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भारतीय राजव्यवस्था का महासंग्राम: आज अपनी परीक्षा दें!

भारतीय राजव्यवस्था का महासंग्राम: आज अपनी परीक्षा दें!

नमस्कार, भावी अधिकारियों! भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझना सफलता की कुंजी है। क्या आप अपने संविधान और राजव्यवस्था के ज्ञान की गहराई को परखने के लिए तैयार हैं? आइए, आज के इन 25 चुनिंदा, चुनौतीपूर्ण प्रश्नों के माध्यम से अपनी वैचारिक स्पष्टता और परीक्षा की तैयारी को एक नया आयाम दें!

भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’, और ‘अखंडता’ शब्दों को किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular), और ‘अखंडता’ (Integrity) ये तीन शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए थे। यह भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान हुआ था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है। इसने प्रस्तावना के मूल स्वरूप को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया और कुछ अन्य सुरक्षा उपाय जोड़े। 52वां संशोधन (1985) दलबदल विरोधी प्रावधानों (10वीं अनुसूची) से संबंधित है। 61वां संशोधन (1989) ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus) के रिट के दायरे में नहीं आता?

  1. गैरकानूनी हिरासत से व्यक्ति को रिहा करवाना।
  2. किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्य का पालन करने का निर्देश देना।
  3. एक व्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखना।
  4. कस्टडी में व्यक्ति की शारीरिक उपस्थिति की मांग करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus) का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह रिट तब जारी की जाती है जब किसी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया हो। इसका मुख्य उद्देश्य हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अदालत के समक्ष प्रस्तुत करना और उसकी रिहाई सुनिश्चित करना है। यह अधिकार की स्वतंत्रता की रक्षा करता है (अनुच्छेद 21 के तहत)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह रिट सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) द्वारा जारी की जा सकती है। यह केवल सार्वजनिक अधिकारियों या निजी व्यक्तियों के खिलाफ जारी की जा सकती है जो किसी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में रखते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) ‘किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्य का पालन करने का निर्देश देना’ ‘परमादेश’ (Mandamus) रिट के दायरे में आता है, न कि बंदी प्रत्यक्षीकरण के। विकल्प (a), (c) और (d) बंदी प्रत्यक्षीकरण के मुख्य उद्देश्य हैं।

प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया में ‘एकल हस्तांतरणीय मत’ (Single Transferable Vote) प्रणाली का सिद्धांत किस देश के संविधान से प्रेरित है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. आयरलैंड
  4. ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली आयरलैंड के संविधान से प्रेरित है। यह प्रणाली आनुपातिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था का एक रूप है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 55 के तहत आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल हस्तांतरणीय मत द्वारा होता है। इस प्रणाली में, मतदाता अपनी पसंद के अनुसार उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में मत देते हैं।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचक मंडल (Electoral College) द्वारा होता है। कनाडा की संसदीय प्रणाली वेस्टमिंस्टर मॉडल पर आधारित है, लेकिन उनकी चुनावी प्रणाली भिन्न है। ऑस्ट्रेलिया भी कुछ हद तक आनुपातिक प्रतिनिधित्व का उपयोग करता है, लेकिन भारत के लिए प्रत्यक्ष प्रेरणा आयरलैंड से है।

प्रश्न 4: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत संसद को यह अधिकार है कि वह किसी नागरिकता के अर्जन, बने रहने और समाप्ति के संबंध में विधि बना सके?

  1. अनुच्छेद 11
  2. अनुच्छेद 10
  3. अनुच्छेद 9
  4. अनुच्छेद 12

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 11 स्पष्ट रूप से संसद को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह नागरिकता के अर्जन, बने रहने और समाप्ति के संबंध में तथा नागरिकता से संबंधित सभी अन्य बातों के लिए विधि बना सके।
  • संदर्भ और विस्तार: इसी अनुच्छेद के तहत संसद ने नागरिकता अधिनियम, 1955 पारित किया, जिसने नागरिकता के संबंध में विस्तृत नियम निर्धारित किए।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 10 कहता है कि जो व्यक्ति नागरिक माना जाता है, वह तब तक नागरिक बना रहेगा जब तक संसद द्वारा बनाई गई विधि के अधीन ऐसा होने से वंचित नहीं किया जाता। अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, वह भारत का नागरिक नहीं रह जाएगा। अनुच्छेद 12 राज्य की परिभाषा देता है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) न्यायिक रूप से प्रवर्तनीय नहीं हैं।
  2. मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties) भी न्यायिक रूप से प्रवर्तनीय नहीं हैं।

उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV में वर्णित राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) को अनुच्छेद 37 के अनुसार अदालतों द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता। इसी प्रकार, भाग IV-A में वर्णित मौलिक कर्तव्यों को भी सीधे तौर पर किसी नागरिक से लागू नहीं कराया जा सकता।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि DPSP सीधे तौर पर प्रवर्तनीय नहीं हैं, वे सरकार के लिए कानून बनाते समय मार्गदर्शन के रूप में कार्य करते हैं और अदालतें उन्हें मौलिक अधिकारों के पूरक के रूप में व्याख्या कर सकती हैं (जैसे मिनर्वा मिल्स मामले में)। मौलिक कर्तव्यों का उद्देश्य नागरिकों को उनके कर्तव्यों के प्रति सचेत करना है।
  • गलत विकल्प: दोनों ही कथन (1) और (2) सही हैं, क्योंकि न तो DPSP और न ही मौलिक कर्तव्य सीधे तौर पर न्यायिक रूप से प्रवर्तनीय हैं।

प्रश्न 6: ‘अधिकारों का विधेयक’ (Bill of Rights) की अवधारणा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में प्रत्यक्ष रूप से उल्लिखित नहीं है, लेकिन इसके सिद्धांत किस भाग में परिलक्षित होते हैं?

  1. भाग III (मौलिक अधिकार)
  2. भाग IV (राज्य के नीति निदेशक तत्व)
  3. भाग II (नागरिकता)
  4. भाग V (संघ)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘अधिकारों का विधेयक’ (Bill of Rights) की अवधारणा, जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है, सीधे तौर पर भारतीय संविधान की प्रस्तावना में नहीं है, लेकिन इसके सिद्धांत संविधान के भाग III, ‘मौलिक अधिकार’ में विस्तार से उल्लिखित हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: भाग III में वर्णित मौलिक अधिकार (जैसे अनुच्छेद 14-32) नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता, समानता, स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, और संवैधानिक उपचारों का अधिकार प्रदान करते हैं। ये अधिकार राज्य की शक्ति को सीमित करते हैं।
  • गलत विकल्प: भाग IV (DPSP) राज्य के लिए निर्देश हैं, भाग II नागरिकता से संबंधित है, और भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है। अधिकारों की गारंटी मुख्य रूप से भाग III में है।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था भारत के राष्ट्रपति को उनके पद से हटा सकती है?

  1. भारत का मुख्य न्यायाधीश
  2. संसद
  3. सर्वोच्च न्यायालय
  4. भारत का महान्यायवादी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति को उनके पद से केवल संसद द्वारा महाभियोग (Impeachment) प्रक्रिया द्वारा ही हटाया जा सकता है, जैसा कि अनुच्छेद 61 में वर्णित है।
  • संदर्भ और विस्तार: महाभियोग की प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) द्वारा शुरू की जा सकती है। इसके लिए सदन के कुल सदस्यों के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों द्वारा प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए जाने की आवश्यकता होती है और फिर उस सदन के कुल सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित होना चाहिए। इसके बाद दूसरे सदन में आरोप की जाँच होती है।
  • गलत विकल्प: भारत के मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय या महान्यायवादी के पास राष्ट्रपति को उनके पद से हटाने की शक्ति नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय केवल महाभियोग प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रश्न पर सलाह दे सकता है, लेकिन निर्णय संसद द्वारा लिया जाता है।

प्रश्न 8: भारत में, ‘शक्तियों का पृथक्करण’ (Separation of Powers) सिद्धांत को किस हद तक अपनाया गया है?

