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समाजशास्त्र की दैनिक अभ्यासशाला: अपनी पकड़ मज़बूत करें!

समाजशास्त्र की दैनिक अभ्यासशाला: अपनी पकड़ मज़बूत करें!

तैयारी के इस सफर में, अपनी अवधारणाओं को परखना और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारना अत्यंत आवश्यक है। आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में, हम समाजशास्त्र के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं से 25 प्रश्न लेकर आए हैं। तो कमर कस लीजिए और ज्ञान की इस यात्रा पर निकल पड़िए!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सांकेतिक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख प्रतिपादक कौन है?

  1. ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
  2. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  3. एमिल दुर्खीम
  4. अगस्त कॉम्टे

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख विचारक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि व्यक्ति का ‘स्व’ (Self) सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से विकसित होता है, जिसमें प्रतीक (जैसे भाषा, हाव-भाव) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड के विचारों को उनके मरणोपरांत उनके छात्रों द्वारा ‘माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी’ (Mind, Self, and Society) नामक पुस्तक में संकलित किया गया। वे समाज को व्यक्तियों के बीच निरंतर चलने वाली अर्थपूर्ण अंतःक्रियाओं का परिणाम मानते थे।
  • गलत विकल्प: ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक प्रकार्यवाद से जुड़े थे। एमिल दुर्खीम को प्रकार्यवाद और सामाजिक यथार्थवाद का जनक माना जाता है। अगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का पिता कहा जाता है और वे प्रत्यक्षवाद से जुड़े थे।

प्रश्न 2: मैक्स वेबर के अनुसार, समाज में सत्ता (Authority) के कितने प्रकार मान्य हैं?

  1. दो
  2. तीन
  3. चार
  4. पाँच

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श-प्रकार (Ideal Types) बताए हैं: 1. पारंपरिक सत्ता (Traditional Authority), 2. करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority), और 3. तार्किक-वैधानिक सत्ता (Legal-Rational Authority)।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने इन प्रकारों का वर्णन अपनी प्रसिद्ध कृति ‘इकॉनमी एंड सोसाइटी’ (Economy and Society) में किया है। उन्होंने यह भी बताया कि आधुनिक समाजों में तार्किक-वैधानिक सत्ता का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है।
  • गलत विकल्प: वेबर ने सत्ता के केवल तीन मुख्य प्रकारों की चर्चा की है, अन्य संख्याएं उनके वर्गीकरण से मेल नहीं खाती हैं।

प्रश्न 3: भारतीय समाज में ‘श्रीनिवास’ द्वारा प्रस्तावित ‘संस्कृति-करण’ (Sanskritization) का क्या अर्थ है?

  1. पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
  2. उच्च जाति की प्रथाओं, अनुष्ठानों और मान्यताओं को निम्न जाति द्वारा अपनाना
  3. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
  4. शहरी जीवन शैली का अनुकरण

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृति-करण’ की अवधारणा दी, जिसका अर्थ है कि निम्न जातियों या जनजातियों द्वारा उच्च जातियों की जीवन शैली, अनुष्ठानों, पूजा पद्धतियों और सामाजिक व्यवहारों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाने का प्रयास।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा पहली बार श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की गई थी। यह सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है, विशेषकर सांस्कृतिक स्तर पर।
  • गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ पश्चिमी संस्कृति से संबंधित है। ‘आधुनिकीकरण’ एक व्यापक प्रक्रिया है। ‘शहरी जीवन शैली का अनुकरण’ शहरीकरण का हिस्सा है, न कि संस्कृति-करण का।

प्रश्न 4: दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

  1. जब समाज में बहुत अधिक सामाजिक नियंत्रण होता है
  2. जब सामाजिक मानदंडों और मूल्यों में विघटन होता है
  3. जब आर्थिक असमानता बहुत कम होती है
  4. जब व्यक्ति पूरी तरह से समाज से अलग-थलग महसूस करता है

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ को एक ऐसी सामाजिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया है जहाँ समाज में कोई स्पष्ट नियम या नैतिक दिशा-निर्देश नहीं होते, या वे तेजी से बदल रहे होते हैं, जिससे व्यक्तियों को अपनी भूमिकाओं और व्यवहारों के संबंध में अनिश्चितता का अनुभव होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की ‘आत्महत्या’ (Suicide) पुस्तक में विशेष रूप से वर्णित है, जहाँ वे बताते हैं कि एनोमी से उत्पन्न तनाव आत्महत्या दर में वृद्धि कर सकता है। यह विशेष रूप से सामाजिक या आर्थिक परिवर्तनों के दौर में उत्पन्न होती है।
  • गलत विकल्प: अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण ‘अति-नियंत्रण’ (Over-socialization) की स्थिति हो सकती है, एनोमी नहीं। कम आर्थिक असमानता या अलगाव एनोमी के कारण हो सकते हैं, लेकिन एनोमी का मूल कारण मानदंडों में विघटन है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्र की एक अनुसंधान विधि नहीं है?

