समाजशास्त्र महा-अभ्यास: 25 प्रश्न, 25 विश्लेषण – अपनी पकड़ मज़बूत करें!
अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई और स्पष्टता को परखने के लिए तैयार हो जाइए! आज का यह विशेष अभ्यास सत्र आपको प्रमुख अवधारणाओं, विचारकों और भारतीय समाज की बारीकियों में ले जाएगा। अपनी परीक्षा की तैयारी को नई धार देने के लिए इन 25 प्रश्नों को हल करें और विस्तृत व्याख्याओं से अपनी समझ को और गहरा करें। चलिए, शुरू करते हैं यह बौद्धिक यात्रा!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “आत्मा की अंतःक्रिया” (Spirit of Social Interaction) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से सर्वाधिक निकटता से जुड़ी है, जो सामाजिक क्रियाओं के व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर बल देते हैं?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) या ‘समझ’ की अवधारणा को प्रतिपादित किया, जिसका अर्थ है कि समाजशास्त्रियों को सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्तियों द्वारा दिए गए व्यक्तिपरक अर्थों को समझना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का केंद्रीय तत्व है और ‘इकोनॉमी एंड सोसाइटी’ (Economy and Society) जैसे उनके कार्यों में विस्तृत है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवाद (Positivism) के विपरीत है।
- गलत विकल्प: ‘अनॉमी’ (Anomie) एमिल दुर्खीम की अवधारणा है, न कि वेबर की। ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Conflict) कार्ल मार्क्स का केंद्रीय विचार है। जॉर्ज सिमेल ने ‘सामाजिक रूप’ (Social Forms) पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ी गई ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किससे संबंधित है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
- तकनीकी विकास को अपनाना
- निम्न जाति द्वारा उच्च जाति की रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और विश्वासों को अपनाना
- शहरी जीवन शैली का प्रसार
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: संस्कृतिकरण, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत एक अवधारणा है, जो उस प्रक्रिया को दर्शाती है जिसमें कोई निम्न जाति या जनजाति उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर जाति पदानुक्रम (Caste Hierarchy) में उच्च स्थिति प्राप्त करने का प्रयास करती है।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने पहली बार अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में इस अवधारणा का प्रस्ताव रखा। यह संरचनात्मक गतिशीलता (Structural Mobility) के बजाय सांस्कृतिक गतिशीलता (Cultural Mobility) का एक रूप है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) पश्चिमी सांस्कृतिक लक्षणों को अपनाने से संबंधित है, जबकि ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) तकनीकी और संस्थागत परिवर्तनों से जुड़ी एक व्यापक अवधारणा है। ‘शहरी जीवन शैली का प्रसार’ शहरीकरण से संबंधित है।
प्रश्न 3: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने विकसित की?
- लिंटन
- समर
- हॉबहाउस
- मर्टन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: राल्फ लिंटन (Ralph Linton) ने “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा को विकसित किया, जिसमें समाज के विभिन्न सांस्कृतिक तत्वों (जैसे भौतिक संस्कृति और अभौतिक संस्कृति) के बीच परिवर्तन की दर में अंतर को दर्शाया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: लिंटन के अनुसार, भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अक्सर अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मानदंड, मूल्य, संस्थाएँ) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में एक प्रकार का विलंब या असंतुलन पैदा होता है।
- गलत विकल्प: विलियम ग्राहम समर (William Graham Sumner) ने ‘लोकप्रिय रीति’ (Folkways) और ‘रूढ़ियाँ’ (Mores) जैसी अवधारणाओं पर काम किया। एल.टी. हॉबहाउस (L.T. Hobhouse) सामाजिक विकास और नैतिकता पर अपने विचारों के लिए जाने जाते हैं। रॉबर्ट के. मर्टन (Robert K. Merton) ने ‘अनुकूली विचलन’ (Anomic Innovation) और ‘मध्य-श्रेणी सिद्धांत’ (Middle-Range Theory) जैसी महत्वपूर्ण अवधारणाएं दीं।
प्रश्न 4: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक व्यवस्था (Social Order) बनाए रखने में ‘सांistic एकता’ (Organic Solidarity) किस प्रकार की समाजों में पाई जाती है?
