समाजशास्त्र की दैनिक परीक्षा: अपनी पकड़ मजबूत करें!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! आज हम आपके समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई को परखने के लिए लाए हैं 25 नए और चुनिंदा प्रश्न। यह दैनिक अभ्यास सत्र आपको प्रमुख अवधारणाओं, विचारकों और सिद्धांतों की अपनी समझ को और पैना करने का अवसर देगा। आइए, अपनी विश्लेषणात्मक क्षमताओं को चुनौती दें और आज के इस ज्ञानवर्धक सफर की शुरुआत करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘अनौमी’ (Anomie) की अवधारणा समाजशास्त्र में किसने प्रस्तुत की?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘अनौमी’ की अवधारणा प्रस्तुत की। यह एक ऐसी सामाजिक स्थिति को दर्शाती है जहाँ समाज में सामान्य नियमों और मूल्यों का अभाव होता है, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अव्यवस्था की भावना उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Division of Labour in Society” और “Suicide” में इस अवधारणा का विस्तृत विश्लेषण किया है। उन्होंने दिखाया कि कैसे सामाजिक परिवर्तन, विशेष रूप से आर्थिक और औद्योगिक परिवर्तन, अनौमी की स्थिति को जन्म दे सकते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) और ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) की अवधारणाओं पर ध्यान केंद्रित किया। मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) और ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization) जैसी अवधारणाओं को विकसित किया। जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक अंतःक्रियाओं (Social Interactions) और सामाजिक रूपों (Social Forms) का अध्ययन किया।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रतिपादित ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
- उच्च जातियों की रीति-रिवाजों और परंपराओं को अपनाकर सामाजिक स्थिति में सुधार लाने का प्रयास
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
- शहरीकरण का प्रभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संस्कृतीकरण, जैसा कि एम.एन. श्रीनिवास ने परिभाषित किया है, निचली जातियों या जनजातियों द्वारा उच्च जातियों की जीवन शैली, अनुष्ठानों, विश्वासों और मूल्यों को अपनाने की एक प्रक्रिया है, ताकि वे सामाजिक पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठा सकें।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में प्रस्तुत की थी। यह भारत में जाति व्यवस्था के भीतर होने वाली सांस्कृतिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ पश्चिमी देशों की संस्कृति का अनुकरण है। ‘आधुनिकीकरण’ तकनीकी और संस्थागत परिवर्तनों से संबंधित एक व्यापक अवधारणा है। ‘शहरीकरण’ ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या के स्थानांतरण की प्रक्रिया है।
प्रश्न 3: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में सर्वहारा (Proletariat) वर्ग की मुख्य विशेषता क्या है?
- उत्पादन के साधनों का स्वामित्व
- पूंजी का संचय
- श्रम शक्ति को बेचना
- प्रबंधकीय पदों पर नियंत्रण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी व्यवस्था में सर्वहारा वर्ग वह वर्ग है जिसके पास उत्पादन के साधनों का स्वामित्व नहीं होता और वह अपनी श्रम शक्ति को पूंजीपतियों (बुर्जुआ) को बेचकर जीवित रहता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि यह श्रम शक्ति का बेचना ही अलगाव (Alienation) और शोषण का मूल कारण है। सर्वहारा वर्ग की एकता और चेतना में ही क्रांति की शक्ति निहित है।
- गलत विकल्प: उत्पादन के साधनों का स्वामित्व बुर्जुआ वर्ग के पास होता है। पूंजी का संचय भी बुर्जुआ वर्ग की विशेषता है। प्रबंधकीय पदों पर नियंत्रण भी पूंजीपतियों के हाथ में होता है।
प्रश्न 4: मैक्सा वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization) की प्रक्रिया का संबंध किस सामाजिक परिवर्तन से जोड़ा?
- धार्मिक विश्वासों का प्रसार
- आधुनिक नौकरशाही और पूंजीवाद का उदय
- पारंपरिक समाजों का विकास
- सामुदायिक जीवन का विस्तार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने तर्कसंगतता को आधुनिक समाजों की एक प्रमुख विशेषता माना, खासकर नौकरशाही (Bureaucracy) और पूंजीवाद (Capitalism) के विकास में। उनका मानना था कि आधुनिक समाजों में निर्णय लेने और संगठनात्मक ढाँचे अधिकाधिक तर्कसंगत, कुशल और मापन योग्य हो गए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर की कृति “The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism” में वे तर्कसंगतता और पूंजीवादी विकास के बीच संबंध का विश्लेषण करते हैं। उन्होंने नौकरशाही को ‘उत्कृष्ट तर्कसंगतता’ का प्रतिरूप माना।
- गलत विकल्प: धार्मिक विश्वासों का प्रसार, पारंपरिक समाजों का विकास और सामुदायिक जीवन का विस्तार वेबर द्वारा वर्णित तर्कसंगतता की प्रक्रिया के विपरीत या भिन्न सामाजिक परिवर्तन हैं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) की विशेषता नहीं है?