  1. प्रत्यक्ष अवलोकन (Direct Observation)
  2. साक्षात्कार (Interview)
  3. प्रयोग (Experimentation)
  4. मनोवैज्ञानिक विश्लेषण (Psychological Analysis)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मनोवैज्ञानिक विश्लेषण मुख्य रूप से मनोविज्ञान का अध्ययन क्षेत्र है। समाजशास्त्र सामाजिक घटनाओं का अध्ययन करता है, जिसके लिए वह प्रत्यक्ष अवलोकन, साक्षात्कार, प्रश्नावली, सर्वेक्षण, सहभागी अवलोकन, केस स्टडी आदि विधियों का उपयोग करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र में अनुसंधान का उद्देश्य सामाजिक संरचनाओं, अंतःक्रियाओं और व्यवहारों को समझना होता है, न कि व्यक्ति के आंतरिक मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं का गहराई से विश्लेषण करना, हालांकि सामाजिक व्यवहार को समझने के लिए कुछ मनोवैज्ञानिक अंतर्दृष्टि सहायक हो सकती है।
  • गलत विकल्प: प्रत्यक्ष अवलोकन, साक्षात्कार और प्रयोग तीनों ही समाजशास्त्र में प्रयुक्त होने वाली मान्य अनुसंधान विधियाँ हैं, जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार के सामाजिक डेटा एकत्र करने और विश्लेषण करने के लिए किया जाता है।

  • प्रश्न 6: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूँजीवादी समाज में मुख्य सामाजिक वर्ग कौन से हैं?

    1. बुर्जुआ और सर्वहारा
    2. स्वामी और दास
    3. सामंत और किसान
    4. शिक्षक और छात्र

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज को मुख्य रूप से दो विरोधी वर्गों में विभाजित किया: बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग, जो उत्पादन के साधनों का मालिक होता है) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग, जो अपनी श्रम शक्ति बेचता है)।
    • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स की केंद्रीयTheor y वर्ग संघर्ष (Class Struggle) पर आधारित है, जो इन दो वर्गों के बीच उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण को लेकर होता है। यह विचार उनकी प्रसिद्ध कृति ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) और ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ (The Communist Manifesto) में प्रमुखता से मिलता है।
    • गलत विकल्प: स्वामी और दास (दासता व्यवस्था) और सामंत और किसान (सामंतवाद) व्यवस्थाएं मार्क्स द्वारा वर्णित पूंजीवाद से पूर्व के समाजों के वर्ग विभाजन हैं। शिक्षक और छात्र समाज का एक हिस्सा हैं, न कि मार्क्स द्वारा परिभाषित प्रमुख आर्थिक वर्ग।

    प्रश्न 7: ‘प्रतीक’ (Symbols) का महत्व किस समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में केंद्रीय है?

    1. संरचनात्मक प्रकार्यवाद
    2. संघर्ष सिद्धांत
    3. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
    4. ज्ञानमीमांसा (Epistemology)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसमें जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर जैसे विचारक शामिल हैं, इस बात पर जोर देता है कि मनुष्य प्रतीकों के माध्यम से संवाद करते हैं और अपने सामाजिक यथार्थ का निर्माण करते हैं। प्रतीक (जैसे भाषा, हाव-भाव) ही सामाजिक अंतःक्रिया का आधार बनते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: इस परिप्रेक्ष्य के अनुसार, व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं और स्वयं की समझ को विकसित करने के लिए प्रतीकों का उपयोग करते हैं। समाज इन प्रतीकों के माध्यम से ही अर्थपूर्ण ढंग से संचालित होता है।
    • गलत विकल्प: संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को एक एकीकृत प्रणाली के रूप में देखता है। संघर्ष सिद्धांत शक्ति और असमानता पर केंद्रित है। ज्ञानमीमांसा ज्ञान की प्रकृति और उसके स्रोतों का अध्ययन करती है, न कि प्रतीकों के सामाजिक महत्व का।

    प्रश्न 8: परिवार के निम्नलिखित प्रकारों में से कौन सा ‘पैट्रिलीनियल’ (Patrilineal) वंश व्यवस्था से संबंधित है?

