संविधान मंथन: रोज़ाना 25 प्रश्नोत्तरी
नमस्कार, संविधान के जिज्ञासु! भारतीय लोकतंत्र की नींव को समझना हर प्रतियोगी परीक्षा के लिए अनिवार्य है। आज हम अपने संवैधानिक ढांचे की गहराई में उतरेंगे और 25 चुनिंदा प्रश्नों के माध्यम से आपकी वैचारिक स्पष्टता और ज्ञान की धार को परखेंगे। कमर कस लीजिए, यह आपकी पॉलिटी की तैयारी का एक महत्वपूर्ण दिन है!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान के प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवाद’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान किया गया था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है। इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय गणराज्य की प्रकृति को और स्पष्ट करना था, हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने ‘केशवानंद भारती’ मामले (1973) में कहा था कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है और इसमें संशोधन किया जा सकता है, लेकिन मूल ढांचे को नहीं बदला जा सकता।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी प्रावधानों को 10वीं अनुसूची में जोड़ा। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
प्रश्न 2: किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करते हैं?
- अनुच्छेद 315
- अनुच्छेद 316
- अनुच्छेद 318
- अनुच्छेद 320
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 316(1) के अनुसार, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: UPSC भारतीय संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक निकाय है जिसका गठन अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं के लिए नियुक्तियों की प्रक्रिया संचालित करने हेतु किया गया है। इसके सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, और वे 65 वर्ष की आयु तक पद धारण करते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 315 में संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोगों की स्थापना का प्रावधान है। अनुच्छेद 318 आयोग के सदस्यों के प्रति नियुक्ति संबंधी शर्तों के संरक्षण से संबंधित है। अनुच्छेद 320 में आयोग के कार्यों का उल्लेख है।
प्रश्न 3: संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- लोकसभा के अध्यक्ष
- राज्यसभा के सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोक लेखा समिति (PAC) के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा की जाती है। यद्यपि संविधान में इसका विशेष उल्लेख नहीं है, यह एक स्थापित संसदीय प्रथा है।
- संदर्भ और विस्तार: लोक लेखा समिति संसद की सबसे पुरानी समितियों में से एक है, जिसका मुख्य कार्य भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्टों की जाँच करना है। समिति में 22 सदस्य होते हैं, जिनमें से 15 लोकसभा से और 7 राज्यसभा से चुने जाते हैं। परंपरा यह है कि अध्यक्ष लोकसभा का होता है और विपक्ष से होता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की भूमिका PAC के अध्यक्ष की नियुक्ति में प्रत्यक्ष नहीं होती। राज्यसभा के सभापति केवल राज्यसभा के सदस्यों का चयन करते हैं, अध्यक्ष का नहीं।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- भेदभाव का निषेध (अनुच्छेद 15)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, और 30 में उल्लिखित अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं। अनुच्छेद 15 विशेष रूप से धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव का निषेध करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को प्राप्त हैं। इसी तरह, अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भी सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21 और 25 सभी व्यक्तियों के लिए हैं, केवल नागरिकों के लिए नहीं।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद राष्ट्रपति को किसी विधेयक को उसकी स्वीकृति के लिए भेजने से पूर्व पुनर्विचार के लिए लौटाने की शक्ति देता है?
