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समाजशास्त्र की अवधारणाओं में महारत हासिल करें

समाजशास्त्र की अवधारणाओं में महारत हासिल करें

तैयारी के इस सफर में, आज हम समाजशास्त्र की गहराईयों में उतरेंगे! अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए। यहाँ आपके लिए 25 चुनिंदा बहुविकल्पीय प्रश्न प्रस्तुत हैं, जो आपकी आगामी परीक्षाओं के लिए एक बेहतरीन अभ्यास सत्र साबित होंगे। आइए, अपने ज्ञान की परीक्षा लें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (social facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे बाहरी, बाध्यकारी और सामूहिक चेतना से उत्पन्न माना गया?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमील दुर्खीम
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमील दुर्खीम ने अपनी कृति ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने इसे किसी व्यक्ति के लिए बाहरी और उस पर बाध्यकारी शक्ति रखने वाले विचार, प्रवृत्तियों और भावनाओं के रूप में परिभाषित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य समाज की विशेषताएँ हैं, न कि व्यक्ति की। ये सामाजिक संरचनाओं (जैसे कानून, रीति-रिवाज, नैतिकता) से उत्पन्न होते हैं और व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित करते हैं। यह सकारात्मकतावादी (positivist) दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण अंग है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक असमानता पर था। मैक्स वेबर ने ‘समझ’ (Verstehen) और आदर्श प्रारूप (ideal type) जैसी अवधारणाएँ दीं। जॉर्ज हर्बर्ट मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (symbolic interactionism) से जुड़े हैं।

प्रश्न 2: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘सूतक’ ( Sutak ) का क्या अर्थ है?

  1. किसी पवित्र कार्य के लिए उपवास रखना
  2. जन्म या मृत्यु के कारण लगने वाली सूतक या अशुद्धि की अवधि
  3. जातिगत पहचान को बनाए रखने की प्रक्रिया
  4. किसी विशेष अनुष्ठान का पालन करना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘सूतक’ भारतीय समाज में, विशेषकर हिंदू धर्म में, जन्म या मृत्यु जैसी घटनाओं से जुड़ी अशुद्धता की एक अवधि को दर्शाता है। इस अवधि के दौरान, संबंधित परिवार के सदस्यों को कुछ धार्मिक और सामाजिक अनुष्ठानों में भाग लेने से रोका जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सूतक की अवधि आमतौर पर परिवार में बच्चे के जन्म पर नौ या दस दिनों की होती है, और मृत्यु पर तेरह दिनों की। इसका उद्देश्य भौतिक और आध्यात्मिक शुद्धता बनाए रखना है, और यह जाति व्यवस्था में शुद्धि और अशुद्धि के विचारों से गहराई से जुड़ा हुआ है।
  • गलत विकल्प: उपवास रखना (a) या अनुष्ठान करना (d) सूतक का हिस्सा हो सकता है, लेकिन सूतक स्वयं इन कार्यों का पर्याय नहीं है। जातिगत पहचान बनाए रखने की प्रक्रिया (c) एक व्यापक अवधारणा है, जबकि सूतक एक विशिष्ट अशुद्धि अवधि है।

प्रश्न 3: ‘एनालॉमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के कमजोर पड़ने से उत्पन्न होती है, किस समाजशास्त्री से संबंधित है?

  1. रॉबर्ट मर्टन
  2. एमील दुर्खीम
  3. टी. पार्सन्स
  4. एच. स्पेंसर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ‘एनालॉमी’ की अवधारणा एमील दुर्खीम द्वारा विकसित की गई थी। उन्होंने इसे एक ऐसी सामाजिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया जहाँ सामाजिक नियम या तो अनुपस्थित होते हैं या कमजोर हो जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और हताशा की भावना पैदा होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में एनालॉमी को आत्महत्या के एक कारण के रूप में पहचाना। उनके अनुसार, जब समाज में तीव्र परिवर्तन (जैसे आर्थिक उछाल या मंदी) होता है, तो पारंपरिक नियम अपर्याप्त हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति के लक्ष्यों और सामाजिक साधनों के बीच विसंगति उत्पन्न होती है।
  • गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने भी एनालॉमी का उपयोग किया, लेकिन उन्होंने इसे सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों के बीच विसंगति के रूप में विस्तार दिया। टी. पार्सन्स और एच. स्पेंसर ने सामाजिक व्यवस्था और विकास पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन एनालॉमी दुर्खीम का मूल विचार है।

प्रश्न 4: मैकियावेली को किस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विचारक माना जाता है?

