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सनजय कपूर की माँ का चौंकाने वाला दावा: ब्रिटेन से ‘रहस्यमयी’ मौत की जांच की मांग!

सनजय कपूर की माँ का चौंकाने वाला दावा: ब्रिटेन से ‘रहस्यमयी’ मौत की जांच की मांग!

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में, सनजय कपूर, एक जाने-माने भारतीय व्यवसायी और पूर्व सांसद, की माँ, बबीता कपूर, ने एक सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने ब्रिटेन से अपने बेटे की “रहस्यमयी” मौत की निष्पक्ष जांच की मांग की है। यह दावा एक ऐसे मामले को प्रकाश में लाता है जहाँ संदेह, आरोप और अनसुलझे प्रश्न एक जटिल जाल बुन रहे हैं। ऐसे प्रकरण न केवल व्यक्तिगत त्रासदी का प्रतीक हैं, बल्कि इनमें अंतर्राष्ट्रीय कानून, न्यायिक प्रक्रिया, पारदर्शिता और सार्वजनिक जांच जैसे महत्वपूर्ण पहलू भी शामिल हैं, जो UPSC परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।

यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना के विभिन्न आयामों को गहराई से खंगालेगा, UPSC के दृष्टिकोण से इसके महत्व को रेखांकित करेगा, और संबंधित कानूनी, सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय निकायों पर इसके संभावित प्रभावों का विश्लेषण करेगा।

पृष्ठभूमि: सनजय कपूर का मामला

सनजय कपूर का जीवन और मृत्यु, दोनों ही भारतीय कॉर्पोरेट और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय रहे हैं। उनकी मृत्यु एक ऐसी घटना है जिसके आसपास अभी भी कई अनसुलझे प्रश्न और अटकलें हैं। उनकी माँ, बबीता कपूर, का हालिया बयान इन अनिश्चितताओं को और बढ़ाता है, क्योंकि वे मृत्यु के पीछे “षड्यंत्र” (foul play) की आशंका जता रही हैं।

सनजय कपूर कौन थे?

  • एक प्रमुख भारतीय व्यवसायी, जो विभिन्न कॉर्पोरेट घरानों से जुड़े थे।
  • एक पूर्व सांसद, जिसने भारतीय राजनीति में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।
  • उनके जीवन में कई व्यावसायिक और व्यक्तिगत उतार-चढ़ाव आए, जो अक्सर मीडिया की सुर्खियों में रहे।

उनकी मृत्यु की परिस्थितियों को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं, लेकिन माँ का यह नया आरोप इस मामले को एक नई दिशा दे रहा है, विशेष रूप से ब्रिटेन से जांच की मांग इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ला खड़ा करती है।

माँ का आरोप: ‘षड्यंत्र’ की आशंका और ब्रिटेन से मांग

बबीता कपूर का आरोप किसी हल्के-फुल्के दावे से कहीं बढ़कर है। जब कोई माँ अपने बेटे की मृत्यु को “रहस्यमयी” कहती है और बाहरी हस्तक्षेप (ब्रिटेन से जांच) की मांग करती है, तो इसका सीधा अर्थ है कि उन्हें स्थानीय या मौजूदा जांच पर भरोसा नहीं है।

“मेरी आशंका है कि मेरे बेटे के साथ कुछ गलत हुआ है। यह सामान्य मृत्यु नहीं हो सकती। मुझे न्याय चाहिए, और इसके लिए मैं ब्रिटेन से निष्पक्ष जांच की मांग करती हूँ।” – बबीता कपूर (काल्पनिक उद्धरण, मूल भावना को व्यक्त करने के लिए)

आरोप के मुख्य बिंदु:

  • ‘षड्यंत्र’ (Foul Play): यह सबसे गंभीर आरोप है, जो दुर्घटना या प्राकृतिक मृत्यु के बजाय किसी दुर्भावनापूर्ण कृत्य की ओर इशारा करता है।
  • ‘रहस्यमयी’ मृत्यु (Mysterious Death): यह मृत्यु के कारणों के आसपास मौजूद अनिश्चितता और पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है।
  • ब्रिटेन से जांच की मांग: यह दर्शाता है कि या तो घटना ब्रिटेन में हुई है, या संबंधित व्यक्ति/संस्थाएं ब्रिटेन में स्थित हैं, या फिर माँ को लगता है कि ब्रिटेन की जांच प्रणाली अधिक निष्पक्ष और प्रभावी हो सकती है।

इस मांग के पीछे कई कारण हो सकते हैं: हो सकता है कि मृत्यु का स्थान ब्रिटेन हो, या फिर उनके बेटे के व्यवसाय या व्यक्तिगत संबंधों का कोई महत्वपूर्ण पहलू ब्रिटेन से जुड़ा हो।

UPSC प्रासंगिकता: विश्लेषण और जुड़े हुए विषय

यह मामला UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न पहलुओं से जुड़ता है:

1. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations – GS Paper II)

  • कानूनी सहयोग और प्रत्यर्पण (Legal Cooperation and Extradition): यदि जांच ब्रिटेन में होती है, तो भारत और ब्रिटेन के बीच कानूनी सहायता संधियों (Mutual Legal Assistance Treaties – MLATs) और प्रत्यर्पण संधियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
  • कूटनीति (Diplomacy): ऐसे मामले दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं, विशेषकर यदि आरोप गंभीर हों और किसी नागरिक की संप्रभुता पर सवाल उठाते हों।
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून (International Law): मृत्यु के स्थान, नागरिकता और संदिग्धों के स्थान के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के विभिन्न सिद्धांत लागू हो सकते हैं।

2. भारतीय न्याय प्रणाली और जांच प्रक्रिया (Indian Judiciary and Investigative Process – GS Paper II)

  • न्यायिक निष्पक्षता (Judicial Impartiality): माँ द्वारा बाहरी जांच की मांग, मौजूदा न्यायिक या पुलिस जांच की निष्पक्षता पर प्रश्न उठा सकती है।
  • प्रक्रियात्मक न्याय (Procedural Justice): जांच की गति, पारदर्शिता और सबूतों को एकत्र करने का तरीका, प्रक्रियात्मक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप होना चाहिए।
  • जवाबदेही (Accountability): यदि जांच में लापरवाही या भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं, तो जवाबदेही का प्रश्न उठता है।

3. शासन और पारदर्शिता (Governance and Transparency – GS Paper II)

  • सरकारी एजेंसियों पर भरोसा (Trust in Government Agencies): ऐसे मामले जनता के सरकारी जांच तंत्र में विश्वास को प्रभावित करते हैं।
  • सूचना का अधिकार (Right to Information): ऐसे संवेदनशील मामलों में सूचना की उपलब्धता और पारदर्शिता महत्वपूर्ण हो जाती है।
  • अधिकारों की सुरक्षा (Protection of Rights): चाहे वह मृतक का अधिकार हो, या परिवार का, सभी के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना शासन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

4. सामाजिक मुद्दे (Social Issues – GS Paper I)

  • परिवार का दुःख और न्याय की तलाश (Family Grief and Search for Justice): यह मामला किसी भी परिवार के लिए एक व्यक्तिगत त्रासदी है, जो न्याय की तलाश में किसी भी हद तक जा सकता है।
  • अमीर और शक्तिशाली लोगों के मामले (Cases involving the Rich and Powerful): अक्सर ऐसे मामले तब सामने आते हैं जब प्रभावित पक्ष के पास संसाधनों की कमी होती है, लेकिन सनजय कपूर जैसे हाई-प्रोफाइल मामले में, माँ के पास अपनी आवाज उठाने के साधन हो सकते हैं।

5. नैतिकता (Ethics – GS Paper IV)

  • ईमानदारी और सत्यनिष्ठा (Honesty and Integrity): जांच एजेंसियों और संबंधित पक्षों के लिए ये मूल्य महत्वपूर्ण हैं।
  • सार्वजनिक हित (Public Interest): क्या मृत्यु के कारणों को सार्वजनिक करना जनता के हित में है?
  • सहानुभूति और संवेदनशीलता (Empathy and Sensitivity): ऐसे मामलों से निपटने में अधिकारियों को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

ब्रिटेन से जांच की मांग: इसके निहितार्थ

ब्रिटेन से जांच की मांग केवल एक भावनात्मक अपील नहीं है, बल्कि इसके दूरगामी कानूनी और कूटनीतिक निहितार्थ हो सकते हैं:

  • कानूनी आधार (Legal Basis): क्या ब्रिटेन की अदालतों या एजेंसियों के पास इस मामले में स्वतः संज्ञान लेने या जांच शुरू करने का कोई अधिकार क्षेत्र (jurisdiction) है? यह मृत्यु के स्थान, संपत्ति, या संदिग्धों के निवास पर निर्भर करेगा।
  • साक्ष्य का संग्रह (Evidence Collection): यदि मृत्यु भारत में हुई है, तो ब्रिटेन द्वारा जांच कैसे की जा सकती है? क्या उन्हें भारत से सहयोग की आवश्यकता होगी?
  • एमएलएटी (MLAT – Mutual Legal Assistance Treaty): भारत और यूके के बीच एमएलएटी के तहत, यदि भारत औपचारिक अनुरोध करता है, तो यूके सहायता प्रदान कर सकता है। लेकिन यहाँ, माँ सीधे मांग कर रही हैं, जो थोड़ा असामान्य है।
  • सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र (Universal Jurisdiction): कुछ गंभीर अपराधों (जैसे युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध) के लिए, सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र लागू होता है, लेकिन यह एक सामान्य मृत्यु के मामले में लागू नहीं होता।
  • राजनीतिक प्रभाव (Political Influence): कभी-कभी, ऐसे मामले सार्वजनिक दबाव और मीडिया की अंतर्ालोक के कारण सरकारों को कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।

एक उपमा: सोचिए कि आपके घर में कुछ गलत हुआ है, और आप अपने पड़ोसी से नहीं, बल्कि दूर के किसी दूसरे शहर के पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग कर रहे हैं। यह तभी संभव है जब आपके पड़ोसी के घर से कुछ ऐसा संबंध हो या वहां की पुलिस के पास कुछ खास अधिकार हों।

संभावित परिदृश्य और चुनौतियाँ

इस मामले में कई संभावित परिदृश्य हो सकते हैं, जिनमें से प्रत्येक अपनी चुनौतियों के साथ आएगा:

परिदृश्य 1: ब्रिटेन द्वारा जांच का कोई आधार नहीं

  • चुनौती: यदि मृत्यु भारत में हुई है और संबंधित व्यक्तियों का ब्रिटेन से कोई मजबूत कानूनी या भौतिक संबंध नहीं है, तो ब्रिटेन शायद ही कोई औपचारिक जांच शुरू करेगा।
  • संभावित परिणाम: माँ की मांग को अनसुना किया जा सकता है, जिससे उन्हें निराशा हो सकती है।

परिदृश्य 2: ब्रिटेन द्वारा सीमित जांच या सूचना का अनुरोध

  • चुनौती: यदि सनजय कपूर की कुछ संपत्ति या व्यावसायिक हित ब्रिटेन में हैं, तो यूके की एजेंसियां ​​शायद कुछ सीमित जानकारी या सहयोग प्रदान करने पर विचार कर सकती हैं, खासकर यदि यह उनके अपने कानूनों का उल्लंघन करता हो।
  • संभावित परिणाम: यह भारत की अपनी जांच को भी प्रभावित कर सकता है।

परिदृश्य 3: भारत का औपचारिक अनुरोध

  • चुनौती: यदि भारतीय न्यायपालिका या सरकार को लगता है कि ब्रिटेन से मदद की आवश्यकता है, तो वे एमएलएटी के तहत औपचारिक अनुरोध कर सकते हैं।
  • संभावित परिणाम: यह भारत-यूके सहयोग के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है।

परिदृश्य 4: सार्वजनिक और मीडिया का दबाव

  • चुनौती: मीडिया का ध्यान और सार्वजनिक आक्रोश कभी-कभी सरकारों पर कार्रवाई करने का दबाव बना सकता है, भले ही कानूनी आधार कमजोर हो।
  • संभावित परिणाम: दोनों देशों की सरकारें जनमत के दबाव में आ सकती हैं।

जांच की आवश्यकता और मापदंड

किसी भी मृत्यु, विशेषकर ‘रहस्यमयी’ या ‘संदिग्ध’ मानी जाने वाली मृत्यु की निष्पक्ष जांच के लिए कुछ मापदंड होते हैं:

  • समयबद्धता (Timeliness): सबूतों को संरक्षित करने और गवाहों को याद रखने के लिए जांच समय पर होनी चाहिए।
  • निष्पक्षता (Fairness): जांच में किसी भी प्रकार का पूर्वाग्रह या पक्षपात नहीं होना चाहिए।
  • पारदर्शिता (Transparency): प्रक्रिया यथासंभव पारदर्शी होनी चाहिए, जिससे जनता और परिवार का विश्वास बना रहे।
  • सक्षमता (Competence): जांच करने वाले अधिकारियों के पास आवश्यक कौशल और संसाधन होने चाहिए।
  • स्वतंत्रता (Independence): जांच बाहरी दबावों से मुक्त होनी चाहिए।

बबीता कपूर की मांग इन्हीं मापदंडों की पूर्ति की ओर इशारा करती है, जहाँ उन्हें लगता है कि ये मापदंड वर्तमान में पूरे नहीं हो रहे हैं।

निष्कर्ष: न्याय, पारदर्शिता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

सनजय कपूर की माँ द्वारा की गई यह मांग कई जटिल मुद्दों को उठाती है। यह न केवल एक व्यक्तिगत दुखद कहानी है, बल्कि यह न्यायपालिका की भूमिका, सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि वे ऐसे मामलों को केवल सनसनीखेज घटनाओं के रूप में न देखें, बल्कि उनमें छिपे हुए प्रशासनिक, कानूनी और कूटनीतिक पहलुओं का विश्लेषण करें।

एक आदर्श स्थिति तब होती है जब एक राष्ट्रीय न्यायिक प्रणाली इतनी मजबूत, निष्पक्ष और पारदर्शी हो कि ऐसी बाहरी मांगों की आवश्यकता ही न पड़े। लेकिन जब ऐसा होता है, तो यह व्यवस्था के उन पहलुओं पर विचार करने का अवसर प्रदान करता है जहाँ सुधार की आवश्यकता है। भविष्य में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या ब्रिटेन इस मांग पर कोई कार्रवाई करता है, और यदि हाँ, तो यह भारत के लिए क्या संकेत देगा।

यह घटना हमें याद दिलाती है कि न्याय की तलाश अक्सर एक लंबी और कठिन यात्रा होती है, और इसमें विश्वास, पारदर्शिता और कभी-कभी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भी भूमिका हो सकती है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: सनजय कपूर की माँ द्वारा ब्रिटेन से जांच की मांग के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा अंतर्राष्ट्रीय कानून का सिद्धांत सीधे तौर पर लागू हो सकता है, यदि घटना ब्रिटेन में हुई हो?
    (a) क्षेत्रीयता का सिद्धांत (Territorial Principle)
    (b) राष्ट्रीयता का सिद्धांत (Nationality Principle)
    (c) सार्वभौमिक अधिकार क्षेत्र (Universal Jurisdiction)
    (d) सुरक्षात्मक सिद्धांत (Protective Principle)
    उत्तर: (a) क्षेत्रीयता का सिद्धांत (Territorial Principle)
    व्याख्या: यदि कोई अपराध किसी देश की सीमा के भीतर होता है, तो उस देश के पास अधिकार क्षेत्र होता है। माँ की मांग अगर ब्रिटेन से है, तो यह निहितार्थ हो सकता है कि घटना ब्रिटेन में हुई।
  2. प्रश्न 2: भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच कानूनी सहायता के लिए कौन सी संधि या समझौता प्रासंगिक हो सकता है?
    (a) प्रत्यर्पण संधि (Extradition Treaty)
    (b) द्विपक्षीय निवेश संधि (Bilateral Investment Treaty)
    (c) आपसी कानूनी सहायता संधि (Mutual Legal Assistance Treaty – MLAT)
    (d) सीमा पार अपराध निवारण समझौता (Transnational Crime Prevention Agreement)
    उत्तर: (c) आपसी कानूनी सहायता संधि (Mutual Legal Assistance Treaty – MLAT)
    व्याख्या: एमएलएटी देशों के बीच आपराधिक और नागरिक मामलों में जांच, अभियोजन और अन्य कानूनी सहायता के लिए ढाँचा प्रदान करता है।
  3. प्रश्न 3: ‘षड्यंत्र’ (foul play) शब्द का प्रयोग जांच के संदर्भ में क्या इंगित करता है?
    (a) प्राकृतिक कारणों से मृत्यु (Death due to natural causes)
    (b) आकस्मिक दुर्घटना (Accidental mishap)
    (c) किसी के गलत कार्य या दुर्भावनापूर्ण इरादे से हुई मृत्यु (Death caused by someone’s wrongful act or malicious intent)
    (d) बीमारी के कारण मृत्यु (Death due to illness)
    उत्तर: (c) किसी के गलत कार्य या दुर्भावनापूर्ण इरादे से हुई मृत्यु (Death caused by someone’s wrongful act or malicious intent)
    व्याख्या: ‘Foul play’ का अर्थ है कि मृत्यु किसी व्यक्ति के अवैध या दुर्भावनापूर्ण कृत्य का परिणाम है।
  4. प्रश्न 4: ऐसे मामलों में माँ द्वारा बाहरी देश से जांच की मांग, भारत की न्याय प्रणाली के किस पहलू पर प्रश्न उठा सकती है?
    (a) न्यायिक स्वतंत्रता (Judicial independence)
    (b) जांच की निष्पक्षता और पारदर्शिता (Fairness and transparency of investigation)
    (c) अपील का अधिकार (Right to appeal)
    (d) न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial review)
    उत्तर: (b) जांच की निष्पक्षता और पारदर्शिता (Fairness and transparency of investigation)
    व्याख्या: बाहरी जांच की मांग अक्सर तब की जाती है जब वर्तमान जांच पर संदेह या अविश्वास हो।
  5. प्रश्न 5: यदि सनजय कपूर का कोई मामला ब्रिटेन से जुड़ा है, तो कौन सा सिद्धांत यूके के अदालतों को मामले में हस्तक्षेप करने का आधार दे सकता है?
    (a) प्रभाव का सिद्धांत (Doctrine of Effect)
    (b) क्षेत्राधिकार का सिद्धांत (Doctrine of Jurisdiction)
    (c) समवर्ती क्षेत्राधिकार (Concurrent Jurisdiction)
    (d) विशेषाधिकार का सिद्धांत (Doctrine of Privilege)
    उत्तर: (b) क्षेत्राधिकार का सिद्धांत (Doctrine of Jurisdiction)
    व्याख्या: किसी भी अदालत को कार्रवाई करने के लिए क्षेत्राधिकार की आवश्यकता होती है, जो भौगोलिक, व्यक्तिगत या विषय-वस्तु पर आधारित हो सकता है।
  6. प्रश्न 6: “रहस्यमयी मृत्यु” (Mysterious Death) शब्द का प्रयोग समाचार रिपोर्टिंग में आमतौर पर क्या दर्शाता है?
    (a) मृत्यु का स्पष्ट कारण (Clear cause of death)
    (b) मृत्यु के कारण के आसपास अस्पष्टता या अनिश्चितता (Ambiguity or uncertainty surrounding the cause of death)
    (c) चिकित्सकीय त्रुटि के कारण मृत्यु (Death due to medical error)
    (d) दुर्घटना में मृत्यु (Death in an accident)
    उत्तर: (b) मृत्यु के कारण के आसपास अस्पष्टता या अनिश्चितता (Ambiguity or uncertainty surrounding the cause of death)
    व्याख्या: ‘रहस्यमयी’ शब्द का प्रयोग तब होता है जब मृत्यु के कारण तुरंत स्पष्ट नहीं होते और जांच की आवश्यकता होती है।
  7. प्रश्न 7: भारत में, किसी भी नागरिक के अधिकारों की रक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए कौन सी संवैधानिक संस्थाएं जिम्मेदार हैं?
    (a) केवल पुलिस (Only Police)
    (b) केवल अदालतें (Only Courts)
    (c) पुलिस, अभियोजक और अदालतें (Police, Prosecutors, and Courts)
    (d) केवल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (Only National Human Rights Commission)
    उत्तर: (c) पुलिस, अभियोजक और अदालतें (Police, Prosecutors, and Courts)
    व्याख्या: न्याय प्रक्रिया एक बहु-चरणीय प्रक्रिया है जिसमें पुलिस की जांच, अभियोजन पक्ष की भूमिका और अंततः अदालतों का निर्णय शामिल है।
  8. प्रश्न 8: अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, एक देश दूसरे देश के आपराधिक मामलों में कैसे सहयोग कर सकता है?
    (a) केवल राजनयिक चैनलों के माध्यम से (Only through diplomatic channels)
    (b) एमएलएटी (MLAT) और प्रत्यर्पण संधियों के माध्यम से (Through MLATs and Extradition Treaties)
    (c) केवल सीधे अदालत के आदेश से (Only by direct court order)
    (d) सार्वजनिक अपील के माध्यम से (Through public appeals)
    उत्तर: (b) एमएलएटी (MLAT) और प्रत्यर्पण संधियों के माध्यम से (Through MLATs and Extradition Treaties)
    व्याख्या: एमएलएटी और प्रत्यर्पण संधियाँ अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सहयोग के मुख्य साधन हैं।
  9. प्रश्न 9: सनजय कपूर जैसे मामलों में ‘सार्वजनिक हित’ (Public Interest) का क्या अर्थ हो सकता है?
    (a) केवल मृतक के परिवार का हित (Only the interest of the deceased’s family)
    (b) एक उच्च-प्रोफाइल व्यक्ति की मृत्यु के आसपास सच्चाई का पता लगाना और व्यवस्था में विश्वास बनाए रखना (Ascertaining the truth behind the death of a high-profile person and maintaining faith in the system)
    (c) केवल वित्तीय लाभ (Only financial gain)
    (d) गोपनीयता बनाए रखना (Maintaining privacy)
    उत्तर: (b) एक उच्च-प्रोफाइल व्यक्ति की मृत्यु के आसपास सच्चाई का पता लगाना और व्यवस्था में विश्वास बनाए रखना (Ascertaining the truth behind the death of a high-profile person and maintaining faith in the system)
    व्याख्या: सार्वजनिक हित में उन मामलों की जांच शामिल है जो समाज पर व्यापक प्रभाव डाल सकते हैं या सरकारी एजेंसियों में विश्वास को प्रभावित कर सकते हैं।
  10. प्रश्न 10: बबीता कपूर द्वारा की गई मांग, भारत में ‘शासन’ (Governance) के किस पहलू से संबंधित है?
    (a) केवल विदेश नीति (Only foreign policy)
    (b) जवाबदेही, पारदर्शिता और नागरिक की न्याय तक पहुँच (Accountability, transparency, and citizen’s access to justice)
    (c) केवल आर्थिक विकास (Only economic development)
    (d) रक्षा क्षमता (Defence capabilities)
    उत्तर: (b) जवाबदेही, पारदर्शिता और नागरिक की न्याय तक पहुँच (Accountability, transparency, and citizen’s access to justice)
    व्याख्या: माँ की मांग सीधे तौर पर सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही, जांच की पारदर्शिता और नागरिक के न्याय प्राप्त करने के अधिकार से जुड़ी है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: सनजय कपूर की माँ द्वारा अपने बेटे की ‘रहस्यमयी’ मृत्यु के लिए ब्रिटेन से निष्पक्ष जांच की मांग के संदर्भ में, अंतर्राष्ट्रीय कानूनी सहयोग, विशेष रूप से भारत और ब्रिटेन के बीच, के महत्व और सीमाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न 2: किसी नागरिक की मृत्यु के आसपास ‘षड्यंत्र’ (foul play) के आरोपों पर जांच की मांग, राष्ट्रीय न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता और जनता के विश्वास को कैसे प्रभावित करती है? इस संदर्भ में भारत के लिए क्या सीख है? (150 शब्द, 10 अंक)
  3. प्रश्न 3: एक सिविल सेवक के लिए, ऐसे मामलों से निपटने में नैतिकता, निष्पक्षता और संवेदनशीलता के क्या महत्व हैं? उन सिद्धांतों पर चर्चा करें जो एक निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करते हैं। (250 शब्द, 15 अंक)
  4. प्रश्न 4: ‘रहस्यमयी’ मृत्यु के मामलों में, क्या एक नागरिक को अपनी सुरक्षा या न्याय के लिए सीधे अंतर्राष्ट्रीय मंचों की ओर देखना चाहिए, या राष्ट्रीय संस्थानों पर भरोसा करना अधिक उचित है? इस पर अपने विचार व्यक्त करें। (150 शब्द, 10 अंक)

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