- यह एक सामाजिक विशेषता है, जैविक नहीं।
- यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है।
- यह सार्वभौमिक है, पर परिवर्तनीय है।
- यह व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समूह-आधारित है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण एक सामाजिक विशेषता है, न कि जैविक। हालांकि, दिया गया विकल्प (a) कह रहा है कि यह जैविक नहीं है, जो कि सही है। लेकिन प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सी विशेषता नहीं है। इस प्रश्न के संदर्भ में, स्तरीकरण मुख्य रूप से सामाजिक संरचना और शक्ति संबंधों पर आधारित होता है, न कि व्यक्तिगत जैविक गुणों पर। लेकिन सभी दिए गए विकल्प स्तरीकरण की सही विशेषताएं हैं। यहाँ प्रश्न के अर्थ में थोड़ी अस्पष्टता है। यदि प्रश्न का आशय यह है कि कौन सा कथन गलत है, तो (a) सही है। यदि यह पूछ रहा है कि स्तरीकरण की विशेषता नहीं है, तो दिए गए सभी विकल्प उसकी विशेषताएं हैं। लेकिन सामान्य अर्थ में, स्तरीकरण जैविक भिन्नताओं का सामाजिक व्याख्या है। यहाँ सबसे उपयुक्त व्याख्या यह है कि स्तरीकरण का आधार जैविक नहीं, बल्कि सामाजिक संरचनाएं हैं, जिसे विकल्प (a) सही ढंग से दर्शाता है। यदि प्रश्न यह होता कि ‘सामाजिक स्तरीकरण जैविक भिन्नताओं पर आधारित है’, तो वह गलत होता। दिए गए विकल्पों में, स्तरीकरण को ‘सामाजिक विशेषता’ कहना सही है। प्रश्न का निर्माण बेहतर हो सकता था। परंतु, यदि हम यह मान लें कि प्रश्न ‘कौन सी विशेषता नहीं है?’ का अर्थ ‘कौन सा कथन गलत है?’ है, तो (a) को सही माना जाएगा क्योंकि स्तरीकरण का आधार जैविक नहीं, बल्कि सामाजिक है। यह एक विचारणीय बिंदु है। यहाँ हम स्तरीकरण की सामान्य विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण समाज के सदस्यों को अलग-अलग स्तरों या वर्गों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है, जो शक्ति, धन और प्रतिष्ठा के असमान वितरण पर आधारित होती है। यह एक अंतर्निहित सामाजिक संरचना है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b), (c), और (d) सामाजिक स्तरीकरण की वास्तविक और स्वीकृत विशेषताएं हैं। यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती है, समाज में सार्वभौमिक रूप से पाई जाती है (भले ही उसके रूप बदलते रहें), और यह व्यक्तिगत लोगों के बजाय समूहों के बीच के संबंधों को दर्शाती है।
नोट: प्रश्न 5 का निर्माण थोड़ा भ्रामक है। यदि प्रश्न का आशय ‘निम्नलिखित में से कौन सा कथन सामाजिक स्तरीकरण की एक गलत विशेषता है?’ होता, तो (a) सही उत्तर होता क्योंकि स्तरीकरण की विशेषता जैविक नहीं, बल्कि सामाजिक है। लेकिन वर्तमान प्रश्न के अनुसार, (a) स्तरीकरण की एक सही विशेषता है। हम मान रहे हैं कि प्रश्न का इरादा यह पूछना था कि कौन सी विशेषता इसकी प्रकृति को गलत बताती है। इस संदर्भ में, हम इस प्रश्न को स्तरीकरण की सामान्य समझ पर आधारित करेंगे।
प्रश्न 6: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा किसने विकसित की?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- अगस्ट कॉम्ते
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को समाजशास्त्र के अध्ययन की केंद्रीय इकाई के रूप में परिभाषित किया। सामाजिक तथ्य वे तरीके हैं जिनसे व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके समाज में बाह्य होते हैं और जिनमें एक बाध्यकारी शक्ति होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Rules of Sociological Method” में इस अवधारणा को स्पष्ट किया। उन्होंने इसे ‘चीजों की तरह’ (as things) अध्ययन करने का आग्रह किया। उदाहरणों में रीति-रिवाज, कानून, नैतिकता और विश्वास शामिल हैं।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ और सामाजिक क्रिया पर जोर दिया। अगस्ट कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, जिन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) की वकालत की। हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद (Social Darwinism) का विचार प्रस्तुत किया।