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 108
- अनुच्छेद 109
- अनुच्छेद 112
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 111 के अनुसार, राष्ट्रपति किसी विधेयक (जो संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया हो) को, यदि वह धन विधेयक नहीं है, तो उस पर अपनी स्वीकृति देने के लिए या अपनी स्वीकृति रोक लेने के लिए सशक्त है। वह इस तरह से विधेयक को सदन के पुनर्विचार के लिए वापस भी भेज सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह राष्ट्रपति की ‘निलंबनकारी वीटो’ शक्ति का उदाहरण है। यदि विधेयक फिर से पारित होकर राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है, तो उन्हें उस पर अपनी सहमति देनी होती है। यह शक्ति राष्ट्रपति को यह सुनिश्चित करने का अवसर देती है कि विधेयक में कोई त्रुटि या असंगति न हो।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 108 संयुक्त बैठक से संबंधित है। अनुच्छेद 109 धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रिया का उल्लेख करता है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है।
प्रश्न 6: ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करना
- कानून के शासन को स्थापित करना
- एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना
- संसदीय सर्वोच्चता को बढ़ावा देना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व, जो संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं, का मुख्य उद्देश्य भारत में एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
- संदर्भ और विस्तार: ये तत्व सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देते हैं। ये सरकार के लिए मार्गदर्शन सिद्धांत हैं, जिनका पालन करते हुए कानून और नीतियाँ बनाई जानी चाहिए। यद्यपि ये न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37), राष्ट्र के शासन में ये मौलिक हैं।
- गलत विकल्प: मौलिक अधिकारों का उद्देश्य राजनीतिक लोकतंत्र स्थापित करना है। कानून का शासन एक व्यापक सिद्धांत है। संसदीय सर्वोच्चता का संबंध संसद की शक्तियों से है, न कि DPSP के प्रत्यक्ष उद्देश्य से।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रस्तावना संविधान का एक मूल ढाँचा है और इसे संशोधित नहीं किया जा सकता?
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ
- ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की 13-न्यायाधीशों की पीठ ने यह ऐतिहासिक निर्णय दिया कि प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है और यह ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure) का हिस्सा है।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय के अनुसार, संसद प्रस्तावना सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है, लेकिन उस संशोधन से संविधान के मूल ढांचे को नष्ट या विकृत नहीं किया जा सकता। इस सिद्धांत ने संविधान के विकास और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- गलत विकल्प: गोलकनाथ मामले (1967) में कहा गया था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती, जिसे केशवानंद भारती मामले में बदल दिया गया। मेनका गांधी मामले (1978) ने अनुच्छेद 21 के दायरे का विस्तार किया। ए. के. गोपालन मामले (1950) में अनुच्छेद 21 की व्याख्या संकीर्ण थी।
प्रश्न 8: भारत के संविधान के किस भाग में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ सम्मिलित हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, ‘राज्य के नीति निदेशक तत्वों’ (Directive Principles of State Policy – DPSP) से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: ये तत्व आयरिश संविधान से प्रेरित हैं और सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए राज्य को दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं। इन्हें न्यायालयों द्वारा लागू नहीं किया जा सकता, लेकिन राष्ट्र के शासन में ये मूलभूत हैं।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV-A मूल कर्तव्यों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका से संबंधित है।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान के निर्माता ने किस देश के संविधान से ‘गणतंत्र’ (Republic) और ‘प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समता, बंधुता’ के आदर्शों को लिया है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- फ्रांस
- आयरलैंड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के ‘गणतंत्र’ (Republic) और प्रस्तावना में उल्लिखित ‘स्वतंत्रता, समता, बंधुता’ (Liberty, Equality, Fraternity) के आदर्शों को फ्रांस के संविधान से प्रेरित माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: फ्रांस की क्रांति (1789) के ये प्रमुख नारे थे, जिन्हें भारतीय संविधान निर्माताओं ने अपने देश के आदर्शों के रूप में अपनाया। ‘गणतंत्र’ का अर्थ है कि राष्ट्र का प्रमुख निर्वाचित होता है, वंशानुगत नहीं।
- गलत विकल्प: अमेरिका से ‘मौलिक अधिकार’ और ‘न्यायिक पुनरावलोकन’ लिए गए हैं। ब्रिटेन से ‘संसदीय शासन प्रणाली’ और ‘विधि का शासन’ लिए गए हैं। आयरलैंड से ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ और राष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्धति ली गई है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी व्यक्ति को उस पद पर बने रहने से रोकती है जिसके लिए वह विधिपूर्ण रूप से योग्य नहीं है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- अधिकार-पृच्छा (Quo Warranto)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘अधिकार-पृच्छा’ (Quo Warranto) रिट का अर्थ है ‘किस अधिकार से’। यह उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति के खिलाफ जारी की जाती है जो किसी सार्वजनिक पद को गैर-कानूनी रूप से धारण कर रहा हो। यह उस व्यक्ति से उस पद पर बने रहने का अधिकार पूछती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों के खिलाफ जारी की जा सकती है, यदि वे किसी सार्वजनिक पद पर अवैध रूप से काबिज हैं। इसका उद्देश्य सार्वजनिक पदों के दुरुपयोग को रोकना है।
- गलत विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ अवैध निरोध से मुक्ति के लिए है। ‘परमादेश’ किसी लोक प्राधिकारी को उसके कर्तव्य का पालन करने का आदेश है। ‘प्रतिषेध’ किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए है।
प्रश्न 11: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में ‘संघ सूची’, ‘राज्य सूची’ और ‘समवर्ती सूची’ का उल्लेख है। इनमें से कौन सा विषय ‘समवर्ती सूची’ में शामिल है?