- सरल, आदिम समाजों में
- पारंपरिक, कृषक समाजों में
- जटिल, औद्योगिक समाजों में
- सभी प्रकार के समाजों में
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने तर्क दिया कि जटिल, औद्योगिक समाजों में ‘सांistic एकता’ पाई जाती है। यह श्रम विभाजन (Division of Labour) पर आधारित है, जहाँ व्यक्ति अपनी विशिष्ट भूमिकाओं के माध्यम से एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ में ‘यांत्रिक एकता’ (Mechanical Solidarity) और ‘सांistic एकता’ के बीच अंतर स्पष्ट किया। यांत्रिक एकता सरल समाजों में पाई जाती है, जो साझा विश्वासों और मूल्यों पर आधारित होती है।
- गलत विकल्प: सरल, आदिम समाजों में ‘यांत्रिक एकता’ होती है, जो सामूहिक चेतना (Collective Consciousness) पर निर्भर करती है। पारंपरिक समाजों में भी यांत्रिक एकता के तत्व अधिक पाए जाते हैं।
प्रश्न 5: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में ‘अलगाव’ (Alienation) का सबसे मुख्य स्रोत क्या है?
- राज्य की शक्ति
- सामाजिक स्तरीकरण
- उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव
- धर्म का प्रभाव
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था में श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, स्वयं के सार (Species-Being) और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करते हैं। इसका मूल कारण उत्पादन की प्रक्रिया है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में अलगाव की अवधारणा का विस्तृत विश्लेषण किया। श्रमिक अपने श्रम के फल के मालिक नहीं होते और उनका श्रम यांत्रिक हो जाता है, जिससे वह अपनी मानवीय क्षमता से कट जाता है।
- गलत विकल्प: राज्य की शक्ति, सामाजिक स्तरीकरण और धर्म का प्रभाव मार्क्स के लिए महत्वपूर्ण थे, लेकिन अलगाव का मुख्य कारण उत्पादन प्रक्रिया में श्रमिकों का शोषण और नियंत्रण में कमी को माना गया।
प्रश्न 6: समाजशास्त्र में ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रस्तावक कौन हैं?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- सी. राइट मिल्स
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- ई. बी. टायलर
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख विचारकों में से एक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि व्यक्ति अपने सामाजिक व्यवहार को प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) के माध्यम से दूसरों के साथ अंतःक्रिया करके विकसित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मीड की पुस्तक ‘Mind, Self, and Society’ इस सिद्धांत की आधारशिला मानी जाती है। उन्होंने ‘स्व’ (Self) के विकास में ‘अन्य’ (Others) और ‘महत्वपूर्ण अन्य’ (Significant Others) की भूमिका पर जोर दिया।
- गलत विकल्प: टैल्कॉट पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) से जुड़े हैं। सी. राइट मिल्स ने ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा दी। ई.बी. टायलर नृविज्ञान (Anthropology) में संस्कृति के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं।
- संस्थाएँ
- समूह
- सामाजिक भूमिकाएँ
- मानवीय भावनाएँ
- सटीकता: सामाजिक संरचना उन स्थायी और संगठित पैटर्न को संदर्भित करती है जो समाज के भीतर लोगों और समूहों के बीच संबंधों को परिभाषित करते हैं। संस्थाएँ, समूह और सामाजिक भूमिकाएँ इसके प्रमुख घटक हैं। मानवीय भावनाएँ व्यक्तिगत अनुभव हैं, न कि सामाजिक संरचना के औपचारिक घटक।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संरचना समाज के ‘ढांचे’ की तरह होती है, जो समाज के सदस्यों के व्यवहार को प्रभावित करती है। भावनाएँ व्यवहार का परिणाम हो सकती हैं, लेकिन वे संरचना का निर्माण खंड नहीं हैं।
- गलत विकल्प: संस्थाएँ (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म), विभिन्न प्रकार के समूह (जैसे प्राथमिक, द्वितीयक) और प्रत्येक व्यक्ति द्वारा निभाई जाने वाली सामाजिक भूमिकाएँ, सभी सामाजिक संरचना के महत्वपूर्ण तत्व हैं।
- सभी जनजातियों का एक समान भाषा होना
- सभी जनजातियों का आधुनिक जीवन शैली अपनाना
