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भू-राजनीति का खेल: रूस-भारत तेल सौदे पर अमेरिका का ‘ट्रंप’ दांव, क्या भारत चुकाएगा भारी कीमत?

भू-राजनीति का खेल: रूस-भारत तेल सौदे पर अमेरिका का ‘ट्रंप’ दांव, क्या भारत चुकाएगा भारी कीमत?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक तीखी टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने संकेत दिया है कि यदि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखता है, तो वे भारत पर अमेरिकी टैरिफ (आयात शुल्क) को “पर्याप्त रूप से” बढ़ा देंगे। ट्रंप का यह बयान भारत के रूस से ऊर्जा खरीद के फैसले और अमेरिका की प्रतिक्रिया के बीच जटिल भू-राजनीतिक समीकरणों को उजागर करता है। यह स्थिति भारत की आर्थिक संप्रभुता, वैश्विक शक्ति संतुलन और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखती है।

यह लेख UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए इस मुद्दे की गहराई से पड़ताल करेगा, जिसमें इसके ऐतिहासिक संदर्भ, वर्तमान परिदृश्य, संभावित प्रभाव, भारत के लिए अवसर और चुनौतियां, और भविष्य की राह शामिल होगी।

1. पृष्ठभूमि: एक जटिल रिश्ता (Background: A Complex Relationship)

भारत और अमेरिका के बीच संबंध पिछले कुछ दशकों में तेजी से विकसित हुए हैं। रणनीतिक साझेदारी, आर्थिक सहयोग और लोकतंत्र के साझा मूल्यों ने दोनों देशों को करीब लाया है। हालांकि, कुछ मुद्दे ऐसे रहे हैं जिन्होंने समय-समय पर तनाव पैदा किया है, जिनमें व्यापारिक टैरिफ, बौद्धिक संपदा अधिकार, और डेटा स्थानीयकरण जैसे मामले प्रमुख रहे हैं।

वहीं, भारत और रूस के बीच संबंध दशकों पुराने हैं, विशेष रूप से रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में। सोवियत संघ के समय से ही रूस भारत का एक भरोसेमंद भागीदार रहा है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। ऐसे में, भारत का रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदना उसकी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की रणनीति का एक अहम हिस्सा बन गया है।

2. ट्रंप का बयान: क्यों और क्या? (Trump’s Statement: Why and What?)

डोनाल्ड ट्रंप का बयान, भले ही वह वर्तमान में पद पर न हों, अमेरिकी विदेश और व्यापार नीतियों पर उनके विचारों के प्रभाव को दर्शाता है। उनके कार्यकाल में “अमेरिका फर्स्ट” की नीति के तहत, उन्होंने कई देशों पर टैरिफ लगाए थे, जिसमें भारत भी शामिल था।

ट्रंप के बयान के संभावित कारण:

  • रूस पर दबाव: ट्रंप का उद्देश्य रूस को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने और यूक्रेन युद्ध के लिए उसे दंडित करने के पश्चिमी प्रयासों का समर्थन करना हो सकता है। भारत जैसे बड़े खरीदार का रूस से तेल खरीदना, इन प्रयासों को कमजोर करता है।
  • अमेरिका के राष्ट्रीय हित: ट्रंप का तर्क हो सकता है कि भारत का रूस से तेल खरीदना अमेरिकी कंपनियों और हितों के खिलाफ है, खासकर जब अमेरिका खुद रूस पर प्रतिबंधों के माध्यम से दबाव बना रहा है।
  • राजनीतिक दांव-पेंच: घरेलू राजनीति में, ट्रंप इस मुद्दे को अमेरिकी श्रमिकों और उद्योगों के हितों की रक्षा के रूप में पेश कर सकते हैं, जिससे उन्हें अपने समर्थकों के बीच समर्थन मिल सके।
  • व्यापार असंतुलन को ठीक करना: ट्रंप के कार्यकाल में, वे अक्सर भारत के साथ अमेरिका के व्यापार घाटे की शिकायत करते थे। टैरिफ बढ़ाकर, वे भारत पर आर्थिक दबाव डालने और द्विपक्षीय व्यापार को अपने पक्ष में झुकाने की कोशिश कर सकते हैं।

“पर्याप्त रूप से” बढ़ाना: यह वाक्यांश महत्वपूर्ण है। इसका मतलब है कि ट्रंप प्रस्तावित टैरिफ की मात्रा को मनमाने ढंग से या महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकते हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा।

