा की चीजें होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के लिए, धर्म सामाजिक एकता और सामूहिक चेतना को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनका विश्लेषण ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी समाजों के अध्ययन पर आधारित था।
    • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने प्रोटेस्टेंट नैतिकता और पूंजीवाद के बीच संबंध का विश्लेषण किया। कार्ल मार्क्स ने धर्म को “जनता के लिए अफीम” कहा, जो सामाजिक नियंत्रण का एक साधन है। मैरी डगलस ने “शुद्धता और खतरा” (Purity and Danger) पर महत्वपूर्ण कार्य किया, जो दुर्खीम से संबंधित है लेकिन यह द्वंद्व दुर्खीम का केंद्रीय विश्लेषण है।

    प्रश्न 16: “आत्मसात्करण” (Assimilation) की प्रक्रिया में क्या होता है?

    1. एक अल्पसंख्यक समूह अपनी विशिष्ट संस्कृति को बरकरार रखता है।
    2. विभिन्न सांस्कृतिक समूहों के बीच अलगाव बढ़ता है।
    3. एक अल्पसंख्यक समूह बहुसंख्यक संस्कृति के मूल्यों, व्यवहारों और पहचान को अपनाता है।
    4. नए सामाजिक समूहों का निर्माण होता है।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: आत्मसात्करण (Assimilation) वह प्रक्रिया है जिसमें एक अल्पसंख्यक समूह या व्यक्ति बहुसंख्यक समाज की संस्कृति, रीति-रिवाजों, मूल्यों और जीवन शैली को अपना लेता है, जिससे अपनी मूल सांस्कृतिक पहचान धीरे-धीरे कमजोर पड़ जाती है या लुप्त हो जाती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर प्रवास या सांस्कृतिक मिश्रण के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है। यह एक एकतरफा या द्विपक्षीय प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन आमतौर पर इसमें अल्पसंख्यक समूह का बहुसंख्यक समूह में मिलना शामिल होता है।
    • गलत विकल्प: (a) यह “पृथक्करण” (Separation) या “सांस्कृतिक संरक्षण” (Cultural Preservation) है। (b) यह “अलगाव” (Segregation) है। (d) यह “सांस्कृतिक एकीकरण” (Cultural Integration) या “सांस्कृतिक बहुलवाद” (Multiculturalism) का परिणाम हो सकता है, लेकिन आत्मसात्करण स्वयं नए समूहों का निर्माण नहीं है।

    प्रश्न 17: “कठोर परिस्थिति” (Iron Law of Oligarchy) का सिद्धांत किसने दिया, जिसके अनुसार सभी संगठित समूहों में अंततः कुछ ही लोगों का शासन स्थापित हो जाता है?

    1. रॉबर्ट मिचेल्स
    2. एम. वेबर
    3. टी. पार्सन्स
    4. ई. डर्केम

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: रॉबर्ट मिचेल्स (Robert Michels) ने अपनी पुस्तक ‘Political Parties’ में “कठोर परिस्थिति” (Iron Law of Oligarchy) का सिद्धांत प्रतिपादित किया। उनके अनुसार, कोई भी संगठन, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, अंततः कुछ चुनिंदा नेताओं के हाथों में केंद्रित हो जाता है, जो अपनी शक्ति और विशेषाधिकारों को बनाए रखते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: मिचेल्स का मानना था कि सत्ता, संगठन और नेतृत्व की आवश्यकताएं स्वाभाविक रूप से अल्पतंत्र (Oligarchy) को जन्म देती हैं। यह सिद्धांत नौकरशाही की प्रवृत्तियों से भी जुड़ा है।
    • गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने नौकरशाही पर महत्वपूर्ण कार्य किया। टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था के अपने सिद्धांत दिए। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकता और एनोमी पर कार्य किया।

    प्रश्न 18: भारतीय संदर्भ में “धर्मनिरपेक्षता” (Secularism) की अवधारणा, जैसा कि भारतीय संविधान में परिकल्पित है, का अर्थ है:

    1. सभी धार्मिक प्रतीकों को सार्वजनिक स्थानों से हटाना।
    2. राज्य का किसी भी धर्म को आधिकारिक रूप से बढ़ावा न देना और सभी धर्मों को समान सम्मान देना।
    3. धर्म का पूर्णतः त्याग और नास्तिकता को बढ़ावा देना।
    4. केवल कुछ चुनिंदा धर्मों को ही राज्य द्वारा संरक्षण देना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: भारतीय धर्मनिरपेक्षता (Secularism) की अवधारणा “सर्व-धर्म समभाव” (Sarva Dharma Sama Bhava) पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि राज्य सभी धर्मों के प्रति तटस्थ रहेगा, किसी एक धर्म को विशेष दर्जा नहीं देगा, बल्कि सभी धर्मों को समान सम्मान देगा और उनकी रक्षा करेगा। यह पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता से भिन्न है जहाँ राज्य और धर्म के बीच पूर्ण अलगाव होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान मौलिक अधिकारों में धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार देता है और राज्य को किसी भी धर्म विशेष से न जुड़ने की बात कहता है।
    • गलत विकल्प: (a) यह पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता का एक संभावित पहलू हो सकता है, लेकिन भारतीय संदर्भ में नहीं। (c) यह नास्तिकता या धर्म के त्याग को बढ़ावा नहीं देता। (d) यह भारतीय धर्मनिरपेक्षता के विपरीत है जो सभी धर्मों को समान मानता है।

    प्रश्न 19: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘वर्ग’ (Class) पर आधारित है, न कि ‘जाति’ (Caste) पर?

