भारत-चीन सीमा विवाद: SC के सवाल, राहुल गांधी के दावों और ‘पुख्ता जानकारी’ का विश्लेषण
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
भारत और चीन के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद ने हाल ही में एक नया मोड़ तब लिया जब सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से उनके दावों के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा। राहुल गांधी ने सार्वजनिक मंचों पर कई बार आरोप लगाया है कि चीन ने भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट का यह सवाल, विशेष रूप से उनकी ‘पुख्ता जानकारी’ के स्रोत और प्रकृति को लेकर, राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा कूटनीति और सार्वजनिक बयानों के प्रभाव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाता है। यह घटनाक्रम न केवल राजनीतिक हलकों में बल्कि आम जनता और विशेष रूप से UPSC की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के बीच भी गहन चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि यह भारत की विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बिंदु को दर्शाता है।
यह मामला केवल दो व्यक्तियों या एक पार्टी की बयानबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की संप्रभुता, राष्ट्रीय हितों की रक्षा और सीमा प्रबंधन से जुड़े गंभीर राष्ट्रीय सवालों से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप इस बात का संकेत देता है कि सीमा विवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मामलों पर सार्वजनिक बयानों में सटीकता और जिम्मेदारी का कितना महत्व है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह मुद्दा आंतरिक सुरक्षा, विदेश नीति, भारत-चीन संबंध, कूटनीति, रक्षा संगठन और भू-राजनीति जैसे विषयों को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है।
1. SC के सवाल का संदर्भ और गहन अर्थ (Context and Deeper Meaning of SC’s Question):
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से जो सवाल पूछे हैं, वे सतही तौर पर एक व्यक्तिगत मामले की तरह लग सकते हैं, लेकिन उनका निहितार्थ कहीं अधिक गहरा है। जब एक प्रतिष्ठित सार्वजनिक हस्ती, विशेषकर एक प्रमुख विपक्षी दल का नेता, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े ऐसे गंभीर आरोप लगाता है, तो यह उम्मीद की जाती है कि उनके पास इन दावों का समर्थन करने के लिए ठोस, सत्यापित और विश्वसनीय सबूत होंगे।
कोर्ट का मुख्य सरोकार क्या था?
- पुख्ता जानकारी का स्रोत: सुप्रीम कोर्ट यह जानना चाहता था कि राहुल गांधी के इस दावे का आधार क्या है कि चीन ने भारतीय जमीन हड़पी है। क्या यह जानकारी खुफिया एजेंसियों से प्राप्त हुई है? क्या यह सैटेलाइट इमेजरी पर आधारित है? या यह केवल अनुमान या बाहरी स्रोतों पर आधारित है?
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव: ऐसे आरोप, यदि बिना पुख्ता सबूत के लगाए जाएं, तो देश की सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकते हैं। यह दुश्मन देश (इस मामले में चीन) को मनोवैज्ञानिक बढ़त दे सकता है, देश की सैन्य तैयारियों पर सवाल उठा सकता है, और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति को कमजोर कर सकता है।
- “सच्चे भारतीय” होने का बयान: राहुल गांधी का यह कहना कि “अगर हम सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते” एक भावनात्मक और राष्ट्रवादी अपील थी। कोर्ट ने संभवतः इस बयान के संदर्भ को भी समझने का प्रयास किया, कि इसका तात्पर्य क्या है और क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर बहस को ‘देशभक्ति’ बनाम ‘देशद्रोह’ के खांचे में सीमित करने का प्रयास है।
- जिम्मेदारी का तत्व: सार्वजनिक जीवन में जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्तियों के लिए यह अनिवार्य है कि वे राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखें और ऐसे बयान न दें जिनसे देश को नुकसान पहुंचे। कोर्ट का प्रश्न इस जिम्मेदारी के तत्व को रेखांकित करता है।
