संविधान की कसौटी: अपनी पॉलिटी की समझ परखें
आइए, भारतीय लोकतंत्र के इस आधारभूत ढांचे को गहराई से समझें! हर दिन की तरह, आज भी हम पॉलिटी के महत्वपूर्ण सवालों के साथ आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखने के लिए हाजिर हैं। यह क्विज़ आपको संविधान के हर पहलू पर अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद करेगा। तैयार हो जाइए, परीक्षा आपकी राह देख रही है!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत के संविधान के ‘प्रस्तावना’ के बारे में सही नहीं है?
- प्रस्तावना संविधान का एक अंग है।
- प्रस्तावना न्याय योग्य नहीं है।
- प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है।
- प्रस्तावना सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समीक्षा योग्य है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है (केशवानंद भारती मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित)। प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है (42वें संशोधन द्वारा ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए)। यह न्याय योग्य नहीं है, जिसका अर्थ है कि इसके प्रावधानों को सीधे अदालत में लागू नहीं कराया जा सकता। हालांकि, प्रस्तावना संविधान के अन्य प्रावधानों की व्याख्या के लिए महत्वपूर्ण है।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती मामले (1973) में कहा कि प्रस्तावना संविधान का अंग है, लेकिन यह नहीं कहा कि यह समीक्षा योग्य (judicially reviewable) है, जिसका अर्थ है कि इसके आधार पर न्यायालय किसी कानून को रद्द कर सकता है। प्रस्तावना स्वयं ‘न्याय योग्य’ नहीं है।
- गलत विकल्प: विकल्प (d) गलत है क्योंकि प्रस्तावना स्वयं न्याय योग्य नहीं है। न्यायालय प्रस्तावना का उपयोग संविधान के अन्य हिस्सों की व्याख्या के लिए कर सकता है, लेकिन प्रस्तावना के प्रावधानों को लागू कराने के लिए सीधे न्यायालय का दरवाजा खटखटाया नहीं जा सकता।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत भारत का राष्ट्रपति क्षमादान की शक्ति का प्रयोग करता है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 112
- अनुच्छेद 161
- अनुच्छेद 123
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति को अनुच्छेद 72 के तहत क्षमादान की शक्ति प्राप्त है। इसके तहत राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकते हैं, दंड को निलंबित, लघु या परिहार कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति राष्ट्रपति को कुछ विशिष्ट मामलों में जैसे कि सभी दंड और सजा के मामलों में, किसी ऐसे अपराध के लिए जो संघ की विधियों के विरुद्ध हो; किसी कोर्ट-मार्शल द्वारा दी गई सजा के मामले में; और उस सजा के मामले में जिसमें दंड या सजा का स्वरूप मृत्युदंड, सचेत निष्पादन, या ऐसे स्वरूप का हो जो राष्ट्रपति की शक्ति के अधीन हो।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण से संबंधित है। अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से संबंधित है (जो मृत्युदंड पर क्षमादान नहीं दे सकता)। अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी याचिका किसी व्यक्ति को अवैध रूप से बंदी बनाए जाने पर उसकी रिहाई के लिए जारी की जाती है?