    1. मातृवंशीय (Matrilineal)
    2. पितृवंशीय (Patrilineal)
    3. द्वि-रेखात्मक (Bilateral)
    4. संयुक्त परिवार (Joint Family)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: ‘पितृवंशीय’ (Patrilineal) वंश व्यवस्था वह है जिसमें वंश, संपत्ति और उत्तराधिकार पिता के माध्यम से पुरुषों की रेखा में चलता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, मातृवंशीय (Matrilineal) व्यवस्था में वंश माँ के माध्यम से चलता है। द्वि-रेखात्मक व्यवस्था में माँ और पिता दोनों के वंश को समान महत्व दिया जाता है। संयुक्त परिवार एक परिवार की संरचना है, न कि वंश व्यवस्था का प्रकार।
    • गलत विकल्प: मातृवंशीय (Matrilineal) और द्वि-रेखात्मक (Bilateral) वंश व्यवस्थाएं पितृवंशीय से भिन्न हैं। संयुक्त परिवार परिवार का एक स्वरूप है, जो पितृवंशीय या मातृवंशीय हो सकता है।

    प्रश्न 9: किस समाजशास्त्री ने ‘तार्किक-साक्ष्य’ (Rational-Empirical) दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए सामाजिक व्यवस्था को समझने के लिए ‘तर्कसंगतता’ (Rationality) को केंद्रीय माना?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. कार्ल मार्क्स
    3. मैक्स वेबर
    4. इमाइल ड्युबोइस (W.E.B. Du Bois)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने अपनी समाजशास्त्रीय विश्लेषण में ‘तर्कसंगतता’ (Rationality) को आधुनिक समाजों के विकास और संरचना की केंद्रीय धुरी माना। उन्होंने तर्कसंगतता के विभिन्न रूपों, जैसे नौकरशाही और पूंजीवाद, का विस्तार से वर्णन किया।
    • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि जैसे-जैसे समाज ‘तर्कसंगत’ होता है, वह अधिक कुशल और अनुमानित बन जाता है, लेकिन साथ ही उसमें ‘लौह पिंजरा’ (Iron Cage) का खतरा भी बढ़ जाता है, जहाँ मानव स्वतंत्रता सीमित हो जाती है।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और सामूहिक चेतना पर जोर दिया। मार्क्स ने वर्ग संघर्ष को केंद्रीय माना। ड्युबोइस ने नस्ल और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।

    प्रश्न 10: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा सिद्धांत सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है?

    1. मार्क्सवादी सिद्धांत
    2. संघर्ष सिद्धांत
    3. प्रकार्यवाद
    4. कोई भी नहीं

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: मार्क्सवादी सिद्धांत, जो वर्ग और शोषण पर केंद्रित है, अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक गतिशीलता (विशेषकर ऊर्ध्वगामी गतिशीलता) की कमी और पूंजीवादी व्यवस्था में वर्ग के प्रभुत्व की बात करता है। हालाँकि, जब मार्क्स क्रांति की बात करते हैं, तो वह समाज को बदलने और निम्न वर्ग को ऊपर उठाने की संभावना को भी इंगित करते हैं। आधुनिक मार्क्सवादी विचारक इस पर अधिक बल देते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: हालाँकि यह सिद्धांत सीधे तौर पर ‘गतिशीलता’ का अध्ययन नहीं करता, बल्कि यह बताता है कि कैसे उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सामाजिक स्थिति को निर्धारित करता है और यह स्थिति अक्सर स्थिर रहती है। अन्य सिद्धांत जैसे ‘प्रकार्यवाद’ (जैसे डेविस और मूर) स्तरीकरण को कार्य के लिए आवश्यक मानते हैं और इसमें गतिशीलता की भी बात करते हैं, लेकिन मार्क्सवादी दृष्टिकोण सामाजिक-आर्थिक संरचना में अंतर्निहित बाधाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।
    • गलत विकल्प: जबकि संघर्ष सिद्धांत भी गतिशीलता की बात करता है, मार्क्सवादी सिद्धांत वर्ग संरचना के कारण सामाजिक गतिशीलता की सीमाओं को सबसे स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है। प्रकार्यवाद स्तरीकरण को कार्य के लिए आवश्यक मानता है और उसमें गतिशीलता की संभावना को स्वीकार करता है।

    प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन भारत में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) का एक प्रमुख लक्षण नहीं है?