- विशिष्ट भौगोलिक अलगाव, विशिष्ट संस्कृति और राजनीतिक-आर्थिक पिछड़ापन
- सभी जनजातियों का शहरी क्षेत्रों में निवास
- सटीकता: जनजातीय समुदायों की पहचान अक्सर विशिष्ट भौगोलिक अलगाव, उनकी अपनी विशिष्ट संस्कृति, रीति-रिवाजों, भाषा और सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर की जाती है, जो उन्हें मुख्यधारा के समाज से अलग करती है।
- संदर्भ और विस्तार: विभिन्न समाजशास्त्रियों और नृवैज्ञानिकों ने जनजातियों को परिभाषित करने के लिए इन मापदंडों का उपयोग किया है, हालांकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये मापदंड समय के साथ बदल सकते हैं और सभी जनजातियों पर समान रूप से लागू नहीं होते।
- गलत विकल्प: जनजातियों की भाषाएँ भिन्न होती हैं, वे आधुनिकीकरण और शहरीकरण से प्रभावित हो रही हैं, और वे केवल शहरी क्षेत्रों में निवास नहीं करतीं।
- अभिसारी (Conformity)
- नवाचार (Innovation)
- अनुष्ठानवाद (Ritualism)
- पलायनवाद (Retreatism)
- सटीकता: रॉबर्ट के. मर्टन ने ‘अनॉमिसिटी’ (Anomie) के संदर्भ में पांच प्रकार के अनुकूलन (Adaptation) बताए: अभिसारी (Conformity), नवाचार (Innovation), अनुष्ठानवाद (Ritualism), पतन (Retreatism) और विद्रोह (Rebellion)। अभिसारी वह है जो सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों दोनों को स्वीकार करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अमेरिकी समाज का अध्ययन करते हुए यह सिद्धांत दिया कि जब समाज में सांस्कृतिक लक्ष्यों (जैसे धन कमाना) और उन्हें प्राप्त करने के संस्थागत साधनों (जैसे कड़ी मेहनत, शिक्षा) के बीच बेमेल होता है, तो विचलन उत्पन्न होता है। नवाचार लक्ष्य स्वीकार करता है पर साधन बदलता है; अनुष्ठानवाद साधन स्वीकार करता है पर लक्ष्य छोड़ देता है; पतन लक्ष्य और साधन दोनों छोड़ देता है; और विद्रोह दोनों को बदलता है।
- गलत विकल्प: नवाचार (Innovation), अनुष्ठानवाद (Ritualism), पलायनवाद (Retreatism) और विद्रोह (Rebellion) मर्टन के विचलन के प्रकार हैं। अभिसारी (Conformity) विचलन का प्रकार नहीं है, बल्कि व्यवस्था का हिस्सा है।
- सामाजिक क्रिया
- सामाजिक संरचना
- सांस्कृतिक मूल्य
- व्यक्तिगत मनोविकार
- सटीकता: समाजशास्त्र समाज का, सामाजिक संबंधों का, सामाजिक व्यवहार का और सामाजिक जीवन का व्यवस्थित अध्ययन करता है। सामाजिक क्रिया, सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक मूल्य समाजशास्त्र के केंद्रीय सिद्धांत और अध्ययन के विषय हैं। व्यक्तिगत मनोविकार (Individual Psychopathology) मुख्य रूप से मनोविज्ञान का क्षेत्र है, हालांकि समाजशास्त्र व्यक्तिगत व्यवहार को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारकों का अध्ययन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र समाज को एक इकाई के रूप में देखता है, जबकि मनोविज्ञान व्यक्ति के मन और व्यवहार पर केंद्रित होता है।
- गलत विकल्प: सामाजिक क्रिया (Max Weber), सामाजिक संरचना (Durkheim, Parsons), और सांस्कृतिक मूल्य (Durkheim, Parsons) समाजशास्त्र के मूलभूत सिद्धांत हैं।
- किसी व्यक्ति का समाज में स्थान परिवर्तन
- किसी व्यक्ति का एक सामाजिक वर्ग से दूसरे में जाना
- किसी व्यक्ति का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना
- लोगों के बीच बातचीत
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य समाज में व्यक्तियों या समूहों की स्थिति में होने वाले परिवर्तन से है, विशेष रूप से उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति, वर्ग या पदानुक्रम में।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility – ऊपर या नीचे जाना) और क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility – समान स्तर पर एक भूमिका से दूसरी भूमिका में जाना) शामिल हो सकती है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) बहुत सामान्य है। विकल्प (c) भौगोलिक गतिशीलता (Migration) है, न कि सामाजिक। विकल्प (d) सामाजिक अंतःक्रिया है।
- ए.एल. क्रोबर
- इमाइल दुर्खीम
- जॉर्ज पी. मर्डोक
- रॉबर्ट रेडफील्ड