यह मामला उस नाजुक संतुलन को दर्शाता है जो एक लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच बनाए रखना होता है।
2. भारत-चीन सीमा विवाद: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य (India-China Border Dispute: A Historical Perspective):
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लगभग 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर फैला हुआ है। यह विवाद मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों में केंद्रित है:
- पश्चिमी क्षेत्र: लद्दाख, जिसमें अक्साई चिन का क्षेत्र शामिल है, जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है लेकिन चीन के नियंत्रण में है।
- मध्य क्षेत्र: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्से।
- पूर्वी क्षेत्र: अरुणाचल प्रदेश, जिसे चीन दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है, जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग मानता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- औपनिवेशिक काल: ब्रिटिश काल के दौरान सीमांकन की अपूर्ण प्रक्रिया और तिब्बत की अस्पष्ट स्थिति ने विवाद की नींव रखी।
- 1950 के दशक: नेहरू सरकार ने ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ के नारे के साथ चीन के प्रति उदार रुख अपनाया, लेकिन दूसरी ओर चीन ने गुप्त रूप से अक्साई चिन से होकर एक सड़क का निर्माण शुरू कर दिया, जिसे भारत ने बाद में पहचाना।
- 1962 का भारत-चीन युद्ध: इस युद्ध ने सीमा विवाद को और गहरा कर दिया। युद्ध के बाद, चीन ने अक्साई चिन पर अपना नियंत्रण मजबूत किया और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर भी दावा किया।
- LAC का उद्भव: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कोई स्पष्ट रूप से परिभाषित सीमा नहीं है, बल्कि युद्ध विराम के बाद दोनों देशों द्वारा अपनाई गई चौकियों के बीच की काल्पनिक रेखा है। इसी LAC पर चीन द्वारा यथास्थिति बदलने (यानी, अग्रिम क्षेत्रों में घुसपैठ या चौकियों का निर्माण) के प्रयास भारत के लिए चिंता का विषय रहे हैं।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि LAC पर “जमीन हड़पने” का मतलब अक्सर कुछ भूभाग पर भौतिक नियंत्रण स्थापित करना या उन क्षेत्रों में उपस्थिति बढ़ाना होता है जिन्हें भारत अपनी सीमा का हिस्सा मानता है।
3. राहुल गांधी के दावे और उनकी प्रकृति (Rahul Gandhi’s Claims and Their Nature):
राहुल गांधी ने कई मौकों पर, विशेष रूप से 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद, भारत-चीन सीमा पर चीन द्वारा भारतीय जमीन पर कब्जा करने के आरोप लगाए हैं। उनके दावों का मुख्य बिंदु यह रहा है कि चीन ने बड़ी मात्रा में भारतीय क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया है, और सरकार इस पर पर्दा डाल रही है।
दावों के संभावित स्रोत:
- विपक्षी दृष्टिकोण: विपक्ष के रूप में, सरकार की नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सवाल उठाना उनकी भूमिका का हिस्सा है।
- खुफिया रिपोर्टें: संभव है कि कांग्रेस पार्टी को विभिन्न स्रोतों से ऐसी जानकारी मिली हो जो चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों में गतिविधियों की ओर इशारा करती हो।
- ग्राउंड रिपोर्टें: स्थानीय लोगों, पूर्व सैनिकों या शोधकर्ताओं द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों से प्राप्त रिपोर्टें भी उनके दावों का आधार हो सकती हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टें और मीडिया: कभी-कभी अंतर्राष्ट्रीय मीडिया या थिंक-टैंक की रिपोर्टें भी ऐसी जानकारी प्रदान कर सकती हैं।
हालांकि, जब ये दावे सार्वजनिक रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न उठाते हैं, तो उनके लिए “पुख्ता जानकारी” का होना महत्वपूर्ण हो जाता है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रेखांकित किया है।
4. “पुख्ता जानकारी” का महत्व और चुनौतियाँ (Importance and Challenges of “Concrete Information”):
राष्ट्रीय सुरक्षा, विशेष रूप से सीमा विवाद जैसे संवेदनशील मामलों में, “पुख्ता जानकारी” का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