    1. अंतर्विवाह (Endogamy)
    2. जन्म आधारित सदस्यता (Birth-based membership)
    3. व्यवसायिक विशिष्टता (Occupational specialization)
    4. खुला सामाजिक स्तरीकरण (Open social stratification)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: जाति व्यवस्था एक ‘बंद’ (Closed) सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति की स्थिति जन्म से निर्धारित होती है और उसमें परिवर्तन की संभावना बहुत कम होती है। ‘खुला सामाजिक स्तरीकरण’ वर्ग व्यवस्था की विशेषता है, जहाँ गतिशीलता संभव है।
    • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था में अंतर्विवाह (अपनी जाति के भीतर विवाह), जन्म आधारित सदस्यता, पेशागत विभाजन (यद्यपि यह अब शिथिल हो रहा है), और खान-पान संबंधी प्रतिबंध जैसे लक्षण प्रमुख हैं।
    • गलत विकल्प: अंतर्विवाह, जन्म आधारित सदस्यता और व्यवसायिक विशिष्टता (एक हद तक) जाति व्यवस्था के मान्य लक्षण हैं।

    प्रश्न 12: ‘साहित्यिक अनुसंधान’ (Ethnography) में, समाजशास्त्रीय अध्ययन की कौन सी विधि सबसे अधिक उपयोग की जाती है?

    1. सर्वेक्षण (Survey)
    2. प्रश्नावली (Questionnaire)
    3. सहभागी अवलोकन (Participant Observation)
    4. सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: ‘साहित्यिक अनुसंधान’ (Ethnography) एक ऐसी अनुसंधान पद्धति है जिसमें शोधकर्ता किसी विशेष सांस्कृतिक समूह या समुदाय में लंबे समय तक रहकर, उनके दैनिक जीवन, रीति-रिवाजों और सामाजिक अंतःक्रियाओं का गहराई से अध्ययन करता है, अक्सर ‘सहभागी अवलोकन’ विधि का उपयोग करके।
    • संदर्भ और विस्तार: इस विधि में शोधकर्ता समूह का सदस्य बनकर या उनके साथ रहकर उनकी संस्कृति और व्यवहार को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करता है। यह गुणात्मक अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
    • गलत विकल्प: सर्वेक्षण, प्रश्नावली और सांख्यिकीय विश्लेषण मुख्य रूप से मात्रात्मक (Quantitative) विधियाँ हैं, जो बड़े पैमाने पर डेटा एकत्र करने के लिए उपयोगी हैं, लेकिन एथनोग्राफी की गहराई के लिए सहभागी अवलोकन अधिक उपयुक्त है।

    प्रश्न 13: निम्नांकित में से कौन सा समाजशास्त्र का ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) का एक प्रमुख विचारक नहीं है?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. टी. पार्सन्स
    3. आर. के. मर्टन
    4. सी. राइट मिल्स

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सी. राइट मिल्स को ‘नव-मार्क्सवादी’ या ‘संज्ञानात्मक समाजशास्त्र’ (Critical Sociology) के प्रमुख विचारकों में गिना जाता है। वे समाजशास्त्रीय कल्पना (Sociological Imagination) की अवधारणा के लिए जाने जाते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम, टैलकोट पार्सन्स और रॉबर्ट के. मर्टन संरचनात्मक प्रकारवाद के प्रमुख प्रस्तावक हैं। दुर्खीम ने समाज को एक शरीर के समान देखा जिसके विभिन्न अंग (संस्थाएं) एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। पार्सन्स ने AGIL मॉडल प्रस्तुत किया, जबकि मर्टन ने ‘कार्य’ (Function) के प्रकारों (जैसे प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष, कुकार्य) को स्पष्ट किया।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम, पार्सन्स और मर्टन सभी संरचनात्मक प्रकार्यवाद से जुड़े हैं।

    प्रश्न 14: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा किसने विकसित की?