  1. राज्य का समाजशास्त्र
  2. राजनीतिक दर्शन
  3. आर्थिक समाजशास्त्र
  4. सांस्कृतिक समाजशास्त्र

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: निकोलो मैकियावेली को व्यापक रूप से राजनीतिक दर्शन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विचारक माना जाता है, विशेष रूप से उनकी पुस्तक ‘द प्रिंस’ (The Prince) के लिए।
  • संदर्भ और विस्तार: मैकियावेली ने सत्ता प्राप्ति, उसे बनाए रखने और राजनीतिक शक्ति के यथार्थवादी विश्लेषण पर जोर दिया। उन्होंने धर्म या नैतिकता से अलग, राजनीति की अपनी स्वायत्तता पर प्रकाश डाला, जिसे ‘मैकियावेलियनवाद’ के रूप में जाना जाता है।
  • गलत विकल्प: जबकि उनके विचार राज्य और राजनीति को प्रभावित करते हैं, मैकियावेली का प्राथमिक योगदान राजनीतिक दर्शन में है, न कि राज्य के समाजशास्त्र, आर्थिक समाजशास्त्र या सांस्कृतिक समाजशास्त्र में।

प्रश्न 5: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो यह बताती है कि भौतिक संस्कृति (material culture) अभौतिक संस्कृति (non-material culture) की तुलना में तेजी से बदलती है?

  1. विलियम ग्राहम समनर
  2. एल्बर्ट शाव
  3. विलियम फ्रेडरिक ओगबर्न
  4. चार्ल्स कूली

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: विलियम फ्रेडरिक ओगबर्न ने 1922 में अपनी पुस्तक ‘सोशल चेंज’ में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की।
  • संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न के अनुसार, तकनीकी नवाचारों जैसी भौतिक संस्कृति में परिवर्तन तेजी से होता है, जबकि नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज जैसी अभौतिक संस्कृति इन परिवर्तनों के अनुकूल होने में पिछड़ जाती है। यह अंतर सामाजिक समस्याओं को जन्म दे सकता है।
  • गलत विकल्प: विलियम ग्राहम समनर ने ‘लोकप्रिय प्रथाओं’ (Folkways) और ‘रूढ़ियों’ (Mores) में अंतर किया। एल्बर्ट शाव ने शहरी समाजशास्त्र में योगदान दिया। चार्ल्स कूली ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की अवधारणा के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 6: निम्न में से कौन सा एक ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) का उदाहरण है?

  1. पड़ोसी
  2. कार्यालय सहकर्मी
  3. परिवार
  4. पुलिस विभाग

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: परिवार को चार्ल्स कूली द्वारा वर्णित ‘प्राथमिक समूह’ का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक समूह वे होते हैं जिनमें आमने-सामने का संबंध, घनिष्ठता, सहयोग और ‘हम’ की भावना पाई जाती है। ये व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परिवार, बचपन के मित्र मंडली आदि इसके उदाहरण हैं।
  • गलत विकल्प: पड़ोसी (a), कार्यालय सहकर्मी (b), और पुलिस विभाग (d) जैसे समूह अक्सर द्वितीयक समूह (Secondary Group) की श्रेणी में आते हैं, जहाँ संबंध अधिक अनौपचारिक, impersonal और उद्देश्य-उन्मुख होते हैं।

प्रश्न 7: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य केंद्रीय बिंदु क्या है?

  1. बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाएँ
  2. समाज में शक्ति संघर्ष
  3. लोगों के बीच अर्थों और प्रतीकों के माध्यम से होने वाली अंतःक्रिया
  4. समाज का संतुलन और एकीकरण

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद इस विचार पर केंद्रित है कि मनुष्य अपने अनुभवों को समझने के लिए प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) का उपयोग करते हैं और इन प्रतीकों के माध्यम से एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं। यह सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) समाजशास्त्र का एक प्रमुख सिद्धांत है।
  • संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रतिपादक हैं। यह सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि समाज व्यक्तियों की सामाजिक अंतःक्रियाओं और उनके द्वारा निर्मित अर्थों का परिणाम है।
  • गलत विकल्प: बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाएँ (a) प्रकार्यवाद (functionalism) या मार्क्सवाद का विषय है। शक्ति संघर्ष (b) मार्क्सवाद से जुड़ा है। समाज का संतुलन और एकीकरण (d) प्रकार्यवाद का मुख्य सरोकार है।

प्रश्न 8: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) का क्या उद्देश्य है?

