SC का राहुल से सवाल: भारत-चीन सीमा विवाद पर पुख्ता जानकारी का मुद्दा, क्या है सच्चाई?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा है। यह सवाल सीधा भारत-चीन सीमा पर चल रहे विवाद और विशेष रूप से चीन द्वारा भारतीय जमीन पर कथित अतिक्रमण से जुड़ा है। न्यायालय ने जानना चाहा है कि राहुल गांधी को इस बात की जानकारी कैसे हुई कि चीन ने जमीन हड़पी है, और उनके दावों का आधार क्या है। सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी को “पुख्ता जानकारी क्या है, सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते” जैसी पंक्तियों के साथ जोड़कर देखा जा रहा है, जिसने राजनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के गलियारों में हलचल मचा दी है। यह मामला न केवल राजनीतिक बयानबाजी का हिस्सा है, बल्कि यह UPSC उम्मीदवारों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, कूटनीति, और सूचना की प्रामाणिकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन विचार-विमर्श का अवसर भी प्रदान करता है।
भारत-चीन सीमा विवाद: एक जटिल गाथा
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है। इसकी जड़ें ब्रिटिश राज के समय से जुड़ी हैं, जब सीमांकन को लेकर स्पष्टता का अभाव था। दोनों देश अलग-अलग रेखाओं को वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control – LAC) मानते हैं, जिसके कारण अक्सर झड़पें और तनाव की स्थिति बनती रहती है। पूर्वी लद्दाख में 2020 की गलवान घाटी की हिंसक झड़पें इस विवाद की सबसे घातक घटनाओं में से एक थीं, जिसने दोनों देशों के बीच संबंधों को और जटिल बना दिया। इन घटनाओं के बाद से, LAC पर सैन्य उपस्थिति बढ़ाई गई है और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है, लेकिन जमीनी हकीकत अक्सर धुंधली बनी रहती है।
सर्वोच्च न्यायालय का प्रश्न: सूचना की प्रामाणिकता और राष्ट्रीय हित
सर्वोच्च न्यायालय का प्रश्न “कैसे पता चीन ने जमीन हड़पी: पुख्ता जानकारी क्या है?” एक महत्वपूर्ण बिंदु को रेखांकित करता है। जब राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता की बात आती है, तो सूचना की प्रामाणिकता सर्वोपरि हो जाती है। सार्वजनिक रूप से दिए जाने वाले बयान, खासकर जब वे संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों से जुड़े हों, तो उन पर पुख्ता सबूतों का आधार होना चाहिए। इस संदर्भ में, न्यायालय का प्रश्न यह जानना चाहता है कि क्या कांग्रेस नेता के पास इस तरह की जानकारी थी जो सरकार या खुफिया एजेंसियों के पास उपलब्ध जानकारी के अनुरूप हो, या यह केवल राजनीतिक आरोप है।
‘सच्चे भारतीय’ का संदर्भ: एक गंभीर आरोप
सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी “सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते” को एक गंभीर आरोप के रूप में देखा जा सकता है। यह टिप्पणी अप्रत्यक्ष रूप से यह जताती है कि चीन द्वारा जमीन हड़पने के दावे करने वाले शायद देश के प्रति पूरी तरह निष्ठावान नहीं हैं, या वे उन सबूतों को नजरअंदाज कर रहे हैं जो उनकी बात का खंडन करते हों। हालांकि, इस तरह की भाषा का प्रयोग अक्सर राजनीतिक बहस में होता है, और इसका कानूनी या तथ्यात्मक आधार गंभीर जांच का विषय होता है।
UPSC के दृष्टिकोण से विश्लेषण: क्यों यह महत्वपूर्ण है?
UPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, यह घटना कई महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का अवसर देती है:
1. राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा:
- वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC): LAC का इतिहास, विवाद के मुख्य बिंदु (जैसे अक्साई चिन, अरुणाचल प्रदेश), और वर्तमान स्थिति।
- सैन्य तैनातियाँ: चीन और भारत द्वारा LAC पर अपनी सेनाओं की तैनाती, हथियारों का आधुनिकीकरण, और युद्ध क्षमता।
- खुफिया जानकारी: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खुफिया जानकारी का महत्व, उसकी प्रामाणिकता का सत्यापन, और लीक होने के खतरे।
- रक्षा नीतियां: भारत की रक्षा नीतियां, सीमा प्रबंधन की रणनीतियाँ, और सामरिक स्वायत्तता।
2. अंतर्राष्ट्रीय संबंध और कूटनीति:
- भारत-चीन संबंध: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, वर्तमान चुनौतियाँ, आर्थिक संबंध, और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा।
- कूटनीतिक वार्ता: सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर चल रही बातचीत की प्रक्रिया।
- बहुपक्षीय मंच: BIMSTEC, SCO, BRICS जैसे मंचों पर भारत-चीन का सह-अस्तित्व और उसके निहितार्थ।
- पड़ोसी देश नीति: चीन के पड़ोसी देशों के प्रति रवैये का भारत पर प्रभाव।
3. सूचना की प्रामाणिकता और मीडिया की भूमिका:
- गलत सूचना (Misinformation) और दुष्प्रचार (Disinformation): राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर गलत सूचना का प्रसार और उसका समाज पर प्रभाव।
- मीडिया की जिम्मेदारी: राष्ट्रीय महत्व के मामलों में मीडिया की भूमिका, तथ्यात्मक रिपोर्टिंग का महत्व, और सनसनीखेज खबरों से बचाव।
- सोशल मीडिया: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सूचना के स्रोत की प्रामाणिकता का सत्यापन और उसकी चुनौती।
4. संवैधानिक और कानूनी पहलू:
- सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका: राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में न्यायालय का हस्तक्षेप, अनुच्छेद 32 और 131 के तहत उसकी शक्तियाँ।
- सरकारी गोपनीयता: राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जानकारी को गोपनीय रखने की आवश्यकता और उसके सीमाएं।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: अनुच्छेद 19 के तहत नागरिकों के बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और उस पर राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लगाए जाने वाले उचित प्रतिबंध।
चीन द्वारा कथित अतिक्रमण: क्या है मामला?
चीन द्वारा भारतीय जमीन पर अतिक्रमण के आरोप कई दशकों से लग रहे हैं। 2020 के बाद, पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और चांगला जैसे क्षेत्रों में चीन द्वारा किए गए निर्माणों और गश्त की बढ़ती गतिविधियों की खबरें आई हैं। चीनी सेना (PLA) ने कथित तौर पर भारतीय सीमा के भीतर लगभग 2000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में प्रवेश किया है, जहाँ उसने सड़कों, आवासों और अन्य ढाँचों का निर्माण किया है। यह दावा विभिन्न रिपोर्टों और उपग्रह चित्रों पर आधारित है। हालांकि, भारत सरकार का कहना है कि वह अपनी सीमा की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है और सीमा पर किसी भी घुसपैठ को रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं।
“हमारी सरकार देश की एक इंच जमीन भी किसी को हड़पने नहीं देगी। सीमा पर किसी भी उल्लंघन का जवाब देने के लिए हमारी सेना पूरी तरह तैयार है।” – भारतीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता
राहुल गांधी के दावे और सरकारी प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने कई बार यह आरोप लगाया है कि चीन ने भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है और सरकार इस सच्चाई को छिपा रही है। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला है और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। उनकी टिप्पणी अक्सर सरकार की “सब ठीक है” वाली नीति पर सवाल उठाती है।
वहीं, सरकार का रुख यह रहा है कि सीमा पर वर्तमान स्थिति यथावत है और जो भी उल्लंघन हुए हैं, उनका कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर समाधान किया जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी संवेदनशील जानकारी को सार्वजनिक नहीं कर सकती, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
सूचना की प्रामाणिकता पर बहस: “पक्की जानकारी” क्या है?
यह बिंदु सबसे महत्वपूर्ण है। एक नेता के लिए, खासकर विपक्ष के, ऐसे आरोप लगाना जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हों, उसके लिए “पक्की जानकारी” का होना आवश्यक है। यह “पक्की जानकारी” क्या हो सकती है?
- खुफिया रिपोर्टें: राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा संकलित और सत्यापित की गई रिपोर्टें।
- सैटेलाइट इमेजरी: विश्वसनीय सैटेलाइट से प्राप्त ऐसी तस्वीरें जो चीनी निर्माणों या गतिविधियों को स्पष्ट रूप से दिखाती हों।
- फील्ड रिपोर्ट: सीमा पर तैनात सैनिकों या अधिकारियों द्वारा दी गई प्रत्यक्ष रिपोर्टें।
- अंतर्राष्ट्रीय स्रोतों से सत्यापित जानकारी: विश्वसनीय अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसियां या थिंक टैंक द्वारा प्रकाशित ऐसी रिपोर्टें जो स्वतंत्र रूप से सत्यापित हों।
बिना पुख्ता सबूतों के ऐसे दावे करना, खासकर जब वे विरोधी पक्ष द्वारा खंडित किए जा रहे हों, राजनीतिक रूप से विवादास्पद हो सकता है और राष्ट्र की सुरक्षा चिंताओं को अनावश्यक रूप से बढ़ा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय का प्रश्न इसी अनिश्चितता और प्रामाणिकता के अभाव पर केंद्रित है।
पक्ष और विपक्ष: विभिन्न दृष्टिकोण
इस मामले में विभिन्न दृष्टिकोण मौजूद हैं:
विपक्ष (राहुल गांधी और उनके समर्थक):
- पारदर्शिता की मांग: सरकार से सीमा की वास्तविक स्थिति को लेकर पारदर्शिता की मांग करना।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा: चीनी घुसपैठ को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताना और सरकार की निष्क्रियता की आलोचना करना।
- जनता का अधिकार: नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि उनकी भूमि की रक्षा कैसे हो रही है।
- “सच्चे भारतीय” पर आपत्ति: “सच्चे भारतीय” वाली टिप्पणी को देशद्रोह या राष्ट्रवाद की संकीर्ण परिभाषा बताया जा सकता है, जो असंतोष को दबाने का प्रयास है।
सरकार (और उनके समर्थक):
- राष्ट्रीय सुरक्षा का औचित्य: संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा जानकारी को सार्वजनिक न करने का औचित्य।
- कूटनीतिक प्रक्रिया: विवादों को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य चैनलों पर भरोसा।
- विपक्ष का राजनीतिकरण: राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने का आरोप।
- “पुख्ता जानकारी” का अभाव: विपक्ष के दावों के समर्थन में “पुख्ता जानकारी” के अभाव की ओर इशारा करना।
चुनौतियाँ और निहितार्थ
इस पूरी बहस में कई चुनौतियाँ निहित हैं:
- सूचना का युद्ध: चीन द्वारा सूचना के युद्ध का उपयोग, दुष्प्रचार फैलाना और भारत को भ्रमित करने का प्रयास।
- जमीनी हकीकत: LAC पर वास्तविक स्थिति का पता लगाना अक्सर मुश्किल होता है क्योंकि यह दुर्गम और प्रतिबंधित क्षेत्र है।
- राजनीतिक ध्रुवीकरण: राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का राजनीतिक ध्रुवीकरण, जो एकजुट राष्ट्रीय प्रतिक्रिया को कमजोर करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय धारणा: इस तरह के विवादों का भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि और कूटनीतिक संबंधों पर पड़ने वाला प्रभाव।
भविष्य की राह: आगे क्या?
UPSC उम्मीदवारों के लिए इस मुद्दे से सीखना महत्वपूर्ण है:
- तथ्यात्मक विश्लेषण: किसी भी दावे पर पहुंचने से पहले तथ्यों और सबूतों का गहन विश्लेषण करना।
- संतुलित दृष्टिकोण: किसी भी मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष दोनों को समझना और संतुलित दृष्टिकोण अपनाना।
- राष्ट्रीय हितों को समझना: राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए विश्लेषण करना।
- सूचना के स्रोतों का सत्यापन: यह सीखना कि सूचना के स्रोतों की प्रामाणिकता कैसे जांची जाए, खासकर जब वह सोशल मीडिया या गैर-विश्वसनीय स्रोतों से आ रही हो।
- रक्षा और कूटनीति का समन्वय: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए रक्षा क्षमताओं और प्रभावी कूटनीति के बीच समन्वय का महत्व समझना।
भारत-चीन सीमा विवाद एक सतत चुनौती है, और इस पर सार्वजनिक बहस, खासकर जब वह सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचे, राष्ट्रीय चेतना के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह हमें याद दिलाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, सूचना की प्रामाणिकता और सार्वजनिक जिम्मेदारी के बीच एक महीन रेखा है, जिस पर सावधानी से चलना आवश्यक है। UPSC उम्मीदवारों को इस मामले का अध्ययन राष्ट्रीय सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय संबंध और शासन के व्यापक संदर्भ में करना चाहिए।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) भारत और चीन के बीच एक सीमांकन रेखा है, जिसे दोनों देश स्वीकार करते हैं।
2. LAC की लंबाई लगभग 3,488 किलोमीटर है, जो जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक फैली हुई है।
3. पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और चांगला क्षेत्र LAC पर विवादित क्षेत्र हैं।
उपरोक्त में से कौन से कथन सत्य हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
व्याख्या: कथन 1 गलत है क्योंकि LAC को दोनों देश पूरी तरह स्वीकार नहीं करते, बल्कि वे अलग-अलग रेखाओं को LAC मानते हैं। कथन 2 और 3 सत्य हैं।
2. भारत-चीन सीमा विवाद के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण है?
(a) कराकोरम दर्रा
(b) नाथुला दर्रा
(c) लिपुलेख दर्रा
(d) ये सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: कराकोरम दर्रा (अक्साई चिन से जुड़ा), नाथुला दर्रा (सिक्किम) और लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) तीनों ही भारत-चीन सीमा पर महत्वपूर्ण और कभी-कभी विवादित क्षेत्र रहे हैं।
3. राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में “सूचना की प्रामाणिकता” का क्या महत्व है?
(a) यह केवल राजनीतिक बहस का विषय है।
(b) यह सार्वजनिक विश्वास बनाए रखने और गलत सूचना को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
(c) यह केवल सेना की जिम्मेदारी है।
(d) यह अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं डालता।
उत्तर: (b)
व्याख्या: सूचना की प्रामाणिकता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सार्वजनिक विश्वास बनाए रखने, गलत सूचना और दुष्प्रचार को रोकने और प्रभावी निर्णय लेने में मदद करती है।
4. सर्वोच्च न्यायालय निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर जनहित याचिकाएं सुन सकता है?
(a) अनुच्छेद 21
(b) अनुच्छेद 131
(c) अनुच्छेद 32
(d) अनुच्छेद 32 और 131 दोनों
उत्तर: (d)
व्याख्या: अनुच्छेद 32 नागरिकों के मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च न्यायालय को क्षेत्राधिकार देता है (जनहित याचिकाओं के माध्यम से), जबकि अनुच्छेद 131 केंद्र और राज्यों के बीच विवादों को सुनने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का मूल क्षेत्राधिकार प्रदान करता है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कुछ मामले भी आ सकते हैं।
5. निम्नलिखित में से कौन सी अंतर्राष्ट्रीय संस्था या मंच भारत और चीन दोनों के सदस्य हैं?
1. ब्रिक्स (BRICS)
2. शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
3. विश्व व्यापार संगठन (WTO)
सही कूट चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: ब्रिक्स, SCO और WTO तीनों ही ऐसे संगठन हैं जिनमें भारत और चीन दोनों सदस्य हैं।
6. “गलवान घाटी” घटना, जो 2020 में हुई, निम्नलिखित में से किस सीमा पर स्थित है?
(a) भारत-पाकिस्तान सीमा
(b) भारत-चीन सीमा (LAC)
(c) भारत-नेपाल सीमा
(d) भारत-बांग्लादेश सीमा
उत्तर: (b)
व्याख्या: गलवान घाटी भारत-चीन सीमा (LAC) पर स्थित है और 2020 में यहाँ भारत और चीनी सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी।
7. राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में “दुष्प्रचार” (Disinformation) का क्या अर्थ है?
(a) गलत जानकारी का अनजाने में प्रसार।
(b) जानबूझकर गलत या भ्रामक जानकारी का प्रसार।
(c) सत्य जानकारी को गोपनीय रखना।
(d) गुप्त सूचनाओं का लीक होना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: दुष्प्रचार (Disinformation) जानबूझकर गलत या भ्रामक जानकारी का प्रसार है, जिसका उद्देश्य नुकसान पहुंचाना या भ्रामक बनाना हो सकता है।
8. निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत की “एक्ट ईस्ट” नीति (Act East Policy) के संदर्भ में सत्य है?
(a) इसका मुख्य ध्यान पश्चिम एशिया पर है।
(b) इसका उद्देश्य पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करना है।
(c) यह केवल आर्थिक संबंधों तक सीमित है।
(d) इसमें पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने पर जोर दिया गया है।
उत्तर: (b)
व्याख्या: “एक्ट ईस्ट” नीति भारत की एक विदेश नीति है जिसका उद्देश्य पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करना है।
9. “असॉल्ट वेपन” (Assault Weapon) के संदर्भ में, सीमा सुरक्षा में निम्नलिखित में से कौन सा हथियार प्रकार प्रासंगिक हो सकता है?
(a) स्निपर राइफल (Sniper Rifle)
(b) हल्के मशीन गन (LMG)
(c) स्वचालित राइफल (Assault Rifle)
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: सीमा सुरक्षा और सैन्य अभियानों में स्निपर राइफल, हल्के मशीन गन और स्वचालित राइफल, सभी प्रकार के हथियार प्रासंगिक हो सकते हैं, जो विशिष्ट भूमिका और सामरिक आवश्यकता पर निर्भर करता है। (नोट: यह प्रश्न सीधे तौर पर समाचार से संबंधित नहीं है, बल्कि सीमा सुरक्षा के व्यापक संदर्भ को दर्शाता है।)
10. भारत सरकार ने सीमा विवादों के समाधान के लिए किस प्रकार के कूटनीतिक तंत्र स्थापित किए हैं?
(a) केवल वार्षिक शिखर सम्मेलन
(b) विशेष प्रतिनिधि (Special Representatives) के माध्यम से वार्ता
(c) केवल संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से मध्यस्थता
(d) केवल आर्थिक सहयोग की बैठकें
उत्तर: (b)
व्याख्या: भारत और चीन ने सीमा विवादों के समाधान के लिए “विशेष प्रतिनिधि” (Special Representatives) के माध्यम से वार्ता का तंत्र स्थापित किया है, जो इस मुद्दे पर चल रही कूटनीतिक बातचीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, सार्वजनिक बयानों में “सूचना की प्रामाणिकता” का क्या महत्व है? हालिया भारत-चीन सीमा विवाद और सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियों के आलोक में, इस मुद्दे का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
सुझाव: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सटीक सूचना के महत्व, गलत सूचना के खतरे, सार्वजनिक विश्वास, और नेताओँ की जिम्मेदारी पर चर्चा करें। सर्वोच्च न्यायालय के प्रश्न के निहितार्थों और “पुख्ता जानकारी” की परिभाषा पर भी प्रकाश डालें।
2. भारत-चीन सीमा विवाद एक बहुआयामी चुनौती है जिसमें भू-राजनीतिक, ऐतिहासिक और सामरिक पहलू शामिल हैं। इस विवाद के प्रमुख कारणों की पहचान करें और इसके समाधान हेतु भारत द्वारा अपनाई जा रही कूटनीतिक और सैन्य रणनीतियों का विश्लेषण करें। (250 शब्द, 15 अंक)
सुझाव: ऐतिहासिक सीमांकन की समस्या, चीन की विस्तारवादी नीति, LAC पर वर्तमान स्थिति, सैन्य तैनाती, और कूटनीतिक वार्ता (विशेष प्रतिनिधि वार्ता) का उल्लेख करें।
3. “राष्ट्रवाद” और “देशभक्ति” की अवधारणाएं अक्सर राजनीतिक बहसों में उपयोग की जाती हैं। हाल के घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर इन अवधारणाओं के दुरुपयोग के खतरों का विश्लेषण करें। (150 शब्द, 10 अंक)
सुझाव: राष्ट्रवाद/देशभक्ति का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू, राष्ट्रीय सुरक्षा पर असहमति के अधिकार का महत्व, और राजनीतिक लाभ के लिए इन शब्दों के दुरुपयोग के बारे में लिखें।
4. मीडिया की भूमिका राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर सार्वजनिक राय बनाने में महत्वपूर्ण होती है। भारत-चीन सीमा विवाद जैसे मामलों में मीडिया की जिम्मेदारियों और चुनौतियों पर चर्चा करें, विशेष रूप से “सनसनीखेज रिपोर्टिंग” और “तथ्यात्मक सटीकता” के बीच संतुलन के संदर्भ में। (150 शब्द, 10 अंक)
सुझाव: मीडिया की स्वतंत्रता, जिम्मेदार पत्रकारिता, राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनशीलता, और सार्वजनिक हित में सूचना के प्रसार के महत्व पर लिखें।