  1. पूर्णतः अपनाया गया है, तीनों अंग (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) स्वतंत्र हैं।
  2. अमेरिका की तरह कठोर पृथक्करण नहीं, लेकिन कार्यात्मक पृथक्करण है।
  3. पूरी तरह से अस्वीकार किया गया है, तीनों अंग एक-दूसरे पर पूरी तरह निर्भर हैं।
  4. केवल न्यायपालिका स्वतंत्र है, जबकि विधायिका और कार्यपालिका एक हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान ‘शक्तियों के पृथक्करण’ के सिद्धांत को अमेरिकी मॉडल की तरह कठोरता से नहीं अपनाता है। हालांकि, सरकार के तीनों अंगों – विधायिका (अनुच्छेद 79-122), कार्यपालिका (अनुच्छेद 52-78) और न्यायपालिका (अनुच्छेद 124-147) – के बीच एक निश्चित कार्यात्मक पृथक्करण (Functional Separation) और नियंत्रण एवं संतुलन (Checks and Balances) की व्यवस्था है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत एक संसदीय प्रणाली वाला देश है, जहाँ कार्यपालिका (प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद) विधायिका (संसद) के प्रति उत्तरदायी होती है। न्यायपालिका स्वतंत्र है, लेकिन कुछ मामलों में कार्यपालिका और विधायिका पर न्यायिक पुनर्विलोकन (Judicial Review) के माध्यम से नियंत्रण रखती है।
  • गलत विकल्प: पूर्णतः पृथक्करण (a) नहीं है क्योंकि कार्यपालिका विधायिका से निकलती है। पूरी तरह से अस्वीकार (c) भी गलत है क्योंकि अंगों की अपनी-अपनी भूमिकाएँ हैं। केवल न्यायपालिका स्वतंत्र है (d) यह भी पूर्ण सत्य नहीं है क्योंकि कार्यपालिका और विधायिका भी स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं, भले ही वे एक-दूसरे से जुड़ी हों।

प्रश्न 9: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन संसद के दोनों सदनों को संबोधित करने के लिए अधिकृत है?

  1. भारत का उपराष्ट्रपति
  2. भारत का महान्यायवादी
  3. मुख्य निर्वाचन आयुक्त
  4. भारत का महाधिवक्ता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का महान्यायवादी (Attorney General for India) अनुच्छेद 88 के तहत संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में भाग लेने और बोलने का अधिकार रखता है, लेकिन वह मतदान नहीं कर सकता।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 88 यह भी प्रावधान करता है कि केंद्रीय मंत्री और प्रधानमंत्री, जो किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं, उन्हें भी दोनों सदनों में बोलने और भाग लेने का अधिकार है। महान्यायवादी के पास संसद को संबोधित करने का अधिकार नहीं है, लेकिन वह किसी भी सदन में भाग ले सकता है और बोल सकता है। प्रश्न में ‘संबोधित करने’ का अर्थ यहाँ ‘भाग लेने और बोलने’ से है, न कि औपचारिक रूप से भाषण देने से। राष्ट्रपति अनुच्छेद 87 के तहत विशेष अभिभाषण करते हैं।
  • गलत विकल्प: उपराष्ट्रपति (जो राज्यसभा का पदेन सभापति होता है) को दोनों सदनों को एक साथ संबोधित करने का अधिकार नहीं है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त और महाधिवक्ता (राज्य के लिए) संसद की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकते।

प्रश्न 10: सर्वोच्च न्यायालय की ‘सलाहकारिता अधिकारिता’ (Advisory Jurisdiction) का उल्लेख संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?

  1. अनुच्छेद 131
  2. अनुच्छेद 132
  3. अनुच्छेद 133
  4. अनुच्छेद 143

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सार्वजनिक महत्व के किसी भी प्रश्न पर या किसी भी प्रश्न पर, जिस पर वह विधि या तथ्य के ऐसे प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय की राय चाहता है, सर्वोच्च न्यायालय की सलाह लेने की शक्ति प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सलाह राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं है, और सर्वोच्च न्यायालय भी सलाह देने से इनकार कर सकता है यदि वह मामले को सार्वजनिक हित में नहीं मानता है। यह अधिकारिता मूल विवादों के निपटारे से अलग है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय की मूल अधिकारिता (Original Jurisdiction) से संबंधित है, जो केंद्र और राज्यों के बीच विवादों का निपटारा करती है। अनुच्छेद 132 अपीलीय अधिकारिता (Appellate Jurisdiction) से संबंधित है। अनुच्छेद 133 भी अपीलीय अधिकारिता से संबंधित है, विशेष रूप से सिविल मामलों में।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद ‘वित्त आयोग’ (Finance Commission) के गठन से संबंधित है?

  1. अनुच्छेद 275
  2. अनुच्छेद 280
  3. अनुच्छेद 265
  4. अनुच्छेद 300A

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 280 के अनुसार, भारत का राष्ट्रपति प्रत्येक पांचवें वर्ष या उससे पहले, वित्त आयोग का गठन करेगा।
  • संदर्भ और विस्तार: वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आय के वितरण और राज्यों के बीच ऐसे आय के आवंटन के सिद्धांतों पर राष्ट्रपति को सिफारिशें करता है। यह राज्यों को मिलने वाले अनुदान की भी समीक्षा करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 275 संसद द्वारा राज्यों को कुछ मामलों में अनुदान देने का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 265 कहता है कि विधि के प्राधिकार के बिना कोई कर नहीं लगाया जाएगा। अनुच्छेद 300A संपत्ति के अधिकार को कानूनी अधिकार बनाता है।

प्रश्न 12: भारत में ‘संघवाद’ (Federalism) की कौन सी विशेषता को अपनाया गया है, जो अमेरिकी संघवाद से भिन्न है?

