गलवान: SC का सवाल – चीनी अतिक्रमण पर क्या है पुख्ता जानकारी?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा और भू-राजनीति के क्षेत्र में एक नई बहस छेड़ दी है। यह सवाल विशेष रूप से चीन द्वारा भारत की सीमा पर कथित अतिक्रमण और इस संबंध में उपलब्ध साक्ष्यों की प्रकृति से जुड़ा है। अदालत ने पूछा है कि राहुल गांधी को चीन द्वारा भारतीय भूमि पर कब्जा करने की जानकारी कैसे है, और इसके लिए उनके पास क्या “पुख्ता जानकारी” (conclusive evidence) है। यह मामला न केवल राजनीतिक गलियारों में गूंज रहा है, बल्कि यह UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा, भू-राजनीतिक संबंध, सीमा प्रबंधन और सूचना की प्रामाणिकता जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का एक अवसर भी प्रस्तुत करता है।
यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना के विभिन्न आयामों का विश्लेषण करेगा, जिसमें यह समझने की कोशिश की जाएगी कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का क्यों है, इसमें निहित भू-राजनीतिक और सुरक्षा संबंधी मुद्दे क्या हैं, और UPSC सिविल सेवा परीक्षा के दृष्टिकोण से उम्मीदवारों को किन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
क्या है पूरा मामला? (What is the Entire Case?)
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कई मौकों पर, विशेष रूप से 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद, यह आरोप लगाया है कि चीन ने भारतीय भूमि पर अतिक्रमण किया है। उन्होंने अक्सर भारत सरकार की इस मुद्दे पर चुप्पी और पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाए हैं। उनके बयानों में अक्सर यह बात शामिल रही है कि चीन ने काफी मात्रा में भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है।
इस संदर्भ में, सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राहुल गांधी से इस संबंध में उनके दावों के समर्थन में “पुख्ता जानकारी” का स्रोत और प्रकृति पूछे। अदालत का यह प्रश्न इस तथ्य पर आधारित है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा संबंधी मामलों में ऐसे दावों को सार्वजनिक करने से पहले तथ्यों की सत्यता और स्रोत का स्पष्ट होना अत्यंत आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि जानकारी भ्रामक न हो और राष्ट्र की सुरक्षा को खतरे में न डाले।
न्यायालय की यह मंशा यह स्पष्ट करना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गंभीर आरोप, विशेषकर विदेश नीति और सीमा विवाद के संदर्भ में, बिना ठोस सबूतों के आधार पर नहीं लगाए जाने चाहिए। यह मामला एक जिम्मेदार नागरिक के कर्तव्य और सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जवाबदेही दोनों को रेखांकित करता है।
गलवान घाटी: एक भू-राजनीतिक संघर्ष (Galwan Valley: A Geopolitical Flashpoint)
गलवान घाटी, लद्दाख के पूर्वी हिस्से में स्थित, भारत और चीन के बीच एक विवादास्पद सीमा क्षेत्र है। 15 जून 2020 को, इस क्षेत्र में भारत और चीनी सेनाओं के बीच एक हिंसक झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए और चीनी पक्ष को भी भारी नुकसान हुआ। यह संघर्ष दशकों में दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर सैन्य टकराव था और इसने दोनों देशों के संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया।
यह झड़प एलएसी (Line of Actual Control – वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर चीन द्वारा यथास्थिति को बदलने के प्रयासों के परिणामस्वरूप हुई थी। चीन ने गलवान नदी के मुहाने पर एक सड़क का निर्माण किया था, जिसे भारत द्वारा एलएसी का उल्लंघन माना गया। इसी पर विवाद के चलते दोनों सेनाओं में हिंसक झड़प हुई, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक मारे गए।
गलवान घाटी का सामरिक महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह कराकोरम दर्रे (Karakoram Pass) के पास स्थित है, जो चीन के शिंजियांग प्रांत को पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान से जोड़ता है। इस क्षेत्र पर नियंत्रण चीन को सामरिक बढ़त प्रदान कर सकता है, खासकर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के लिए।
राहुल गांधी के आरोप और “पुख्ता जानकारी” का सवाल (Rahul Gandhi’s Allegations and the Question of “Conclusive Evidence”)
राहुल गांधी ने लगातार दावा किया है कि चीन ने भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने सरकार पर इस सच्चाई को छिपाने का आरोप लगाया है। उनके बयानों में अक्सर यह कहा गया है कि “चीन ने हमारी जमीन छीन ली है”।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा “पुख्ता जानकारी” का सवाल उठाना कई महत्वपूर्ण चिंताओं को उजागर करता है:
- सूचना की प्रामाणिकता: राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में, ऐसे दावों को सार्वजनिक करने से पहले उनकी सत्यता और स्रोत की पुष्टि करना महत्वपूर्ण है। गलत या अतिरंजित जानकारी अफवाहों को जन्म दे सकती है और जनता के बीच भ्रम पैदा कर सकती है, जो अंततः राष्ट्र के हित में नहीं है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा का संवेदनशीलता: सीमा विवाद और अतिक्रमण जैसे मामले अत्यंत संवेदनशील होते हैं। इन पर की गई कोई भी टिप्पणी या आरोप, विशेष रूप से एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती द्वारा, दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों और सीमा पर स्थिरता को प्रभावित कर सकती है।
- सरकार की जवाबदेही: जबकि विपक्षी दलों को सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का अधिकार है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या ऐसे आरोप पर्याप्त सबूतों पर आधारित हैं या केवल राजनीतिक लाभ के लिए किए जा रहे हैं।
- “सच्चे भारतीय” पर टिप्पणी: अदालत द्वारा “सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते” वाली टिप्पणी, संभवतः, ऐसे संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों पर जिम्मेदार और साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण अपनाने की अपेक्षा को दर्शाती है। यह उन लोगों पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधती है जो बिना सोचे-समझे या व्यक्तिगत एजेंडे के तहत देश के हितों को खतरे में डाल सकते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारतीय सेना और सरकार ने स्पष्ट किया है कि चीन ने एलएसी पर यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया है, और भारत किसी भी अतिक्रमण को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, “पुख्ता जानकारी” के संबंध में अदालत का सवाल, सार्वजनिक रूप से किए गए दावों की प्रकृति पर केंद्रित है।
UPSC के लिए महत्वपूर्ण अवधारणाएं (Key Concepts for UPSC)
यह मामला UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। उम्मीदवार निम्नलिखित अवधारणाओं पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं:
1. राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security)
- परिभाषा: किसी राष्ट्र की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और लोगों के जीवन की रक्षा।
- भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा: इसमें सीमा सुरक्षा, आतंकवाद का मुकाबला, आंतरिक सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा और साइबर सुरक्षा शामिल है।
- सीमा प्रबंधन: भारत की लंबी और जटिल सीमाओं (जैसे चीन और पाकिस्तान के साथ) का प्रबंधन एक प्रमुख राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती है। इसमें निगरानी, गश्त, बुनियादी ढांचे का विकास और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय आबादी का समर्थन शामिल है।
- भू-राजनीतिक कारक: पड़ोसी देशों के साथ संबंध, क्षेत्रीय शक्ति संतुलन और अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ राष्ट्रीय सुरक्षा को कैसे प्रभावित करती हैं।
2. भू-राजनीति और विदेश नीति (Geopolitics and Foreign Policy)
- चीन-भारत संबंध: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, वर्तमान तनाव, सीमा विवाद, आर्थिक संबंध और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा।
- एलएसी (Line of Actual Control): यह क्या है, इसके विवादित बिंदु, और इसके संबंध में दोनों देशों के दृष्टिकोण।
- सामरिक चौकियाँ: जैसे गलवान घाटी, जो चीन के BRI और CPEC के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- क्षेत्रीय शक्ति संतुलन: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका और चीन का बढ़ता प्रभाव।
- कूटनीति और संवाद: सीमा मुद्दों को हल करने के लिए भारत द्वारा अपनाई गई विभिन्न कूटनीतिक और सैन्य-स्तरीय वार्ताएं।
3. सूचना की प्रामाणिकता और मीडिया की भूमिका (Authenticity of Information and Role of Media)
- गलत सूचना (Misinformation) और दुष्प्रचार (Disinformation): राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में इनका खतरा।
- सबूत-आधारित तर्क: सार्वजनिक बहस और नीति-निर्माण में साक्ष्य का महत्व।
- मीडिया की जिम्मेदारी: राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील मामलों को कवर करते समय मीडिया को किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए।
- सूचना का स्रोत: किसी भी दावे की विश्वसनीयता का मूल्यांकन कैसे करें।
4. संवैधानिक और कानूनी पहलू (Constitutional and Legal Aspects)
- संसद की भूमिका: राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित निर्णयों में संसद की भूमिका।
- न्यायपालिका की भूमिका: राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में अदालतों का हस्तक्षेप, जैसे कि वर्तमान मामला।
- सूचना का अधिकार (RTI) बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा: सार्वजनिक डोमेन में जानकारी की उपलब्धता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन।
UPSC परीक्षा के लिए तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for UPSC Exam?)
