11 जिंदगियाँ काल का ग्रास: उत्तर प्रदेश की नहर में डूबी श्रद्धालुओं की बोलेरो, जिम्मेदार कौन?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में हाल ही में एक अत्यंत दुखद सड़क हादसा हुआ, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। एक बोलेरो वाहन, जिसमें श्रद्धालु सवार थे, अनियंत्रित होकर पास से गुजर रही नहर में जा गिरी। इस भयावह दुर्घटना में 11 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि चार अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना न केवल सड़क सुरक्षा की गंभीर खामियों को उजागर करती है, बल्कि आपदा प्रबंधन, ग्रामीण अवसंरचना और सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों की जवाबदेही पर भी महत्वपूर्ण प्रश्नचिह्न लगाती है। UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह घटना समसामयिक मामलों, शासन, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों से गहराई से जुड़ी हुई है।
यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करेगा, जिसमें इसके कारणों, परिणामों और UPSC पाठ्यक्रम के विभिन्न पहलुओं से इसके जुड़ाव पर प्रकाश डाला जाएगा। हम सड़क सुरक्षा की चुनौतियों, ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के उपायों, सरकारी नीतियों की प्रभावशीलता और भविष्य की राह पर भी चर्चा करेंगे।
1. घटना का विवरण: एक अंधकारमय सुबह
बांदा जिले की वह सुबह, जो आस्था और भक्ति के साथ शुरू हुई थी, वह मृत्यु और निराशा की एक भयानक रात में बदल गई। एक बोलेरो, जिसमें लगभग 15-16 श्रद्धालु सवार थे, संभवतः किसी धार्मिक स्थल की ओर जा रही थी। प्रत्यक्षदर्शियों और प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, बोलेरो अचानक चालक के नियंत्रण से बाहर हो गई और एक गहरी नहर में समा गई। नहर की तेज धारा और वाहन के फंस जाने के कारण बचाव कार्य अत्यंत चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। स्थानीय लोगों और आपातकालीन सेवाओं के अथक प्रयासों के बावजूद, 11 कीमती जानें चली गईं। चार घायलों को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।
मुख्य बिंदु:**
- स्थान: बांदा जिला, उत्तर प्रदेश।
- वाहन: श्रद्धालुओं से भरी बोलेरो।
- हादसे का कारण (प्रारंभिक): वाहन का नियंत्रण खोना।
- परिणाम: 11 मौतें, 4 गंभीर रूप से घायल।
- पृष्ठभूमि: संभवतः धार्मिक यात्रा पर जा रहे श्रद्धालु।
2. दुर्घटना के संभावित कारण: अंतर्निहित खामियों की पड़ताल
किसी भी सड़क दुर्घटना के पीछे एक या एक से अधिक कारण जिम्मेदार होते हैं। इस दुखद घटना के पीछे भी कई कारक हो सकते हैं, जिन्हें UPSC के नजरिए से समझना महत्वपूर्ण है:
2.1. वाहन-संबंधित कारक:
- ओवरलोडिंग: अक्सर ऐसे वाहनों में क्षमता से अधिक यात्री सवार होते हैं, जिससे वाहन का संतुलन बिगड़ सकता है और चालक पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
- वाहन की यांत्रिक खराबी: ब्रेक फेल होना, स्टीयरिंग में खराबी या टायर फटना जैसे यांत्रिक मुद्दे गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बन सकते हैं।
- रखरखाव की कमी: नियमित सर्विसिंग और रखरखाव के अभाव में वाहन अप्रत्याशित रूप से खराब हो सकते हैं।
2.2. चालक-संबंधित कारक:
- थकान या नींद: लंबी यात्राओं या अनुचित आराम के कारण चालक को नींद आ सकती है, जिससे नियंत्रण खो सकता है।
- लापरवाह ड्राइविंग: तेज गति, खतरनाक ओवरटेकिंग, और सड़क के नियमों की अवहेलना।
- नशे में ड्राइविंग: शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन।
- अनुभव की कमी: अनुभवहीन चालक खराब परिस्थितियों में वाहन को संभालने में असमर्थ हो सकता है।
2.3. सड़क और पर्यावरणीय कारक:
- खराब सड़क की स्थिति: गड्ढे, टूटी सड़कें, या अचानक मोड़।