  1. दोहरी नागरिकता
  2. लिखित संविधान
  3. स्वतंत्र न्यायपालिका
  4. ‘एक नागरिकता’ और एकल संविधान

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संघवाद ‘कनाडा’ मॉडल से अधिक प्रेरित है, जहाँ केंद्र को अधिक शक्तियां प्राप्त हैं। भारत में ‘एक नागरिकता’ (अनुच्छेद 9) और एक ही संविधान है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में नागरिकों के पास राष्ट्रीय और राज्य दोनों की नागरिकता होती है और दोहरी संविधान प्रणाली (एक संघीय और एक राज्य) है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान ने ‘एकल नागरिकता’ का प्रावधान किया है, जिससे सभी भारतीय नागरिक समान अधिकार और कर्तव्य साझा करते हैं, भले ही वे किसी भी राज्य में रहते हों। यह एकता और अखंडता को बढ़ावा देता है।
  • गलत विकल्प: दोहरी नागरिकता (a) अमेरिका में है, भारत में नहीं। लिखित संविधान (b) और स्वतंत्र न्यायपालिका (c) भारत और अमेरिका दोनों की विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?

  1. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
  2. नीति आयोग
  3. संघ लोक सेवा आयोग
  4. चुनाव आयोग

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग) एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित किया गया था और इसका उल्लेख संविधान में नहीं है। इसलिए, यह एक संवैधानिक निकाय नहीं है, बल्कि एक वैधानिक (statutory) या कार्यकारी निकाय है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315) और चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324) सभी संविधान में स्पष्ट रूप से प्रावधानित निकाय हैं, और इसलिए ये संवैधानिक निकाय हैं।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, संघ लोक सेवा आयोग और चुनाव आयोग संवैधानिक निकाय हैं। नीति आयोग को 1 जनवरी 2015 को भारत सरकार के संकल्प द्वारा स्थापित किया गया था, और यह भारतीय संविधान के तहत स्थापित नहीं है।

प्रश्न 14: भारत में पंचायती राज व्यवस्था को भारतीय संविधान के किस संशोधन अधिनियम द्वारा संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
  4. 80वां संशोधन अधिनियम, 2000

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा गया और अनुच्छेद 243 से 243O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के संबंध में प्रावधान शामिल किए गए, जिससे उन्हें संवैधानिक दर्जा मिला।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं को ‘स्व-शासन की इकाइयाँ’ के रूप में स्थापित किया और उन्हें 29 विषयों पर कार्य करने की शक्ति प्रदान की।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम, 1992 शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाओं) से संबंधित है। 65वां संशोधन (1990) जनजाति सलाहकार परिषद से संबंधित था। 80वां संशोधन (2000) करों के वितरण में एक नई प्रणाली लाया।

प्रश्न 15: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. इसकी घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जा सकती है।
  2. यह राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे के आधार पर घोषित किया जा सकता है।
  3. यह अधिकतम एक वर्ष के लिए बिना संसदीय अनुमोदन के लागू रह सकता है।
  4. इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह तीन आधारों पर घोषित किया जा सकता है: युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह।
  • संदर्भ और विस्तार: आपातकाल की घोषणा के बाद, इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने की अवधि के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है (अनुच्छेद 352 (3))। एक बार अनुमोदित होने के बाद, यह छह महीने तक लागू रहता है, जिसके बाद इसे जारी रखने के लिए फिर से संसद के अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
  • गलत विकल्प: कथन (c) असत्य है। राष्ट्रीय आपातकाल बिना संसदीय अनुमोदन के एक वर्ष तक लागू नहीं रह सकता। इसे एक माह के भीतर अनुमोदन चाहिए और फिर हर छह माह में अनुमोदन की आवश्यकता होती है। यदि इसे 6 माह से अधिक जारी रखना है तो संसद के दोनों सदनों द्वारा प्रत्येक 6 माह में अनुमोदन आवश्यक है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन भारत के संविधान की ‘प्रस्तावना’ (Preamble) का भाग नहीं है?

