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हीरों पर दोबारा गौर: आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सामान्य विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न

हीरों पर दोबारा गौर: आपकी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सामान्य विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न

परिचय: प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए सामान्य विज्ञान की गहरी समझ अत्यंत आवश्यक है। यह खंड आपकी भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान की ज्ञान की परख करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि आप अपनी तैयारी को और मजबूत कर सकें। आइए, “Doubling Down on Diamond” के संकेत से प्रेरित इन महत्वपूर्ण प्रश्नों का अभ्यास करें!


सामान्य विज्ञान अभ्यास प्रश्न (General Science Practice MCQs)

  1. प्रश्न: हीरा, कार्बन का एक अपरूप, अपनी असाधारण कठोरता के लिए जाना जाता है। यह कठोरता मुख्य रूप से किस प्रकार के रासायनिक बंधों के कारण होती है?

    • (a) आयनिक बंध
    • (b) सहसंयोजक बंध
    • (c) धात्विक बंध
    • (d) हाइड्रोजन बंध

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): सहसंयोजक बंध इलेक्ट्रॉनों के साझाकरण द्वारा बनते हैं, जो बहुत मजबूत होते हैं।

    व्याख्या (Explanation): हीरे में, प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य चार कार्बन परमाणुओं के साथ सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़ा होता है, जिससे एक त्रि-आयामी (three-dimensional) जाली संरचना बनती है। ये मजबूत सहसंयोजक बंध हीरों को उनकी अत्यधिक कठोरता और उच्च गलनांक प्रदान करते हैं। आयनिक बंध आयनों के बीच स्थिरवैद्युत आकर्षण से बनते हैं, धात्विक बंध धातुओं में पाए जाते हैं, और हाइड्रोजन बंध विशेष परिस्थितियों में हाइड्रोजन परमाणुओं के बीच बनते हैं, जो सहसंयोजक बंधों जितने मजबूत नहीं होते।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  2. प्रश्न: हीरे के क्रिस्टल संरचना में, कार्बन परमाणु किस प्रकार की संकरण (hybridization) अवस्था में होते हैं?

    • (a) sp
    • (b) sp2
    • (c) sp3
    • (d) dsp2

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): कार्बन के sp3 संकरण में, परमाणु चतुष्फलकीय (tetrahedral) ज्यामिति में चार सिग्मा (σ) बंध बनाता है।

    व्याख्या (Explanation): हीरे में, प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से चतुष्फलकीय रूप से जुड़ा होता है। यह व्यवस्था कार्बन के sp3 संकरण के अनुरूप है, जहाँ एक 2s कक्षक और तीन 2p कक्षक मिलकर चार समान sp3 संकरित कक्षक बनाते हैं। ये कक्षक पड़ोसी कार्बन परमाणुओं के साथ मजबूत सिग्मा बंध बनाते हैं, जिससे एक कठोर और स्थिर त्रि-आयामी नेटवर्क बनता है। sp2 संकरण में त्रिकोणीय समतलीय ज्यामिति होती है और इसमें पाई (π) बंध भी शामिल होते हैं (जैसे ग्रेफाइट में)। sp संकरण रैखिक ज्यामिति दिखाता है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  3. प्रश्न: शुद्ध हीरा किस रंग का होता है?

    • (a) पीला
    • (b) नीला
    • (c) रंगहीन
    • (d) हरा

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): शुद्ध पदार्थ में, प्रकाश का अवशोषण न्यूनतम होता है, जिससे वह रंगहीन दिखाई देता है।

    व्याख्या (Explanation): शुद्ध हीरे, जो परमाणुओं की एक आदर्श क्रिस्टल संरचना से बने होते हैं और जिनमें कोई अशुद्धि या दोष नहीं होता, वे पूरी तरह से पारदर्शी और रंगहीन होते हैं। हीरे का रंग आमतौर पर उसमें मौजूद नाइट्रोजन, बोरॉन या अन्य तत्वों जैसी अशुद्धियों के कारण होता है। उदाहरण के लिए, नाइट्रोजन की उपस्थिति से हीरे पीले या भूरे रंग के हो सकते हैं, जबकि बोरॉन की उपस्थिति से वे नीले रंग के हो सकते हैं।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  4. प्रश्न: हीरे की चमक (brilliance) और आग (fire) के लिए मुख्य रूप से कौन सा प्रकाशिकी गुण जिम्मेदार है?