3. भारत का दृष्टिकोण: ऊर्जा सुरक्षा और सामरिक स्वायत्तता (India’s Perspective: Energy Security and Strategic Autonomy)

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक है। अपनी घरेलू मांग का लगभग 85% आयात से पूरा करता है। हाल के वर्षों में, वैश्विक तेल की कीमतों में वृद्धि, विशेष रूप से यूक्रेन युद्ध के बाद, भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।

भारत की रणनीति के मुख्य बिंदु:

  • रियायती दरें: पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस अपने तेल पर भारी छूट दे रहा है। भारत के लिए, यह अपनी आयात लागत को कम करने और अपने नागरिकों के लिए ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करने का एक अवसर है।
  • विविधीकरण: केवल एक स्रोत पर निर्भर रहने के बजाय, भारत अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने की कोशिश कर रहा है। रूस से खरीद इस विविधीकरण का एक हिस्सा है।
  • सामरिक स्वायत्तता: भारत गुटनिरपेक्षता की अपनी पारंपरिक विदेश नीति के सिद्धांतों का पालन करते हुए, अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखने की कोशिश करता है। इसका मतलब है कि वह किसी एक शक्ति के दबाव में आकर अपने रणनीतिक निर्णय नहीं ले सकता।
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन: भारत का तर्क है कि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं कर रहा है, बल्कि वह उन सौदों में भाग ले रहा है जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत अनुमत हैं।

“वे परवाह नहीं करते”: ट्रंप का यह कथन इस विचार को दर्शाता है कि वे भारत के राष्ट्रीय हितों या उसकी ऊर्जा सुरक्षा की चिंताओं को महत्व नहीं देते, बल्कि केवल अपने भू-राजनीतिक लक्ष्यों को पूरा करना चाहते हैं।

4. संभावित प्रभाव: भारत और वैश्विक स्तर पर (Potential Impacts: On India and Globally)

यदि अमेरिका वास्तव में भारत पर टैरिफ बढ़ाता है, तो इसके बहुआयामी प्रभाव होंगे:

A. भारत पर प्रभाव:

  • आर्थिक दंड: अमेरिकी टैरिफ भारत के उन उत्पादों पर लगेंगे जो अमेरिका को निर्यात होते हैं। इससे भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी, जिससे निर्यात में गिरावट आ सकती है और व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
  • सामरिक दुविधा: भारत को अमेरिका और रूस के बीच एक कठिन चुनाव का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका के साथ उसके रणनीतिक संबंध (जैसे इंडो-पैसिफिक रणनीति) और रक्षा सहयोग महत्वपूर्ण हैं। टैरिफ का सामना करने के लिए रूस के साथ संबंध जारी रखना, अमेरिका के साथ संबंधों में खटास ला सकता है।
  • ऊर्जा लागत में वृद्धि: यदि रूस से रियायती तेल मिलना बंद हो जाता है या अधिक महंगा हो जाता है, तो भारत को अन्य स्रोतों पर अधिक निर्भर रहना पड़ेगा, जो शायद अधिक महंगे हों। इससे घरेलू मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय छवि: व्यापार युद्धों में उलझना भारत की छवि को प्रभावित कर सकता है, खासकर एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में।

B. वैश्विक स्तर पर प्रभाव:

  • ऊर्जा बाजार में अस्थिरता: भारत जैसे बड़े आयातक पर टैरिफ, वैश्विक ऊर्जा बाजारों में और अधिक अस्थिरता पैदा कर सकता है। यह तेल की कीमतों को और बढ़ा सकता है।
  • भू-राजनीतिक ध्रुवीकरण: यह स्थिति अमेरिका और उसके सहयोगियों के बीच दरारें पैदा कर सकती है, क्योंकि सभी देश रूस के खिलाफ समान कड़े रुख अपनाने को तैयार नहीं हैं।
  • व्यापारिक बाधाओं में वृद्धि: यदि प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे पर टैरिफ लगाना शुरू कर देती हैं, तो यह वैश्विक व्यापार व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर सकता है, जो पहले से ही विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है।
  • “ट्रंपवाद” का पुनरुत्थान: ट्रंप का यह बयान उनके “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे की ओर वापसी का संकेत हो सकता है, जो वैश्विक कूटनीति के लिए एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

5. पक्ष और विपक्ष (Pros and Cons)

भारत के लिए पक्ष (Pros for India):

  • ऊर्जा सुरक्षा: रूस से रियायती तेल की खरीद भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करती है, खासकर जब वैश्विक आपूर्ति बाधित है।
  • आर्थिक बचत: रियायती दरों पर तेल खरीदने से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होता है।
  • सामरिक स्वायत्तता: यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का प्रदर्शन है, जो अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देती है।

भारत के लिए विपक्ष (Cons for India):

  • अमेरिकी नाराजगी: अमेरिका के साथ संभावित व्यापार युद्ध और कूटनीतिक तनाव।
  • आर्थिक दंड: निर्यात पर लगने वाले टैरिफ से आर्थिक नुकसान।
  • भू-राजनीतिक दबाव: पश्चिमी देशों के दबाव में आने की संभावना।
  • रूस पर अत्यधिक निर्भरता का जोखिम: यदि रूस से आपूर्ति बाधित होती है तो समस्या।

अमेरिका के लिए (Pros for USA – Trump’s perspective):

  • रूस पर दबाव: रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करना।
  • घरेलू राजनीति: अमेरिकी श्रमिकों और व्यवसायों के हितों की रक्षा का दावा।
  • वैश्विक नेतृत्व का प्रदर्शन: रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को प्रभावी बनाने की कोशिश।

अमेरिका के लिए (Cons for USA):

  • भारत जैसे प्रमुख भागीदार के साथ संबंध खराब होना।
  • वैश्विक तेल आपूर्ति पर नकारात्मक प्रभाव।
  • व्यापारिक भागीदारों के बीच अविश्वास पैदा होना।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में कमी।

6. चुनौतियाँ और विकल्प (Challenges and Options)

भारत के सामने मुख्य चुनौती अपनी ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखते हुए, अपने प्रमुख रणनीतिक साझेदार अमेरिका के साथ संबंधों को भी संतुलित करना है।

भारत के समक्ष विकल्प:

  • कूटनीतिक संवाद: भारत को अमेरिका के साथ कूटनीतिक स्तर पर इस मुद्दे को उठाना चाहिए। अपनी चिंताओं और राष्ट्रीय हितों को स्पष्ट रूप से समझाना चाहिए।
  • ईरान और वेनेजुएला से संबंध: यदि रूस से तेल आपूर्ति में समस्या आती है, तो भारत को अन्य संभावित आपूर्तिकर्ताओं के साथ संबंध मजबूत करने होंगे, हालांकि इन देशों पर भी अमेरिकी प्रतिबंध हैं।
  • नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश: दीर्घकालिक समाधान के रूप में, भारत को अपनी ऊर्जा निर्भरता को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश बढ़ाना चाहिए।
  • रूस से भुगतान तंत्र: रुपये-रूबल या अन्य गैर-डॉलर भुगतान तंत्र विकसित करना, जो डॉलर पर निर्भरता कम करे।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग: विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग अपने पक्ष में करना।

एक महत्वपूर्ण उपमा:

“यह स्थिति एक ऐसे खिलाड़ी की तरह है जो शतरंज का खेल खेल रहा है। भारत अपने राष्ट्रीय हितों (ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता) को बचाने के लिए प्यादों को आगे बढ़ा रहा है, जबकि अमेरिका (विशेषकर ट्रंप के दृष्टिकोण से) एक प्रतिद्वंद्वी (रूस) को मात देने के लिए खेल के नियमों को बदलने की कोशिश कर रहा है, भले ही इससे अन्य खिलाड़ियों (भारत) को नुकसान हो।”

7. भविष्य की राह (The Way Forward)

ट्रंप का बयान अमेरिका की भविष्य की नीतियों और भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठाता है। यदि ट्रंप अमेरिकी राजनीति में एक मजबूत शक्ति बने रहते हैं, तो इस तरह के व्यापारिक दबाव बढ़ सकते हैं।

भारत को एक बहु-आयामी रणनीति अपनानी होगी:

  • रणनीतिक लचीलापन: विभिन्न देशों के साथ संबंधों में लचीलापन बनाए रखना, ताकि किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भर न रहना पड़े।
  • ऊर्जा विविधीकरण: विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों और आपूर्तिकर्ताओं से ऊर्जा का आयात सुनिश्चित करना।
  • घरेलू उत्पादन को बढ़ावा: अपनी ऊर्जा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाना।
  • कूटनीतिक पैंतरेबाज़ी: प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ संबंधों को सावधानीपूर्वक प्रबंधित करना।

संक्षेप में, भारत का रूस से तेल खरीदना एक जटिल निर्णय है जो उसकी ऊर्जा सुरक्षा और सामरिक स्वायत्तता की आवश्यकताओं से प्रेरित है। ट्रंप का टैरिफ बढ़ाने का खतरा इस बात को रेखांकित करता है कि कैसे वैश्विक भू-राजनीति और राष्ट्रीय हित आपस में जुड़े हुए हैं। भारत को इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक सोची-समझी और दूरदर्शी नीति की आवश्यकता होगी, जो उसके दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों की रक्षा करे।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न: हाल के अंतरराष्ट्रीय तनाव के संदर्भ में, भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने का मुख्य कारण क्या है?

    (a) भारत का रूस के साथ ऐतिहासिक गठबंधन।

    (b) रूस द्वारा तेल पर दी जाने वाली रियायती दरें और भारत की ऊर्जा सुरक्षा की आवश्यकता।

    (c) पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन करना।

    (d) रूस पर अपनी ऊर्जा निर्भरता को कम करने का प्रयास।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है, और रूस द्वारा यूक्रेन युद्ध के बाद दी जा रही रियायती दरें भारत के लिए अपनी ऊर्जा लागत को कम करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती हैं, जिससे उसकी ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होती है।
  2. प्रश्न: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी का प्राथमिक उद्देश्य क्या हो सकता है?

    (a) भारत के निर्यात को बढ़ावा देना।

    (b) रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करना और यूक्रेन युद्ध के लिए उसे दंडित करना।

    (c) अमेरिका और भारत के बीच व्यापार घाटे को कम करना।

    (d) भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का समर्थन करना।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: ट्रंप का तर्क रूस पर दबाव बनाने और उसे आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के व्यापक पश्चिमी प्रयासों का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य रूस के कार्यों का विरोध करना है।
  3. प्रश्न: भारत अपनी लगभग कितनी प्रतिशत तेल की आवश्यकता को आयात से पूरा करता है?

    (a) 40%

    (b) 60%

    (c) 85%

    (d) 95%

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है और अपनी घरेलू मांग का लगभग 85% आयात से पूरा करता है, जो इसे वैश्विक ऊर्जा कीमतों और आपूर्ति में बदलावों के प्रति संवेदनशील बनाता है।
  4. प्रश्न: “सामरिक स्वायत्तता” (Strategic Autonomy) का संबंध भारत की विदेश नीति के किस सिद्धांत से है?

    (a) पूरी तरह से किसी एक देश के साथ गठबंधन करना।

    (b) अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देना और स्वतंत्र रूप से निर्णय लेना।

    (c) केवल गुटनिरपेक्ष आंदोलन का पालन करना।

    (d) केवल पश्चिमी देशों की नीतियों का अनुसरण करना।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: सामरिक स्वायत्तता का अर्थ है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए, किसी भी बाहरी दबाव या गठबंधन के प्रति प्रतिबद्ध हुए बिना, स्वतंत्र रूप से अपने विदेश और सुरक्षा नीति संबंधी निर्णय लेता है।
  5. प्रश्न: यदि अमेरिका भारत पर टैरिफ बढ़ाता है, तो इसका भारत के निर्यात पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?

    (a) निर्यात में वृद्धि।

    (b) निर्यात में कमी और प्रतिस्पर्धात्मकता में गिरावट।

    (c) निर्यात पर कोई प्रभाव नहीं।

    (d) केवल चुनिंदा उत्पादों पर निर्यात में वृद्धि।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: टैरिफ भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में महंगा बना देंगे, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी और संभावित रूप से निर्यात में गिरावट आएगी।
  6. प्रश्न: डोनाल्ड ट्रंप के “अमेरिका फर्स्ट” (America First) की नीति का मुख्य जोर किस पर था?

    (a) बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना।

    (b) अमेरिकी श्रमिकों, व्यवसायों और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देना।

    (c) मुक्त व्यापार समझौतों को बढ़ाना।

    (d) मानवाधिकारों को वैश्विक नीति का केंद्र बनाना।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: “अमेरिका फर्स्ट” की नीति के तहत, ट्रंप प्रशासन ने पारंपरिक बहुपक्षीय दृष्टिकोण से हटकर अमेरिकी आर्थिक और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखा, जिसके परिणामस्वरूप टैरिफ और संरक्षणवादी नीतियां अपनाई गईं।
  7. प्रश्न: यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, भारत के रूस से तेल खरीद के संदर्भ में कौन सा कथन सत्य है?

    (a) भारत ने पश्चिमी देशों का पूर्ण समर्थन करते हुए रूस से सभी तेल खरीद रोक दी है।

    (b) भारत ने पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए गुप्त रूप से तेल खरीद बढ़ाई है।

    (c) भारत अपने राष्ट्रीय हितों के तहत, रूस से रियायती दरों पर तेल खरीद रहा है, जिसे वह अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं मानता।

    (d) भारत केवल मित्र देशों से ही तेल खरीद रहा है।

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस से रियायती तेल खरीद रहा है और उसका तर्क है कि ये खरीद अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत अनुमत हैं और वह किसी भी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं कर रहा है।
  8. प्रश्न: यदि भारत रूस से तेल खरीद बंद कर देता है, तो निम्न में से कौन सी समस्या उत्पन्न हो सकती है?

    (a) घरेलू मुद्रास्फीति में कमी।

    (b) ऊर्जा की उपलब्धता में वृद्धि।

    (c) ऊर्जा लागत में वृद्धि और संभावित ऊर्जा संकट।

    (d) अमेरिका के साथ व्यापार संबंध मजबूत होना।

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: रूस से रियायती तेल की खरीद बंद करने से भारत को अन्य, संभवतः अधिक महंगे, स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ेगा, जिससे उसकी ऊर्जा लागत बढ़ सकती है और समग्र ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
  9. प्रश्न: वैश्विक तेल बाजारों में अस्थिरता का सबसे संभावित कारण क्या हो सकता है?

    (a) तेल उत्पादक देशों द्वारा उत्पादन बढ़ाना।

    (b) प्रमुख उपभोक्ता देशों पर टैरिफ का लगाया जाना और भू-राजनीतिक तनाव।

    (c) नवीकरणीय ऊर्जा का बढ़ता उपयोग।

    (d) तेल की मांग में अचानक गिरावट।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: बड़े आयातक देशों पर टैरिफ लगाना और भू-राजनीतिक तनाव ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर सकते हैं और वैश्विक तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव पैदा कर सकते हैं।
  10. प्रश्न: भारत की विदेश नीति का कौन सा सिद्धांत उसे रूस से तेल खरीदने की अनुमति देता है, भले ही पश्चिमी देश इसका विरोध करें?

    (a) केवल पश्चिमी देशों के साथ सहयोग।

    (b) अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देना और बहु-संरेखण (Multi-alignment) की नीति।

    (c) पूरी तरह से गुटनिरपेक्ष रहना।

    (d) केवल एकतरफा परमाणु अप्रसार को बढ़ावा देना।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: भारत की बहु-संरेखण की नीति उसे विभिन्न देशों के साथ अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार संबंध विकसित करने की अनुमति देती है, जिसमें रूस के साथ ऊर्जा सहयोग शामिल है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न: भारत की ऊर्जा सुरक्षा की आवश्यकताओं और पश्चिम के साथ सामरिक संबंधों के बीच संतुलन बनाने की चुनौतियों का विश्लेषण करें। रूस से तेल खरीद के मुद्दे पर भारत के दृष्टिकोण का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द)
  2. प्रश्न: “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत लगाए गए टैरिफ और व्यापारिक प्रतिबंध, वैश्विक व्यापार व्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को कैसे प्रभावित करते हैं? भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के संदर्भ में इसका विस्तृत विश्लेषण करें। (250 शब्द)
  3. प्रश्न: यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से तेल खरीद के भारत के फैसले के भू-राजनीतिक निहितार्थों पर चर्चा करें। भारत की सामरिक स्वायत्तता और ऊर्जा कूटनीति के संबंध में इस निर्णय के महत्व का उल्लेख करें। (150 शब्द)
  4. प्रश्न: डोनाल्ड ट्रंप के संभावित टैरिफ बढ़ाने के बयान को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़े आर्थिक झटके के रूप में देखा जा सकता है। उन प्रमुख क्षेत्रों और वस्तुओं की पहचान करें जो इससे सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं, और सरकार द्वारा उठाए जाने वाले संभावित कदमों का सुझाव दें। (150 शब्द)

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