  1. न्याय (Justice)
  2. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
  3. विदेशी शासन
  4. स्वातंत्र्य (Liberty)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में न्याय (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक), स्वतंत्रता (विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की), समानता (प्रतिष्ठा और अवसर की) और बंधुत्व का उल्लेख है। ‘विदेशी शासन’ (Foreign Rule) प्रस्तावना का भाग नहीं है, बल्कि प्रस्तावना विदेशी शासन से मुक्ति और संप्रभुता की बात करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना बताती है कि ‘हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए…’। यह भारत के शासन के उद्देश्यों और आदर्शों को रेखांकित करती है।
  • गलत विकल्प: न्याय, स्वातंत्र्य और सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विचार प्रस्तावना के महत्वपूर्ण अंग हैं, जबकि ‘विदेशी शासन’ का उल्लेख नहीं है।

प्रश्न 17: किस संशोधन अधिनियम ने दसवीं अनुसूची (दलबदल विरोधी कानून) को भारतीय संविधान में जोड़ा?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 52वें संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा दसवीं अनुसूची को संविधान में जोड़ा गया, जो सांसदों और विधायकों को दलबदल के आधार पर अयोग्य ठहराने से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य राजनीतिक दलबदल की प्रवृत्ति को रोकना और सरकार की स्थिरता को बढ़ाना था।
  • गलत विकल्प: 42वां संशोधन (1976) ने प्रस्तावना में तीन शब्द जोड़े थे। 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाया था। 61वां संशोधन (1989) ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 की थी।

प्रश्न 18: भारत का ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) किसे अपना प्रतिवेदन सौंपता है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. संसद
  3. राष्ट्रपति
  4. सर्वोच्च न्यायालय

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अपने ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जो उन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाता है (अनुच्छेद 151)।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के समेकित निधि (Consolidated Fund) से संबंधित सभी व्यय की लेखा-परीक्षा करता है। यह केंद्र और राज्यों दोनों के खातों का ऑडिट करता है।
  • गलत विकल्प: CAG सीधे तौर पर प्रधानमंत्री, संसद या सर्वोच्च न्यायालय को अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपता, बल्कि राष्ट्रपति को सौंपता है, जो उन्हें संसद में पेश करवाते हैं।

प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
  3. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
  4. भारत में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 के तहत आने-जाने की स्वतंत्रता, बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के एकत्र होने, संघ बनाने, निवास करने आदि के अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भारतीय क्षेत्र में रहने वाले सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को प्राप्त हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21 और 25 सभी नागरिकों और विदेशियों दोनों को उपलब्ध हैं। केवल अनुच्छेद 19 ही विशिष्ट रूप से भारतीय नागरिकों के लिए है।

प्रश्न 20: राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. राज्य का राज्यपाल
  3. राज्य विधानमंडल का अध्यक्ष
  4. उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 164 के अनुसार, राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्य का राज्यपाल करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: राज्यपाल उस व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है जो विधानमंडल के उस सदन में बहुमत दल का नेता हो, जिससे मुख्यमंत्री का संबंध हो। यदि किसी एक दल को बहुमत नहीं मिलता है, तो राज्यपाल उस व्यक्ति को नियुक्त कर सकता है जिसे वह बहुमत प्राप्त करने की सबसे अधिक संभावना देखता है।
  • गलत विकल्प: भारत के राष्ट्रपति, राज्य विधानमंडल के अध्यक्ष या सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पास मुख्यमंत्री की नियुक्ति का अधिकार नहीं है।

प्रश्न 21: भारत के संविधान में ‘लोक हित याचिका’ (Public Interest Litigation – PIL) का उल्लेख किस भाग में किया गया है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग IV-A
  4. यह कहीं भी प्रत्यक्ष रूप से उल्लिखित नहीं है

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोक हित याचिका (PIL) का प्रत्यक्ष रूप से भारतीय संविधान में कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है। यह न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism) का एक उत्पाद है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय की रिट अधिकारिता) की व्याख्या करते हुए विकसित किया है।
  • संदर्भ और विस्तार: PIL के माध्यम से कोई भी व्यक्ति या संगठन जनहित में किसी भी व्यक्ति या सार्वजनिक प्राधिकरण के खिलाफ न्यायालय में जा सकता है, भले ही उसका प्रत्यक्ष रूप से कोई व्यक्तिगत हित न हो।
  • गलत विकल्प: PIL भाग III (मौलिक अधिकार) के तहत संवैधानिक उपचारों के अधिकार से जुड़ी है, लेकिन यह स्वयं भाग III में उल्लिखित नहीं है। भाग IV (DPSP) और भाग IV-A (मौलिक कर्तव्य) से इसका सीधा संबंध नहीं है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से किस अधिनियम ने भारत में ‘सांप्रदायिक निर्वाचन’ (Communal Electorate) की नींव रखी?