    1. पियरे बॉर्डियु (Pierre Bourdieu)
    2. कार्ल मार्क्स
    3. मैक्स वेबर
    4. इमाइल दुर्खीम

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: पियरे बॉर्डियु, एक फ्रांसीसी समाजशास्त्री, ने ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा को विकसित किया। यह अवधारणा सामाजिक संबंधों के नेटवर्क, विश्वास और आपसी सहयोग पर आधारित होती है, जो व्यक्तियों या समूहों को लाभ पहुंचाती है।
    • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियु ने इसे ‘पूंजी’ (Capital) के अन्य रूपों (जैसे आर्थिक पूंजी, सांस्कृतिक पूंजी) के साथ जोड़ा और बताया कि कैसे ये विभिन्न प्रकार की पूंजी सामाजिक असमानता में भूमिका निभाती है।
    • गलत विकल्प: मार्क्स, वेबर और दुर्खीम समाजशास्त्र के संस्थापक पिता हैं, लेकिन सामाजिक पूंजी की अवधारणा बॉर्डियु से विशेष रूप से जुड़ी है।

    प्रश्न 15: ‘उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण’ (LPG) की नीतियों का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ा है?

    1. जाति व्यवस्था का और सुदृढ़ीकरण
    2. पारंपरिक मूल्यों में गिरावट
    3. असमानता में वृद्धि
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: 1991 के बाद भारत में लागू की गई LPG नीतियों ने भारतीय समाज के लगभग हर पहलू को प्रभावित किया है। इन नीतियों के कारण आर्थिक असमानता बढ़ी है, उपभोगतावादी संस्कृति के प्रसार से पारंपरिक मूल्यों में परिवर्तन आया है, और कुछ हद तक जाति आधारित व्यावसायिक संरचनाओं को चुनौती मिली है, लेकिन साथ ही इसने विभिन्न समाजों को जोड़ा भी है। इन सभी का मिलाजुला प्रभाव देखा गया है।
    • संदर्भ और विस्तार: वैश्वीकरण ने विभिन्न संस्कृतियों के संपर्क को बढ़ाया है, जिसने पारंपरिक रीति-रिवाजों और मूल्यों को बदला है। आर्थिक उदारीकरण ने धन के असमान वितरण को बढ़ावा दिया है, जिससे सामाजिक असमानता बढ़ी है।
    • गलत विकल्प: ये सभी प्रभाव (या इनके विभिन्न रूप) LPG नीतियों के परिणाम के रूप में देखे जा सकते हैं।

    प्रश्न 16: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) के अनौपचारिक साधनों में किसे शामिल किया जाता है?

    1. कानून और पुलिस
    2. न्यायालय और जेल
    3. परंपराएँ, रूढ़ियाँ और जनमत
    4. सरकारी नीतियाँ

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सामाजिक नियंत्रण वे प्रक्रियाएं हैं जिनके द्वारा समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करता है। अनौपचारिक साधनों में वे तरीके शामिल हैं जो लोगों के व्यक्तिगत व्यवहार और सामाजिक मानदंडों के माध्यम से काम करते हैं, जैसे कि परिवार, पड़ोस, धर्म, रूढ़ियाँ, जनमत, रीति-रिवाज आदि।
    • संदर्भ और विस्तार: औपचारिक सामाजिक नियंत्रण में राज्य द्वारा लागू किए गए नियम, कानून, पुलिस, अदालतें और अन्य संस्थाएं शामिल होती हैं। परंपराएँ और जनमत व्यक्तियों को सामाजिक रूप से स्वीकार्य व्यवहार करने के लिए प्रेरित करते हैं।
    • गलत विकल्प: कानून, पुलिस, न्यायालय और सरकारी नीतियाँ सामाजिक नियंत्रण के औपचारिक साधन हैं।

    प्रश्न 17: ‘सामाजिक विघटन’ (Social Disorganization) का सिद्धांत मुख्य रूप से किस सामाजिक समस्या के अध्ययन से जुड़ा है?

    1. गरीबी
    2. अपराध
    3. शहरीकरण
    4. परिवार का विघटन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सामाजिक विघटन का सिद्धांत, विशेष रूप से शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों (जैसे थॉमस, ज़ेनांस्की, शॉ, मैके) द्वारा विकसित, अपराध और विचलन (Deviance) के अध्ययन से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह बताता है कि शहरी क्षेत्रों में सामाजिक नियंत्रण के कमजोर होने या सामुदायिक संरचना के टूटने से अपराध दर बढ़ जाती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि जब किसी समुदाय की सामाजिक संस्थाएं (जैसे परिवार, स्कूल, पड़ोस) कमजोर हो जाती हैं, तो यह सामाजिक विघटन की ओर ले जाता है, जिससे अनैतिकता और अपराध को बढ़ावा मिलता है।
    • गलत विकल्प: यद्यपि गरीबी, शहरीकरण और परिवार का विघटन सामाजिक विघटन के कारण हो सकते हैं या इससे जुड़े हो सकते हैं, लेकिन सिद्धांत का प्राथमिक ध्यान अपराध पर है।

    प्रश्न 18: ‘नारीवाद’ (Feminism) के विभिन्न चरणों में, ‘द्वितीय-तरंग नारीवाद’ (Second-Wave Feminism) मुख्य रूप से किस मुद्दे पर केंद्रित था?