प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- आर्थिक विनिमय और सेवा वितरण
- अंतर-जातीय विवाह को बढ़ावा देना
- शहरी क्षेत्रों में आवास की व्यवस्था करना
- राजनीतिक शक्ति का केंद्रीकरण
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जजमानी प्रणाली भारतीय ग्रामीण समाजों में पाई जाने वाली एक पारंपरिक पारस्परिक सेवा-विनिमय प्रणाली थी, जहाँ विभिन्न जातियों के लोग (जजमान और कारीगर/सेवा प्रदाता) एक-दूसरे को पीढ़ी-दर-पीढ़ी सेवाएं प्रदान करते थे और इसके बदले में वस्तु या धन का विनिमय करते थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रणाली ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक संबंधों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। इसमें सेवा प्रदाता (जैसे लोहार, नाई, धोबी, कुम्हार) अपने जजमानों (कृषक या उच्च जाति के लोग) को सेवाएँ देते थे और बदले में अनाज, कपड़े या अन्य वस्तुएँ प्राप्त करते थे।
- गलत विकल्प: जजमानी प्रणाली का उद्देश्य अंतर-जातीय विवाह, शहरी आवास या राजनीतिक शक्ति के केंद्रीकरण से नहीं था।
प्रश्न 8: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य केंद्रीय विचार क्या है?
- समाज संरचनाओं द्वारा शासित होता है।
- व्यक्ति प्रतीकों के माध्यम से अर्थों का निर्माण और व्याख्या करते हैं।
- सत्ता संबंध सामाजिक व्यवस्था बनाए रखते हैं।
- समूहों के बीच संघर्ष परिवर्तन का इंजन है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का मानना है कि व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और इन अंतःक्रियाओं के माध्यम से वे अपने आसपास की दुनिया के लिए अर्थों का निर्माण और व्याख्या करते हैं। समाज इन व्यक्तिगत अर्थों और अंतःक्रियाओं का परिणाम है।
- संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन इस दृष्टिकोण के प्रमुख विचारक हैं। मीड ने ‘सेल्फ’ (Self) के विकास में अंतःक्रिया के महत्व पर जोर दिया।
- गलत विकल्प: (a) संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism) या मार्क्सवाद से संबंधित है। (c) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) या सत्ता सिद्धांत से संबंधित हो सकता है। (d) मार्क्सवाद या संघर्ष सिद्धांत का मुख्य विचार है।
प्रश्न 9: संयुक्त राष्ट्र की ‘मानव विकास रिपोर्ट’ (Human Development Report) में अक्सर किस सूचकांक का उपयोग किया जाता है?
- राष्ट्रीय आय सूचकांक (GNI Index)
- मानव विकास सूचकांक (HDI)
- गरीबी सूचकांक (Poverty Index)
- जीवन प्रत्याशा सूचकांक (Life Expectancy Index)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा जारी की जाने वाली मानव विकास रिपोर्ट में मानव विकास सूचकांक (Human Development Index – HDI) का उपयोग मुख्य रूप से किसी देश में मानव विकास के स्तर को मापने के लिए किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: HDI तीन मुख्य आयामों को मापता है: लंबा और स्वस्थ जीवन (जीवन प्रत्याशा), ज्ञान (शिक्षा के वर्ष), और एक सभ्य जीवन स्तर (प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय – GNI)।
- गलत विकल्प: राष्ट्रीय आय सूचकांक (GNI) HDI का एक घटक है, लेकिन पूरा सूचकांक नहीं। गरीबी सूचकांक और जीवन प्रत्याशा सूचकांक अन्य महत्वपूर्ण संकेतक हैं, लेकिन HDI स्वयं में एक समग्र सूचकांक है।
प्रश्न 10: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने दी?
