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समाजशास्त्र की गहन पड़ताल: आज ही अपनी तैयारी को परखें!

समाजशास्त्र की गहन पड़ताल: आज ही अपनी तैयारी को परखें!

तैयारी के इस महाकुंभ में, जहाँ हर दिन एक नई चुनौती लेकर आता है, हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के 25 चुनिंदा प्रश्न। यह मॉक टेस्ट न केवल आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखेगा, बल्कि आपको परीक्षा के माहौल का अभ्यास भी कराएगा। आइए, आज के इस बौद्धिक सफर का शुभारंभ करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसे बाहरी, बाध्यकारी और सामान्य माना जाता है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम को “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा के जनक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को परिभाषित किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य वे तरीके हैं जिनसे समाज में विचार, भावनाएं और कार्य करने की प्रवृत्तियां पाई जाती हैं, जो व्यक्ति से स्वतंत्र होती हैं और उस पर एक बाहरी बाध्यता डालती हैं। उदाहरण के लिए, कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज आदि।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष और आर्थिक नियतिवाद पर था। मैक्स वेबर ने ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समाजशास्त्र पर जोर दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद का विचार प्रस्तुत किया।

प्रश्न 2: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का प्रमुख विचारक कौन है, जिसने ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणा विकसित की?

  1. चार्ल्स हॉर्टन कूली
  2. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  3. अर्ल्विंग गॉफमैन
  4. एल्बर्ट बंडुरा

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख विचारकों में से एक माना जाता है। उन्होंने आत्म (self) के विकास की प्रक्रिया को समझाने के लिए ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के बीच अंतर किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ‘मैं’ व्यक्ति की तात्कालिक, अनियोजित और मौलिक प्रतिक्रिया है, जबकि ‘मुझे’ समाज द्वारा आंतरिककृत सामान्यीकृत अन्य (generalized other) का प्रतिनिधित्व करता है, जो व्यक्ति के व्यवहार को सामाजिक मानदंडों के अनुरूप ढालता है।
  • गलत विकल्प: चार्ल्स हॉर्टन कूली ने “लुकिंग-ग्लास सेल्फ” (Looking-glass Self) की अवधारणा दी। अर्ल्विंग गॉफमैन ने नाट्कीयता (Dramaturgy) का सिद्धांत विकसित किया। एल्बर्ट बंडुरा एक मनोवैज्ञानिक हैं जो सामाजिक अधिगम सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 3: मैकियावेली ने अपनी किस कृति में राज्य-व्यवस्था और शक्ति की यथार्थवादी विवेचना प्रस्तुत की?

  1. डिस्कोर्सेस ऑन लिव्ही
  2. द प्रिंस
  3. लिव्ही का इतिहास
  4. द आर्ट ऑफ वॉर

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: निकोलो मैकियावेली की प्रसिद्ध कृति “द प्रिंस” (The Prince) में राज्य-व्यवस्था, सत्ता और शासन के यथार्थवादी और व्यावहारिक पहलुओं पर बल दिया गया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस पुस्तक में, मैकियावेली शासक को सलाह देते हैं कि वह सत्ता बनाए रखने के लिए किन साधनों का उपयोग करे, भले ही वे नैतिक रूप से संदिग्ध हों। यह राजनीतिक दर्शन में यथार्थवाद (Realism) का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
  • गलत विकल्प: “डिस्कोर्सेस ऑन लिव्ही” गणराज्यों पर केंद्रित है। “लिव्ही का इतिहास” रोमन इतिहास पर आधारित है। “द आर्ट ऑफ वॉर” सैन्य रणनीति पर है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक स्तरीकरण की प्रमुख व्यवस्थाओं में से एक नहीं है?