- रेलवे
- जन स्वास्थ्य
- जनगणना
- स्टॉक एक्सचेंज
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सातवीं अनुसूची के तहत, ‘जन स्वास्थ्य’ (Public Health), स्वच्छता, अस्पताल और औषधालय समवर्ती सूची (Concurrent List) की प्रविष्टि 6 में शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: समवर्ती सूची के विषयों पर संसद और राज्य विधानमंडल दोनों कानून बना सकते हैं। यदि किसी विषय पर संसद और राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानूनों में टकराव होता है, तो संसद का कानून मान्य होता है (अनुच्छेद 254)।
- गलत विकल्प: ‘रेलवे’, ‘जनगणना’ और ‘स्टॉक एक्सचेंज’ संघ सूची (Union List) के विषय हैं।
प्रश्न 12: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष के पद पर कौन नियुक्त हो सकता है?
- कोई भी सेवानिवृत्त न्यायाधीश
- उच्चतम न्यायालय का कोई सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश
- उच्चतम न्यायालय का कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अनुसार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष के पद पर केवल भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) की नियुक्ति की जा सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: NHRC एक वैधानिक निकाय है, जो मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के तहत स्थापित किया गया है। आयोग का अध्यक्ष और सदस्य राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर नियुक्त किए जाते हैं।
- गलत विकल्प: सेवानिवृत्त न्यायाधीशों (चाहे वे उच्चतम न्यायालय के हों या उच्च न्यायालय के, यदि वे मुख्य न्यायाधीश नहीं रहे) को अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया जा सकता। ‘उपरोक्त सभी’ भी गलत है क्योंकि केवल सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश ही पात्र हैं।
प्रश्न 13: भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की उद्घोषणा किसके द्वारा की जा सकती है?
- भारत के राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति
- संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित प्रस्ताव
- भारत के उपराष्ट्रपति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत, भारत के राष्ट्रपति किसी भी समय राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं, यदि वे इस बात से संतुष्ट हों कि युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण भारत या उसके किसी भाग की सुरक्षा को गंभीर खतरा है।
- संदर्भ और विस्तार: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 के बाद, यह प्रावधान किया गया कि यह घोषणा केवल मंत्रिमंडल (Prime Minister सहित) के लिखित अनुमोदन के बाद ही की जा सकती है। हालाँकि, घोषणा करने की अंतिम शक्ति राष्ट्रपति के पास है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति घोषणा करते हैं, लेकिन घोषणाकर्ता राष्ट्रपति ही हैं। संसद के प्रस्ताव की आवश्यकता आपातकाल की निरंतरता के लिए होती है, न कि प्रारंभिक घोषणा के लिए। उपराष्ट्रपति के पास यह शक्ति नहीं है।
प्रश्न 14: भारत में पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य क्या है?
