ओडिशा की दुखद घटना: एक किशोर की मृत्यु, पुलिस का दावा, पिता की अवसाद की बात – क्या है पूरा सच?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
ओडिशा से सामने आई एक हृदय विदारक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। एक किशोर लड़की की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। पुलिस का शुरुआती बयान यह है कि लड़की ने कथित तौर पर खुद को आग लगा ली थी, लेकिन मृतक के पिता ने इस दावे पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उनकी बेटी अवसाद (Depression) से पीड़ित थी। यह मामला कई जटिलताओं और अनसुलझे सवालों के साथ सामने आया है, जिसने समाज में मानसिक स्वास्थ्य, न्याय प्रणाली और साक्ष्य की विश्वसनीयता पर गंभीर बहस छेड़ दी है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, यह घटना न केवल एक समसामयिक मुद्दा है, बल्कि समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, कानून और सार्वजनिक प्रशासन जैसे विभिन्न जीएस पेपरों से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को भी उजागर करती है।
घटना का विस्तृत विश्लेषण: एक दुखद नियति की पड़ताल
यह घटना ओडिशा के एक छोटे से शहर में घटित हुई, जहाँ एक युवा जीवन का अंत हो गया। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, पुलिस को सूचना मिली कि एक लड़की ने किसी कारणवश खुद को आग लगा ली है। जब तक मदद पहुँचती, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हालांकि, इस घटना के पीछे की सच्चाई को लेकर जल्द ही सवाल उठने लगे, जब लड़की के पिता ने पुलिस के बयान को चुनौती दी। पिता का दावा है कि उनकी बेटी लंबे समय से अवसाद से जूझ रही थी और इस दुखद अंत के लिए मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ा कारक हो सकता है, न कि पुलिस द्वारा कहा गया आत्मदाह।
पुलिस का पक्ष: प्रारंभिक जांच और निष्कर्ष
पुलिस के अनुसार, घटनास्थल पर मिले साक्ष्यों और प्रत्यक्षदर्शियों से मिली शुरुआती जानकारी के आधार पर, यह मामला आत्मदाह (Self-immolation) का प्रतीत होता है। पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक जांच में ऐसे संकेत मिले हैं जिनसे पता चलता है कि लड़की ने स्वेच्छा से आग लगाई थी। इस प्रकार के दावों की पुष्टि के लिए, पुलिस अक्सर निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करती है:
- साक्ष्य: घटनास्थल पर ज्वलनशील पदार्थ की मौजूदगी, शरीर पर जलने के निशान का पैटर्न, और अन्य भौतिक साक्ष्य।
- प्रत्यक्षदर्शी: क्या किसी ने घटना को घटित होते देखा? यदि हाँ, तो उनका बयान क्या है?