    1. विवाह के नियम
    2. पेशागत विशिष्टता
    3. आर्थिक स्थिति और संपत्ति का स्वामित्व
    4. खान-पान के नियम

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: सामाजिक स्तरीकरण में ‘वर्ग’ (Class) मुख्य रूप से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, आय, धन और उत्पादन के साधनों पर उसके नियंत्रण पर आधारित होता है। यह स्थिति प्रायः अर्जित (achieved) होती है, न कि जन्म से निर्धारित (ascribed)।
    • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स जैसे सिद्धांतकारों ने वर्ग को उत्पादन संबंधों के आधार पर परिभाषित किया। जबकि जाति व्यवस्था जन्म, वंशानुक्रम, विवाह (endogamy), खान-पान और पेशा (ritualistic purity of occupation) जैसे कारकों पर आधारित होती है।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) ये सभी विशेषताएँ मुख्य रूप से जाति व्यवस्था से जुड़ी हैं, जो जन्म पर आधारित एक बंद व्यवस्था है। वर्ग व्यवस्था में ये उतनी प्रमुख या अनिवार्य नहीं होतीं।

    प्रश्न 20: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का मुख्य सरोकार क्या है?

    1. बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं और संस्थाओं का अध्ययन।
    2. लोगों के बीच छोटी-छोटी, दैनिक अंतःक्रियाओं और उनके द्वारा प्रयुक्त प्रतीकों (जैसे भाषा) का अध्ययन।
    3. ऐतिहासिक परिवर्तनों का समाज पर प्रभाव।
    4. राज्य की शक्ति और उसके कार्यों का विश्लेषण।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) समाजशास्त्र का एक सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) दृष्टिकोण है जो इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में प्रतीकों (जैसे भाषा, इशारे, हावभाव) का उपयोग करके एक-दूसरे के साथ कैसे अंतःक्रिया करते हैं और कैसे वे इन अंतःक्रियाओं के माध्यम से अर्थ (meaning) का निर्माण करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गोफमैन इस विचारधारा के प्रमुख समर्थक हैं। वे मानते हैं कि सामाजिक वास्तविकता व्यक्तिपरक अनुभवों और अंतःक्रियाओं से निर्मित होती है।
    • गलत विकल्प: (a) यह संरचनात्मक-क्रियावाद (Structural Functionalism) या मार्क्सवाद का सरोकार है। (c) यह ऐतिहासिक समाजशास्त्र का विषय है। (d) यह राजनीतिक समाजशास्त्र या राज्य सिद्धांत का विषय है।

    प्रश्न 21: “अविच्छिन्नता” (Discontinuity) और “निरंतरता” (Continuity) की अवधारणाओं का प्रयोग भारतीय समाज में किस अध्ययन के लिए किया जाता है?

    1. आधुनिकता की ओर परिवर्तन
    2. सामाजिक नियंत्रण के तंत्र
    3. आर्थिक विकास का विश्लेषण
    4. सांस्कृतिक परिवर्तन का मूल्यांकन

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: भारतीय समाज में परिवर्तन के अध्ययन के लिए “अविच्छिन्नता” (Discontinuity) और “निरंतरता” (Continuity) की अवधारणाओं का प्रयोग किया जाता है। यह समझने के लिए कि किन क्षेत्रों में पारंपरिक व्यवस्थाएं (निरंतरता) अभी भी प्रभावी हैं और किन क्षेत्रों में नई व्यवस्थाएं (अविच्छिन्नता) उत्पन्न हुई हैं, विशेषकर पश्चिमीकरण, आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण के प्रभाव के कारण।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा समाजशास्त्रीय विश्लेषण में उपयोगी है ताकि यह देखा जा सके कि कैसे आधुनिकता पारंपरिक संरचनाओं और मूल्यों को पूरी तरह से प्रतिस्थापित नहीं करती, बल्कि उनके साथ सह-अस्तित्व में रहती है या उन्हें संशोधित करती है।
    • गलत विकल्प: (a) आधुनिकता की ओर परिवर्तन एक व्यापक विषय है, लेकिन अविच्छिन्नता/निरंतरता विशेष रूप से सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तनों के प्रकारों को वर्गीकृत करने के लिए है। (b) और (c) ये अवधारणाएं सामाजिक नियंत्रण या आर्थिक विकास से सीधे तौर पर उतनी नहीं जुड़ीं जितनी सांस्कृतिक परिवर्तन से।

    प्रश्न 22: “संस्था” (Institution) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, यह क्या है?