- जिला स्तर पर प्रशासनिक दक्षता बढ़ाना
- स्थानीय स्वशासन की स्थापना कर ग्राम स्तर पर लोकतंत्र को विकेंद्रीकृत करना
- राज्यों की स्वायत्तता बढ़ाना
- ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि सुधारों को लागू करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में पंचायती राज व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्वशासन की स्थापना करना और लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को ग्राम स्तर तक ले जाना है। यह अनुच्छेद 40 (राज्य के नीति निदेशक तत्वों में) में भी परिलक्षित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: 73वें और 74वें संविधान संशोधन अधिनियमों (1992) ने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) और शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जिससे उन्हें अधिक शक्तियाँ और स्वायत्तता मिली। इसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर लोगों की भागीदारी बढ़ाना और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप विकास सुनिश्चित करना है।
- गलत विकल्प: जबकि यह प्रशासनिक दक्षता बढ़ा सकता है, यह इसका प्राथमिक या मूल उद्देश्य नहीं है। राज्यों की स्वायत्तता बढ़ाना इसका प्रत्यक्ष लक्ष्य नहीं है, बल्कि स्थानीय स्वशासन को मजबूत करना है। भूमि सुधार इसका एक संभावित परिणाम हो सकता है, लेकिन मूल उद्देश्य नहीं।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) के बारे में सही नहीं है?
- संसद के प्रत्येक सदन के अपने विशेषाधिकार होते हैं।
- संसद सदस्यों को भाषण की स्वतंत्रता प्राप्त है।
- किसी भी सदन में चर्चा की गई किसी भी कार्यवाही को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- संसद के सत्र के दौरान गिरफ्तार व्यक्ति को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संसदीय विशेषाधिकारों में से एक है कि संसद के सत्र के दौरान, कुछ अपवादों को छोड़कर, सदस्यों को गिरफ्तारी से छूट प्राप्त है (अनुच्छेद 105)। हालाँकि, ‘तत्काल रिहा किया जाना चाहिए’ कथन थोड़ा अतिरंजित है क्योंकि कुछ गंभीर अपराधों के मामले में गिरफ्तारी हो सकती है, लेकिन सदन को सूचित करना आवश्यक होता है। सही अर्थ में, सत्र के दौरान गिरफ्तारी से सुरक्षा है, न कि सदैव तत्काल रिहाई का पूर्ण अधिकार।
- संदर्भ और विस्तार: संसदीय विशेषाधिकार सांसदों को बिना किसी बाधा के कार्य करने में सक्षम बनाते हैं। अनुच्छेद 105 (संसद के सदनों, समितियों और सदस्यों के विशेषाधिकार) इसका आधार है। भाषण की स्वतंत्रता (a) और (b) इसके महत्वपूर्ण पहलू हैं। (c) भी सही है क्योंकि न्यायालय आमतौर पर संसदीय कार्यवाही की जाँच नहीं करते।
- गलत विकल्प: (d) पूरी तरह से सही नहीं है। विशेषाधिकार गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन सभी परिस्थितियों में तत्काल रिहाई की गारंटी नहीं देता, विशेषकर यदि अपराध गंभीर हो या गैर-सत्र काल में गिरफ्तारी हुई हो (जिसे बाद में सदन को सूचित करना होता है)। अन्य विकल्प संसदीय विशेषाधिकारों के सही पहलू हैं।
प्रश्न 16: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- CAG अपने पद से भारत के राष्ट्रपति को संबोधित त्याग पत्र द्वारा इस्तीफा दे सकता है।
- CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति अनुच्छेद 148(1) के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वे अपना त्याग पत्र राष्ट्रपति को संबोधित कर सकते हैं (अनुच्छेद 148(1))। उनका कार्यकाल अनुच्छेद 148(1) के अनुसार 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) होता है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है और भारत की संचित निधि, सार्वजनिक खातों और आकस्मिकताओं निधि से किए गए सभी खर्चों का लेखा-परीक्षण करता है। CAG की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए, उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान पद और सेवा की शर्तें प्रदान की गई हैं।
- गलत विकल्प: सभी कथन CAG की नियुक्ति, त्याग पत्र और कार्यकाल से संबंधित अनुच्छेद 148 के प्रावधानों के अनुरूप सत्य हैं।
प्रश्न 17: संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का उल्लेख किस रूप में किया गया है?