- मेडिकल रिपोर्ट: शव परीक्षण (Autopsy) रिपोर्ट, जिसमें जलने की गंभीरता, अंदरूनी चोटें और मृत्यु का समय जैसी जानकारी शामिल होती है।
पुलिस की जांच का उद्देश्य किसी भी प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप या आपराधिक कृत्य के सबूतों को खोजना होता है। जब तक कोई पुख्ता सबूत न मिले, तब तक वे उपलब्ध जानकारी के आधार पर निष्कर्ष निकालते हैं।
पिता का पक्ष: अवसाद की भूमिका और भावनात्मक आघात
दूसरी ओर, लड़की के पिता का बयान इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। पिता का कहना है कि उनकी बेटी अवसाद से पीड़ित थी, जो एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है। अवसाद केवल उदासी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी बीमारी है जो किसी व्यक्ति की सोच, भावनाओं, व्यवहार और दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकती है। अवसाद के लक्षण निम्न हो सकते हैं:
- लगातार उदासी या खालीपन की भावना।
- उन गतिविधियों में रुचि या आनंद का कम होना जो पहले सुखद लगती थीं।
- थकान और ऊर्जा की कमी।
- नींद संबंधी समस्याएं (अत्यधिक नींद आना या कम नींद आना)।
- भूख या वजन में बदलाव।
- आत्म-अपमान या अत्यधिक अपराध बोध।
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, निर्णय लेने में समस्या।
- मृत्यु या आत्महत्या के विचार।
पिता के अनुसार, यह अवसाद ही था जिसने उनकी बेटी को इस दुखद कदम उठाने के लिए प्रेरित किया होगा। यह बिंदु बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मामले को एक “आत्महत्या” (Suicide) की ओर ले जाता है, न कि “आत्मदाह” (Self-immolation) की ओर, जैसा कि पुलिस का प्रारंभिक अनुमान है। हालांकि, दोनों ही स्थितियाँ एक दुखद अंत का प्रतिनिधित्व करती हैं, लेकिन इनके कानूनी और सामाजिक निहितार्थ भिन्न हो सकते हैं।
“मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसी समस्या है जिसे अक्सर समाज में कलंक माना जाता है, जिसके कारण लोग मदद मांगने से हिचकिचाते हैं। इस मामले में, पिता का यह दावा कि उनकी बेटी अवसाद से पीड़ित थी, इस छिपी हुई समस्या पर प्रकाश डालता है।”
UPSC के लिए प्रासंगिकता: विभिन्न जीएस पेपरों से जुड़ाव
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न जीएस पेपरों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है:
जीएस पेपर I: समाज पर प्रभाव (Impact on Society)
- महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दे: किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य, विशेषकर युवा लड़कियों में अवसाद के कारण और प्रभाव।
- सामाजिक सशक्तिकरण: मानसिक स्वास्थ्य को कलंक मानने की सामाजिक प्रवृत्ति और इससे निपटने के तरीके।
- सामाजिक संरचनाएं: परिवार, समाज और उनकी भूमिका युवा पीढ़ी के मानसिक कल्याण को समझने और समर्थन करने में।
जीएस पेपर II: शासन, प्रशासन और सार्वजनिक नीतियां (Governance, Administration and Public Policies)
- स्वास्थ्य: सार्वजनिक स्वास्थ्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का महत्व, भारत में मानसिक स्वास्थ्य अवसंरचना की स्थिति।
- कानून और न्याय: पुलिस जांच प्रक्रिया, न्यायिक प्रणाली की भूमिका, साक्ष्य की स्वीकार्यता, और न्याय सुनिश्चित करने की प्रक्रिया।
- सरकारी योजनाएं: मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की वर्तमान योजनाएं और नीतियां (जैसे राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम – NMHP)।
जीएस पेपर III: विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, पर्यावरण, आपदा प्रबंधन
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी: फोरेंसिक विज्ञान की भूमिका, मृत्यु के कारणों का निर्धारण करने में आधुनिक तकनीकें।
- आर्थिक विकास: मानसिक स्वास्थ्य का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव (कार्यबल की उत्पादकता, स्वास्थ्य देखभाल लागत)।