- विलियम ओगबर्न
- ए. आर. देसाई
- टी. एच. मार्शल
- डेविड एपेल
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनका मानना था कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, उपकरण) अभौतिक संस्कृति (जैसे संस्थाएं, मूल्य, मानदंड) की तुलना में तेजी से बदलती है, जिससे समाज में एक ‘विलंब’ या असंतुलन पैदा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने इसे अपनी कृति “Social Change with Respect to Culture and Original Nature” में समझाया। उदाहरण के लिए, ऑटोमोबाइल का आविष्कार भौतिक संस्कृति में तेजी से हुआ, लेकिन यातायात के नियम और सामाजिक व्यवहार (अभौतिक संस्कृति) को इसके अनुरूप ढलने में समय लगा।
- गलत विकल्प: ए. आर. देसाई भारतीय समाजशास्त्री थे जिन्होंने औपनिवेशिक भारत में ग्रामीण समाज और राष्ट्रवाद का अध्ययन किया। टी. एच. मार्शल नागरिकता और सामाजिक नीति पर अपने काम के लिए जाने जाते हैं। डेविड एपेल ने सामाजिक गतिशीलता पर काम किया है।
प्रश्न 11: परिवार का वह स्वरूप जिसमें विवाह के बाद पति-पत्नी अपने माता-पिता के घर से अलग स्वतंत्र निवास करते हैं, क्या कहलाता है?
- मातृस्थानीय (Matrilocal)
- पितृस्थानीय (Patrilocal)
- नव-स्थानिक (Neolocal)
- समस्थानिक (Patriarchal)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जब एक विवाहित जोड़ा अपने माता-पिता या किसी अन्य सगे-संबंधी के घर से स्वतंत्र रूप से अपना नया निवास स्थापित करता है, तो इस व्यवस्था को नव-स्थानिक (Neolocal) निवास कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह आधुनिक औद्योगिक समाजों में अधिक सामान्य है, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता और नाभिकीय परिवार (Nuclear Family) की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: मातृस्थानीय निवास का अर्थ है कि पति पत्नी के घर जाकर रहता है, और पितृस्थानीय निवास का अर्थ है कि पत्नी पति के घर जाकर रहती है। पितृसत्तात्मक (Patriarchal) परिवार पुरुष प्रधानता को दर्शाता है, न कि निवास स्थान को।
प्रश्न 12: ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) के जनक कौन माने जाते हैं?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- अगस्ट कॉम्ते
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: अगस्ट कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक और प्रत्यक्षवाद का प्रणेता माना जाता है। उन्होंने समाज के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए अनुभवजन्य साक्ष्य (empirical evidence) और वैज्ञानिक पद्धति के प्रयोग पर बल दिया।
- संदर्भ और विस्तार: कॉम्ते ने समाज के विकास के तीन चरणों का सिद्धांत (The Law of Three Stages) भी प्रस्तुत किया: धार्मिक, तात्विक और प्रत्यक्षवादी। उनका मानना था कि समाजशास्त्र को प्रकृति विज्ञानों की तरह ही वस्तुनिष्ठ (objective) और वैज्ञानिक होना चाहिए।
- गलत विकल्प: दुर्खीम प्रत्यक्षवाद के प्रबल समर्थक थे, लेकिन इसके जनक कॉम्ते हैं। वेबर ने व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) पर जोर दिया। स्पेंसर ने विकासवाद के सिद्धांतों को समाज पर लागू किया।
प्रश्न 13: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) की निम्नलिखित में से कौन सी एक प्रमुख विशेषता नहीं है?