- केवल सामाजिक और आर्थिक
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
- केवल राजनीतिक और धार्मिक
- सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के रूप में सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रस्तावना के प्रारंभिक भाग में ही स्पष्ट रूप से लिखा है। सामाजिक न्याय का अर्थ है किसी भी प्रकार के जाति, धर्म, लिंग आदि पर आधारित भेदभाव का अभाव। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और आय का समान वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार, जैसे मतदान और सार्वजनिक पदों पर पहुँच।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना में धार्मिक न्याय का विशेष उल्लेख नहीं है, हालांकि धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत शामिल है। केवल सामाजिक और आर्थिक या केवल राजनीतिक का उल्लेख अधूरा है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय संविधान के ‘मौलिक कर्तव्यों’ (Fundamental Duties) से संबंधित है?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग V
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV-A, अनुच्छेद 51-A में मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख है।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था, जो सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर आधारित था। ये कर्तव्य नागरिकों के लिए मार्गदर्शन के रूप में हैं, जैसे संविधान का पालन करना, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना, राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का पालन करना आदि। ये न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।
प्रश्न 19: भारतीय संविधान में ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) का अंत किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 17 में ‘अस्पृश्यता’ का अंत कर दिया गया है और इसका किसी भी रूप में आचरण निषिद्ध किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 17 के तहत, अस्पृश्यता से उत्पन्न किसी भी अक्षमता को लागू करना भारतीय कानून के अनुसार दंडनीय होगा। इसे लागू करने के लिए ‘अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955’ (बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955) पारित किया गया था। यह एक मौलिक अधिकार है जो सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों) को प्राप्त है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता, अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध, और अनुच्छेद 16 लोक नियोजन में अवसर की समानता से संबंधित हैं।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India)
- संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक कार्यकारी आदेश (2015) द्वारा स्थापित एक गैर-संवैधानिक, गैर-कानूनी निकाय है। इसका उद्देश्य योजना आयोग का स्थान लेना था।
- संदर्भ और विस्तार: अन्य सभी विकल्प संवैधानिक निकाय हैं: भारत का चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280)। इनका प्रावधान सीधे संविधान में किया गया है।
- गलत विकल्प: चुनाव आयोग (a), UPSC (b), और वित्त आयोग (d) भारतीय संविधान में विशेष अनुच्छेदों के तहत स्थापित निकाय हैं, इसलिए वे संवैधानिक निकाय हैं।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 के अनुसार, संविधान में संशोधन के लिए निम्नलिखित में से कौन सी विधि अपनाई जाती है?
- केवल साधारण बहुमत
- केवल विशिष्ट बहुमत
- विशेष बहुमत और राज्यों के अनुसमर्थन द्वारा
- केवल राष्ट्रपति की सहमति से
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत, संविधान में संशोधन की प्रक्रिया ‘विशेष बहुमत’ (Special Majority) द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: विशेष बहुमत का अर्थ है कि संशोधन प्रस्ताव को सदन के कुल सदस्यों के बहुमत से और उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए। कुछ महत्वपूर्ण संशोधनों के लिए, जैसे कि मौलिक अधिकारों में या राज्यों के अधिकारों से संबंधित, विशेष बहुमत के साथ-साथ आधे से अधिक राज्यों के विधानमंडलों द्वारा अनुसमर्थन की भी आवश्यकता होती है (अनुच्छेद 368(2))। ‘केवल साधारण बहुमत’ (a) और ‘केवल राष्ट्रपति की सहमति’ (d) जैसी विधियाँ सभी संशोधनों के लिए नहीं हैं।
- गलत विकल्प: साधारण बहुमत (a) का प्रयोग केवल कुछ सामान्य विधायी कार्यों के लिए होता है। राज्यों के अनुसमर्थन की आवश्यकता (c) सभी संशोधनों के लिए नहीं होती। राष्ट्रपति की सहमति (d) तो किसी भी संशोधन को अंतिम रूप देने के लिए आवश्यक है, लेकिन यह स्वयं संशोधन की विधि नहीं है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘मौलिक अधिकार’ नहीं है?