जीएस पेपर IV: नैतिकता, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि (Ethics, Integrity and Aptitude)
- सार्वजनिक जीवन में नैतिकता: पुलिस और न्यायपालिका द्वारा निष्पक्ष और पारदर्शी जांच सुनिश्चित करना।
- सहानुभूति और करुणा: ऐसे संवेदनशील मामलों में पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति समाज और अधिकारियों का दृष्टिकोण।
- व्यक्तिगत गुण: मामले की जटिलताओं को समझने में तार्किक सोच और भावनात्मक बुद्धिमत्ता का महत्व।
मानसिक स्वास्थ्य: एक गंभीर सामाजिक चुनौती
अवसाद, जैसा कि पिता द्वारा दावा किया गया है, एक दुर्बल करने वाली बीमारी है जो किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है, चाहे उनकी उम्र, लिंग या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो। भारत में, मानसिक स्वास्थ्य को अक्सर अनदेखा किया जाता है या इसे एक व्यक्तिगत कमजोरी के रूप में देखा जाता है। यह चुप्पी और कलंक कई लोगों को मदद मांगने से रोकता है, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो सकती है।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति:
- जागरूकता की कमी: मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में आम जनता में जागरूकता का निम्न स्तर।
- कलंक: मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े सामाजिक कलंक के कारण लोग परामर्श लेने से कतराते हैं।
- संसाधनों की कमी: प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों (मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक) और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों की अपर्याप्त संख्या।
- पहुँच: ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच की कमी।
- सरकारी पहल: मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सरकार कई कार्यक्रम चला रही है, लेकिन उनका कार्यान्वयन और प्रभावशीलता एक चुनौती बनी हुई है।
उदाहरण: भारत में आत्महत्या की दर, विशेष रूप से युवाओं में, एक चिंताजनक प्रवृत्ति रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े अक्सर अवसाद, परीक्षा के तनाव और अन्य मनोवैज्ञानिक कारकों को आत्महत्या के कारणों के रूप में इंगित करते हैं।
जांच और न्याय प्रक्रिया: निष्पक्षता की आवश्यकता
इस मामले में, पुलिस की जांच और पिता का दावा एक दूसरे से विरोधाभासी प्रतीत होते हैं। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जांच निष्पक्ष, गहन और सभी संभावित कोणों से की जाए।
जांच की प्रमुख चुनौतियाँ:
- साक्ष्य का संग्रहण: घटना के तुरंत बाद साक्ष्य का सही तरीके से संग्रहण करना महत्वपूर्ण है, खासकर जब यह आग से संबंधित हो।
- प्रत्यक्षदर्शी का अभाव: यदि घटना के समय कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था, तो पुलिस को अन्य स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है।
- सबूतों की व्याख्या: शरीर पर जलने के निशान या अन्य भौतिक साक्ष्य की सही व्याख्या करना भी महत्वपूर्ण है, जो विभिन्न प्रकार की चोटों को दर्शा सकते हैं।
- मानसिक स्वास्थ्य की भूमिका: आत्म-हानि (Self-harm) और आत्महत्या के मामलों में, यह निर्धारित करना कि क्या यह अवसाद या किसी अन्य मानसिक बीमारी के कारण हुआ, एक जटिल प्रक्रिया है।
न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम:
- स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच: पुलिस को किसी भी पूर्वधारणा के बिना, सभी प्रासंगिक साक्ष्यों और गवाहों के बयानों को ध्यान में रखते हुए, पूरी निष्पक्षता के साथ जांच करनी चाहिए।
- वैज्ञानिक जांच: फोरेंसिक विशेषज्ञों की सहायता लेना, एफएसएल (Forensic Science Laboratory) रिपोर्ट, और विस्तृत शव परीक्षण रिपोर्ट का विश्लेषण महत्वपूर्ण है।
- मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन: यदि पिता का दावा सच है, तो यह जांचना आवश्यक है कि क्या मृतक वास्तव में अवसाद से पीड़ित थी और इसके लिए पेशेवर मूल्यांकन की आवश्यकता हो सकती है।
