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पहलगाम हमला: ऑपरेशन महादेव, पाक आईडी और चॉकलेट – क्या यह लश्कर का था ‘घात’?

पहलगाम हमला: ऑपरेशन महादेव, पाक आईडी और चॉकलेट – क्या यह लश्कर का था ‘घात’?

चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुई एक दुखद घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया है। सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन महादेव के दौरान तीन संदिग्धों को मार गिराया। प्रारंभिक जांच में इन संदिग्धों के पास से पाकिस्तान की पहचान पत्र (IDs) और चॉकलेट बरामद हुई हैं, जो इस मामले को और भी गंभीर बना देती हैं। यह घटना एक बार फिर आतंकवाद के सुनियोजित तरीके और उसके पीछे छिपे अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनों की ओर इशारा करती है, खासकर लश्कर-ए-तैयबा जैसे प्रतिबंधित संगठनों की भूमिका पर सवाल खड़े करती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना राष्ट्रीय सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियाँ, आतंकवाद का वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय संबंध जैसे महत्वपूर्ण विषयों के लिए एक महत्वपूर्ण केस स्टडी प्रस्तुत करती है।

परिचय: आतंकवाद की एक कड़वी सच्चाई

जब भी कश्मीर की वादियों में अशांति की खबरें आती हैं, तो एक गहरी और जटिल तस्वीर सामने आती है। पहलगाम में हालिया मुठभेड़ कोई अलग मामला नहीं है। तीन संदिग्धों का मारा जाना, उनके पास से पाकिस्तानी आईडी और चॉकलेट का मिलना, यह सब मिलकर एक कहानी कहते हैं – एक ऐसी कहानी जो सिर्फ एक स्थानीय घटना नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क की ओर इशारा करती है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि आतंकवाद एक बहुआयामी समस्या है, जिसके तार सिर्फ सीमा पार ही नहीं, बल्कि विभिन्न तरीकों से जुड़े हुए हैं।

यह लेख इस घटना के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करेगा: ऑपरेशन महादेव क्या था, पाकिस्तानी आईडी और चॉकलेट की उपस्थिति का क्या महत्व है, क्या यह लश्कर-ए-तैयबा की साजिश थी, और भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए इसके क्या निहितार्थ हैं। हम इस घटना को UPSC के दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करेंगे, जिसमें इसके ऐतिहासिक संदर्भ, वर्तमान चुनौतियाँ और भविष्य की राह शामिल होगी।

ऑपरेशन महादेव: एक सुरक्षा ग्रिड का प्रतिबिंब

ऑपरेशन महादेव, जैसा कि नाम से पता चलता है, यह सुरक्षाबलों द्वारा चलाया गया एक विशेष अभियान था। ऐसे ऑपरेशन अक्सर खुफिया जानकारी के आधार पर किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य आतंकवादियों को बेअसर करना, उनके ठिकानों का पता लगाना और किसी बड़े आतंकी हमले को रोकना होता है। इन ऑपरेशनों की सफलता पूरी तरह से खुफिया जानकारी की सटीकता, सुरक्षाबलों के प्रशिक्षण और समन्वित कार्रवाई पर निर्भर करती है।

“खुफिया जानकारी ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की पहली पंक्ति है। यदि खुफिया जानकारी सटीक और समय पर हो, तो किसी भी बड़े खतरे को रोका जा सकता है।” – एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी

पहलगाम जैसे संवेदनशील क्षेत्र में, जहाँ पर्यटन और स्थानीय आबादी का मिश्रण है, ऐसे ऑपरेशन को अंजाम देना अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है। इसमें न केवल आतंकवादियों को मार गिराने का लक्ष्य होता है, बल्कि स्थानीय लोगों को कम से कम नुकसान पहुँचाना और क्षेत्र में शांति बनाए रखना भी एक बड़ी जिम्मेदारी होती है।

पाकिस्तानी आईडी और चॉकलेट: सिर्फ संयोग या सोची-समझी रणनीति?

किसी आतंकी मुठभेड़ में पाकिस्तानी पहचान पत्र (IDs) का मिलना कोई नई बात नहीं है। यह सीधे तौर पर इस बात का संकेत देता है कि मारे गए व्यक्ति या तो पाकिस्तान से सीधे तौर पर जुड़े हुए थे या उन्हें वहाँ से प्रशिक्षित और निर्देशित किया गया था। ये आईडी केवल पहचान का प्रमाण नहीं, बल्कि उस देश से संबंध का प्रतीक हैं जो अक्सर आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोपों का सामना करता रहा है।

वहीं, चॉकलेट जैसे रोजमर्रा के सामान की बरामदगी पहली नजर में बेतुकी लग सकती है, लेकिन आतंकवाद के संदर्भ में इसके कई अर्थ हो सकते हैं:

  • रसद और आपूर्ति श्रृंखला: आतंकवादियों को अपनी गतिविधियों को जारी रखने के लिए नियमित रूप से रसद की आवश्यकता होती है, जिसमें भोजन, दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं। चॉकलेट, हालांकि सामान्य वस्तु है, लेकिन उन तक पहुँचने के तरीके एक बड़ी आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा हो सकते हैं।
  • पहचान छुपाना: कभी-कभी, आतंकी संगठन अपनी पहचान छुपाने या अपनी गतिविधियों को सामान्य दिखाने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। यह संभव है कि इन वस्तुओं का उपयोग उनकी पहचान को छुपाने या उनके इरादों को भटकाने के लिए किया गया हो।
  • मनोवैज्ञानिक युद्ध: आतंकवाद का एक महत्वपूर्ण पहलू मनोवैज्ञानिक युद्ध भी है। रोजमर्रा की वस्तुओं का उपयोग करके, वे यह संदेश देने की कोशिश कर सकते हैं कि वे स्थानीय आबादी से अलग नहीं हैं, या वे यह भी दिखा सकते हैं कि वे किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह ही हैं, जो उनकी गुप्त गतिविधियों को छुपाता है।
  • वित्तपोषण का एक अप्रत्यक्ष तरीका: हालांकि यह सीधा संबंध नहीं है, लेकिन यह संभव है कि इन वस्तुओं की खरीद या उन्हें ले जाने के तरीके किसी बड़े वित्तपोषण नेटवर्क का हिस्सा हों, जहाँ हवाला या अन्य गुप्त माध्यमों से धन का हस्तांतरण होता है।

यह विश्लेषण इस बात पर जोर देता है कि आतंकवाद के संदर्भ में किसी भी वस्तु को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हर वस्तु, चाहे वह कितनी भी सामान्य क्यों न हो, एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकती है।

लश्कर-ए-तैयबा: क्या यह वही हाथ था?

यह संदेह स्वाभाविक है कि क्या मारे गए व्यक्ति लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े थे, खासकर जब उनके पास पाकिस्तानी आईडी मिलीं। लश्कर-ए-तैयबा एक पाकिस्तानी इस्लामी आतंकवादी संगठन है, जो कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत के खिलाफ सक्रिय रहा है। इसे भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और कई अन्य देशों द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

लश्कर-ए-तैयबा की पृष्ठभूमि:

  • स्थापना: 1987 में अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ने वाले समूह के रूप में इसकी उत्पत्ति हुई।
  • मुख्य उद्देश्य: कश्मीर को भारत से अलग कर पाकिस्तान में शामिल करना और भारत में इस्लामी कानून स्थापित करना।
  • कार्यप्रणाली: लश्कर-ए-तैयबा अपनी क्रूरता और भारत में बड़े आतंकवादी हमलों के लिए जाना जाता है, जैसे कि 2001 का संसद भवन हमला और 2008 का मुंबई हमला।
  • प्रशिक्षण और समर्थन: माना जाता है कि इसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) का समर्थन प्राप्त है, जो इसे प्रशिक्षण, हथियार और अन्य संसाधन प्रदान करती है।

यदि पहलगाम हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ साबित होता है, तो यह भारत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय होगा। इसका मतलब होगा कि सीमा पार से सक्रिय आतंकी समूह अभी भी अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने में सक्षम हैं और भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान पर लगातार दबाव बना रहे हैं।

यह कैसे पता चलता है?

  • खुफिया इनपुट: सुरक्षा एजेंसियां इस बात की पुष्टि के लिए खुफिया इनपुट का विश्लेषण करती हैं कि मारे गए व्यक्ति किस संगठन से जुड़े थे।
  • हथियार और बारूद: उनके पास से बरामद हथियार और गोला-बारूद की जांच से भी उनके संगठन और प्रशिक्षण के बारे में जानकारी मिल सकती है।
  • पहचान प्रमाण: पाकिस्तानी आईडी उनके मूल और संभावित प्रशिक्षण स्थल का संकेत देती हैं।
  • जांच और पूछताछ: यदि कोई जीवित पकड़ा जाता है, तो पूछताछ से महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।

पहलगाम मामले में, मारे गए लोगों के पास से बरामद सामग्री की गहन जांच, उनके द्वारा उपयोग किए गए हथियारों की उत्पत्ति, और उनके संचार के साधनों की पड़ताल, लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता की पुष्टि कर सकती है।

भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए निहितार्थ

पहलगाम जैसी घटनाएं भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करती हैं:

  1. सीमा पार आतंकवाद: यह घटना फिर से इस बात की पुष्टि करती है कि पाकिस्तान से प्रायोजित आतंकवाद भारत के लिए एक निरंतर खतरा बना हुआ है। सीमा पार से घुसपैठ, प्रशिक्षण और हथियारों की आपूर्ति जारी है।
  2. स्थानीय समर्थन: यह भी एक महत्वपूर्ण पहलू है कि क्या इन आतंकवादियों को स्थानीय स्तर पर कोई समर्थन मिल रहा था। यदि हाँ, तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह अलगाववादी भावना को बढ़ावा दे सकता है।
  3. आतंकवाद का वित्तपोषण: पाकिस्तानी आईडी और अन्य सामग्री का मिलना यह भी दर्शाता है कि आतंकवाद के वित्तपोषण के तरीके कितने विविध और जटिल हो सकते हैं। हवाला, अवैध व्यापार, या अन्य छिपे हुए माध्यमों से धन की आपूर्ति जारी रह सकती है।
  4. खुफिया तंत्र की चुनौती: ऐसे ऑपरेशनों की सफलता खुफिया जानकारी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। लगातार बदलते आतंकवादी हथियारों और तकनीकों के कारण, खुफिया तंत्र को भी आधुनिक और प्रभावी बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है।
  5. राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव: ऐसी घटनाएं भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंधों पर भी असर डालती हैं। भारत अक्सर पाकिस्तान पर आतंकवाद को रोकने के लिए कार्रवाई करने का दबाव डालता है।

उदाहरण: 2016 में उरी हमले, जिसमें पाकिस्तानी आतंकवादियों ने भारतीय सेना के एक अड्डे पर हमला किया था, ने भी इस बात को रेखांकित किया था कि सीमा पार से आतंकवाद का खतरा कितना वास्तविक है। उस हमले के बाद, भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी, जिसने सीमा पार आतंकवाद के प्रति भारत की दृढ़ता को प्रदर्शित किया था।

चुनौतियाँ और भारत की प्रतिक्रिया

भारत को इन चुनौतियों से निपटने के लिए कई मोर्चों पर काम करना पड़ता है:

  • सीमा पर सुरक्षा: सीमा पर घुसपैठ को रोकने के लिए कड़ी निगरानी, आधुनिक तकनीक और मजबूत सुरक्षा बल आवश्यक हैं।
  • खुफिया तंत्र को मजबूत करना: स्थानीय स्तर पर खुफिया जानकारी एकत्र करने के नेटवर्क को मजबूत करना और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
  • आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश: धन के प्रवाह को बाधित करने के लिए वित्तीय खुफिया इकाइयों को मजबूत करना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना आवश्यक है।
  • स्थानीय आबादी का विश्वास जीतना: कश्मीर जैसे क्षेत्रों में, स्थानीय आबादी के बीच विश्वास और सद्भाव बनाना महत्वपूर्ण है ताकि उन्हें अलगाववादी विचारधारा से दूर रखा जा सके। विकास, रोजगार के अवसर और सामाजिक समावेशन इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • कूटनीतिक प्रयास: पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद को रोकने के लिए दबाव बनाना और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सहयोग बढ़ाना।

केस स्टडी: ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ (Operation All Out) जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों द्वारा आतंकवादियों को बेअसर करने के लिए चलाया गया एक व्यापक अभियान रहा है। इस अभियान ने आतंकवादियों की संख्या को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन यह स्वीकार करना होगा कि समस्या की जड़ें बहुत गहरी हैं।

भविष्य की राह: आतंकवाद के खिलाफ एक सतत संघर्ष

पहलगाम में हुई यह घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एक सतत संघर्ष है। हमें न केवल सैन्य और सुरक्षा उपायों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, बल्कि आतंकवाद की जड़ों को समझने और उन्हें समाप्त करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना होगा।

इसमें शामिल हैं:

  • शिक्षा और जागरूकता: युवाओं को कट्टरपंथ और चरमपंथी विचारधाराओं से बचाने के लिए शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम।
  • रोजगार के अवसर: युवाओं को रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करने और उन्हें राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना।
  • सामाजिक समावेशन: समाज के सभी वर्गों को मुख्यधारा में लाना और उन्हें राष्ट्र का अभिन्न अंग महसूस कराना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है, और इसके खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।

यह आवश्यक है कि भारत अपनी सुरक्षा को मजबूत करे, लेकिन साथ ही उन अंतर्निहित कारणों को भी संबोधित करे जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। पहलगाम हमला एक चेतावनी है, एक ऐसी घटना जो हमें अपनी सतर्कता बनाए रखने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत करने के लिए प्रेरित करती है।

निष्कर्ष

पहलगाम में ऑपरेशन महादेव के दौरान तीन संदिग्धों का मारा जाना, उनके पास से पाकिस्तानी आईडी और चॉकलेट का मिलना, यह सब मिलकर एक गंभीर तस्वीर पेश करते हैं। यह घटना भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है और यह दर्शाती है कि सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद अभी भी एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है। लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों की संभावित संलिप्तता इस मामले को और जटिल बनाती है। भारत को अपनी सुरक्षा को मजबूत करने, खुफिया तंत्र को प्रभावी बनाने और आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे। इसके साथ ही, स्थानीय आबादी का विश्वास जीतना और युवाओं को मुख्यधारा में लाना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसी लड़ाई है जिसके लिए निरंतर सतर्कता, रणनीतिक योजना और राष्ट्रीय संकल्प की आवश्यकता है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा संगठन कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ सक्रिय रहा है और इसे विभिन्न देशों द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया गया है?
    (a) अल-कायदा
    (b) जैश-ए-मोहम्मद
    (c) लश्कर-ए-तैयबा
    (d) हिजबुल मुजाहिदीन
    उत्तर: (c) लश्कर-ए-तैयबा
    व्याख्या: लश्कर-ए-तैयबा (LeT) एक पाकिस्तानी इस्लामी आतंकवादी संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर को भारत से अलग कर पाकिस्तान में शामिल करना है। इसे भारत, अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र आदि द्वारा प्रतिबंधित किया गया है।
  2. प्रश्न 2: पहलगाम में हुई हालिया मुठभेड़ के संदर्भ में, मारे गए संदिग्धों के पास से किन वस्तुओं की बरामदगी को विशेष महत्व दिया गया?
    (a) हथियार और गोला-बारूद
    (b) पाकिस्तानी पहचान पत्र (IDs) और चॉकलेट
    (c) संचार उपकरण और नक्शे
    (d) विस्फोटक और आईईडी
    उत्तर: (b) पाकिस्तानी पहचान पत्र (IDs) और चॉकलेट
    व्याख्या: प्रश्न के अनुसार, संदिग्धों के पास से पाकिस्तानी आईडी और चॉकलेट बरामद हुई थीं, जो घटना के अंतरराष्ट्रीय संबंध और संभावित साजिश की ओर इशारा करती हैं।
  3. प्रश्न 3: आतंकवाद के संदर्भ में, “रसद और आपूर्ति श्रृंखला” का क्या अर्थ हो सकता है?
    (a) आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाहन
    (b) आतंकवादियों के लिए भोजन, दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति
    (c) आतंकवादियों के संचार के तरीके
    (d) आतंकवादियों द्वारा निर्मित विस्फोटक उपकरण
    उत्तर: (b) आतंकवादियों के लिए भोजन, दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति
    व्याख्या: आतंकवादियों को अपनी गतिविधियों को जारी रखने के लिए नियमित रूप से रसद की आवश्यकता होती है, जिसमें भोजन, दवाएं और अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं, जो एक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनती हैं।
  4. प्रश्न 4: भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए सीमा पार आतंकवाद का क्या निहितार्थ है?
    (a) यह केवल एक राजनीतिक मुद्दा है।
    (b) यह भारत की संप्रभुता और स्थिरता के लिए सीधा खतरा है।
    (c) यह केवल पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करता है।
    (d) यह मुख्य रूप से आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
    उत्तर: (b) यह भारत की संप्रभुता और स्थिरता के लिए सीधा खतरा है।
    व्याख्या: सीमा पार आतंकवाद भारत की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और आंतरिक स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है, जिसमें निर्दोष लोगों की जान माल का नुकसान भी शामिल है।
  5. प्रश्न 5: ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ (Operation All Out) किस क्षेत्र में सुरक्षाबलों द्वारा चलाया गया एक व्यापक अभियान है?
    (a) उत्तर-पूर्वी भारत
    (b) जम्मू और कश्मीर
    (c) पंजाब
    (d) छत्तीसगढ़
    उत्तर: (b) जम्मू और कश्मीर
    व्याख्या: ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को बेअसर करने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा चलाया गया एक प्रमुख अभियान रहा है।
  6. प्रश्न 6: आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए कौन सी इकाई महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
    (a) राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)
    (b) वित्तीय खुफिया इकाई (FIU)
    (c) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)
    (d) इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)
    उत्तर: (b) वित्तीय खुफिया इकाई (FIU)
    व्याख्या: वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) भारत में वित्तीय अपराधों, विशेष रूप से धन शोधन (Money Laundering) और आतंकवाद के वित्तपोषण (Terrorist Financing) से संबंधित वित्तीय खुफिया जानकारी एकत्र करने, संसाधित करने और प्रसार करने के लिए जिम्मेदार है।
  7. प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी तकनीक सीमा पर घुसपैठ रोकने में सहायक हो सकती है?
    (a) केवल मानव गश्त
    (b) उन्नत निगरानी कैमरे और सेंसर
    (c) पारंपरिक बाड़ लगाना
    (d) केवल स्थानीय पुलिस की मदद
    उत्तर: (b) उन्नत निगरानी कैमरे और सेंसर
    व्याख्या: उन्नत निगरानी कैमरे, थर्मल इमेजिंग, रडार और अन्य सेंसर सीमा पर घुसपैठ का पता लगाने में मानव गश्त की तुलना में अधिक प्रभावी हो सकते हैं, खासकर कठिन भूभागों में।
  8. प्रश्न 8: ‘मनोवैज्ञानिक युद्ध’ (Psychological Warfare) का आतंकवाद के संदर्भ में क्या अर्थ हो सकता है?
    (a) आतंकवादियों द्वारा की गई तोड़फोड़
    (b) जनता के बीच भय, अनिश्चितता और अस्थिरता पैदा करना
    (c) आतंकवादियों के लिए गुप्त कोड का उपयोग
    (d) केवल सैन्य कार्रवाई
    उत्तर: (b) जनता के बीच भय, अनिश्चितता और अस्थिरता पैदा करना
    व्याख्या: मनोवैज्ञानिक युद्ध का उद्देश्य विरोधी पक्ष के मनोबल को तोड़ना और उनकी निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करना है, जो अक्सर जनता के बीच डर और अनिश्चितता फैलाकर किया जाता है।
  9. प्रश्न 9: 2008 के मुंबई हमलों में किस आतंकवादी संगठन का हाथ होने का आरोप था?
    (a) अल-कायदा
    (b) जैश-ए-मोहम्मद
    (c) लश्कर-ए-तैयबा
    (d) हरकत-उल-मुजाहिदीन
    उत्तर: (c) लश्कर-ए-तैयबा
    व्याख्या: 2008 के मुंबई हमलों को लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया था, जिसमें 166 लोग मारे गए थे।
  10. प्रश्न 10: भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने में ‘स्थानीय आबादी का विश्वास जीतना’ क्यों महत्वपूर्ण है?
    (a) यह आतंकवादियों को स्थानीय समर्थन मिलने से रोकता है।
    (b) यह केवल एक प्रतीकात्मक कार्य है।
    (c) यह सीधे तौर पर सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करता है।
    (d) यह केवल पर्यटन को बढ़ावा देता है।
    उत्तर: (a) यह आतंकवादियों को स्थानीय समर्थन मिलने से रोकता है।
    व्याख्या: स्थानीय आबादी के साथ मजबूत संबंध और उनका विश्वास सुरक्षाबलों को आतंकवादियों की गतिविधियों का पता लगाने और उन्हें स्थानीय समर्थन मिलने से रोकने में मदद करता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: पहलगाम में हुई हालिया मुठभेड़ के संदर्भ में, आतंकवादी गतिविधियों में पाकिस्तानी आईडी और अन्य सामान्य वस्तुओं की बरामदगी के महत्व का विश्लेषण करें। ये वस्तुएं किस प्रकार आतंकवाद के वित्तपोषण, रसद और सुनियोजित रणनीति की ओर संकेत करती हैं? (250 शब्द)
  2. प्रश्न 2: भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए सीमा पार आतंकवाद एक निरंतर चुनौती बनी हुई है। जम्मू और कश्मीर में हाल की घटनाओं के आलोक में, इस चुनौती से निपटने के लिए भारत द्वारा अपनाई जाने वाली बहुआयामी रणनीतियों (सैन्य, खुफिया, सामाजिक और कूटनीतिक) का विस्तार से वर्णन करें। (250 शब्द)
  3. प्रश्न 3: लश्कर-ए-तैयबा जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की विचारधारा, कार्यप्रणाली और वैश्विक सुरक्षा पर उनके प्रभाव का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। भारत के संबंध में इस संगठन से उत्पन्न होने वाली विशिष्ट चुनौतियों पर प्रकाश डालें। (150 शब्द)
  4. प्रश्न 4: “आतंकवाद का मुकाबला केवल सैन्य या सुरक्षा उपायों से नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके लिए सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक हस्तक्षेपों की भी आवश्यकता होती है।” इस कथन के आलोक में, युवाओं को कट्टरपंथ से बचाने और समाज में शांति व सद्भाव को बढ़ावा देने के उपायों पर चर्चा करें। (150 शब्द)

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