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समाजशास्त्र की धार: आज का 25-प्रश्न महा-अभ्यास

समाजशास्त्र की धार: आज का 25-प्रश्न महा-अभ्यास

नमस्कार, युवा समाजशास्त्रियों! क्या आप अपनी समाजशास्त्रीय अवधारणाओं और विश्लेषणात्मक कौशल को पैना करने के लिए तैयार हैं? आज हम आपके लिए लाए हैं 25 गहन प्रश्न, जो विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों को कवर करते हैं। अपनी तैयारी को अगले स्तर पर ले जाने के लिए तैयार हो जाइए!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: मैक्स वेबर ने किस अवधारणा पर जोर दिया कि समाजशास्त्रियों को उन क्रियाओं के लिए लोगों द्वारा संलग्न किए गए व्यक्तिपरक अर्थों को समझने की आवश्यकता है?

  1. अभिजात वर्ग का परिसंचरण (Circulation of Elites)
  2. वर्टेहेन (Verstehen)
  3. सामाजिक तथ्य (Social Fact)
  4. शक्ति का वैध अधिकार (Legitimate Authority)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) की अवधारणा का परिचय दिया, जिसका अर्थ है ‘समझना’। यह समाजशास्त्रियों की व्यक्तिपरक अर्थों और प्रेरणाओं को समझने की आवश्यकता पर जोर देता है जो लोगों को अपनी क्रियाओं में संलग्न करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) का केंद्रीय हिस्सा है और उनकी कृति ‘Economy and Society’ में विस्तृत है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवाद (positivist) दृष्टिकोण के विपरीत है।
  • गलत विकल्प: ‘अभिजात वर्ग का परिसंचरण’ विल्फ्रेडो पैरेटो से संबंधित है, ‘सामाजिक तथ्य’ दुर्खीम की प्रमुख अवधारणा है, और ‘शक्ति का वैध अधिकार’ (जैसे पारंपरिक, करिश्माई, कानूनी-तर्कसंगत) वेबर द्वारा ही विकसित किया गया था, लेकिन यह व्यक्तिपरक अर्थों को समझने की विधि नहीं है।

प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) शब्द किस प्रक्रिया को संदर्भित करता है?

  1. पश्चिमी संस्कृति के तत्वों को अपनाना।
  2. निम्न जाति द्वारा उच्च जाति की प्रथाओं, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर उच्च स्थिति प्राप्त करना।
  3. शहरी जीवन शैली को अपनाना।
  4. आधुनिक तकनीक और संस्थानों को अपनाना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: संस्कृतीकरण, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया शब्द, वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक निम्न जाति या जनजाति, जाति पदानुक्रम में उच्च स्थिति प्राप्त करने के लिए, एक उच्च जाति की रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने पहली बार इस अवधारणा को अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तावित किया था। यह संरचनात्मक गतिशीलता (structural mobility) के बजाय सांस्कृतिक गतिशीलता (cultural mobility) का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) पश्चिमी सांस्कृतिक लक्षणों को अपनाने को संदर्भित करता है, जबकि ‘शहरी जीवन शैली’ (Urban lifestyle) और ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) अन्य प्रकार के सामाजिक परिवर्तन हैं।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) को सामाजिक परिवर्तन का प्राथमिक चालक मानता है?

  1. इमाइल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. कार्ल मार्क्स
  4. हारबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: कार्ल मार्क्स का मानना ​​था कि समाज का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास है। उनका मानना ​​था कि उत्पादन के साधनों के स्वामित्व को लेकर शोषक (पूंजीपति) और शोषित (श्रमिक वर्ग) के बीच संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन की मुख्य शक्ति है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत उनके ‘साम्यवादी घोषणापत्र’ (The Communist Manifesto) और ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) जैसी कृतियों में प्रमुखता से पाया जाता है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (social solidarity) और श्रम विभाजन (division of labor) पर ध्यान केंद्रित किया, वेबर ने शक्ति, प्रतिष्ठा और वर्ग के साथ-साथ नौकरशाही (bureaucracy) का विश्लेषण किया, और स्पेंसर ने सामाजिक विकासवाद (social evolution) और ‘सबसे योग्य की उत्तरजीविता’ (survival of the fittest) पर जोर दिया।

प्रश्न 4: ‘अनामी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के विघटन और व्यक्ति में दिशाहीनता की भावना से संबंधित है, किससे जुड़ी है?