- सटीकता: जॉर्ज पी. मर्डोक (George P. Murdock) ने “सांस्कृतिक सार्वभौमिक” की अवधारणा को विकसित किया, जिसका अर्थ है वे सभी सांस्कृतिक लक्षण या व्यवहार जो सभी ज्ञात समाजों में पाए जाते हैं, जैसे भोजन, आवास, भाषा, परिवार आदि।
- संदर्भ और विस्तार: मर्डोक ने अपनी पुस्तक ‘Social Structure’ (1949) में विभिन्न संस्कृतियों का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए इन सार्वभौमिक तत्वों की सूची बनाई।
- गलत विकल्प: ए.एल. क्रोबर (A.L. Kroeber) ने संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इमाइल दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और एकता पर काम किया। रॉबर्ट रेडफील्ड ने ‘लोक संस्कृति’ (Folk Culture) और ‘शहरी संस्कृति’ (Urban Culture) का अध्ययन किया।
- समरक्तता (Consanguineal)
- युग्मी (Syndasmian)
- युगल (Pair)
- बहुपत्नी (Polygynous)
- सटीकता: मॉर्गन (Morgan) और मैक्लेनन (McLennan) जैसे विकासवादी समाजशास्त्रियों ने तर्क दिया कि परिवार का सबसे प्रारंभिक रूप ‘समरक्तता’ (Consanguineal) था, जहाँ रक्त संबंधियों का एक समूह मिलकर रहता था और विवाह एक समूह के भीतर होता था।
- संदर्भ और विस्तार: इसके बाद युग्मी (Syndasmian) और अंततः एकल (Monogamous) परिवार का विकास हुआ। यह एक विवादास्पद सिद्धांत है।
- गलत विकल्प: युग्मी परिवार में एक पुरुष और एक महिला अस्थायी रूप से एक साथ रहते थे। युगल परिवार एक पुरुष और एक महिला का स्थायी संबंध है। बहुपत्नी परिवार में एक पुरुष की कई पत्नियाँ होती हैं।
- अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार)
- अनुच्छेद 15 (भेदभाव का निषेध)
- अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का अंत)
- अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता)
- सटीकता: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 सीधे तौर पर ‘अस्पृश्यता’ को समाप्त करता है और किसी भी रूप में इसके अभ्यास को दंडनीय अपराध घोषित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद भारतीय समाज से इस कुप्रथा को मिटाने के लिए एक मजबूत संवैधानिक आधार प्रदान करता है। अन्य अनुच्छेद भी समानता और भेदभाव के निषेध से संबंधित हैं, लेकिन अनुच्छेद 17 विशेष रूप से अस्पृश्यता के उन्मूलन पर केंद्रित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 15, और 16 महत्वपूर्ण हैं, लेकिन अस्पृश्यता के विशिष्ट उन्मूलन का उल्लेख अनुच्छेद 17 में है।
- राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक
- परंपरागत, करिश्माई, कानूनी-तर्कसंगत
- सक्रिय, निष्क्रिय, मिश्रित
- नौकरशाही, सामंती, प्रजातांत्रिक
- सटीकता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार (Ideal Types) बताए: परंपरागत सत्ता (Traditional Authority – जो परंपराओं पर आधारित हो), करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority – जो नेता के असाधारण व्यक्तिगत गुणों पर आधारित हो) और कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (Legal-Rational Authority – जो नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित हो)।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, आधुनिक समाजों में कानूनी-तर्कसंगत सत्ता प्रमुख होती है, जो नौकरशाही (Bureaucracy) के माध्यम से व्यक्त होती है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प सत्ता के प्रकारों का वर्गीकरण नहीं करते, बल्कि समाज की अन्य विशेषताओं को दर्शाते हैं।
- विद्यालय
- धर्म
- जाति
- परिवार
- सटीकता: विद्यालय, धर्म और परिवार, ये सभी स्थापित सामाजिक संस्थाएँ हैं जिनका समाज में विशेष कार्य और संरचना होती है। जाति एक ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का प्रकार है, न कि अपने आप में एक संस्था। हालाँकि, जाति व्यवस्था के अपने नियम, अनुष्ठान और सामाजिक समूह होते हैं, लेकिन समाजशास्त्रीय विश्लेषण में इसे स्तरीकरण के रूप में अधिक समझा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: संस्थाएँ समाज के विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने वाले अपेक्षाकृत स्थायी और संगठित पैटर्न हैं।