    1. समान मतदान अधिकार
    2. महिलाओं की शिक्षा और रोजगार में समानता
    3. यौनिक समानता, कार्यस्थल और घरेलू हिंसा
    4. जेंडर पहचान और अधिक समावेशिता

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: द्वितीय-तरंग नारीवाद (लगभग 1960-1980 के दशक) ने लैंगिक असमानता के broader मुद्दों को उठाया, जिसमें कार्यस्थल, यौनिक अधिकार, घरेलू हिंसा, समानता और महिलाओं की सार्वजनिक और निजी भूमिकाओं में उनके उत्पीड़न को समाप्त करना शामिल था।
    • संदर्भ और विस्तार: प्रथम-तरंग नारीवाद मुख्य रूप से मताधिकार (वोट का अधिकार) पर केंद्रित था। तीसरी-तरंग नारीवाद (1990 के दशक के बाद) जेंडर पहचान, इंटरसेक्शनलिटी (Intersectionality) और अधिक सूक्ष्म मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • गलत विकल्प: समान मतदान अधिकार प्रथम-तरंग का मुद्दा था। जेंडर पहचान तीसरी-तरंग का प्रमुख विषय है। महिला शिक्षा और रोजगार महत्वपूर्ण थे, लेकिन द्वितीय-तरंग में व्यापक मुद्दे शामिल थे।

    प्रश्न 19: ‘पारसन्स’ के ‘AGIL’ मॉडल में ‘I’ (Integration) का क्या अर्थ है?

    1. अपने पर्यावरण से तालमेल
    2. व्यवस्था के विभिन्न भागों का समन्वय
    3. लक्ष्यों को प्राप्त करना
    4. व्यवस्था के लिए मूल्य और आदर्शों को बनाए रखना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: टैलकोट पार्सन्स के AGIL मॉडल में, ‘I’ का अर्थ ‘Integration’ (एकीकरण या समन्वय) है। यह व्यवस्था की क्षमता को संदर्भित करता है कि वह अपने विभिन्न उप-प्रणालियों या भागों को कैसे समन्वयित और एकीकृत करती है ताकि एक सुसंगत और स्थिर संपूर्ण बना रहे।
    • संदर्भ और विस्तार: AGIL का पूरा रूप है: A (Adaptation – अनुकूलन, पर्यावरण से सामंजस्य), G (Goal Attainment – लक्ष्य प्राप्ति), I (Integration – एकीकरण/समन्वय), और L (Latency/Pattern Maintenance – अव्यक्तता/पैटर्न रखरखाव, मूल्य और आदर्शों का निर्वाह)।
    • गलत विकल्प: ‘A’ अनुकूलन है, ‘G’ लक्ष्य प्राप्ति है, और ‘L’ मूल्य और आदर्शों से संबंधित है।

    प्रश्न 20: ‘महानSFSFGSDF’ (Merton’s Strain Theory) के अनुसार, व्यक्ति ‘भविष्यवाणी’ (Innovation) का रास्ता तब अपनाता है जब वह…

    1. सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों दोनों को अस्वीकार करता है।
    2. सांस्कृतिक लक्ष्यों को स्वीकार करता है लेकिन संस्थागत साधनों को अस्वीकार करता है।
    3. सांस्कृतिक लक्ष्यों को अस्वीकार करता है लेकिन संस्थागत साधनों को स्वीकार करता है।
    4. सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों दोनों को स्वीकार करता है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: रॉबर्ट के. मर्टन ने ‘तनाव सिद्धांत’ (Strain Theory) प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार जब समाज व्यक्तियों पर सांस्कृतिक लक्ष्य (जैसे धन, सफलता) प्राप्त करने का दबाव डालता है, लेकिन उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी को समान या वैध साधन (जैसे अच्छी शिक्षा, नौकरी) उपलब्ध नहीं कराता, तो तनाव उत्पन्न होता है। ‘भविष्यवाणी’ (Innovation) वह अनुकूलन है जहाँ व्यक्ति सांस्कृतिक लक्ष्य को तो स्वीकार करता है, लेकिन उसे प्राप्त करने के लिए अवैध या गैर-पारंपरिक साधनों का उपयोग करता है (जैसे धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार)।
    • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने विचलन (Deviance) को समझने के लिए पाँच प्रकार के अनुकूलन बताए: अनुरूपता (Conformity), नवीनता (Innovation), अनुष्ठानवाद (Ritualism), वापसीवाद (Retreatism), और विद्रोह (Rebellion)।
    • गलत विकल्प: (a) वापसीवाद (Retreatism) का उदाहरण है। (c) अनुष्ठानवाद (Ritualism) का उदाहरण है। (d) अनुरूपता (Conformity) का उदाहरण है।

    प्रश्न 21: भारत में ‘आदिवासी समाज’ (Tribal Society) के अध्ययन में ‘ल.के. अन्ना’ (L.K. Mahanta) का नाम किस अवधारणा से प्रमुखता से जुड़ा है?

    1. आदिवासी अलगाव
    2. आदिवासी विस्थापन
    3. आदिवासी पहचान
    4. आदिवासी विद्रोह

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: हालांकि यह प्रश्न थोड़ा विशिष्ट है और ‘L.K. Mahanta’ एक कम ज्ञात नाम हो सकता है, लेकिन आदिवासी समुदायों के अध्ययन में ‘विस्थापन’ (Displacement) एक प्रमुख मुद्दा रहा है, जिसे कई समाजशास्त्रियों ने उठाया है। यदि प्रश्न का संदर्भ एक काल्पनिक नाम के साथ है, तो यह संभावना है कि यह विस्थापन के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभावों पर केंद्रित होगा।
    • संदर्भ और विस्तार: विकास परियोजनाओं (जैसे बाँध, खदानें) के कारण बड़े पैमाने पर आदिवासी समुदायों को अपने पारंपरिक आवासों से विस्थापित होना पड़ा है, जिससे उनकी सामाजिक संरचना, संस्कृति और आजीविका पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
    • गलत विकल्प: आदिवासी अलगाव, पहचान और विद्रोह भी महत्वपूर्ण विषय हैं, लेकिन विस्थापन विकास और औद्योगीकरण के कारण एक प्रत्यक्ष और व्यापक सामाजिक-आर्थिक समस्या है। (कृपया ध्यान दें: दिए गए नाम के लिए सार्वजनिक रूप से अधिक जानकारी उपलब्ध न होने पर, यह उत्तर सामान्य आदिवासी अध्ययन के संदर्भ पर आधारित है।)

    प्रश्न 22: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) के संदर्भ में, ‘नेटवर्क’ (Networks) का क्या महत्व है?

    1. यह केवल अनौपचारिक संबंध बताता है।
    2. यह लोगों को संसाधनों और अवसरों तक पहुँच प्रदान करता है।
    3. यह व्यवस्था को कठोर बनाता है।
    4. यह सामाजिक गतिशीलता को असंभव बनाता है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सामाजिक पूंजी, जैसा कि बॉर्डियु और अन्य ने परिभाषित किया है, उन सामाजिक संबंधों के नेटवर्क को संदर्भित करता है जो व्यक्तियों या समूहों के लिए उपयोगी होते हैं। ये नेटवर्क जानकारी, समर्थन, अवसरों और अन्य संसाधनों तक पहुँच प्रदान करते हैं, जिससे उनकी स्थिति या क्षमताओं में वृद्धि होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: मजबूत सामाजिक नेटवर्क वाले लोग अक्सर नौकरी के अवसर, व्यावसायिक उन्नति, या सूचनाओं तक पहुँच जैसे लाभ प्राप्त करते हैं, जो आर्थिक या सांस्कृतिक पूंजी से अलग लेकिन पूरक होते हैं।
    • गलत विकल्प: सामाजिक पूंजी औपचारिक और अनौपचारिक दोनों संबंधों को शामिल कर सकती है। यह व्यवस्था को अधिक लचीला बना सकती है, न कि कठोर। यह सामाजिक गतिशीलता को सुगम बना सकती है, न कि असंभव।

    प्रश्न 23: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?

    1. विलियम एफ. ऑगबर्न (William F. Ogburn)
    2. इमाइल ड्युबोइस (W.E.B. Du Bois)
    3. हर्बर्ट स्पेंसर
    4. कालेडॉन (Calhoun)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: विलियम एफ. ऑगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा दी। यह अवधारणा बताती है कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, मशीनें) अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मान्यताएँ, कानून, नैतिकता, मूल्य) की तुलना में तेजी से बदलती है। इसके परिणामस्वरूप, समाज में समायोजन की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: ऑगबर्न ने अपनी पुस्तक ‘सोशल चेंज’ (Social Change) में इस विचार को प्रस्तुत किया। उदाहरण के लिए, कार का आविष्कार भौतिक संस्कृति का एक हिस्सा है, लेकिन उसके उपयोग से संबंधित यातायात नियम और ड्राइविंग की आदतें (अभौतिक संस्कृति) बनाने में समय लगता है।
    • गलत विकल्प: ड्युबोइस, स्पेंसर और कालेडॉन समाजशास्त्र के अन्य महत्वपूर्ण विचारक हैं, लेकिन सांस्कृतिक विलंब की अवधारणा ऑगबर्न से विशिष्ट रूप से जुड़ी है।

    प्रश्न 24: ‘सक्रिय नागरिकता’ (Active Citizenship) की अवधारणा को समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से समझने के लिए, निम्नलिखित में से कौन सा तत्व महत्वपूर्ण है?

    1. केवल व्यक्तिगत अधिकारों का उपभोग
    2. सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में भागीदारी
    3. केवल राष्ट्रीय नीतियों का समर्थन
    4. आर्थिक विकास में योगदान

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: सक्रिय नागरिकता का तात्पर्य केवल व्यक्तिगत अधिकारों के उपभोग से नहीं है, बल्कि यह नागरिकों की सामाजिक, राजनीतिक और सामुदायिक जीवन में सक्रिय भागीदारी को भी शामिल करती है। इसमें मतदान करना, सार्वजनिक बहसों में भाग लेना, सामुदायिक पहलों में योगदान देना और सामाजिक न्याय के लिए कार्य करना शामिल है।
    • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र नागरिक और राज्य के बीच संबंधों, सामूहिक क्रियाओं और सामाजिक परिवर्तन में नागरिकों की भूमिका का अध्ययन करता है। सक्रिय नागरिकता सामाजिक पूंजी और नागरिक जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण घटक है।
    • गलत विकल्प: व्यक्तिगत अधिकारों का उपभोग नागरिकता का एक पहलू है, लेकिन सक्रिय नागरिकता इससे आगे बढ़कर भागीदारी पर केंद्रित है। केवल राष्ट्रीय नीतियों का समर्थन या आर्थिक योगदान सक्रिय नागरिकता के कुछ हिस्से हो सकते हैं, लेकिन पूर्ण परिभाषा नहीं।

    प्रश्न 25: ‘उत्तर-औद्योगिक समाज’ (Post-Industrial Society) की अवधारणा का श्रेय मुख्य रूप से किस विचारक को दिया जाता है?

    1. डैनियल बेल (Daniel Bell)
    2. मैनुअल कैस्टल्स (Manuel Castells)
    3. अल्वन टॉफ्लर (Alvin Toffler)
    4. जीन बोडरिलार्ड (Jean Baudrillard)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सही उत्तर: डैनियल बेल को ‘उत्तर-औद्योगिक समाज’ (Post-Industrial Society) की अवधारणा को लोकप्रिय बनाने और व्यवस्थित रूप से विकसित करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि औद्योगिक समाज के बाद एक ऐसा समाज आएगा जहाँ सेवा क्षेत्र, ज्ञान और सूचना का प्रभुत्व होगा, न कि विनिर्माण का।
    • संदर्भ और विस्तार: बेल ने अपनी पुस्तक ‘द कमिंग ऑफ पोस्ट-इंडस्ट्रियल सोसाइटी’ (The Coming of Post-Industrial Society) में इस समाज की विशेषताओं जैसे सूचना का महत्व, पेशेवर और तकनीकी वर्ग का उदय, और विज्ञान-आधारित नवाचार पर प्रकाश डाला।
    • गलत विकल्प: कैस्टल्स ‘नेटवर्क सोसाइटी’ पर, टॉफ्लर ‘फ्यूचर शॉक’ पर, और बोडरिलार्ड ‘सिमुलेशन’ और ‘सिमुलैक्रा’ पर अपने कार्यों के लिए जाने जाते हैं, जो उत्तर-औद्योगिक समाज से संबंधित हैं, लेकिन बेल इस अवधारणा के प्रमुख प्रस्तावक हैं।

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