समाजशास्त्र मंथन: दैनिक अभ्यास प्रश्नोत्तरी
तैयारी के मैदान में एक और दिन, आपकी समाजशास्त्रीय सूझबूझ को पैना करने का एक और अवसर! क्या आप अपने सैद्धांतिक ज्ञान को परखने और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए तैयार हैं? आइए, आज के चुनिंदा 25 प्रश्नों के साथ अपनी समाजशास्त्र की यात्रा को और मजबूत बनाएं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से ‘एजंसी’ (Agency) शब्द का सबसे उपयुक्त अर्थ क्या है?
- सामाजिक संरचनाओं के भीतर व्यक्तियों की क्षमता और क्षमता।
- समाज द्वारा निर्धारित सामाजिक भूमिकाएँ और अपेक्षाएँ।
- सामूहिक व्यवहार का व्यवस्थित विश्लेषण।
- ऐतिहासिक परिवर्तनों का अमूर्त सिद्धांत।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘एजंसी’ समाजशास्त्र में व्यक्तियों की उन क्षमताओं को संदर्भित करती है जो उन्हें अपनी परिस्थितियों पर कार्य करने, विकल्प चुनने और अपने जीवन को आकार देने की अनुमति देती हैं, भले ही वे सामाजिक संरचनाओं से प्रभावित हों। यह संरचना (structure) के विपरीत है, जो समाज के संगठित पैटर्न को संदर्भित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा समाजशास्त्र में संरचना बनाम एजंसी (structure versus agency) बहस का एक केंद्रीय तत्व है, जिसमें एंथोनी गिडेंस जैसे समाजशास्त्रियों ने ‘संरचना’ और ‘एजंसी’ को अविभाज्य माना है।
- गलत विकल्प: (b) सामाजिक भूमिकाएँ संरचना का हिस्सा हैं, एजंसी नहीं। (c) यह समाजशास्त्र की एक विधि है, एजंसी की परिभाषा नहीं। (d) यह एक अमूर्त सिद्धांत की बात करता है, जबकि एजंसी व्यक्ति की क्रियात्मक क्षमता से संबंधित है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘अनन्यता’ (Anomie) की अवधारणा को सामाजिक विघटन की स्थिति का वर्णन करने के लिए प्रस्तुत किया?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ में ‘अनन्यता’ की अवधारणा पेश की। इसका तात्पर्य एक ऐसी स्थिति से है जहाँ समाज में नैतिक और सामाजिक मानदंडों की कमी होती है, जिससे व्यक्ति दिशाहीन और अनियंत्रित महसूस करता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, अनन्यता अक्सर सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक उथल-पुथल या तीव्र सामाजिक प्रगति के दौरान बढ़ती है, जब पुराने नियम टूट जाते हैं और नए स्थापित नहीं होते।
- गलत विकल्प: (a) कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (alienation) और ‘वर्ग संघर्ष’ पर ध्यान केंद्रित किया। (c) मैक्स वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ (rationalization) और ‘अनुभवजन्य बोध’ (Verstehen) जैसी अवधारणाएं दीं। (d) हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद (social Darwinism) का समर्थन किया।
प्रश्न 3: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के मुख्य प्रस्तावक कौन माने जाते हैं?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- एमील दुर्खीम
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख संस्थापकों में से एक माना जाता है। उनका काम, विशेष रूप से मरणोपरांत प्रकाशित ‘माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी’, इस दृष्टिकोण की नींव रखता है, जो सामाजिक अंतःक्रियाओं में प्रतीकों और अर्थों की भूमिका पर जोर देता है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड का मानना था कि ‘स्व’ (self) और ‘मन’ (mind) सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से विकसित होते हैं, जहाँ व्यक्ति दूसरों के दृष्टिकोण को ग्रहण करके और प्रतीकों (जैसे भाषा) का उपयोग करके सीखते हैं।
- गलत विकल्प: (a) टैल्कॉट पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद (structural functionalism) के प्रमुख व्यक्ति थे। (b) एमील दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (social solidarity) और अनन्यता पर काम किया। (d) रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्य (function) और प्रकार्यात्मक विश्लेषण (functional analysis) में योगदान दिया।
प्रश्न 4: भारतीय समाज में ‘संवैधानिक लोकतंत्र’ (Constitutional Democracy) का सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव निम्नलिखित में से किस पर पड़ा है?
