प्रतियोगिता की राह में: समाजशास्त्र की दैनिक परीक्षा
साथियों, प्रतियोगिता की इस दौड़ में आगे बढ़ने के लिए निरंतर अभ्यास और अवधारणाओं की गहरी समझ अनिवार्य है। आज हम आपके लिए समाजशास्त्र के 25 महत्वपूर्ण प्रश्नों का एक विशेष संकलन लाए हैं। आइए, इन प्रश्नों के माध्यम से अपनी तैयारी को परखें और अपनी वैचारिक पकड़ को और मजबूत करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे समाजशास्त्रीय विश्लेषण का मुख्य आधार माना जाता है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी कृति ‘The Rules of Sociological Method’ में ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य वे तरीके हैं जो व्यक्ति पर बाहरी दबाव डालते हैं और समाज में सार्वभौमिक होते हैं, जैसे कि कानून, रीति-रिवाज, नैतिक नियम आदि।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने समाजशास्त्र को एक सकारात्मक विज्ञान के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया, जिसके लिए उन्होंने व्यक्ति से स्वतंत्र और बाह्य सामाजिक तथ्यों के अध्ययन पर बल दिया। ये तथ्य शिक्षा, सामाजिकरण, और संस्थाओं के माध्यम से व्यक्तियों में आत्मसात होते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक संरचनाओं पर था। मैक्स वेबर ने ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) यानी व्यक्तिपरक अर्थों की समझ पर बल दिया। जॉर्ज हर्बर्ट मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रवर्तक थे, जो व्यक्ति के आत्म और अंतःक्रिया पर केंद्रित है।
प्रश्न 2: ‘सत्यापना’ (Verstehen) की पद्धति किस समाजशास्त्री से सम्बंधित है, जो सामाजिक क्रियाओं के व्यक्तिपरक अर्थ को समझने पर बल देती है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- अगस्त कॉम्टे
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘सत्यापना’ (Verstehen) की अवधारणा दी, जिसका अर्थ है किसी सामाजिक क्रिया के पीछे व्यक्ति के इरादे, भावनाओं और अर्थों को समझना। यह व्यक्तिनिष्ठ व्याख्या पर आधारित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर का मानना था कि समाजशास्त्र को केवल बाहरी घटनाओं का अध्ययन नहीं करना चाहिए, बल्कि उन व्यक्तिपरक अर्थों को भी समझना चाहिए जिन्हें लोग अपने व्यवहार में डालते हैं। यह उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का मुख्य आधार है, जैसा कि उन्होंने ‘Economy and Society’ में बताया।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ऐतिहासिक भौतिकवाद के समर्थक थे। अगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने प्रत्यक्षवाद (Positivism) का प्रतिपादन किया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए ‘जैविक विकासवाद’ (Social Darwinism) के सिद्धांत का प्रयोग किया।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘एनामिक’ (Anomie) से सबसे घनिष्ठ रूप से जुड़ी है, जिसका अर्थ है सामाजिक नियमों का टूटना या कमजोर पड़ना?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- ताल्कोट पार्सन्स
- रॉबर्ट मैर्टन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘एनामिक’ (Anomie) की अवधारणा को विकसित किया। यह एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहाँ समाज के नैतिक नियम कमजोर पड़ जाते हैं या अनुपस्थित हो जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अव्यवस्था की भावना उत्पन्न होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘Suicide’ में एनोमिक आत्महत्या की व्याख्या की है, जो तब होती है जब व्यक्ति समाज के नियमों और अपेक्षाओं से खुद को अलग-थलग महसूस करता है, खासकर आर्थिक मंदी या अचानक समृद्धि के समय।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे। ताल्कोट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और एकीकरण के मॉडल विकसित किए। रॉबर्ट मैर्टन ने एनोमी को ‘सांस्कृतिक लक्ष्यों’ और ‘संस्थागत साधनों’ के बीच विसंगति के रूप में व्याख्यायित किया।
प्रश्न 4: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो यह बताती है कि समाज के गैर-भौतिक तत्व (जैसे मूल्य, आदर्श) भौतिक तत्वों (जैसे प्रौद्योगिकी) की तुलना में धीरे-धीरे बदलते हैं?
