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समाजशास्त्र दैनिक मूक टेस्ट: अपनी पकड़ मजबूत करें!

समाजशास्त्र दैनिक मूक टेस्ट: अपनी पकड़ मजबूत करें!

नमस्कार, भविष्य के समाजशास्त्री! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। यह प्रश्नोत्तरी आपके समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई को परखने और अवधारणात्मक स्पष्टता को बढ़ाने का एक बेहतरीन अवसर है। तैयार हो जाइए, क्योंकि हम आपके लिए लेकर आए हैं 25 चुनिंदा प्रश्न, जो सीधे आपके पाठ्यक्रम के महत्वपूर्ण क्षेत्रों से लिए गए हैं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “ज्ञानोदय” (Enlightenment) के विचार ने समाजशास्त्रीय विचार के विकास में किस प्रकार योगदान दिया?

  1. इसने तर्क, कारण और व्यक्तिवाद पर बल दिया, जिसने पारंपरिक सामाजिक व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए।
  2. इसने धार्मिक विश्वासों को समाज का आधार घोषित किया।
  3. इसने सामाजिक परिवर्तन को दैवीय इच्छा का परिणाम बताया।
  4. इसने सामाजिक पदानुक्रम को अपरिवर्तनीय माना।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ज्ञानोदय (18वीं सदी का बौद्धिक आंदोलन) ने तर्क, विज्ञान, व्यक्तिवाद और मानवीय प्रगति पर जोर दिया। इसने चर्च और राजशाही की सत्ता को चुनौती दी और सामाजिक व्यवस्थाओं को तर्क और मानव अनुभव के आधार पर समझने की वकालत की। इसी तर्कसंगत दृष्टिकोण ने समाजशास्त्र के उद्भव के लिए मंच तैयार किया, जो समाज को वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करने का प्रयास करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ज्ञानोदय के विचारकों जैसे कांट, रूसो, और लॉक ने सामाजिक अनुबंध, प्राकृतिक अधिकार और नागरिक स्वतंत्रता पर लिखा, जिसने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समाज के अध्ययन को प्रेरित किया।
  • गलत विकल्प: (b) और (c) ज्ञानोदय के विपरीत थे, जो तर्क और धर्मनिरपेक्षता पर बल देता था। (d) भी गलत है क्योंकि ज्ञानोदय ने सामाजिक असमानताओं पर सवाल उठाए।

प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद में अलगाव (Alienation) का मुख्य कारण क्या है?

  1. पूंजीपति वर्ग द्वारा सर्वहारा वर्ग का शोषण।
  2. उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व।
  3. श्रमिकों द्वारा अपनी श्रम-शक्ति का वस्तु के रूप में बेचना।
  4. सरकारी हस्तक्षेप का अभाव।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने चार प्रकार के अलगाव की बात की: स्वयं से अलगाव, उत्पाद से अलगाव, श्रम प्रक्रिया से अलगाव, और साथी मनुष्यों से अलगाव। ये सभी अलगाव उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व के कारण उत्पन्न होते हैं, जहाँ श्रमिक अपनी श्रम-शक्ति को एक वस्तु की तरह बेचता है और उत्पाद या उत्पादन प्रक्रिया पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रह जाता।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स ने अपनी कृति “इकोनॉमिक एंड फिलॉसॉफ़िकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ़ 1844” में अलगाव की अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया है।
  • गलत विकल्प: (a) शोषण अलगाव का परिणाम और कारण दोनों है, लेकिन मुख्य कारण श्रम-शक्ति का वस्तु बन जाना है। (b) निजी स्वामित्व मूल कारण है, लेकिन अलगाव का प्रत्यक्ष कारण स्वयं श्रम-शक्ति का विक्रय है। (d) पूंजीवाद में सरकारी हस्तक्षेप का अभाव (लाइसेज़-फेयर) अलगाव को बढ़ा सकता है, लेकिन यह मुख्य कारण नहीं है।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) की अवधारणा को क्यों महत्वपूर्ण माना?

