Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

SCO-CHIN BORDER DISPUTE: SC’S QUESTION TO RAHUL GANDHI – UNRAVELING THE TRUTH OF INDIA’S LAND LOSS

SCO-CHIN BORDER DISPUTE: SC’S QUESTION TO RAHUL GANDHI – UNRAVELING THE TRUTH OF INDIA’S LAND LOSS

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा है, जो चीन द्वारा भारतीय भूमि पर कथित कब्ज़े से संबंधित है। यह सवाल इस संवेदनशील मुद्दे पर सार्वजनिक बहस और राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया है, विशेष रूप से आगामी UPSC परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण समसामयिक मामलों के दृष्टिकोण से। सर्वोच्च न्यायालय का यह सवाल न केवल राजनीतिक गलियारों में, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, भू-राजनीति और सूचना के स्रोत जैसे व्यापक संदर्भों में भी गहराई से गूंज रहा है।

यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल करेगा, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के सवाल का महत्व, सीमा विवाद का ऐतिहासिक संदर्भ, भारत की चीन के प्रति नीति, और इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के दृष्टिकोण शामिल हैं। हम UPSC उम्मीदवारों के लिए इस विषय की प्रासंगिकता को भी समझेंगे, जिसमें यह कैसे प्रीलिम्स और मेन्स दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण अध्ययन सामग्री बन सकता है।

पृष्ठभूमि: भारत-चीन सीमा विवाद (Background: The India-China Border Dispute)**

भारत और चीन के बीच एक लंबा और जटिल सीमा विवाद रहा है। दोनों देशों के बीच लगभग 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) है, जो विभिन्न खंडों में विभाजित है। इस सीमा को लेकर दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक असहमति रही है, जिसका मुख्य कारण ब्रिटिश काल के दौरान सीमांकन में अस्पष्टता और दोनों देशों द्वारा अलग-अलग मानचित्रों और दावों का पालन करना है।

विवाद के मुख्य बिंदु:

  • पश्चिमी क्षेत्र: इसमें लद्दाख का क्षेत्र शामिल है, जहाँ भारत-चीन के बीच सीमा का निर्धारण अस्पष्ट रहा है। चीन अक्साई चिन पर दावा करता है, जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है।
  • मध्य क्षेत्र: इसमें उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्य शामिल हैं।
  • पूर्वी क्षेत्र: इसमें अरुणाचल प्रदेश शामिल है, जिसे चीन अपना हिस्सा मानता है, जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग मानता है।

इन विवादों के कारण समय-समय पर दोनों देशों के बीच झड़पें और सैन्य तनाव होते रहे हैं, जैसे 1962 का भारत-चीन युद्ध, 1967 का नाथुला दर्रा, 1975 का तुलुंग ला, 1987 का समदोरोंग चू, 2013 का डेपसांग, 2014 का चूमार, 2017 का डोकलाम और हाल के वर्षों में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो झील जैसे क्षेत्र।

राहुल गांधी का बयान और सर्वोच्च न्यायालय का प्रश्न (Rahul Gandhi’s Statement and the Supreme Court’s Question)**

हाल के दिनों में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अक्सर आरोप लगाया है कि चीन ने भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है। उन्होंने भारत सरकार पर इस मुद्दे को छिपाने का आरोप लगाया है और चीन के बढ़ते प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है। उनके बयानों में अक्सर यह दावा शामिल होता है कि “चीन ने भारत की ज़मीन हड़प ली है”।

इस संदर्भ में, सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी से एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा है: “आपको कैसे पता कि चीन ने भारत की ज़मीन हड़प ली है? आपके पास क्या ठोस जानकारी है?”