- विलियम ग्राहम समनर
- अल्बर्ट शेफर
- विलियम एफ. ओगबर्न
- चार्ल्स कूली
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम एफ. ओगबर्न ने 1922 में अपनी पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा का वर्णन किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: ओगबर्न के अनुसार, जब समाज में प्रौद्योगिकी या भौतिक संस्कृति में तेजी से बदलाव आता है, तो गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज) उस गति से तालमेल बिठाने में पिछड़ जाती है। इस अंतर या विलंब को ही सांस्कृतिक विलंब कहा जाता है।
- गलत विकल्प: विलियम ग्राहम समनर ‘फोल्क्सवेज़’ (Folkways) और ‘मोरेज़’ (Mores) जैसी अवधारणाओं के लिए जाने जाते हैं। अल्बर्ट शेफर ने सामाजिक संरचना और स्तरीकरण पर काम किया। चार्ल्स कूली ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की अवधारणा के लिए प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 5: निम्न में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण की वह अवधारणा है जिसमें व्यक्ति की सामाजिक स्थिति उसके जन्म पर आधारित होती है और इसमें गतिशीलता (mobility) अत्यंत सीमित होती है?
- वर्ग (Class)
- जाति (Caste)
- प्रस्थिति (Status)
- शक्ति (Power)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 6: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख विचारक कौन है, जिसने ‘आत्म’ (Self) के विकास को सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से समझाया?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- सी. राइट मिल्स
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख संस्थापक माना जाता है। उन्होंने बताया कि ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के द्वंद्व के माध्यम से और समाज के ‘अन्य’ (Generalized Other) की भूमिका को ग्रहण करके व्यक्ति अपने ‘आत्म’ (Self) का विकास करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मीड का कार्य, जिसे उनके छात्रों ने उनकी मृत्यु के बाद ‘Mind, Self, and Society’ में संकलित किया, यह दर्शाता है कि सामाजिक अनुभव व्यक्ति के आत्म-बोध और व्यक्तित्व को कैसे आकार देते हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर संरचनात्मक और व्याख्यात्मक समाजशास्त्र से जुड़े हैं। सी. राइट मिल्स ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) का सबसे उपयुक्त उदाहरण है?
- कार्यस्थल का सहकर्मी समूह
- विद्यालय का कक्षा समूह
- परिवार
- ऑनलाइन सोशल मीडिया समूह
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: परिवार को चार्ल्स कूली द्वारा परिभाषित ‘प्राथमिक समूह’ का सबसे उत्तम उदाहरण माना जाता है। प्राथमिक समूह वे होते हैं जहाँ सदस्यों के बीच घनिष्ठ, आमने-सामने की अंतःक्रिया, सहयोग और ‘हम’ की भावना होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: चार्ल्स कूली ने अपनी पुस्तक ‘Social Organization’ (1909) में प्राथमिक समूह की अवधारणा प्रस्तुत की। परिवार, बचपन के मित्र समूह और खेल समूह इसके मुख्य उदाहरण हैं, जो व्यक्ति के समाजीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- गलत विकल्प: कार्यस्थल के सहकर्मी, कक्षा समूह और ऑनलाइन समूह आमतौर पर द्वितीयक समूह (Secondary Groups) के उदाहरण हैं, जहाँ अंतःक्रियाएँ कम घनिष्ठ और अधिक उद्देश्य-उन्मुख होती हैं।
प्रश्न 8: ‘भारतीय समाजशास्त्र के जनक’ के रूप में किसे जाना जाता है?
- एम.एन. श्रीनिवास
- जी.एस. घुरिये
- इरावती कर्वे
- ए.आर. देसाई
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जी.एस. घुरिये को अक्सर भारतीय समाजशास्त्र का एक महत्वपूर्ण संस्थापक पिता माना जाता है, जिन्होंने भारतीय समाज, विशेषकर जाति, जनजाति और धर्म पर व्यापक कार्य किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: घुरिये ने जाति, ग्रामीण भारत, जनजातीय समुदायों पर अनेक पुस्तकें और लेख लिखे। उन्होंने ‘The Scheduled Tribes’ और ‘Caste and Race in India’ जैसी महत्वपूर्ण कृतियाँ दीं।
- गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस.कृतीकरण’ (Sanskritization) और ‘पश्चिम.करण’ (Westernization) जैसी अवधारणाएँ दीं और दक्षिण भारत पर काम किया। इरावती कर्वे ने नातेदारी (Kinship) और सांस्कृतिक मानवशास्त्र पर काम किया। ए.आर. देसाई मार्क्सवादी दृष्टिकोण से भारतीय समाज के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 9: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक विभेदन’ (Social Differentiation) और ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के बीच अंतर स्पष्ट किया?