  1. दासता (Slavery)
  2. जाति (Caste)
  3. वर्ग (Class)
  4. सामंतवाद (Feudalism)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: सामंतवाद (Feudalism) एक आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था है, न कि मुख्य रूप से एक सामाजिक स्तरीकरण की व्यवस्था। जबकि इसमें पदानुक्रम (hierarchy) होता है, यह सीधे तौर पर सामाजिक स्थिति, विशेषाधिकारों और अवसरों के वितरण से कम संबंधित है, जैसा कि दासता, जाति या वर्ग में होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दासता, जाति और वर्ग समाज में लोगों के विभिन्न स्तरों पर विभाजन को दर्शाते हैं, जो उनकी सामाजिक स्थिति, शक्ति और धन को निर्धारित करते हैं।
  • गलत विकल्प: दासता, जाति और वर्ग सामाजिक स्तरीकरण की सुस्थापित प्रणालियाँ हैं।

प्रश्न 5: भारतीय समाज में “संसारिकरण” (Sanskritization) की अवधारणा किसने दी, जो निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की जीवन शैली अपनाने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है?

  1. जी. एस. घुरिये
  2. एम. एन. श्रीनिवास
  3. इरावती कर्वे
  4. ए. आर. देसाई

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एम. एन. श्रीनिवास ने “संसारिकरण” (Sanskritization) की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने यह भी बताया कि आधुनिकरण (Modernization) और पश्चिमीकरण (Westernization) जैसी प्रक्रियाएँ भी भारतीय समाज में परिवर्तन ला रही हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में इस अवधारणा का सर्वप्रथम प्रयोग किया। यह सामाजिक गतिशीलता (social mobility) का एक रूप है जहाँ निम्न जातियों के सदस्य उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति सुधारने का प्रयास करते हैं।
  • गलत विकल्प: जी. एस. घुरिये ने जाति व्यवस्था पर विस्तृत कार्य किया, लेकिन यह शब्द नहीं गढ़ा। इरावती कर्वे ने नातेदारी (kinship) पर महत्वपूर्ण कार्य किया। ए. आर. देसाई ने भारतीय समाज के मार्क्सवादी विश्लेषण पर लिखा।

प्रश्न 6: “अभिजात्य वर्ग” (Elite) के सिद्धांत का प्रमुख प्रतिपादक कौन है, जिसने समाज को शासक अभिजात वर्ग और शासित जनसमूह में विभाजित किया?

  1. विलफ्रेडो परेटो
  2. गाएतानो मोस्का
  3. रॉबर्ट मिचेल्स
  4. सभी (a, b, और c)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: विलफ्रेडो परेटो, गाएतानो मोस्का और रॉबर्ट मिचेल्स – ये तीनों विचारक “अभिजात्य वर्ग” (Elite) के सिद्धांत के प्रमुख प्रस्तावक हैं। इन सभी ने यह तर्क दिया कि किसी भी समाज में, चाहे वह लोकतांत्रिक हो या न हो, एक छोटा अभिजात वर्ग हमेशा सत्ता पर काबिज रहता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: परेटो ने “शेरों और लोमड़ियों” (Lions and Foxes) के अभिजात वर्गों का वर्णन किया। मोस्का ने “शासक वर्ग” (Ruling Class) की बात की। मिचेल्स ने “लघु-गणतंत्र का लौह नियम” (Iron Law of Oligarchy) दिया, जिसके अनुसार संगठन चाहे कितने भी लोकतांत्रिक हों, वे अंततः कुछ ही लोगों के हाथ में केंद्रित हो जाते हैं।
  • गलत विकल्प: केवल एक या दो को चुनना तीनों के योगदान को अनदेखा करेगा।

प्रश्न 7: “संरचनात्मक प्रकार्यवाद” (Structural Functionalism) के अनुसार, समाज विभिन्न भागों या अंगों से मिलकर बना है जो मिलकर कार्य करते हैं, ठीक उसी तरह जैसे मानव शरीर के अंग। इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थकों में कौन शामिल हैं?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. ताल्कोट पार्सन्स
  4. a और c दोनों