“पुख्ता जानकारी” का अर्थ:
- सत्यापित तथ्य: ऐसी जानकारी जो विश्वसनीय स्रोतों से आई हो और जिसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि की जा सके।
- सबूत-आधारित: इसमें भू-स्थानिक डेटा (जैसे सैटेलाइट इमेजरी), खुफिया रिपोर्टें, रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक आकलन, या उच्च-स्तरीय रक्षा अधिकारियों से प्राप्त इनपुट शामिल हो सकते हैं।
- स्पष्टता और विशिष्टता: यह स्पष्ट रूप से बताए कि किस क्षेत्र में, कितना, और किस प्रकार का कब्ज़ा हुआ है।
चुनौतियाँ:
- खुफिया जानकारी की गोपनीयता: राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित अधिकांश जानकारी अत्यधिक वर्गीकृत (classified) होती है। सार्वजनिक डोमेन में लाने पर यह देश के हितों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए, खुफिया जानकारी को सीधे सार्वजनिक करना या उस पर सीधे सार्वजनिक बहस करना अक्सर संभव नहीं होता।
- LAC की अस्पष्टता: LAC के दोनों ओर की भू-भाग की संवेदनशीलता और नियंत्रण को लेकर अलग-अलग दावे हैं। चीन अक्सर अपनी यथास्थिति को बदलने वाले कार्यों को “अपनी सीमा के भीतर” के रूप में चित्रित करता है।
- राजनीतिकरण: सीमा विवाद जैसे मुद्दे अक्सर राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किए जाते हैं, जिससे वस्तुनिष्ठ चर्चा और जानकारी का प्रसार कठिन हो जाता है।
- सामरिक चुप्पी: सरकारें अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में रणनीतिक चुप्पी साधती हैं ताकि दुश्मन को कोई जानकारी न मिले और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत बनी रहे।
सुप्रीम कोर्ट का सवाल अप्रत्यक्ष रूप से सरकार की “सामरिक चुप्पी” और विपक्षी नेता द्वारा उठाए गए गंभीर आरोपों के बीच के अंतर को स्पष्ट करने का एक प्रयास था।
5. “सच्चे भारतीय” होने का बयान: एक विश्लेषणात्मक दृष्टि (The “True Indian” Statement: An Analytical Perspective):
राहुल गांधी का यह कहना कि “अगर हम सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते” एक भावनात्मक और राजनीतिक बयान था। इसका विश्लेषण कई स्तरों पर किया जा सकता है:
भावनात्मक/राष्ट्रवादी अपील:
- इसका सीधा अर्थ यह निकालना कि जो लोग इन आरोपों पर सवाल उठाते हैं, वे भारतीय नहीं हैं, एक तर्कसंगत विश्लेषण नहीं है।
- यह बयान उस वर्ग को लक्षित करता है जो राष्ट्रवाद को सर्वोपरि मानता है और सरकार के प्रति आलोचना को राष्ट्रीय हित के खिलाफ मानता है।
आरोप का औचित्य:
- इस बयान के माध्यम से, राहुल गांधी शायद यह कहना चाह रहे थे कि चीन के कब्ज़े के आरोप इतने गंभीर हैं कि एक “सच्चा भारतीय” इस पर चुप नहीं रह सकता और सरकार को जवाबदेह ठहराएगा।
- यह सरकार पर “छिपाने” या “जानबूझकर अनदेखी” करने का आरोप लगाता है।
सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण:
- सुप्रीम कोर्ट के लिए, “सच्चा भारतीय” होने का प्रश्न बौद्धिक बहस का विषय नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों में जिम्मेदार और सत्यापित जानकारी के आधार पर बयान देने की आवश्यकता का है।
- कोर्ट का सरोकार राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता है, जो केवल भावनात्मक नारों से नहीं, बल्कि तथ्य-आधारित दृष्टिकोण से प्रदर्शित होती है।
यह बयान भारतीय राजनीति में राष्ट्रवाद की भूमिका और राष्ट्रीय सुरक्षा पर सार्वजनिक विमर्श को आकार देने के तरीके पर भी प्रकाश डालता है।
6. भारत-चीन संबंधों पर व्यापक प्रभाव (Broader Implications for India-China Relations):
यह घटनाक्रम भारत-चीन संबंधों के जटिल ताने-बाने में एक और परत जोड़ता है।
रक्षा और कूटनीति:
- सीमा पर तनाव: 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से, LAC पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ताएं जारी हैं, लेकिन समाधान मुश्किल बना हुआ है।
- कूटनीतिक संवाद: भारत का प्रयास रहा है कि सीमा पर तनाव को कम किया जाए और द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर किया जाए, जबकि साथ ही अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा की जाए।
- आर्थिक संबंध: इसके बावजूद, भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार काफी अधिक है, जो इस रिश्ते की बहुआयामी प्रकृति को दर्शाता है।
घरेलू राजनीतिक आयाम:
- सरकारी प्रतिक्रिया: सरकार ने अक्सर विपक्षी आलोचनाओं का खंडन किया है, यह दावा करते हुए कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं। वे अपनी सीमा प्रबंधन नीतियों और LAC पर स्थिति के बारे में सरकार के दृष्टिकोण को सही ठहराते हैं।
- जनता की राय: ऐसे आरोप और उन पर होने वाली बहसें जनता की राय को प्रभावित कर सकती हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चिंता बढ़ा सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का सवाल यह भी दर्शाता है कि ऐसे गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर सार्वजनिक बयानों को कितनी गंभीरता से लिया जाना चाहिए, खासकर जब वे अदालतों तक पहुंचें।
7. UPSC के लिए प्रासंगिकता: विषयवार जुड़ाव (Relevance for UPSC: Subject-wise Linkages):
यह मामला UPSC सिविल सेवा परीक्षा के कई महत्वपूर्ण अनुभागों से जुड़ा हुआ है:
भारतीय राजव्यवस्था (GS-II):
- न्यायपालिका की भूमिका: न्यायपालिका की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय महत्व के मामलों में उसका हस्तक्षेप।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा: अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उस पर लगने वाले उचित प्रतिबंध (अनुच्छेद 19(2))।
- संवैधानिक नैतिकता: सार्वजनिक पदों पर बैठे व्यक्तियों से अपेक्षित आचरण।
अंतर्राष्ट्रीय संबंध (GS-II):
- भारत-चीन संबंध: सीमा विवाद, LAC पर तनाव, द्विपक्षीय वार्ताएं, सहयोग और प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र।
- भू-राजनीति: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का उदय और भारत की स्थिति।
- कूटनीति: सीमा मुद्दों पर कूटनीतिक समाधान की तलाश।
आंतरिक सुरक्षा (GS-III):
- सीमा प्रबंधन: सीमाओं की सुरक्षा, घुसपैठ रोकना, LAC पर निगरानी।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले बाहरी और आंतरिक कारक।
- खुफिया तंत्र: खुफिया जानकारी का महत्व और उसका उपयोग।
रक्षा (GS-III):
- रक्षा नीतियां: सीमा रक्षा, सैन्य आधुनिकीकरण।
- रक्षा कूटनीति: पड़ोसी देशों के साथ रक्षा सहयोग और संवाद।
8. भविष्य की राह और निष्कर्ष (Way Forward and Conclusion):
यह मामला हमें कई महत्वपूर्ण सबक सिखाता है:
- जिम्मेदार बयानबाजी: राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सार्वजनिक मंचों से बयान देते समय अत्यधिक सावधानी और तथ्यों की पुष्टि आवश्यक है।
- सरकारी पारदर्शिता और संचार: सरकार को जनता के बीच विश्वास बनाए रखने के लिए, जहाँ तक संभव हो, सीमा विवादों और सुरक्षा चिंताओं के बारे में स्पष्ट और पारदर्शी संचार करना चाहिए, जबकि राष्ट्रीय हितों से समझौता न करे।
- कूटनीतिक समाधान: भारत को चीन के साथ संवाद और कूटनीति के माध्यम से सीमा पर तनाव कम करने और यथास्थिति को बनाए रखने के लिए प्रयास जारी रखना चाहिए, साथ ही अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करना चाहिए।
- रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना:LAC पर किसी भी दुस्साहस का मुकाबला करने के लिए भारत को अपनी सैन्य और सामरिक क्षमताओं को लगातार बढ़ाना होगा।
सुप्रीम कोर्ट का सवाल एक अनुस्मारक है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि एक गंभीर संवैधानिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है। इसमें शामिल सभी पक्षों को इस जिम्मेदारी को समझना होगा, ताकि देश के हित सर्वोपरि रहें। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटनाक्रम भारत की विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा, और सार्वजनिक जीवन में जिम्मेदारी जैसे विषयों की गहरी समझ विकसित करने का अवसर प्रदान करता है, जो परीक्षा में सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के संदर्भ में, ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ (LAC) का क्या अर्थ है?
(a) ब्रिटिश काल द्वारा निर्धारित एक अंतरराष्ट्रीय सीमा।
(b) 1962 के युद्ध के बाद चीन द्वारा एकतरफा घोषित सीमा।
(c) दोनों देशों की सेनाओं द्वारा अपनाई गई वास्तविक नियंत्रण की काल्पनिक रेखा।
(d) दोनों देशों के बीच एक औपचारिक रूप से सहमत और सीमांकित सीमा।
उत्तर: (c)
व्याख्या: LAC कोई स्पष्ट रूप से परिभाषित या सीमांकित सीमा नहीं है, बल्कि 1962 के युद्ध विराम के बाद दोनों देशों की सेनाओं द्वारा दावा की गई चौकियों के बीच की एक काल्पनिक रेखा है। - प्रश्न 2: भारत-चीन सीमा विवाद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह मुख्य रूप से पश्चिमी क्षेत्र (लद्दाख), मध्य क्षेत्र (हिमाचल/उत्तराखंड) और पूर्वी क्षेत्र (अरुणाचल प्रदेश) में केंद्रित है।
2. चीन अरुणाचल प्रदेश को “दक्षिणी तिब्बत” का हिस्सा होने का दावा करता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c)
व्याख्या: दोनों कथन सही हैं। ये तीन मुख्य क्षेत्र हैं जहाँ सीमा विवाद सबसे अधिक गंभीर है, और चीन अरुणाचल प्रदेश पर ऐतिहासिक रूप से दक्षिणी तिब्बत के रूप में दावा करता रहा है। - प्रश्न 3: राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों में सुप्रीम कोर्ट के एक हस्तक्षेप का संभावित कारण क्या हो सकता है?
(a) राजनीतिक दलों के बीच विवादों को हल करना।
(b) सार्वजनिक बयानों की सत्यता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर उनके प्रभाव का आकलन करना।
(c) रक्षा मंत्रालय की दैनिक कार्यवाहियों का पर्यवेक्षण करना।
(d) रक्षा बजट को अंतिम रूप देना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप तब हो सकता है जब राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर दिए गए सार्वजनिक बयानों में तथ्यात्मकता की कमी हो या वे देश के हितों को प्रभावित कर सकते हों। - प्रश्न 4: “पुख्ता जानकारी” (Concrete Information) का अर्थ राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में क्या है?
(a) केवल अटकलें और अफवाहें।
(b) सत्यापित तथ्य, सबूत-आधारित डेटा और विश्वसनीय स्रोत।
(c) सामाजिक मीडिया पर लोकप्रिय विचार।
(d) किसी भी राजनीतिक दल द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति।
उत्तर: (b)
व्याख्या: राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में “पुख्ता जानकारी” का अर्थ है सत्यापित तथ्य, भू-स्थानिक डेटा, या खुफिया जानकारी जैसे विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त साक्ष्य। - प्रश्न 5: भारत-चीन संबंधों में ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ नारा किस अवधि से संबंधित है?
(a) 1962 के युद्ध के बाद।
(b) 1950 के दशक में।
(c) 1970 के दशक में।
(d) 1990 के दशक में।
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का नारा 1950 के दशक में भारत और चीन के बीच घनिष्ठता के दौर से संबंधित है, जो बाद में 1962 के युद्ध से भंग हो गया। - प्रश्न 6: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 (2) किस पर उचित प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है?