- अपर्याप्त सुरक्षा उपाय: नहरों के किनारे मजबूत बैरिके (सुरक्षा अवरोध) का न होना एक बहुत बड़ा कारण है। यदि मजबूत रेलिंग होती, तो वाहन सीधे नहर में नहीं गिरता।
- खराब दृश्यता: धुंध, बारिश, या रात का समय।
- नहरों के पास असुरक्षित निर्माण: नहरों के किनारों का असुरक्षित या अव्यवस्थित होना।
2.4. यात्री-संबंधित कारक:
- ध्यान भंग: यात्रियों द्वारा चालक का ध्यान भंग करना।
- सुरक्षा नियमों की अनदेखी: जैसे सीट बेल्ट न पहनना (हालांकि बोलेरो में अक्सर पीछे की सीटें यात्री क्षमता के अनुसार नहीं होतीं)।
उदाहरण के लिए: सोचिए एक बस जो पहाड़ी सड़क पर चल रही है। अगर ड्राइवर थका हुआ है, बस के ब्रेक ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, और सड़क के किनारे कोई रेलिंग नहीं है, तो एक छोटी सी चूक भी एक बड़े हादसे में बदल सकती है। उसी तरह, बोलेरो के मामले में, नहर के किनारे बैरिकेडिंग की कमी ने इस दुर्घटना को और भी घातक बना दिया।
3. UPSC के विभिन्न पहलुओं से जुड़ाव
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के कई महत्वपूर्ण विषयों के लिए प्रासंगिक है:
3.1. सामान्य अध्ययन पेपर I (GS Paper I): समाज और सामाजिक मुद्दे
- महिला और बाल विकास: यदि मृतकों में महिलाएं या बच्चे शामिल हैं, तो यह मुद्दा प्रासंगिक हो जाता है।
- जनसंख्या की संरचना और विशेषताएँ: समुदाय की संरचना और दुर्घटना का प्रभाव।
3.2. सामान्य अध्ययन पेपर II (GS Paper II): शासन, संविधान, राजनीति और सामाजिक न्याय
- सरकारी योजनाएं और विभिन्न क्षेत्रों में उनका प्रदर्शन: सड़क सुरक्षा, परिवहन, और आपदा प्रबंधन से संबंधित सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता पर सवाल।
- विकास और विदेशी सहायता की भूमिका: ग्रामीण अवसंरचना विकास में सरकारी निवेश।
- स्वास्थ्य, शिक्षा, और मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्रों/सेवाओं के विकास और प्रबंधन के मुद्दे: आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की प्रतिक्रिया।
- लोकतंत्र में भूमिका: नागरिक समाज की भूमिका, जन जागरूकता।
3.3. सामान्य अध्ययन पेपर III (GS Paper III): अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- आधारभूत संरचना: सड़क, ऊर्जा, पोर्ट, हवाई अड्डे, रेलवे आदि; उनके एकीकरण की समस्याएँ। नहरों के किनारे सुरक्षित बैरिकेडिंग की कमी बुनियादी ढांचे की विफलता का एक स्पष्ट उदाहरण है।
- विनाश, राष्ट्रीय सुरक्षा और आधुनिक तकनीकें: आपदा प्रबंधन (NDRF, SDRF की भूमिका), संचार, निगरानी।
- पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण क्षरण और संरक्षण: नहरों में प्रदूषण (यदि वाहन से कुछ रिसाव होता है)।
3.4. सामान्य अध्ययन पेपर IV (GS Paper IV): नैतिकता, सत्यनिष्ठा और अभिवृत्ति
- सार्वजनिक जीवन में नैतिकता: अधिकारियों की जवाबदेही, रिश्वतखोरी (यदि रखरखाव में कमी का कारण बनती है), पारदर्शिता।
- नैतिक दुविधाएँ: बचाव कार्यों के दौरान निर्णय लेना।
- शासन में मूल्य: सार्वजनिक सेवा का महत्व, सहानुभूति, करुणा।
3.5. निबंध (Essay):
यह घटना “सड़क सुरक्षा: एक राष्ट्रीय अनिवार्यता”, “भारत में ग्रामीण अवसंरचना की चुनौतियाँ”, “आपदा प्रबंधन: तैयारियों से पुनर्वास तक”, या “मानवीय भूलों से सबक: एक विश्लेषण” जैसे विषयों पर निबंध लिखने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती है।
4. सड़क सुरक्षा: एक गंभीर राष्ट्रीय चुनौती
भारत में सड़क दुर्घटनाएँ एक भयावह दर से हो रही हैं, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य अक्सर इस सूची में सबसे ऊपर होते हैं। यह घटना निम्नलिखित महत्वपूर्ण मुद्दों को रेखांकित करती है:
- ओवर-रेगुलेशन और अंडर-एनफोर्समेंट: कानून तो हैं, लेकिन उनका कड़ाई से पालन नहीं होता।