  1. अगस्त कॉम्ते
  2. कार्ल मार्क्स
  3. रॉबर्ट ई. पार्क
  4. इमाइल दुर्खीम

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: इमाइल दुर्खीम ने ‘अनामी’ की अवधारणा को विकसित किया। यह तब उत्पन्न होती है जब सामाजिक नियंत्रण कमजोर हो जाता है और व्यक्ति के लिए कोई स्पष्ट या सुसंगत सामाजिक नियम या मूल्य नहीं होते हैं, जिससे अलगाव और अव्यवस्था की भावना पैदा होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी कृतियों ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया है, जहाँ उन्होंने अनामी आत्महत्या (anomic suicide) के रूप की पहचान की।
  • गलत विकल्प: कॉम्ते समाजशास्त्र के संस्थापक हैं, मार्क्स वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे, और पार्क शहरी समाजशास्त्र से जुड़े थे।

प्रश्न 5: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) व्यवस्था की निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता इसे अन्य सामाजिक स्तरीकरण प्रणालियों से अलग करती है?

  1. गतिशीलता की संभावना
  2. जन्म पर आधारित सदस्यता (Endogamy)
  3. आर्थिक आधार
  4. वर्ग का एक रूप

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: जाति व्यवस्था की सबसे विशिष्ट विशेषताओं में से एक ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति उसी जाति के भीतर विवाह करते हैं। यह जाति की कठोर प्रकृति और इसके बंद स्तरीकरण (closed stratification) को सुनिश्चित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: जी.एस. घुरिये और एम.एन. श्रीनिवास जैसे समाजशास्त्रियों ने जाति के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया है, जिसमें अंतर्विवाह, व्यवसायों का पदानुक्रम, जातिगत सहिष्णुता और खान-पान के नियम शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: जबकि गतिशीलता (बहुत सीमित), आर्थिक कारक और वर्ग के तत्वों के कुछ पहलू मौजूद हो सकते हैं, अंतर्विवाह जाति व्यवस्था की एक मौलिक और परिभाषित विशेषता है जो इसे अन्य प्रणालियों से अलग करती है।

प्रश्न 6: पार्सन्स के ‘कार्यात्मकता’ (Functionalism) के सिद्धांत में, ‘सामाजिक व्यवस्था’ (Social Order) बनाए रखने में ‘सामाजिक संस्थाएं’ (Social Institutions) क्या भूमिका निभाती हैं?

  1. वे सामाजिक असमानता को गहरा करती हैं।
  2. वे समाज के सदस्यों को बुनियादी जरूरतों को पूरा करने और समाज के कामकाज के लिए आवश्यक कार्य (functions) करती हैं।
  3. वे मुख्य रूप से व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करती हैं।
  4. वे सामाजिक परिवर्तन के मुख्य स्रोत हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: तालकॉट पार्सन्स के संरचनात्मक-कार्यात्मकता (structural-functionalism) के अनुसार, सामाजिक संस्थाएं (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार) समाज के अस्तित्व और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। वे सदस्यों की जरूरतों को पूरा करती हैं और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में मदद करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) प्रतिमान विकसित किया, जो बताता है कि कैसे विभिन्न उप-प्रणालियां समाज को कार्य करने के लिए इन आवश्यक कार्यों को पूरा करती हैं।
  • गलत विकल्प: कार्यात्मकता आम तौर पर समाज में स्थिरता और एकीकरण पर जोर देती है, इसलिए विकल्प (a), (c), और (d) कार्यात्मक दृष्टिकोण के विपरीत हैं।

प्रश्न 7: हर्बर्ट ब्लूमर द्वारा विकसित ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मूल सिद्धांत क्या है?