  1. सामाजिक घटनाओं का वस्तुनिष्ठ मापन करने के लिए।
  2. सामाजिक व्यवहार के पीछे अंतर्निहित अर्थों और इरादों को समझने के लिए।
  3. बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण करने के लिए।
  4. सांख्यिकीय डेटा एकत्र करने के लिए।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (जर्मन में ‘समझ’) को समाजशास्त्र की एक केंद्रीय पद्धति के रूप में प्रस्तावित किया। इसका अर्थ है कि समाजशास्त्री को उन व्यक्तिपरक अर्थों, प्रेरणाओं और इरादों को समझना चाहिए जो लोग अपने कार्यों के पीछे लगाते हैं। यह समाज को बाहरी तौर पर देखने के बजाय उसकी आंतरिक समझ विकसित करने पर बल देता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वेबर की व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) में यह एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। उनकी पुस्तक “द प्रॉटेस्टैंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म” इसके उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है।
  • गलत विकल्प: (a) वेबर वस्तुनिष्ठता के महत्व को स्वीकार करते थे, लेकिन उनका मानना था कि व्यक्तिपरक अर्थों को समझे बिना समाजशास्त्र अधूरा है। (c) बड़े पैमाने की संरचनाओं का विश्लेषण भी महत्वपूर्ण है, लेकिन वर्टेहेन व्यक्तिपरक स्तर पर केंद्रित है। (d) सांख्यिकीय डेटा उपयोगी है, लेकिन वर्टेहेन का मुख्य उद्देश्य अर्थों को समझना है।

प्रश्न 4: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘सामाजीकरण’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

  1. जब सामाजिक नियम और मानक कमजोर हो जाते हैं या उनका अभाव होता है।
  2. जब समाज अत्यधिक नौकरशाही वाला हो जाता है।
  3. जब सामाजिक असमानता बहुत अधिक हो जाती है।
  4. जब लोग अपने पारंपरिक मूल्यों से दूर हो जाते हैं।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजीकरण’ (Anomie) को समाज की एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया है जहाँ सामाजिक नियम और मूल्य कमजोर पड़ जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना उत्पन्न होती है। यह विशेष रूप से तेजी से सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक संकटों या सामाजिक मानदंडों के टूटने के समय देखा जा सकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी प्रसिद्ध कृतियों “द डिवीजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी” और “सुसाइड” में इस अवधारणा का विश्लेषण किया है।
  • गलत विकल्प: (b) नौकरशाही वेबर का विषय अधिक है। (c) सामाजिक असमानता भी समस्या हो सकती है, लेकिन दुर्खीम के अनुसार अनमी का सीधा संबंध कमजोर नियमों से है। (d) पारंपरिक मूल्यों से दूर जाना अनमी का एक लक्षण हो सकता है, लेकिन अनमी का मूल कारण नियमों का कमजोर होना है।

प्रश्न 5: पैट्रीलोके (Patrilocality) किस प्रकार की नातेदारी व्यवस्था को दर्शाता है?

  1. विवाह के बाद पत्नी अपने पति के परिवार के साथ रहती है।
  2. विवाह के बाद पति अपनी पत्नी के परिवार के साथ रहता है।
  3. विवाह के बाद जोड़े अपने नए घर में रहते हैं।
  4. विवाह के बाद पत्नी अपने मायके वापस चली जाती है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पैट्रीलोके (पितृस्थानीयता) नातेदारी व्यवस्था का वह रूप है जिसमें विवाह के बाद नवविवाहित जोड़ा, विशेष रूप से पत्नी, पति के पैतृक घर या उसके निकट निवास करती है। यह अधिकांश समाजों में एक सामान्य प्रथा रही है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह व्यवस्था अक्सर पितृवंशीय (Patrilineal) वंशानुक्रम और पितृसत्तात्मक (Patriarchal) सामाजिक संरचनाओं से जुड़ी होती है, जहाँ पुरुषों का परिवार पर अधिकार होता है।
  • गलत विकल्प: (b) मैट्रिमोनी (Matrilocality) या मातृस्थानीयता कहलाता है। (c) न्यूलोकेलिटी (Neolocality) या नवस्थानीयता कहलाता है। (d) पत्नी मायके वापस नहीं जाती।

प्रश्न 6: किस समाजशास्त्री ने ‘सिम्बोलिक इंटरएक्शनिज़्म’ (Symbolic Interactionism) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया?