- गलत विकल्प: विद्यालय (शिक्षा), धर्म (आस्था और अनुष्ठान) और परिवार (पुनरुत्पादन, समाजीकरण) सभी प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं। जाति मुख्य रूप से एक स्तरीकरण व्यवस्था है।
- प्रश्नावली
- साक्षात्कार
- सहभागी अवलोकन (Participant Observation)
- सांख्यिकीय विश्लेषण
- सटीकता: सहभागी अवलोकन एक गुणात्मक अनुसंधान विधि है जिसमें शोधकर्ता स्वयं उस सामाजिक समूह या समुदाय का हिस्सा बन जाता है जिसका वह अध्ययन कर रहा है, और उनकी गतिविधियों, अंतःक्रियाओं और व्यवहारों को प्रत्यक्ष रूप से देखता और रिकॉर्ड करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विधि समूह के सदस्यों के दृष्टिकोण और उनके जीवन जीने के तरीके को गहराई से समझने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, हर्बर्ट ब्लूमर (Herbert Blumer) ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का अध्ययन करने के लिए इसका उपयोग किया।
- गलत विकल्प: प्रश्नावली लिखित या मौखिक प्रश्नों का एक समूह है। साक्षात्कार आमने-सामने या दूर से प्रश्न पूछना है। सांख्यिकीय विश्लेषण मात्रात्मक डेटा का विश्लेषण है।
- पियरे बॉर्डियू
- एंथोनी गिडेंस
- अर्चना ए.APPADURAI
- लुई अल्थुसर
- सटीकता: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने सामाजिक पूंजी की अवधारणा को विकसित किया, जो व्यक्तियों या समूहों के पास मौजूद सामाजिक नेटवर्क, संबंधों और उनसे प्राप्त होने वाले लाभों को संदर्भित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू के अनुसार, सामाजिक पूंजी, आर्थिक पूंजी (धन) और सांस्कृतिक पूंजी (ज्ञान, शिक्षा, शैली) के साथ मिलकर व्यक्तियों को सामाजिक और आर्थिक सीढ़ी पर चढ़ने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: एंथोनी गिडेंस संरचना की दुविधा (Duality of Structure) और आधुनिकीकरण के सिद्धांतों के लिए जाने जाते हैं। अर्चना ए.APPADURAI (संभवतः Arjun Appadurai का उल्लेख है) ने ‘ग्लोबलाइजेशन’ और ‘कल्चर’ पर लिखा। लुई अल्थुसर मार्क्सवादी विचारक हैं।
- नगरीकरण केवल औद्योगिक विकास का परिणाम है।
- ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर प्रवासन नगरीकरण का मुख्य कारण है।
- भारत में नगरीकरण की दर विकसित देशों की तुलना में बहुत धीमी है।
- सभी शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास समान रूप से हुआ है।
- सटीकता: ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर प्रवासन, विशेष रूप से आर्थिक अवसरों की तलाश में, भारत में नगरीकरण का एक प्रमुख चालक रहा है।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि औद्योगिक विकास भी नगरीकरण में योगदान देता है, लेकिन भारत में यह प्रवासन एक महत्वपूर्ण कारक है। भारत में नगरीकरण की दर हालांकि बढ़ रही है, लेकिन विकसित देशों की तुलना में यह अभी भी कम है। साथ ही, शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास असमान है।
- गलत विकल्प: नगरीकरण केवल औद्योगिक विकास का परिणाम नहीं है। भारत में दर धीमी नहीं, बल्कि तीव्र है (विकसित देशों की तुलना में)। बुनियादी सुविधाओं का विकास असमान है।
- समाज में लोगों का समूहों में विभाजन।
- समाज में असमानता की व्यवस्था, जहाँ लोगों को उनकी सामाजिक स्थिति के आधार पर विभिन्न स्तरों पर वर्गीकृत किया जाता है।
- सभी लोगों का समान होना।
- ज्ञान और सूचना का वितरण।
- सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें समाज के सदस्यों को उनकी आय, धन, शिक्षा, व्यवसाय, शक्ति, प्रतिष्ठा या जाति जैसी विशेषताओं के आधार पर असमान स्तरों या स्तरों में विभाजित किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक सार्वभौमिक घटना है जो विभिन्न रूपों (जैसे वर्ग, जाति, लिंग) में मौजूद है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित हो सकती है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) बहुत सामान्य है। विकल्प (c) स्तरीकरण के विपरीत है। विकल्प (d) ज्ञान वितरण से संबंधित है, न कि संपूर्ण स्तरीकरण से।
- ज्ञान के सामाजिक निर्माण (Social Construction of Knowledge) की जांच करना।
- मनुष्य की व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियाँ।