    1. व्यक्तियों का एक ढीला-ढाला समूह।
    2. समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित और स्थायी सामाजिक प्रथाओं, विश्वासों और व्यवहारों का एक व्यवस्थित ढांचा।
    3. एक अनौपचारिक सामाजिक समूह।
    4. केवल सरकारी संगठन।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: समाजशास्त्र में, एक संस्था (Institution) को समाज की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित, स्थायी और व्यवस्थित सामाजिक प्रथाओं, नियमों, विश्वासों और मूल्यों के एक सेट के रूप में परिभाषित किया जाता है। ये समाज को स्थिरता और व्यवस्था प्रदान करती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार और अर्थव्यवस्था प्रमुख सामाजिक संस्थाएं हैं। ये सभी समाज की मूलभूत आवश्यकताओं (जैसे प्रजनन, समाजीकरण, व्यवस्था बनाए रखना) को पूरा करने के लिए विकसित हुई हैं।
    • गलत विकल्प: (a) यह एक संस्था नहीं है, बल्कि केवल व्यक्तियों का एक समूह है। (c) यह “अनौपचारिक समूह” (informal group) की परिभाषा है, संस्था की नहीं। (d) सरकारी संगठन केवल एक प्रकार की संस्था (राजनीतिक संस्था) है, सभी संस्थाएं सरकारी नहीं होतीं।

    प्रश्न 23: “शहरीकरण” (Urbanization) की प्रक्रिया में निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता आम तौर पर देखी जाती है?

    1. ग्रामीण जीवन शैली का बढ़ता महत्व।
    2. पारंपरिक समुदाय के प्रति अधिक जुड़ाव।
    3. औद्योगिकरण, प्रवासन और जनसंख्या घनत्व में वृद्धि।
    4. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का प्रभुत्व।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: शहरीकरण (Urbanization) एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें जनसंख्या का ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर प्रवास, शहरों में जीवन यापन करने वाली आबादी के अनुपात में वृद्धि, और इसके परिणामस्वरूप शहरी जीवन शैली, आर्थिक गतिविधियों (विशेषकर औद्योगिकरण) और जनसंख्या घनत्व में वृद्धि होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह आर्थिक अवसरों की तलाश, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता आदि जैसे कारकों से प्रेरित होता है।
    • गलत विकल्प: (a) और (b) शहरीकरण के विपरीत प्रवृत्तियाँ हैं। (d) शहरीकरण अक्सर कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था से औद्योगिक या सेवा-आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव से जुड़ा होता है।

    प्रश्न 24: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा से कौन सा समाजशास्त्री प्रमुख रूप से जुड़ा है?

    1. पियरे बॉर्डियू
    2. एंथनी गिडेंस
    3. जुरगन हेबरमास
    4. इर्विंग गोफमैन

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा का महत्वपूर्ण विकास किया। उनके अनुसार, सामाजिक पूंजी उन संसाधनों का कुल योग है जो किसी व्यक्ति या समूह को उसके सामाजिक संबंधों, नेटवर्क और सामाजिक जुड़ाव से प्राप्त होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने सामाजिक पूंजी को आर्थिक पूंजी (धन) और सांस्कृतिक पूंजी (ज्ञान, शिक्षा) के साथ शक्ति और स्थिति का एक रूप माना। यह सामाजिक नेटवर्क के माध्यम से विश्वास, सहयोग और सूचना के प्रवाह को सुगम बनाती है।
    • गलत विकल्प: एंथनी गिडेंस “संरचनाकरण” (Structuration) के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं। जुरगन हेबरमास “संचार क्रिया” (Communicative Action) और “सार्वजनिक क्षेत्र” (Public Sphere) पर काम के लिए प्रसिद्ध हैं। इर्विंग गोफमैन “प्रतिनिधित्व” (Dramaturgy) और “सामाजिक कलंक” (Social Stigma) के लिए जाने जाते हैं।

    प्रश्न 25: “अस्पृश्यता” (Untouchability) को भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत समाप्त कर दिया गया है और इसका अभ्यास दंडनीय अपराध घोषित किया गया है?

    1. अनुच्छेद 14
    2. अनुच्छेद 15
    3. अनुच्छेद 16
    4. अनुच्छेद 17

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 “अस्पृश्यता” (Untouchability) के उन्मूलन की बात करता है। यह घोषणा करता है कि “अस्पृश्यता” को समाप्त कर दिया गया है और किसी भी रूप में इसका अभ्यास कानून के अनुसार दंडनीय होगा।
    • संदर्भ और विस्तार: इस अनुच्छेद के प्रावधानों को लागू करने के लिए संसद ने “अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955” पारित किया, जिसे बाद में “सिविल अधिकार अधिनियम, 1976” के रूप में संशोधित और पुनर्नामकरण किया गया।
    • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है। अनुच्छेद 16 सार्वजनिक नियोजन के मामलों में अवसर की समानता प्रदान करता है। यद्यपि ये सभी अनुच्छेद सामाजिक समानता से जुड़े हैं, अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए विशेष रूप से अनुच्छेद 17 है।

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