  1. भारत सरकार अधिनियम, 1935
  2. भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार)
  3. भारतीय परिषद अधिनियम, 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार)
  4. भारत सरकार अधिनियम, 1909

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय परिषद अधिनियम, 1909, जिसे मार्ले-मिंटो सुधार के नाम से भी जाना जाता है, ने भारत में सांप्रदायिक निर्वाचन (पृथक निर्वाचन प्रणाली) की शुरुआत की, जिसने मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल का प्रावधान किया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम का उद्देश्य भारतीय राष्ट्रवाद को विभाजित करना था, लेकिन इसने सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया, जिसका गंभीर परिणाम भारत के विभाजन के रूप में हुआ।
  • गलत विकल्प: भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने सांप्रदायिक निर्वाचन का विस्तार किया लेकिन नींव 1909 में रखी गई थी। भारतीय परिषद अधिनियम, 1919 ने इसे और विस्तारित किया। भारत सरकार अधिनियम, 1909 का कोई अर्थ नहीं है, यह भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 ही है।

प्रश्न 23: भारत में ‘एकात्मक’ (Unitary) और ‘संघीय’ (Federal) दोनों लक्षण किस प्रकार के शासन प्रणाली में पाए जाते हैं?

  1. अध्यक्षीय प्रणाली
  2. संसदीय प्रणाली
  3. अर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली
  4. संघात्मक प्रणाली

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संघात्मक प्रणाली (Federal System) वह प्रणाली है जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन होता है। हालाँकि, भारतीय संघात्मक प्रणाली में कुछ एकात्मक (Unitary) लक्षण भी हैं, जैसे कि मजबूत केंद्र, एकल संविधान, एकल नागरिकता, एकल न्यायपालिका आदि। इसलिए, भारत को ‘अर्ध-संघीय’ (Quasi-federal) या ‘विभिन्नता में एकता’ वाला संघीय राज्य कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: संविधान निर्माताओं ने एक ऐसी प्रणाली की रचना की जो भारत की विविधता और एकता दोनों को बनाए रख सके। एकात्मक लक्षण तब प्रभावी होते हैं जब राष्ट्रीय हित की आवश्यकता होती है (जैसे आपातकालीन प्रावधान)।
  • गलत विकल्प: अध्यक्षीय प्रणाली (a) पूरी तरह से संघीय होती है, लेकिन भारत में नहीं है। संसदीय प्रणाली (b) एकात्मक या संघीय दोनों हो सकती है, लेकिन यह स्वयं एकात्मक और संघीय लक्षणों का मिश्रण नहीं है। अर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली (c) भी भारत में नहीं है।

प्रश्न 24: भारतीय संसद के विघटन (Dissolution) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. लोकसभा का विघटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
  2. राज्यसभा का विघटन किया जा सकता है।
  3. यह प्रावधान केवल राष्ट्रपति शासन के दौरान ही लागू होता है।
  4. संसद का विघटन किसी भी स्थिति में संभव नहीं है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा एक अनिश्चितकालीन निकाय नहीं है और इसका विघटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है (अनुच्छेद 85)। यह आम चुनाव से पहले किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति लोकसभा का विघटन, मंत्रिपरिषद की सलाह पर या सरकार के गिरने की स्थिति में, या आम चुनावों की घोषणा के बाद नई सरकार के गठन के लिए कर सकता है। राज्यसभा एक स्थायी निकाय है और इसका विघटन नहीं किया जा सकता।
  • गलत विकल्प: राज्यसभा का विघटन नहीं होता (b)। विघटन केवल राष्ट्रपति शासन के दौरान लागू नहीं होता, बल्कि सामान्य चुनावों से पहले भी होता है (c)। लोकसभा का विघटन संभव है (d)।

प्रश्न 25: ‘सांप्रदायिकता’ (Secularism) शब्द को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया था?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ शब्दों के साथ जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन भारत को एक ‘संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ के रूप में परिभाषित करता है। पंथनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होगा और वह सभी धर्मों का समान आदर करेगा।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाया था। 52वां संशोधन (1985) दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है। 61वां संशोधन (1989) ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 की थी।

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