  1. समाज को सामाजिक संरचनाओं और संस्थाओं के एक जटिल जाल के रूप में देखना।
  2. यह समझना कि व्यक्ति उन प्रतीकों के माध्यम से एक-दूसरे के साथ कैसे बातचीत करते हैं जिनका वे अर्थ साझा करते हैं।
  3. यह विश्लेषण करना कि शक्ति और प्रभुत्व सामाजिक संबंधों को कैसे आकार देते हैं।
  4. यह अन्वेषण करना कि सामाजिक परिवर्तन कैसे होता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद इस विचार पर आधारित है कि मनुष्य उन चीजों को अलग-अलग व्यवहार करता है जिन्हें वे उन चीजों के अर्थों में पाते हैं। ये अर्थ व्यक्ति के बीच अंतःक्रिया से उत्पन्न होते हैं और समय के साथ व्याख्याओं द्वारा संशोधित होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ब्लूमर ने जॉर्ज हर्बर्ट मीड के विचारों को विकसित किया, जिन्होंने ‘स्व’ (self) और ‘समाज’ (society) के विकास में प्रतीकों और भाषा की भूमिका पर जोर दिया।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) संरचनात्मक कार्यात्मकता या संघर्ष सिद्धांत के करीब है, (c) संघर्ष सिद्धांत से संबंधित है, और (d) एक सामान्य प्रश्न है जिसका उत्तर विभिन्न सिद्धांतों द्वारा दिया जा सकता है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा शब्द समाजशास्त्र में ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) से निकटता से जुड़ा है?

  1. सांस्कृतिक सापेक्षवाद (Cultural Relativism)
  2. सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)
  3. सामूहिकीकरण (Collectivization)
  4. सामाजिक विसंगति (Social Anomaly)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: सामाजिक स्तरीकरण समाज के विभिन्न स्तरों या परतों में लोगों का एक पदानुक्रमित विभाजन है। ‘सामाजिक गतिशीलता’ वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह एक सामाजिक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाते हैं, जो स्तरीकरण के भीतर व्यक्तियों के आंदोलन को दर्शाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता को ऊर्ध्वाधर (vertical), क्षैतिज (horizontal) या अंतःपीढ़ी (intragenerational) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • गलत विकल्प: सांस्कृतिक सापेक्षवाद संस्कृतियों का मूल्यांकन उनके अपने संदर्भ में करने का विचार है। सामूहिकीकरण सामूहिक कार्रवाई या स्वामित्व से संबंधित है। सामाजिक विसंगति एक असामान्य या भिन्न घटना को संदर्भित करती है।

प्रश्न 9: भारतीय समाज में, ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) की पारंपरिक संरचना में गिरावट के क्या कारण हो सकते हैं?

  1. औद्योगीकरण और शहरीकरण
  2. पश्चिमी शिक्षा का प्रसार
  3. व्यक्तिवाद का उदय
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: औद्योगीकरण और शहरीकरण ने लोगों को काम की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर किया है, जिससे पारंपरिक संयुक्त परिवारों का विघटन हुआ है। पश्चिमी शिक्षा और व्यक्तिवाद के प्रसार ने भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और परमाणु परिवार (nuclear family) की वरीयता को बढ़ावा दिया है।
  • संदर्भ और विस्तार: इरावती कर्वे, एम.एन. श्रीनिवास और अन्य समाजशास्त्रियों ने भारत में परिवार संरचनाओं में आए परिवर्तनों का अध्ययन किया है।
  • गलत विकल्प: ये सभी कारक संयुक्त परिवार की संरचना को कमजोर करने में योगदान करते हैं।

प्रश्न 10: सामाजिक अनुसंधान में, ‘अनुभववाद’ (Empiricism) किस पर बल देता है?

  1. तर्क और अमूर्त विचारों पर।
  2. केवल अवलोकन और अनुभव से प्राप्त ज्ञान पर।
  3. धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं पर।
  4. दर्शनशास्त्र के सिद्धांतों पर।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: अनुभववाद ज्ञान के स्रोत के रूप में प्रत्यक्ष अनुभव और अवलोकन पर जोर देता है। सामाजिक अनुसंधान में, इसका अर्थ है कि सामाजिक घटनाओं को समझने के लिए व्यवस्थित रूप से एकत्र किए गए डेटा (जैसे सर्वेक्षण, साक्षात्कार, प्रत्यक्ष अवलोकन) का उपयोग करना।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रत्यक्षवाद (positivism) के सिद्धांत के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है, जिसका उपयोग समाजशास्त्र के शुरुआती दिनों में किया गया था।
  • गलत विकल्प: तर्क और अमूर्त विचार, धार्मिक ग्रंथ और दर्शनशास्त्र अनुभववाद के मुख्य फोकस नहीं हैं।

प्रश्न 11: निम्नालिखित में से कौन सी अवधारणा ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) से संबंधित है, जिसका अर्थ है लोगों के बीच संबंधों के माध्यम से उत्पन्न लाभ?