- वैज्ञानिक सिद्धांतों की सत्यता का परीक्षण करना।
- मानव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली का अध्ययन।
- सटीकता: ज्ञान के समाजशास्त्र का मुख्य सरोकार यह अध्ययन करना है कि ज्ञान कैसे सामाजिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक संदर्भों से प्रभावित होता है और उसका निर्माण सामाजिक रूप से कैसे होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाजशास्त्र की वह शाखा है जो यह पड़ताल करती है कि समाज में कौन से विचार ‘ज्ञान’ माने जाते हैं, वे कैसे उत्पन्न होते हैं, फैलते हैं और परिवर्तित होते हैं। पीटर एल. बर्जर (Peter L. Berger) और थॉमस लकमैन (Thomas Luckmann) ने ‘The Social Construction of Reality’ में इस पर विस्तार से लिखा।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत मनोविज्ञान, वैज्ञानिक सत्यता का परीक्षण और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली क्रमशः मनोविज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र हैं।
- सामाजिक आंदोलन
- जनसंचार
- सामूहिक व्यवहार (Collective Behaviour)
- सामाजिक नियंत्रण
- सटीकता: सामूहिक व्यवहार (Collective Behaviour) उन सामाजिक घटनाओं का अध्ययन करता है जो अनौपचारिक, अस्थायी और अक्सर गैर-संस्थागत समूहों में घटित होती हैं, जैसे कि भीड़, जन आंदोलन, सामूहिक उन्माद, अफवाहें आदि।
- संदर्भ और विस्तार: गस्टाव ले बॉन (Gustave Le Bon) जैसे विचारकों ने भीड़ के मनोविज्ञान पर लिखा, और बाद में समाजशास्त्रियों ने इस क्षेत्र का व्यवस्थित अध्ययन किया।
- गलत विकल्प: सामाजिक आंदोलन बड़े, संगठित और दीर्घकालिक प्रयास होते हैं। जनसंचार (Mass Communication) सूचना के प्रसार की प्रक्रिया है। सामाजिक नियंत्रण समाज द्वारा अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करने के तरीके हैं।
- केवल महिलाओं का घरेलू कार्यों तक सीमित रहना।
- पुरुषों का शक्ति, अधिकार और विशेषाधिकारों पर एकाधिकार।
- सभी सदस्यों का समान सामाजिक दर्जा होना।
- समाज में महिलाओं की प्रधानता।
- सटीकता: पितृसत्ता एक सामाजिक व्यवस्था है जिसमें पुरुषों को सत्ता, अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, और वे समाज में प्रमुख स्थान रखते हैं। इसमें महिलाओं को अधीनस्थ स्थिति में रखा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह केवल घरेलू कामों तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीति, अर्थव्यवस्था, धर्म और परिवार जैसे सभी सामाजिक क्षेत्रों में व्याप्त है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) पितृसत्ता का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह पूरी परिभाषा नहीं है। विकल्प (c) पितृसत्ता के विपरीत है। विकल्प (d) मातृसत्ता (Matriarchy) को दर्शाता है।
- पारंपरिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण।
- औद्योगीकरण, शहरीकरण और तर्कसंगतता में वृद्धि।
- सामुदायिक संबंधों का महत्व बढ़ना।
- रूढ़िवादी धार्मिक सिद्धांतों का प्रसार।
- सटीकता: आधुनिकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें समाज का औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार, तर्कसंगतता (Rationality) का उदय, धर्मनिरपेक्षता (Secularization) और राष्ट्रीयता की भावना का विकास शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: यह पारंपरिक समाजों से औद्योगिक और उत्तर-औद्योगिक समाजों की ओर परिवर्तन को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: आधुनिकीकरण में पारंपरिक मूल्यों का ह्रास (या परिवर्तन) होता है, सामुदायिक संबंधों का महत्व घटता है (व्यक्तिवाद बढ़ता है), और धार्मिक प्रभाव कम हो सकता है (धर्मनिरपेक्षता)।
- इमाइल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- सी. राइट मिल्स
- कार्ल मार्क्स
- सटीकता: सी. राइट मिल्स (C. Wright Mills) ने अपनी 1959 की पुस्तक ‘The Sociological Imagination’ में इस अवधारणा को प्रतिपादित किया।