- अंतर्विवाह (Endogamy)
- जन्म आधारित सदस्यता
- पेशा का निर्धारण
- अंतर-जातीय भोजन प्रतिबंधों का अभाव
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं में अंतर्विवाह (एक ही जाति के भीतर विवाह), जन्म आधारित सदस्यता (जाति जन्म से तय होती है), और पैतृक पेशा (कई मामलों में जाति से पेशा जुड़ा होता है) शामिल हैं। अंतर-जातीय भोजन प्रतिबंध (Inter-dining restrictions) भी एक महत्वपूर्ण विशेषता रही है, जो सामाजिक अलगाव को दर्शाती है। इसलिए, ‘इनका अभाव’ एक विशेषता नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था एक कठोर सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली है जो भारतीय समाज में सदियों से विद्यमान है। यह शुद्धता और प्रदूषण की अवधारणाओं, खान-पान संबंधी प्रतिबंधों और पदानुक्रमित संगठन पर आधारित है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी जाति व्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ हैं। (d) गलत है क्योंकि अंतर-जातीय भोजन पर प्रतिबंध भारतीय जाति व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता रही है, न कि उसका अभाव।
प्रश्न 14: ‘पैटर्न वेरिएबल’ (Pattern Variables) की अवधारणा किसने विकसित की?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- रॉबर्ट मर्टन
- सी. राइट मिल्स
- रॉबर्ट रेडफील्ड
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक क्रिया (Social Action) के विश्लेषण के लिए ‘पैटर्न वेरिएबल’ की अवधारणा विकसित की। ये पांच द्वंद्वात्मक विकल्प हैं जो किसी व्यक्ति या संस्था को सामाजिक क्रिया में अपने चुनाव को निर्देशित करने में मदद करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये पांच पैटर्न वेरिएबल हैं: 1. भावना बनाम तटस्थता (Affectivity vs. Affective Neutrality), 2. स्व-अभिविन्यास बनाम सार्वभौमिकता (Self-Orientation vs. Collectivity-Orientation), 3. सार्वभौमिकता बनाम विशिष्टता (Universalism vs. Particularism), 4. प्रसार बनाम विशिष्टता (Diffuseness vs. Specificity), और 5. गुणवत्ता बनाम प्रदत्तता (Quality vs. Performance)। वे विभिन्न प्रकार की सामाजिक व्यवस्थाओं को समझने में मदद करते हैं।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-Range Theories) और ‘प्रकट एवं अप्रकट कार्य’ (Manifest and Latent Functions) जैसी अवधारणाएँ दीं। सी. राइट मिल्स ने ‘सामाजिक विज्ञान की कल्पना’ (Sociological Imagination) पर काम किया। रॉबर्ट रेडफील्ड ने लोक संस्कृति (Folk Culture) का अध्ययन किया।
प्रश्न 15: ‘एकीकरण’ (Integration) की अवधारणा को सामाजिक व्यवस्था के अध्ययन में किसने महत्वपूर्ण माना?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- सिगमंड फ्रायड
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम के लिए सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में ‘एकीकरण’ एक केंद्रीय अवधारणा थी। उन्होंने विभिन्न प्रकार के समाज (जैसे यांत्रिक और सामंजस्यपूर्ण एकता) में सामाजिक एकजुटता के स्रोतों का विश्लेषण किया।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘सांझा चेतना’ (Collective Consciousness) और सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) को समाज को एक साथ बांधने वाले गोंद के रूप में देखा। उन्होंने श्रम विभाजन को भी सामाजिक एकता को बढ़ावा देने वाले कारक के रूप में विश्लेषित किया, खासकर आधुनिक समाजों में।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने सामाजिक व्यवस्था को ‘संघर्ष’ (Conflict) के माध्यम से समझा। मैक्स वेबर ने ‘शक्ति’ (Power) और ‘सत्ता’ (Authority) पर जोर दिया। सिगमंड फ्रायड मनोविज्ञान से संबंधित हैं, समाजशास्त्र से नहीं।
प्रश्न 16: ‘नारीवाद’ (Feminism) के किस चरण में महिलाओं के मताधिकार (Suffrage) की मांग प्रमुख थी?