  1. पियरे बॉर्डियू
  2. जॉर्ज सिमेल
  3. अल्बर्ट बंडुरा
  4. जेम्स कोलमन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: पियरे बॉर्डियू ने ‘सामाजिक पूंजी’ की अवधारणा को विकसित किया, जिसे उन्होंने सामाजिक संबंधों के नेटवर्क तक पहुंच और उससे प्राप्त लाभों के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने इसे आर्थिक और सांस्कृतिक पूंजी के साथ एक प्रकार की पूंजी के रूप में देखा।
  • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू का कार्य सामाजिक संरचना, वर्ग और संस्कृति के बीच संबंधों पर प्रकाश डालता है। जेम्स कोलमन ने भी इस अवधारणा पर काम किया, लेकिन बॉर्डियू को अक्सर इसका श्रेय दिया जाता है।
  • गलत विकल्प: सिमेल समाजशास्त्र के संस्थापक पिता में से एक हैं जिन्होंने महानगरीय जीवन का अध्ययन किया। बंडुरा सामाजिक सीखने के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 12: ‘लचीलापन’ (Resilience) शब्द, जो प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरने और अनुकूलन करने की क्षमता को दर्शाता है, आज समाजशास्त्र में किस क्षेत्र के लिए प्रासंगिक है?

  1. सामाजिक समस्याएँ और आपदा प्रबंधन
  2. विवाह और परिवार अध्ययन
  3. धार्मिक संस्थाएँ
  4. राजनीतिक समाजशास्त्र

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: सामाजिक लचीलापन व्यक्तियों, समुदायों और समाजों की प्रतिकूलताओं, झटकों और तनावों का सामना करने, उनसे उबरने और अनुकूलन करने की क्षमता से संबंधित है। यह सामाजिक समस्याओं, विशेषकर आपदाओं, संघर्षों और संकटों के अध्ययन के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक कार्य, सामुदायिक विकास और आपदा जोखिम न्यूनीकरण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: जबकि इन अन्य क्षेत्रों में भी लचीलेपन के तत्व हो सकते हैं, यह सीधे तौर पर सामाजिक समस्याओं और आपदा प्रबंधन के अध्ययन से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा के लिए जाना जाता है?

  1. एल्बर्ट वेन्डुरा
  2. विलियम एफ. ओग्बर्न
  3. एमिल दुर्खीम
  4. सी. राइट मिल्स

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: विलियम एफ. ओग्बर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा पेश की। यह तब होता है जब समाज के कुछ सांस्कृतिक तत्वों (जैसे भौतिक संस्कृति, जैसे प्रौद्योगिकी) में परिवर्तन की गति, समाज के अन्य तत्वों (जैसे अमूर्त संस्कृति, जैसे मूल्य, मानदंड, सामाजिक संस्थान) की तुलना में तेज होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: ओग्बर्न ने तर्क दिया कि यह सांस्कृतिक विलंब सामाजिक समस्याओं और संघर्ष का एक प्रमुख स्रोत है।
  • गलत विकल्प: वेन्डुरा सामाजिक सीखने के लिए, दुर्खीम सामाजिक तथ्यों के लिए, और मिल्स ‘कल्पना’ (imagination) के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 14: समाजशास्त्र में ‘सामाजिकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया क्या है?

  1. समाज में शक्ति वितरण का अध्ययन।
  2. व्यक्तियों द्वारा समाज के मानदंडों, मूल्यों और अपेक्षाओं को सीखने की प्रक्रिया।
  3. सामाजिक परिवर्तन को नियंत्रित करने की विधियाँ।
  4. समूहों के बीच संघर्ष का विश्लेषण।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: सामाजिकरण वह आजीवन प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी संस्कृति के मूल्यों, विश्वासों, व्यवहारों और भूमिकाओं को सीखते हैं, जो उन्हें समाज का सदस्य बनने में सक्षम बनाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: चार्ल्स हॉर्टन कूली (looking-glass self) और जॉर्ज हर्बर्ट मीड (I and Me) जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिकरण के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प समाजशास्त्र के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंधित हैं, लेकिन सामाजिकरण का वर्णन नहीं करते हैं।

प्रश्न 15: भारत में ‘आदिवासी समुदाय’ (Tribal Communities) के अध्ययन में निम्नलिखित में से कौन सी शब्दावली अक्सर उपयोग की जाती है?