- लाइसेंसिंग प्रक्रिया: अयोग्य चालकों को लाइसेंस मिलना।
- वाहनों का निरीक्षण: पुराने और असुरक्षित वाहनों का सड़क पर चलना।
- सार्वजनिक परिवहन की गुणवत्ता: विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, परिवहन के साधनों की गुणवत्ता और सुरक्षा।
- जन जागरूकता का अभाव: सड़क नियमों के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता की कमी।
“भारत में हर साल 150,000 से अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं, जो किसी भी अन्य देश से अधिक है। यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है जिसे तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।” – (एक काल्पनिक उद्धरण जो समस्या की गंभीरता को दर्शाता है)
5. नहरों के किनारे सुरक्षा: एक उपेक्षित पहलू
नहरों, नदियों या जल निकायों के पास सड़कों का निर्माण एक आम बात है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। इन स्थानों पर सुरक्षा बैरिकेडिंग (सुरक्षा दीवारें या रेलिंग) अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। यह घटना स्पष्ट रूप से दिखाती है कि बांदा जिले में नहर के किनारे पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं थे।
आवश्यक उपाय:
- मजबूत और ऊंची बैरिकेडिंग: यह सुनिश्चित करना कि वाहन अनियंत्रित होने पर भी सीधे पानी में न गिरें।
- नियमित निरीक्षण: बैरिकेडिंग की स्थिति का नियमित रखरखाव और मरम्मत।
- चेतावनी संकेत: “सावधान: नहर”, “धीमी गति से चलें” जैसे स्पष्ट चेतावनी संकेत।
- स्ट्रीट लाइटिंग: रात के समय दृश्यता में सुधार के लिए।
यह मुद्दा इंजीनियरिंग, शहरी नियोजन और लोक निर्माण विभागों (PWD) की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है। क्या योजनाओं में सुरक्षा मानकों को पर्याप्त महत्व दिया जाता है?
6. आपदा प्रबंधन की भूमिका
इस प्रकार की दुर्घटनाओं में, त्वरित और प्रभावी आपदा प्रबंधन महत्वपूर्ण होता है। इसमें शामिल हैं:
- तत्काल प्रतिक्रिया: आपातकालीन सेवाओं (पुलिस, फायर ब्रिगेड, चिकित्सा) की समय पर उपलब्धता।
- बचाव अभियान: स्थानीय लोगों, एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) और एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) जैसे प्रशिक्षित दलों का कुशल समन्वय।
- चिकित्सा सहायता: घायलों को तत्काल और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा प्रदान करना।
- बाद की कार्यवाही: मृतकों के शवों को निकालना, उनकी पहचान करना और परिवारों को सौंपना; घायलों का उपचार और पुनर्वास।
- जांच: दुर्घटना के कारणों की निष्पक्ष जांच और दोषियों को दंडित करना।
केस स्टडी: 2013 में उत्तराखंड बाढ़ के दौरान, बचाव अभियान कितना जटिल और चुनौतीपूर्ण था, यह हमने देखा। हालांकि यह घटना उतनी बड़ी नहीं है, लेकिन इसमें भी नदी/नहर की धारा, वाहन का डूबना और स्थानीय परिस्थितियों के कारण बचाव कार्य में चुनौतियां थीं।
7. सरकारी प्रतिक्रिया और भविष्य की राह
ऐसी घटनाओं के बाद, सरकारें मुआवजे की घोषणा करती हैं और जांच के आदेश देती हैं। लेकिन असली चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
7.1. अल्पकालिक उपाय:
- मृतकों के परिवारों को मुआवजा: यह तत्काल राहत प्रदान करता है।
- घायलों का मुफ्त इलाज: सरकारी अस्पतालों में प्राथमिकता के आधार पर।
- हादसे की जांच: तथ्यात्मक कारण जानने के लिए।
7.2. दीर्घकालिक उपाय:
- सड़क सुरक्षा ऑडिट: सभी संवेदनशील सड़कों, विशेष रूप से जल निकायों के पास, का नियमित सुरक्षा ऑडिट।
- कानून प्रवर्तन में सख्ती: यातायात नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई।
- ड्राइवर प्रशिक्षण और प्रमाणन: ड्राइवरों के कौशल और फिटनेस को सुनिश्चित करना।
- वाहन सुरक्षा मानक: वाहनों के निर्माण और रखरखाव के लिए सख्त नियम।
- जन जागरूकता अभियान: सड़क सुरक्षा के महत्व पर निरंतर अभियान।
- बुनियादी ढांचे में सुधार: सुरक्षित सड़कों और पुलों का निर्माण, खासकर ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: जीपीएस-आधारित निगरानी, गति सीमा अलर्ट।
UPSC के लिए महत्व: उम्मीदवारों को यह समझना चाहिए कि नीतियां बनाना एक बात है, और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करना दूसरी। इस घटना से संबंधित नीतियों का विश्लेषण करते समय, कार्यान्वयन की बाधाओं (implementation bottlenecks) पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।
8. नीतिगत विचार और प्रशासनिक जवाबदेही
यह घटना प्रशासन की जवाबदेही पर भी सवाल उठाती है। क्या संबंधित विभागों ने सड़कों के रखरखाव और सुरक्षा में लापरवाही बरती? क्या नियमित निरीक्षण किए गए? यदि नहीं, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
- अंतर-विभागीय समन्वय: लोक निर्माण विभाग (PWD), परिवहन विभाग, पुलिस और स्थानीय प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है।
- डिजिटल इंडिया का लाभ: सड़क की स्थिति, दुर्घटना हॉटस्पॉट और सुरक्षा उपायों की निगरानी के लिए भू-स्थानिक डेटा और प्रौद्योगिकी का उपयोग।
- नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण: स्थानीय समुदायों की चिंताओं को सुनना और उनका समाधान करना।
“जिम्मेदार कौन?” यह प्रश्न केवल किसी एक व्यक्ति या विभाग की ओर इशारा नहीं करता, बल्कि यह एक प्रणालीगत विफलता को इंगित करता है जहाँ सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी गई।
9. निष्कर्ष: सबक और आगे की राह
बांदा की नहर में गिरी बोलेरो का यह हादसा हमें याद दिलाता है कि लापरवाही की कीमत कितनी भारी हो सकती है। 11 जिंदगियाँ, जो अपने प्रियजनों के लिए अनमोल थीं, एक पल में छीन ली गईं। यह घटना केवल एक समाचार लेख बनकर नहीं रहनी चाहिए; यह एक वेक-अप कॉल है।
UPSC के उम्मीदवारों के लिए, यह घटना सिर्फ एक समसामयिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह शासन, सार्वजनिक नीति, नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी के सिद्धांतों को समझने का एक अवसर है। जब हम नीतियों का विश्लेषण करते हैं, तो हमें उनके मानवीय पक्ष को भी देखना चाहिए – वे जीवन जो प्रभावित होते हैं, और वे जिम्मेदारियां जो निभाने में चूक हो जाती है।
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सड़कें केवल चलने के लिए ही नहीं, बल्कि सुरक्षित चलने के लिए हों। बैरिकेडिंग, नियम, और जन जागरूकता – ये सभी एक सुरक्षित यात्रा के अभिन्न अंग हैं।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी सरकारी योजना सड़क सुरक्षा में सुधार से सीधे तौर पर संबंधित है?
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
- राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP)
- ‘सुरक्षित सेतू’ (Surakshit Setu) पहल
- प्रधानमंत्री आवास योजना
उत्तर: (c) ‘सुरक्षित सेतू’ (Surakshit Setu) पहल सड़क सुरक्षा पर केंद्रित है, विशेषकर पुलों और अंडरपास के आसपास। NHDP और PMGSY अवसंरचना निर्माण पर अधिक केंद्रित हैं, हालांकि वे अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा में योगदान करते हैं।
- प्रश्न 2: सड़क दुर्घटनाओं के कारणों में निम्नलिखित में से कौन सा कारक ‘मानवीय कारक’ (Human Factor) के अंतर्गत नहीं आता है?
- चालक की थकान
- वाहनों की ओवरलोडिंग
- खराब बैरिकेडिंग
- नशे में ड्राइविंग
उत्तर: (c) खराब बैरिकेडिंग सड़क की अवसंरचना से संबंधित है, न कि सीधे मानवीय कारक से।
- प्रश्न 3: राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की प्राथमिक भूमिका निम्नलिखित में से किस संदर्भ में सबसे उपयुक्त है?
- आंतरिक सुरक्षा बनाए रखना
- साइबर हमलों से निपटना
- गंभीर आपदाओं के दौरान विशेषीकृत बचाव कार्य
- सीमा प्रबंधन
उत्तर: (c) NDRF विशेषीकृत बचाव कार्यों के लिए स्थापित की गई है।
- प्रश्न 4: भारतीय दंड संहिता (IPC) की कौन सी धारा लापरवाही से वाहन चलाने से संबंधित है, जिससे मानव जीवन को खतरा हो?
- धारा 304A (लापरवाही से मृत्यु)
- धारा 338 (लापरवाही से चोट पहुँचाना)
- दोनों (a) और (b)
- कोई नहीं
उत्तर: (c) दोनों धाराएं प्रासंगिक हैं, जहाँ मृत्यु या चोट का परिणाम होता है।
- प्रश्न 5: ‘ई-गवर्नेंस’ (e-Governance) का उपयोग सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए कैसे किया जा सकता है?
- ड्राइविंग लाइसेंस का ऑनलाइन नवीनीकरण
- यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए डिजिटल चालान
- सड़क दुर्घटना हॉटस्पॉट का विश्लेषण
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी।
- प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा संगठन भारत में सड़क सुरक्षा पर नीतियों के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाता है?
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय
- पुलिस विभाग
- भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)
उत्तर: (b) सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय नोडल मंत्रालय है।
- प्रश्न 7: “सड़क सुरक्षा जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है” – इस कथन के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सामूहिक जिम्मेदारी’ (Collective Responsibility) का उदाहरण है?
- केवल सरकार द्वारा नियम बनाना
- केवल पुलिस द्वारा चालान काटना
- नागरिकों द्वारा यातायात नियमों का पालन करना और दूसरों को जागरूक करना
- केवल वाहन निर्माताओं द्वारा सुरक्षा सुविधाएँ प्रदान करना
उत्तर: (c) यह नागरिक भागीदारी को दर्शाता है।
- प्रश्न 8: उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुई नहर दुर्घटना के संदर्भ में, अवसंरचनात्मक सुरक्षा (Infrastructural Safety) का सबसे महत्वपूर्ण पहलू क्या था जिसकी कमी देखी गई?
- उच्च गति की सीमाएँ
- पर्याप्त स्ट्रीट लाइटिंग
- पानी के निकायों के पास मजबूत बैरिकेडिंग
- स्वस्थ सार्वजनिक परिवहन
उत्तर: (c) जैसा कि लेख में बताया गया है, बैरिकेडिंग की कमी ने दुर्घटना को घातक बनाया।
- प्रश्न 9: ‘एशियाई राजमार्ग नेटवर्क’ (Asian Highway Network) का उद्देश्य क्या है?
- केवल भारत के भीतर राजमार्गों का विकास
- एशिया के देशों के बीच सड़क संपर्क में सुधार
- शहरी क्षेत्रों में यातायात प्रबंधन
- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए राजमार्गों का निर्माण
उत्तर: (b) यह देशों के बीच कनेक्टिविटी पर केंद्रित है।
- प्रश्न 10: ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005’ के अनुसार, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) का नेतृत्व कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के गृह मंत्री
- भारत के प्रधानमंत्री
- संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री
उत्तर: (c) प्रधानमंत्री NDMA के पदेन अध्यक्ष होते हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: भारत में सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते मामलों के लिए उत्तरदायी बहुआयामी कारणों का विश्लेषण कीजिए। इन दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें और अवसंरचना, प्रवर्तन और जन जागरूकता के संदर्भ में सुधार के लिए सुझाव दीजिए। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 2: उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुई नहर दुर्घटना ने ग्रामीण अवसंरचना की सुरक्षा और सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों की जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। चर्चा करें कि कैसे प्रभावी अवसंरचनात्मक डिजाइन, नियमित रखरखाव और कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल ऐसी त्रासदियों को रोकने में मदद कर सकते हैं, विशेष रूप से जल निकायों के पास निर्माण के संदर्भ में। (200 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न 3: भारत में सड़क सुरक्षा को एक ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट’ के रूप में क्यों माना जाता है? नागरिक समाज, मीडिया और विभिन्न सरकारी एजेंसियों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, एक समेकित राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति के महत्व पर चर्चा करें। (150 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न 4: आप किसी भी सरकारी विभाग में एक अधिकारी के तौर पर, सड़क सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता कैसे सुनिश्चित करेंगे? नैतिकता, जवाबदेही और सार्वजनिक सेवा के मूल्यों को ध्यान में रखते हुए, आप अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए क्या व्यावहारिक कदम उठाएंगे? (150 शब्द, 10 अंक)