    • (a) विवर्तन (Diffraction)
    • (b) परावर्तन (Reflection)
    • (c) अपवर्तन (Refraction)
    • (d) प्रकीर्णन (Scattering)

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): उच्च अपवर्तनांक (refractive index) वाला पदार्थ प्रकाश को अत्यधिक आंतरिक परावर्तन (total internal reflection) के माध्यम से अपनी सतह पर वापस भेजता है।

    व्याख्या (Explanation): हीरे का उच्च अपवर्तनांक (लगभग 2.42) होता है, जिसका अर्थ है कि प्रकाश जब हीरे में प्रवेश करता है तो वह अत्यधिक मुड़ जाता है। हीरे की कटाई इस तरह से की जाती है कि अधिकांश प्रकाश आंतरिक रूप से परावर्तित हो। जब प्रकाश हीरे के विभिन्न पहलुओं से कई बार आंतरिक रूप से परावर्तित होकर बाहर निकलता है, तो यह हीरे को उसकी असाधारण चमक (brilliance) प्रदान करता है। ‘आग’ (fire) हीरे के इंद्रधनुषी रंगों के फैलाव (dispersion) से आती है, जब श्वेत प्रकाश अपने घटक रंगों में विभाजित होता है, जो अपवर्तन का ही एक रूप है। हालाँकि, समग्र प्रभाव और चमक मुख्य रूप से उच्च अपवर्तनांक और आंतरिक परावर्तन से आती है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  5. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कारक हीरे के क्रिस्टल निर्माण के लिए आवश्यक है?

    • (a) निम्न तापमान और निम्न दबाव
    • (b) उच्च तापमान और निम्न दबाव
    • (c) निम्न तापमान और उच्च दबाव
    • (d) उच्च तापमान और उच्च दबाव

    उत्तर: (d)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): कार्बन के लिए, हीरे सबसे स्थिर चरण (stable phase) उच्च तापमान और उच्च दबाव पर होता है।

    व्याख्या (Explanation): पृथ्वी की सतह के नीचे, लाखों वर्ष पूर्व, कार्बन परमाणुओं को अत्यंत उच्च तापमान (लगभग 900-1300°C) और अत्यधिक उच्च दबाव (लगभग 45-60 किलोबार) का सामना करना पड़ा। इन परिस्थितियों में, कार्बन परमाणुओं ने हीरे की त्रि-आयामी, सघन संरचना में व्यवस्थित होकर खुद को स्थिर किया। ये स्थितियां आमतौर पर पृथ्वी के मेंटल (mantle) में पाई जाती हैं। कम तापमान और दबाव पर, कार्बन ग्रेफाइट के रूप में अधिक स्थिर होता है।

    अतः, सही उत्तर (d) है।

  6. प्रश्न: कार्बन को हीरे में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?

    • (a) ऊर्ध्वपातन (Sublimation)
    • (b) निक्षेपण (Deposition)
    • (c) क्रिस्टलीकरण (Crystallization)
    • (d) दाब-ताप परिवर्तन (High-pressure, high-temperature conversion)

    उत्तर: (d)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): भौतिक अवस्था परिवर्तन विशिष्ट तापमान और दबाव की स्थितियों पर निर्भर करता है।

    व्याख्या (Explanation): प्राकृतिक रूप से, हीरे पृथ्वी की गहराई में उच्च तापमान और उच्च दबाव की स्थितियों के तहत बनते हैं। प्रयोगशालाओं में, सिंथेटिक हीरे बनाने के लिए भी इन्हीं सिद्धांतों का पालन किया जाता है। इस प्रक्रिया में, कार्बन स्रोत (जैसे ग्रेफाइट) को अत्यंत उच्च दबाव (जैसे 5 GPa) और उच्च तापमान (जैसे 1500°C) पर एक धातु उत्प्रेरक (metal catalyst) की उपस्थिति में रखा जाता है, जो कार्बन को हीरे की संरचना में पुनर्व्यवस्थित होने में मदद करता है। अन्य प्रक्रियाएँ जैसे ऊर्ध्वपातन (ठोस से सीधे गैस), निक्षेपण (गैस से ठोस), और क्रिस्टलीकरण (घोल से ठोस) हीरे के निर्माण के लिए प्रासंगिक नहीं हैं।

    अतः, सही उत्तर (d) है।

  7. प्रश्न: हीरे की एक महत्वपूर्ण विशेषता जो इसे काटने के उपकरण के रूप में उपयोगी बनाती है, वह क्या है?