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: ताल्कोट पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद के सबसे प्रमुख और प्रभावशाली समर्थकों में से एक हैं। उन्होंने समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जिसके विभिन्न हिस्से (संस्थाएं, भूमिकाएँ) होते हैं जो समाज के अस्तित्व और स्थिरता के लिए आवश्यक कार्य करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: पार्सन्स ने AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) मॉडल विकसित किया, जो समाज द्वारा निभाई जाने वाली चार प्रमुख प्रकार्यात्मक आवश्यकताओं को बताता है। एमिल दुर्खीम को भी प्रकार्यवाद का अग्रदूत माना जाता है, लेकिन पार्सन्स ने इसे और अधिक व्यवस्थित रूप दिया।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स द्वंद्वात्मक भौतिकवाद और वर्ग संघर्ष के सिद्धांतकार थे, प्रकार्यवाद के नहीं। दुर्खीम को प्रकार्यवाद का जनक माना जा सकता है, लेकिन पार्सन्स इसके मुख्य प्रस्तावक थे।

  • प्रश्न 8: “सांस्कृतिक विलम्ब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, मूल्य) से तेज़ी से बदलती है?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. विलियम ओगबर्न
    3. एल्बर्ट शेफ्फ
    4. मैक्स वेबर

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: विलियम ओगबर्न ने 1922 में अपनी पुस्तक “Social Change with Respect to Culture and Original Nature” में “सांस्कृतिक विलम्ब” (Cultural Lag) की अवधारणा को प्रस्तुत किया।
    • संदर्भ एवं विस्तार: ओगबर्न के अनुसार, जब समाज में कोई नया आविष्कार या परिवर्तन होता है, तो भौतिक संस्कृति (जैसे नई तकनीक) में परिवर्तन अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक आदतें, कानून, संस्थाएं) की तुलना में बहुत तेज़ी से होता है। इस अंतर को ही सांस्कृतिक विलम्ब कहा जाता है, जिससे सामाजिक तनाव पैदा हो सकता है।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम, वेबर और शेफ्फ की समाजशास्त्रीय अवधारणाएँ अलग हैं।

    प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता “आदिम समाज” (Primitive Society) के अध्ययन में दुर्खीम द्वारा बताई गई “यांत्रिक एकता” (Mechanical Solidarity) से सर्वाधिक मेल खाती है?

    1. श्रम विभाजन अत्यधिक विकसित होता है।
    2. व्यक्तिगत भिन्नता अधिक पाई जाती है।
    3. सामूहिक चेतना (Collective Conscience) अत्यंत प्रबल होती है।
    4. कानूनी व्यवस्था प्रतिशोधात्मक (Repressive) न होकर प्रतिकारात्मक (Restitutive) होती है।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: यांत्रिक एकता उन समाजों की विशेषता है जहाँ श्रम विभाजन कम होता है, सामाजिक समानता अधिक होती है, और सदस्यों के बीच समानताएं अधिक होती हैं। इन समाजों में “सामूहिक चेतना” (Collective Conscience) बहुत प्रबल होती है, जो व्यक्तिगत चेतना पर हावी होती है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Division of Labour in Society” में यांत्रिक एकता और साव्यिक एकता (Organic Solidarity) के बीच अंतर किया। यांत्रिक एकता वाले समाजों में, कानून प्रकृति में प्रतिशोधात्मक (Repressive) होता है, जिसका उद्देश्य सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन करने वालों को दंडित करना होता है।
    • गलत विकल्प: (a) और (b) जैविक एकता की विशेषताएँ हैं। (d) जैविक एकता की विशेषता है, न कि यांत्रिक एकता की।

    प्रश्न 10: “वर्ग संघर्ष” (Class Struggle) की अवधारणा किसके केंद्रीय विचारों में से एक है, जिसके अनुसार समाज का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास है?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. कार्ल मार्क्स
    4. ऑगस्ट कॉम्टे

