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भारत-चीन सीमा विवाद: SC का राहुल गांधी से सवाल, क्या है पुख्ता सबूत?

भारत-चीन सीमा विवाद: SC का राहुल गांधी से सवाल, क्या है पुख्ता सबूत?

चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा है, जो भारत-चीन सीमा पर चल रहे विवाद की संवेदनशीलता और संबंधित सार्वजनिक विमर्श को रेखांकित करता है। न्यायालय ने राहुल गांधी से पूछा कि चीन द्वारा भारतीय जमीन हड़पने के बारे में उनके दावों का आधार क्या है और उनके पास क्या पुख्ता जानकारी है। यह सवाल उस समय आया है जब देश चीन के साथ सीमा पर तनाव और एलएसी (Line of Actual Control) पर यथास्थिति को बदलने के उसके प्रयासों से जूझ रहा है। यह मामला न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राजनेताओं द्वारा संवेदनशील मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से दिए जाने वाले बयानों की सटीकता और जिम्मेदारी पर भी प्रकाश डालता है।

यह घटनाक्रम भारत-चीन संबंधों की जटिलताओं, सीमा प्रबंधन की चुनौतियों और इन मुद्दों पर राजनीतिक बहसों के महत्व को उजागर करता है। UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, इस पूरे मुद्दे को गहराई से समझना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह सीधे तौर पर अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR), आंतरिक सुरक्षा, भूगोल और समसामयिक मामलों जैसे विषयों से जुड़ा है।

भारत-चीन सीमा विवाद: एक विस्तृत विश्लेषण

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक लंबा और जटिल इतिहास रखता है। यह विवाद मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों पर केंद्रित है: पश्चिमी क्षेत्र (लद्दाख), मध्य क्षेत्र (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) और पूर्वी क्षेत्र (सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश)। दोनों देशों के बीच लगभग 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसमें से अधिकांश को दोनों पक्ष आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं देते हैं। इस अनसुलझी सीमा के कारण दोनों देशों के बीच समय-समय पर तनातनी होती रहती है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Historical Background):

  • औपनिवेशिक विरासत: भारत-चीन सीमा विवाद की जड़ें ब्रिटिश काल में देखी जा सकती हैं। ब्रिटिश भारत ने अपनी सीमाओं को परिभाषित करने के लिए कई प्रयास किए, जिनमें मैक’मोहन रेखा (McMahon Line) का प्रस्ताव भी शामिल था, जिसे चीन ने कभी स्वीकार नहीं किया।
  • 1962 का भारत-चीन युद्ध: इस युद्ध ने सीमा विवाद को और गहरा कर दिया। भारत को इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा और चीन ने अक्साई चिन (Aksai Chin) का एक बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया, जो अब भारत का अभिन्न अंग माना जाता है।
  • 1970 और 80 के दशक: इस दौरान भी सीमा पर छोटी-मोटी झड़पें और घुसपैठ के प्रयास जारी रहे, लेकिन पूर्ण युद्ध की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई।
  • 1993 का समझौता: सीमा पर शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए “सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ शांति और यथास्थिति बनाए रखने पर समझौता” हुआ।
  • 2000 के दशक और उसके बाद: चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति के साथ-साथ एलएसी पर उसके आक्रामक रवैये में वृद्धि देखी गई। 2005 में, सीमा वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए एक “मार्गदर्शन सिद्धांतों और एक व्यापक ढांचे” पर हस्ताक्षर किए गए।

वर्तमान स्थिति और एलएसी पर तनाव:

पिछले कुछ वर्षों में, विशेषकर 2020 के गलवान घाटी (Galwan Valley) में हुई हिंसक झड़प के बाद से, भारत-चीन सीमा पर तनाव काफी बढ़ गया है। चीन ने एलएसी पर अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई है और कई बार यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया है। भारत ने भी अपनी सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की है और जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है।

“हमारी सेनाएं एलएसी पर चीन की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।” – भारतीय रक्षा मंत्रालय

सीमा विवाद के मुख्य मुद्दे:

  • अप्रभावी सीमांकन: जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, सीमा स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है, जिससे दोनों पक्षों के लिए अपने-अपने दावों पर अडिग रहना आसान हो जाता है।
  • अक्साई चिन: यह वह क्षेत्र है जिस पर भारत अपना दावा करता है लेकिन चीन का इस पर नियंत्रण है। यह सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तिब्बत को झिंजियांग (Xinjiang) से जोड़ता है।
  • अरुणाचल प्रदेश: चीन पूरे अरुणाचल प्रदेश को अपना मानता है, जिसे भारत दक्षिणी तिब्बत कहता है।
  • अन्य क्षेत्र: लद्दाख में डेमचोक (Demchok) और त्रिजुंग (Trijung) जैसे क्षेत्र भी विवादित हैं।

राहुल गांधी का बयान और सर्वोच्च न्यायालय का प्रश्न:

इस पृष्ठभूमि में, राहुल गांधी के एक बयान को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। उनके बयान के अनुसार, चीन ने भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है। न्यायालय का प्रश्न इस बात पर केंद्रित है कि उनके पास इस दावे को पुष्ट करने के लिए क्या ठोस प्रमाण हैं।

“पुख्ता जानकारी क्या है?” का महत्व:

सर्वोच्च न्यायालय का यह सवाल कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है:

  1. सबूत आधारित विमर्श: सार्वजनिक रूप से, विशेषकर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर, केवल आरोप लगाना पर्याप्त नहीं है। दावों को ठोस सबूतों और विश्वसनीय जानकारी का समर्थन प्राप्त होना चाहिए।
  2. राष्ट्रीय सुरक्षा का सम्मान: ऐसे संवेदनशील मामलों पर सार्वजनिक बयानों का राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है। गलत सूचना या बिना आधार वाले दावे जनता में भय पैदा कर सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को कमजोर कर सकते हैं।
  3. जिम्मेदारी और पारदर्शिता: राजनेताओं की यह जिम्मेदारी है कि वे जिम्मेदार बनें और अपनी बातों को तथ्यों पर आधारित करें। न्यायालय का प्रश्न इस जिम्मेदारी पर जोर देता है।
  4. राजनीतिकरण का मुद्दा: यह सवाल इस ओर भी इशारा करता है कि कैसे सीमा विवाद जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे अक्सर राजनीतिकरण का शिकार हो जाते हैं।

“सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते” – एक विवादास्पद टिप्पणी:

साथ ही, न्यायालय की टिप्पणी कि “सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते,” इस बात पर प्रकाश डालती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के प्रति निष्ठा को लेकर अक्सर एक मजबूत भावनात्मक और राष्ट्रवादी भावनाएं जुड़ी होती हैं। यह टिप्पणी अप्रत्यक्ष रूप से इस बात की ओर इशारा करती है कि बिना ठोस सबूत के ऐसे दावे करना, देश की अखंडता और सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लगा सकता है, जिसे “राष्ट्र-विरोधी” गतिविधि के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि, यह एक बेहद संवेदनशील टिप्पणी है और इसकी व्याख्या विभिन्न संदर्भों में की जा सकती है।

UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्व:

यह पूरा मामला UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है:

1. प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):

  • भूगोल: भारत-चीन सीमा का भूगोल, महत्वपूर्ण दर्रे, एलएसी, विभिन्न विवादित क्षेत्र (जैसे अक्साई चिन, अरुणाचल प्रदेश)।
  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR): भारत-चीन संबंध, सीमा प्रबंधन समझौते, ब्रिक्स (BRICS), शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे मंचों पर भारत-चीन की भूमिका।
  • आंतरिक सुरक्षा: सीमा पर घुसपैठ, चीन की “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” (String of Pearls) नीति, सीमा पार आतंकवाद (हालांकि यह भारत-चीन के संदर्भ में कम प्रासंगिक है, लेकिन व्यापक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण)।
  • समसामयिक मामले: हालिया सीमा झड़पें, भारत द्वारा उठाए गए कदम, कूटनीतिक वार्ता।

2. मुख्य परीक्षा (Mains):

  • निबंध: “भारत-चीन सीमा विवाद: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक चुनौती”, “कूटनीति बनाम शक्ति: भारत-चीन सीमा प्रबंधन”, “राजनीति और राष्ट्रीय हित: सीमा विवाद पर विमर्श”।
  • सामान्य अध्ययन पेपर I (भूगोल): भारत के भौगोलिक सीमाएं, प्रमुख सीमा विवाद और उनका ऐतिहासिक संदर्भ।
  • सामान्य अध्ययन पेपर II (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): भारत के पड़ोसियों के साथ संबंध, चीन के साथ भारत के संबंध, द्विपक्षीय समझौते, क्षेत्रीय संगठन।
  • सामान्य अध्ययन पेपर III (आंतरिक सुरक्षा): सीमा प्रबंधन, सुरक्षा बल, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे, चीन के साथ सीमा पर सुरक्षा चुनौतियां, भारत की रक्षा नीतियां।

चीन के दावे और भारतीय प्रतिक्रिया:

चीन के दावे मुख्य रूप से ऐतिहासिक संधियों और कथित पारंपरिक सीमाओं पर आधारित हैं, जिन्हें भारत स्वीकार नहीं करता।

  • चीन के दावे: चीन का दावा है कि मैक’मोहन रेखा अवैध है और ऐतिहासिक रूप से यह क्षेत्र चीन का हिस्सा रहा है। वह पूरे अरुणाचल प्रदेश को अपना मानता है।
  • भारत की प्रतिक्रिया: भारत अपने दावों को ऐतिहासिक संधियों (जैसे शिमला समझौता, 1914, जिसने मैक’मोहन रेखा को परिभाषित किया) और एलएसी पर वास्तविक नियंत्रण के आधार पर सही ठहराता है। भारत किसी भी ऐसे कदम को अस्वीकार करता है जो यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास करे।

सीमा विवाद के प्रकार:

यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत-चीन सीमा विवाद एक “अप्रभावी सीमा” (Undefined Boundary) का मामला है, न कि “अप्रमाणित सीमा” (Undemarcated Boundary) का। इसका मतलब है कि सीमा रेखा पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, जबकि कुछ अन्य देशों के साथ भारत की सीमाएं अप्रमाणित हैं (अर्थात, सीमा तय है, लेकिन उस पर सीमा-स्तंभ नहीं हैं)।

सीमा पार और एलएसी पर भारत की सुरक्षा रणनीति:

भारत ने अपनी सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं:

  • सैनिकों की तैनाती: एलएसी पर भारतीय सेना की तैनाती बढ़ाई गई है।
  • बुनियादी ढांचे का विकास: सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों, पुलों और अन्य सैन्य बुनियादी ढांचे का तेजी से निर्माण किया जा रहा है।
  • आधुनिक हथियार: अग्रिम मोर्चों पर आधुनिक हथियार प्रणालियों को तैनात किया गया है।
  • खुफिया तंत्र: खुफिया जानकारी जुटाने और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाया गया है।
  • सीमावर्ती गांवों का विकास: सीमावर्ती गांवों को विकसित करके और स्थानीय आबादी को सशक्त बनाकर “फर्स्ट डिफेंडर्स” के रूप में इस्तेमाल करने की नीति पर भी जोर दिया जा रहा है।

भारत-चीन कूटनीति और वार्ता:

सीमा विवाद को हल करने के लिए दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर लगातार वार्ताएं होती रही हैं।

  • विशेष प्रतिनिधि वार्ता: दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है।
  • सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता: मौजूदा तनाव को कम करने और विवादित क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए सैन्य कमांडर स्तर की बैठकें आयोजित की जाती हैं।
  • विदेश मंत्रियों की बैठकें: अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर द्विपक्षीय बैठकों के माध्यम से भी मामले उठाए जाते हैं।

हालांकि, अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है, और चीन का रवैया यथास्थिति को धीरे-धीरे बदलने का बना हुआ है।

चीन की “डिनाईबल डिफेन्सिबिलिटी” (Deniable Defensibility) नीति:

चीन अक्सर अपनी “डिनाईबल डिफेन्सिबिलिटी” नीति का उपयोग करता है, जहां वह सीधे तौर पर टकराव से बचता है लेकिन सूक्ष्म और अप्रत्यक्ष तरीकों से अपनी स्थिति मजबूत करता है। एलएसी पर उसकी घुसपैठ, नई बस्तियों का निर्माण, और सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य उपस्थिति बढ़ाना इसी नीति का हिस्सा है।

राहुल गांधी के बयान का प्रभाव:

राहुल गांधी के बयान और उस पर सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे को फिर से राष्ट्रीय विमर्श में ला दिया है।

  • पक्ष: कुछ लोग मानते हैं कि ऐसे मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बोलना आवश्यक है ताकि सरकार पर कार्रवाई करने का दबाव बनाया जा सके।
  • विपक्ष: दूसरों का मानना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामलों पर बिना पुख्ता सबूत के बयान देना देश के हित में नहीं है और यह राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है।
  • न्यायालय का हस्तक्षेप: न्यायालय का प्रश्न अप्रत्यक्ष रूप से सरकार को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर देता है और यह भी दर्शाता है कि न्यायपालिका ऐसे मामलों में सूचना की सटीकता और जिम्मेदारी को लेकर सचेत है।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह:

भारत के सामने प्रमुख चुनौतियाँ हैं:

  • सैन्य और आर्थिक असंतुलन: चीन की तुलना में भारत का सैन्य और आर्थिक बल कम है, जो बातचीत में उसके रुख को प्रभावित करता है।
  • कूटनीतिक गतिरोध: वर्षों की वार्ता के बावजूद, सीमा विवाद का कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकला है।
  • चीन का दोहरा मापदंड: चीन एक ओर सीमा पर शांति की बात करता है, वहीं दूसरी ओर एलएसी पर आक्रामक रवैया अपनाए हुए है।
  • राजनीतिक मतभेद: देश के भीतर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीतिक मतभेद अक्सर समाधान को बाधित करते हैं।

भविष्य की राह:

  1. रणनीतिक स्वायत्तता: भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखनी चाहिए और किसी भी बाहरी दबाव के आगे झुकना नहीं चाहिए।
  2. कूटनीतिक प्रयास: कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से चीन के साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए, लेकिन साथ ही अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए दृढ़ रहना चाहिए।
  3. बुनियादी ढांचे और सैन्य क्षमता: सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास और सैन्य आधुनिकीकरण जारी रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  4. सबूत-आधारित विमर्श: सार्वजनिक विमर्श को तथ्यों और सबूतों पर आधारित रखना चाहिए, न कि केवल भावनाओं या राजनीतिक लाभ पर।
  5. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: चीन की बढ़ती आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग बढ़ाना एक रणनीतिक कदम हो सकता है।

निष्कर्षतः, सर्वोच्च न्यायालय का राहुल गांधी से प्रश्न भारत-चीन सीमा विवाद के संवेदनशील स्वभाव और राष्ट्रीय विमर्श में इसके महत्व को रेखांकित करता है। यह याद दिलाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सार्वजनिक बयानों में सटीकता, जिम्मेदारी और ठोस सबूतों की आवश्यकता होती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस मुद्दे की बहुआयामी प्रकृति को समझना, इसके ऐतिहासिक संदर्भ को जानना और वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में इसके महत्व को पहचानना महत्वपूर्ण है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. भारत-चीन सीमा विवाद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. भारत-चीन सीमा को “वास्तविक नियंत्रण रेखा” (LAC) के रूप में जाना जाता है।
  2. मैक’मोहन रेखा (McMahon Line) भारत-चीन सीमा विवाद का एक प्रमुख बिंदु है।
  3. 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी।

उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?

उत्तर: D (सभी)

व्याख्या: तीनों कथन सही हैं। LAC भारत-चीन सीमा का वह हिस्सा है जिस पर दोनों देशों के बीच विवाद है। मैक’मोहन रेखा को भारत स्वीकार करता है जबकि चीन नहीं। गलवान घाटी में 2020 में हिंसक झड़प हुई थी, जो 45 वर्षों में दोनों देशों के बीच पहली सीधी लड़ाई थी।

2. निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र भारत-चीन सीमा विवाद का हिस्सा है?

  1. अक्साई चिन
  2. अरुणाचल प्रदेश
  3. सिक्किम
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: D (उपरोक्त सभी)

व्याख्या: अक्साई चिन पर भारत अपना दावा करता है लेकिन वर्तमान में चीन का नियंत्रण है। अरुणाचल प्रदेश को चीन अपना हिस्सा बताता है। सिक्किम की सीमा भी चीन के साथ लगती है और इस क्षेत्र में भी कुछ बिंदु विवादित हो सकते हैं।

3. “वास्तविक नियंत्रण रेखा” (LAC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. LAC पश्चिमी क्षेत्र (लद्दाख), मध्य क्षेत्र (हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड) और पूर्वी क्षेत्र (सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश) से होकर गुजरती है।
  2. LAC की लंबाई लगभग 3,488 किलोमीटर है।

उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?

उत्तर: A (केवल 1)

व्याख्या: कथन 1 सही है। LAC इन सभी क्षेत्रों से होकर गुजरती है। हालांकि, LAC की कुल लंबाई लगभग 3,488 किलोमीटर है, लेकिन यह ‘भारत-चीन सीमा’ की कुल लंबाई है, न कि केवल LAC की। LAC का सटीक मापन दोनों देशों के दावों के कारण विवादास्पद है।

4. 1962 के भारत-चीन युद्ध के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. इस युद्ध में भारत की विजय हुई।
  2. युद्ध के बाद चीन ने अक्साई चिन पर अपना नियंत्रण मजबूत कर लिया।
  3. इस युद्ध ने सीमा विवाद को और जटिल बना दिया।
  4. केवल B और C

उत्तर: D (केवल B और C)

व्याख्या: 1962 के युद्ध में भारत की हार हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप चीन ने अक्साई चिन का एक बड़ा हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया और सीमा विवाद और भी जटिल हो गया।

5. “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” (String of Pearls) सिद्धांत का संबंध मुख्य रूप से किससे है?

  1. भारत-चीन सीमा पर चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति।
  2. हिंद महासागर क्षेत्र में चीन द्वारा नौसैनिक अड्डों का निर्माण।
  3. दक्षिण चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीति।
  4. भारत द्वारा अपने तटीय सुरक्षा को मजबूत करना।

उत्तर: B (हिंद महासागर क्षेत्र में चीन द्वारा नौसैनिक अड्डों का निर्माण।)

व्याख्या: “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” एक भू-राजनीतिक सिद्धांत है जो हिंद महासागर में चीन द्वारा सामरिक बंदरगाहों और सैन्य सुविधाओं के नेटवर्क के निर्माण का वर्णन करता है, जिसे भारत के लिए खतरा माना जाता है।

6. हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राहुल गांधी से सीमा पर जमीन हड़पने के उनके दावों के बारे में “पुख्ता जानकारी” मांगने का क्या निहितार्थ है?

  1. राजनेताओं द्वारा संवेदनशील मुद्दों पर बयान देने में जिम्मेदारी का महत्व।
  2. सबूत-आधारित विमर्श की आवश्यकता।
  3. न्यायपालिका का कार्यकारी कार्यों में हस्तक्षेप।
  4. केवल A और B

उत्तर: D (केवल A और B)

व्याख्या: न्यायालय का प्रश्न इस बात पर जोर देता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बिना ठोस सबूत के बयान नहीं दिए जाने चाहिए, और यह कि सार्वजनिक विमर्श को तथ्यों पर आधारित होना चाहिए।

7. भारत-चीन सीमा को “अप्रभावी सीमा” (Undefined Boundary) कहने का क्या अर्थ है?

  1. सीमा रेखा दोनों देशों के बीच विवादित है।
  2. सीमा रेखा को अंतर्राष्ट्रीय संधियों द्वारा स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।
  3. सीमा पर कोई सीमा-स्तंभ नहीं हैं।
  4. केवल B

उत्तर: D (केवल B)

व्याख्या: “अप्रभावी सीमा” का मतलब है कि सीमा रेखा को किसी भी आधिकारिक संधि या समझौते द्वारा स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। भारत-चीन सीमा एक ऐसी ही स्थिति है।

8. निम्नलिखित में से कौन सा समझौता सीमा क्षेत्रों में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए भारत और चीन के बीच हुआ था?

  1. शिमला समझौता (1914)
  2. भारत-चीन शांति और मैत्री संधि (1954)
  3. सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ शांति और सद्भाव बनाए रखने पर समझौता (1993)
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: C (सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ शांति और सद्भाव बनाए रखने पर समझौता (1993))

व्याख्या: 1993 में हुए समझौते का उद्देश्य LAC के साथ शांति बनाए रखना था, हालांकि शिमला समझौता (1914) ने मैक’मोहन रेखा को परिभाषित करने का प्रयास किया था।

9. चीन द्वारा भारत की जमीन “हड़पने” के दावों के संदर्भ में, भारत का प्राथमिक तर्क क्या है?

  1. चीन ऐतिहासिक रूप से हमेशा से उस जमीन पर रहा है।
  2. भारत का दावा ऐतिहासिक संधियों और एलएसी पर वास्तविक नियंत्रण पर आधारित है।
  3. भारत किसी भी ऐसे कदम का विरोध करता है जो यथास्थिति को एकतरफा बदलता है।
  4. केवल B और C

उत्तर: D (केवल B और C)

व्याख्या: भारत अपने दावों को ऐतिहासिक संधियों (जैसे शिमला समझौता) और एलएसी पर अपने वास्तविक नियंत्रण के आधार पर सही ठहराता है, और किसी भी एकतरफा यथास्थिति परिवर्तन का विरोध करता है।

10. भारत-चीन सीमा वार्ता के लिए निम्नलिखित में से कौन से तंत्र का उपयोग किया जाता है?

  1. विशेष प्रतिनिधि वार्ता
  2. सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता
  3. विदेश मंत्रियों की द्विपक्षीय बैठकें
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: D (उपरोक्त सभी)

व्याख्या: सीमा विवाद को हल करने और तनाव कम करने के लिए ये सभी कूटनीतिक और सैन्य वार्ता तंत्र प्रभावी रहे हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. भारत-चीन सीमा विवाद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का विस्तृत विश्लेषण करें और वर्तमान में एलएसी पर उत्पन्न तनाव के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालें। अपने उत्तर में, हालिया सर्वोच्च न्यायालय के प्रश्न के महत्व को भी स्पष्ट करें।
  2. “राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सार्वजनिक बयानों में जिम्मेदारी और तथ्यात्मक सटीकता का महत्व” विषय पर एक विश्लेषणात्मक निबंध लिखें। अपने उत्तर को हाल के राहुल गांधी के बयान और उस पर सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिक्रिया के संदर्भ में स्पष्ट करें।
  3. भारत-चीन सीमा पर चीन की बढ़ती सैन्य और अवसंरचनात्मक उपस्थिति, भारत की सुरक्षा चुनौतियों को किस प्रकार बढ़ाती है? अपनी प्रतिक्रिया में, भारत द्वारा अपनी सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उठाए जा रहे कदमों का भी उल्लेख करें।
  4. भारत-चीन संबंधों की जटिलताओं को देखते हुए, सीमा विवाद को हल करने के लिए भारत की कूटनीतिक और सैन्य रणनीतियों का मूल्यांकन करें। वर्तमान परिदृश्य में, इन रणनीतियों की प्रभावशीलता पर अपने विचार व्यक्त करें।

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