  1. ऑगस्ट कॉम्ते
  2. हरबर्ट मीड
  3. ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
  4. कार्ल मार्क्स

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के प्रमुख संस्थापकों में से एक माना जाता है। यद्यपि उन्होंने स्वयं इस शब्द का प्रयोग नहीं किया, उनके विचारों ने इस सिद्धांत को आकार दिया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मीड ने सिखाया कि समाज प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से व्यक्तियों के बीच होने वाली अंतःक्रियाओं से बनता है। व्यक्ति इन प्रतीकों को सीखता है और उनके माध्यम से स्वयं और दूसरों के बारे में अर्थ निर्मित करता है। उनके मरणोपरांत प्रकाशित कार्य “माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी” इस सिद्धांत का आधार है।
  • गलत विकल्प: कॉम्ते समाजशास्त्र के जनक माने जाते हैं (Positive Philosophy)। रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक-प्रकार्यवाद से जुड़े हैं। मार्क्स संघर्ष सिद्धांत से जुड़े हैं।

प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) को समझने के लिए एम. एन. श्रीनिवास द्वारा दी गई कौन सी अवधारणा महत्वपूर्ण है?

  1. पश्चिमीकरण (Westernization)
  2. धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization)
  3. क्षेत्रीयकरण (Regionalization)
  4. संस्कृतिकरण (Sanskritization)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा दी, जिसका अर्थ है कि निम्न जातियों या जनजातियां उच्च (विशेषकर ब्राह्मण) जातियों की रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, जीवन शैली और विश्वासों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण से तात्पर्य पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से है। (b) धर्मनिरपेक्षीकरण का अर्थ है धर्म का प्रभाव कम होना। (c) क्षेत्रीयकरण स्थानीय पहचान पर आधारित है।

प्रश्न 8: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का वह सिद्धांत जो समाज को विभिन्न समूहों में उनकी शक्ति, प्रतिष्ठा और धन के आधार पर विभाजित करता है, क्या कहलाता है?

  1. सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)
  2. सामाजिक पूंजी (Social Capital)
  3. सामाजिक पदानुक्रम (Social Hierarchy)
  4. सामाजिक एकीकरण (Social Integration)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक पदानुक्रम (Social Hierarchy) समाज में लोगों और समूहों को उनकी शक्ति, विशेषाधिकार, प्रतिष्ठा और संसाधनों तक पहुँच के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। यह सामाजिक स्तरीकरण का मूल विचार है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह पदानुक्रम विभिन्न मानदंडों, जैसे वर्ग, जाति, लिंग, आयु आदि पर आधारित हो सकता है।
  • गलत विकल्प: (a) सामाजिक गतिशीलता एक स्तर से दूसरे स्तर पर जाने की प्रक्रिया है। (b) सामाजिक पूंजी वह लाभ है जो सामाजिक नेटवर्क से प्राप्त होता है। (d) सामाजिक एकीकरण समाज के विभिन्न भागों का सामंजस्य है।

प्रश्न 9: दुर्खीम के अनुसार, ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity) किस प्रकार के समाजों में पाई जाती है?

  1. जटिल और औद्योगिक समाजों में।
  2. आधुनिक और शहरी समाजों में।
  3. सरल, समांगी (Homogeneous) और पूर्व-औद्योगिक समाजों में।
  4. विविध और विषम (Heterogeneous) समाजों में।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: दुर्खीम के अनुसार, यांत्रिक एकता उन समाजों में पाई जाती है जहाँ श्रम का विभाजन कम होता है, लोग समान व्यवसायों में लगे होते हैं, और उनकी जीवन शैली, विश्वास और मूल्य भी समान होते हैं। यहाँ समुदाय की भावना मजबूत होती है और सामूहिक चेतना (Collective Conscience) प्रभावी होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “द डिवीजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी” में प्रस्तुत की गई है।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) आधुनिक समाजों में ‘जैविक एकता’ (Organic Solidarity) पाई जाती है, जो श्रम के उच्च विभाजन और अंतर-निर्भरता पर आधारित होती है। (d) विषम समाजों में यांत्रिक एकता नहीं होती।

प्रश्न 10: भारत में ‘tribe’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया जाता है?