  1. नगरीकरण
  2. अलगाव (Alienation)
  3. अलगाव (Isolation)
  4. आधुनिकीकरण

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: ऐतिहासिक रूप से, भारत में कई आदिवासी समुदायों को बाहरी दुनिया से अलग-थलग या दूर रखा गया है, जो उनके सांस्कृतिक और सामाजिक विकास को प्रभावित करता है। ‘अलगाव’ (Isolation) अक्सर उनकी भौगोलिक स्थिति और बाहरी समाजों के साथ सीमित संपर्क का वर्णन करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वरियर एलविन जैसे मानवविज्ञानी और समाजशास्त्रियों ने आदिवासी समाजों के एकांतवास और स्वदेशीकरण की वकालत की है।
  • गलत विकल्प: नगरीकरण और आधुनिकीकरण उन प्रक्रियाओं के विपरीत हो सकते हैं जो अक्सर आदिवासी समुदायों से जुड़ी होती हैं, और अलगाव (Alienation) एक अलग अवधारणा है जो अक्सर मार्क्सवाद से जुड़ी होती है।

प्रश्न 16:सामाजिक संरचना’ (Social Structure) की अवधारणा से कौन सा समाजशास्त्री सबसे अधिक जुड़ा हुआ है?

  1. इमाइल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. कार्ल मार्क्स
  4. ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन, एक ब्रिटिश मानवविज्ञानी, ‘संरचनात्मक कार्यात्मकता’ (structural functionalism) के ब्रिटिश स्कूल से जुड़े थे और उन्होंने सामाजिक संरचना पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने सामाजिक संरचना को सामाजिक संबंधों के एक स्थायी पैटर्न के रूप में परिभाषित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: रेडक्लिफ-ब्राउन का काम समाज को एक जीवित जीव के रूप में देखता है, जहां प्रत्येक अंग (संस्था) समग्र (समाज) के कामकाज में योगदान देता है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम सामाजिक तथ्यों पर, वेबर व्याख्यात्मक समाजशास्त्र पर, और मार्क्स वर्ग संघर्ष पर जोर देते थे, हालांकि ये सभी सामाजिक संरचना से संबंधित हैं।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से किस प्रकार की आत्महत्या का वर्णन दुर्खीम ने तब किया जब व्यक्ति के अपने स्वयं के हित को समाज के हित से ऊपर रखा जाता है?

  1. अनैच्छिक आत्महत्या (Altruistic Suicide)
  2. अनामिक आत्महत्या (Anomic Suicide)
  3. अहंकारी आत्महत्या (Egoistic Suicide)
  4. घातक आत्महत्या (Fatalistic Suicide)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: दुर्खीम ने ‘अहंकारी आत्महत्या’ (Egoistic Suicide) को तब परिभाषित किया जब व्यक्ति समाज से अलग-थलग या दुर्बल रूप से जुड़ा होता है, जिससे उसका अपना स्व (ego) प्रभावी हो जाता है और समाज की ओर कोई झुकाव नहीं रहता।
  • संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक ‘Suicide’ में, उन्होंने चार प्रकार की आत्महत्याओं की पहचान की: अहंकारी, अनामिक, परोपकारी (altruistic) और घातक (fatalistic)।
  • गलत विकल्प: परोपकारी आत्महत्या तब होती है जब व्यक्ति समूह के कल्याण के लिए खुद को बलिदान करता है (जैसे सैनिक), अनामिक आत्महत्या सामाजिक नियमों के टूटने से होती है, और घातक आत्महत्या अत्यधिक दमनकारी सामाजिक परिस्थितियों से होती है।

प्रश्न 18: भारतीय समाजशास्त्रीय परंपरा में, ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया का अध्ययन किसने किया है?

  1. इरावती कर्वे
  2. एम.एन. श्रीनिवास
  3. टी.के. उम्मथ (T.K. Oommen)
  4. सभी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: टी.के. उम्मथ एक प्रमुख भारतीय समाजशास्त्री हैं जिन्होंने भारत में धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण काम किया है, यह जांचते हुए कि आधुनिकता और राज्य की धर्मनिरपेक्षता के उदय के साथ धर्म और धर्मनिरपेक्षता कैसे बातचीत करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उम्मथ ने धर्म और धर्मनिरपेक्षता के बीच विभिन्न प्रकार के संबंधों पर चर्चा की है, न कि केवल धर्मनिरपेक्षीकरण के रूप में।
  • गलत विकल्प: जबकि कर्वे ने परिवार और जाति का अध्ययन किया और श्रीनिवास ने संस्कृतीकरण का, उम्मथ ने विशेष रूप से भारत में धर्मनिरपेक्षीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है।

प्रश्न 19:मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me)” की अवधारणा, जो आत्म (self) के विकास में महत्वपूर्ण है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

  1. चार्ल्स हॉर्टन कूली
  2. हरबर्ट ब्लूमर
  3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  4. एर्विंग गोफमैन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के बीच द्वंद्व को प्रस्तावित किया। ‘मैं’ व्यक्ति की तत्काल, सहज और अप्रत्याशित प्रतिक्रिया है, जबकि ‘मुझे’ समाज द्वारा आंतरिक किए गए दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करता है, जो व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये अवधारणाएं प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (symbolic interactionism) की नींव बनाती हैं और बताती हैं कि कैसे व्यक्ति सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से आत्म-जागरूकता विकसित करते हैं।
  • गलत विकल्प: कूली ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (looking-glass self) का सिद्धांत दिया, ब्लूमर ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद को गढ़ा, और गोफमैन ने ‘नाटकशास्त्र’ (dramaturgy) का सिद्धांत दिया।

प्रश्न 20: भारत में ‘कृषि संकट’ (Agrarian Crisis) के समाजशास्त्रीय विश्लेषण में कौन सा कारक महत्वपूर्ण हो सकता है?

  1. भूमि सुधारों का अभाव
  2. बाजार की अस्थिरता और ऋणग्रस्तता
  3. जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएँ
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: भारत में कृषि संकट एक बहुआयामी समस्या है जो विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित होती है। भूमि सुधारों का धीमा कार्यान्वयन, कृषि उत्पादों के लिए बाजार की अस्थिरता, उच्च ऋणग्रस्तता, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएँ सभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: कई भारतीय समाजशास्त्रियों ने कृषि संकट, किसानों के विरोध और ग्रामीण विकास के अध्ययन में योगदान दिया है।
  • गलत विकल्प: ये सभी कारक कृषि संकट के विश्लेषण में योगदान करते हैं।

प्रश्न 21:अलगाव’ (Alienation)” की मार्क्सवादी अवधारणा किस प्रकार से उत्पन्न होती है?

  1. समाज में अत्यधिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता से।
  2. पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रम के अलगाव से।
  3. धार्मिक विश्वासों की तीव्रता से।
  4. पारंपरिक सामाजिक मूल्यों के मजबूत पालन से।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी व्यवस्था के तहत, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, अपनी श्रम प्रक्रिया, अपनी प्रजाति-सार (species-essence) और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करते हैं। वे अपने श्रम पर नियंत्रण खो देते हैं और इसे एक बाहरी, जबरदस्ती की गतिविधि के रूप में देखते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में पाई जाती है।
  • गलत विकल्प: अलगाव (Alienation) मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद की शोषक प्रकृति से उत्पन्न होता है, न कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता, धार्मिकता या पारंपरिक मूल्यों से।

प्रश्न 22:नौकरशाही’ (Bureaucracy)” की वेबर की आदर्श-प्रकार (ideal-type) की विशेषताएँ क्या हैं?

  1. पदानुक्रमित संरचना, स्पष्ट अधिकार क्षेत्र, लिखित नियम और योग्यता पर आधारित नियुक्ति।
  2. अनौपचारिक संबंध, व्यक्तिगत निर्णय और त्वरित परिवर्तन।
  3. कमजोर पर्यवेक्षण, अत्यधिक विवेकाधीन शक्ति और लचीली प्रक्रियाएँ।
  4. पारंपरिक करिश्माई नेतृत्व और व्यक्तिगत निष्ठा।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: मैक्स वेबर ने नौकरशाही को दक्षता और तर्कसंगतता के लिए एक मॉडल के रूप में देखा, जिसकी विशेषताएँ थीं: एक स्पष्ट पदानुक्रम, लिखित नियमों और प्रक्रियाओं का एक निश्चित सेट, कार्यों का स्पष्ट विभाजन (अधिकार क्षेत्र), और योग्यता और प्रशिक्षण के आधार पर कर्मचारियों की नियुक्ति।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही को आधुनिक समाज के बढ़ते तर्कसंगतता (rationalization) और “लौह पिंजरे” (iron cage) के विकास में एक प्रमुख शक्ति के रूप में देखा।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प नौकरशाही की आदर्श-प्रकार विशेषताओं के विपरीत हैं।

प्रश्न 23:सामाजिक अव्यवस्था’ (Social Disorganization) की अवधारणा, जो अपराध दर और सामाजिक समस्याओं से जुड़ी है, किस क्षेत्र से उत्पन्न हुई?

