3 बड़े कारण: क्यों ट्रंप रूस से तेल खरीद पर भारत से नाराज़ हुए और लगा सकते हैं भारी टैरिफ?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की रूस से तेल खरीदने की नीति पर कड़ी आपत्ति जताई है। ट्रंप ने न केवल भारत को रूस के तेल को बाजार में बेचकर मुनाफा कमाने का आरोप लगाया, बल्कि यह भी संकेत दिया कि अमेरिका भारत पर भारी टैरिफ लगा सकता है। यह बयान भू-राजनीतिक परिदृश्य, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा बाजार और भारत-अमेरिका संबंधों के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर जब वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतें अस्थिर हैं और रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है।
भूमिका: वैश्विक ऊर्जा कूटनीति का एक नाजुक मोड़
दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा उपभोक्ता देशों में से एक भारत, अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विविध स्रोतों पर निर्भर है। हाल के वर्षों में, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने रूस से रियायती दर पर तेल खरीदना जारी रखा है। यह कदम भारत के राष्ट्रीय हित और आर्थिक प्राथमिकताओं के अनुरूप था, लेकिन इसने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में, चिंताएं पैदा की हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टिप्पणी इस जटिल परिदृश्य में एक नया आयाम जोड़ती है, जो भू-राजनीतिक तनावों, आर्थिक दांव-पेच और कूटनीतिक दबाव की एक परत को उजागर करती है।
यह ब्लॉग पोस्ट ट्रंप की टिप्पणियों के पीछे के कारणों की गहराई से पड़ताल करेगा, भारत के इस फैसले के भू-राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थों का विश्लेषण करेगा, और UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए इन मुद्दों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालेगा। हम इस पूरे मामले को एक विशेषज्ञ शिक्षक की तरह, सरल भाषा, उपमाओं और केस स्टडी के साथ समझेंगे, ताकि आप इसे आसानी से आत्मसात कर सकें।
ट्रंप क्यों नाराज़ हुए? 3 मुख्य कारण
डोनाल्ड ट्रंप की नाराज़गी को समझने के लिए, हमें कई वैश्विक और द्विपक्षीय कारकों पर विचार करना होगा:
1. अमेरिकी राष्ट्रीय हित और ऊर्जा बाजार पर प्रभाव
क्या है मामला?: ट्रंप का मुख्य आरोप यह था कि भारत रूस से तेल खरीदकर, उसे शोधित (refine) कर रहा है और फिर ऊंचे दामों पर अन्य देशों को बेचकर मुनाफा कमा रहा है। उनका मानना है कि इससे रूस को आर्थिक लाभ हो रहा है, जो यूक्रेन पर आक्रमण के लिए जिम्मेदार है। साथ ही, उनका यह भी मानना है कि इससे वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता बढ़ती है और अमेरिकी ऊर्जा कंपनियों के लिए कीमतें कम रहती हैं।
उपमा: इसे ऐसे समझें जैसे आप किसी ऐसे स्टोर से सस्ता सामान खरीदें जिस पर बाकी लोग प्रतिबंध लगा रहे हों, और फिर उसी सामान को थोड़ा संसाधित करके किसी और को ऊंचे दाम पर बेच दें। यह एक तरह से प्रतिबंधों को दरकिनार करने जैसा लग सकता है, जिससे प्रतिबंध लगाने वाले देशों को यह अहसास होता है कि उनका दबाव उतना प्रभावी नहीं हो रहा है।
UPSC प्रासंगिकता:
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations): यह दिखाता है कि कैसे एक देश की ऊर्जा नीति दूसरे देश के राष्ट्रीय हितों को प्रभावित कर सकती है।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy): तेल की कीमतें वैश्विक आर्थिक विकास, मुद्रास्फीति और व्यापार संतुलन को सीधे प्रभावित करती हैं।
- भू-राजनीति (Geopolitics): ऊर्जा को अक्सर एक भू-राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, और इसमें भारत का रुख महत्वपूर्ण है।