- किंग्सले डेविस
- रॉबर्ट मैर्टन
- ताल्कोट पार्सन्स
- डेरेनडोर्फ
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ताल्कोट पार्सन्स ने सामाजिक विभेदन को समाज के विभिन्न भागों या कार्यों के विशेषज्ञता से जोड़ा, जबकि सामाजिक स्तरीकरण को इन भागों या पदों के मूल्यांकन और पदानुक्रम (hierarchy) से जोड़ा।
- संदर्भ एवं विस्तार: पार्सन्स के अनुसार, विभेदन आवश्यक है, लेकिन स्तरीकरण असमानता को जन्म देता है। उनका संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है जिसके विभिन्न अंग विशेष कार्य करते हैं।
- गलत विकल्प: किंग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर ने ‘कार्यात्मक सिद्धांत’ (Functional Theory of Stratification) प्रस्तुत किया। रॉबर्ट मैर्टन ने ‘मध्य-श्रेणी सिद्धांत’ (Middle-Range Theories) और ‘अनुकूलन’ (Modes of Adaptation) जैसी अवधारणाएं दीं। डेरेनडोर्फ संघर्ष सिद्धांत से जुड़े हैं।
प्रश्न 10: ‘ज्ञान का समाजशास्त्र’ (Sociology of Knowledge) के प्रवर्तक कौन माने जाते हैं, जिन्होंने विचारों के सामाजिक मूल पर प्रकाश डाला?
- ई. ई. दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मैनहेम
- एल्फ्रेड शुट्ज़
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मैनहेम को ‘ज्ञान के समाजशास्त्र’ का अग्रणी माना जाता है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘Ideology and Utopia’ में बताया कि किस प्रकार सामाजिक स्थिति और ऐतिहासिक संदर्भ व्यक्ति के ज्ञान और विचारों को प्रभावित करते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: मैनहेम ने ‘प्रतिबंधित बुद्धिजीवी’ (Free-floating intellectual) की अवधारणा भी दी, जो किसी विशेष सामाजिक समूह से बंधे न होकर समाज का अधिक वस्तुनिष्ठ विश्लेषण कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर समाजशास्त्र के क्लासिक विचारक हैं। एल्फ्रेड शुट्ज़ फेनोमेनोलॉजी (Phenomenology) से जुड़े हैं, जो चेतना के अध्ययन पर केंद्रित है।
प्रश्न 11: भारत में ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) की अवधारणा, विशेष रूप से राज्य के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किस सिद्धांतकार की अपेक्षाओं से भिन्न हो सकती है?
- एम. एन. श्रीनिवास
- टी. के. उमाशंकर राव
- असित सेन
- अश्लोक मेहता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम. एन. श्रीनिवास ने भारतीय संदर्भ में धर्म की भूमिका और ‘संस.कृतीकरण’ जैसी प्रक्रियाओं का अध्ययन किया। भारतीय धर्मनिरपेक्षता को अक्सर ‘सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान’ (Sarva Dharma Sama Bhava) के रूप में समझा जाता है, जो पश्चिमी ‘राज्य और धर्म का पूर्ण पृथक्करण’ (Strict Separation of Church and State) से भिन्न हो सकता है। श्रीनिवास के कार्य भारतीय समाज में धर्म की गहरी जड़ों को दर्शाते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: भारतीय धर्मनिरपेक्षता एक सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता है जहाँ राज्य सभी धर्मों को समान रूप से पोषित करता है, जबकि पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता में राज्य धर्म से पूर्णतः तटस्थ रहने का प्रयास करता है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प भारतीय समाजशास्त्र के प्रमुख विद्वान नहीं हैं या उनके कार्य सीधे तौर पर धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा के केंद्रीय विचारक के रूप में नहीं देखे जाते।
प्रश्न 12: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग के महत्व पर जोर देती है, मुख्य रूप से किस विचारक से जुड़ी है?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कॉल्मन
- रॉबर्ट पुटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी की अवधारणा का विकास पियरे बॉर्डियू, जेम्स कॉल्मन और रॉबर्ट पुटनम जैसे कई विद्वानों द्वारा किया गया है, जिन्होंने इसे विभिन्न पहलुओं से परिभाषित और विश्लेषित किया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: बॉर्डियू ने इसे संसाधनों के रूप में देखा जो सामाजिक संबंधों से प्राप्त होते हैं। कॉल्मन ने इसे ‘समुदायों में आपसी सहयोग की भावना’ से जोड़ा। पुटनम ने इसे ‘सामाजिक नेटवर्क, मानदंड और विश्वास’ के रूप में परिभाषित किया जो सामूहिक कार्रवाई को सुगम बनाते हैं।
- गलत विकल्प: यद्यपि तीनों विद्वानों ने इस अवधारणा में योगदान दिया है, सभी को शामिल करने वाला विकल्प सबसे सही है।
प्रश्न 13: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) सिद्धांत के अनुसार, पारंपरिक समाजों से आधुनिक समाजों की ओर परिवर्तन में कौन सी प्रक्रियाएं महत्वपूर्ण होती हैं?