यह प्रश्न केवल एक व्यक्तिगत बयान की सत्यता की जांच नहीं है, बल्कि इसके कई गहरे निहितार्थ हैं:

  • सूचना का स्रोत: सर्वोच्च न्यायालय यह जानना चाहता है कि क्या सार्वजनिक रूप से ऐसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी दावों के पीछे कोई विश्वसनीय और पुख्ता जानकारी है। क्या यह व्यक्तिगत राय है या किसी विशेष इनपुट पर आधारित है?
  • राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव: इस तरह के आरोप, यदि बिना किसी ठोस प्रमाण के लगाए जाते हैं, तो राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। इससे जनता में भ्रम और अविश्वास पैदा हो सकता है, और विपक्षी दलों के बयानों से विदेशी शक्तियों को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का मौका मिल सकता है।
  • “सच्चे भारतीय” वाला बयान: न्यायालय के प्रश्न का एक हिस्सा यह भी था कि “सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते”। यह टिप्पणी इस ओर इशारा करती है कि देश की एकता और अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता रखने वाले व्यक्तियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर जिम्मेदारी से बोलें और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दें। यह एक प्रकार से देश के प्रति निष्ठा और समर्पण का भी आह्वान है।

“पुख्ता जानकारी” का महत्व (The Significance of “Concrete Information”)**

न्यायालय का “पुख्ता जानकारी” पर ज़ोर देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा विवाद जैसे जटिल मामलों में, सार्वजनिक बयानों को विशिष्ट तथ्यों, विश्वसनीय स्रोतों और सत्यापित डेटा द्वारा समर्थित होना चाहिए।

क्या हो सकती है “पुख्ता जानकारी”?

  • सैटेलाइट इमेजरी: किसी क्षेत्र में चीनी निर्माण, सैन्य उपस्थिति या सीमा पार गतिविधियों को दर्शाने वाली सैटेलाइट इमेजरी।
  • खुफिया जानकारी: विभिन्न खुफिया एजेंसियों द्वारा एकत्र की गई जानकारी, जैसे कि सीमा पर घुसपैठ, गश्त पैटर्न में बदलाव, या चीनी सेना की तैनाती।
  • ग्राउंड रिपोर्ट: सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों, स्थानीय निवासियों या सर्वेक्षण टीमों द्वारा प्रदान की गई प्रत्यक्ष रिपोर्टें।
  • आधिकारिक रिपोर्टें: सरकारी विभागों, रक्षा मंत्रालय या अन्य संबंधित संस्थाओं द्वारा जारी की गई रिपोर्टें या डेटा।
  • अंतर्राष्ट्रीय निगरानी: संयुक्त राष्ट्र या अन्य अंतर्राष्ट्रीय निकायों द्वारा किए गए अवलोकन या रिपोर्टें, यदि लागू हो।

बिना ऐसे प्रमाणों के, किसी भी क्षेत्र के “कब्ज़े” का दावा करना न केवल गैर-जिम्मेदाराना हो सकता है, बल्कि यह देश के हित में भी नहीं है। यह विदेशी शक्तियों को भारत की कमजोरियों का फायदा उठाने का मौका दे सकता है।

भारत की चीन के प्रति नीति (India’s Policy towards China)**

भारत की चीन के प्रति नीति बहुआयामी रही है, जिसमें कूटनीति, आर्थिक सहयोग और सैन्य सतर्कता का मिश्रण शामिल है। हाल के सीमा विवादों के मद्देनजर, भारत ने अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत किया है और LAC पर अपनी उपस्थिति बढ़ाई है।

नीति के मुख्य तत्व:

  • कूटनीतिक जुड़ाव: दोनों देश नियमित रूप से सीमा वार्ता और शिखर सम्मेलनों के माध्यम से संवाद बनाए रखते हैं।
  • सैन्य निरस्त्रीकरण और प्रोटोकॉल: दोनों सेनाओं के बीच विश्वास-निर्माण उपायों और आचार संहिता को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है, हालांकि हालिया घटनाओं ने इसमें चुनौतियाँ पेश की हैं।
  • आर्थिक संबंध: भारत और चीन के बीच महत्वपूर्ण आर्थिक संबंध हैं, जिसमें व्यापार और निवेश शामिल हैं, लेकिन इसमें व्यापार असंतुलन एक चिंता का विषय बना हुआ है।
  • रणनीतिक स्वायत्तता: भारत किसी भी बड़ी शक्ति के गुट में शामिल हुए बिना अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है।
  • रक्षा आधुनिकीकरण: भारत अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है और सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास कर रहा है।