  1. वास्तविकता का सटीक और पूर्ण चित्रण
  2. सामाजिक घटनाओं को समझने के लिए एक विश्लेषणात्मक उपकरण
  3. सभी सामाजिक वर्गों का एकीकरण
  4. असंतुलित सामाजिक विकास को बढ़ावा देना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर के लिए, आदर्श प्रारूप किसी विशेष सामाजिक घटना या संस्था की विशेषताओं को समझने और विश्लेषण करने के लिए एक वैचारिक उपकरण (conceptual tool) था। यह वास्तविकता का अतिरंजित, सुसंगत निर्माण है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही (bureaucracy), पूंजीवाद (capitalism) आदि के आदर्श प्रारूप विकसित किए। आदर्श प्रारूप स्वयं में ‘आदर्श’ (ideal in the sense of perfect) नहीं होता, बल्कि यह एक विश्लेषणात्मक मानक है जिसका उपयोग वास्तविक दुनिया की जटिलताओं की तुलना और विश्लेषण करने के लिए किया जाता है।
  • गलत विकल्प: आदर्श प्रारूप वास्तविकता का सटीक और पूर्ण चित्रण (a) नहीं है, बल्कि एक वैचारिक सरलीकरण है। यह सामाजिक वर्गों के एकीकरण (c) या असंतुलित विकास (d) को बढ़ावा देने के लिए नहीं है।

प्रश्न 9: भारतीय समाज में, ‘पंचांग’ (Panchanga) का संबंध मुख्य रूप से किससे है?

  1. ग्रामीण प्रशासन का एक रूप
  2. पारंपरिक कैलेंडर और शुभ-अशुभ मुहूर्त का निर्धारण
  3. जातिगत उत्तोलन की प्रक्रिया
  4. सामाजिक बहिष्कार की प्रथा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: पंचांग एक पारंपरिक भारतीय कैलेंडर है जो ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित है और इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों, विवाहों, त्योहारों और अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों के लिए शुभ-अशुभ मुहूर्त (auspicious and inauspicious times) निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय संस्कृति और सामाजिक जीवन का एक अभिन्न अंग है, जो लोगों के दैनिक जीवन और महत्वपूर्ण निर्णयों को प्रभावित करता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक व्यवस्था से जुड़ा है।
  • गलत विकल्प: पंचांग का संबंध सीधे तौर पर ग्रामीण प्रशासन (a), जातिगत उत्तोलन (c), या सामाजिक बहिष्कार (d) से नहीं है, हालांकि यह इन सामाजिक पहलुओं को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकता है।

  • प्रश्न 10: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) से आप क्या समझते हैं?

    1. समाज का विभिन्न समूहों में विभाजन
    2. समाज में व्यक्तियों के बीच आर्थिक समानता
    3. पदानुक्रमित तरीके से समाज के सदस्यों का वर्गीकरण
    4. पारस्परिक सहयोग की प्रक्रिया

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: सामाजिक स्तरीकरण समाज के सदस्यों का उन समूहों में पदानुक्रमित वर्गीकरण है जो संसाधनों (जैसे धन, शक्ति, प्रतिष्ठा) तक असमान पहुँच रखते हैं।
    • Context & Elaboration: यह एक सार्वभौमिक सामाजिक घटना है जो जन्म, उपलब्धि, जाति, वर्ग, लिंग आदि जैसे विभिन्न आधारों पर आधारित हो सकती है। यह समाज में असमानता को संस्थागत रूप प्रदान करता है।
    • Incorrect Options: समाज का विभिन्न समूहों में विभाजन (a) एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन स्तरीकरण विशेष रूप से पदानुक्रमित विभाजन को दर्शाता है। आर्थिक समानता (b) स्तरीकरण के विपरीत है। पारस्परिक सहयोग (d) एक अलग सामाजिक प्रक्रिया है।

    प्रश्न 11: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संसकृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का अर्थ है?