  1. अनुसूचित जातियों के लिए
  2. उन समुदायों के लिए जो मुख्यधारा के हिंदू समाज से अलग अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक-राजनीतिक संरचना बनाए हुए हैं।
  3. सभी ग्रामीण समुदायों के लिए
  4. शहरी झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारतीय संदर्भ में, ‘जनजाति’ (Tribe) शब्द का प्रयोग उन समुदायों के लिए किया जाता है जो ऐतिहासिक रूप से भौगोलिक अलगाव, विशिष्ट भाषा, सामाजिक संस्थाओं, सांस्कृतिक परंपराओं और अक्सर मुख्यधारा के समाज से भिन्न राजनीतिक संगठन के कारण पहचाने जाते हैं। भारतीय संविधान इन्हें ‘अनुसूचित जनजातियों’ (Scheduled Tribes) के रूप में सूचीबद्ध करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अक्सर इन समुदायों को ‘आदिवासी’ भी कहा जाता है, जो उनके प्राचीन मूल को इंगित करता है।
  • गलत विकल्प: (a) अनुसूचित जातियाँ (Scheduled Castes) वे हैं जो ऐतिहासिक रूप से अस्पृश्यता का शिकार रही हैं और जाति व्यवस्था के निचले पायदान पर थीं। (c) और (d) ग्रामीण और शहरी समुदायों की अपनी पहचानें होती हैं, लेकिन ‘जनजाति’ एक विशिष्ट सामाजिक-सांस्कृतिक श्रेणी है।

प्रश्न 11: सामाजिक अनुसंधान (Social Research) में ‘प्रतिभागी अवलोकन’ (Participant Observation) विधि का क्या उद्देश्य है?

  1. केवल गुणात्मक डेटा एकत्र करना।
  2. शोधकर्ता का अध्ययन किए जा रहे समूह के साथ सक्रिय रूप से भाग लेना ताकि उनकी संस्कृति और व्यवहार को गहराई से समझा जा सके।
  3. बड़े जनसमूह से मात्रात्मक डेटा एकत्र करना।
  4. साक्षात्कार के माध्यम से जानकारी प्राप्त करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सहभागी अवलोकन में, शोधकर्ता अध्ययन किए जा रहे समुदाय या समूह का सदस्य बनकर या उनके साथ रहकर उनके दैनिक जीवन, गतिविधियों और अंतःक्रियाओं का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करता है। इसका उद्देश्य समूह के सदस्यों के दृष्टिकोण, मूल्यों और व्यवहार को उनकी प्राकृतिक सेटिंग में गहराई से समझना है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह मानवशास्त्रीय और समाजशास्त्रीय अनुसंधान में एक प्रमुख गुणात्मक विधि है।
  • गलत विकल्प: (a) यह गुणात्मक डेटा एकत्र करती है, लेकिन केवल नहीं। (c) यह बड़े जनसमूह के लिए उपयुक्त नहीं है और मात्रात्मक डेटा इसका प्राथमिक लक्ष्य नहीं है। (d) साक्षात्कार एक संबंधित विधि हो सकती है, लेकिन यह अवलोकन का स्थानापन्न नहीं है।

प्रश्न 12: रॉबर्ट किंग मर्टन के अनुसार, ‘अनुकूली व्यवहार’ (Deviant Behavior) के पीछे कौन सी अवधारणा जिम्मेदार है?

  1. संस्कृति और संरचना के बीच विसंगति (Strain Theory)।
  2. प्रबलित व्यवहार (Reinforced Behavior)।
  3. सामाजिक नियंत्रण का अभाव।
  4. संज्ञानात्मक असंगति (Cognitive Dissonance)।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘स्ट्रेंन थ्योरी’ (Strain Theory) या तनाव सिद्धांत विकसित किया। इसके अनुसार, जब समाज द्वारा निर्धारित सांस्कृतिक लक्ष्य (जैसे धन, सफलता) और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के वैध साधनों (जैसे शिक्षा, रोजगार) के बीच एक अंतर (तनाव) उत्पन्न होता है, तो कुछ व्यक्ति विचलित या अनियंत्रित व्यवहार (Deviant Behavior) अपनाते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उन्होंने इस सिद्धांत का प्रयोग अपराध और विचलन की व्याख्या के लिए किया।
  • गलत विकल्प: (b) और (c) विचलन की व्याख्या के अन्य सिद्धांत हो सकते हैं, लेकिन मर्टन का मुख्य योगदान तनाव सिद्धांत है। (d) संज्ञानात्मक असंगति मनोविज्ञान से संबंधित है।

प्रश्न 13: भारत में ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) की मुख्य विशेषता क्या है?

  1. पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे।
  2. दो या दो से अधिक पीढ़ियों का एक साथ रहना, सामान्य रसोई और संपत्ति साझा करना।
  3. एक ही छत के नीचे केवल भाई-बहन का रहना।
  4. व्यक्तिगत सदस्यों का स्वतंत्र निवास।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारतीय समाजशास्त्रीय अध्ययनों में, संयुक्त परिवार को एक ऐसी इकाई के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें एक सामान्य पूर्वज के वंशज, अक्सर तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य, एक ही घर में रहते हैं, एक ही रसोई से भोजन करते हैं, और एक सामान्य संपत्ति साझा करते हैं। इसमें सत्ता का केंद्रीकरण (आम तौर पर परिवार के सबसे बड़े पुरुष सदस्य के हाथ में) भी एक महत्वपूर्ण विशेषता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इरावती कर्वे ने संयुक्त परिवार को भारतीय समाज की एक मौलिक संस्था माना है।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘नाभिकीय परिवार’ (Nuclear Family) है। (c) यह भी संयुक्त परिवार का एक सीमित रूप है, लेकिन पूर्ण परिभाषा नहीं। (d) यह व्यक्तिगत निवास की विशेषता है।

प्रश्न 14: मैक्स वेबर ने सत्ता (Authority) को किस आधार पर वर्गीकृत किया?

  1. केवल धन और संपत्ति पर आधारित।
  2. परंपरा, करिश्मा और तर्कसंगत-कानूनी मानदंडों पर आधारित।
  3. बल और जबरदस्ती पर आधारित।
  4. नैतिक मूल्यों पर आधारित।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार (Ideal Types) बताए: 1. **पारंपरिक सत्ता (Traditional Authority):** जो रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित होती है (जैसे राजा, मुखिया)। 2. **करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority):** जो किसी व्यक्ति के असाधारण गुणों, व्यक्तित्व और नेतृत्व क्षमता पर आधारित होती है (जैसे धार्मिक नेता, क्रांतिकारी)। 3. **तर्कसंगत-कानूनी सत्ता (Rational-Legal Authority):** जो नियमों, विनियमों और स्थापित कानूनी प्रक्रियाओं पर आधारित होती है (जैसे आधुनिक नौकरशाही, लोकतांत्रिक सरकार)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह वर्गीकरण उनके समाज और राजनीति के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • गलत विकल्प: (a) और (c) केवल एक या दो आयामों पर केंद्रित हैं, वेबर का वर्गीकरण अधिक व्यापक है। (d) नैतिक मूल्य करिश्माई सत्ता का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन यह पूर्ण वर्गीकरण नहीं है।

प्रश्न 15: समाजशास्त्र में ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) से क्या तात्पर्य है?