- न्यायिक निगरानी: मामले की न्यायिक निगरानी यह सुनिश्चित कर सकती है कि जांच सही दिशा में आगे बढ़े और न्याय हो।
- पारदर्शिता: जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखना जनता का विश्वास जीतने के लिए महत्वपूर्ण है।
“न्याय केवल दंडित करना नहीं है, बल्कि यह सत्य को उजागर करना और यह सुनिश्चित करना है कि निर्दोष को सताया न जाए और अपराधी को सजा मिले। इस मामले में, सत्य शायद कहीं बीच में छिपा हो।”
आगे की राह: सबक और सुझाव
ओडिशा की यह दुखद घटना हमें कई महत्वपूर्ण सबक सिखाती है और कुछ उपायों की आवश्यकता पर बल देती है:
समाज के लिए सबक:
- मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें: मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य के बराबर महत्व देना होगा। परिवारों और समुदायों को मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूक होना चाहिए और जरूरतमंदों का समर्थन करना चाहिए।
- जागरूकता बढ़ाना: स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाना महत्वपूर्ण है।
- कलंक को तोड़ना: मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में खुलकर बात करने और मदद मांगने को प्रोत्साहित करना।
सरकार और नीति निर्माताओं के लिए सुझाव:
- मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच और उपलब्धता बढ़ाना।
- प्रशिक्षित पेशेवरों की संख्या बढ़ाना: मनोचिकित्सकों, मनोवैज्ञानिकों और परामर्शदाताओं को प्रशिक्षित करने के लिए अधिक संसाधन आवंटित करना।
- स्कूलों और कार्यस्थलों में परामर्श: स्कूलों और कॉलेजों में अनिवार्य परामर्श सेवाएं प्रदान करना और कार्यस्थलों पर मानसिक स्वास्थ्य सहायता को बढ़ावा देना।
- जांच प्रक्रियाओं में सुधार: आत्महत्या और संदिग्ध मृत्यु के मामलों में, विशेष रूप से संवेदनशील और वैज्ञानिक जांच सुनिश्चित करने के लिए पुलिस प्रशिक्षण में सुधार करना।
- पीड़ितों के परिवारों का समर्थन: ऐसे दुखद मामलों में पीड़ितों के परिवारों को मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक सहायता प्रदान करना।
निष्कर्ष
ओडिशा की यह घटना एक दुखद अनुस्मारक है कि समाज को अभी भी मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। यह मामला न केवल एक मृत्यु का है, बल्कि उन छिपी हुई समस्याओं का भी है जो अक्सर युवा पीढ़ी को प्रभावित करती हैं। जब तक हम मानसिक स्वास्थ्य को स्वीकार नहीं करते, कलंक को नहीं तोड़ते, और आवश्यक सहायता प्रदान नहीं करते, तब तक ऐसी हृदयविदारक घटनाएँ होती रहेंगी। इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच यह सुनिश्चित करेगी कि पीड़ित को न्याय मिले और समाज ऐसे मामलों से निपटने के लिए बेहतर तरीके सीखे। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना समाज की जटिलताओं, शासन की चुनौतियों और नैतिकता के महत्व को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. प्रश्न: भारत में मानसिक स्वास्थ्य के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
(a) मानसिक स्वास्थ्य को आमतौर पर शारीरिक स्वास्थ्य से अधिक महत्व दिया जाता है।
(b) भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों तक सीमित है।
(c) मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा कलंक बहुत कम हो गया है।
(d) आत्महत्या के पीछे हमेशा अवसाद ही एकमात्र कारण होता है।
उत्तर: (b)
व्याख्या: भारत में, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच की समस्या एक प्रमुख चिंता का विषय है, और यह मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों तक सीमित है। ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में संसाधनों और प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी है।
2. प्रश्न: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, भारत में आत्महत्या दर से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा कथन आमतौर पर देखा जाता है?