    1. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
    2. उच्च जातियों की रीति-रिवाजों और प्रथाओं को अपनाकर निम्न जातियों द्वारा सामाजिक स्थिति में सुधार का प्रयास
    3. औद्योगीकरण और शहरीकरण की प्रक्रिया
    4. धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसकृतिकरण’ की अवधारणा दी, जिसका अर्थ है कि निम्न जातियों या जनजातियों के लोग उच्च, अक्सर द्विजा (Brahminical) जातियों के अनुष्ठानों, जीवन शैली और विश्वासों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
    • Context & Elaboration: यह पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की गई थी। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक और सामाजिक गतिशीलता है, लेकिन यह संरचनात्मक गतिशीलता (structural mobility) से भिन्न है।
    • Incorrect Options: पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण (a) ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) कहलाता है। औद्योगीकरण और शहरीकरण (c) ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) से जुड़े हैं। धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन (d) संस्कृतिकरण का एक साधन हो सकता है, लेकिन स्वयं संस्कृतिकरण नहीं।

    प्रश्न 12: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूँजीवाद के तहत समाज का मुख्य विभाजन किस पर आधारित है?

    1. जाति और उपजाति
    2. धर्म और पंथ
    3. उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व
    4. शिक्षा और योग्यता

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज को मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित किया: बुर्जुआ (bourgeoisie) या पूंजीपति वर्ग, जो उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, भूमि) का मालिक होता है, और सर्वहारा (proletariat) या श्रमिक वर्ग, जो अपनी श्रम शक्ति बेचता है।
    • Context & Elaboration: यह स्वामित्व का अंतर ही वर्ग संघर्ष और शोषण का मूल कारण है, जिसके बारे में मार्क्स ने विस्तार से लिखा है, विशेषकर ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) में।
    • Incorrect Options: जाति और उपजाति (a), धर्म और पंथ (b), और शिक्षा और योग्यता (d) समाज को विभाजित कर सकते हैं, लेकिन मार्क्स के अनुसार पूंजीवाद में यह प्राथमिक विभाजन नहीं है, बल्कि उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व है।

    प्रश्न 13: ‘अभिजात्य वर्ग’ (Elite) के सिद्धांत से कौन सा विचारक प्रमुख रूप से जुड़ा है?

    1. इमाइल दुर्खीम
    2. ऑगस्ट कॉम्टे
    3. गैतानो मोस्का, विल्फ्रेडो पारेतो, और रॉबर्ट मिशेल्स
    4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: गैतानो मोस्का, विल्फ्रेडो पारेतो और रॉबर्ट मिशेल्स को अभिजात्य वर्ग (Elite) के शास्त्रीय सिद्धांत के प्रमुख प्रतिपादक माना जाता है।
    • Context & Elaboration: इन विचारकों ने तर्क दिया कि किसी भी समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, एक छोटा, शासक वर्ग (अभिजात्य वर्ग) हमेशा मौजूद रहेगा जो शक्ति, धन और प्रतिष्ठा को नियंत्रित करता है। मोस्का ने ‘शासक वर्ग’ की बात की, पारेतो ने ‘शेर’ और ‘लोमड़ी’ अभिजात्य वर्ग का उल्लेख किया, और मिशेल्स ने ‘अल्पतंत्र का लौह नियम’ (Iron Law of Oligarchy) प्रस्तुत किया।
    • Incorrect Options: दुर्खीम (a) सामाजिक एकता और कार्यप्रणाली पर केंद्रित थे। कॉम्टे (b) सकारात्मकतावाद के संस्थापक थे। मीड (d) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े थे।

    प्रश्न 14: भारत में, ‘आधुनिक शिक्षा’ का प्रारंभ मुख्य रूप से किसके प्रभाव से हुआ?

    1. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन
    2. धार्मिक सुधार आंदोलन
    3. यूरोपीय व्यापारी कंपनियां
    4. स्वदेशी आंदोलन