- औद्योगीकरण और शहरीकरण
- धर्मनिरपेक्षीकरण और राष्ट्र-राज्य का उदय
- लोकतांत्रिकरण और व्यक्तिवाद का प्रसार
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आधुनिकीकरण सिद्धांत पारंपरिक समाजों के परिवर्तन को औद्योगिक, शहरी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और व्यक्तिवादी समाजों की ओर एक रैखिक प्रक्रिया के रूप में देखता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, आधुनिकीकरण में प्रौद्योगिकी का विकास, शिक्षा का प्रसार, आर्थिक विकास, राजनीतिक संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण और सामाजिक मूल्यों में बदलाव शामिल हैं।
- गलत विकल्प: ये सभी प्रक्रियाएँ आधुनिकीकरण सिद्धांत का हिस्सा हैं।
प्रश्न 14: ‘संस्थागत भ्रष्टाचार’ (Institutional Corruption) से क्या तात्पर्य है?
- व्यक्तिगत रिश्वतखोरी
- भ्रष्टाचार का नियम बन जाना और सामान्य हो जाना
- केवल राजनीतिक नेताओं द्वारा किया गया भ्रष्टाचार
- प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संस्थागत भ्रष्टाचार का अर्थ है जब भ्रष्टाचार किसी संस्था के कामकाज का एक सामान्य और स्वीकृत हिस्सा बन जाता है, जहाँ अनैतिक या अवैध प्रथाएं प्रणाली में गहराई से समाहित हो जाती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह व्यक्तिगत कदाचार से भिन्न है क्योंकि यह प्रणालीगत होता है और इसके लिए संस्थागत सुधारों की आवश्यकता होती है।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत रिश्वतखोरी या केवल राजनीतिक नेताओं का भ्रष्टाचार इसके हिस्से हो सकते हैं, लेकिन संस्थागत भ्रष्टाचार का अर्थ है कि यह नियम बन गया है। प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग भ्रष्टाचार का एक साधन हो सकता है, न कि स्वयं संस्थागत भ्रष्टाचार।
प्रश्न 15: ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा किसने दी, जो व्यक्तिगत समस्याओं को व्यापक सामाजिक संरचनाओं और ऐतिहासिक संदर्भों से जोड़ने की क्षमता का वर्णन करती है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- सी. राइट मिल्स
- इरविन गॉफमैन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सी. राइट मिल्स ने अपनी पुस्तक ‘The Sociological Imagination’ (1959) में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। यह व्यक्ति को अपनी निजी परेशानियों (जैसे बेरोजगारी) को समाज की सार्वजनिक संरचनाओं (जैसे आर्थिक मंदी) से जोड़कर समझने की क्षमता सिखाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मिल्स का मानना था कि समाजशास्त्रीय कल्पना व्यक्तियों को उनके निजी अनुभवों और बड़े सामाजिक, ऐतिहासिक ताने-बाने के बीच संबंधों को समझने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर क्लासिक समाजशास्त्री हैं। इरविन गॉफमैन ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) और ‘मुखौटा’ (Impression Management) जैसी अवधारणाओं के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 16: ‘समूह’ (Group) के सामाजिक संदर्भ में, ‘अंतःसमूह’ (In-group) और ‘बाह्यसमूह’ (Out-group) की अवधारणाएं समाजशास्त्रीय विश्लेषण में किसके द्वारा पेश की गईं?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- विलियम ग्राहम समनर
- सोरेन किर्केगार्ड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘Folkways’ (1906) में ‘अंतःसमूह’ (In-group) और ‘बाह्यसमूह’ (Out-group) की अवधारणाएं प्रस्तुत कीं। अंतःसमूह वह होता है जिससे व्यक्ति संबंधित होता है और जिसके प्रति वफादारी महसूस करता है, जबकि बाह्यसमूह वह होता है जिससे व्यक्ति स्वयं को अलग या विरोधी मानता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: समनर ने बताया कि अंतःसमूह के प्रति ‘हम’ की भावना और बाह्यसमूह के प्रति ‘वे’ की भावना सामाजिक एकजुटता और पूर्वाग्रहों को जन्म दे सकती है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर मुख्य रूप से समाज की संरचना और क्रियाओं के अध्ययन से जुड़े हैं। सोरेन किर्केगार्ड अस्तित्ववाद (Existentialism) से जुड़े हैं।
प्रश्न 17: भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ के संबंध में ‘पवित्रता-अपवित्रता’ (Purity-Pollution) का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया?