  1. समाज के भौतिक ढांचे जैसे इमारतें और सड़कें।
  2. उन अंतर्निहित पैटर्न, संबंधों और सामाजिक संस्थाओं का एक स्थिर और व्यवस्थित पैटर्न जो समाज के सदस्यों के व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
  3. समाज में व्यक्तियों की संख्या।
  4. सामाजिक परिवर्तन की गति।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक संरचना समाज के विभिन्न हिस्सों (जैसे संस्थाएं, समूह, भूमिकाएँ) के बीच संबंधों का एक व्यवस्थित और स्थायी पैटर्न है, जो व्यक्तियों के व्यवहार को आकार देता है और समाज को एक एकीकृत इकाई के रूप में कार्य करने में मदद करता है। यह अदृश्य हो सकती है लेकिन समाज के कामकाज के लिए मूलभूत है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम, पार्सन्स और लेवी-स्ट्रॉस जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना के महत्व पर जोर दिया है।
  • गलत विकल्प: (a) यह भौतिक संरचना है, सामाजिक नहीं। (c) व्यक्तियों की संख्या संरचना नहीं है। (d) सामाजिक परिवर्तन संरचना का परिणाम या प्रक्रिया हो सकती है, स्वयं संरचना नहीं।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का उदाहरण है?

  1. एक राजनीतिक दल
  2. एक खेल क्लब
  3. एक विश्वविद्यालय
  4. परिवार

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक संस्थाएं समाज की वे मूलभूत, स्थायी और व्यापक प्रणालियां हैं जो समाज की प्रमुख आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। परिवार, विवाह, धर्म, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और सरकार प्रमुख सामाजिक संस्थाओं के उदाहरण हैं। वे समाज के कामकाज के लिए नियम, भूमिकाएं और अपेक्षित व्यवहार निर्धारित करती हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: परिवार प्रजनन, समाजीकरण और भावनात्मक समर्थन जैसी प्रमुख कार्य करता है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) यद्यपि महत्वपूर्ण सामाजिक संगठन हैं, लेकिन वे मुख्य सामाजिक संस्थाओं की तुलना में अधिक विशिष्ट या कम स्थायी हो सकते हैं। विश्वविद्यालय एक शिक्षा संस्था है, जो शिक्षा की व्यापक संस्था के अंतर्गत आता है।

प्रश्न 17: भारतीय समाज में ‘बहुसंस्कृतिवाद’ (Multiculturalism) का क्या अर्थ है?

  1. सभी संस्कृतियों का एक ही मिश्रित संस्कृति में विलीन हो जाना।
  2. विभिन्न सांस्कृतिक समूहों का अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखते हुए एक ही समाज में सह-अस्तित्व।
  3. एक प्रमुख संस्कृति का अन्य सभी संस्कृतियों पर हावी होना।
  4. केवल शहरी क्षेत्रों में विविध संस्कृतियों का दिखना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: बहुसंस्कृतिवाद एक ऐसी सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था है जिसमें एक राष्ट्र या समाज के भीतर विभिन्न जातीय, सांस्कृतिक, धार्मिक या भाषाई समूह अपनी विशिष्ट पहचान, परंपराओं और प्रथाओं को बनाए रखते हुए सद्भावपूर्ण सह-अस्तित्व में रहते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारत, अपनी विविधताओं के साथ, पारंपरिक रूप से बहुसांस्कृतिक समाज रहा है, भले ही यह शब्द आधुनिक है।
  • गलत विकल्प: (a) संस्कृतियों का मिश्रण ‘संलयन’ (Fusion) या ‘आत्मसातकरण’ (Assimilation) से संबंधित है, न कि बहुसंस्कृतिवाद से। (c) यह ‘सांस्कृतिक वर्चस्व’ (Cultural Hegemony) या ‘अधिनायकवाद’ (Dominance) का संकेत है। (d) बहुसंस्कृतिवाद शहरी या ग्रामीण तक सीमित नहीं है।

प्रश्न 18: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) की अवधारणा को समाजशास्त्र का मूल आधार माना?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. अगस्त कॉम्ते

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने समाजशास्त्र को ‘सामाजिक क्रिया’ का अध्ययन करने वाला विज्ञान माना। उनके अनुसार, सामाजिक क्रिया वह क्रिया है जो कर्ता (व्यक्ति) द्वारा की जाती है और जिसका व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के व्यवहार के प्रति व्यक्तिपरक अर्थ (subjective meaning) के संबंध में कुछ इस तरह से जुड़ता है कि क्रिया व्यक्तिपरक रूप से समझी जाती है और उसमें अन्य व्यक्ति भी शामिल होते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उनकी पुस्तक “Basic Sociological Concepts” (मूल समाजशास्त्रीय अवधारणाएँ) में इस पर विस्तार से चर्चा की गई है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों (Social Facts) पर, मार्क्स ने वर्ग संघर्ष (Class Struggle) पर, और कॉम्ते ने प्रत्यक्षवाद (Positivism) पर अधिक बल दिया।

प्रश्न 19: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?

  1. समाज में व्यक्तियों के बीच रिश्ते।
  2. किसी व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर जाना।
  3. समाज के विभिन्न वर्गों का एक साथ रहना।
  4. सामाजिक व्यवस्था में स्थिरता।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह का सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर या नीचे की ओर या क्षैतिज रूप से एक स्थिति से दूसरी स्थिति में परिवर्तन। इसमें ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility) जैसे पदोन्नति या पदावनति, और क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility) जैसे एक पेशे से दूसरे पेशे में जाना शामिल है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा समाज में अवसर की समानता और सामाजिक न्याय से जुड़ी है।
  • गलत विकल्प: (a) सामाजिक रिश्ते सामाजिक संरचना का हिस्सा हैं, गतिशीलता नहीं। (c) विभिन्न वर्गों का सह-अस्तित्व स्तरीकरण को दर्शाता है। (d) स्थिरता सामाजिक गतिशीलता के विपरीत है।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा ‘परिवार’ (Family) का प्रकार नहीं है?

  1. नाभिकीय परिवार (Nuclear Family)
  2. संयुक्त परिवार (Joint Family)
  3. एकल अभिभावक परिवार (Single Parent Family)
  4. मित्रता समूह (Friendship Group)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: नाभिकीय परिवार (माता-पिता और अविवाहित बच्चे), संयुक्त परिवार (कई पीढ़ियों का एक साथ रहना), और एकल अभिभावक परिवार (एक माता-पिता और उनके बच्चे) सभी परिवार के स्वीकृत प्रकार हैं। मित्रता समूह (Friendship Group) एक अनौपचारिक सामाजिक समूह है, न कि एक परिवार।
  • संदर्भ एवं विस्तार: परिवार प्रजनन, समाजीकरण, आर्थिक सहायता और भावनात्मक सुरक्षा जैसे कार्य करता है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) परिवार की मान्य परिभाषाओं में आते हैं।

प्रश्न 21: ‘सामाजिकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया में ‘एजेंट’ (Agents) कौन होते हैं?

  1. वे व्यक्ति या समूह जो सीखने वाले को समाजीकृत करते हैं।
  2. समाज द्वारा निर्धारित नियम और कानून।
  3. सीखने वाला व्यक्ति स्वयं।
  4. समाज के सभी सदस्य।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समाजीकरण की प्रक्रिया में एजेंट वे व्यक्ति, समूह या संस्थाएं होती हैं जो व्यक्ति के मूल्यों, विश्वासों, व्यवहारों और कौशल को सीखने और आत्मसात करने में मदद करती हैं। प्राथमिक एजेंट परिवार है, जबकि अन्य एजेंटों में स्कूल, सहकर्मी समूह, मीडिया और धर्म शामिल हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मीड और कूली जैसे समाजशास्त्रियों ने समाजीकरण में एजेंटों की भूमिका पर प्रकाश डाला।
  • गलत विकल्प: (b) नियम समाजीकरण का परिणाम हो सकते हैं, लेकिन एजेंट नहीं। (c) सीखने वाला व्यक्ति ‘एजेंट’ नहीं, बल्कि ‘विषय’ (Subject) होता है। (d) हालांकि सभी सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं, प्राथमिक एजेंट अधिक विशिष्ट होते हैं।

प्रश्न 22: किस समाजशास्त्री ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा दी?

  1. विलियम ग्राहम समनर
  2. ए. एल. क्रोएबर
  3. रॉबर्ट ई. पार्क
  4. एच. जी. वेल्स

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विलियम ग्राहम समनर (William Graham Sumner) ने अपनी पुस्तक “Folkways” (1906) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की। इसका अर्थ है कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, गैजेट्स) अभौतिक संस्कृति (जैसे मानदंड, मूल्य, कानून, संस्थाएं) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे एक प्रकार का असंतुलन या विलंब उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, प्रौद्योगिकी में तेज विकास (जैसे सोशल मीडिया) अक्सर हमारे सामाजिक नियमों और व्यक्तिगत संबंधों को बदलने में पिछड़ जाता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प सांस्कृतिक अध्ययन से जुड़े हैं, लेकिन सांस्कृतिक विलंब समनर की विशिष्ट अवधारणा है।

प्रश्न 23: भारत में ‘दलित’ (Dalit) शब्द किसके लिए प्रयोग किया जाता है?

  1. उच्च जातियों के लिए
  2. आदिवासी समुदायों के लिए
  3. जाति व्यवस्था में ऐतिहासिक रूप से बहिष्कृत और उत्पीड़ित निम्न जातियों के लिए
  4. सभी ग्रामीण गरीबों के लिए

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘दलित’ शब्द का अर्थ ‘दबाया हुआ’ या ‘तोड़ा हुआ’ है। यह भारत में उन जातियों के लिए प्रयोग किया जाता है जिन्हें ऐतिहासिक रूप से अस्पृश्य माना गया, जाति व्यवस्था के बाहर रखा गया, और जिन्होंने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उत्पीड़न का सामना किया। यह शब्द आत्म-पहचान और सशक्तिकरण का प्रतीक है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह शब्द “अनुसूचित जाति” (Scheduled Castes) के लिए एक वैकल्पिक और अधिक सम्मानजनक शब्द के रूप में उभरा है।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) पूरी तरह गलत हैं। (d) यद्यपि कई दलित गरीब हो सकते हैं, यह शब्द विशेष रूप से जातिगत उत्पीड़न से जुड़ा है, न कि केवल गरीबी से।

प्रश्न 24: पैट्रिक गेड्डेस (Patrick Geddes) को किस क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता है?

  1. शहरी समाजशास्त्र और नियोजन
  2. ग्रामीण समाजशास्त्र
  3. भारतीय समाज का अध्ययन
  4. मार्क्सवादी सिद्धांत

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पैट्रिक गेड्डेस एक स्कॉटिश समाजशास्त्री, शहर योजनाकार और पारिस्थितिकीविद् थे। उन्हें आधुनिक शहरी समाजशास्त्र और नियोजन के अग्रदूतों में से एक माना जाता है। उन्होंने “The City in Modern Civilisation” जैसी कृतियों में शहरी विकास, सामाजिक संगठन और नियोजन के बीच संबंधों का विश्लेषण किया।
  • संदर्भ एवं विस्तार: भारत में भी उन्होंने मैसूर शहर की योजना बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • गलत विकल्प: यद्यपि उनके विचार भारतीय समाज के शहरी पहलुओं को प्रभावित कर सकते थे, लेकिन उनका मुख्य योगदान शहरी समाजशास्त्र और नियोजन में था।

प्रश्न 25: कार्ल मार्क्स के ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) सिद्धांत के अनुसार, इतिहास का मुख्य चालक क्या है?

  1. धार्मिक विश्वास
  2. विचार और विचारधाराएं
  3. उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण को लेकर विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच संघर्ष।
  4. सरकारी नीतियां

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स का मानना था कि इतिहास की मुख्य शक्ति आर्थिक व्यवस्था और उत्पादन के साधनों (जैसे भूमि, कारखाने) पर स्वामित्व को लेकर समाज में मौजूद विभिन्न वर्गों (जैसे मालिक वर्ग – बुर्जुआजी, और मजदूर वर्ग – सर्वहारा) के बीच का संघर्ष है। यह संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन और क्रांति का कारण बनता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह मार्क्सवादी सिद्धांत का केंद्रीय विचार है, जैसा कि “द कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो” में भी व्यक्त किया गया है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सामाजिक परिवर्तन के कारक हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स के अनुसार ये वर्ग संघर्ष के परिणाम या गौण कारण हैं, न कि प्राथमिक चालक।

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