“सच्चे भारतीय” का संदर्भ और देशभक्ति (The Context of “True Indian” and Patriotism)**

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा “सच्चे भारतीय” होने की बात कहना, देशभक्ति और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी के व्यापक विषय को उठाता है। यह एक जटिल अवधारणा है, लेकिन सामान्यतः इसमें देश के कानूनों का पालन करना, राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के प्रति प्रतिबद्धता शामिल है।

देशभक्ति के आयाम:

  • संविधान का सम्मान: देश के संविधान और उसके द्वारा स्थापित संस्थानों का सम्मान करना।
  • राष्ट्रीय प्रतीकों का आदर: राष्ट्र ध्वज, राष्ट्रगान और अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों का आदर करना।
  • राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता: व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ से ऊपर राष्ट्रीय हितों को रखना।
  • समाज का योगदान: देश के विकास और कल्याण में सकारात्मक योगदान देना।
  • संवेदनशील मुद्दों पर जिम्मेदारी: राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामलों पर बयान देते समय सावधानी बरतना और देश को कमजोर करने वाले कार्यों से बचना।

न्यायालय का बयान यह संकेत देता है कि देश के प्रति सच्ची निष्ठा केवल भावनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि उसमें जिम्मेदारी, तथ्यों की समझ और राष्ट्रीय हितों के प्रति प्रतिबद्धता भी शामिल है।

UPSC उम्मीदवारों के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Aspirants)**

यह पूरा घटनाक्रम UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सीधे तौर पर कई जीएस पेपरों से जुड़ा हुआ है:

  • GS-I: सामाजिक मुद्दे, कला और संस्कृति (Social Issues, Art and Culture): देशभक्ति, नागरिक कर्तव्य और सामाजिक जिम्मेदारियों पर बहस।
  • GS-II: शासन, राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंध (Governance, Polity, International Relations):
    • शासन: न्यायिक समीक्षा, मौलिक अधिकारों और जिम्मेदारियों पर सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका।
    • राजनीति: राजनीतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोप, राष्ट्रीय सुरक्षा पर बयानबाजी का प्रभाव।
    • अंतर्राष्ट्रीय संबंध: भारत-चीन संबंध, सीमा विवाद, चीन की विस्तारवादी नीति, दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन।
  • GS-III: अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन (Economy, Environment, Science & Technology, Disaster Management):
    • विज्ञान और प्रौद्योगिकी: सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग, रक्षा प्रौद्योगिकी।
    • आपदा प्रबंधन: सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास।
  • निबंध (Essay): राष्ट्रीय सुरक्षा, कूटनीति, सूचना की सत्यता, नागरिक जिम्मेदारी जैसे विषयों पर निबंधों के लिए प्रासंगिक सामग्री।
  • साक्षात्कार (Interview): समसामयिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर स्पष्ट और तार्किक राय रखने की क्षमता का मूल्यांकन।

विषय का विश्लेषण: विभिन्न दृष्टिकोण (Analysis of the Issue: Different Perspectives)**

इस मुद्दे के कई पहलू हैं जिन पर विभिन्न दृष्टिकोणों से विचार किया जाना चाहिए:

1. राजनीतिक दृष्टिकोण (Political Perspective):

  • विपक्ष का तर्क: विपक्षी दल अक्सर सरकार पर चीन के साथ सीमा की स्थिति पर पारदर्शिता की कमी और पर्याप्त कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हैं। उनका तर्क है कि वे जनता के सामने सच लाने का प्रयास कर रहे हैं।
  • सरकार का तर्क: सरकार सीमा पर किसी भी घुसपैठ से इनकार करती है और दावा करती है कि उसने स्थिति को प्रभावी ढंग से संभाला है। वे विपक्षी बयानों को राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने वाला और चीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने का मौका देने वाला बताते हैं।

2. राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण (National Security Perspective):