- जाति व्यवस्था की दृढ़ता
- धार्मिक सहिष्णुता में वृद्धि
- सामाजिक न्याय और समानता की खोज
- पारंपरिक पंचायत प्रणालियों का पुनरुद्धार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय संविधान समानता, स्वतंत्रता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है, जिसने सामाजिक न्याय और समानता की खोज को बढ़ावा दिया है। इसने ऐतिहासिक रूप से वंचित समूहों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी ढाँचे प्रदान किए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: आरक्षण नीति, अस्पृश्यता का उन्मूलन और मौलिक अधिकार जैसे प्रावधान सीधे तौर पर संवैधानिक लोकतंत्र के सामाजिक न्याय के एजेंडे को दर्शाते हैं।
- गलत विकल्प: (a) जबकि जाति व्यवस्था अभी भी मौजूद है, संवैधानिक लोकतंत्र ने इसके विशेषाधिकारों को कम करने का प्रयास किया है। (b) धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया गया है, लेकिन यह एकमात्र या सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं है। (d) पारंपरिक पंचायत प्रणालियों को पंचायती राज के माध्यम से पुनर्जीवित किया गया है, लेकिन यह संवैधानिक लोकतंत्र का प्राथमिक सामाजिक प्रभाव नहीं है।
प्रश्न 5: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के ‘प्रकार्यात्मक सिद्धांत’ (Functional Theory) के अनुसार, असमानता क्यों आवश्यक है?
- यह सुनिश्चित करता है कि समाज में सबसे योग्य व्यक्ति सबसे महत्वपूर्ण पदों पर रहें।
- यह संसाधन वितरण में पूर्ण समानता को बढ़ावा देता है।
- यह व्यक्तियों को सामाजिक गतिशीलता के माध्यम से अपनी स्थिति में सुधार करने के लिए प्रेरित करता है।
- यह केवल पिछली पीढ़ियों द्वारा किए गए ऐतिहासिक अन्याय का परिणाम है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: किंसले डेविस और विलफ़्रेड पार्सन्स जैसे प्रकार्यवादियों का तर्क है कि सामाजिक स्तरीकरण, जिसमें असमानता भी शामिल है, समाज के सुचारू कामकाज के लिए कार्यात्मक है। उनका मानना है कि यह सुनिश्चित करता है कि सबसे महत्वपूर्ण पदों के लिए सबसे अधिक प्रतिभा और प्रशिक्षण वाले लोगों को आकर्षित किया जाए, क्योंकि इन पदों से जुड़े पुरस्कार (जैसे धन, प्रतिष्ठा) उन्हें प्रेरित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि सभी पद समान रूप से महत्वपूर्ण नहीं होते हैं और समाज को लोगों को सबसे आवश्यक भूमिकाओं को भरने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता होती है।
- गलत विकल्प: (b) प्रकार्यात्मक सिद्धांत समानता को नहीं, बल्कि असमानता को आवश्यक मानता है। (c) सामाजिक गतिशीलता एक परिणाम हो सकती है, लेकिन असमानता की आवश्यकता का प्राथमिक कारण नहीं। (d) यह ऐतिहासिक अन्याय के बजाय समाज के वर्तमान कामकाज पर केंद्रित है।
प्रश्न 6: मैरी डगलस ने अपनी पुस्तक ‘प्योरिटी एंड डेंजर’ में ‘पवित्र’ (Sacred) और ‘अपवित्र’ (Profane) के बीच अंतर को किस संदर्भ में समझाया है?
- आधुनिकता की प्रक्रिया
- खाद्य नियम और वर्जनाएं
- राजनीतिक विचारधाराओं का उदय
- आर्थिक विकास के चरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैरी डगलस ने ‘प्योरिटी एंड डेंजर’ में पवित्र और अपवित्र के बीच अंतर को विस्तार से खाद्य नियमों और वर्जनाओं (food taboos) के माध्यम से समझाया। उन्होंने तर्क दिया कि ये नियम अक्सर समाज की वर्गीकरण प्रणालियों और पवित्रता की धारणाओं को दर्शाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: डगलस के अनुसार, जिन चीजों को ‘अशुद्ध’ माना जाता है वे अक्सर उन श्रेणियों के बीच होती हैं जो स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं होती हैं, जिससे समाज की व्यवस्था को खतरा होता है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) ये अन्य सामाजिक प्रक्रियाएं हैं, लेकिन डगलस के पवित्र/अपवित्र विश्लेषण के प्राथमिक विषय नहीं थे।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा भारत में ‘बहुसंस्कृतिवाद’ (Multiculturalism) का एक उदाहरण है?
- सभी नागरिकों को एक राष्ट्र-भाषा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- विभिन्न धार्मिक और भाषाई समुदायों को अपनी पहचान बनाए रखने की अनुमति देना।
- सभी व्यक्तिगत सम्पत्तियों को राष्ट्रीयकृत करना।
- उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए सभी निर्णय सभी पर समान रूप से लागू करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: बहुसंस्कृतिवाद एक ऐसी नीति या दृष्टिकोण है जो एक समाज के भीतर विभिन्न सांस्कृतिक समूहों की पहचान और प्रथाओं को स्वीकार और प्रोत्साहित करती है। भारत, अपनी विविध धार्मिक, भाषाई और जातीय पृष्ठभूमि के साथ, बहुसंस्कृतिवाद का एक प्रमुख उदाहरण है जहाँ विभिन्न समुदायों को अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखने की अनुमति है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें अपनी संस्कृति और भाषा को बनाए रखने की स्वतंत्रता देता है।
- गलत विकल्प: (a) यह एक संस्कृति को बढ़ावा देता है, बहुसंस्कृतिवाद का विरोध करता है। (c) यह आर्थिक नीति है, सांस्कृतिक नहीं। (d) यह कानूनी एकरूपता है, न कि सांस्कृतिक विविधता का उत्सव।
प्रश्न 8: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) के संबंध में ‘क्लोज्ड क्लास सिस्टम’ (Closed Class System) की क्या विशेषता होती है?
- लोगों के लिए ऊर्ध्वाधर गतिशीलता की उच्च संभावना।
- जन्म के आधार पर सामाजिक स्थिति का निर्धारण और गतिशीलता की बहुत कम गुंजाइश।
- सभी व्यक्तियों के लिए समान अवसर।
- कार्य-आधारित उन्नति।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एक क्लोज्ड क्लास सिस्टम, जैसे कि कुछ ऐतिहासिक सामंती समाजों या कठोर जाति व्यवस्थाओं में देखा जाता है, में सामाजिक स्थिति व्यक्ति के जन्म से निर्धारित होती है, और लोगों के लिए अपनी सामाजिक स्थिति को बदलने (ऊपर या नीचे) की संभावना बहुत कम होती है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, एक ओपन क्लास सिस्टम में, सामाजिक स्थिति व्यक्तिगत उपलब्धि और प्रयास पर अधिक निर्भर करती है।
- गलत विकल्प: (a) यह ओपन क्लास सिस्टम की विशेषता है। (c) यह आदर्शवादी स्थिति है, क्लोज्ड सिस्टम की नहीं। (d) यह भी ओपन क्लास सिस्टम से जुड़ा है।
प्रश्न 9: एंथोनी गिडेंस ने ‘संरचना’ (Structure) की अपनी अवधारणा को कैसे परिभाषित किया?
- समाज के विभिन्न संस्थानों का समूह।
- लोगों की सचेत और जानबूझकर की गई क्रियाएँ।
- नियमीकरण (Rules) और संसाधन (Resources) के द्वि-ध्रुवीय (Duality) में निहित सामाजिक प्रणालियों के नियम और माध्यम।
- व्यक्तिगत सामाजिक संपर्क के पैटर्न।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एंथोनी गिडेंस ने ‘संरचना’ को ‘नियमीकरण और संसाधनों के द्वि-ध्रुवीय’ में निहित सामाजिक प्रणालियों के नियम और माध्यम के रूप में परिभाषित किया। यह ‘संरचना का सिद्धांत’ (Structuration Theory) का मूल है, जहाँ वे तर्क देते हैं कि संरचनाएं एजेंटों (व्यक्तियों) को सक्षम और प्रतिबंधित करती हैं, और एजेंट ही संरचनाओं को पुन: उत्पन्न या परिवर्तित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: गिडेंस के लिए, संरचनाएं केवल बाहरी बल नहीं हैं, बल्कि वे एजेंटों की क्रियाओं में अंतर्निहित हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह एक संस्थागत दृष्टिकोण है। (b) यह एजंसी (agency) की बात करता है। (d) यह अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है, न कि व्यापक नियमों और संसाधनों पर।
प्रश्न 10: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया की पहचान निम्नलिखित में से किस विशेषता से की जाती है?
- पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व बढ़ना।
- कृषि पर निर्भरता में वृद्धि।
- तर्कसंगतता, धर्मनिरपेक्षीकरण और औद्योगीकरण की ओर झुकाव।
- सामुदायिक और क्षेत्रीय पहचान का सुदृढ़ीकरण।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आधुनिकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें आम तौर पर पारंपरिक समाजों का तर्कसंगत, धर्मनिरपेक्षीकृत और औद्योगिक समाजों में परिवर्तन शामिल होता है। इसमें प्रौद्योगिकी, शिक्षा, शासन और सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में आधुनिकीकरण के साथ अक्सर शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार और पश्चिमीकरण के तत्वों का मिश्रण देखा गया है।
- गलत विकल्प: (a) आधुनिकीकरण आमतौर पर धर्मनिरपेक्षीकरण को बढ़ावा देता है। (b) आधुनिकीकरण औद्योगीकरण और सेवा क्षेत्र के विकास से कृषि पर निर्भरता कम करता है। (d) यह अक्सर व्यक्तिवाद और राष्ट्रीय पहचान को बढ़ावा देता है, हालांकि क्षेत्रीय पहचान बनी रह सकती है।
प्रश्न 11: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से औद्योगिक पूंजीवाद के संदर्भ में, किस समाजशास्त्री से सबसे अधिक जुड़ी हुई है?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ की अवधारणा को औद्योगिक पूंजीवाद के तहत श्रमिकों के अनुभव का वर्णन करने के लिए विकसित किया। उनके अनुसार, श्रमिक उत्पाद (product), उत्पादन की प्रक्रिया (process of production), स्वयं से (from himself) और अन्य मनुष्यों से (from other men) अलग-थलग हो जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अलगाव उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व की कमी और श्रम के अत्यधिक विशेषीकरण का परिणाम है।
- गलत विकल्प: (a) वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ और ‘लौह पिंजरे’ (iron cage) की बात की। (b) दुर्खीम ने ‘अनन्यता’ पर ध्यान केंद्रित किया। (d) सिमेल ने ‘शहरी जीवन’ और ‘दार्शनिक संस्कृति’ (9-11) पर काम किया।
प्रश्न 12: भारत में ‘ग्रामीण-शहरी विभाजन’ (Rural-Urban Divide) को समझने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा महत्वपूर्ण है?
- शहरी नियोजन और विकास
- भौगोलिक अलगाव
- संस्कृति, आर्थिक अवसर और जीवनशैली में अंतर
- कृषि उत्पादन की विविधता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ग्रामीण-शहरी विभाजन केवल भूगोल से संबंधित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक प्रथाओं, आर्थिक अवसरों की उपलब्धता, सामाजिक संपर्क के प्रकार और जीवनशैली में अंतर को भी दर्शाता है। शहर अक्सर अधिक औद्योगीकृत, विविध और व्यक्तिवादी होते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र अधिक पारंपरिक, समुदाय-उन्मुख और कृषि पर निर्भर होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह विभाजन शहरीकरण, प्रवासन और वैश्वीकरण जैसी प्रक्रियाओं से प्रभावित होता है।
- गलत विकल्प: (a) शहरी नियोजन विभाजन का एक कारक हो सकता है, लेकिन यह स्वयं विभाजन का मूल कारण नहीं है। (b) भौगोलिक अलगाव एक पहलू है, लेकिन यह सांस्कृतिक और आर्थिक अंतरों को पूरी तरह से नहीं दर्शाता। (d) कृषि उत्पादन की विविधता ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक पहलू है, न कि विभाजन को समझने की मुख्य अवधारणा।
प्रश्न 13: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का संबंध किससे है?
- किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत वित्तीय संपत्ति।
- सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और परस्परता के माध्यम से प्राप्त लाभ।
- ज्ञान और कौशल का व्यक्तिगत संचय।
- भौतिक संसाधन और उपकरण।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी, जैसा कि पियरे बॉर्डियू, जेम्स कॉलमैन और रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा विकसित किया गया है, उन संसाधनों को संदर्भित करती है जो व्यक्तियों या समूहों को उनके सामाजिक नेटवर्क (संबंधों) के माध्यम से सुलभ होते हैं। इसमें विश्वास, सहयोग और पारस्परिक दायित्वों की भावना शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: मजबूत सामाजिक पूंजी वाले व्यक्ति या समूह सूचना, समर्थन और अवसरों तक बेहतर पहुंच प्राप्त कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह वित्तीय पूंजी है। (c) यह मानवीय पूंजी है। (d) ये भौतिक संसाधन हैं।
प्रश्न 14: परिवार संस्था के अध्ययन में ‘समरूपता’ (Homogamy) का क्या अर्थ है?
- ऐसे जोड़े जो समान सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हैं।
- ऐसे जोड़े जो विभिन्न संस्कृतियों से आते हैं।
- ऐसे जोड़े जो समान यौन अभिविन्यास वाले होते हैं।
- ऐसे जोड़े जो समान पेशा अपनाते हैं।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: समरूपता (Homogamy) एक ऐसी प्रवृत्ति है जिसमें व्यक्ति अपने समान सामाजिक-आर्थिक स्थिति, पृष्ठभूमि, शिक्षा, धर्म या जातीयता वाले व्यक्तियों से विवाह करते हैं। यह ‘विषमरूपता’ (Heterogamy) के विपरीत है, जहाँ जोड़े विभिन्न पृष्ठभूमि से आते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक स्तरीकरण और अंतर-समूह संबंधों को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।
- गलत विकल्प: (b) यह विषम विवाह (heterogamy) का एक रूप हो सकता है, लेकिन समरूपता का मूल अर्थ नहीं। (c) यह व्यक्तिगत पसंद है, सामाजिक वर्ग का संकेतक नहीं। (d) यह एक समान व्यवसाय हो सकता है, लेकिन यह सामाजिक पृष्ठभूमि का पर्याय नहीं है।
प्रश्न 15: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘समाज’ (Society) का अस्तित्व मुख्य रूप से किस पर आधारित है?
- व्यक्तिगत इच्छाएँ और आकांक्षाएँ।
- निजी स्वार्थों का एकत्रीकरण।
- सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) और साझा चेतना (Collective Consciousness)।
- बाजार की शक्तियाँ और प्रतिस्पर्धा।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: दुर्खीम का मानना था कि समाज व्यक्तियों के योग से कहीं अधिक है; यह एक ‘वास्तविकता’ (reality) है जो बाहरी और बाध्यकारी है। समाज की एकजुटता, जो लोगों को एक साथ बांधती है, साझा चेतना (सामूहिक विश्वासों, मूल्यों और भावनाओं का योग) और सामाजिक संबंधों के माध्यम से उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने यांत्रिक एकजुटता (यांत्रिक समाज में) और साव्यवी (organic) एकजुटता (साव्यवी समाज में) के बीच अंतर किया।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) ये व्यक्तिवाद या आर्थिक निर्धारणवाद पर जोर देते हैं, जबकि दुर्खीम ने समाज के सामूहिक पहलुओं को प्राथमिकता दी।
प्रश्न 16: ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) को निम्नलिखित में से किस रूप में परिभाषित किया जा सकता है?
- व्यक्तिगत विश्वासों और विचारों का संग्रह।
- मानदंडों, मूल्यों और प्रथाओं का एक स्थापित और स्थायी पैटर्न जो समाज की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- किसी विशेष मुद्दे पर जनमत का एकत्रीकरण।
- सरकार की एक शाखा।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक संस्थाएँ समाज के मूलभूत स्तंभ हैं जो स्थिरता और व्यवस्था बनाए रखने में मदद करती हैं। ये समाज की कुछ प्रमुख आवश्यकताओं (जैसे प्रजनन, सामाजिककरण, सुरक्षा, उत्पादन) को पूरा करने के लिए स्थापित संरचनाएँ और पैटर्न हैं। परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार और अर्थव्यवस्था प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इनमें स्पष्ट नियम, भूमिकाएँ और अपेक्षाएँ होती हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह व्यक्तिगत मनोविज्ञान है। (c) यह जनसंचार माध्यम का प्रभाव है। (d) यह सरकार का एक हिस्सा है, लेकिन संस्था की व्यापक परिभाषा नहीं।
प्रश्न 17: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) की अवधारणा में ‘फ्रंट स्टेज’ (Front Stage) का क्या अर्थ बताया है?
- वह स्थान जहाँ व्यक्ति एकांत में होते हैं।
- वह स्थान जहाँ व्यक्ति समाज द्वारा निर्धारित भूमिका को निभाते हैं और दूसरों की अपेक्षाओं के अनुसार अभिनय करते हैं।
- सामाजिक अंतःक्रियाओं का अनौपचारिक विश्लेषण।
- सार्वजनिक प्रदर्शनों का स्थान।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: गॉफमैन के नाटकशास्त्र में, ‘फ्रंट स्टेज’ वह स्थान है जहाँ व्यक्ति दूसरों के सामने प्रदर्शन करते हैं, अपनी भूमिकाओं को निभाते हैं और अपनी सार्वजनिक छवि को प्रबंधित करते हैं। यह उन सामाजिक अपेक्षाओं के अनुरूप एक सचेत प्रयास है जो उनसे की जाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ‘बैक स्टेज’ (Back Stage) इसके विपरीत है, जहाँ व्यक्ति मुखौटे उतार सकते हैं और सामान्य व्यवहार कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह बैक स्टेज है। (c) यह एक प्रकार का विश्लेषण है। (d) यह आंशिक रूप से सही है, लेकिन ‘भूमिका निभाने’ पर जोर अधिक महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 18: भारत में ‘कल्याणकारी राज्य’ (Welfare State) की अवधारणा के संबंध में कौन सा कथन सत्य है?
- राज्य पूरी तरह से बाजार की शक्तियों पर निर्भर है।
- राज्य नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाता है।
- राज्य की भूमिका केवल कानून और व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित है।
- राज्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अधिकतम करने के लिए हस्तक्षेप नहीं करता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एक कल्याणकारी राज्य वह होता है जिसमें राज्य अपने नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक सुरक्षा और रोज़गार जैसी सार्वजनिक सेवाओं का प्रावधान शामिल हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान में निर्देशक तत्व (Directive Principles) राज्य को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में कार्य करने के लिए निर्देशित करते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) ये कल्याणकारी राज्य की भूमिका के विपरीत हैं।
प्रश्न 19: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में निम्नलिखित में से क्या शामिल है?
- केवल कला, संगीत और साहित्य।
- सामूहिक रूप से साझा किए गए सीखे हुए व्यवहार, विश्वास, मूल्य, ज्ञान और प्रतीक।
- किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत पसंद और रुचियाँ।
- सभी मानव समाजों की जैविक और आनुवंशिक विरासत।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: समाजशास्त्र में, संस्कृति को केवल उच्च कला तक सीमित नहीं रखा जाता है, बल्कि यह किसी समाज के सदस्यों द्वारा सीखी गई और साझा की गई जीवन शैली का एक व्यापक समूह है। इसमें भाषा, रीति-रिवाज, नैतिकता, कानून, कला, प्रौद्योगिकी और संस्थान शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संस्कृति जन्मजात नहीं, बल्कि सीखी जाती है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती है।
- गलत विकल्प: (a) यह संस्कृति का केवल एक संकीर्ण हिस्सा है। (c) यह व्यक्तिगत है, सामूहिक नहीं। (d) यह जैविक/आनुवंशिक है, सामाजिक नहीं।
प्रश्न 20: भारतीय संदर्भ में ‘जाति-व्यवस्था’ (Caste System) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबसे सटीक है?
- यह एक पूरी तरह से खुला वर्ग-आधारित स्तरीकरण है।
- यह जन्म पर आधारित एक कठोर और वंशानुगत सामाजिक स्तरीकरण है।
- यह पूरी तरह से आर्थिक स्थिति से निर्धारित होता है।
- यह समानता और सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा देता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था जन्म पर आधारित एक जटिल और ऐतिहासिक रूप से स्थापित सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली है, जो वंशानुगत होती है। यह व्यवसायों, खान-पान के नियमों और सामाजिक संपर्क पर प्रतिबंध लगाती है, और पारंपरिक रूप से इसमें सामाजिक गतिशीलता की बहुत कम गुंजाइश होती थी।
- संदर्भ और विस्तार: इसे हिंदू सामाजिक व्यवस्था का एक केंद्रीय तत्व माना जाता है।
- गलत विकल्प: (a) यह कठोर और वंशानुगत है, खुला नहीं। (c) यह मुख्य रूप से जन्म पर आधारित है, न कि केवल आर्थिक स्थिति पर। (d) यह समानता और गतिशीलता को सीमित करता है।
प्रश्न 21: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रकार्य’ (Function) को कैसे परिभाषित किया?
- किसी घटना के नकारात्मक परिणाम।
- किसी सामाजिक संरचना या पैटर्न के परिणामी प्रभाव जो सामाजिक व्यवस्था को अनुकूलित या समायोजित करते हैं।
- व्यक्तिगत उद्देश्य या प्रेरणाएँ।
- सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन ने ‘प्रकार्य’ को सामाजिक व्यवस्था के अनुकूलन या समायोजन में योगदान देने वाले परिणामी प्रभावों के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने ‘प्रकट प्रकार्य’ (Manifest Function – इच्छित और मान्यता प्राप्त) और ‘अप्रकट प्रकार्य’ (Latent Function – अनपेक्षित और अक्सर अनजाने) के बीच अंतर भी किया।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन का प्रकार्यात्मक विश्लेषण दुर्खीम और पार्सन्स के काम से भिन्न था क्योंकि यह सामाजिक व्यवस्था पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों, यानी ‘प्रकार्यात्मक विकृति’ (Dysfunction) पर भी विचार करता था।
- गलत विकल्प: (a) यह विकृति (dysfunction) है। (c) यह व्यक्तिगत मनोविज्ञान है। (d) यह विचलन (deviance) है।
प्रश्न 22: ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया समाजशास्त्र में किसे संदर्भित करती है?
- सभी प्रकार की धार्मिक मान्यताओं का अंत।
- धर्म का सार्वजनिक जीवन से महत्व कम होना और तर्कसंगत, गैर-धार्मिक विचारों का प्रभाव बढ़ना।
- धार्मिक नेताओं द्वारा राजनीतिक शक्ति का अधिग्रहण।
- विभिन्न धर्मों का एक ही विश्वास में विलय।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: धर्मनिरपेक्षीकरण का तात्पर्य धर्म के प्रभाव में कमी और समाज के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे राजनीति, शिक्षा, अर्थव्यवस्था) के तर्कसंगत और गैर-धार्मिक मूल्यों द्वारा अधिक संचालित होना है। इसका मतलब यह नहीं है कि धर्म पूरी तरह से गायब हो जाता है, बल्कि इसका सार्वजनिक महत्व कम हो जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह आधुनिकीकरण और तर्कसंगतता की व्यापक प्रक्रिया का हिस्सा है।
- गलत विकल्प: (a) यह अतिवाद है, धर्मनिरपेक्षीकरण की सामान्य परिभाषा नहीं। (c) यह धार्मिक-राजनीतिक शक्ति का संगम है। (d) यह धार्मिक समन्वय है।
प्रश्न 23: भारतीय ग्रामीण समाजों में ‘निष्ठा’ (Patronage) की व्यवस्था क्या दर्शाती है?
- सभी के लिए समान राजनीतिक प्रतिनिधित्व।
- स्वामी (Patron) और आश्रित (Client) के बीच पारस्परिक, हालांकि असमान, संबंधों का एक नेटवर्क।
- सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता।
- पारंपरिक ज्ञान का स्वचालित हस्तांतरण।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय ग्रामीण समाजों में निष्ठा एक महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक संबंध है जहाँ एक शक्तिशाली व्यक्ति (स्वामी) कमजोर या आश्रितों को सुरक्षा, संसाधन या अवसर प्रदान करता है, और बदले में उनसे निष्ठा, श्रम या सेवा की अपेक्षा करता है। यह अक्सर जाति और वर्ग के संबंधों से जुड़ा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह संबंध अक्सर पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता है और ग्रामीण शक्ति संरचनाओं को बनाए रखता है।
- गलत विकल्प: (a) यह राजनीतिक प्रतिनिधित्व से भिन्न है। (c) यह सरकार से स्वतंत्र एक सामाजिक संबंध है। (d) यह ज्ञान हस्तांतरण से अधिक व्यापक है।
प्रश्न 24: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) के ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) के अनुसार, परिवर्तन का मुख्य चालक क्या है?
- जनसंख्या वृद्धि
- प्रौद्योगिकी में नवाचार
- विभिन्न समूहों के बीच शक्ति और संसाधन के लिए संघर्ष।
- सांस्कृतिक मूल्यों का प्रसार।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संघर्ष सिद्धांत, जो कार्ल मार्क्स जैसे विचारकों से जुड़ा है, मानता है कि समाज स्थिर नहीं है, बल्कि निरंतर संघर्ष और परिवर्तन की प्रक्रिया में है। यह संघर्ष मुख्य रूप से समाज के विभिन्न समूहों (जैसे वर्ग, जातीय समूह) के बीच शक्ति, संसाधनों और प्रभुत्व के लिए प्रतिस्पर्धा से उत्पन्न होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि संघर्ष अंततः सामाजिक परिवर्तन को जन्म देता है।
- गलत विकल्प: (a) जनसंख्या वृद्धि एक कारक हो सकती है, लेकिन संघर्ष सिद्धांत मुख्य रूप से शक्ति संघर्ष पर केंद्रित है। (b) प्रौद्योगिकी एक उत्प्रेरक हो सकती है, लेकिन संघर्ष सिद्धांत इसे स्वयं परिवर्तन का मूल कारण नहीं मानता। (d) सांस्कृतिक प्रसार सहयोग की ओर ले जा सकता है, संघर्ष की ओर नहीं।
प्रश्न 25: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- घटनाओं के बीच सांख्यिकीय संबंध खोजना।
- आंकड़ों का मानकीकरण और सामान्यीकरण करना।
- सामाजिक घटनाओं के पीछे के अर्थ, अनुभव और संदर्भ को समझना।
- बड़े पैमाने पर जनसंख्या के बारे में मात्रात्मक डेटा एकत्र करना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: गुणात्मक विधियाँ (जैसे साक्षात्कार, अवलोकन, फ़ोकस समूह) सामाजिक घटनाओं की गहराई, जटिलता और व्यक्तिपरक अनुभवों को समझने पर केंद्रित होती हैं। यह ‘क्यों’ और ‘कैसे’ के सवालों का जवाब देने का प्रयास करती है, न कि केवल ‘कितना’।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण अक्सर अनपेक्षित निष्कर्षों की खोज के लिए उपयोगी होता है और संदर्भ-विशिष्ट समझ प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: (a) और (d) ये मात्रात्मक विधियों (quantitative methods) की विशेषताएँ हैं। (b) मानकीकरण और सामान्यीकरण अक्सर मात्रात्मक अनुसंधान का लक्ष्य होता है।