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: कार्ल मार्क्स अपने ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) के सिद्धांत के तहत वर्ग संघर्ष को समाज परिवर्तन का मुख्य चालक मानते थे। उनका प्रसिद्ध कथन है, “अब तक के सभी समाजों का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास रहा है।”
    • संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स ने बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक) वर्ग के बीच निरंतर संघर्ष का वर्णन किया, जो पूंजीवाद को समाप्त कर साम्यवाद की ओर ले जाएगा।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम सामाजिक व्यवस्था और सामूहिकता पर ध्यान केंद्रित करते थे। वेबर ने वर्ग, स्थिति (Status) और शक्ति (Party) को स्तरीकरण के तीन आयाम माना। कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक थे जिन्होंने प्रत्यक्षवाद (Positivism) का विचार दिया।

    प्रश्न 11: भारतीय समाज में “आधुनिकरण” (Modernization) की प्रक्रिया के संबंध में कौन सा कथन असत्य है?

    1. यह पश्चिम के सांस्कृतिक मूल्यों को अपनाने की प्रक्रिया है।
    2. इसमें धर्मनिरपेक्षता और तर्कवाद का प्रभाव बढ़ता है।
    3. यह औद्योगीकरण और शहरीकरण से जुड़ा है।
    4. यह पारंपरिक संस्थाओं जैसे परिवार और जाति के महत्व को कम कर सकता है।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: विकल्प (a) असत्य है। आधुनिकरण (Modernization) पश्चिमीकरण (Westernization) से व्यापक अवधारणा है। जबकि पश्चिमीकरण का अर्थ अक्सर पश्चिमी सांस्कृतिक मूल्यों को अपनाना होता है, आधुनिकरण में प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था, राजनीतिक संस्थाओं और सामाजिक संरचना में परिवर्तन शामिल है, जो सार्वभौमिक हो सकते हैं, न कि केवल पश्चिमी।
    • संदर्भ एवं विस्तार: आधुनिकरण में धर्मनिरपेक्षता, तर्कवाद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, औद्योगीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार और राष्ट्रीयता का उदय जैसी विशेषताएँ शामिल होती हैं। यह जरूरी नहीं कि यह केवल पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण हो।
    • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) आधुनिकरण की प्रक्रिया की सही विशेषताएँ हैं।

    प्रश्न 12: “संस्था” (Institution) से आप क्या समझते हैं?

    1. व्यक्तियों का एक समूह जो एक निश्चित स्थान पर रहता है।
    2. स्थापित और स्थायी सामाजिक व्यवहार के पैटर्न, जो समाज द्वारा स्वीकृत और महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
    3. एक ऐसा संगठन जिसका लक्ष्य सामाजिक परिवर्तन लाना है।
    4. कोई भी सामाजिक समूह जिसमें प्राथमिक संबंध पाए जाते हैं।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: समाजशास्त्र में, एक संस्था (Institution) समाज में स्थापित और स्थायी सामाजिक व्यवहार के पैटर्न, नियमों, मानदंडों और मूल्यों का एक समूह है, जो समाज के सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं और जिनके माध्यम से समाज की बुनियादी आवश्यकताएं पूरी होती हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: परिवार, विवाह, शिक्षा, धर्म, सरकार, अर्थव्यवस्था प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं। ये लोगों को व्यवहार के स्वीकृत तरीके प्रदान करती हैं।
    • गलत विकल्प: (a) एक समुदाय या आबादी का वर्णन करता है। (c) एक सामाजिक आंदोलन या संगठन का वर्णन करता है। (d) प्राथमिक समूह (Primary Group) का वर्णन करता है।

    प्रश्न 13: “सार्वजनिक व्यक्ति” (Public Figure) की अवधारणा का संबंध किस समाजशास्त्रीय सिद्धांत से है, जिसमें व्यक्ति अपने सार्वजनिक जीवन में एक “मुखौटा” (Mask) पहनता है?

    1. संरचनात्मक प्रकार्यवाद
    2. द्वंद्वात्मक भौतिकवाद
    3. नाट्कीयता (Dramaturgy)
    4. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: नाट्कीयता (Dramaturgy) का सिद्धांत अर्ल्विंग गॉफमैन से जुड़ा है, जिन्होंने सुझाव दिया कि सामाजिक जीवन एक रंगमंच की तरह है जहाँ व्यक्ति “अभिनय” करते हैं और अपने “मुखौटे” (Masks) बदलते हैं, खासकर सार्वजनिक मंच पर।
    • संदर्भ एवं विस्तार: गॉफमैन की पुस्तक “The Presentation of Self in Everyday Life” में, वे बताते हैं कि लोग अपने व्यवहार को इस तरह से प्रबंधित करते हैं कि वे दूसरों पर वांछित प्रभाव डाल सकें, जैसे कि एक अभिनेता मंच पर करता है।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प सामाजिक जीवन के भिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

    प्रश्न 14: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा का तात्पर्य है:

    1. किसी व्यक्ति की वित्तीय संपत्ति।
    2. किसी व्यक्ति का सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और आपसी सहयोग के माध्यम से प्राप्त होने वाले लाभ।
    3. किसी समाज की औद्योगीकरण की क्षमता।
    4. व्यक्तिगत ज्ञान और कौशल।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: सामाजिक पूंजी (Social Capital) उन संसाधनों को संदर्भित करती है जो किसी व्यक्ति या समूह को उनके सामाजिक नेटवर्क, संबंधों, विश्वास और आपसी सहयोग से प्राप्त होते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा विकसित की गई है। यह बताता है कि कैसे सामाजिक संबंध लोगों को अवसर, जानकारी और सहायता प्रदान कर सकते हैं, जो उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) क्रमशः वित्तीय पूंजी, आर्थिक विकास और मानव पूंजी से संबंधित हैं।

    प्रश्न 15: भारतीय समाज में “जाति व्यवस्था” (Caste System) की प्रमुख विशेषता निम्नलिखित में से कौन सी नहीं है?

    1. अंतर्विवाह (Endogamy)
    2. पदानुक्रम (Hierarchy)
    3. पेशागत विशिष्टता (Occupational Specialization)
    4. गतिशीलता (Mobility)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: जाति व्यवस्था की एक मुख्य विशेषता गतिशीलता (Mobility) की अत्यंत कमी रही है। पारंपरिक रूप से, व्यक्ति जिस जाति में पैदा होता है, वह जीवन भर वही रहती है, और सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक बदलावों से भी जाति की स्थिति में बड़े परिवर्तन की गुंजाइश नगण्य थी।
    • संदर्भ एवं विस्तार: जाति व्यवस्था में अंतर्विवाह (समान जाति में विवाह), कठोर पदानुक्रम (ऊँच-नीच का क्रम), और अक्सर पेशागत विशिष्टता (परंपरागत रूप से एक निश्चित पेशा) जैसी विशेषताएँ पाई जाती हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

    प्रश्न 16: “अभिजन” (Elite) के सिद्धांत का कौन सा पहलू विभिन्न समाजों में सत्ता के वितरण और हस्तांतरण की व्याख्या करता है?

    1. The Circulation of Elites
    2. The Iron Law of Oligarchy
    3. The Ruling Class
    4. The Principles of Sociology

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: विलफ्रेडो परेटो ने अपनी पुस्तक “The Mind and Society” (जिसे “Trattato di Sociologia Generale” भी कहा जाता है) में “The Circulation of Elites” (अभिजात्य वर्ग का संचलन) की अवधारणा प्रस्तुत की।
    • संदर्भ एवं विस्तार: परेटो के अनुसार, समाज में हमेशा एक अभिजात वर्ग (शासक और गैर-शासक) होता है, और समय के साथ, पुराने अभिजात वर्ग की जगह नए, अधिक योग्य अभिजात वर्ग ले लेते हैं। यह एक चक्रीय प्रक्रिया है।
    • गलत विकल्प: (b) रॉबर्ट मिचेल्स का सिद्धांत है जो संगठनों में अल्पतंत्र की प्रवृत्ति बताता है। (c) गाएतानो मोस्का का सिद्धांत है। (d) हर्बर्ट स्पेंसर की कृति का नाम है।

    प्रश्न 17: “परिवर्तनकारी नेतृत्व” (Transformational Leadership) की अवधारणा, जो व्यक्तियों को प्रेरित करके और उन्हें व्यक्तिगत विकास के लिए प्रोत्साहित करके बड़ा सामाजिक परिवर्तन लाती है, समाजशास्त्र में किस सैद्धांतिक परिप्रेक्ष्य से जुड़ी है?

    1. द्वंद्वात्मक भौतिकवाद
    2. तर्कसंगत विकल्प सिद्धांत
    3. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
    4. नए सामाजिक आंदोलन सिद्धांत

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: “परिवर्तनकारी नेतृत्व” (Transformational Leadership) और सामूहिक व्यवहार (collective behavior) के अध्ययन में, विशेषकर नए सामाजिक आंदोलनों (New Social Movements) के संदर्भ में, इस बात पर जोर दिया जाता है कि कैसे नेता जनता को प्रेरित करते हैं और उन्हें मौजूदा व्यवस्था को चुनौती देने या बदलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: नए सामाजिक आंदोलन सिद्धांत उन आंदोलनों का अध्ययन करते हैं जो पहचान, मूल्य और जीवन शैली पर केंद्रित होते हैं, और इनमें अक्सर करिश्माई नेता शामिल होते हैं जो अनुयायियों को प्रेरित करते हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) समाजशास्त्र के अन्य महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं, लेकिन वे सीधे तौर पर परिवर्तनकारी नेतृत्व की अवधारणा को इस रूप में नहीं देखते हैं।

    प्रश्न 18: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा का संबंध निम्न में से किसके साथ नहीं है?

    1. नेटवर्क (Networks)
    2. विश्वास (Trust)
    3. पारस्परिक सहयोग (Reciprocity)
    4. व्यक्तिगत धन (Personal Wealth)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: सामाजिक पूंजी (Social Capital) मुख्य रूप से सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और पारस्परिक सहयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों को संदर्भित करती है। व्यक्तिगत धन (Personal Wealth) वित्तीय पूंजी (Financial Capital) का हिस्सा है, न कि सामाजिक पूंजी का।
    • संदर्भ एवं विस्तार: सामाजिक पूंजी लोगों के बीच संबंध बनाती है जो उन्हें सामूहिक या व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने में मदद करती है। यह सामाजिक संरचना से उत्पन्न होती है।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सामाजिक पूंजी के प्रमुख घटक हैं।

    प्रश्न 19: “सांस्कृतिक सापेक्षवाद” (Cultural Relativism) का अर्थ है:

    1. सभी संस्कृतियाँ समान रूप से विकसित होती हैं।
    2. एक संस्कृति को उसी संस्कृति के मानदंडों और मूल्यों के संदर्भ में समझा जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी संस्कृति के मानदंडों के आधार पर।
    3. पश्चिमी संस्कृति अन्य सभी संस्कृतियों से श्रेष्ठ है।
    4. संस्कृति का समाज की संरचना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: सांस्कृतिक सापेक्षवाद (Cultural Relativism) का सिद्धांत मानता है कि किसी भी संस्कृति के व्यवहार, मान्यताओं और मूल्यों को उस संस्कृति के अपने विशेष संदर्भ में ही समझा और मूल्यांकित किया जाना चाहिए, न कि किसी अन्य संस्कृति (विशेषकर अपनी संस्कृति) के मानकों के आधार पर।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह नृविज्ञान (Anthropology) और समाजशास्त्र में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों से बचने और विभिन्न संस्कृतियों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देती है।
    • गलत विकल्प: (a) सांस्कृतिक विकास को रैखिक मानता है। (c) सांस्कृतिक श्रेष्ठता का दावा करता है। (d) संस्कृति के महत्व को नकारता है।

    प्रश्न 20: “एनाेमी” (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के कमजोर पड़ने या अभाव से उत्पन्न होती है, किस प्रमुख समाजशास्त्री से संबंधित है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. मैक्स वेबर
    3. एमिल दुर्खीम
    4. रॉबर्ट मर्टन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने “एनाेमी” (Anomie) की अवधारणा को प्रस्तुत किया, विशेषकर अपनी पुस्तक “The Division of Labour in Society” और “Suicide” में।
    • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, एनाेमी तब उत्पन्न होती है जब सामाजिक नियम अनिश्चित हो जाते हैं या उनका अभाव हो जाता है, जिससे व्यक्ति दिशाहीन और भ्रमित महसूस करता है। यह अपराध और आत्महत्या जैसे सामाजिक विचलन (deviance) का कारण बन सकती है।
    • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स नेAlienation (अलगाव) की बात की। वेबर ने Bureaucracy (नौकरशाही) और Rationalization (तर्कसंगतता) पर काम किया। रॉबर्ट मर्टन ने भी एनाेमी का उपयोग किया, लेकिन इसे नवाचार (innovation) के संदर्भ में समझाया, जहाँ व्यक्ति समाज द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अस्वीकृत साधनों का उपयोग करता है। हालाँकि, दुर्खीम इसके मूल प्रस्तावक हैं।

    प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सी प्रक्रिया “सामाजिक परिवर्तन” (Social Change) का एक उदाहरण है?

    1. किसी परिवार में सदस्यों की संख्या का बढ़ना।
    2. किसी देश में इंटरनेट के उपयोग का व्यापक होना।
    3. एक व्यक्ति का अपनी नौकरी बदलना।
    4. एक शहर में एक नई सड़क का निर्माण।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: सामाजिक परिवर्तन समाज की संरचना, संस्थाओं, व्यवहारों, मूल्यों या संस्कृति में महत्वपूर्ण और स्थायी बदलाव को संदर्भित करता है। किसी देश में इंटरनेट के उपयोग का व्यापक होना सूचना प्रसार, संचार, शिक्षा, व्यवसाय और सामाजिक संबंधों के तरीके में मूलभूत बदलाव लाता है, जो सामाजिक परिवर्तन का एक प्रमुख उदाहरण है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: व्यक्तिगत घटनाएं जैसे नौकरी बदलना या सड़क निर्माण, जब तक कि उनका व्यापक सामाजिक प्रभाव न हो, को सीधे तौर पर सामाजिक परिवर्तन नहीं कहा जाता।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) ये व्यक्तिगत या स्थानीय परिवर्तन हो सकते हैं, लेकिन (b) एक व्यापक सामाजिक-तकनीकी परिवर्तन है।

    प्रश्न 22: “तर्कसंगत-वैध शक्ति” (Rational-Legal Authority) की अवधारणा, जो कानूनों और नियमों के एक स्थापित तंत्र पर आधारित होती है, किस समाजशास्त्री के “सत्ता” (Authority) के वर्गीकरण का हिस्सा है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. एमिल दुर्खीम
    3. मैक्स वेबर
    4. हर्बर्ट ब्लूमर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: मैक्स वेबर ने सत्ता (Authority) को तीन मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया: पारंपरिक (Traditional), करिश्माई (Charismatic), और तर्कसंगत-वैध (Rational-Legal)।
    • संदर्भ एवं विस्तार: तर्कसंगत-वैध सत्ता, नौकरशाही (Bureaucracy) का आधार है, जहाँ शक्ति का प्रयोग कानूनों, नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार होता है, न कि व्यक्तिगत संबंधों या अलौकिक गुणों के आधार पर।
    • गलत विकल्प: मार्क्स वर्ग और संघर्ष पर केंद्रित थे। दुर्खीम ने सामाजिक एकता पर जोर दिया। ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं।

    प्रश्न 23: “मानव पूंजी” (Human Capital) की अवधारणा का तात्पर्य है:

    1. किसी कंपनी के कर्मचारियों की कुल संख्या।
    2. लोगों के ज्ञान, कौशल, क्षमताएँ और स्वास्थ्य जो उत्पादकता में योगदान करते हैं।
    3. किसी समाज के पास उपलब्ध प्राकृतिक संसाधन।
    4. किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: मानव पूंजी (Human Capital) व्यक्ति के पास मौजूद उन गुणों और क्षमताओं को संदर्भित करती है जो आर्थिक मूल्य पैदा करने में सक्षम बनाती हैं। इसमें शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुभव और स्वास्थ्य शामिल हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बताती है कि मानव संसाधनों में निवेश कैसे उत्पादकता और आर्थिक विकास को बढ़ा सकता है।
    • गलत विकल्प: (a) जनशक्ति (Manpower) का वर्णन है। (c) प्राकृतिक पूंजी (Natural Capital) है। (d) आर्थिक उत्पादन का माप है।

    प्रश्न 24: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) से आप क्या समझते हैं?

    1. समाज में लोगों का भौगोलिक स्थानांतरण।
    2. एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक या एक ही पीढ़ी के भीतर व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
    3. समाज में नए विचारों का प्रसार।
    4. सामाजिक स्तरीकरण की एक प्रणाली।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) का अर्थ है व्यक्तियों या समूहों का समाज के एक स्तर से दूसरे स्तर पर जाना। यह ऊर्ध्वाधर (Vertical – ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (Horizontal – समान स्तर पर) हो सकती है, और अंतर-पीढ़ीगत (Inter-generational) या अंतः-पीढ़ीगत (Intra-generational) हो सकती है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति गरीब परिवार में पैदा होता है और बाद में एक धनी व्यक्ति बनता है, तो वह ऊर्ध्वाधर गतिशीलता का अनुभव करता है।
    • गलत विकल्प: (a) प्रवास (Migration) का वर्णन करता है। (c) सांस्कृतिक प्रसार (Cultural Diffusion) है। (d) सामाजिक स्तरीकरण स्वयं है, गतिशीलता नहीं।

    प्रश्न 25: “संयमी परिवार” (Nuclear Family) की अवधारणा, जिसमें माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे शामिल होते हैं, किस समाजशास्त्री के कार्यों में प्रमुखता से पाई जाती है, जो आधुनिक औद्योगिक समाजों की विशेषता है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. एमिल दुर्खीम
    3. ताल्कोट पार्सन्स
    4. ए. आर. देसाई

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: ताल्कोट पार्सन्स जैसे संरचनात्मक प्रकार्यवादियों ने माना कि आधुनिक औद्योगिक समाजों में “संयमी परिवार” (Nuclear Family) परिवार का प्रमुख रूप है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: पार्सन्स का तर्क था कि संयमी परिवार औद्योगिक समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप है क्योंकि यह भौगोलिक और सामाजिक गतिशीलता की अनुमति देता है, जो औद्योगिक व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने परिवार के दो मुख्य प्रकार्यात्मक (functional) कार्यों को भी बताया: बच्चों का समाजीकरण (socialization) और वयस्क सदस्यों का स्थिरीकरण (stabilization of adult personalities)।
    • गलत विकल्प: मार्क्स आर्थिक संरचना पर, दुर्खीम सामाजिक एकता पर, और देसाई भारतीय समाज के मार्क्सवादी विश्लेषण पर केंद्रित थे, न कि विशेष रूप से इस प्रकार के परिवार के प्रकार्य पर।

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