- परमादेश (Mandamus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह याचिका किसी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में लिए जाने पर उसकी रिहाई के लिए जारी की जाती है। यह शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: यह याचिका किसी भी व्यक्ति को, चाहे वह नागरिक हो या गैर-नागरिक, किसी भी सरकारी या निजी प्राधिकरण द्वारा की गई अवैध हिरासत से मुक्त कराने के लिए जारी की जा सकती है।
- गलत विकल्प: परमादेश (Mandamus) किसी लोक प्राधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्य का पालन करने का आदेश देती है। प्रतिषेध (Prohibition) किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी की जाती है। उत्प्रेषण (Certiorari) किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण के किसी आदेश को रद्द करने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 4: भारत में ‘शून्य काल’ (Zero Hour) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- प्रश्नकाल के तुरंत बाद का समय, जब सदस्य अध्यक्ष की अनुमति से किसी भी महत्वपूर्ण मामले पर चर्चा कर सकते हैं।
- सत्र का पहला घंटा, जब सदस्य मंत्रियों से प्रश्न पूछते हैं।
- सत्र का अंतिम घंटा, जब महत्वपूर्ण बिलों पर चर्चा होती है।
- संसद का वह समय जब कोई भी विधायी कार्य नहीं होता।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘शून्य काल’ (Zero Hour) संसद में एक ऐसी अवधि है जो प्रश्नकाल (Question Hour) के तुरंत बाद शुरू होती है और एजेंडे में सूचीबद्ध अगले मद (आमतौर पर दोपहर 1 बजे) तक चलती है। इस दौरान, सदस्य अध्यक्ष की अनुमति से तत्काल सार्वजनिक महत्व के मामले उठा सकते हैं, जिनके बारे में वे लिखित सूचना पहले दे चुके हों। यह भारतीय संसदीय नवाचार है और इसका उल्लेख हमारे संविधान में नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: शून्य काल सदस्यों को बिना पूर्व-निर्धारित एजेंडा के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों को उठाने का अवसर प्रदान करता है, जिससे सार्वजनिक हित के मामलों पर तुरंत ध्यान आकर्षित किया जा सके।
- गलत विकल्प: प्रश्नकाल (Question Hour) सत्र का पहला घंटा होता है जब सदस्य मंत्रियों से प्रश्न पूछते हैं। अंतिम घंटा आमतौर पर बिलों या अन्य विधायी कार्यों के लिए आरक्षित होता है। शून्य काल के दौरान विधायी कार्य होता है, यह तब होता है जब सदस्य महत्वपूर्ण मुद्दे उठाते हैं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से किस अनुसूची को 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था?
- सातवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची (Eleventh Schedule) को जोड़ा। इस अनुसूची में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) से संबंधित 29 विषयों को सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें वे अपने अधिकार क्षेत्र में विकसित और कार्यान्वित कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देना और उन्हें ‘सरकार की स्व-शासी संस्थाओं’ के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाना था।
- गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची शक्तियों के वितरण से संबंधित है। नौवीं अनुसूची भूमि सुधारों से संबंधित अधिनियमों को न्यायिक समीक्षा से बचाती है (पहले संशोधन द्वारा जोड़ी गई)। बारहवीं अनुसूची (74वें संशोधन द्वारा जोड़ी गई) शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद भारतीय संसद के सदनों के अधिवेशन, सत्रावसान और विघटन से संबंधित है?
- अनुच्छेद 85
- अनुच्छेद 108
- अनुच्छेद 110
- अनुच्छेद 112
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 85 (1) राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी समय संसद के किसी भी सदन को या दोनों सदनों को, जो संसद के रूप में कार्य कर रहे हों, ऐसे समय और ऐसे स्थान पर, जिसे वह उचित समझे, अधिवेशित करने के लिए आहूत करेगा; परंतु, राष्ट्रपति के आसन्न अभिभाषण के लिए या इस अनुच्छेद के अधीन किसी अन्य उद्देश्य के लिए, किसी सदन को आहूत करने की ऐसी अवधि के बारे में, जो राष्ट्रपति, नियम बनाकर, अवधारित करे, राज्य-पत्र में अधिसूचना द्वारा, उपबंध कर सकेगा। अनुच्छेद 85(2) राष्ट्रपति को सदनों या किसी भी सदन का सत्रावसान करने का भी अधिकार देता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 85(2)(b) के अनुसार, राष्ट्रपति, किसी भी सदन का विघटन कर सकता है। लोकसभा का विघटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है, जबकि राज्यसभा एक स्थायी सदन है और इसका विघटन नहीं होता।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 108 संयुक्त बैठक से संबंधित है। अनुच्छेद 110 धन विधेयकों को परिभाषित करता है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?
- भारत का चुनाव आयोग
- संघ लोक सेवा आयोग
- नीति आयोग
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) भारत सरकार का एक थिंक-टैंक है, जिसे 1 जनवरी 2015 को स्थापित किया गया था। यह एक कार्यकारी प्रस्ताव द्वारा गठित किया गया था और यह एक संवैधानिक निकाय नहीं है, न ही यह एक वैधानिक निकाय है। यह एक गैर-संवैधानिक, गैर-वैधानिक निकाय है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, भारत का चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148) सभी भारतीय संविधान में विशेष प्रावधानों के साथ स्थापित संवैधानिक निकाय हैं।
- गलत विकल्प: भारत का चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) (अनुच्छेद 148) तीनों संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि इनका उल्लेख सीधे संविधान में है और इनके गठन, शक्तियां एवं कार्य संविधान द्वारा परिभाषित हैं।
प्रश्न 8: भारतीय संविधान के किस भाग में मूल कर्तव्यों (Fundamental Duties) का उल्लेख किया गया है?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग V
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मूल कर्तव्यों (Fundamental Duties) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51A के तहत किया गया है। इन्हें 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: वर्तमान में, मूल कर्तव्यों की संख्या 11 है। ये मूलतः नागरिकों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में हैं, जो राष्ट्र के प्रति उनके कर्तव्यों को रेखांकित करते हैं, जैसे कि संविधान का पालन करना, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना, आदि।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका और संसद से संबंधित है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी अधिकारी को उसका सार्वजनिक कर्तव्य करने के लिए बाध्य करती है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- परमादेश (Mandamus)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: परमादेश (Mandamus) का अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह एक ऐसी न्यायिक रिट है जो किसी उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण, या किसी लोक प्राधिकारी को उसके सार्वजनिक या कानूनी कर्तव्य को करने के लिए जारी की जाती है, जिसे उसने करने से मना कर दिया हो या करने में विफल रहा हो। यह अनुच्छेद 32 और 226 के तहत उपलब्ध है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट किसी भी सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति को उसके निर्धारित कर्तव्यों का पालन करने के लिए बाध्य करती है, जिससे सार्वजनिक व्यवस्था बनी रहे और नागरिकों को न्याय मिले।
- गलत विकल्प: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) अवैध हिरासत से मुक्ति के लिए है। अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) किसी व्यक्ति को उस पद को छोड़ने का आदेश देती है जिस पर वह अवैध रूप से बैठा है। उत्प्रेषण (Certiorari) किसी निचली अदालत के आदेश को रद्द करने के लिए है।
प्रश्न 10: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का तत्व किस रूप में शामिल है?
- केवल राजनीतिक न्याय
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
- केवल सामाजिक न्याय
- सामाजिक और आर्थिक न्याय
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय’ का उल्लेख है। यह न्याय का त्रि-आयामी स्वरूप भारतीय संविधान के निर्माताओं के एक महत्वपूर्ण उद्देश्य को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक न्याय का अर्थ है कि किसी भी नागरिक के साथ जाति, धर्म, लिंग, जन्मस्थान आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और आय का समान वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है कि सभी नागरिकों को शासन में समान रूप से भाग लेने का अधिकार होगा।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना केवल राजनीतिक या केवल सामाजिक न्याय की बात नहीं करती, बल्कि इन तीनों के एक साथ समावेश की बात करती है, जो एक समावेशी और समतावादी समाज की स्थापना का लक्ष्य रखता है।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय संसद की ‘समिति प्रणाली’ के बारे में सही है?
- समितियाँ संसदीय कार्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और विधायी निरीक्षण में सहायता करती हैं।
- समितियों की सलाह सरकार के लिए बाध्यकारी होती है।
- समितियाँ केवल वित्तीय मामलों से संबंधित होती हैं।
- समितियों के सदस्य संबंधित मंत्री द्वारा नामित किए जाते हैं।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में समिति प्रणाली, विशेष रूप से स्थायी समितियाँ (जैसे लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति, सरकारी आश्वासन समिति) संसदीय कार्य के सुचारू संचालन और विधायी निरीक्षण में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये समितियाँ विधेयकों, बजट प्रस्तावों और सरकारी कामकाज पर विस्तृत जांच और विश्लेषण करती हैं, जिससे संसद को अपने दायित्वों को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा करने में मदद मिलती है।
- संदर्भ और विस्तार: ये समितियाँ संसद के दैनिक कार्यभार को कम करने और विशेषज्ञता प्रदान करने में सहायक होती हैं। वे विधेयकों को अधिक परिष्कृत बनाने में मदद करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि सरकारी धन का समुचित उपयोग हो।
- गलत विकल्प: समितियों की सलाह सरकार के लिए केवल सलाहकार होती है, बाध्यकारी नहीं। समितियाँ केवल वित्तीय मामलों तक सीमित नहीं हैं; वे विभिन्न अन्य विषयों पर भी काम करती हैं (जैसे विशेषाधिकार समिति, याचिका समिति)। समितियों के सदस्यों का चुनाव संबंधित सदन द्वारा (अध्यक्ष/सभापति की सिफारिश पर) किया जाता है, न कि मंत्री द्वारा।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार’ (Right to Life and Personal Liberty) के अंतर्गत आता है?
- निजी संपत्ति का अधिकार
- आवास का अधिकार
- यात्रा का अधिकार
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21, भारतीय संविधान का एक अत्यंत महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार, ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार’ प्रदान करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने इसकी व्याख्या बहुत व्यापक रूप से की है, जिसमें विभिन्न अधिकारों को शामिल किया गया है। इनमें निजी संपत्ति का अधिकार (हालांकि यह अब केवल एक कानूनी अधिकार है), आवास का अधिकार, यात्रा का अधिकार, गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, आजीविका का अधिकार आदि शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978) मामले में जीवन के अधिकार को ‘जीने के अधिकार’ से आगे बढ़ाकर ‘मानवीय गरिमा के साथ जीने के अधिकार’ के रूप में व्याख्यायित किया, जिससे यह अधिक व्यापक हो गया।
- गलत विकल्प: क्योंकि अनुच्छेद 21 की व्याख्या इतनी व्यापक है कि इसमें ऊपर वर्णित तीनों अधिकार (निजी संपत्ति का अधिकार – हालांकि अब केवल अनुच्छेद 300A के तहत कानूनी अधिकार है; आवास का अधिकार; और यात्रा का अधिकार) अप्रत्यक्ष रूप से शामिल माने जाते हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।
प्रश्न 13: यदि किसी राज्य में संवैधानिक मशीनरी के विफल होने पर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है, तो यह किस अनुच्छेद के तहत किया जाता है?
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: किसी राज्य में संवैधानिक मशीनरी के विफल होने की स्थिति में राष्ट्रपति शासन अनुच्छेद 356 के तहत लागू किया जाता है। यह अनुच्छेद राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर या अन्यथा, राष्ट्रपति को यह समाधान होने पर शक्ति प्रदान करता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें राज्य की सरकार संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाई जा सकती।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 356 के तहत, राष्ट्रपति राज्य की सरकार को निलंबित कर सकते हैं, राज्य विधानमंडल की शक्तियों को संसद अपने हाथ में ले सकती है, और राज्य में कार्यकारी आदेश जारी कर सकती है। राष्ट्रपति शासन को अधिकतम 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है, और इसके लिए हर 6 महीने पर संसद के दोनों सदनों का अनुमोदन आवश्यक होता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 365, अनुच्छेद 356 के साथ मिलकर काम करता है; यह तब लागू होता है जब राज्य केंद्र के निर्देशों का पालन नहीं करता है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के कार्यों में शामिल नहीं है?
- केंद्र और राज्य सरकारों के खातों का ऑडिट करना।
- भारत की संचित निधि से धन के निकाले जाने और व्यय की लेखा परीक्षा करना।
- सार्वजनिक धन के उपयोग की दक्षता और मितव्ययिता का ऑडिट करना।
- किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को क्षमादान देना।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की भूमिका भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 में परिभाषित है। CAG का मुख्य कार्य केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के खातों का ऑडिट करना, भारत की संचित निधि से निकाले गए धन के उपयोग की जांच करना, और सार्वजनिक धन के व्यय की दक्षता और मितव्ययिता का ऑडिट करना है। CAG इन ऑडिट रिपोर्ट्स को राष्ट्रपति या राज्यपाल को प्रस्तुत करता है, जो उन्हें संसद या राज्य विधानमंडल के समक्ष रखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: CAG यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग विधिवत, प्राधिकृत रूप से और कुशलता से हो रहा है।
- गलत विकल्प: किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को क्षमादान देने की शक्ति भारत के राष्ट्रपति (अनुच्छेद 72) और राज्यों के राज्यपालों (अनुच्छेद 161) के पास होती है, CAG के पास नहीं।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से किसे ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल किया गया है?
- केवल केंद्रीय सरकार और संसद।
- केवल राज्य सरकारें और राज्य विधानमंडल।
- संघ और राज्य सरकारों के साथ-साथ सभी स्थानीय प्राधिकारी और अन्य प्राधिकारी।
- केवल न्यायपालिका।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ की परिभाषा में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, तथा सभी स्थानीय प्राधिकारी या राज्य के नियंत्रण के अधीन अन्य प्राधिकारी शामिल हैं। यह परिभाषा विशेष रूप से मौलिक अधिकारों के अध्याय (भाग III) के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘अन्य प्राधिकारी’ की व्याख्या सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न मामलों में की है, जिसमें वे निकाय भी शामिल हैं जो सार्वजनिक कार्यों को करते हैं या सरकार के नियंत्रण में हैं, भले ही वे सीधे सरकारी विभाग न हों।
- गलत विकल्प: राज्य की परिभाषा में केवल केंद्रीय या राज्य सरकारों को ही नहीं, बल्कि उनके अधीन काम करने वाले सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारियों को भी शामिल किया गया है। न्यायपालिका भी राज्य का एक अंग है।
प्रश्न 16: भारतीय संविधान में ‘अवशिष्ट शक्तियां’ (Residuary Powers) किसके पास निहित हैं?
- केंद्र सरकार
- राज्य सरकारें
- केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर
- राष्ट्रपति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में विधायी विषयों को विभाजित करती है। अवशिष्ट शक्तियाँ, यानी वे विषय जो इन तीनों सूचियों में कहीं भी शामिल नहीं हैं, अनुच्छेद 248 के अनुसार संघ (केंद्र सरकार) के पास निहित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 248 (1) कहता है कि संसद के पास उन सभी विषयों के संबंध में कानून बनाने की अनन्य शक्ति है जो राज्य सूची में प्रगणित नहीं हैं। संविधान की संघ सूची में उन विषयों को शामिल किया गया है जिन पर केवल संसद कानून बना सकती है।
- गलत विकल्प: राज्य सरकारें केवल राज्य सूची के विषयों पर कानून बना सकती हैं। केंद्र और राज्य मिलकर अवशिष्ट शक्तियों का प्रयोग नहीं करते, और न ही राष्ट्रपति के पास यह विशेष शक्ति है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी संसदीय समिति ‘लोक लेखा समिति’ (Public Accounts Committee) की तरह ही महत्वपूर्ण मानी जाती है और जिसका कार्य सरकारी व्यय पर नियंत्रण रखना है?
- सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति
- महिला सशक्तिकरण समिति
- प्राक्कलन समिति (Estimates Committee)
- विशेषाधिकार समिति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्राक्कलन समिति (Estimates Committee) और लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) भारतीय संसद की दो प्रमुख वित्तीय समितियाँ हैं। लोक लेखा समिति CAG की रिपोर्टों की जाँच करती है, जबकि प्राक्कलन समिति सरकारी व्यय में ‘कुशलता और मितव्ययिता’ (economy and efficiency) को सुनिश्चित करने के लिए नीतियों और अनुमानों की जाँच करती है। अनुच्छेद 113 के तहत, संसद द्वारा जो व्यय किए जाने हैं, उनसे संबंधित सभी प्राक्कलनों की जांच प्राक्कलन समिति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: प्राक्कलन समिति का मुख्य उद्देश्य यह देखना है कि क्या अनुमानित व्यय लागू की गई नीति के अनुरूप है और क्या इस नीति को कुशलतापूर्वक और मितव्ययिता से लागू किया जा सकता है। यह सरकारी व्यय पर नियंत्रण रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- गलत विकल्प: सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति, महिला सशक्तिकरण समिति और विशेषाधिकार समिति अन्य महत्वपूर्ण समितियाँ हैं, लेकिन सरकारी व्यय पर नियंत्रण के संदर्भ में प्राक्कलन समिति की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 18: भारत के संविधान के किस संशोधन द्वारा ‘संपत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर एक सामान्य कानूनी अधिकार बना दिया गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 ने ‘संपत्ति के अधिकार’ को संविधान के भाग III (मौलिक अधिकार) से हटा दिया। इसे अनुच्छेद 31 से हटाकर संविधान के भाग XII में एक नए अनुच्छेद 300A के तहत एक सामान्य कानूनी अधिकार (Legal Right) बना दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य संपत्ति के अधिकार के संबंध में अनिश्चितता को समाप्त करना और समाजवादी लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधाओं को दूर करना था। अब किसी व्यक्ति को विधि के प्राधिकार के बिना उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।
- गलत विकल्प: 42वां संशोधन (मिनी संविधान) ने प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’, ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़े। 52वां संशोधन दलबदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है। 61वां संशोधन मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करने से संबंधित है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन भारत के उपराष्ट्रपति के पद के लिए योग्यता नहीं है?
- वह भारत का नागरिक हो।
- उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो।
- वह लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य हो।
- वह किसी लाभ का पद धारण न करता हो।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद के लिए योग्यताएँ निम्नलिखित हैं: (क) वह भारत का नागरिक हो। (ख) उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष की हो। (ग) वह राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य हो। (घ) वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन या उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण के अधीन किसी भी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के कार्यालय में लाभ का पद धारण नहीं करता हो।
- संदर्भ और विस्तार: उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है, इसलिए उसके लिए राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य होना अनिवार्य है।
- गलत विकल्प: उपराष्ट्रपति के लिए लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता आवश्यक नहीं है, बल्कि राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता आवश्यक है।
प्रश्न 20: किस संशोधन के तहत किसी भी उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई?
- 10वां संशोधन
- 15वां संशोधन
- 24वां संशोधन
- 42वां संशोधन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 15वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1963 ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी। यह संशोधन उच्च न्यायालयों को अधिक स्थिरता और अनुभव प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष है। इस संशोधन ने उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के लिए भी अनुभव और विशेषज्ञता का स्तर बढ़ाने में मदद की।
- गलत विकल्प: 10वां संशोधन दादरा और नगर हवेली को भारतीय संघ में शामिल करने से संबंधित था। 24वां संशोधन संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन करने की शक्ति की पुष्टि करता है। 42वां संशोधन (मिनी संविधान) ने प्रस्तावना में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए।
प्रश्न 21: भारत में ‘लोक उपाधियों’ (Titles) का अंत किस अनुच्छेद के तहत किया गया है?
- अनुच्छेद 17
- अनुच्छेद 18
- अनुच्छेद 19
- अनुच्छेद 20
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 18 भारतीय संविधान में ‘उपाधियों के अंत’ (Abolition of Titles) से संबंधित है। यह उपाधियों के उन्मूलन का प्रावधान करता है, जिसमें राज्य को ऐसी कोई भी उपाधि प्रदान करने से मना किया गया है जो शैक्षणिक या सैन्य विशिष्टताओं से संबंधित न हो। इसके अलावा, यह भारतीय नागरिकों को विदेशी राज्यों से उपाधि स्वीकार करने से रोकता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुच्छेद का उद्देश्य समानता को बढ़ावा देना और किसी भी प्रकार के विशेषाधिकार वाली सामाजिक संरचना को समाप्त करना था, जैसा कि औपनिवेशिक काल में प्रचलित था। भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्म श्री जैसे सम्मान उपाधियाँ नहीं माने जाते हैं, बल्कि वे नागरिक सम्मान हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 17 ‘अस्पृश्यता’ के अंत से संबंधित है। अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कुछ अन्य अधिकारों की गारंटी देता है। अनुच्छेद 20 अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण से संबंधित है।
प्रश्न 22: पंचायत राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 243D
- अनुच्छेद 243E
- अनुच्छेद 243G
- अनुच्छेद 243H
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: पंचायत राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243D (भाग IX) में किया गया है। यह अनुच्छेद पंचायती राज संस्थाओं में सीटों के आरक्षण और इस आरक्षण के आधार पर पंचायतों के अध्यक्षों के पदों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 243D (1) के अनुसार, प्रत्येक पंचायत में, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में स्थानों का आरक्षण होगा। अनुच्छेद 243D (3) कहता है कि सभी पंचायतों में सभी स्तरों पर अध्यक्षों के पदों के लिए और ऐसी पंचायतों में स्थानों के लिए आरक्षित सीटों के लिए, एक तिहाई (1/3) स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे, जो इस प्रकार आरक्षित स्थानों और अध्यक्षों के पदों का एक तिहाई होगा।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 243E पंचायतों की अवधि और पुनर्गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 243G पंचायतों की शक्तियों, प्राधिकार और उत्तरदायित्वों को परिभाषित करता है। अनुच्छेद 243H पंचायतों द्वारा कर आदि अधिरोपित करने की शक्तियाँ बताता है।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान के किस भाग में ‘संघ और राज्यों के बीच विधायी संबंध’ का वर्णन है?
- भाग XI
- भाग XII
- भाग XIII
- भाग XIV
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XI संघ और राज्यों के बीच विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय संबंधों का वर्णन करता है। विशेष रूप से, अध्याय I (अनुच्छेद 245-255) संघ और राज्यों के बीच विधायी संबंधों से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: यह भाग संसद और राज्य विधानमंडलों द्वारा बनाई जा सकने वाली विधियों के क्षेत्रीय विस्तार, विधायी विषयों का वितरण (सातवीं अनुसूची के माध्यम से), और कुछ मामलों में संसद को राज्यों के संबंध में विधायी शक्ति प्रदान करने वाले प्रावधानों को कवर करता है।
- गलत विकल्प: भाग XII वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद से संबंधित है। भाग XIII भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम से संबंधित है। भाग XIV सेवाओं से संबंधित है।
प्रश्न 24: राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- राष्ट्रपति केवल उन्हीं मामलों में क्षमादान दे सकते हैं जिनमें मृत्युदंड दिया गया हो।
- राष्ट्रपति अपनी क्षमादान शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करते हैं।
- राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति पूर्णतः विवेकाधीन है।
- राष्ट्रपति किसी भी सजा को पूर्णतः माफ कर सकते हैं, लेकिन उसे कम नहीं कर सकते।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति (अनुच्छेद 72) का प्रयोग वह मंत्रिपरिषद की सलाह पर करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कई निर्णयों में यह स्पष्ट किया है कि यह शक्ति पूर्णतः विवेकाधीन नहीं है। राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकते हैं, या उसे लघु कर सकते हैं, या दंड को निलंबित, परिहार या लघु कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति को ‘न्यायिक समीक्षा’ के अधीन माना गया है। मंत्रिपरिषद की सलाह राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी होती है, खासकर जब संविधान में यह स्पष्ट उल्लेख हो कि राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार करेगा।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति न केवल मृत्युदंड के मामलों में, बल्कि संघ की विधियों के विरुद्ध अपराधों और कोर्ट मार्शल के मामलों में भी क्षमादान दे सकते हैं। यह शक्ति पूर्णतः विवेकाधीन नहीं है। राष्ट्रपति सजा को कम भी कर सकते हैं।
प्रश्न 25: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत भारतीय नागरिकों को मौलिक कर्तव्य प्रदान किए गए हैं?
- अनुच्छेद 51
- अनुच्छेद 51A
- अनुच्छेद 50
- अनुच्छेद 52
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV-A के अंतर्गत अनुच्छेद 51A में भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों (Fundamental Duties) को सूचीबद्ध किया गया है। इन्हें 42वें संविधान संशोधन, 1976 द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: ये कर्तव्य नागरिकों के लिए राष्ट्रीय लक्ष्यों और आदर्शों के प्रति समर्पण की भावना को बढ़ावा देते हैं, जैसे कि संविधान का पालन करना, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना, स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का पालन करना, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना, आदि।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 51 में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने का उल्लेख है। अनुच्छेद 50 राज्य की कार्यपालिका से न्यायपालिका को पृथक करने का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 52 भारत के राष्ट्रपति के पद से संबंधित है।