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: भारत में आधुनिक शिक्षा प्रणाली की शुरुआत ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान हुई, विशेष रूप से 19वीं शताब्दी में।
    • Context & Elaboration: लॉर्ड मैकाले की मिनट, वुड डिस्पैच (1854) और इसके बाद विश्वविद्यालयों की स्थापना ने पश्चिमी शिक्षा के प्रसार को बढ़ावा दिया, जिसका उद्देश्य क्लर्क और प्रशासक तैयार करना था। इसने भारतीय समाज और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला।
    • Incorrect Options: धार्मिक सुधार आंदोलन (b) ने भी शिक्षा के प्रसार में भूमिका निभाई, लेकिन यह मुख्य रूप से पारंपरिक शिक्षाओं के पुनरुद्धार या सुधार से संबंधित था। यूरोपीय व्यापारी कंपनियाँ (c) मुख्य रूप से व्यापार में संलग्न थीं। स्वदेशी आंदोलन (d) शिक्षा के प्रसार का एक परिणाम और प्रतिक्रिया थी, न कि उसका प्रारंभिक कारण।

    प्रश्न 15: ‘मैरिटल स्ट्रक्चर’ (Marital Structure) की अवधारणा का प्रयोग समाजशास्त्री किस संदर्भ में करते हैं?

    1. विवाह के विभिन्न प्रकार और उनके सामाजिक परिणाम
    2. पतियों और पत्नियों के बीच शक्ति का संतुलन
    3. पारिवारिक संपत्ति का विभाजन
    4. विवाह से संबंधित सामाजिक नीतियाँ

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: ‘मैरिटल स्ट्रक्चर’ या विवाह की संरचना का तात्पर्य समाज में विवाह के विभिन्न स्वीकार्य रूपों, जैसे एकविवाह (monogamy), बहुविवाह (polygamy – बहुपत्नीत्व/बहुपतित्व), अंतर्विवाह (endogamy), बहिर्विवाह (exogamy) आदि के पैटर्न और उनके सामाजिक परिणामों से है।
    • Context & Elaboration: यह सामाजिक संस्था के रूप में परिवार का अध्ययन करने का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो विभिन्न संस्कृतियों में भिन्न हो सकता है और पारिवारिक जीवन, रिश्तेदारी, वंशानुक्रम और सामाजिक संगठन को प्रभावित करता है।
    • Incorrect Options: पतियों और पत्नियों के बीच शक्ति का संतुलन (b) विवाह की संरचना का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह पूरी अवधारणा को परिभाषित नहीं करता। संपत्ति का विभाजन (c) और सामाजिक नीतियाँ (d) भी संबंधित हो सकते हैं, पर मूल अवधारणा विवाह के प्रकारों पर केंद्रित है।

    प्रश्न 16: ‘सांस्कृतिक भिन्नता’ (Cultural Relativism) के सिद्धांत के अनुसार, किसी संस्कृति का मूल्यांकन कैसे किया जाना चाहिए?

    1. सार्वभौमिक नैतिक मानकों के आधार पर
    2. संस्कृति के अपने आंतरिक मानकों और संदर्भ के आधार पर
    3. तकनीकी उन्नति के स्तर के आधार पर
    4. Więczości (बहुमत) के दृष्टिकोण के आधार पर

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: सांस्कृतिक सापेक्षवाद (Cultural Relativism) का सिद्धांत यह मानता है कि किसी संस्कृति के विश्वासों, मूल्यों और प्रथाओं को उसी संस्कृति के संदर्भ में समझा और आंका जाना चाहिए, न कि किसी अन्य संस्कृति के मानकों से।
    • Context & Elaboration: इसका अर्थ यह है कि कोई भी संस्कृति अपने आप में ‘श्रेष्ठ’ या ‘हीन’ नहीं होती; वे सभी अपने-अपने सामाजिक, ऐतिहासिक और पर्यावरणीय संदर्भ में सुसंगत होती हैं। यह मानवविज्ञान (anthropology) और समाजशास्त्र में एक महत्वपूर्ण पद्धतिगत दृष्टिकोण है।
    • Incorrect Options: सार्वभौमिक नैतिक मानकों (a) या तकनीकी उन्नति (c) के आधार पर मूल्यांकन करना ‘सांस्कृतिक सार्वभौमिकवाद’ (cultural universalism) या ‘जातिवाद’ (ethnocentrism) की ओर ले जा सकता है। बहुमत का दृष्टिकोण (d) भी सांस्कृतिक सापेक्षवाद के सिद्धांत के विपरीत है।

    प्रश्न 17: रॉबर्ट के. मर्टन द्वारा विकसित ‘विकृत कार्य’ (Dysfunction) की अवधारणा का क्या अर्थ है?