(a) आत्महत्या की दर पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक है।
(b) परीक्षा का तनाव और पारिवारिक मुद्दे आत्महत्या के प्रमुख कारण हैं।
(c) भारत में आत्महत्या की दर वैश्विक औसत से काफी कम है।
(d) आत्महत्या के सभी मामलों में पुलिस जांच सतही होती है।
उत्तर: (b)
व्याख्या: NCRB के आंकड़े अक्सर परीक्षा का तनाव, पारिवारिक समस्याएं, वित्तीय कठिनाइयां और मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे जैसे कारकों को आत्महत्या के प्रमुख कारणों के रूप में इंगित करते हैं।
3. प्रश्न: भारत सरकार की राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) केवल मानसिक रोगों के इलाज के लिए अस्पताल स्थापित करना।
(b) मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना।
(c) मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच का विस्तार करना और मानसिक रुग्णता को कम करना।
(d) मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक को पूरी तरह से समाप्त करना।
उत्तर: (c)
व्याख्या: NMHP का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच का विस्तार करना, मानसिक रुग्णता को रोकना और उसका उपचार करना, तथा मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है।
4. प्रश्न: किसी व्यक्ति के स्वयं को आग लगाने (Self-immolation) के मामले में, पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच में आमतौर पर निम्नलिखित में से किस पर ध्यान केंद्रित किया जाता है?
1. घटनास्थल पर ज्वलनशील पदार्थ की मौजूदगी।
2. प्रत्यक्षदर्शियों के बयान।
3. मृतक के मानसिक स्वास्थ्य का विस्तृत मूल्यांकन।
4. शरीर पर जलने के निशान का पैटर्न।
सही कूट का चयन करें:
(a) 1, 2 और 3
(b) 1, 2 और 4
(c) 2, 3 और 4
(d) 1, 3 और 4
उत्तर: (b)
व्याख्या: पुलिस की प्रारंभिक जांच में भौतिक साक्ष्य (जैसे ज्वलनशील पदार्थ, जलने का पैटर्न) और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों पर अधिक ध्यान केंद्रित होता है। मृतक के मानसिक स्वास्थ्य का विस्तृत मूल्यांकन आमतौर पर बाद के चरणों या संबंधित विशेषज्ञता का विषय होता है।
5. प्रश्न: ‘कलंक’ (Stigma) शब्द का मानसिक स्वास्थ्य के संदर्भ में क्या अर्थ है?
(a) मानसिक बीमारी को एक गंभीर बीमारी मानना।
(b) मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े नकारात्मक सामाजिक दृष्टिकोण और पूर्वाग्रह।
(c) मानसिक स्वास्थ्य के लिए सरकारी सहायता का अभाव।
(d) मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता का निम्न स्तर।
उत्तर: (b)
व्याख्या: कलंक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े नकारात्मक सामाजिक दृष्टिकोण, उपहास और पूर्वाग्रह को दर्शाता है, जो लोगों को मदद मांगने से रोकता है।
6. प्रश्न: अवसाद (Depression) के निम्नलिखित लक्षणों में से कौन सा गलत है?
(a) लगातार उदासी या खालीपन की भावना।
(b) उन गतिविधियों में रुचि या आनंद का कम होना जो पहले सुखद लगती थीं।
(c) बढ़ा हुआ आत्मविश्वास और ऊर्जा का स्तर।
(d) नींद संबंधी समस्याएं (अत्यधिक या कम नींद)।
उत्तर: (c)
व्याख्या: अवसाद के लक्षणों में आमतौर पर कम आत्मविश्वास, ऊर्जा की कमी और चिड़चिड़ापन शामिल होता है, न कि बढ़ा हुआ आत्मविश्वास और ऊर्जा का स्तर।
7. प्रश्न: “फोरेंसिक विज्ञान” (Forensic Science) का किसी मृत्यु जांच में क्या महत्व है?
(a) केवल मृत्यु का कारण निर्धारित करना।
(b) साक्ष्य का वैज्ञानिक विश्लेषण और व्याख्या प्रदान करना।
(c) गवाहों के बयान रिकॉर्ड करना।
(d) अभियुक्तों से पूछताछ करना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: फोरेंसिक विज्ञान घटनास्थल से प्राप्त साक्ष्यों (जैसे डीएनए, फिंगरप्रिंट, ज्वलनशील पदार्थ) का वैज्ञानिक विश्लेषण करता है ताकि सच्चाई का पता लगाने में मदद मिल सके।
8. प्रश्न: भारत में मानसिक स्वास्थ्य अवसंरचना की मुख्य चुनौतियाँ क्या हैं?
1. प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी।
2. ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं की पहुँच का अभाव।
3. मानसिक स्वास्थ्य को कलंक मानने की प्रवृत्ति।
4. अत्यधिक सरकारी निवेश।
सही कूट का चयन करें:
(a) 1, 2 और 3
(b) 1, 2 और 4
(c) 1, 3 और 4
(d) 2, 3 और 4
उत्तर: (a)
व्याख्या: प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच का अभाव और कलंक, ये सभी भारत में मानसिक स्वास्थ्य अवसंरचना की प्रमुख चुनौतियाँ हैं। सरकारी निवेश पर्याप्त नहीं है, इसलिए (4) गलत है।
9. प्रश्न: किसी भी मृत्यु जांच में “शव परीक्षण” (Autopsy) रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) आरोपी को गिरफ्तार करना।
(b) मृत्यु के कारण, तरीके और समय का निर्धारण करना।
(c) पीड़ित के परिवार को सांत्वना देना।
(d) घटना के समय का सटीक अनुमान लगाना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: शव परीक्षण रिपोर्ट मृत्यु के चिकित्सा कारणों, हत्या, आत्महत्या या दुर्घटना जैसे तरीके, और मृत्यु के अनुमानित समय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।
10. प्रश्न: जीएस पेपर IV (नैतिकता) के संदर्भ में, इस प्रकार की संवेदनशील घटनाओं में सार्वजनिक अधिकारियों (जैसे पुलिस) से किस गुण की अपेक्षा की जाती है?
(a) पक्षपात और पूर्वाग्रह।
(b) तत्परता और सहानुभूति।
(c) गुप्तता और अज्ञानता।
(d) तीव्रता और कठोरता।
उत्तर: (b)
व्याख्या: संवेदनशील मामलों में, सार्वजनिक अधिकारियों से तत्परता, निष्पक्षता, सहानुभूति और सभी पक्षों के प्रति संवेदनशीलता की अपेक्षा की जाती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. प्रश्न: ओडिशा की यह दुखद घटना भारत में किशोरों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बढ़ते बोझ और समाज में इसके प्रति जागरूकता की कमी पर प्रकाश डालती है। एक समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, इस समस्या के मूल कारणों का विश्लेषण करें और इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए सरकार और नागरिक समाज द्वारा किए जाने वाले उपायों का सुझाव दें। (250 शब्द)
2. प्रश्न: किसी संदिग्ध मृत्यु के मामले में, पुलिस जांच की निष्पक्षता और वैज्ञानिक सटीकता सुनिश्चित करना न्यायपालिका की भूमिका का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस संदर्भ में, फोरेंसिक विज्ञान, प्रत्यक्षदर्शी साक्ष्य और चिकित्सा रिपोर्ट जैसे विभिन्न साक्ष्य की भूमिका पर चर्चा करें, और यह बताएं कि कैसे इन तत्वों का उपयोग सत्य को उजागर करने के लिए किया जाता है। (250 शब्द)
3. प्रश्न: भारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर व्याप्त सामाजिक कलंक एक गंभीर बाधा है जो प्रभावी उपचार और रोकथाम में बाधा डालती है। इस कलंक के सामाजिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक कारणों का विश्लेषण करें और सरकार द्वारा की जा रही पहलों की आलोचनात्मक समीक्षा करते हुए, इसे कम करने के लिए अतिरिक्त रणनीतियों का सुझाव दें। (250 शब्द)
4. प्रश्न: “आत्महत्या” और “आत्मदाह” (Suicide vs. Self-immolation) के बीच अंतर को स्पष्ट करें। ऐसे मामलों में, जहां अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां शामिल हो सकती हैं, जांच प्रक्रिया में किन अतिरिक्त संवेदनशीलता और जटिलताओं को ध्यान में रखना चाहिए? (150 शब्द)