    • (a) इसकी उच्च विद्युत चालकता
    • (b) इसकी असाधारण कठोरता
    • (c) इसका निम्न गलनांक
    • (d) इसकी उच्च तापीय चालकता

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): किसी सामग्री की कठोरता यह निर्धारित करती है कि वह अन्य सामग्रियों को कितनी आसानी से काट या खरोंच सकती है।

    व्याख्या (Explanation): हीरे मोस कठोरता पैमाने (Mohs scale of hardness) पर 10 का मान रखता है, जो इसे ज्ञात प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थों में सबसे कठोर बनाता है। इसकी यह असाधारण कठोरता इसे अन्य सामग्रियों, जैसे कि धातु, पत्थर और अन्य खनिजों को काटने, पीसने और चमकाने के लिए एक उत्कृष्ट पदार्थ बनाती है। इसकी उच्च विद्युत चालकता (विशेषकर नीले हीरे में) या निम्न गलनांक (जो वैसे भी बहुत उच्च होता है) काटने के लिए प्रासंगिक नहीं हैं। इसकी उच्च तापीय चालकता (thermal conductivity) इसे गर्मी को कुशलतापूर्वक दूर करने में मदद करती है, जो इसे काटने के उपकरण के लिए एक अतिरिक्त लाभ हो सकता है, लेकिन मुख्य गुण कठोरता ही है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  8. प्रश्न: हीरे को चमकाने के लिए किस प्रकार के एसिड का उपयोग किया जाता है?

    • (a) हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCl)
    • (b) सल्फ्यूरिक एसिड (H₂SO₄)
    • (c) नाइट्रिक एसिड (HNO₃)
    • (d) तीनों (a, b, c)

    उत्तर: (d)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): कुछ मजबूत एसिड धातुओं और कार्बनिक अशुद्धियों को ऑक्सीकृत या भंग कर सकते हैं।

    व्याख्या (Explanation): हीरे को चमकाने (polishing) से पहले और बाद में साफ करने के लिए विभिन्न प्रकार के एसिड का उपयोग किया जाता है। सल्फ्यूरिक एसिड (H₂SO₄) और नाइट्रिक एसिड (HNO₃) का मिश्रण, जिसे एक्वा रेजिया (Aqua Regia) भी कहा जाता है (हालांकि एक्वा रेजिया में सोना और प्लैटिनम को भंग करने की क्षमता होती है), या अकेले सल्फ्यूरिक एसिड का उपयोग कार्बनिक पदार्थों और अन्य संदूषकों को हटाने के लिए किया जा सकता है। हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCl) का भी कभी-कभी सफाई के लिए उपयोग किया जाता है, विशेष रूप से पॉलिशिंग प्रक्रिया के दौरान उपयोग किए जाने वाले कुछ यौगिकों को हटाने के लिए। हालांकि, मुख्य पॉलिशिंग प्रक्रिया यांत्रिक होती है। एसिड का उपयोग मुख्य रूप से सफाई और सतह की तैयारी के लिए होता है।

    अतः, सही उत्तर (d) है।

  9. प्रश्न: पृथ्वी पर हीरे का सबसे बड़ा ज्ञात स्रोत कौन सा है?

    • (a) ज्वालामुखी विस्फोट
    • (b) उल्का पिंड
    • (c) पृथ्वी की पपड़ी में गहराई में
    • (d) महासागरीय तल

    उत्तर: (a)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): किम्बरलाइट (Kimberlite) और लैम्प्रोइट (Lamproite) नामक आग्नेय चट्टानें, जो गहरे मेंटल से उत्पन्न होती हैं, पृथ्वी पर अधिकांश हीरों के प्राथमिक स्रोत हैं।

    व्याख्या (Explanation): किम्बरलाइट और लैम्प्रोइट, ज्वालामुखीय चट्टानें हैं जो पृथ्वी की पपड़ी के बहुत गहरे स्तरों (लगभग 150-250 किमी नीचे) से मैग्मा के फटने से सतह पर आती हैं। इन ज्वालामुखीय विस्फोटों के दौरान, पृथ्वी के मेंटल में बनने वाले हीरे मैग्मा के साथ ऊपर आ जाते हैं और इन चट्टानों में फंस जाते हैं। इसलिए, ज्वालामुखी विस्फोटों द्वारा लाए गए किम्बरलाइट पाइप (kimberlite pipes) दुनिया भर में हीरे के सबसे महत्वपूर्ण और प्रचुर स्रोत हैं। उल्कापिंडों में भी कभी-कभी हीरे पाए जाते हैं, लेकिन वे बहुत कम मात्रा में होते हैं।

    अतः, सही उत्तर (a) है।

  10. प्रश्न: हीरे में विद्युत का संचालन क्यों नहीं होता (कुछ विशेष प्रकारों को छोड़कर)?

    • (a) इसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते।
    • (b) इसके परमाणु बहुत कसकर बंधे होते हैं।
    • (c) यह एक विद्युत रोधी (insulator) है।
    • (d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): विद्युत चालकता के लिए सामग्री में मुक्त या गतिशील आवेश वाहक (जैसे इलेक्ट्रॉन) होने चाहिए।

    व्याख्या (Explanation): शुद्ध और आदर्श हीरे में, सभी बाहरी इलेक्ट्रॉन कार्बन परमाणुओं के बीच सहसंयोजक बंधों में स्थिर रूप से बंधे होते हैं। कोई भी मुक्त या मोबाइल इलेक्ट्रॉन नहीं होते जो विद्युत धारा का संचालन कर सकें। इसलिए, हीरा एक उत्कृष्ट विद्युत रोधी (insulator) है। इसके परमाणुओं का अत्यधिक कसकर बंधा होना इस प्रकार की संरचना का परिणाम है। हालांकि, बोरॉन जैसी अशुद्धियों वाले विशेष प्रकार के हीरे (जैसे नीला हीरा) अर्धचालक (semiconductor) या यहां तक कि चालक (conductor) के रूप में व्यवहार कर सकते हैं, लेकिन सामान्य हीरे विद्युत रोधी होते हैं।

    अतः, सही उत्तर (d) है।

  11. प्रश्न: हीरे का घनत्व (density) लगभग कितना होता है?

    • (a) 1.5 g/cm³
    • (b) 2.15 g/cm³
    • (c) 3.51 g/cm³
    • (d) 7.87 g/cm³

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): घनत्व द्रव्यमान और आयतन का अनुपात है (ρ = m/V)। हीरे की सघन क्रिस्टल संरचना के कारण इसका घनत्व अधिक होता है।

    व्याख्या (Explanation): हीरे का घनत्व लगभग 3.51 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर (g/cm³) होता है। यह मान ग्रेफाइट (लगभग 2.26 g/cm³) से काफी अधिक है, जो कार्बन का एक और अपरूप है। यह अंतर कार्बन परमाणुओं की पैकिंग (packing) में भिन्नता के कारण है; हीरे में, परमाणु अधिक कसकर बंधे होते हैं और एक सघन त्रि-आयामी संरचना बनाते हैं। विकल्प (b) पानी का घनत्व है, और (d) लोहे का घनत्व है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  12. प्रश्न: हीरे का गलनांक (melting point) अत्यंत उच्च क्यों होता है?

    • (a) इसमें आयनिक बंध होते हैं।
    • (b) इसमें वैन डेर वाल्स बल (van der Waals forces) होते हैं।
    • (c) इसमें मजबूत सहसंयोजक बंधों का एक विशाल नेटवर्क होता है।
    • (d) यह एक गैस है।

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): किसी पदार्थ को पिघलाने के लिए, उसके अंतराण्विक (intermolecular) या अंतरापरमाणु (interatomic) बंधों को तोड़ने के लिए पर्याप्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

    व्याख्या (Explanation): हीरे में, प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से अत्यधिक मजबूत सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़ा होता है, जो एक विशाल, त्रि-आयामी जाली संरचना बनाते हैं। इन सहसंयोजक बंधों को तोड़ने के लिए बहुत अधिक ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसके परिणामस्वरूप हीरे का गलनांक या ऊर्ध्वपातन बिंदु (sublimation point) लगभग 3800-4000 °C (वायुमंडल के दबाव पर) होता है। इस अत्यधिक उच्च तापमान पर, हीरा पिघलने के बजाय सीधे गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाता है (ऊर्ध्वपातन)। आयनिक बंधों वाले यौगिकों का गलनांक भी उच्च होता है, लेकिन हीरे में ये नहीं होते। वैन डेर वाल्स बल कमजोर होते हैं और कम गलनांक वाले पदार्थों में प्रमुख होते हैं।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  13. प्रश्न: हीरे का उपयोग लेजर बीम को निर्देशित करने के लिए क्यों किया जा सकता है?

    • (a) यह लेजर बीम को सोख लेता है।
    • (b) यह प्रकाश को बिखेरता है।
    • (c) इसकी उच्च तापीय चालकता और कम ऊष्मीय विस्तार।
    • (d) यह विद्युत का अच्छा सुचालक है।

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): सामग्री की तापीय स्थिरता और ऊष्मीय चालकता यह निर्धारित करती है कि वह उच्च-ऊर्जा लेजर के संपर्क में कैसे प्रतिक्रिया करती है।

    व्याख्या (Explanation): हीरे की असाधारण रूप से उच्च तापीय चालकता (लगभग 2000 W/m·K, जो तांबे से भी अधिक है) और बहुत कम ऊष्मीय विस्तार गुणांक (coefficient of thermal expansion) इसे लेजर अनुप्रयोगों में उपयोग के लिए आदर्श बनाते हैं। जब लेजर किरणें हीरे से गुजरती हैं, तो उत्पन्न ऊष्मा को हीरे के क्रिस्टल के माध्यम से बहुत कुशलता से और तेज़ी से फैलाया जाता है, जिससे स्थानीय अति ताप (overheating) और टूटने का खतरा कम हो जाता है। यह गुण लेजर विंडो, सब्सट्रेट या बीम के पथ को निर्देशित करने वाले घटकों के रूप में हीरे के उपयोग की अनुमति देता है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  14. प्रश्न: यदि किसी अज्ञात नमूने की कठोरता हीरे से अधिक पाई जाती है, तो वह नमूना संभवतः किस तत्व से बना है?

    • (a) एल्युमीनियम
    • (b) सिलिकॉन
    • (c) बोरॉन नाइट्राइड (BN)
    • (d) कार्बन

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): विभिन्न सामग्रियों की अपनी विशिष्ट कठोरता मान होती है। सबसे कठोर पदार्थ को खरोंचने के लिए उससे कम कठोर पदार्थ का उपयोग किया जाता है।

    व्याख्या (Explanation): हीरे मोस कठोरता पैमाने पर 10 का मान रखता है, जो इसे ज्ञात प्राकृतिक खनिजों में सबसे कठोर बनाता है। हालांकि, कुछ कृत्रिम रूप से निर्मित सामग्रियां हीरे से भी अधिक कठोर हो सकती हैं, जैसे कि क्यूबिक बोरॉन नाइट्राइड (c-BN) और डायमंड-लाइक कार्बन (DLC) कोटिंग्स। क्यूबिक बोरॉन नाइट्राइड, विशेष रूप से, हीरे के समान ही क्यूबिक क्रिस्टल संरचना रखता है और कुछ संदर्भों में हीरे से भी अधिक कठोर हो सकता है, खासकर उच्च तापमान पर। एल्युमीनियम, सिलिकॉन और कार्बन (ग्रेफाइट के रूप में) हीरे की तुलना में काफी कम कठोर होते हैं।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  15. प्रश्न: हीरे को “सफाई” के लिए जब एसिड का उपयोग किया जाता है, तो यह किस प्रकार की अभिक्रिया है?

    • (a) उदासीनीकरण (Neutralization)
    • (b) ऑक्सीकरण (Oxidation)
    • (c) अपचयन (Reduction)
    • (d) अवक्षेपण (Precipitation)

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): कुछ मजबूत एसिड, विशेष रूप से नाइट्रिक एसिड, कार्बनिक अशुद्धियों को ऑक्सीकृत करके उन्हें हटा सकते हैं।

    व्याख्या (Explanation): जब हीरे को सफाई के लिए मजबूत ऑक्सीकरण एसिड, जैसे नाइट्रिक एसिड या सल्फ्यूरिक एसिड के साथ उपचारित किया जाता है, तो एसिड कार्बनिक अवशेषों या अन्य अशुद्धियों पर ऑक्सीकरण अभिक्रिया करता है, उन्हें घुलनशील ऑक्साइड या अन्य यौगिकों में परिवर्तित करता है जिन्हें धोया जा सकता है। उदाहरण के लिए, कार्बनिक पदार्थ (जैसे तेल, ग्रीस) एसिड द्वारा ऑक्सीकृत होकर कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में परिवर्तित हो सकते हैं। यह एक ऑक्सीकरण-अपचयन (redox) अभिक्रिया का हिस्सा है, जहाँ एसिड ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करता है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  16. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कारण हीरे की कठोरता के लिए जिम्मेदार नहीं है?

    • (a) कार्बन परमाणुओं के बीच मजबूत सहसंयोजक बंध
    • (b) त्रि-आयामी चतुष्फलकीय क्रिस्टल संरचना
    • (c) इलेक्ट्रॉनों का विस्थानीकरण (delocalization)
    • (d) प्रत्येक कार्बन का चार अन्य से जुड़ा होना

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): सहसंयोजक बंधों की मजबूती और परमाणुओं का सघन, त्रिकोणीय संकुलन (packing) सामग्री की कठोरता को बढ़ाता है।

    व्याख्या (Explanation): हीरे की कठोरता का मुख्य कारण कार्बन परमाणुओं के बीच मौजूद अत्यंत मजबूत सहसंयोजक बंध और प्रत्येक कार्बन परमाणु का चार अन्य कार्बन परमाणुओं से त्रि-आयामी चतुष्फलकीय (tetrahedral) व्यवस्था में मजबूती से जुड़ा होना है। यह संरचना अत्यंत सघन और स्थिर होती है। इलेक्ट्रॉनों का विस्थानीकरण, जहां इलेक्ट्रॉन पूरे क्रिस्टल में स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं, विद्युत चालकता के लिए जिम्मेदार होता है (जैसे धातुओं में), न कि कठोरता के लिए। हीरे में, इलेक्ट्रॉन सहसंयोजक बंधों में स्थानीयकृत (localized) होते हैं।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  17. प्रश्न: हीरे की कटाई (cutting) और पॉलिशिंग (polishing) में आमतौर पर किस प्रकार के उपकरणों का उपयोग किया जाता है?

    • (a) केवल हीरे के औजार
    • (b) केवल ग्रेफाइट के औजार
    • (c) हीरे के औजार और लेजर
    • (d) सिरेमिक के औजार

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): किसी सामग्री को काटने या आकार देने के लिए, काटने वाले औजार की कठोरता लक्षित सामग्री से अधिक होनी चाहिए।

    व्याख्या (Explanation): हीरे की असाधारण कठोरता के कारण, इसे काटने और आकार देने के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है। सबसे प्रभावी उपकरण स्वयं हीरे से बने औजार होते हैं, जैसे कि हीरे से लेपित कटिंग डिस्क (diamond-coated cutting discs) या हीरे के महीन पाउडर से बने पॉलिशिंग कंपाउंड (polishing compounds)। आधुनिक तकनीकों में, लेजर कटाई (laser cutting) का भी उपयोग किया जाता है, जो उच्च-ऊर्जा लेजर बीम का उपयोग करके हीरे को सटीक रूप से काटता है। ग्रेफाइट और सिरेमिक हीरे से बहुत कम कठोर होते हैं, इसलिए वे हीरे की कटाई के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  18. प्रश्न: कार्बन-कार्बन बंध की लंबाई हीरे में लगभग कितनी होती है?

    • (a) 120 पिकोमीटर (pm)
    • (b) 142 पिकोमीटर (pm)
    • (c) 154 पिकोमीटर (pm)
    • (d) 200 पिकोमीटर (pm)

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): एकल सहसंयोजक बंध की औसत लंबाई सामग्री और बंधने वाले परमाणुओं पर निर्भर करती है।

    व्याख्या (Explanation): हीरे में, कार्बन-कार्बन एकल सहसंयोजक बंध (C-C single covalent bond) की लंबाई लगभग 154 पिकोमीटर (pm) होती है। यह मान कार्बनिक रसायन विज्ञान में अन्य कार्बन-कार्बन एकल बंधों के समान है। विकल्प (a) एक डबल बॉन्ड (जैसे C=C) के करीब है, और (b) भी छोटा है। विकल्प (d) बहुत लंबा है। बंध की यह विशिष्ट लंबाई, बंधों की मजबूती के साथ मिलकर, हीरे की सघन और कठोर संरचना में योगदान करती है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

  19. प्रश्न: हीरे को कभी-कभी “सस्ते” या “सिंथेटिक” हीरे के रूप में विपणन क्यों नहीं किया जाता है?

    • (a) वे हमेशा प्राकृतिक हीरे से कम मूल्यवान होते हैं।
    • (b) उन्हें अक्सर विशिष्ट अनुप्रयोगों के लिए निर्मित किया जाता है, न कि आभूषण के लिए।
    • (c) वे प्रयोगशाला में बनाए जाते हैं।
    • (d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): किसी उत्पाद का मूल्य और उसका विपणन उसकी उत्पत्ति, गुणवत्ता और लक्षित बाजार पर निर्भर करता है।

    व्याख्या (Explanation): “सिंथेटिक” या “प्रयोगशाला-विकसित” (lab-grown) हीरे, जबकि रासायनिक रूप से प्राकृतिक हीरे के समान होते हैं, उन्हें अक्सर उनकी उत्पत्ति के कारण अलग तरह से विपणन किया जाता है। ऐतिहासिक रूप से, आभूषण उद्योग में प्राकृतिक हीरे को ही “असली” माना जाता रहा है। सिंथेटिक हीरे का उत्पादन अक्सर उच्च-तकनीकी औद्योगिक अनुप्रयोगों (जैसे कटाई, पॉलिशिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स) के लिए किया जाता है, जहां उनकी गुणवत्ता और निरंतरता महत्वपूर्ण होती है। हालांकि, हाल के वर्षों में, सिंथेटिक हीरे को आभूषण बाजार में भी बढ़ावा दिया जा रहा है। “सस्ते” शब्द का उपयोग पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि उनका उत्पादन महंगा होता है, लेकिन वे अक्सर प्राकृतिक समकक्षों की तुलना में कम मूल्यवान होते हैं।

    अतः, सही उत्तर (d) है।

  20. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा हीरे की पहचान के लिए एक सामान्य परीक्षण है?

    • (a) उसका घनत्व मापना
    • (b) उसके अपवर्तनांक की जाँच करना
    • (c) उसकी कठोरता का परीक्षण करना
    • (d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): विशिष्ट भौतिक और प्रकाशीय गुण किसी पदार्थ की पहचान में मदद करते हैं।

    व्याख्या (Explanation): हीरे की पहचान के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। उसका घनत्व (लगभग 3.51 g/cm³), उसका उच्च अपवर्तनांक (लगभग 2.42) जो उसकी चमक में योगदान देता है, और उसकी असाधारण कठोरता (मोस पैमाने पर 10) सभी महत्वपूर्ण पहचान चिह्न हैं। इन गुणों का परीक्षण करके, एक रत्नशास्त्री (gemologist) यह निर्धारित कर सकता है कि कोई नमूना हीरा है या नहीं, या वह किसी अन्य खनिज (जैसे क्यूबिक जिरकोनिया) से अलग है या नहीं।

    अतः, सही उत्तर (d) है।

  21. प्रश्न: हीरे की तुलना में ग्रेफाइट को कम कठोर क्यों माना जाता है?

    • (a) ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु sp³ संकरित होते हैं।
    • (b) ग्रेफाइट की परतें कमजोर वैन डेर वाल्स बलों से बंधी होती हैं।
    • (c) ग्रेफाइट में मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते।
    • (d) ग्रेफाइट पानी में घुलनशील होता है।

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): सामग्री की कठोरता उसके परमाणुओं या अणुओं के बीच बंधों की ताकत पर निर्भर करती है।

    व्याख्या (Explanation): ग्रेफाइट में, कार्बन परमाणु षट्कोणीय (hexagonal) परतों में व्यवस्थित होते हैं, जहां प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य तीन कार्बन परमाणुओं से मजबूत सहसंयोजक बंधों (sp² संकरण) द्वारा जुड़ा होता है। हालांकि, ये परतें आपस में केवल कमजोर वैन डेर वाल्स बलों से जुड़ी होती हैं। यही कारण है कि ग्रेफाइट की परतें आसानी से एक-दूसरे पर फिसल सकती हैं, जिससे यह स्नेहक (lubricant) के रूप में प्रयोग होता है और हीरे की तुलना में बहुत कम कठोर होता है। हीरे में, कार्बन परमाणु sp³ संकरित होते हैं और एक त्रि-आयामी नेटवर्क में कसकर बंधे होते हैं।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  22. प्रश्न: किस प्रकार के हीरे को “ब्लू डायमंड” कहा जाता है और यह किस तत्व की उपस्थिति के कारण होता है?

    • (a) नाइट्रोजन (N)
    • (b) बोरॉन (B)
    • (c) सल्फर (S)
    • (d) फास्फोरस (P)

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): क्रिस्टल जाली में अशुद्धियों के कारण पदार्थ के रंग में परिवर्तन हो सकता है।

    व्याख्या (Explanation): हीरे का नीला रंग आमतौर पर उसमें बोरॉन (B) की बहुत कम मात्रा में अशुद्धियों के कारण होता है। बोरॉन परमाणु कार्बन परमाणुओं को प्रतिस्थापित कर सकते हैं, जिससे इलेक्ट्रॉन प्रकाश के दृश्यमान स्पेक्ट्रम में कुछ तरंग दैर्ध्य को अवशोषित करते हैं। जब बोरॉन की उपस्थिति के कारण ये अवशोषण होते हैं, तो शेष प्रकाश जो परावर्तित या पारगमित होता है, वह नीला दिखाई देता है। नाइट्रोजन की उपस्थिति आमतौर पर पीले रंग का कारण बनती है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

  23. प्रश्न: हीरे के ऑप्टिकल गुणों को बेहतर बनाने के लिए ‘फेज 1’ (Phase 1) उपचार में क्या शामिल हो सकता है?

    • (a) लेजर से चमकाना
    • (b) सल्फ्यूरिक एसिड से धोना
    • (c) ऑक्सीकरण प्रक्रिया
    • (d) पॉलिशिंग प्रक्रिया

    उत्तर: (d)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): आभूषण गुणवत्ता वाले हीरे को आकर्षक बनाने के लिए उसके चेहरे (facets) को सटीक रूप से काटा और पॉलिश किया जाता है।

    व्याख्या (Explanation): हीरे की कटाई और पॉलिशिंग प्रक्रिया को अक्सर चरणों में विभाजित किया जाता है। ‘फेज 1’ या प्रारंभिक चरण में, कच्चे हीरे (rough diamond) को आभूषण के लिए उपयुक्त आकार में काटा जाता है, और फिर उसके मुख्य चेहरों को पॉलिश किया जाता है ताकि उसकी आंतरिक चमक (brilliance) को अधिकतम किया जा सके। यह प्रक्रिया बहुत ही सटीक होती है और विशेष उपकरणों का उपयोग करके की जाती है। लेजर कटाई एक प्रारंभिक चरण हो सकता है, लेकिन पॉलिशिंग एक अलग और महत्वपूर्ण चरण है। एसिड से धोना एक सफाई प्रक्रिया है। ऑक्सीकरण भी एक अलग रासायनिक प्रक्रिया है।

    अतः, सही उत्तर (d) है।

  24. प्रश्न: “डे बीयर्स” (De Beers) नामक कंपनी का हीरे के उद्योग में क्या महत्व है?

    • (a) यह हीरे की खुदाई करने वाली सबसे बड़ी कंपनी है।
    • (b) यह कृत्रिम हीरे बनाने में अग्रणी है।
    • (c) इसने हीरे के विपणन और मूल्य निर्धारण को आकार दिया है।
    • (d) यह केवल छोटे औद्योगिक हीरे का उत्पादन करती है।

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): विपणन रणनीतियाँ और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन किसी उत्पाद के बाजार मूल्य को बहुत प्रभावित कर सकते हैं।

    व्याख्या (Explanation): डे बीयर्स कंपनी का हीरे के उद्योग पर ऐतिहासिक रूप से बहुत बड़ा प्रभाव रहा है। 20वीं सदी में, कंपनी ने प्रभावी विपणन अभियानों, जैसे “ए डायमंड इज फॉरएवर” (A Diamond is Forever) के माध्यम से, हीरों को प्रेम, प्रतिबद्धता और धन का प्रतीक बनाकर उनकी मांग और मूल्य को बढ़ाया। उन्होंने आपूर्ति को नियंत्रित करने और हीरा बाजार को स्थिर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे उन्होंने हीरे को दुर्लभ और मूल्यवान वस्तु के रूप में स्थापित किया। वे वर्तमान में भी एक बड़ी हीरा उत्पादक और वितरक कंपनी हैं, लेकिन उनका विपणन प्रभाव सबसे प्रमुख रहा है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।

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