    1. सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने वाले कार्य
    2. सामाजिक व्यवस्था के लिए हानिकारक या बाधा उत्पन्न करने वाले सामाजिक पैटर्न
    3. समाज के विभिन्न भागों के बीच संतुलन
    4. सामाजिक नियमों का पालन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यवाद (functionalism) को परिष्कृत करते हुए ‘विकृत कार्य’ (Dysfunction) की अवधारणा प्रस्तुत की। यह उन सामाजिक पैटर्न या संस्थाओं को संदर्भित करता है जो समाज के लिए हानिकारक हैं या उसके एकीकरण और स्थिरता को बाधित करते हैं।
    • Context & Elaboration: मर्टन ने ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Function) और ‘अव्यक्त कार्य’ (Latent Function) के बीच भी अंतर किया। जहाँ कार्य (function) समाज के लिए लाभकारी होते हैं, वहीं विकृत कार्य (dysfunction) समाज के लिए हानिकारक होते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ प्रकार की गरीबी विरोधी नीतियाँ अनजाने में गरीबी को बनाए रख सकती हैं।
    • Incorrect Options: सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने वाले कार्य (a) ‘सकारात्मक कार्य’ (Positive Function) कहलाते हैं। समाज के भागों के बीच संतुलन (c) प्रकार्यवाद का लक्ष्य है, विकृत कार्य नहीं। नियमों का पालन (d) सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा है, विकृत कार्य नहीं।

    प्रश्न 18: ‘संस्थागत अलगाव’ (Institutional Alienation) की अवधारणा, जो औद्योगिक समाज में श्रमिकों द्वारा अनुभव की जाती है, किस विचारक से सबसे अधिक जुड़ी है?

    1. एमील दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. कार्ल मार्क्स
    4. सिग्मंड फ्रायड

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: कार्ल मार्क्स ने औद्योगिक पूंजीवाद के तहत श्रमिकों के ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की।
    • Context & Elaboration: मार्क्स के अनुसार, श्रमिकों को उत्पादन की प्रक्रिया, उत्पाद, अन्य श्रमिकों और अंततः स्वयं से अलगाव का अनुभव होता है। यह अलगाव उत्पादन के साधनों पर श्रमिक के नियंत्रण की कमी और उत्पादन की मानकीकृत, दोहराव वाली प्रकृति के कारण उत्पन्न होता है। वे इसे ‘अ economico-philosophical manuscripts of 1844’ जैसे अपने प्रारंभिक कार्यों में विस्तृत करते हैं।
    • Incorrect Options: दुर्खीम (a) ने ‘एनालॉमी’ पर ध्यान केंद्रित किया। वेबर (b) ने ‘पोटेंशियल’ (Verstehen) और ‘आदर्श प्रारूप’ पर काम किया। फ्रायड (d) मनोविश्लेषण के जनक थे और उनका अलगाव का विचार सामाजिक संरचनाओं से कम, व्यक्तिगत मनोविज्ञान से अधिक संबंधित था।

    प्रश्न 19: भारतीय समाजशास्त्रीय परंपरा में, ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) की बहस को किस विद्वान ने महत्वपूर्ण रूप से संबोधित किया है?

    1. जी.एस. घुरिये
    2. एम.एन. श्रीनिवास
    3. टी.के. उमन
    4. योगेंद्र सिंह

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: टी.के. उमन (T.K. Oommen) एक प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री हैं जिन्होंने भारत में धर्मनिरपेक्षता, सांप्रदायिकता और राष्ट्रीय पहचान के बीच जटिल संबंधों पर विस्तार से लिखा है।
    • Context & Elaboration: उन्होंने धर्मनिरपेक्षता के विभिन्न प्रतिमानों (जैसे राज्य-आधारित, नागरिक-आधारित, व्यक्तिगत-आधारित) का विश्लेषण किया और बताया कि भारतीय संदर्भ में यह कैसे काम करता है। उनकी कृतियाँ भारतीय समाज में धर्म और राजनीति के अंतर्संबंधों को समझने में मदद करती हैं।
    • Incorrect Options: जी.एस. घुरिये (a) जाति, आदिवासी पहचान और पश्चिमीकरण पर केंद्रित थे। एम.एन. श्रीनिवास (b) संस्कृतिकरण और ब्राह्मणीकरण के लिए जाने जाते हैं। योगेंद्र सिंह (d) भारतीय समाज में सामाजिक परिवर्तन और आधुनिकीकरण के संरचनात्मक-परिवर्तनशील दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

    प्रश्न 20: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?