- प्रथम तरंग (First Wave)
- द्वितीय तरंग (Second Wave)
- तृतीय तरंग (Third Wave)
- चतुर्थ तरंग (Fourth Wave)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: नारीवाद की प्रथम तरंग, जो मुख्य रूप से 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में सक्रिय थी, महिलाओं के कानूनी और राजनीतिक अधिकारों, विशेषकर मताधिकार (Suffrage) प्राप्त करने पर केंद्रित थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस चरण में महिलाओं ने वोट देने का अधिकार, संपत्ति रखने का अधिकार, और शिक्षा तथा रोजगार के समान अवसर प्राप्त करने के लिए आंदोलन किए।
- गलत विकल्प: द्वितीय तरंग (1960s-1980s) लैंगिक समानता, यौन क्रांति, कार्यस्थल और प्रजनन अधिकारों पर केंद्रित थी। तृतीय तरंग (1990s) व्यक्तिगत पहचान, विविधता और इंटरसेक्शनैलिटी (Intersectionality) पर अधिक जोर देती है। चतुर्थ तरंग (2010s-वर्तमान) ऑनलाइन सक्रियता, #MeToo आंदोलन और माइक्रो-पॉवर संरचनाओं पर केंद्रित है।
प्रश्न 17: सामाजिक अनुसंधान में ‘गुणात्मक उपागम’ (Qualitative Approach) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- मात्रात्मक आँकड़ों का संग्रह
- घटनाओं के पीछे के अर्थ, व्याख्या और अनुभव को समझना
- परिकल्पनाओं का सांख्यिकीय परीक्षण
- सामान्यीकरण (Generalization) के लिए व्यापक नमूना लेना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: गुणात्मक उपागम का मुख्य उद्देश्य किसी सामाजिक घटना की गहराई में जाकर उसके पीछे छिपे अर्थों, व्यक्तियों के अनुभवों, भावनाओं और व्याख्याओं को समझना है। इसमें अवलोकन, साक्षात्कार, केस स्टडी जैसी विधियों का प्रयोग होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह उपागम ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करता है, न कि केवल ‘कितना’ का। यह अक्सर नई परिकल्पनाओं को विकसित करने के लिए उपयोगी होता है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) सभी मात्रात्मक उपागम (Quantitative Approach) की विशेषताएं हैं, जो संख्यात्मक डेटा, सांख्यिकीय विश्लेषण और व्यापक सामान्यीकरण पर केंद्रित होती हैं।
प्रश्न 18: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) का अर्थ क्या है?
- किसी व्यक्ति के पास मौजूद वित्तीय संपत्ति
- किसी व्यक्ति के सामाजिक संबंधों और नेटवर्क से प्राप्त लाभ
- किसी व्यक्ति की शिक्षा और कौशल
- समाज का भौतिक अवसंरचना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी से तात्पर्य किसी व्यक्ति या समूह द्वारा अपने सामाजिक संबंधों, नेटवर्क, विश्वास और पारस्परिक सहयोग के माध्यम से प्राप्त किए जाने वाले लाभों से है। यह संसाधनों तक पहुँचने और लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होती है।
- संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा को विकसित किया। बॉर्डियू के अनुसार, सामाजिक पूंजी ‘सामाजिक संबंधों के समूह से जुड़ी हुई एक संपत्ति है जो व्यक्तिगत या सामूहिक हित को पूरा करने में सहायता करती है’।
- गलत विकल्प: (a) वित्तीय पूंजी का हिस्सा है। (c) मानवीय पूंजी (Human Capital) से संबंधित है। (d) भौतिक अवसंरचना है।
प्रश्न 19: ‘संस्था’ (Institution) के निर्माण के लिए निम्नलिखित में से कौन सा तत्व अनिवार्य नहीं है?
- नियम और मानदंड
- स्थिरता और स्थायित्व
- सांस्कृतिक सामग्री
- व्यक्तिगत विश्वास
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एक सामाजिक संस्था (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म) नियमों, मानदंडों, अपेक्षाओं और व्यवहार के पैटर्न का एक अपेक्षाकृत स्थायी और स्थापित पैटर्न है जो समाज में कुछ विशिष्ट कार्यों को पूरा करता है। व्यक्तिगत विश्वास महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन वे संस्था के निर्माण के लिए संस्थागत नियमों और व्यवहार के पैटर्न जितने अनिवार्य नहीं होते। संस्थाएँ सामाजिक संरचनाओं के रूप में व्यक्तिगत विश्वासों से परे होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संस्थाएँ समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित होती हैं और उनमें एक निश्चित संरचना और कार्यप्रणाली होती है। उदाहरण के लिए, विवाह एक संस्था है जिसके अपने नियम और कार्य हैं।
- गलत विकल्प: नियम और मानदंड (a), स्थिरता और स्थायित्व (b), और सांस्कृतिक सामग्री (c) (जिसमें मूल्य, प्रतीक आदि शामिल हैं) किसी भी संस्था के निर्माण के लिए आवश्यक तत्व हैं। व्यक्तिगत विश्वास (d) सहायक हो सकते हैं, लेकिन संस्था का सार सामूहिक और स्थापित संरचनाओं में निहित है।
प्रश्न 20: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) सिद्धांत के अनुसार, पारंपरिक समाजों में परिवर्तन का मुख्य कारण क्या होता है?
- धार्मिक अंधविश्वास
- तकनीकी प्रगति और पश्चिमीकरण
- पिछड़ी अर्थव्यवस्था
- जनसंख्या विस्फोट
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आधुनिकीकरण सिद्धांत मानता है कि पारंपरिक समाजों में परिवर्तन मुख्य रूप से बाहरी प्रभावों, विशेष रूप से पश्चिमी देशों से आने वाली तकनीकी प्रगति, आर्थिक विकास, संस्थागत सुधारों और सांस्कृतिक मूल्यों (पश्चिमीकरण) के कारण होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत औद्योगिक क्रांति के बाद पश्चिमी समाजों के विकास से प्रेरित था और इसका मानना था कि अन्य समाज भी इसी मार्ग का अनुसरण करके ‘आधुनिक’ बन सकते हैं। यह अक्सर एक रेखीय (linear) विकास प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: धार्मिक अंधविश्वास (a), पिछड़ी अर्थव्यवस्था (c) और जनसंख्या विस्फोट (d) को अक्सर आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में बाधाओं के रूप में देखा जाता है, न कि परिवर्तन के मुख्य कारणों के रूप में।
प्रश्न 21: ‘संज्ञानात्मक असंगति’ (Cognitive Dissonance) की अवधारणा, जो एक व्यक्ति की मान्यताओं और व्यवहारों के बीच तनाव को संदर्भित करती है, किसने प्रस्तुत की?
- लियोन फेस्टिंगर
- अल्बर्ट बंडुरा
- स्टैनफोर्ड मिलग्राम
- फिलिप ज़िम्बार्डो
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: लियोन फेस्टिंगर (Leon Festinger) ने 1957 में ‘संज्ञानात्मक असंगति’ की अवधारणा प्रस्तुत की। यह एक मनोवैज्ञानिक अवस्था है जहाँ एक व्यक्ति के पास दो या दो से अधिक परस्पर विरोधी विचार, विश्वास, मूल्य या व्यवहार होते हैं, जिससे बेचैनी होती है।
- संदर्भ और विस्तार: इस तनाव को कम करने के लिए, व्यक्ति या तो अपने व्यवहार को बदलता है, अपने विश्वासों को बदलता है, या असंगति के महत्व को कम करने का प्रयास करता है। यह सामाजिक मनोविज्ञान में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।
- गलत विकल्प: अल्बर्ट बंडुरा ने सामाजिक शिक्षण सिद्धांत (Social Learning Theory) और आत्म-प्रभावकारिता (Self-efficacy) पर काम किया। स्टैनफोर्ड मिलग्राम बिजली के झटके वाले प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं, और फिलिप ज़िम्बार्डो ने स्टैनफोर्ड जेल प्रयोग का नेतृत्व किया।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी भारत में ‘प्रजाति’ (Race) को समझने का एक पारंपरिक समाजशास्त्रीय आधार नहीं रहा है?
- भौगोलिक अलगाव
- शारीरिक विशेषताएँ (जैसे त्वचा का रंग, कद)
- सामाजिक-सांस्कृतिक अंतर
- आर्थिक स्थिति
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जबकि प्रजाति को अक्सर शारीरिक विशेषताओं (जैसे त्वचा का रंग) से जोड़ा जाता है, समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, ‘प्रजाति’ को मुख्य रूप से एक सामाजिक निर्माण (Social Construct) माना जाता है, जहाँ इन विशेषताओं को सामाजिक और सांस्कृतिक अर्थ दिए जाते हैं। पारंपरिक रूप से, भारत में प्रजाति को समझने के लिए भौगोलिक अलगाव और शारीरिक विशेषताओं पर विचार किया जाता रहा है। सामाजिक-सांस्कृतिक अंतर भी प्रजाति की पहचान को प्रभावित करते हैं। हालांकि, ‘आर्थिक स्थिति’ को सीधे तौर पर प्रजाति की पहचान का पारंपरिक आधार नहीं माना जाता है, बल्कि यह स्तरीकरण (Stratification) का एक प्रमुख कारक है जो प्रजातिगत श्रेणियों के साथ ओवरलैप हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिक समाजशास्त्र प्रजाति को एक जैविक यथार्थता के बजाय एक सामाजिक यथार्थता के रूप में देखता है, जो सामाजिक समूहों द्वारा अपनी पहचान और दूसरों की पहचान को वर्गीकृत करने के लिए निर्मित की जाती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) ऐसे कारक हैं जिनका उपयोग ऐतिहासिक रूप से या सामाजिक रूप से प्रजाति को परिभाषित करने या वर्गीकृत करने में किया गया है। (d) आर्थिक स्थिति मुख्य रूप से वर्ग (Class) या सामाजिक स्तरीकरण से संबंधित है, यद्यपि यह प्रजातिगत भेदभाव के साथ सह-संबंधित हो सकती है।
प्रश्न 23: ‘लोकतंत्र’ (Democracy) के संदर्भ में, ‘शक्ति के पिरामिड’ (Power Pyramid) की अवधारणा से कौन सा विचारक जुड़ा है?