इस मामले को UPSC की तैयारी के नजरिए से देखें तो, उम्मीदवारों को निम्नलिखित पर ध्यान देना चाहिए:
- इतिहास को समझें: भारत-चीन सीमा विवाद का ऐतिहासिक संदर्भ, 1962 का युद्ध, और पिछले दशकों में हुई झड़पें।
- भूगोल का ज्ञान: एलएसी, महत्वपूर्ण दर्रे (जैसे काराकोरम), और विवादित क्षेत्र (जैसे गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो) की स्थिति का नक्शे पर अध्ययन।
- वर्तमान घटनाओं पर नजर: भारत और चीन के बीच सीमा पर हाल की घटनाएं, सैन्य वार्ताएं, और कूटनीतिक प्रतिक्रियाएं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे: सीमा प्रबंधन, घुसपैठ, आतंकवाद, और चीन जैसे पड़ोसियों से उत्पन्न होने वाले खतरे।
- रणनीतिक विश्लेषण: चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) और ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (String of Pearls) जैसी रणनीतियों का भारत पर प्रभाव।
- सरकार की नीतियाँ: सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम।
- विपक्ष की भूमिका: राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विपक्षी दलों की भूमिका और उनके तर्कों का विश्लेषण।
उदाहरण के लिए, आप समझ सकते हैं कि एलएसी क्या है। यह वास्तविक नियंत्रण रेखा है, लेकिन इसका सटीक निर्धारण दोनों देशों के बीच विवाद का विषय है। 1993 के “सीमा पर शांति और सद्भाव बनाए रखने के समझौते” और 1996 के “सैन्य क्षेत्र में विश्वास-निर्माण उपायों पर समझौते” के बावजूद, एलएसी पर तनाव बना हुआ है।
एक और उदाहरण, चीन की ‘डिजिटल सिल्क रोड’ (Digital Silk Road) का विचार, जो BRI का एक महत्वपूर्ण घटक है, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नई चुनौतियाँ पेश कर सकता है, विशेषकर डेटा सुरक्षा और साइबर डोमेन में।
इस मामले के पक्ष और विपक्ष (Arguments For and Against)
इस मामले को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है:
पक्ष (Arguments For Scrutiny of Allegations)
- जिम्मेदारी: सार्वजनिक व्यक्तियों, विशेषकर राजनीतिक नेताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर जिम्मेदार और साक्ष्य-आधारित बयान देने चाहिए।
- अफवाहों पर रोक: बिना पुख्ता सबूत के आरोप अफवाहों को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे जनता में भय और अनिश्चितता फैल सकती है।
- कूटनीतिक प्रभाव: ऐसे आरोप भारत की कूटनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकते हैं और चीन को जवाबी हमले का मौका दे सकते हैं।
- न्यायपालिका का कर्तव्य: न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक बयानों की प्रामाणिकता बनी रहे, खासकर जब वे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हों।
विपक्ष (Arguments for Freedom of Speech and Criticism)
- लोकतंत्र में अधिकार: विपक्ष को सरकार की नीतियों और कार्यों पर सवाल उठाने और आलोचना करने का अधिकार है।
- जवाबदेही: सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में पारदर्शिता बरतनी चाहिए और जनता को सूचित रखना चाहिए।
- सूचना का अधिकार: नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि उनकी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों से कैसे निपट रही है।
- विभिन्न स्रोत: राहुल गांधी जैसे नेताओं के पास खुफिया रिपोर्ट, सैटेलाइट इमेजरी या अन्य अनौपचारिक स्रोतों से जानकारी हो सकती है, जिसे वे सार्वजनिक रूप से साझा करने में हिचकिचा सकते हैं।
चुनौतियाँ और भविष्य की राह (Challenges and Way Forward)
इस मामले से जुड़ी कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं:
- सूचना का द्वंद्व: सरकार का आधिकारिक रुख और कुछ राजनीतिक हस्तियों के सार्वजनिक दावे कभी-कभी अलग हो सकते हैं, जिससे जनता के लिए सत्य का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
- कूटनीतिक संवेदनशीलता: सीमा विवादों पर सार्वजनिक बयानबाजी को अत्यंत सावधानी से संतुलित करने की आवश्यकता होती है ताकि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नुकसान न पहुंचे।
- सबूतों की गोपनीयता: राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में, सरकार अक्सर खुफिया जानकारी या सैन्य रणनीतियों का विवरण सार्वजनिक नहीं करती है, जिससे आलोचकों को जवाब देना मुश्किल हो जाता है।
भविष्य की राह में, यह आवश्यक है कि:
- पारदर्शिता और संचार: सरकार को संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर भी, जहां तक संभव हो, जनता के साथ अधिक पारदर्शी संचार बनाए रखना चाहिए।
- सबूत-आधारित बहस: राजनीतिक बहसों को व्यक्तिगत हमलों या निराधार दावों से ऊपर उठाकर, ठोस सबूतों और तर्कों पर आधारित होना चाहिए।
- राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखना: राजनीतिक मतभेदों को राष्ट्रीय हित से ऊपर नहीं रखा जाना चाहिए, खासकर सीमा सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मामलों में।
- खुफिया तंत्र को मजबूत करना: भारत के खुफिया तंत्र को मजबूत और स्वतंत्र होना चाहिए ताकि सटीक और समय पर जानकारी उपलब्ध हो सके।
निष्कर्षतः, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राहुल गांधी से पूछा गया यह प्रश्न केवल एक राजनीतिक बयान की सत्यता की जाँच मात्र नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा, सूचना की प्रामाणिकता और सार्वजनिक भाषण की जिम्मेदारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालता है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना भारत की विदेश नीति, भू-राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है, जो परीक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का निर्धारण किस वर्ष के समझौते के तहत किया गया था?
(a) 1954
(b) 1962
(c) 1993
(d) 2003
उत्तर: (c) 1993
व्याख्या: 1993 के “सीमा पर शांति और सद्भाव बनाए रखने के समझौते” में एलएसी पर सहमति व्यक्त की गई थी, हालांकि इसका सटीक निर्धारण विवादास्पद बना हुआ है।
2. गलवान घाटी संघर्ष, जो 2020 में हुआ, निम्नलिखित में से किस भारतीय राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में स्थित है?
(a) हिमाचल प्रदेश
(b) उत्तराखंड
(c) लद्दाख
(d) सिक्किम
उत्तर: (c) लद्दाख
व्याख्या: गलवान घाटी भारत के लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में स्थित है।
3. निम्नलिखित में से कौन सा कथन चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) के बारे में सही है?
(a) यह मुख्य रूप से चीन के आंतरिक विकास पर केंद्रित है।
(b) इसका उद्देश्य एशिया, यूरोप और अफ्रीका को जोड़ने वाले बुनियादी ढांचा नेटवर्क का निर्माण करना है।
(c) यह पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर देता है।
(d) यह केवल प्रशांत महासागर क्षेत्र को लक्षित करता है।
उत्तर: (b) इसका उद्देश्य एशिया, यूरोप और अफ्रीका को जोड़ने वाले बुनियादी ढांचा नेटवर्क का निर्माण करना है।
व्याख्या: BRI एक महत्वाकांक्षी वैश्विक अवसंरचना विकास रणनीति है जिसका उद्देश्य भूमि और समुद्री मार्गों का एक व्यापक नेटवर्क बनाना है।
4. राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित किस प्रकार की जानकारी को सार्वजनिक करने से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है?
(a) सरकारी नीतियों का सामान्य विश्लेषण
(b) रक्षा खर्च का बजट
(c) सेना की तैनाती और विशेष अभियानों का विवरण
(d) राष्ट्रीय सुरक्षा पर विशेषज्ञों के राय
उत्तर: (c) सेना की तैनाती और विशेष अभियानों का विवरण
व्याख्या: सेना की तैनाती, परिचालन योजनाओं और विशेष अभियानों के विवरण जैसी जानकारी का खुलासा शत्रु को रणनीतिक लाभ दे सकता है।
5. सर्वोच्च न्यायालय ने किस संदर्भ में राहुल गांधी से “पुख्ता जानकारी” का स्रोत पूछा?
(a) भारत-चीन व्यापार घाटे के संबंध में
(b) चीन द्वारा भारतीय भूमि पर कथित अतिक्रमण के संबंध में
(c) भारत-पाकिस्तान सीमा पर घुसपैठ के संबंध में
(d) कोविड-19 महामारी के प्रबंधन के संबंध में
उत्तर: (b) चीन द्वारा भारतीय भूमि पर कथित अतिक्रमण के संबंध में
व्याख्या: यह सवाल चीन द्वारा भारतीय भूमि पर कथित अतिक्रमण के राहुल गांधी के दावों से संबंधित था।
6. निम्नलिखित में से कौन सा संगठन भारत-चीन सीमा पर विवादों को हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है?
(a) ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन
(b) शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
(c) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)
(d) सैन्य-स्तरीय वार्ताएं (Military-level talks)
उत्तर: (d) सैन्य-स्तरीय वार्ताएं (Military-level talks)
व्याख्या: एलएसी पर तनाव कम करने और विवादों को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच नियमित सैन्य-स्तरीय वार्ताएं आयोजित की जाती हैं।
7. “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” (String of Pearls) सिद्धांत का संबंध किससे है?
(a) भारत का समुद्री सुरक्षा जाल
(b) चीन की हिंद महासागर में बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति
(c) दक्षिण चीन सागर में विवाद
(d) जापान की समुद्री सुरक्षा रणनीति
उत्तर: (b) चीन की हिंद महासागर में बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति
व्याख्या: “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” चीन की हिंद महासागर क्षेत्र में बंदरगाहों और नौसैनिक अड्डों के माध्यम से अपनी प्रभाव और उपस्थिति का विस्तार करने की रणनीति को संदर्भित करता है।
8. राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, “यथास्थिति को बदलना” (Changing the status quo) का क्या अर्थ है?
(a) मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था को बनाए रखना
(b) सीमा पर मौजूदा नियंत्रण रेखाओं या सीमाओं को एकतरफा ढंग से बदलना
(c) आर्थिक विकास की गति को तेज करना
(d) अंतर्राष्ट्रीय संधियों का पालन करना
उत्तर: (b) सीमा पर मौजूदा नियंत्रण रेखाओं या सीमाओं को एकतरफा ढंग से बदलना
व्याख्या: “यथास्थिति को बदलना” किसी भी देश द्वारा, विशेषकर सैन्य बल या दबाव के माध्यम से, मौजूदा नियंत्रण रेखाओं या सीमाओं की स्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने का प्रयास करना है।
9. निम्नलिखित में से कौन सी अंतर्राष्ट्रीय संस्था भारत-चीन संबंधों को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकती है?
(a) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
(b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
(c) आसियान (ASEAN) क्षेत्रीय मंच
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: ये सभी अंतर्राष्ट्रीय संगठन अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से भारत-चीन संबंधों, व्यापार, क्षेत्रीय सुरक्षा और भू-राजनीति को प्रभावित करते हैं।
10. गुप्त जानकारी (classified information) के बारे में सार्वजनिक बयानों से संबंधित किस प्रकार की चिंता उत्पन्न हो सकती है?
(a) यह देश के वित्तीय बाजार को स्थिर कर सकती है।
(b) यह राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर कर सकती है और शत्रु को लाभ पहुंचा सकती है।
(c) यह अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति को मजबूत कर सकती है।
(d) यह सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है।
उत्तर: (b) यह राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर कर सकती है और शत्रु को लाभ पहुंचा सकती है।
व्याख्या: गुप्त जानकारी का अनधिकृत खुलासा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. भारत-चीन सीमा विवाद के संदर्भ में, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर सार्वजनिक बयानों की प्रामाणिकता पर उठाए गए प्रश्न के महत्व का विश्लेषण करें। राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने में सूचना की प्रामाणिकता और राजनीतिक जिम्मेदारी की भूमिका पर चर्चा करें।
2. गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में आए तनाव और इसके भू-राजनीतिक निहितार्थों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। भारत को इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
3. राष्ट्रीय सुरक्षा के संवेदनशील मुद्दों पर विपक्ष की भूमिका और सरकार की जवाबदेही के बीच संतुलन कैसे बनाया जाना चाहिए? लोकलुभावन नारों और साक्ष्य-आधारित आलोचना के बीच अंतर स्पष्ट करें।
4. भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एलएसी (Line of Actual Control) पर चीन द्वारा यथास्थिति को बदलने के प्रयासों से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का विश्लेषण करें। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की वर्तमान रक्षा और कूटनीतिक रणनीतियों की विवेचना करें।