भारतीय ऊर्जा आयात: क्या ट्रम्प की धमकी रूसी कच्चे तेल पर हमारी निर्भरता को कम कर सकती है?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल के वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अक्सर भारत के रूस से तेल आयात पर चिंता व्यक्त की है, और भारत को इस पर निर्भरता कम करने के लिए चेतावनी दी है। यह विषय UPSC परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भू-राजनीति, ऊर्जा सुरक्षा और भारत की विदेश नीति के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। यह ब्लॉग पोस्ट इस जटिल मुद्दे की गहराई से पड़ताल करेगा, इसके विभिन्न पहलुओं, भारत के लिए इसके निहितार्थों और ट्रम्प की धमकी की प्रभावशीलता का विश्लेषण करेगा।
वैश्विक ऊर्जा बाज़ार एक जटिल और गतिशील क्षेत्र है, जो अक्सर राजनीतिक दांव-पेंच, आर्थिक मजबूरियों और कूटनीतिक पैंतरेबाज़ी का केंद्र बिंदु बना रहता है। इसी संदर्भ में, भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात एक ऐसा विषय बन गया है जिस पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा, बारीकी से नज़र रखी जा रही है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से भारत को रूसी कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता कम करने की चेतावनी, इस मुद्दे को और अधिक प्रासंगिक बनाती है। लेकिन क्या यह चेतावनी वास्तव में भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति को बदलने में सक्षम है? इस लेख में, हम इस प्रश्न के विभिन्न आयामों का पता लगाएंगे, यह समझने की कोशिश करेंगे कि भारत रूसी तेल पर निर्भर क्यों है, इस निर्भरता को कम करने में क्या चुनौतियाँ हैं, और ट्रम्प की धमकी का वास्तव में कितना प्रभाव पड़ सकता है।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य (India’s Energy Security: A Historical Perspective)
भारत, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते, अपनी ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर है। देश की कुल तेल खपत का लगभग 85% आयात किया जाता है। यह निर्भरता दशकों से चली आ रही है, और इसके पीछे कई कारण हैं:
- घरेलू उत्पादन की कमी: भारत के पास अपने विशाल उपभोग को पूरा करने के लिए पर्याप्त घरेलू तेल भंडार नहीं हैं।
- आर्थिक विकास: औद्योगीकरण, शहरीकरण और बढ़ती आबादी के कारण ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है।
- लागत-प्रभावशीलता: विभिन्न स्रोतों से कच्चे तेल की लागत भारत के लिए एक महत्वपूर्ण विचार है।
ऐतिहासिक रूप से, भारत ने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने की नीति अपनाई है। इसका मतलब है कि किसी एक देश या क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भरता से बचना, ताकि भू-राजनीतिक अस्थिरता या आपूर्ति में व्यवधान के जोखिम को कम किया जा सके। इस संदर्भ में, भारत ने मध्य पूर्व, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और अब रूस जैसे विभिन्न क्षेत्रों से तेल आयात किया है।
रूस के साथ तेल आयात: क्यों महत्वपूर्ण है? (Oil Imports with Russia: Why Important?)
रूस, दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक है, और हाल के वर्षों में, विशेष रूप से यूक्रेन पर आक्रमण के बाद, भारत के लिए तेल का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता बन गया है। इसके कई विशिष्ट कारण हैं:
- रियायती मूल्य: पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद, रूस ने वैश्विक बाज़ार की तुलना में भारतीय खरीदारों को कच्चे तेल पर महत्वपूर्ण छूट की पेशकश की। यह भारत के लिए एक आर्थिक रूप से आकर्षक प्रस्ताव था, क्योंकि इससे देश के आयात बिल को कम करने में मदद मिली, खासकर जब वैश्विक तेल की कीमतें बढ़ रही थीं।
- आपूर्ति की निरंतरता: प्रतिबंधों के बावजूद, रूस ने भारत को तेल की आपूर्ति जारी रखने की इच्छा व्यक्त की, जिससे एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में इसकी भूमिका मजबूत हुई।
- रसद और शिपिंग: रूस से भारत तक तेल का परिवहन, जबकि कुछ रसद संबंधी चुनौतियाँ हैं, मध्य पूर्व या अन्य दूर के क्षेत्रों की तुलना में अधिक प्रबंधनीय है।
- रणनीतिक संबंध: भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रूप से मजबूत रक्षा और कूटनीतिक संबंध रहे हैं। यह रणनीतिक साझेदारी ऊर्जा क्षेत्र में भी परिलक्षित होती है।
उपमा: सोचिए आप एक बड़े परिवार के लिए खाना बना रहे हैं और आपके पास कई किराने की दुकानें हैं। एक दुकान, अपनी विशेष छूट के कारण, आपको प्याज बहुत सस्ते दाम पर दे रही है। आपकी प्राथमिकता हमेशा अपने परिवार को सस्ता और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। भले ही दूसरी दुकान, जिस पर आप पहले निर्भर थे, थोड़ी महंगी हो जाए या वह कुछ समय के लिए उपलब्ध न हो, आप उस दुकान से अधिक खरीदना जारी रखेंगे जो आपको बेहतर डील दे रही है, खासकर जब तक कि पहली दुकान की कीमतें या उपलब्धता बेहतर न हो जाए। भारत के लिए, रूस वह दुकान है जो फिलहाल आकर्षक छूट दे रही है।
ट्रम्प की चिंता: क्या है आधार? (Trump’s Concerns: What is the Basis?)
डोनाल्ड ट्रम्प, एक व्यवसायी के रूप में और बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में, हमेशा ‘डील’ और ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति पर जोर देते रहे हैं। उनकी चिंताएँ बहुआयामी हो सकती हैं:
- पश्चिमी प्रतिबंधों का कमजोर पड़ना: ट्रम्प प्रशासन ने रूस पर प्रतिबंधों को लेकर एक कठोर रुख अपनाया था। भारत का रूसी तेल खरीदना, भले ही यह अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए हो, पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के प्रभाव को कमजोर करता है।
- यूक्रेन युद्ध का वित्तपोषण: उनका मानना हो सकता है कि रूसी तेल की बिक्री से होने वाली आय रूस को यूक्रेन में अपने युद्ध प्रयासों को जारी रखने में मदद करती है।
- अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति: वे भारत को रूस से दूर करने और उसे पश्चिमी खेमे के करीब लाने की कोशिश कर रहे होंगे।
- ऊर्जा बाजार पर प्रभाव: वे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करना चाहते होंगे, खासकर अपने पूर्व के राष्ट्रपति पद के कार्यकाल के दौरान ऊर्जा से संबंधित अपनी नीतियों को भुनाने के लिए।
“हमारी ऊर्जा सुरक्षा हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा की आधारशिला है। हम अपनी ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हर संभव विकल्प तलाशते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि वे आर्थिक रूप से व्यवहार्य और विश्वसनीय हों।”
क्या ट्रम्प की धमकी भारत को रोक पाएगी? (Will Trump’s Threat Stop India?)
इस प्रश्न का उत्तर ‘नहीं’ में देना, कई महत्वपूर्ण कारणों पर आधारित है:
1. राष्ट्रीय हित और आर्थिक अनिवार्यता (National Interest and Economic Imperative):
भारत के लिए, सस्ती और विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति प्राप्त करना एक पूर्ण आर्थिक और राष्ट्रीय हित का मामला है। वैश्विक तेल की कीमतों में वृद्धि का मतलब है कि भारत को उच्च आयात बिल का सामना करना पड़ेगा, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ेगी और आर्थिक विकास धीमा होगा। ऐसे में, जब रूस रियायती दर पर तेल की पेशकश कर रहा है, तो भारत के लिए उस अवसर को छोड़ना आर्थिक रूप से तर्कसंगत नहीं होगा।
2. ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण: एक सतत प्रक्रिया (Diversification of Energy Sources: An Ongoing Process):
भारत पहले से ही ऊर्जा स्रोतों के विविधीकरण की नीति पर काम कर रहा है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम रूस के साथ अपने संबंधों को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि यह है कि हम विभिन्न स्रोतों से तेल खरीद रहे हैं। रूस से अधिक आयात करना, कुछ समय के लिए, इस विविधीकरण का हिस्सा है, न कि पूरी तरह से एक नए आपूर्तिकर्ता पर निर्भरता। भारत मध्य पूर्व (इराक, सऊदी अरब), अमेरिका, नाइजीरिया जैसे देशों से भी तेल खरीदता है।
3. अमेरिकी चिंताओं का प्रबंधन (Managing US Concerns):
भारत ने अमेरिकी चिंताओं को दूर करने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए हैं। उसने यह स्पष्ट किया है कि उसके निर्णय राष्ट्रीय हितों पर आधारित हैं। भारत यह भी इंगित कर सकता है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों और नियमों का पालन कर रहा है, और उसका तेल आयात सीधे तौर पर पश्चिमी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं करता है। इसके अलावा, अमेरिका स्वयं भारत का एक महत्वपूर्ण ऊर्जा भागीदार है (जैसे एलएनजी की आपूर्ति)।
4. कैटसा (CAATSA) का प्रभाव और भारत की स्थिति (Impact of CAATSA and India’s Stance):
अमेरिका के पास Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act (CAATSA) जैसा कानून है, जो रूस से बड़े रक्षा या ऊर्जा सौदे करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है। हालांकि, भारत ने रूस से S-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद के बावजूद CAATSA प्रतिबंधों से छूट हासिल की है। यह दर्शाता है कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने में सक्षम रहा है। ऊर्जा के क्षेत्र में भी, ऐसे तर्क दिए जा सकते हैं कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
5. ट्रम्प की व्यक्तिगत कूटनीति (Trump’s Personal Diplomacy):
डोनाल्ड ट्रम्प की टिप्पणियाँ अक्सर उनके व्यक्तिगत दृष्टिकोण और “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे का प्रतिबिंब होती हैं। वर्तमान अमेरिकी प्रशासन की नीतियां थोड़ी भिन्न हो सकती हैं, और भारत का अपने वर्तमान संबंधों को उस समय की अमेरिकी नीतियों के अनुसार समायोजित करना स्वाभाविक है। हालांकि, ट्रम्प की वापसी की संभावना को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, जिससे भविष्य में यह मुद्दा फिर से उठ सकता है।
भारत के सामने चुनौतियाँ (Challenges Before India):
रूस से तेल आयात भारत के लिए कुछ चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करता है:
- पश्चिमी देशों के साथ संबंध: रूस के साथ घनिष्ठ ऊर्जा संबंध पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं।
- प्रतिबंधों का जोखिम: हालांकि भारत ने अभी तक सीधे प्रतिबंधों का सामना नहीं किया है, लेकिन भविष्य में अप्रत्यक्ष प्रतिबंधों का जोखिम बना रह सकता है, खासकर यदि वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति बिगड़ती है।
- तेल की गुणवत्ता और मूल्य अस्थिरता: रूसी तेल की गुणवत्ता में भिन्नता हो सकती है, और वैश्विक बाजार की तरह ही कीमतों में भी अस्थिरता देखी जा सकती है।
- वित्तीय लेनदेन: प्रतिबंधों के कारण, रूसी तेल के भुगतान के लिए वित्तीय लेनदेन की व्यवस्था करना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है, जिसके लिए वैकल्पिक भुगतान तंत्र की आवश्यकता होती है।
भविष्य की राह: भारत की ऊर्जा रणनीति (The Way Forward: India’s Energy Strategy):
भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति को बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है:
- आपूर्ति स्रोतों का निरंतर विविधीकरण: मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका से आयात बढ़ाना।
- नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा: सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश बढ़ाना ताकि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो सके।
- ऊर्जा दक्षता: ऊर्जा के उपयोग में दक्षता को बढ़ावा देना ताकि कुल मांग को नियंत्रित किया जा सके।
- घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन: खोज और उत्पादन में निवेश को प्रोत्साहित करना।
- रणनीतिक साझेदारी: ऊर्जा-समृद्ध देशों के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी विकसित करना।
केस स्टडी: भारत का ईरान से तेल आयात का इतिहास
एक समय था जब ईरान भारत के लिए तेल का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता था। हालांकि, अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण, भारत को ईरान से तेल आयात बंद करना पड़ा। इससे भारत को वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी पड़ी और मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों पर निर्भरता बढ़ानी पड़ी। यह केस स्टडी दर्शाती है कि कैसे भू-राजनीतिक दबाव और प्रतिबंध भारत की ऊर्जा आपूर्ति को प्रभावित कर सकते हैं, और क्यों एक संतुलित और विविध ऊर्जा पोर्टफोलियो महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष (Conclusion):
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की चेतावनी भारत को रूसी कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए मजबूर करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है, लेकिन यह तत्काल या निर्णायक प्रभाव डालने की संभावना नहीं है। भारत की ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और राष्ट्रीय हितों की आवश्यकताएं इसे सबसे अनुकूल शर्तों पर ऊर्जा स्रोत खोजने के लिए प्रेरित करती हैं। रूस से रियायती तेल का आयात वर्तमान में भारत के लिए एक आर्थिक रूप से आकर्षक विकल्प है। जब तक भारत के पास पर्याप्त और सस्ते वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध नहीं हो जाते, या जब तक कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का प्रत्यक्ष और गंभीर प्रभाव न पड़े, तब तक भारत संभवतः अपनी वर्तमान ऊर्जा कूटनीति को जारी रखेगा, साथ ही अमेरिका और अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ अपने संबंधों को भी प्रबंधित करेगा। भारत का लक्ष्य ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण है, और रूस से आयात इस व्यापक रणनीति का एक हिस्सा है, न कि पूर्ण प्रतिस्थापन।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. प्रश्न: हाल के वर्षों में भारत के रूसी कच्चे तेल के आयात में वृद्धि के प्राथमिक कारणों में से कौन सा एक नहीं है?
(a) वैश्विक बाजार की तुलना में रियायती मूल्य
(b) पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद भी आपूर्ति की निरंतरता
(c) रूस से भारत तक सुगम रसद और शिपिंग
(d) भारत-रूस रक्षा सहयोग में कमी
उत्तर: (d)
व्याख्या: भारत के रूसी कच्चे तेल के आयात में वृद्धि के प्राथमिक कारणों में रियायती मूल्य, आपूर्ति की निरंतरता और रसद शामिल हैं। भारत-रूस रक्षा सहयोग मजबूत रहा है, न कि इसमें कमी आई है।
2. प्रश्न: Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act (CAATSA) किस देश के विरोध में मुख्य रूप से लागू किया गया है?
(a) चीन
(b) ईरान
(c) रूस
(d) उत्तर कोरिया
उत्तर: (c)
व्याख्या: CAATSA का उद्देश्य मुख्य रूप से रूस के विरोध में है, और यह उन देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है जो रूस के साथ महत्वपूर्ण रक्षा या ऊर्जा लेनदेन करते हैं।
3. प्रश्न: भारत की ऊर्जा सुरक्षा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. भारत अपनी कुल तेल खपत का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है।
II. भारत ने ऊर्जा स्रोतों के विविधीकरण की नीति अपनाई है।
III. भारत की ऊर्जा आयात की नीतियां विशुद्ध रूप से आर्थिक कारकों पर आधारित हैं।
कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (a)
व्याख्या: भारत अपनी कुल तेल खपत का लगभग 85% आयात करता है, जो कथन I को सही ठहराता है। भारत ने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने की नीति अपनाई है, जो कथन II को सही ठहराता है। हालांकि, ऊर्जा आयात की नीतियां केवल आर्थिक नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक और रणनीतिक कारकों से भी प्रभावित होती हैं, इसलिए कथन III गलत है।
4. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा देश भारत के लिए कच्चे तेल के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक रहा है, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत को इससे आयात कम करना पड़ा?
(a) रूस
(b) इराक
(c) ईरान
(d) सऊदी अरब
उत्तर: (c)
व्याख्या: अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत को ईरान से तेल का आयात रोकना पड़ा था, जबकि इराक, सऊदी अरब और रूस भारत के प्रमुख आपूर्तिकर्ता बने हुए हैं।
5. प्रश्न: ‘ऊर्जा सुरक्षा’ (Energy Security) शब्द का क्या अर्थ है?
(a) किसी देश की ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा स्रोतों की उपलब्धता।
(b) ऊर्जा आपूर्ति की निरंतरता और विश्वसनीयता।
(c) ऊर्जा की सामर्थ्य (affordability) और पहुंच।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर: (d)
व्याख्या: ऊर्जा सुरक्षा एक बहुआयामी अवधारणा है जिसमें उपलब्धता, निरंतरता, विश्वसनीयता, सामर्थ्य और पहुंच जैसे कारक शामिल हैं।
6. प्रश्न: यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, भारत के रूसी तेल आयात में वृद्धि के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
(a) भारत ने पश्चिमी देशों के दबाव के कारण रूस से तेल आयात बंद कर दिया।
(b) रूस ने भारत को तेल पर भारी छूट की पेशकश की, जिससे आयात बढ़ा।
(c) भारत अब पूरी तरह से रूस पर निर्भर हो गया है।
(d) यूरोपीय संघ ने भारत को रूसी तेल खरीदने की अनुमति दी।
उत्तर: (b)
व्याख्या: यूक्रेन युद्ध के बाद, रूस ने भारत को रियायती दर पर तेल की पेशकश की, जिससे भारतीय आयात में वृद्धि हुई। भारत अन्य स्रोतों से भी तेल आयात करना जारी रखता है, इसलिए वह पूरी तरह रूस पर निर्भर नहीं है।
7. प्रश्न: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत द्वारा रूसी तेल आयात पर चिंता का मुख्य कारण क्या हो सकता है?
(a) भारत की ऊर्जा दक्षता में कमी
(b) पश्चिमी प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करना और रूस के युद्ध वित्तपोषण में योगदान
(c) भारत की घरेलू तेल उत्पादन क्षमता में वृद्धि
(d) भारत का गुटनिरपेक्ष आंदोलन में मजबूत होना
उत्तर: (b)
व्याख्या: ट्रम्प की चिंता का मुख्य कारण यह हो सकता है कि भारत का रूसी तेल खरीदना पश्चिमी प्रतिबंधों को कमजोर करता है और अप्रत्यक्ष रूप से रूस के युद्ध प्रयासों को वित्तपोषित कर सकता है।
8. प्रश्न: भारत की विदेश नीति में ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) का क्या अर्थ है?
(a) किसी भी बाहरी शक्ति से पूरी तरह अलग रहना।
(b) अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार स्वतंत्र रूप से निर्णय लेना, भले ही वह प्रमुख शक्तियों के रुख से भिन्न हो।
(c) केवल गुटनिरपेक्षता का पालन करना।
(d) अपने सभी निर्णय केवल संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निर्देशों पर आधारित करना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: रणनीतिक स्वायत्तता का अर्थ है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए, बिना किसी बाहरी दबाव के, स्वतंत्र रूप से अपने विदेश और रक्षा नीति संबंधी निर्णय ले सकता है।
9. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा एक देश भारत के लिए एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है?
(a) रूस
(b) संयुक्त राज्य अमेरिका
(c) ईरान
(d) सऊदी अरब
उत्तर: (b)
व्याख्या: संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के लिए एलएनजी का एक प्रमुख और बढ़ता हुआ आपूर्तिकर्ता है।
10. प्रश्न: ऊर्जा आयात के संदर्भ में, भारत के लिए ‘विविधीकरण’ (Diversification) का क्या महत्व है?
(a) केवल एक देश पर निर्भरता बढ़ाना।
(b) आपूर्ति के स्रोतों को बढ़ाना ताकि किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भरता से बचा जा सके।
(c) केवल नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करना।
(d) केवल घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण आपूर्ति की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करता है, जिससे किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भरता के जोखिम को कम किया जा सके।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. प्रश्न: भारत की ऊर्जा सुरक्षा के संदर्भ में, रूसी कच्चे तेल के आयात पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टिप्पणियों का विश्लेषण करें। इस संदर्भ में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और राष्ट्रीय हितों पर इसके निहितार्थों की चर्चा करें। (लगभग 250 शब्द)
2. प्रश्न: भारत को अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर क्यों रहना पड़ता है? रूसी तेल के बढ़ते महत्व और इससे जुड़ी भू-राजनीतिक चुनौतियों पर विस्तार से लिखें। (लगभग 250 शब्द)
3. प्रश्न: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठा रहा है? ऊर्जा स्रोतों के विविधीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और ऊर्जा दक्षता जैसे उपायों की भूमिका का मूल्यांकन करें। (लगभग 150 शब्द)
4. प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय दबाव और राष्ट्रीय हित के बीच संतुलन बनाते हुए भारत अपनी ऊर्जा कूटनीति कैसे संचालित करता है? CAATSA जैसे कानूनों और प्रतिबंधों के संदर्भ में भारत की स्थिति का विश्लेषण करें। (लगभग 150 शब्द)