  1. फ्रैंकफर्ट स्कूल
  2. शिकागो स्कूल
  3. पेरिस स्कूल
  4. लंदन स्कूल

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: सामाजिक अव्यवस्था की अवधारणा, जो शहरी वातावरण में अपराध और सामाजिक समस्याओं के प्रसार को समझाने के लिए उपयोग की जाती है, 20वीं सदी की शुरुआत में शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों (जैसे रॉबर्ट पार्क, अर्नेस्ट बर्गेस) द्वारा विकसित की गई थी। उन्होंने शहरी क्षेत्रों के पारिस्थिकीय (ecological) विश्लेषण पर जोर दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण ने दिखाया कि कैसे विशिष्ट शहरी वातावरण, जैसे कि गरीबी, उच्च प्रवासन और आवासीय अस्थिरता वाले क्षेत्र, सामाजिक नियंत्रण को कमजोर कर सकते हैं और अपराध को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य स्कूल समाजशास्त्र के अलग-अलग दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रश्न 24:नारीवाद’ (Feminism) के संदर्भ में, ‘पितृसत्ता’ (Patriarchy)‘ शब्द क्या दर्शाता है?

  1. महिलाओं द्वारा पुरुषों पर प्रभुत्व।
  2. समाज में महिलाओं का ऐतिहासिक उत्पीड़न।
  3. एक सामाजिक प्रणाली जिसमें पुरुष प्रमुख भूमिकाएँ निभाते हैं और महिलाओं पर हावी होते हैं।
  4. महिलाओं द्वारा अपने अधिकारों के लिए किया गया संघर्ष।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: पितृसत्ता एक सामाजिक प्रणाली है जिसमें पुरुष प्रमुख भूमिकाएँ निभाते हैं, शक्ति संरचनाओं पर हावी होते हैं, और महिलाओं पर अधिकार रखते हैं। यह लिंग आधारित असमानता का एक रूप है।
  • संदर्भ और विस्तार: नारीवादी सिद्धांतकार पितृसत्ता के विभिन्न रूपों और इसके समाज के सभी पहलुओं पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करते हैं।
  • गलत विकल्प: जबकि (b) और (d) पितृसत्ता के परिणाम और प्रतिक्रियाएं हैं, (c) पितृसत्ता की परिभाषा सबसे सटीक रूप से देता है। (a) पितृसत्ता के विपरीत है।

प्रश्न 25:आधुनिकीकरण’ (Modernization)” के सिद्धांत के अनुसार, पारंपरिक समाजों के आधुनिकीकरण में कौन सी विशेषताएँ महत्वपूर्ण हैं?

  1. औद्योगीकरण, शहरीकरण और शिक्षा का प्रसार।
  2. धर्म और परंपराओं को मजबूत करना।
  3. ग्रामीण समुदायों पर अधिक निर्भरता।
  4. पदानुक्रमित सामाजिक संरचनाओं को बनाए रखना।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: आधुनिकीकरण के सिद्धांत आम तौर पर पारंपरिक, कृषि-आधारित समाजों से औद्योगिक, शहरी और धर्मनिरपेक्ष समाजों में संक्रमण को दर्शाते हैं। इसमें औद्योगीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का विस्तार, तकनीकी विकास और सामाजिक संस्थानों में परिवर्तन शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत अक्सर विकासशील देशों के अध्ययन में लागू किया जाता है।
  • गलत विकल्प: धर्म और परंपराओं को मजबूत करना, ग्रामीण समुदायों पर अधिक निर्भरता, और पदानुक्रमित संरचनाओं को बनाए रखना आधुनिकीकरण के विशिष्ट लक्षण नहीं हैं, बल्कि पारंपरिक समाज की विशेषताएँ हैं।

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