    1. समाज के सदस्यों के बीच सहयोग
    2. समाज का विभिन्न समूहों में विभाजन
    3. किसी व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाना
    4. सामाजिक व्यवस्था में स्थिरता

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य समाज में व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन से है। यह परिवर्तन ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे की ओर) या क्षैतिज (एक ही स्तर पर) हो सकता है।
    • Context & Elaboration: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता में वर्ग, आय या प्रतिष्ठा में परिवर्तन शामिल है। क्षैतिज गतिशीलता में एक ही सामाजिक स्थिति के भीतर स्थान बदलना शामिल है, जैसे कि एक कंपनी से दूसरी कंपनी में नौकरी बदलना। यह समाज में अवसर और असमानता को समझने का एक महत्वपूर्ण मापक है।
    • Incorrect Options: सहयोग (a) सामाजिक अंतःक्रिया का एक रूप है। समूहों में विभाजन (b) स्तरीकरण से संबंधित है। स्थिरता (d) गतिशीलता के विपरीत है।

    प्रश्न 21: ‘जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत’ (Demographic Transition Theory) के अनुसार, जनसंख्या वृद्धि के चरण क्या हैं?

    1. उच्च जन्म दर, उच्च मृत्यु दर -> घटती जन्म दर, उच्च मृत्यु दर -> निम्न जन्म दर, निम्न मृत्यु दर
    2. उच्च जन्म दर, निम्न मृत्यु दर -> उच्च जन्म दर, उच्च मृत्यु दर -> निम्न जन्म दर, निम्न मृत्यु दर
    3. घटती जन्म दर, घटती मृत्यु दर -> उच्च जन्म दर, उच्च मृत्यु दर -> निम्न जन्म दर, उच्च मृत्यु दर
    4. निम्न जन्म दर, उच्च मृत्यु दर -> उच्च जन्म दर, निम्न मृत्यु दर -> निम्न जन्म दर, निम्न मृत्यु दर

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत बताता है कि जैसे-जैसे समाज औद्योगीकरण और विकास के चरणों से गुजरता है, उसकी जनसंख्या वृद्धि दर में एक विशिष्ट पैटर्न देखने को मिलता है: पहले उच्च जन्म और मृत्यु दर, फिर मृत्यु दर में गिरावट के साथ जनसंख्या विस्फोट, और अंततः निम्न जन्म और मृत्यु दर, जिससे जनसंख्या वृद्धि स्थिर या ऋणात्मक हो जाती है।
    • Context & Elaboration: सिद्धांत के तीन मुख्य चरण हैं: पहला चरण (उच्च जन्म, उच्च मृत्यु), दूसरा चरण (उच्च जन्म, घटती मृत्यु), और तीसरा चरण (निम्न जन्म, निम्न मृत्यु)।
    • Incorrect Options: दिए गए अन्य विकल्प इस क्रमिक परिवर्तन को सही ढंग से नहीं दर्शाते हैं।

    प्रश्न 22: भारतीय समाज में, ‘विधवा पुनर्विवाह’ को कानूनी मान्यता देने में किस समाज सुधारक का प्रमुख योगदान रहा?

    1. राजा राम मोहन राय
    2. ईश्वर चंद्र विद्यासागर
    3. स्वामी विवेकानंद
    4. ज्योतिबा फुले

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: ईश्वर चंद्र विद्यासागर भारत में विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा देने और इसके लिए कानूनी मान्यता प्राप्त कराने के सबसे प्रमुख समर्थकों में से थे।
    • Context & Elaboration: उन्होंने विधवाओं की दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए अथक प्रयास किया और 1856 में ‘विधवा पुनर्विवाह अधिनियम’ (Hindu Widows’ Remarriage Act, 1856) पारित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने शास्त्रीय ग्रंथों का हवाला देकर पुनर्विवाह को धार्मिक रूप से भी न्यायोचित ठहराया।
    • Incorrect Options: राजा राम मोहन राय (a) सती प्रथा के उन्मूलन के लिए जाने जाते हैं। स्वामी विवेकानंद (c) आध्यात्मिक और सामाजिक सुधार के प्रवर्तक थे। ज्योतिबा फुले (d) दलितों और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्षरत थे।

    प्रश्न 23: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का संबंध किससे है?

    1. वित्तीय परिसंपत्तियाँ और बचत
    2. ज्ञान और शिक्षा का स्तर
    3. नेटवर्क, विश्वास और आपसी सहयोग से उत्पन्न होने वाले लाभ
    4. शारीरिक स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: सामाजिक पूंजी का तात्पर्य उन सामाजिक नेटवर्क (परिचितों, मित्रों, सहयोगियों का जाल) और उनके साथ जुड़े विश्वास, साझा मूल्यों और आपसी सहयोग से प्राप्त होने वाले लाभों से है।
    • Context & Elaboration: यह अवधारणा पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) और जेम्स कोलमैन (James Coleman) जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा विकसित की गई है। सामाजिक पूंजी लोगों को सूचना प्राप्त करने, समर्थन जुटाने और सामूहिक कार्रवाई करने में मदद करती है।
    • Incorrect Options: वित्तीय परिसंपत्तियाँ (a) भौतिक पूंजी या वित्तीय पूंजी कहलाती हैं। ज्ञान और शिक्षा (b) मानवीय पूंजी (human capital) से संबंधित हैं। शारीरिक स्वास्थ्य (d) भी मानवीय पूंजी का हिस्सा है।

    प्रश्न 24: ‘सांस्कृतिक विप्रयान’ (Culture Shock) का अनुभव कब होता है?

    1. जब व्यक्ति अपने स्वयं के सामाजिक मानदंडों का पालन करता है
    2. जब व्यक्ति किसी नई और अपरिचित संस्कृति में प्रवेश करता है
    3. जब व्यक्ति अपनी मूल संस्कृति में लौटता है
    4. जब व्यक्ति अकेले रहता है

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: सांस्कृतिक विप्रयान (Culture Shock) वह अनुभव है जो किसी व्यक्ति को तब होता है जब वह किसी ऐसी नई संस्कृति में जाता है जो उसकी अपनी संस्कृति से बहुत भिन्न होती है।
    • Context & Elaboration: इसमें दैनिक जीवन, संचार शैलियों, सामाजिक अपेक्षाओं और मूल्यों में अंतर के कारण भटकाव, चिंता, या निराशा की भावनाएँ शामिल हो सकती हैं। यह एक सामान्य प्रतिक्रिया है जब लोग अपरिचित सांस्कृतिक वातावरण में समायोजित होने का प्रयास करते हैं।
    • Incorrect Options: स्वयं के मानदंडों का पालन करना (a), मूल संस्कृति में लौटना (c) (जो कभी-कभी ‘वापसी का सदमा’ – reverse culture shock – कहलाता है, लेकिन हमेशा नहीं) या अकेले रहना (d) सांस्कृतिक विप्रयान के मुख्य कारण नहीं हैं।

    प्रश्न 25: मैक्स वेबर के ‘प्रकार्यात्मक प्राधिकार’ (Traditional Authority) की व्याख्या किस रूप में की जाती है?

    1. बुद्धि और तर्क पर आधारित
    2. ईश्वरीय अधिकार या आदतों और परंपराओं पर आधारित
    3. कानूनी नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित
    4. व्यक्तिगत करिश्मे पर आधारित

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • Correctness: मैक्स वेबर ने सत्ता (authority) के तीन आदर्श प्रकार बताए: कानूनी-तर्कसंगत, करिश्माई और पारम्परिक। पारम्परिक प्राधिकार (Traditional Authority) वह है जो ‘सदियों से चले आ रहे विश्वासों’ और ‘आदतों’ पर आधारित होता है।
    • Context & Elaboration: यह वह शक्ति है जो ‘पवित्र’ मानी जाने वाली परम्पराओं और उस परम्परा द्वारा स्थापित किए गए व्यक्ति या पदों पर आधारित होती है। जैसे कि राजशाही, वंशानुगत पद, या मुखियाओं का शासन। यह ‘हमेशा से ऐसा ही चला आ रहा है’ के सिद्धांत पर टिका होता है।
    • Incorrect Options: बुद्धि और तर्क (a) ‘तर्कसंगत-कानूनी प्राधिकार’ (Rational-Legal Authority) का आधार है। व्यक्तिगत करिश्मे (d) ‘करिश्माई प्राधिकार’ (Charismatic Authority) का आधार है। ये वेबर द्वारा बताए गए अन्य दो प्रकार हैं।

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