  • सीमा की संवेदनशीलता: सीमा विवाद का क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील है, और किसी भी छोटी सी घटना का बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।
  • सूचना युद्ध (Information Warfare): ऐसे आरोप और उनके खंडन एक प्रकार के सूचना युद्ध का हिस्सा हो सकते हैं, जिसका उद्देश्य जनमत को प्रभावित करना और कूटनीतिक स्थिति को कमज़ोर करना होता है।
  • सैन्य तैयारी: वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की सैन्य तैयारियों और निगरानी की क्षमता अत्यंत महत्वपूर्ण है।

3. न्यायिक दृष्टिकोण (Judicial Perspective):

  • सत्य का पता लगाना: सर्वोच्च न्यायालय का प्रश्न तथ्यात्मक सटीकता और जिम्मेदार बयानबाजी की आवश्यकता पर ज़ोर देता है, विशेष रूप से जब राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे दांव पर हों।
  • सार्वजनिक हित: न्यायालय सार्वजनिक हित में स्पष्टता और तथ्यात्मक आधार की अपेक्षा करता है।

4. कूटनीतिक दृष्टिकोण (Diplomatic Perspective):

  • चीन के साथ संबंध: इस तरह के सार्वजनिक आरोप भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय धारणा: दुनिया की भारत की अपनी सीमाओं की रक्षा करने की क्षमता और आंतरिक स्थिरता पर क्या राय बनती है, यह भी महत्वपूर्ण है।

चुनौतियाँ (Challenges)**

इस मुद्दे से जुड़ी कई चुनौतियाँ हैं:

  • स्पष्ट साक्ष्य का अभाव: सीमा क्षेत्रों की दुर्गमता और चीन द्वारा गोपनीयता के कारण, किसी भी “कब्ज़े” के अकाट्य प्रमाण प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
  • राजनीतिकरण: राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों का राजनीतिकरण आम हो गया है, जिससे वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन मुश्किल हो जाता है।
  • गलत सूचना का प्रसार: सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों के माध्यम से गलत सूचना और अफवाहें तेजी से फैल सकती हैं।
  • कूटनीतिक संतुलन: चीन जैसे एक शक्तिशाली पड़ोसी के साथ संबंधों को संतुलित करना, जबकि अपनी संप्रभुता की रक्षा करना, एक नाजुक कार्य है।

भविष्य की राह: आगे क्या? (The Way Forward: What Next?)**

इस मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं:

  • पारदर्शिता और स्पष्टता: सरकार को, जहां संभव हो, जनता को सीमा की स्थिति के बारे में स्पष्ट और तथ्यात्मक जानकारी प्रदान करनी चाहिए, राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किए बिना।
  • साक्ष्य-आधारित बहस: राजनीतिक दलों को आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर, साक्ष्य-आधारित और रचनात्मक बहस में शामिल होना चाहिए।
  • सैन्य और कूटनीतिक मजबूती: भारत को अपनी सैन्य क्षमताओं को लगातार मजबूत करना चाहिए और चीन के साथ कूटनीतिक चैनलों को खुला रखना चाहिए।
  • जागरूकता और शिक्षा: नागरिकों को सीमा विवादों के ऐतिहासिक और भू-राजनीतिक संदर्भों के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है।
  • जिम्मेदार बयानबाजी: सभी हितधारकों, विशेष रूप से सार्वजनिक हस्तियों से जिम्मेदारी और संयम के साथ बोलने की अपेक्षा की जाती है।

निष्कर्ष (Conclusion)**

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राहुल गांधी से पूछा गया प्रश्न भारत-चीन सीमा विवाद और उस पर सार्वजनिक बयानबाजी के महत्व को रेखांकित करता है। यह न केवल व्यक्तिगत दावों की सत्यता की जाँच है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, सूचना की प्रामाणिकता और देश के प्रति नागरिक जिम्मेदारी जैसे व्यापक मुद्दों पर भी प्रकाश डालता है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह विषय भू-राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा के बहुआयामी पहलुओं को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। भविष्य में, भारत को अपनी सीमाओं की रक्षा करते हुए, चीन के साथ संबंधों को संतुलित करना होगा, और यह सब एक जिम्मेदार और पारदर्शी तरीके से होना चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा भारत-चीन सीमा पर विवाद का मुख्य क्षेत्र है?
(a) सियाचिन ग्लेशियर
(b) कारगिल
(c) अक्साई चिन
(d) डोकलाम पठार
उत्तर: (c) अक्साई चिन
व्याख्या: अक्साई चिन का क्षेत्र भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का एक प्रमुख और ऐतिहासिक बिंदु रहा है, विशेष रूप से पश्चिमी क्षेत्र में।

2. प्रश्न: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) भारत और किस देश के बीच सीमा का निर्धारण करती है?
(a) पाकिस्तान
(b) नेपाल
(c) चीन
(d) बांग्लादेश
उत्तर: (c) चीन
व्याख्या: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) भारत और चीन के बीच सीमा का प्रतिनिधित्व करती है, हालांकि इसकी लंबाई और संरेखण पर दोनों देशों के बीच असहमति है।

3. प्रश्न: हाल के वर्षों में भारत-चीन सीमा पर तनाव का एक प्रमुख स्थान निम्न में से कौन सा रहा है?
(a) पंगोंग त्सो झील
(b) नाथुला दर्रा
(c) जिबमाल
(d) डुरंड रेखा
उत्तर: (a) पंगोंग त्सो झील
व्याख्या: पूर्वी लद्दाख में पंगोंग त्सो झील का क्षेत्र 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से भारत-चीन के बीच सैन्य तनाव का एक महत्वपूर्ण बिंदु रहा है।

4. प्रश्न: भारत-चीन सीमा विवाद के संदर्भ में “सीमांकन में अस्पष्टता” का क्या अर्थ है?
(a) दोनों देशों द्वारा सीमा के औपचारिक मान्यता का अभाव।
(b) सीमा रेखा के सटीक स्थान पर असहमति, जिससे घुसपैठ की संभावना बढ़ती है।
(c) सीमावर्ती क्षेत्रों का अत्यधिक विकसित होना।
(d) सीमा पर लगातार प्राकृतिक आपदाएं आना।
उत्तर: (b) सीमा रेखा के सटीक स्थान पर असहमति, जिससे घुसपैठ की संभावना बढ़ती है।
व्याख्या: सीमांकन में अस्पष्टता का अर्थ है कि सीमा रेखा के निश्चित बिंदु या रेखा स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं हैं, जिससे दोनों देशों के बीच दावों और घुसपैठ की स्थिति बनती है।

5. प्रश्न: भारत-चीन सीमा पर तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच नियमित रूप से होने वाली वार्ता को क्या कहा जाता है?
(a) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठकें
(b) सीमा परामर्श और समन्वय कार्य समूह (WCC)
(c) जी-20 शिखर सम्मेलन
(d) नाटो शिखर सम्मेलन
उत्तर: (b) सीमा परामर्श और समन्वय कार्य समूह (WCC)
व्याख्या: सीमा परामर्श और समन्वय कार्य समूह (WCC) भारत और चीन के बीच सीमा संबंधी मुद्दों पर चर्चा और समन्वय के लिए एक महत्वपूर्ण मंच रहा है।

6. प्रश्न: सर्वोच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता से किस प्रकार की जानकारी के बारे में पूछा था?
(a) चीन की आर्थिक स्थिति
(b) चीन द्वारा भारत की ज़मीन हड़पने के बारे में पुख्ता जानकारी
(c) चीन की सांस्कृतिक नीतियां
(d) चीन की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी
उत्तर: (b) चीन द्वारा भारत की ज़मीन हड़पने के बारे में पुख्ता जानकारी
व्याख्या: न्यायालय ने यह जानने की कोशिश की कि क्या चीन द्वारा कथित तौर पर भारत की ज़मीन हड़पने के दावों के पीछे कोई ठोस और सत्यापित जानकारी है।

7. प्रश्न: राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित संवेदनशील मुद्दों पर सार्वजनिक बयानबाजी के संबंध में, सर्वोच्च न्यायालय का प्रश्न किस पर बल देता है?
(a) व्यक्तिगत स्वतंत्रता
(b) तथ्यात्मक सटीकता और जिम्मेदारी
(c) राजनीतिक लाभ
(d) मीडिया की स्वतंत्रता
उत्तर: (b) तथ्यात्मक सटीकता और जिम्मेदारी
व्याख्या: न्यायालय का प्रश्न इस बात पर ज़ोर देता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोले गए शब्दों में तथ्यात्मक आधार और जिम्मेदारी होनी चाहिए।

8. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय संविधान का वह अनुच्छेद है जो नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है?
(a) अनुच्छेद 51A
(b) अनुच्छेद 19
(c) अनुच्छेद 14
(d) अनुच्छेद 21
उत्तर: (a) अनुच्छेद 51A
व्याख्या: अनुच्छेद 51A भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों को सूचीबद्ध करता है, जिसमें राष्ट्र की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना और उसका सम्मान करना शामिल है।

9. प्रश्न: हाल के वर्षों में भारत-चीन सीमा पर तनाव का एक कारण क्या रहा है?
(a) सिंधु जल संधि
(b) मकाऊ की संप्रभुता
(c) चीन की विस्तारवादी नीतियां
(d) आसियान शिखर सम्मेलन
उत्तर: (c) चीन की विस्तारवादी नीतियां
व्याख्या: चीन की अपने पड़ोसी देशों के प्रति विस्तारवादी और आक्रामक नीतियां, जैसा कि विभिन्न सीमा विवादों में देखा गया है, भारत-चीन सीमा पर तनाव का एक प्रमुख कारण रही हैं।

10. प्रश्न: सर्वोच्च न्यायालय के प्रश्न में “सच्चे भारतीय” होने का क्या निहितार्थ हो सकता है?
(a) केवल भारत में पैदा हुए व्यक्ति
(b) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य
(c) देश के प्रति निष्ठा, जिम्मेदारी और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देना
(d) भारत को स्वतंत्र बनाने में योगदान देने वाले व्यक्ति
उत्तर: (c) देश के प्रति निष्ठा, जिम्मेदारी और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देना
व्याख्या: “सच्चे भारतीय” होने का संदर्भ देश के प्रति गहरी निष्ठा, जिम्मेदारी से काम करने और व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ से ऊपर राष्ट्रीय हितों को रखने से है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. प्रश्न: भारत-चीन सीमा विवाद के ऐतिहासिक संदर्भ और वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करें। राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से, इस विवाद का भारत की विदेश नीति और क्षेत्रीय भू-राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है? (लगभग 250 शब्द)
2. प्रश्न: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राहुल गांधी से चीन द्वारा भूमि हड़पने के दावों के संबंध में “पुख्ता जानकारी” के बारे में पूछा जाना, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सार्वजनिक बयानों की जिम्मेदारी और सूचना की प्रामाणिकता के महत्व पर प्रकाश डालता है। इस संदर्भ में, भारत में ‘राष्ट्रवाद’ और ‘देशभक्ति’ की अवधारणाओं की विवेचना करें और समकालीन संदर्भ में इनकी प्रासंगिकता पर चर्चा करें। (लगभग 250 शब्द)
3. प्रश्न: भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में सीमा विवाद एक महत्वपूर्ण बाधा रहा है। भारत की चीन के प्रति वर्तमान कूटनीतिक और सैन्य रणनीति का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें, और भविष्य में इन तनावों को कम करने के लिए संभावित उपायों का सुझाव दें। (लगभग 150 शब्द)
4. प्रश्न: “सीमांकन में अस्पष्टता” और “वास्तविक नियंत्रण रेखा” (LAC) जैसी अवधारणाओं को समझाते हुए, भारत-चीन सीमा विवाद के विभिन्न क्षेत्रों (पश्चिम, मध्य, पूर्व) का संक्षिप्त विवरण दें। इस विवाद का भारत की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता पर क्या प्रभाव पड़ता है? (लगभग 150 शब्द)

Leave a Comment