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- संपत्ति का अधिकार
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संपत्ति का अधिकार (Right to Property) मूल रूप से अनुच्छेद 31 के तहत एक मौलिक अधिकार था, लेकिन 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा इसे मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया। अब यह केवल अनुच्छेद 300-A के तहत एक कानूनी अधिकार (Legal Right) है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14-32 तक मौलिक अधिकार दिए गए हैं। अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता का अधिकार) और अनुच्छेद 23-24 (शोषण के विरुद्ध अधिकार) आज भी मौलिक अधिकार हैं। संपत्ति के अधिकार को हटाने का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करना था।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) आज भी भारतीय संविधान के तहत मौलिक अधिकार हैं।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान का कौन सा भाग पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है?
- भाग IX
- भाग IX-A
- भाग VIII
- भाग X
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX-A, जिसे 74वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था, ‘नगर पालिकाओं’ (Municipalities) से संबंधित है, जो शहरी स्थानीय निकायों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा संविधान में भाग IX जोड़ा गया था, जो पंचायती राज संस्थाओं (Panchayats) से संबंधित है। भाग IX-A शहरी स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं, नगर परिषदों आदि को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: भाग IX पंचायती राज से संबंधित है। भाग VIII केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित है। भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन भारत में ‘लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण’ (Democratic Decentralization) का पहला सफल प्रयोग माना जाता है?
- पंचायती राज व्यवस्था (राजस्थान)
- सामुदायिक विकास कार्यक्रम
- राष्ट्रीय विस्तार सेवा
- ग्राम सभा
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का पहला सफल प्रयोग 2 अक्टूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में पंचायती राज व्यवस्था की शुरुआत को माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों के आधार पर, पंचायती राज को ‘लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण’ के रूप में प्रस्तुत किया गया था, जिसका उद्देश्य सत्ता को जमीनी स्तर तक ले जाना था। इसके बाद अन्य राज्यों ने भी इस व्यवस्था को अपनाया।
- गलत विकल्प: सामुदायिक विकास कार्यक्रम (CDP) और राष्ट्रीय विस्तार सेवा (NES) पंचायती राज से पहले के प्रयास थे, लेकिन उन्हें पूर्णतः सफल नहीं माना गया और इनमे विकेंद्रीकरण की कमी थी। ग्राम सभा पंचायती राज का एक अंग है, न कि स्वयं संपूर्ण व्यवस्था।
प्रश्न 25: भारत के राष्ट्रपति के पद की रिक्ति के लिए चुनाव कितने दिनों के भीतर होना अनिवार्य है?
- 6 महीने
- 9 महीने
- 12 महीने
- तत्काल
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान राष्ट्रपति के पद की रिक्ति को भरने के लिए कोई निश्चित समय-सीमा निर्धारित नहीं करता है, लेकिन यह स्पष्ट करता है कि रिक्ति को यथासंभव शीघ्रता से भरा जाना चाहिए। हालांकि, सामान्य प्रथा और सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्याओं के अनुसार, यह 6 महीने के भीतर होना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 62(2) कहता है कि राष्ट्रपति के पद की रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, रिक्ति की तारीख के बाद यथासंभव शीघ्र कराया जाएगा। 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 के द्वारा इसे और भी स्पष्ट किया गया था, लेकिन 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 ने इस प्रावधान को फिर से संशोधित किया। व्यावहारिक रूप से, 6 महीने की अवधि एक आम समझ है, हालांकि संविधान में यह शब्दशः उल्लेखित नहीं है।
- गलत विकल्प: 9 महीने (b) और 12 महीने (c) की कोई निश्चित समय-सीमा नहीं है। ‘तत्काल’ (d) भी गलत है क्योंकि संविधान तत्काल की बजाय ‘यथासंभव शीघ्र’ शब्द का प्रयोग करता है, जो 6 महीने की अवधि का संकेत देता है।