(a) धर्म की स्वतंत्रता।
(b) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
(c) जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा।
(d) संपत्ति का अधिकार।
उत्तर: (b)
व्याख्या: अनुच्छेद 19(2) भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, आदि जैसे कारणों के आधार पर भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है। - प्रश्न 7: गलवान घाटी की घटना, जो 2020 में हुई, किस देश के साथ भारत के सीमा विवाद के संदर्भ में महत्वपूर्ण थी?
(a) पाकिस्तान
(b) चीन
(c) नेपाल
(d) बांग्लादेश
उत्तर: (b)
व्याख्या: गलवान घाटी भारत और चीन के बीच LAC पर स्थित है, और 2020 की हिंसक झड़प ने दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव को काफी बढ़ा दिया था। - प्रश्न 8: भारत द्वारा LAC पर चीनी गतिविधियों के संबंध में अक्सर इस्तेमाल की जाने वाली “सामरिक चुप्पी” (Strategic Silence) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) जनता को गुमराह करना।
(b) दुश्मन देश को कोई खुफिया जानकारी न देना और अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत रखना।
(c) अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचना।
(d) अपनी सैन्य कमजोरियों को छिपाना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: सामरिक चुप्पी का उद्देश्य दुश्मन को कोई महत्वपूर्ण जानकारी लीक होने से रोकना और संवेदनशील कूटनीतिक या सैन्य मुद्दों पर भारत की स्थिति को यथासंभव मजबूत रखना है। - प्रश्न 9: राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, ‘भू-स्थानिक डेटा’ (Geospatial Data) का क्या महत्व है?
(a) केवल आर्थिक विकास का विश्लेषण।
(b) सीमा क्षेत्रों में घुसपैठ, निर्माण और सैन्य गतिविधियों की निगरानी और पहचान।
(c) आंतरिक राजनीतिक सर्वेक्षण।
(d) सांस्कृतिक महत्व के स्थानों की पहचान।
उत्तर: (b)
व्याख्या: भू-स्थानिक डेटा, जैसे सैटेलाइट इमेजरी, सीमा क्षेत्रों में वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करता है, जो घुसपैठ, चीनी निर्माणों या सैन्य गतिविधियों का पता लगाने में महत्वपूर्ण है। - प्रश्न 10: किसी सार्वजनिक हस्ती द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर आरोप लगाने के मामले में, सुप्रीम कोर्ट किस पर सबसे अधिक ध्यान केंद्रित करेगा?
(a) बयान की लोकप्रियता।
(b) बयान देने वाले की पार्टी की राजनीतिक स्थिति।
(c) आरोपों का तथ्यात्मक आधार और राष्ट्रीय सुरक्षा पर उनका संभावित प्रभाव।
(d) बयान के भावनात्मक अपील का स्तर।
उत्तर: (c)
व्याख्या: सुप्रीम कोर्ट जैसे संवैधानिक निकाय के लिए, राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर आरोपों का तथ्यात्मक आधार और देश के हितों पर उनका संभावित प्रभाव सबसे महत्वपूर्ण विचारणीय बिंदु होते हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: राष्ट्रीय सुरक्षा के गंभीर मुद्दों पर सार्वजनिक बयानों में सटीकता, सत्यापन और जिम्मेदारी के महत्व का विश्लेषण करें, विशेष रूप से भारत-चीन सीमा विवाद के संदर्भ में। इस संबंध में न्यायपालिका की भूमिका पर भी प्रकाश डालें। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 2: भारत-चीन सीमा विवाद के ऐतिहासिक मूल का वर्णन करें और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर वर्तमान चुनौतियों की विवेचना करें। भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए किन रणनीतिक और कूटनीतिक उपायों का उपयोग कर रहा है? (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 3: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन को स्पष्ट करें। ऐसे मामलों में जब सार्वजनिक बयानों से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होने की आशंका हो, तो सरकार और न्यायपालिका की क्या भूमिका होनी चाहिए? (150 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न 4: “सामरिक चुप्पी” (Strategic Silence) की अवधारणा की व्याख्या करें, जैसा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और संवेदनशील कूटनीतिक मुद्दों पर लागू होता है। भारत-चीन सीमा तनाव के आलोक में इसके फायदे और नुकसान पर चर्चा करें। (150 शब्द, 10 अंक)