- सी. राइट मिल्स
- गाएटाना मोस्का
- विल्फ्रेडो पारेतो
- रॉबर्ट मिचेल्स
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सी. राइट मिल्स (C. Wright Mills) ने अपनी पुस्तक “The Power Elite” (1956) में अमेरिकी समाज में ‘शक्ति के पिरामिड’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने तर्क दिया कि आधुनिक समाज में शक्ति कुछ अभिजात वर्ग (Elite) के हाथों में केंद्रित है, जिसमें प्रमुख कॉर्पोरेशन, सेना और संघीय सरकार के प्रमुख शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मिल्स ने दिखाया कि कैसे ये शक्तिशाली समूह निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं और सामान्य जनता से स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं, जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था की प्रकृति पर प्रश्न उठता है।
- गलत विकल्प: गाएटाना मोस्का और विल्फ्रेडो पारेतो ने ‘शासक वर्ग’ (Ruling Class) या ‘एलिट’ (Elite) के सिद्धांत विकसित किए, लेकिन मिल्स ने विशेष रूप से ‘पिरामिड’ संरचना पर जोर दिया। रॉबर्ट मिचेल्स ‘लौह विधान’ (Iron Law of Oligarchy) के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 24: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से तात्पर्य है:
- समाज में जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना
- किसी व्यक्ति या समूह का सामाजिक पदानुक्रम में एक स्तर से दूसरे स्तर पर जाना
- समाज में प्रचलित विभिन्न सामाजिक वर्गों की संख्या
- सामाजिक व्यवस्था में निरंतरता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता किसी व्यक्ति या समूह के सामाजिक स्थिति (जैसे आय, शिक्षा, व्यवसाय, या वर्ग) में समय के साथ होने वाले परिवर्तन को संदर्भित करती है, खासकर समाज के विभिन्न स्तरीकृत स्तरों के बीच।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility) शामिल है, जहाँ व्यक्ति अपने से ऊपर या नीचे के स्तर पर जाता है, और क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility), जहाँ व्यक्ति एक ही सामाजिक स्तर पर एक पद से दूसरे पद पर जाता है (जैसे एक कंपनी से दूसरी कंपनी में समान पद पर जाना)।
- गलत विकल्प: (a) प्रवासन (Migration) का वर्णन करता है। (c) सामाजिक संरचना से संबंधित है। (d) स्थिरता (Stability) को दर्शाता है।
प्रश्न 25: ‘कृषि समाज’ (Agrarian Society) की तुलना में ‘औद्योगिक समाज’ (Industrial Society) की मुख्य विशेषता क्या है?
- प्रकृति पर अत्यधिक निर्भरता
- औपचारिक शिक्षा का निम्न स्तर
- उच्च स्तर का औद्योगिकीकरण और शहरीकरण
- पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का प्रभुत्व
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: औद्योगिक समाज की मुख्य विशेषता उत्पादन की मशीनरी और तकनीक पर आधारित अत्यधिक औद्योगिकीकरण, बड़े पैमाने पर उत्पादन, और शहरी केंद्रों में बढ़ती आबादी का संकेंद्रण (शहरीकरण) है।
- संदर्भ और विस्तार: कृषि समाजों के विपरीत, जहाँ जीवन मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर होता है और सामाजिक संबंध अधिक स्थानीय और पारंपरिक होते हैं, औद्योगिक समाजों में अर्थव्यवस्था, परिवार, समुदाय और व्यक्ति के जीवन में मौलिक परिवर्तन आते हैं।
- गलत विकल्प: (a) कृषि समाजों की विशेषता है। (b) औद्योगिक समाजों में औपचारिक शिक्षा का स्तर उच्च होता है। (d) औद्योगिक समाजों में पारंपरिक संरचनाएं कमजोर पड़ती हैं और नई, अक्सर अधिक तर्कसंगत और औपचारिक संरचनाएं उभरती हैं।