- संदर्भ और विस्तार: मिल्स के अनुसार, समाजशास्त्रीय कल्पना वह क्षमता है जो व्यक्तिगत अनुभवों (Biography) और सार्वजनिक मुद्दों (Public Issues) के बीच संबंध स्थापित करती है, तथा यह समझने में मदद करती है कि कैसे सामाजिक संरचनाएँ व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती हैं। यह व्यक्तिगत समस्याओं को व्यापक सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भों में देखने का दृष्टिकोण है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम, वेबर और मार्क्स महान समाजशास्त्री हैं जिन्होंने समाज को समझने के लिए अपने-अपने दृष्टिकोण विकसित किए, लेकिन ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ शब्द मिल्स से जुड़ा है।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संरचना (Social Structure) का घटक नहीं है?
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 8: भारतीय समाज में ‘जनजातीय समुदायों’ (Tribal Communities) की पहचान के लिए निम्नलिखित में से कौन सा मापदंड महत्वपूर्ण माना जाता है?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 9: रॉबर्ट के. मर्टन ने ‘अनुकूली विचलन’ (Anomic Deviation) के पाँच प्रकार बताए थे। निम्नलिखित में से कौन सा इन पाँच प्रकारों में शामिल नहीं है?
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 10: निम्न में से कौन सा समाजशास्त्र का मूल सिद्धांत नहीं है?
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 11: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का क्या अर्थ है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 12: “सांस्कृतिक सार्वभौमिक” (Cultural Universals) की अवधारणा किसने विकसित की?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 13: परिवार की उत्पत्ति के विकासवादी सिद्धांत के अनुसार, प्रारंभिक समाजों में परिवार का सबसे पहला रूप क्या माना जाता है?
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 14: भारतीय समाज में ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) के उन्मूलन के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक प्रावधान सबसे महत्वपूर्ण है?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 15: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘सत्ता’ (Authority) के तीन प्रमुख प्रकार कौन से हैं?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का उदाहरण नहीं है?
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 17: समाजशास्त्र में ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) की कौन सी विधि अवलोकन (Observation) पर आधारित है, जिसमें शोधकर्ता समूह का हिस्सा बनकर या उसके पास रहकर डेटा एकत्र करता है?
उत्तर: (c)
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प्रश्न 18: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा किसके द्वारा विकसित की गई है?
उत्तर: (a)
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प्रश्न 19: भारत में ‘नगरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
उत्तर: (b)
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प्रश्न 20: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा ‘ज्ञान का समाजशास्त्र’ (Sociology of Knowledge) का केंद्रीय सरोकार है?
उत्तर: (a)
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प्रश्न 22: ‘सामूहिक उन्माद’ (Collective Frenzy) या ‘सामूहिक भ्रम’ (Mass Hysteria) जैसी घटनाओं का अध्ययन किस समाजशास्त्रीय अवधारणा के अंतर्गत आता है?
उत्तर: (c)
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प्रश्न 23: भारत में ‘पितृसत्ता’ (Patriarchy) की अवधारणा को समझने के लिए, निम्नलिखित में से कौन सा कारक महत्वपूर्ण है?
उत्तर: (b)
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प्रश्न 24: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण पहलू है?
उत्तर: (b)
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प्रश्न 25: ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा का प्रयोग किस समाजशास्त्री ने किया?
उत्तर: (c)
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