केस स्टडी: 2022 में, जब रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया, तो पश्चिमी देशों ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए, जिसमें उसके तेल निर्यात को सीमित करना भी शामिल था। हालाँकि, कई देशों, जिनमें भारत और चीन शामिल थे, ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा, क्योंकि रूस रियायती दरें दे रहा था। अमेरिका, जो रूस पर दबाव बनाना चाहता था, इन देशों के इस कदम से नाखुश था, खासकर जब वह यूरोपीय देशों पर रूसी तेल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए जोर दे रहा था।
2. रूस पर प्रतिबंधों का उद्देश्य और प्रभाव
क्या है मामला?: अमेरिका और उसके सहयोगी रूस को उसके सैन्य अभियानों के लिए आर्थिक रूप से कमजोर करना चाहते हैं। उनका मानना है कि रूस के तेल की बिक्री से प्राप्त आय उसे युद्ध लड़ने की क्षमता प्रदान करती है। जब भारत जैसे बड़े उपभोक्ता रूस से तेल खरीदते हैं, तो यह रूस को वैश्विक अलगाव से बचने और अपने राजस्व को बनाए रखने में मदद करता है। ट्रंप का मानना है कि इस तरह की खरीद अमेरिकी नेतृत्व वाले प्रतिबंधों के प्रभाव को कमजोर करती है।
उपमा: सोचिए कि किसी कंपनी को दिवालिया करने के लिए उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हों। लेकिन अगर एक बड़ा ग्राहक उस कंपनी से लगातार खरीददारी करता रहे, तो वह कंपनी शायद उतनी जल्दी दिवालिया न हो। यही स्थिति ट्रंप रूस के तेल खरीद के मामले में भारत के रुख को देख रहे हैं।
UPSC प्रासंगिकता:
- अंतर्राष्ट्रीय कानून और संगठन (International Law and Organizations): संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे मंचों पर ऐसे मुद्दों पर बहस होती है।
- सुरक्षा अध्ययन (Security Studies): ऊर्जा की आपूर्ति श्रृंखलाएं राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अभिन्न अंग हैं।
- कूटनीति (Diplomacy): विभिन्न देशों के बीच राजनयिक संबंध, दबाव और समझौते।
ट्रंप का दृष्टिकोण: ट्रंप का “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडा अक्सर इस बात पर जोर देता है कि अमेरिकी निर्णय अन्य देशों के बजाय अमेरिकी हितों को प्राथमिकता दें। इस मामले में, वे भारत के उन कार्यों को अमेरिकी हितों के विरुद्ध देख रहे हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से उनके प्रतिबंधों को कमजोर करते हैं और रूस को लाभ पहुंचाते हैं।
3. आंतरिक अमेरिकी राजनीति और आगामी चुनाव
क्या है मामला?: डोनाल्ड ट्रंप एक अनुभवी राजनेता हैं और अपनी बात को मुखरता से रखने के लिए जाने जाते हैं। आगामी राष्ट्रपति चुनावों को देखते हुए, उनके लिए ऊर्जा नीति, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर अपनी छाप छोड़ना महत्वपूर्ण है। रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक ऊर्जा की कीमतें अमेरिकी घरेलू राजनीति का भी हिस्सा हैं। ट्रंप इस मुद्दे को उठाकर अपनी कट्टर समर्थक आधार को एकजुट कर सकते हैं और वर्तमान प्रशासन पर “कमजोर” होने का आरोप लगा सकते हैं।
उपमा: यह ऐसा है जैसे कोई नेता विपक्ष में रहते हुए सरकार की नीतियों की आलोचना करके जनता का ध्यान आकर्षित करता है और आगामी चुनाव में खुद को एक बेहतर विकल्प के रूप में पेश करता है।
UPSC प्रासंगिकता:
- भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity): भारत की विदेश नीति के निर्णय घरेलू राजनीति और जनमत से भी प्रभावित होते हैं।
- शासन (Governance): राष्ट्रीय हित के निर्धारण में सरकार की भूमिका।
- समसामयिक मामले (Current Affairs): अंतर्राष्ट्रीय नेताओं के बयान और उनके घरेलू राजनीतिक संदर्भ।
ट्रंप की चाल: जब भी ट्रंप किसी अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर टिप्पणी करते हैं, तो उसके पीछे अक्सर उनकी घरेलू राजनीतिक रणनीति भी छिपी होती है। वे अमेरिका को मजबूत दिखाने, अपनी विदेश नीति की सफलताओं का बखान करने (जो उन्होंने अपने कार्यकाल में लागू की थी) और वर्तमान प्रशासन की कमियों को उजागर करने का प्रयास करते हैं।
भारत का पक्ष: राष्ट्रीय हित सर्वोपरि
भारत की रूस से तेल खरीदने की नीति के पीछे ठोस कारण हैं:
1. ऊर्जा सुरक्षा और सामर्थ्य
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है और अपनी 85% से अधिक तेल आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर है। वैश्विक तेल की कीमतों में वृद्धि सीधे तौर पर भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ती है और आम आदमी पर बोझ पड़ता है। रूस द्वारा यूक्रेन युद्ध के बाद तेल की कीमतों में कमी की पेशकश भारत के लिए एक आकर्षक अवसर था।
- सस्ती दरें: रूस पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण अपने तेल पर रियायती दरें दे रहा था, जिससे भारत को लाभ हुआ।
- आपूर्ति की निरंतरता: रूस तेल की एक बड़ी और विश्वसनीय आपूर्ति प्रदान कर सकता है, जो अन्य आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करता है।
उदाहरण: 2023 में, भारत ने अपने कच्चे तेल के आयात का लगभग 30% रूस से प्राप्त किया, जबकि 2021 में यह आंकड़ा बहुत कम था। यह भारत के ऊर्जा बास्केट में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।
2. गुटनिरपेक्षता और सामरिक स्वायत्तता
भारत की विदेश नीति ऐतिहासिक रूप से गुटनिरपेक्षता और सामरिक स्वायत्तता पर आधारित रही है। इसका मतलब है कि भारत किसी भी महाशक्ति या सैन्य गठबंधन के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध नहीं है और अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार स्वतंत्र निर्णय लेता है। अमेरिका के सहयोगी देशों द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद, भारत ने रूस के साथ अपने पारंपरिक मजबूत संबंधों और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने का फैसला किया।
“हम उन देशों से तेल खरीदेंगे जिनसे हमें अच्छा सौदा मिलेगा। यह हमारे राष्ट्रीय हित में है।” – यह भारत के ऊर्जा कूटनीति का मूल मंत्र रहा है।
UPSC प्रासंगिकता:
- भारतीय विदेश नीति (Indian Foreign Policy): भारत की ‘लुक ईस्ट’, ‘एक्ट ईस्ट’, ‘हेल्दी नेबरहुड’, ‘इंडो-पैसिफिक’ जैसी नीतियां।
- रणनीतिक साझेदारी (Strategic Partnerships): भारत के रूस, अमेरिका, फ्रांस आदि देशों के साथ संबंध।
3. भारत-रूस संबंध
भारत और रूस के बीच दशकों पुराने रक्षा, कूटनीतिक और आर्थिक संबंध हैं। रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता रहा है। ऐसे में, रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने से भारत के पारंपरिक साझेदार के साथ उसके संबंध खराब हो सकते थे, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से स्वीकार्य नहीं था।
ट्रंप की “भारी टैरिफ” की धमकी: क्या यह संभव है?
ट्रंप द्वारा “भारी टैरिफ” लगाने की धमकी के कई निहितार्थ हो सकते हैं:
- अमेरिकी व्यापार कानून: अमेरिका अपने व्यापार कानूनों के तहत उन देशों पर टैरिफ लगा सकता है जो अनुचित व्यापार प्रथाओं में लिप्त हैं या अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाते हैं।
- दबाव की रणनीति: यह भारत पर अपने रुख को बदलने के लिए दबाव बनाने की एक कूटनीतिक रणनीति हो सकती है।
- व्यापक आर्थिक प्रभाव: यदि अमेरिका भारत पर टैरिफ लगाता है, तो यह न केवल द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी बाधित कर सकता है।
UPSC प्रासंगिकता:
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade): टैरिफ, संरक्षणवाद, मुक्त व्यापार समझौते (FTAs)।
- अर्थशास्त्र (Economics): आपूर्ति और मांग, व्यापार असंतुलन, भू-अर्थव्यवस्था।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: ट्रंप प्रशासन ने अपने कार्यकाल में कई देशों पर, चीन सहित, टैरिफ लगाए थे, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध छिड़ गया था। यह उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति का एक हिस्सा था।
इस पूरे मामले में चुनौतियाँ और आगे की राह
चुनौतियाँ:
- भू-राजनीतिक दुविधा: भारत को अमेरिका जैसे प्रमुख साझेदार और रूस जैसे पारंपरिक आपूर्तिकर्ता के बीच संतुलन बनाना पड़ रहा है।
- ऊर्जा बाजार की अस्थिरता: वैश्विक तेल बाजार अभी भी अनिश्चितताओं से भरा है, जिससे भविष्य की योजना बनाना मुश्किल हो जाता है।
- अमेरिकी दबाव: ट्रंप के बयानों से यह संकेत मिलता है कि भविष्य में अमेरिका की ओर से दबाव बढ़ सकता है, खासकर यदि वह फिर से राष्ट्रपति बनते हैं।
- पश्चिमी देशों का दृष्टिकोण: भले ही ट्रंप यह कह रहे हैं, लेकिन कई पश्चिमी देश अभी भी भारत के रुख से असहज हैं।
आगे की राह:
- विविधीकरण: भारत को अपनी ऊर्जा आपूर्ति को और अधिक विविध बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि वह किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भर न रहे। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना भी शामिल है।
- कूटनीतिक संवाद: भारत को अमेरिका और अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ लगातार संवाद बनाए रखना होगा, उन्हें अपनी ऊर्जा नीति के पीछे के कारणों को समझाना होगा और राष्ट्रीय हित की व्याख्या करनी होगी।
- रणनीतिक साझेदारी: भारत को अपनी रक्षा और कूटनीतिक साझेदारी को मजबूत करना होगा, ताकि वह वैश्विक दबावों का सामना कर सके।
- आंतरिक क्षमता बढ़ाना: घरेलू तेल उत्पादन और शोधन क्षमताओं में सुधार से आयात पर निर्भरता कम हो सकती है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की भारत की रूस से तेल खरीद पर टिप्पणी, वैश्विक ऊर्जा कूटनीति, भू-राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के जटिल जाल का एक हिस्सा है। यह घटना दर्शाती है कि कैसे एक देश की ऊर्जा नीति अन्य देशों के राष्ट्रीय हितों और वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकती है। भारत, अपनी ऊर्जा सुरक्षा और सामरिक स्वायत्तता को प्राथमिकता देते हुए, इस स्थिति को सावधानी से संभालने की कोशिश कर रहा है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस मुद्दे का विश्लेषण अंतर्राष्ट्रीय संबंध, अर्थव्यवस्था, और कूटनीति के लेंस से करना महत्वपूर्ण है। यह समझना आवश्यक है कि इस तरह की अंतर्राष्ट्रीय घटनाएं केवल समाचारों की सुर्खियां नहीं हैं, बल्कि वे वैश्विक व्यवस्था के निर्माण खंड हैं, जो भविष्य की दिशा तय करती हैं।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: हाल के दिनों में, किस पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत की रूस से तेल खरीदने की नीति की आलोचना करते हुए भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी है?
(a) बराक ओबामा
(b) डोनाल्ड ट्रंप
(c) जॉर्ज डब्ल्यू. बुश
(d) बिल क्लिंटन
उत्तर: (b) डोनाल्ड ट्रंप
व्याख्या: डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर आपत्ति जताई थी। - प्रश्न 2: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए मुख्य रूप से किस पर निर्भर है?
(a) घरेलू कोयला उत्पादन
(b) नवीकरणीय ऊर्जा
(c) आयातित तेल और गैस
(d) परमाणु ऊर्जा
उत्तर: (c) आयातित तेल और गैस
व्याख्या: भारत अपनी लगभग 85% से अधिक तेल आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर है। - प्रश्न 3: रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, किस देश ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे?
(a) केवल संयुक्त राज्य अमेरिका
(b) केवल यूरोपीय संघ
(c) संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगी देश
(d) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
उत्तर: (c) संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगी देश
व्याख्या: अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने रूस पर व्यापक आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। - प्रश्न 4: भारत की विदेश नीति की एक प्रमुख विशेषता क्या रही है?
(a) पूर्णतः अमेरिका के प्रति निष्ठा
(b) रूस के साथ पूर्ण अलगाव
(c) गुटनिरपेक्षता और सामरिक स्वायत्तता
(d) चीन के साथ पूर्ण आर्थिक निर्भरता
उत्तर: (c) गुटनिरपेक्षता और सामरिक स्वायत्तता
व्याख्या: भारत अपनी विदेश नीति में राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए स्वतंत्र निर्णय लेने की नीति पर चलता है। - प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
1. भारत रूस से रियायती दर पर तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा लागत कम करता है।
2. ट्रंप का मानना है कि भारत की तेल खरीद रूस को आर्थिक लाभ पहुंचाती है।
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c) 1 और 2 दोनों
व्याख्या: दोनों कथन भारत की तेल नीति और ट्रंप की चिंता को सही ढंग से दर्शाते हैं। - प्रश्न 6: अंतर्राष्ट्रीय तेल बाजार को प्रभावित करने वाले कारकों में शामिल हैं:
1. भू-राजनीतिक तनाव
2. OPEC+ देशों के निर्णय
3. वैश्विक आर्थिक वृद्धि
4. ऊर्जा पर लगे प्रतिबंध
(a) केवल 1, 2, और 3
(b) केवल 1, 3, और 4
(c) केवल 2, 3, और 4
(d) 1, 2, 3, और 4
उत्तर: (d) 1, 2, 3, और 4
व्याख्या: ये सभी कारक अंतर्राष्ट्रीय तेल कीमतों और उपलब्धता को प्रभावित करते हैं। - प्रश्न 7: भारत-रूस संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू क्या रहा है?
(a) भारत का रूस पर पूर्ण आर्थिक प्रतिबंध लगाना
(b) रूस का भारत को सैन्य सहायता से इनकार करना
(c) रक्षा और कूटनीतिक क्षेत्र में मजबूत संबंध
(d) रूस का भारतीय तेल बाजार से बाहर निकलना
उत्तर: (c) रक्षा और कूटनीतिक क्षेत्र में मजबूत संबंध
व्याख्या: रूस दशकों से भारत का प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता और एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक साझेदार रहा है। - प्रश्न 8: ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति का संबंध किस अमेरिकी राष्ट्रपति से है?
(a) बराक ओबामा
(b) डोनाल्ड ट्रंप
(c) जो बाइडेन
(d) जिमी कार्टर
उत्तर: (b) डोनाल्ड ट्रंप
व्याख्या: ‘अमेरिका फर्स्ट’ डोनाल्ड ट्रंप की विदेश और व्यापार नीति का केंद्रीय नारा था। - प्रश्न 9: यदि कोई देश किसी अन्य देश के तेल को खरीदकर, उसे शोधित (refine) करके फिर से बेचता है, तो यह किस आर्थिक गतिविधि का उदाहरण हो सकता है?
(a) केवल निर्यात
(b) केवल आयात
(c) मूल्य वर्धन (Value Addition) और पुन: निर्यात
(d) संरक्षणवाद
उत्तर: (c) मूल्य वर्धन (Value Addition) और पुन: निर्यात
व्याख्या: कच्चे तेल को परिष्कृत करके और फिर बेचकर मूल्य जोड़ा जाता है और निर्यात किया जाता है। - प्रश्न 10: भारत की ऊर्जा कूटनीति का उद्देश्य क्या है?
(a) केवल रूस पर निर्भरता बढ़ाना
(b) केवल पश्चिमी देशों से तेल खरीदना
(c) ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना और आयात लागत कम रखना
(d) अपने सभी तेल भंडार को समाप्त करना
उत्तर: (c) ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना और आयात लागत कम रखना
व्याख्या: भारत का लक्ष्य अपनी ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित और किफायती तरीके से पूरा करना है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में, भारत द्वारा रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने के फैसले के बहुआयामी भू-राजनीतिक और आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण करें। इसमें भारत की “सामरिक स्वायत्तता” की नीति और प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ उसके संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव पर विशेष ध्यान दें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 2: डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत की ऊर्जा कूटनीति की आलोचना और भारी टैरिफ लगाने की धमकी के पीछे के कारणों की पड़ताल करें। इस संदर्भ में, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा बाजार, भू-राजनीतिक दबाव और अमेरिकी घरेलू राजनीति के बीच संबंधों पर चर्चा करें। (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न 3: भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में रूस से तेल आयात की क्या भूमिका रही है? इस नीति से जुड़ी चुनौतियों और भारत को अपनी ऊर्जा निर्भरता को कम करने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए, इस पर विस्तृत चर्चा करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 4: “वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में संरक्षणवाद और राष्ट्रीय हितों की प्राथमिकता, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था के लिए नई चुनौतियां पेश कर रही है।” इस कथन का विश्लेषण भारत के रूस से तेल खरीदने के मामले के संदर्भ में करें, जिसमें अमेरिका जैसे देशों द्वारा उठाए जा सकने वाले कदमों (जैसे टैरिफ) के संभावित प्रभावों पर प्रकाश डालें। (लगभग 150 शब्द)