- एम.एन. श्रीनिवास
- जी.एस. घुरिये
- लुई डुमॉन्ड
- इरावती कर्वे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: लुई डुमॉन्ड ने अपनी पुस्तक ‘Homo Hierarchicus’ में भारतीय जाति व्यवस्था को ‘पवित्रता-अपवित्रता’ के विचार और उसे नियंत्रित करने वाले नियमों के आधार पर विश्लेषित किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: डुमॉन्ड के अनुसार, जाति व्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ कुछ जातियों को पवित्र और अन्य को अपवित्र माना जाता है, और यह पवित्रता-अपवित्रता का पदानुक्रम विवाह, भोजन और व्यवसाय जैसे सामाजिक व्यवहारों को नियंत्रित करता है।
- गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने संस्.कृतीकरण और पश्चिम.करण पर कार्य किया। जी.एस. घुरिये ने जाति पर व्यापक कार्य किया लेकिन डुमॉन्ड का ‘पवित्रता-अपवित्रता’ सिद्धांत उनकी विशेषता है। इरावती कर्वे ने नातेदारी पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
प्रश्न 18: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा के संदर्भ में, ‘नेटवर्क’ (Network) की भूमिका पर किसने विशेष जोर दिया?
- रॉबर्ट पुटनम
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कोलमैन
- हरबर्ट साइमन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पियरे बॉर्डियू ने सामाजिक पूंजी को ‘सामाजिक संबंधों के जाल’ (network of relationships) के रूप में परिभाषित किया, जिससे सदस्यों को ‘सामूहिक रूप से लाभ’ (collective as well as individual benefit) मिलता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: बॉर्डियू ने इसे पूंजी के एक रूप के रूप में देखा जो अन्य प्रकार की पूंजी (आर्थिक, सांस्कृतिक) के साथ मिलकर सामाजिक वर्ग की स्थिति बनाए रखने में मदद करता है।
- गलत विकल्प: पुटनम ने नागरिक जुड़ाव पर जोर दिया, कोलमैन ने इसका उपयोग सामाजिक संरचनाओं को समझने के लिए किया। हरबर्ट साइमन ‘सीमित तर्कसंगतता’ (Bounded Rationality) के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 19: ‘जातीयता’ (Ethnicity) और ‘राष्ट्रवाद’ (Nationalism) के बीच संबंध का अध्ययन करने वाले प्रमुख समाजशास्त्री कौन हैं?
- अर्नेस्ट गेलनर
- बेनेडिक्ट एंडरसन
- जॉन स्टुअर्ट मिल
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: अर्नेस्ट गेलनर (‘Nations and Nationalism’), बेनेडिक्ट एंडरसन (‘Imagined Communities’) और जॉन स्टुअर्ट मिल (अपने विचारों के साथ) सभी ने राष्ट्रवाद के निर्माण में जातीयता, संस्कृति और सामाजिक-राजनीतिक कारकों की भूमिका पर महत्वपूर्ण कार्य किया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: गेलनर ने औद्योगिकरण को राष्ट्रवाद के उदय का कारण बताया। एंडरसन ने राष्ट्र को ‘कल्पित समुदाय’ (Imagined Community) कहा, जिसके निर्माण में मुद्रण पूंजीवाद की भूमिका महत्वपूर्ण थी।
- गलत विकल्प: ये तीनों ही विचारक राष्ट्रवाद और जातीयता के अध्ययन से जुड़े हैं, इसलिए सभी सही हैं।
प्रश्न 20: ‘संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता’ (Structural-Functionalism) का संबंध निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से है?
- समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखना, जिसके विभिन्न भाग एक साथ काम करते हैं
- सामाजिक परिवर्तनों को संघर्ष और सत्ता के खेल के रूप में देखना
- सामाजिक व्यवहार को व्यक्ति की समझ और व्याख्या के रूप में देखना
- सामाजिक संरचना को व्यक्ति द्वारा निर्मित प्रतीकों के रूप में देखना
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता समाज को एक स्थिर प्रणाली के रूप में देखती है, जहाँ समाज के विभिन्न संस्थागत भाग (जैसे परिवार, शिक्षा, अर्थव्यवस्था) एक साथ मिलकर समाज की स्थिरता और एकीकरण को बनाए रखते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थकों में एमिल दुर्खीम, ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन और ताल्कोट पार्सन्स शामिल हैं। वे समाज के प्रत्येक भाग के ‘कार्य’ (Function) का अध्ययन करते हैं।
- गलत विकल्प: (b) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory), (c) व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) या प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism), और (d) स्वयं प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का वर्णन करते हैं।
प्रश्न 21: ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization) की प्रक्रिया, जो आधुनिक समाज की एक प्रमुख विशेषता है, किस समाजशास्त्री की देन है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- जॉर्ज सिमेल
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने तर्कसंगतता को आधुनिक समाज के उदय का केंद्रीय तत्व बताया। उन्होंने बताया कि कैसे औद्योगिक समाज में दक्षता, गणना और नियम-आधारित नौकरशाही (Bureaucracy) का प्रसार हुआ।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर के अनुसार, तर्कसंगतता ने ‘लोहे के पिंजरे’ (Iron Cage) का निर्माण किया, जहाँ मनुष्य दक्षता और नियंत्रण के साधनों में फंस जाता है और उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता या भावनाएं गौण हो जाती हैं। यह उनके ‘The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism’ और ‘Economy and Society’ जैसे कार्यों में स्पष्ट है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकता और एनोमी पर जोर दिया। मार्क्स ने पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष का विश्लेषण किया। जॉर्ज सिमेल ने आधुनिकता के मनोवैज्ञानिक प्रभावों पर काम किया।
- जी.एस. घुरिये
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- ए.एम. टट.का.
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) में ‘संस.कृतीकरण’ की अवधारणा को प्रस्तुत किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रक्रिया निम्न जातियों द्वारा सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर उच्च स्थिति प्राप्त करने का एक तरीका है। इसमें अक्सर ब्राह्मणों की जीवन शैली, पूजा पद्धतियों और रीति-रिवाजों को अपनाना शामिल होता है।
- गलत विकल्प: घुरिये और कर्वे अन्य महत्वपूर्ण भारतीय समाजशास्त्री हैं, लेकिन यह अवधारणा श्रीनिवास की विशिष्ट देन है। ए.एम. टट.का. का योगदान भी है, लेकिन श्रीनिवास को मुख्य प्रवर्तक माना जाता है।
- अनु.रूपता (Conformity)
- नवीनता (Innovation)
- अनुष्ठान.वाद (Ritualism)
- पलायन.वाद (Retreatism)
- सही उत्तर: रॉबर्ट मैर्टन ने अपने ‘विसंगति सिद्धांत’ (Strain Theory) में बताया कि जब सांस्कृतिक लक्ष्य (जैसे धन) और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के संस्थागत साधन (जैसे शिक्षा, रोजगार) के बीच अंतर होता है, तो व्यक्ति विभिन्न तरीकों से अनुकूलित होता है। उन्होंने चार प्रकार के विचलनवादी अनुकूलन बताए: नवीनता, अनुष्ठान.वाद, प्रत्यावर्तन (Rebellion) और पलायन.वाद। ‘अनु.रूपता’ स्वयं एक प्रकार का अनुकूलन है जिसमें व्यक्ति सांस्कृतिक लक्ष्यों और साधनों दोनों को स्वीकार करता है, न कि कोई विचलन।
- संदर्भ एवं विस्तार: मैर्टन ने स्पष्ट किया कि वि.चलन तब होता है जब व्यक्ति लक्ष्यों या साधनों के प्रति नकारात्मक रवैया अपनाता है। अनु.रूपता (Conformity) वह स्थिति है जहाँ व्यक्ति लक्ष्यों और साधनों दोनों को सकारात्मक रूप से स्वीकार करता है।
- गलत विकल्प: नवीनता (Innovation) का अर्थ है लक्ष्यों को स्वीकार करना लेकिन साधनों को अस्वीकार करना (जैसे चोर)। अनुष्ठान.वाद (Ritualism) का अर्थ है साधनों को स्वीकार करना लेकिन लक्ष्यों को अस्वीकार करना (जैसे नौकरशाह)। पलायन.वाद (Retreatism) का अर्थ है लक्ष्य और साधन दोनों को अस्वीकार करना (जैसे नशा.प.न).
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- सिगमंड फ्रायड
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज में श्रमिक द्वारा अनुभव की जाने वाली अना.मीयता (Alienation) का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि कैसे पूंजीवाद श्रमिक को उसके श्रम, उत्पादन, स्वयं के सार और अन्य मनुष्यों से अलग करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स के अनुसार, श्रमिक अपने श्रम के फल का स्वामी नहीं होता, वह उत्पादन प्रक्रिया पर नियंत्रण नहीं रखता, और उसका काम अक्सर नीरस और दोहराव वाला होता है, जिससे वह अपनी मानवीय क्षमता से कट जाता है।
- गलत विकल्प: वेबर ने तर्कसंगतता और नौकरशाही पर ध्यान केंद्रित किया। दुर्खीम ने एनोमी और सामाजिक एकता पर। फ्रायड एक मनोविश्लेषक थे और उनका ध्यान व्यक्तिगत मानस पर था।
- एम.एन. श्रीनिवास
- ए.आर. देसाई
- एस.सी. दुबे
- टी.बी. बॉटमोर
- सही उत्तर: एस.सी. दुबे (Surendra Nath Dubey) को उनके ‘मैन एन्ड हिज एनवायर्नमेंट’ (1963) जैसे अध्ययनों के लिए जाना जाता है, जो भारतीय ग्रामीण समुदायों के गहन समाजशास्त्रीय और मानवशास्त्रीय विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के शमीरपेट गाँव का अध्ययन किया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुबे ने अपने कार्यों में ग्रामीण भारत में सामाजिक परिवर्तन, विकास योजनाओं के प्रभाव और पारंपरिक जीवन शैली के अध्ययन पर प्रकाश डाला। ‘Indian Village’ (1955) भी उनकी एक प्रसिद्ध कृति है।
- गलत विकल्प: श्रीनिवास और देसाई भारतीय समाजशास्त्र के महत्वपूर्ण नाम हैं, लेकिन यह विशिष्ट कार्य दुबे से जुड़ा है। बॉटमोर एक ब्रिटिश समाजशास्त्री थे जिन्होंने सामाजिक स्तरीकरण पर कार्य किया।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 22: भारतीय संदर्भ में ‘संस.कृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किसने दी, जिसका अर्थ है निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाना?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 23: ‘अनु.रूपता’ (Conformity) और ‘वि.चलन’ (Deviance) के प्रति व्यक्ति के दृष्टिकोण का विश्लेषण करने वाले रॉबर्ट मैर्टन के ‘अनुकूलन के तरीके’ (Modes of Adaptation) में कौन सा एक शामिल नहीं है?
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 24: ‘अना.मीयता’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था के संदर्भ में, किस समाजशास्त्री के कार्य का एक केंद्रीय विषय है?
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 25: ‘सामुदायिक अन्वेषण’ (Community Study) के क्षेत्र में, ‘मैन एन्ड हिज एनवायर्नमेंट’ (Man and His Environment) नामक महत्वपूर्ण अध्ययन किसने किया, जो उत्तर प्रदेश के एक गाँव का विस्तृत समाजशास्त्रीय विश्लेषण प्रस्तुत करता है?
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण: