समाजशास्त्र ज्ञानोदय: रोज की चुनौती
नमस्कार, समाजशास्त्र के जिज्ञासु! आज के इस दैनिक अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। अपनी समाजशास्त्रीय अवधारणाओं की गहराई को परखने और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए तैयार हो जाइए। आइए, इन 25 नवीन प्रश्नों के साथ अपने ज्ञान का परीक्षण करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?
- इमाइल दुर्खीम
- विलियम ग्राहम समनर
- एल्बोन डब्ल्यू. स्मॉल
- टेल्कोट पार्सन्स
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘फ़ोकवेज़’ (Folkways, 1906) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा पेश की। इसका अर्थ है कि किसी समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, रीति-रिवाज, विश्वास) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलती है, जिससे दोनों के बीच एक असंतुलन या विलंब पैदा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: समनर ने बताया कि कैसे नई प्रौद्योगिकियां समाज में सामाजिक और नैतिक मानदंडों में तुरंत बदलाव नहीं ला पातीं, जिससे संघर्ष और सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। यह अवधारणा सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन में महत्वपूर्ण है।
- अincorrect विकल्प: इमाइल दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Conscience) और ‘एनोमी’ (Anomie) जैसी अवधारणाएं दीं। टेल्कोट पार्सन्स ने संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता (Structural-Functionalism) का विकास किया। एल्बोन डब्ल्यू. स्मॉल समाजशास्त्र के संस्थापकों में से एक थे लेकिन यह अवधारणा उनकी नहीं है।
प्रश्न 2: निम्न में से कौन सी विशेषता ‘पैट्रिलिनी’ (Patriliny) से संबंधित है?
- वंशानुक्रम माता के कुल से चलता है।
- वंशानुक्रम पिता के कुल से चलता है।
- पुरुष और महिला दोनों को समान रूप से वंशानुक्रम का अधिकार है।
- यह वंशानुक्रम के निर्धारण में पत्नी की भूमिका पर जोर देता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पैट्रिलिनी एक ऐसी वंश-परंपरा प्रणाली है जिसमें वंशानुक्रम, संपत्ति और सामाजिक स्थिति पिता के माध्यम से, यानी पुरुष रेखा से आगे बढ़ती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह पितृसत्तात्मक समाजों में आम है जहाँ परिवार का मुखिया पुरुष होता है और बच्चे अपने पिता के कुलनाम, वंश और विरासत को प्राप्त करते हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) ‘मैट्रिलिनी’ (Matriliny) से संबंधित है। (c) यह ‘इगलिटेरियन’ (Egalitarian) या समतावादी वंशानुक्रम का वर्णन करता है, जो पैट्रिलिनी या मैट्रिलिनी नहीं है। (d) यह किसी भी स्थापित वंशानुक्रम प्रणाली का वर्णन नहीं करता है।
प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:
- समाज में व्यक्तियों के बीच संबंध बहुत मजबूत होते हैं।
- समाज में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अत्यधिक अभाव होता है।
- समाज में नियमों और सामाजिक नियंत्रण का अभाव होता है।
- सामाजिक परिवर्तन इतना तीव्र होता है कि लोगों को मार्गदर्शन करने वाले मानदंड अपर्याप्त हो जाते हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ शब्द का प्रयोग उस सामाजिक स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ समाज के सदस्यों के बीच सामाजिक मानदंडों का कोई स्पष्ट नियम या दिशा-निर्देश नहीं होता है। यह अक्सर तीव्र सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक संकट या अचानक सामाजिक विघटन के समय होता है, जब पारंपरिक मूल्य और नियम अपनी प्रासंगिकता खो देते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ में इस अवधारणा का उपयोग किया। उन्होंने बताया कि एनोमी आत्महत्या और अन्य सामाजिक समस्याओं का एक प्रमुख कारण बन सकती है क्योंकि व्यक्तियों को दिशाहीनता महसूस होती है।
- अincorrect विकल्प: (a) यह ‘सॉलिडैरिटी’ (Solidarity) की ओर इशारा करता है, एनोमी की नहीं। (b) व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अभाव ‘टोटलिटेरियनिज्म’ (Totalitarianism) जैसा हो सकता है, एनोमी नहीं। (c) नियमों का पूर्ण अभाव भी एनोमी का कारण है, लेकिन (d) सामाजिक परिवर्तन से उत्पन्न मानदंड की अपर्याप्तता एनोमी की अधिक सटीक और व्यापक व्याख्या है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के सिद्धांत का विकास किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- टॉल्कॉट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानव व्यवहार को प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से होने वाली अंतःक्रियाओं के संदर्भ में समझा जाना चाहिए, जिन्हें व्यक्ति एक-दूसरे के कार्यों की व्याख्या करते समय उपयोग करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मीड का काम, जो उनके मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक ‘माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी’ (Mind, Self and Society) में संकलित है, यह बताता है कि कैसे व्यक्ति सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से ‘स्व’ (Self) का निर्माण करते हैं।
- अincorrect विकल्प: कार्ल मार्क्स संघर्ष सिद्धांत से जुड़े हैं। मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) और नौकरशाही पर काम किया। टॉल्कॉट पार्सन्स संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता के प्रमुख प्रतिपादक हैं।
प्रश्न 5: भारतीय समाज में, ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) मुख्य रूप से किस प्रकार की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था का वर्णन करती है?
- औद्योगिक उत्पादन और श्रम विभाजन
- पारंपरिक सेवा-विनिमय प्रणाली
- मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था
- लोकतांत्रिक शासन प्रणाली
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जजमानी प्रणाली एक पारंपरिक भारतीय सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था है जिसमें विभिन्न जातियों के लोग एक-दूसरे को सेवाएं प्रदान करते हैं और बदले में वस्तुओं या सेवाओं का भुगतान प्राप्त करते हैं। यह एक परस्पर निर्भरता पर आधारित व्यवस्था थी।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें विभिन्न व्यवसायिक जातियाँ (जैसे नाई, कुम्हार, दर्जी, ब्राह्मण) ‘जजमानों’ (संरक्षक परिवारों) को उनकी सेवाएँ देती थीं और बदले में उन्हें अनाज, कपड़े आदि प्राप्त होते थे। यह व्यवस्था जन्म पर आधारित होती थी और अक्सर उत्तराधिकार में चलती थी।
- अincorrect विकल्प: (a) औद्योगिक उत्पादन आधुनिक है और जजमानी प्रणाली पारंपरिक है। (c) मुक्त बाजार विनिमय पर आधारित है, जबकि जजमानी में संबंध निश्चित और वंशानुगत थे। (d) यह राजनीतिक व्यवस्था है, आर्थिक नहीं।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी अधिकतम ‘पदानुक्रमित’ (Hierarchical) है?
- कस्बा
- गांव
- शहर
- महानगर
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इन सभी विकल्पों में, ‘महानगर’ (Metropolis) सबसे अधिक पदानुक्रमित होता है। महानगर एक बड़े शहर और उसके आसपास के उपनगरों का एक विशाल संकुल होता है, जिसमें जनसंख्या, आर्थिक गतिविधियाँ, प्रशासनिक कार्य और सामाजिक संरचनाएँ अत्यंत जटिल और स्तरित होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: महानगरों में विभिन्न स्तरों पर विभिन्न प्रकार के क्षेत्र (आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक), सामाजिक वर्ग, और कार्यात्मक विशिष्टताएँ होती हैं, जो एक स्पष्ट पदानुक्रम का निर्माण करती हैं।
- अincorrect विकल्प: गाँव और कस्बा अपेक्षाकृत सरल संरचनाओं वाले होते हैं। शहर महानगर से छोटे होते हैं और उनमें पदानुक्रमित संरचना महानगर जितनी विकसित नहीं होती।
प्रश्न 7: ‘संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता’ (Structural-Functionalism) का मुख्य सरोकार क्या है?
- समाज में संघर्ष और शक्ति का विश्लेषण
- समाज में अंतःक्रियाओं के माध्यम से अर्थ निर्माण
- समाज के विभिन्न भागों के प्रकार्यों और समाज की स्थिरता पर जोर
- सामाजिक परिवर्तन के कारणों का अध्ययन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 8: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का अर्थ क्या है?
- लोगों के बीच सामाजिक संबंधों का अध्ययन।
- समाज में असमानता का व्यवस्थित वितरण।
- सांस्कृतिक भिन्नताओं का अध्ययन।
- सामाजिक समूहों के बीच सहयोग की प्रक्रिया।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ है समाज के सदस्यों को उनकी आय, धन, शक्ति, प्रतिष्ठा, शिक्षा या अन्य कारकों के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित रूप से वर्गीकृत करना। यह असमानता का एक स्थायी ढांचा है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें वर्ग, जाति, लिंग, आयु आदि के आधार पर प्राप्त या प्रदत्त असमानताओं का अध्ययन शामिल है।
- अincorrect विकल्प: (a) यह सामाजिक संबंध का व्यापक अर्थ है। (c) यह संस्कृति का अध्ययन है। (d) यह सामाजिक एकता का पहलू है।
प्रश्न 9: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) का क्या उद्देश्य है?
- समाज का आदर्श चित्रण प्रस्तुत करना।
- वास्तविकता को समझने के लिए एक विश्लेषणात्मक उपकरण बनाना।
- सामाजिक परिवर्तन का खाका तैयार करना।
- व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श प्रारूप’ को एक विश्लेषणात्मक अवधारणा के रूप में परिभाषित किया। यह वास्तविकता का एक अमूर्त, तार्किक रूप से सुसंगत निर्माण है जो कुछ विशेष विशेषताओं को अतिरंजित करता है ताकि उस घटना का व्यवस्थित रूप से अध्ययन और तुलना की जा सके। यह स्वयं में आदर्श या वांछनीय नहीं है, बल्कि एक उपकरण है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही, पूंजीवाद, प्रोटेस्टेंट नैतिकता जैसे विषयों को समझने के लिए आदर्श प्रारूप का उपयोग किया।
- अincorrect विकल्प: (a) आदर्श प्रारूप वास्तविकता का एक तार्किक निर्माण है, आदर्श चित्रण नहीं। (c) यह परिवर्तन का खाका नहीं है। (d) यह व्यक्तिगत अनुभवों पर केंद्रित नहीं है, बल्कि सामान्यीकृत प्रवृत्तियों पर है।
प्रश्न 10: जाति व्यवस्था की वह कौन सी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक निम्न जाति उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाती है?
- पश्चिमीकरण (Westernization)
- आधुनिकीकरण (Modernization)
- लौकिकीकरण (Secularization)
- संसकृतीकरण (Sanskritization)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संसकृतीकरण, जिसे एम.एन. श्रीनिवास ने गढ़ा था, वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न जाति या जनजाति के सदस्य उच्च (अक्सर ब्राह्मण) जातियों के व्यवहार, अनुष्ठान, पूजा विधियों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में इसका विस्तृत वर्णन किया। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
- अincorrect विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। आधुनिकीकरण तकनीकी और संस्थागत परिवर्तनों से जुड़ा है। लौकिकीकरण धर्मनिरपेक्षता या धर्म के प्रभाव में कमी को दर्शाता है।
प्रश्न 11: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का क्या तात्पर्य है?
- एक समूह से दूसरे समूह में विवाह करना।
- समाज में व्यक्तिगत या समूह का एक स्थिति से दूसरी स्थिति में स्थानांतरण।
- सामाजिक मानदंडों का पालन करना।
- सामाजिक समस्याओं का समाधान खोजना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह की समाज में एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर ऊपर या नीचे जाना। यह ऊर्ध्वाधर (Vertical) या क्षैतिज (Horizontal) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता में आय, स्थिति या शक्ति में वृद्धि या कमी शामिल है, जबकि क्षैतिज गतिशीलता में एक ही स्तर पर एक भूमिका से दूसरी भूमिका में परिवर्तन शामिल है।
- अincorrect विकल्प: (a) यह एक विशिष्ट प्रकार की अंतःक्रिया है। (c) यह सामाजिक अनुकूलन है। (d) यह सामाजिक नीति या क्रिया का परिणाम है।
प्रश्न 12: टोटेमिज्म (Totemism) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से प्रमुख रूप से जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने अपनी क्लासिक कृति ‘द एलिमेंट्री फॉर्म्स ऑफ रिलीजियस लाइफ’ (The Elementary Forms of Religious Life) में टोटेमिज्म का गहन अध्ययन किया। उन्होंने इसे समाज के मूल रूप से संगठित होने का एक तरीका बताया, जहाँ एक पवित्र वस्तु (टोटम) समूह के प्रतीकात्मक केंद्र के रूप में कार्य करती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, टोटेम किसी कबीले का प्रतीक होता है, और कबीले के सदस्य अपने टोटम का सम्मान करते हैं। यह समाज की अपनी पूजा के समान है, क्योंकि यह समूह की एकता को दर्शाता है।
- अincorrect विकल्प: वेबर ने नौकरशाही और धर्म के समाजशास्त्र पर काम किया। मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर। कॉम्टे ने प्रत्यक्षवाद (Positivism) का प्रतिपादन किया।
प्रश्न 13: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) का विचार किसने विकसित किया?
- पियरे बॉर्डियू
- रॉबर्ट पुटनम
- जेम्स कॉलमैन
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सामाजिक पूंजी (Social Capital) की अवधारणा को मुख्य रूप से पियरे बॉर्डियू, रॉबर्ट पुटनम और जेम्स कॉलमैन जैसे समाजशास्त्रियों ने विकसित किया है, हालांकि उन्होंने अलग-अलग दृष्टिकोणों और परिभाषाओं पर जोर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने इसे ‘नेटवर्क, संबंध, और पहचान’ के रूप में परिभाषित किया जो व्यक्तियों को लाभान्वित करते हैं। पुटनम ने इसे ‘सामाजिक नेटवर्क, जुड़ाव, साझा मानदंडों और विश्वासों’ के रूप में देखा जो सामाजिक सहयोग को सक्षम बनाते हैं। कॉलमैन ने इसे ‘सामाजिक संरचनाओं में ऐसे गुण के रूप में देखा जो कुछ कार्यों को सक्षम बनाते हैं’।
- अincorrect विकल्प: चूँकि सभी तीनों ने इस अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।
प्रश्न 14: ‘अभिजात्य वर्ग’ (Elite) की अवधारणा को किसने अपनी रचनाओं में प्रमुखता से प्रस्तुत किया?
- इमाइल दुर्खीम
- गैतानो मोस्का, विल्फ्रेडो परेटो और रॉबर्ट मिशेल
- मैक्स वेबर
- रॉबर्ट ई. पार्क
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गैतानो मोस्का, विल्फ्रेडो परेटो और रॉबर्ट मिशेल को ‘अभिजात्य सिद्धांत’ (Elite Theory) के प्रमुख सिद्धांतकार माना जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि हर समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, एक अल्पसंख्यक शासक या अभिजात्य वर्ग होता है जो सत्ता और संसाधनों को नियंत्रित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मोस्का ने ‘शासक वर्ग’, परेटो ने ‘शासक अभिजात वर्ग’ और मिशेल ने ‘लोकतंत्रीय अभिजनवाद का लौह नियम’ (Iron Law of Oligarchy) जैसी अवधारणाओं के माध्यम से इस विचार का विकास किया।
- अincorrect विकल्प: दुर्खीम और वेबर ने सत्ता संरचनाओं पर काम किया, लेकिन अभिजात्य सिद्धांत को विकसित करने का मुख्य श्रेय (b) के विचारकों को जाता है। पार्क शिकागो स्कूल से जुड़े थे और शहरी समाजशास्त्र में योगदान दिया।
प्रश्न 15: भारत में, ‘अनुलोम विवाह’ (Anulom Marriage) का क्या अर्थ है?
- उच्च जाति की स्त्री का निम्न जाति के पुरुष से विवाह।
- उच्च जाति के पुरुष का निम्न जाति की स्त्री से विवाह।
- समान जाति के भीतर विवाह।
- एक ही गोत्र के भीतर विवाह।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अनुलोम विवाह भारतीय जाति व्यवस्था में एक ऐसी प्रथा थी जहाँ पुरुष उच्च जाति का होता था और स्त्री निम्न जाति की। इसके विपरीत, प्रतिलोम विवाह (Pratilom Marriage) में पुरुष निम्न जाति का और स्त्री उच्च जाति की होती थी।
- संदर्भ और विस्तार: अनुलोम विवाह को ऐतिहासिक रूप से अधिक स्वीकार्य माना जाता था, जबकि प्रतिलोम विवाह को सामाजिक रूप से अस्वीकार्य और समस्याग्रस्त माना जाता था, क्योंकि इससे उत्पन्न संतान को भी निम्न दर्जा मिलता था।
- अincorrect विकल्प: (a) यह प्रतिलोम विवाह है। (c) यह ‘सगोत्र विवाह’ (Endogamy) का हिस्सा है, या समान जाति विवाह है, लेकिन अनुलोम/प्रतिलोम का संदर्भ नहीं है। (d) यह ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का उल्लंघन है, जो कि अनुलोम/प्रतिलोम से भिन्न है।
प्रश्न 16: ‘संस्कृति’ (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, इसमें क्या शामिल है?
- केवल कला, संगीत और साहित्य।
- लोगों के सीखने के तरीके, जिसमें उनका ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और क्षमताएं शामिल हैं।
- केवल भौतिक वस्तुएँ जैसे भवन और उपकरण।
- केवल व्यक्तिगत विचार और भावनाएँ।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समाजशास्त्र में संस्कृति को एक व्यापक अर्थ में समझा जाता है। यह सीखा हुआ व्यवहार पैटर्न, प्रतीकों, विश्वासों, मूल्यों, ज्ञान, कला, नैतिकता, कानून और रीति-रिवाजों का एक जटिल समूह है जिसे लोग समाज के सदस्यों के रूप में साझा करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: एडवर्ड बर्नेट टायलर की प्रसिद्ध परिभाषा के अनुसार, “संस्कृति वह जटिल समग्रता है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई भी अन्य क्षमताएं और आदतें शामिल हैं जो मनुष्य समाज के सदस्य के रूप में प्राप्त करता है।”
- अincorrect विकल्प: (a) संस्कृति का दायरा इससे कहीं अधिक व्यापक है। (c) यह केवल भौतिक संस्कृति का हिस्सा है। (d) यह व्यक्तिगत से अधिक सामूहिक और साझा है।
प्रश्न 17: ‘सांप्रदायिकता’ (Communalism) को समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से कैसे समझा जा सकता है?
- किसी धर्म के सिद्धांतों का पालन करना।
- अपने धार्मिक समुदाय के प्रति तीव्र निष्ठा, जो अक्सर अन्य समुदायों के प्रति शत्रुतापूर्ण होती है।
- विभिन्न धर्मों के बीच सामंजस्य स्थापित करना।
- धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सांप्रदायिकता एक ऐसी विचारधारा और व्यवहार है जो धार्मिक पहचान को राजनीतिक और सामाजिक पहचान का प्राथमिक आधार बनाती है। इसमें अपने धार्मिक समूह के प्रति अत्यधिक निष्ठा, अन्य धार्मिक समूहों के प्रति अविश्वास या शत्रुता शामिल हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक मतभेदों का उपयोग करने वाले समूहों द्वारा भड़काई जाती है, जिससे सामाजिक विघटन और हिंसा हो सकती है।
- अincorrect विकल्प: (a) और (d) धर्म का पालन या अनुष्ठान करना सांप्रदायिकता नहीं है। (c) यह सांप्रदायिकता के विपरीत ‘साम्प्रदायिक सद्भाव’ (Communal Harmony) है।
प्रश्न 18: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) के लिए निम्नलिखित में से कौन सा कारक महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है?
- प्रौद्योगिकी में प्रगति
- जनसंख्या वृद्धि
- सामाजिक आंदोलन
- धार्मिक ग्रंथ
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रौद्योगिकी, जनसंख्या और सामाजिक आंदोलन स्पष्ट रूप से सामाजिक परिवर्तन के शक्तिशाली चालक हैं। प्रौद्योगिकी नए तरीके और उपकरण प्रदान करती है, जनसंख्या परिवर्तन सामाजिक संरचनाओं और संसाधनों पर दबाव डालता है, और सामाजिक आंदोलन स्थापित व्यवस्था को चुनौती देते हैं। धार्मिक ग्रंथ स्वयं में परिवर्तन का कारक नहीं होते, बल्कि वे परिवर्तन को प्रेरित या अवरुद्ध कर सकते हैं, लेकिन वे स्वयं भौतिक या सामाजिक शक्ति के तुलनीय कारक नहीं हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न सिद्धांतकार (जैसे वेबर, मार्क्स) प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था, वर्ग संघर्ष और विचारों (जिनमें धार्मिक विचार भी शामिल हो सकते हैं) को महत्वपूर्ण मानते हैं। हालाँकि, ‘धार्मिक ग्रंथ’ स्वयं एक भौतिक या सामाजिक प्रक्रिया नहीं हैं, बल्कि विचारों का एक रूप हैं।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) सभी सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारक हैं।
प्रश्न 19: ‘पारिवारिक संरचना’ (Family Structure) के अध्ययन में, ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) की मुख्य विशेषता क्या है?
- केवल एक ही पीढ़ी के सदस्यों का साथ रहना।
- दो या दो से अधिक पीढ़ियों के सदस्यों का एक साथ रहना, सामान्य चूल्हा और संपत्ति साझा करना।
- केवल विवाहित जोड़े का साथ रहना।
- भाई-बहनों का अलग-अलग रहना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संयुक्त परिवार वह परिवार होता है जिसमें दादा-दादी, माता-पिता और बच्चे, या दादा-दादी, बच्चे और परपोते, एक साथ रहते हैं, भोजन करते हैं, और सामान्य संपत्ति या आय का उपभोग करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय समाज की एक पारंपरिक और महत्वपूर्ण संस्था रही है, जो पारिवारिक बंधन, बुजुर्गों का सम्मान और संपत्ति के साझा स्वामित्व पर जोर देती है।
- अincorrect विकल्प: (a) यह ‘नाभिकीय परिवार’ (Nuclear Family) का वर्णन है। (c) यह भी नाभिकीय परिवार जैसा है। (d) यह संयुक्त परिवार के विपरीत है।
प्रश्न 20: ‘ग्रामीण-शहरी सातत्य’ (Rural-Urban Continuum) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- ग्रामीण और शहरी जीवन शैलियों के बीच एक स्पष्ट विभाजन।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच एक सतत प्रक्रिया और विभिन्नताएँ।
- केवल शहरों का विकास।
- ग्रामीण क्षेत्रों का महत्वहीन होना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: यह अवधारणा बताती है कि ग्रामीण और शहरी जीवन शैलियों, संस्थाओं और समाजों के बीच कोई कठोर या तीक्ष्ण विभाजन नहीं है, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है। जैसे-जैसे आप ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर बढ़ते हैं, जीवन शैली और सामाजिक संरचनाएँ धीरे-धीरे बदलती जाती हैं, कोई अचानक परिवर्तन नहीं होता।
- संदर्भ और विस्तार: आर. रेडक्लिफ-ब्राउन और बाद में अन्य समाजशास्त्रियों ने इस विचार का समर्थन किया कि शहरीकरण की प्रक्रिया ग्रामीण से शहरी की ओर एक क्रमिक स्थानांतरण है।
- अincorrect विकल्प: (a) यह अवधारणा सातत्य पर जोर देती है, विभाजन पर नहीं। (c) यह केवल शहरों के विकास पर केंद्रित नहीं है। (d) यह ग्रामीण क्षेत्रों के महत्व को स्वीकार करती है, उन्हें महत्वहीन नहीं बनाती।
प्रश्न 21: ‘अस्पष्टता’ (Ambiguity) की स्थिति, जो अक्सर तीव्र सामाजिक या व्यक्तिगत परिवर्तनों के दौरान उत्पन्न होती है, किस समाजशास्त्रीय अवधारणा से निकटता से जुड़ी है?
- विभेदीकरण (Differentiation)
- मानकीकरण (Standardization)
- पदानुक्रम (Hierarchy)
- एनोमी (Anomie)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जैसा कि पहले बताया गया है, एमिल दुर्खीम की ‘एनोमी’ की अवधारणा में अस्पष्टता, अनिश्चितता और सामाजिक मानदंडों की कमी शामिल है। जब व्यक्ति यह नहीं जानते कि उनसे क्या अपेक्षित है या उनके व्यवहार के लिए कौन से नियम लागू होते हैं, तो यह एनोमी की स्थिति को जन्म देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह स्थिति व्यक्ति को दिशाहीन और भ्रमित महसूस करा सकती है, क्योंकि पारंपरिक मूल्य या व्यवहार के मार्ग अब स्पष्ट नहीं रहते।
- अincorrect विकल्प: विभेदीकरण समाज के विभिन्न हिस्सों के विशेषीकरण से संबंधित है। मानकीकरण और पदानुक्रम स्थिरता और संरचना से जुड़े हैं, न कि अस्पष्टता से।
प्रश्न 22: ‘समूह के भीतर’ (In-group) और ‘समूह के बाहर’ (Out-group) की अवधारणाएँ किस समाजशास्त्री द्वारा प्रस्तुत की गईं?
- मैक्स वेबर
- विलियम ग्राहम समनर
- एमिल दुर्खीम
- चार्ल्स कूली
- सत्यता: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक ‘फ़ोकवेज़’ (Folkways) में ‘इन-ग्रुप’ (हम-समूह) और ‘आउट-ग्रुप’ (वे-समूह) की अवधारणाओं को पेश किया। इन-ग्रुप वह समूह होता है जिससे व्यक्ति अपनी पहचान जोड़ता है, जबकि आउट-ग्रुप वे समूह होते हैं जिनसे वह अपनी पहचान नहीं जोड़ता।
- संदर्भ और विस्तार: समनर ने बताया कि इन-ग्रुप के सदस्य अक्सर एक-दूसरे के प्रति वफादारी और सहयोग दिखाते हैं, जबकि आउट-ग्रुप के सदस्यों के प्रति पूर्वाग्रह या दुश्मनी रख सकते हैं।
- अincorrect विकल्प: वेबर, दुर्खीम और कूली ने सामाजिक समूहों और अंतःक्रियाओं पर काम किया, लेकिन इन विशेष संज्ञाओं को समनर ने गढ़ा था। कूली ने ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की अवधारणा दी।
- यह केवल पश्चिमी संस्कृति को अपनाने तक सीमित है।
- यह पारंपरिक संस्थाओं और मूल्यों में परिवर्तन के साथ-साथ नई प्रौद्योगिकियों, संस्थाओं और विचारों को अपनाना है।
- यह जाति व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाता है।
- इसका ग्रामीण क्षेत्रों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- सत्यता: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी नवाचार, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार, धर्मनिरपेक्षता, राजनीतिक भागीदारी में वृद्धि और पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं (जैसे जाति, संयुक्त परिवार) में परिवर्तन शामिल हैं। यह केवल पश्चिमीकरण नहीं है, बल्कि एक व्यापक परिवर्तन है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्थाओं में व्यवस्थित परिवर्तन को दर्शाता है।
- अincorrect विकल्प: (a) यह पश्चिमीकरण तक सीमित नहीं है। (c) यह अक्सर जाति व्यवस्था को कमजोर करता है, न कि मजबूत। (d) इसका ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ता है।
- धन और आर्थिक संपत्ति
- सामाजिक स्थिति और सम्मान
- बल प्रयोग की क्षमता
- किसी पद या पद से प्राप्त अधिकार
- सत्यता: मैक्स वेबर ने सामाजिक स्तरीकरण के तीन प्रमुख आयामों की पहचान की: वर्ग (Wealth), स्थिति (Status/Prestige), और दल (Party/Power)। उनके अनुसार, प्रतिष्ठा (Status) किसी व्यक्ति या समूह को समाज द्वारा दी जाने वाली सामाजिक सम्मान, आदर और सामाजिक जीवन शैली से जुड़ी होती है।
- संदर्भ और विस्तार: जबकि वर्ग आर्थिक है, शक्ति बल प्रयोग की क्षमता है, प्रतिष्ठा सामाजिक मूल्यांकन पर आधारित है। उदाहरण के लिए, एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर के पास बहुत धन या राजनीतिक शक्ति न हो, लेकिन उसे समाज में सम्मान प्राप्त हो सकता है।
- अincorrect विकल्प: (a) धन ‘वर्ग’ से संबंधित है। (c) और (d) ‘शक्ति’ (Power) के आयाम हैं।
- 16वीं शताब्दी
- 17वीं शताब्दी
- 18वीं शताब्दी
- 19वीं शताब्दी
- सत्यता: ‘समाजशास्त्र’ (Sociology) शब्द का प्रयोग सबसे पहले 1838 में फ्रांसीसी दार्शनिक ऑगस्ट कॉम्टे (Auguste Comte) द्वारा किया गया था, जिन्होंने इसे ‘विज्ञान’ (Logy) और ‘समाज’ (Socio) शब्दों को मिलाकर गढ़ा था।
- संदर्भ और विस्तार: कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, जिन्होंने समाज का वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए एक नए अनुशासन की वकालत की।
- अincorrect विकल्प: समाजशास्त्र एक आधुनिक विज्ञान है जिसकी उत्पत्ति 19वीं शताब्दी में हुई। इससे पहले के युगों में सामाजिक विचारों का अध्ययन हुआ, लेकिन एक स्वतंत्र अनुशासन के रूप में इसका उदय 19वीं शताब्दी में ही हुआ।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 23: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया से संबंधित कौन सा कथन सत्य है?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 24: ‘प्रतिष्ठा’ (Prestige) और ‘शक्ति’ (Power) के बीच वेबरियन भेद के अनुसार, प्रतिष्ठा मुख्य रूप से किससे जुड़ी है?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 25: ‘समाजशास्त्र’ (Sociology) शब्द की उत्पत्ति किस शताब्दी में हुई?
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण: