समाजशास्त्र महा-मॉक: अपनी पकड़ मज़बूत करें!
क्या आप समाजशास्त्र के गूढ़ रहस्यों को सुलझाने के लिए तैयार हैं? दैनिक अभ्यास श्रृंखला के इस नए अंक में, हम समाजशास्त्रीय विचारों, सिद्धांतों और भारतीय समाज की गहराइयों में उतरेंगे। अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखें, क्योंकि हम आपके लिए लाए हैं 25 गहन प्रश्न!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘डेर स्टैट’ (Der Staat) शब्द का प्रयोग किसने किया और इसका अर्थ क्या है?
- मैक्स वेबर, जिसका अर्थ है ‘राज्य’
- कार्ल मार्क्स, जिसका अर्थ है ‘वर्ग संघर्ष’
- एमिल दुर्खीम, जिसका अर्थ है ‘सामाजिक एकता’
- अगस्त कॉम्टे, जिसका अर्थ है ‘समाजशास्त्र’
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने ‘डेर स्टैट’ (Der Staat) शब्द का प्रयोग किया, जिसका जर्मन में अर्थ ‘राज्य’ है। वेबर ने राज्य को ऐसे मानव समुदाय के रूप में परिभाषित किया जो किसी विशेष क्षेत्र के भीतर, उस क्षेत्र पर वैध शारीरिक बल के प्रयोग के एकाधिकार का दावा करता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का यह विचार उनके राज्य और शक्ति के विश्लेषण का आधार है। उन्होंने सत्ता के तीन प्रकारों – पारंपरिक, करिश्माई और कानूनी-तर्कसंगत – का भी वर्णन किया, जो राज्य के संचालन को समझने में मदद करते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ की अवधारणा दी, एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकता’ (Solidarity) और ‘एनोमी’ (Anomie) पर काम किया, और अगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, लेकिन उन्होंने ‘डेर स्टैट’ शब्द का प्रयोग नहीं किया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा कार्ल मार्क्स द्वारा समाज को समझने के लिए नहीं दी गई है?
- अलगाव (Alienation)
- वर्ग संघर्ष (Class Struggle)
- पूंजीवाद का प्रसार (Diffusion of Capitalism)
- उत्पादन के साधन (Means of Production)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation), ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) और ‘उत्पादन के साधन’ (Means of Production) जैसी अवधारणाओं का गहन विश्लेषण किया। ‘पूंजीवाद का प्रसार’ (Diffusion of Capitalism) एक ऐसी अवधारणा है जो सीधे तौर पर मार्क्स के मुख्य विश्लेषण का हिस्सा नहीं है, बल्कि उनके पूंजीवाद के आलोचनात्मक अध्ययन का परिणाम है।
- संदर्भ और विस्तार: अलगाव की अवधारणा मार्क्स ने विशेष रूप से श्रमिक वर्ग के अनुभव के संबंध में प्रस्तुत की, जहाँ श्रमिक उत्पादन की प्रक्रिया और अपने श्रम के उत्पादों से अलग महसूस करता है। वर्ग संघर्ष उनके ऐतिहासिक भौतिकवाद का मूल है।
- गलत विकल्प: ये सभी अवधारणाएं मार्क्स के काम से संबंधित हैं, लेकिन ‘पूंजीवाद का प्रसार’ उनके सैद्धांतिक ढांचे की केंद्रीय अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि एक अवलोकन है।
प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?
- जब सामाजिक नियम स्पष्ट और प्रभावी होते हैं
- जब सामाजिक नियम कमजोर या अनुपस्थित होते हैं
- जब व्यक्ति अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण में रहता है
- जब समाज में पूर्ण समानता होती है
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ को उस स्थिति के रूप में परिभाषित किया है जहाँ समाज के नियम कमजोर, अस्पष्ट या अनुपस्थित होते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ में इस अवधारणा का प्रयोग किया। एनोमी विशेष रूप से सामाजिक परिवर्तन या आर्थिक संकटों के दौरान उत्पन्न हो सकती है, जब स्थापित सामाजिक मानदंडों का पालन करना मुश्किल हो जाता है।
- गलत विकल्प: स्पष्ट नियम नियंत्रण लाते हैं, लेकिन एनोमी नहीं। अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण एक प्रकार का प्रतिबंध है, न कि नियमों का अभाव। पूर्ण समानता का मतलब जरूरी नहीं कि नियमों का अभाव हो।
प्रश्न 4: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के संबंध में, ‘कैरियर एंडोगामी’ (Kareer Endogamy) किस अवधारणा से सबसे अधिक निकटता से जुड़ी है?
- वर्ग (Class)
- जाति (Caste)
- यौनिकता (Sexuality)
- राष्ट्रीयता (Nationality)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: ‘कैरियर एंडोगामी’ (Kareer Endogamy) या ‘जातिगत अंतर्विवाह’ भारतीय जाति व्यवस्था का एक प्रमुख सिद्धांत है, जहाँ व्यक्ति को अपनी ही जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करना होता है।
संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास ने जाति व्यवस्था के विश्लेषण में इस पर जोर दिया। यह जाति की स्थिरता और वंशानुक्रम को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गलत विकल्प: वर्ग, यौनिकता और राष्ट्रीयता की अपनी विवाह संबंधी प्रवृत्तियां हो सकती हैं, लेकिन ‘कैरियर एंडोगामी’ विशेष रूप से जाति की परिभाषित विशेषता है।
प्रश्न 5: मैक्रो-सोशियोलॉजिकल परिप्रेक्ष्य (Macro-sociological Perspective) का सबसे अच्छा उदाहरण कौन सा सिद्धांत है?
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- जातीय-कार्यप्रणाली (Ethnomethodology)
- सूक्ष्म-समाजशास्त्र (Microsociology)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) एक मैक्रो-सोशियोलॉजिकल परिप्रेक्ष्य है जो समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है, जिसके विभिन्न भाग (संरचनाएं) मिलकर कार्य करते हैं और समाज के संतुलन व स्थिरता को बनाए रखते हैं।
संदर्भ और विस्तार: इसके प्रमुख समर्थकों में टैल्कॉट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन शामिल हैं। यह समाज के व्यापक पैटर्न, संस्थाओं और संरचनाओं पर केंद्रित होता है।
गलत विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद और जातीय-कार्यप्रणाली सूक्ष्म-समाजशास्त्रीय (Microsociological) परिप्रेक्ष्य हैं, जो व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं और अर्थों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) के कारण हुए सामाजिक परिवर्तनों का विशेष रूप से अध्ययन करने के लिए जाने जाते हैं?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: कार्ल मार्क्स, मैक्स वेबर और एमिल दुर्खीम तीनों ही 19वीं सदी के समाजशास्त्री थे जिन्होंने औद्योगीकरण, पूंजीवाद और उसके परिणामस्वरूप होने वाले सामाजिक परिवर्तनों का गहराई से अध्ययन किया।
संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने पूंजीवाद के विकास और वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया, वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता (rationalization) के उदय का विश्लेषण किया, और दुर्खीम ने श्रम के विभाजन और उसके सामाजिक परिणामों का अध्ययन किया।
गलत विकल्प: यह तीनों ही विचारक इस विषय से गहराई से जुड़े हैं।
प्रश्न 7: ‘सर्वेंट लाइफ’ (Servant Life) और ‘पैटर्न ऑफ कॉम्बैट’ (Patterns of Combat) जैसी अवधारणाएँ जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) के किस प्रमुख सैद्धांतिक योगदान से संबंधित हैं?
- सामाजिक स्वरूपिकी (Social Morphology)
- रूपांतरण (Metamorphosis)
- पहचान (Identity)
- अजनबी (The Stranger)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: जॉर्ज सिमेल ने ‘सामाजिक स्वरूपिकी’ (Social Morphology) का विकास किया, जो अंतःक्रियाओं के अमूर्त (abstract) पैटर्नों का अध्ययन है। ‘सर्वेंट लाइफ’ और ‘पैटर्न ऑफ कॉम्बैट’ जैसी अवधारणाएँ उन्होंने सामाजिक स्वरूपों के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कीं।
संदर्भ और विस्तार: सिमेल ने इन अमूर्त सामाजिक रूपों की पहचान की जो विभिन्न सामाजिक संदर्भों में दोहराए जा सकते हैं, जैसे कि अजनबी, नायक, या समूह के प्रति संबंध।
गलत विकल्प: रूपांतरण, पहचान और अजनबी (The Stranger) भी सिमेल की महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं, लेकिन ‘सर्वेंट लाइफ’ और ‘पैटर्न ऑफ कॉम्बैट’ सीधे तौर पर सामाजिक स्वरूपों के विश्लेषण का हिस्सा हैं।
प्रश्न 8: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) द्वारा दी गई ‘लेटेंट फंक्शन्स’ (Latent Functions) की अवधारणा क्या दर्शाती है?
- समाज में प्रत्यक्ष और वांछित परिणाम
- सामाजिक व्यवस्था के छिपे हुए और अनपेक्षित परिणाम
- समाज के पतन के कारण
- व्यक्तिगत पूर्वाग्रह
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘लेटेंट फंक्शन्स’ को सामाजिक व्यवहारों, संरचनाओं या संस्थाओं के छिपे हुए, अनपेक्षित या अचेतन (unintended) परिणामों के रूप में परिभाषित किया।
संदर्भ और विस्तार: उन्होंने ‘मैनिफेस्ट फंक्शन्स’ (Manifest Functions) के विपरीत ‘लेटेंट फंक्शन्स’ को समझाया। मैनिफेस्ट फंक्शन्स प्रत्यक्ष और सचेत परिणाम होते हैं। उदाहरण के लिए, एक सार्वजनिक पार्क का मैनिफेस्ट फंक्शन मनोरंजन प्रदान करना है, जबकि लेटेंट फंक्शन सामाजिक मेलजोल को बढ़ाना हो सकता है।
गलत विकल्प: प्रत्यक्ष और वांछित परिणाम मैनिफेस्ट फंक्शन्स हैं। समाज के पतन या व्यक्तिगत पूर्वाग्रह उनकी अवधारणाओं के मुख्य बिंदु नहीं हैं।
प्रश्न 9: समाजशास्त्र में ‘इथोस’ (Ethos) की अवधारणा का सबसे उपयुक्त अर्थ क्या है?
- किसी समाज या संस्कृति के मूल चरित्र या विशिष्ट भावना
- सामूहिक चेतना का स्तर
- सामाजिक गतिशीलता का सूचक
- व्यक्तिगत व्यवहार का प्रतिमान
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: ‘इथोस’ किसी विशेष समाज, समूह या संस्कृति के मूल चरित्र, आचरण की शैली, मूल्यों और विश्वासों के समुच्चय को संदर्भित करता है, जो उसकी विशिष्ट पहचान बनाता है।
संदर्भ और विस्तार: यह शब्द अक्सर रूथ बेनेडिक्ट और मार्गरेट मीड जैसे मानवशास्त्रियों द्वारा संस्कृतियों के पैटर्न को समझने के लिए उपयोग किया गया था।
गलत विकल्प: सामूहिक चेतना दुर्खीम की अवधारणा है, सामाजिक गतिशीलता गति को दर्शाती है, और व्यक्तिगत व्यवहार व्यक्तिगत स्तर पर केंद्रित होता है।
प्रश्न 10: जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘पवित्रता-अपवित्रता’ (Purity-Pollution) का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया?
- जी. एस. घुरिये
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- जे.एच. हट्टन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने अपनी महत्वपूर्ण रचनाओं में जाति व्यवस्था के अध्ययन में ‘पवित्रता-अपवित्रता’ के सिद्धांत पर जोर दिया, जो जाति पदानुक्रम को समझने की कुंजी है।
संदर्भ और विस्तार: उनके अनुसार, उच्च जातियां पवित्र मानी जाती हैं और निम्न जातियां अपवित्र, और यह पवित्रता-अपवित्रता का पैमाना ही अंतर्विवाह, खान-पान संबंधी नियमों और व्यवसायों को निर्धारित करता है।
गलत विकल्प: अन्य विद्वानों ने भी जाति पर काम किया है, लेकिन पवित्रता-अपवित्रता का संबंध मुख्य रूप से श्रीनिवास से है।
प्रश्न 11: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के मुख्य प्रणेता कौन माने जाते हैं?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- अगस्त कॉम्टे
- मैक्स वेबर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख संस्थापकों में से एक माना जाता है। उन्होंने ‘स्व’ (Self) और ‘समाज’ (Society) के निर्माण में प्रतीकों और अंतःक्रियाओं की भूमिका पर बल दिया।
संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक ‘माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी’ (Mind, Self and Society) इस दृष्टिकोण का आधार है। उन्होंने ‘टेक द रोल ऑफ द अदर’ (Take the role of the other) जैसी महत्वपूर्ण अवधारणाएं दीं।
गलत विकल्प: पार्सन्स प्रकार्यवाद, कॉम्टे प्रत्यक्षवाद, और वेबर व्याख्यात्मक समाजशास्त्र से जुड़े हैं।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का उदाहरण नहीं है?
- परिवार
- शिक्षा
- राजनीति
- मानवीय भावनाएँ
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: परिवार, शिक्षा और राजनीति समाज की प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं, जो विशिष्ट उद्देश्य, नियम और संरचनाएं रखती हैं। मानवीय भावनाएँ व्यक्तिगत अनुभव हैं, न कि सामाजिक संस्थाएँ।
संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संस्थाएँ वे स्थापित और स्थायी पैटर्न हैं जो समाज की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
गलत विकल्प: मानवीय भावनाएँ समाज का आधार हैं, लेकिन वे अपने आप में एक संस्था के रूप में संरचित नहीं होतीं।
प्रश्न 13: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) की अवधारणा को सबसे अच्छी तरह से कौन परिभाषित करता है?
- व्यक्तियों के बीच अंतःक्रियाओं का कुल योग
- स्थिर सामाजिक पैटर्न, भूमिकाएँ और पद जो समाज के व्यवहार को व्यवस्थित करते हैं
- व्यक्तिगत अनुभव और भावनाएँ
- सामाजिक परिवर्तन की दर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: सामाजिक संरचना से तात्पर्य समाज के उन स्थिर पैटर्न, भूमिकाओं, पदों और संबंधों से है जो व्यक्तियों और समूहों के व्यवहार को व्यवस्थित करते हैं और समाज को एक विशिष्ट रूप प्रदान करते हैं।
संदर्भ और विस्तार: संरचनाएं समाज के सदस्यों को एक ढांचा प्रदान करती हैं, जिससे उन्हें पता चलता है कि कैसे व्यवहार करना है और उनसे क्या उम्मीद की जाती है।
गलत विकल्प: केवल अंतःक्रियाएँ संरचना नहीं बनातीं; वे संरचना के भीतर घटित होती हैं। व्यक्तिगत अनुभव संरचना से भिन्न होते हैं। परिवर्तन की दर संरचना का परिणाम हो सकती है, न कि स्वयं संरचना।
प्रश्न 14: भारत में ‘ग्राम सरकार’ (Village Government) के संदर्भ में, पंचायती राज व्यवस्था किस सिद्धांत पर आधारित है?
- केंद्रीकरण
- विकेंद्रीकरण
- नौकरशाही
- व्यक्तिवाद
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: पंचायती राज व्यवस्था, जो स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देती है, ‘विकेंद्रीकरण’ (Decentralization) के सिद्धांत पर आधारित है। यह शक्ति और निर्णय लेने की प्रक्रिया को केंद्रीय सरकार से स्थानीय स्तर पर हस्तांतरित करती है।
संदर्भ और विस्तार: 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियमों ने पंचायती राज संस्थाओं (ग्रामीण) और नगर पालिकाओं (शहरी) को संवैधानिक दर्जा दिया।
गलत विकल्प: केंद्रीकरण शक्ति को केंद्र में केंद्रित करता है। नौकरशाही नियमों और पदानुक्रम पर आधारित है। व्यक्तिवाद व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर जोर देता है।
प्रश्न 15: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया से संबंधित कौन सी अवधारणा भारतीय समाज के संदर्भ में एम.एन. श्रीनिवास ने दी?
- सक्रियण (Activation)
- संस्कृतिकरण (Sanskritization)
- पश्चिमीकरण (Westernization)
- वैश्वीकरण (Globalization)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा का उपयोग उस प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए किया, जिसमें भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान पश्चिमी जीवन शैली, रीति-रिवाजों, विचारों और संस्थाओं को अपनाना शामिल था।
संदर्भ और विस्तार: यह आधुनिकीकरण का एक विशिष्ट रूप था जो औपनिवेशिक शक्ति के प्रभाव से उत्पन्न हुआ।
गलत विकल्प: संस्कृतिकरण स्वयं भारतीय समाज की आंतरिक प्रक्रिया है। सक्रियण और वैश्वीकरण व्यापक शब्द हैं, लेकिन पश्चिमीकरण श्रीनिवास की विशिष्ट देन है।
प्रश्न 16: समाजशास्त्रीय अनुसंधान विधियों में, ‘गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
- संख्यात्मक डेटा एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना
- घटनाओं के पीछे के अर्थ, अनुभव और समझ को खोजना
- सांख्यिकीय संबंध स्थापित करना
- व्यापक सामान्यीकरण करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: गुणात्मक अनुसंधान का उद्देश्य घटनाओं के गहन, वर्णनात्मक समझ को प्राप्त करना है, जिसमें उनके अर्थ, अनुभव, संदर्भ और छिपे हुए पहलू शामिल होते हैं।
संदर्भ और विस्तार: इसमें साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी जैसी विधियों का प्रयोग होता है।
गलत विकल्प: संख्यात्मक डेटा एकत्र करना मात्रात्मक (Quantitative) अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य है। सांख्यिकीय संबंध और व्यापक सामान्यीकरण भी मुख्य रूप से मात्रात्मक अनुसंधान से जुड़े हैं।
प्रश्न 17: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) के लिए ‘बाह्य कारक’ (Exogenous Factors) का क्या अर्थ है?
- समाज के भीतर से उत्पन्न होने वाले कारक
- समाज के बाहर से आने वाले कारक जो परिवर्तन लाते हैं
- व्यक्तिगत प्रयासों से होने वाला परिवर्तन
- आर्थिक विकास की दर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: सामाजिक परिवर्तन के संदर्भ में, बाह्य कारक (Exogenous Factors) वे बाहरी तत्व या प्रभाव होते हैं जो समाज के भीतर परिवर्तन लाते हैं, जैसे कि अन्य समाजों से संपर्क, तकनीकी आविष्कार, या प्राकृतिक आपदाएँ।
संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, अंतर्जात कारक (Endogenous Factors) समाज के भीतर से ही उत्पन्न होते हैं, जैसे सामाजिक संघर्ष या नवाचार।
गलत विकल्प: समाज के भीतर से आने वाले कारक अंतर्जात होते हैं। व्यक्तिगत प्रयास या आर्थिक विकास परिवर्तन के स्रोत हो सकते हैं, लेकिन परिभाषा बाह्य कारकों की बाहरी उत्पत्ति पर केंद्रित है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘उत्तर-औद्योगीकृत समाज’ (Post-Industrial Society) के अध्ययन से सबसे अधिक जुड़ी है?
- कृषि अर्थव्यवस्था
- सेवा क्षेत्र की प्रधानता
- भारी उद्योग
- प्रचलित सामंतवाद
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: उत्तर-औद्योगीकृत समाज की एक मुख्य विशेषता सेवा क्षेत्र (Service Sector) की प्रधानता है, जहाँ सूचना, ज्ञान, प्रौद्योगिकी और सेवा-आधारित उद्योगों का महत्व बढ़ता है, जबकि विनिर्माण (Manufacturing) कम हो जाता है।
संदर्भ और विस्तार: डैनियल बेल (Daniel Bell) जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा को विकसित किया।
गलत विकल्प: ये अन्य विकल्प औद्योगिक या पूर्व-औद्योगिक समाजों की विशेषताएं हैं।
प्रश्न 19: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ क्या है?
- समाज के विभिन्न वर्गों के बीच संबंध
- एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में या एक ही पीढ़ी के भीतर व्यक्तियों या समूहों की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
- समाज में प्रचलित सामाजिक मानदंड
- सामाजिक संरचना का अध्ययन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: सामाजिक गतिशीलता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाते हैं, चाहे वह उसी पीढ़ी में हो (क्षैतिज या लंबवत) या अगली पीढ़ी में (अंतः-पीढ़ीगत)।
संदर्भ और विस्तार: इसमें सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर या नीचे की ओर बढ़ना शामिल हो सकता है।
गलत विकल्प: अन्य विकल्प सामाजिक गतिशीलता से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 20: भारत में ‘जनजातीय समुदाय’ (Tribal Communities) के अध्ययन में ‘अलगाव’ (Isolation) और ‘आत्मसात’ (Assimilation) की नीतियाँ किसके द्वारा प्रस्तावित की गईं?
- बी. एस. गुहा
- एल. पी. विद्यार्थी
- वरियर एलविन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: वरियर एलविन, एक प्रमुख मानवशास्त्री, ने जनजातीय समुदायों के संबंध में ‘अलगाव’ (Isolation) और ‘आत्मसात’ (Assimilation) दोनों की नीतियों की व्यवहार्यता और परिणामों का अध्ययन किया, अंततः अलगाव की नीति का समर्थन किया।
संदर्भ और विस्तार: उन्होंने जनजातियों के सांस्कृतिक अलगाव और उनकी अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखने की वकालत की।
गलत विकल्प: बी. एस. गुहा और एल. पी. विद्यार्थी ने भी जनजातियों पर महत्वपूर्ण काम किया है, लेकिन एलविन अलगाव और आत्मसात की बहस से गहराई से जुड़े हैं।
प्रश्न 21: ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से प्रमुखता से जुड़ी है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- सी. राइट मिल्स
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) की अवधारणा को पेश किया, जिसका अर्थ है एक समाज के सदस्यों में साझा विश्वासों, मूल्यों और मनोवृत्तियों का समुच्चय।
संदर्भ और विस्तार: यह समाज की एकता और एकजुटता का आधार बनती है। दुर्खीम के अनुसार, यह यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity) वाले समाजों में अधिक मजबूत होती है।
गलत विकल्प: मार्क्स वर्ग चेतना, वेबर नौकरशाही और शक्ति, और मिल्स पावर एलिट से जुड़े हैं।
प्रश्न 22: ‘संरचनात्मक हिंसा’ (Structural Violence) की अवधारणा किसने विकसित की?
- हॉबर्ट स्पेंसर
- जोहान गैल्टुंग
- इमाइल दुर्खीम
- पीटर बर्जर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: जोहान गैल्टुंग (Johan Galtung) ने ‘संरचनात्मक हिंसा’ की अवधारणा को विकसित किया। इसका अर्थ है हिंसा जो किसी व्यक्ति को उसकी क्षमता के अनुसार विकसित होने से रोकती है, और यह अक्सर सामाजिक, राजनीतिक या आर्थिक संरचनाओं में निहित होती है।
संदर्भ और विस्तार: यह प्रत्यक्ष हिंसा (जैसे शारीरिक हमला) से भिन्न है और सामाजिक अन्याय, असमानता और शोषण से उत्पन्न हो सकती है।
गलत विकल्प: अन्य समाजशास्त्रियों ने शक्ति, संरचना या समाज पर काम किया है, लेकिन संरचनात्मक हिंसा सीधे गैल्टुंग से जुड़ी है।
प्रश्न 23: भारत में ‘सामाजिक वर्ग’ (Social Class) के अध्ययन में, कौन से कारक पारंपरिक रूप से महत्वपूर्ण रहे हैं?
- आय और संपत्ति
- शिक्षा और व्यवसाय
- जाति और वंशानुक्रम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: भारतीय समाज में सामाजिक वर्ग का विश्लेषण करते समय, आय और संपत्ति के साथ-साथ शिक्षा, व्यवसाय, जाति और वंशानुक्रम जैसे कारक महत्वपूर्ण रहे हैं।
संदर्भ और विस्तार: ऐतिहासिक रूप से, जाति व्यवस्था ने सामाजिक स्तरीकरण को बहुत हद तक निर्धारित किया है, लेकिन आधुनिक भारत में आर्थिक और शैक्षिक कारक भी वर्ग को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
गलत विकल्प: ये सभी कारक भारतीय सामाजिक वर्ग संरचना को समझने के लिए प्रासंगिक हैं।
प्रश्न 24: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का अर्थ है:
- किसी व्यक्ति की वित्तीय संपत्ति
- किसी व्यक्ति के सामाजिक नेटवर्क और उन नेटवर्कों से प्राप्त लाभ
- सामाजिक व्यवस्था के नियम
- सांस्कृतिक ज्ञान का भंडार
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: सामाजिक पूंजी से तात्पर्य उन सामाजिक नेटवर्कों, विश्वास, साझा मानदंडों और आपसी सहयोग से है जो व्यक्तियों या समूहों को लाभ पहुँचाते हैं।
संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्दियु (Pierre Bourdieu) और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा पर महत्वपूर्ण काम किया है।
गलत विकल्प: वित्तीय संपत्ति भौतिक पूंजी है। सामाजिक व्यवस्था के नियम और सांस्कृतिक ज्ञान अन्य प्रकार की पूंजी (जैसे कानूनी पूंजी या सांस्कृतिक पूंजी) से संबंधित हो सकते हैं।
प्रश्न 25: ‘ज्ञान का समाज’ (The Society of Knowledge) की अवधारणा मुख्य रूप से किस विद्वान से जुड़ी है?
- मैनुअल कैस्टल्स
- जीन बॉड्रिलार्ड
- अल्विं टॉफ्लर
- निकी क्लार्क
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
सत्यता: मैनुअल कैस्टल्स (Manuel Castells) ने ‘नेटवर्क सोसाइटी’ (Network Society) की अवधारणा विकसित की, जो सूचना युग और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था पर केंद्रित है। ‘ज्ञान का समाज’ भी इसी संदर्भ में समझा जा सकता है।
संदर्भ और विस्तार: कैस्टल्स का कार्य सूचना क्रांति, नेटवर्क अर्थव्यवस्था और वैश्वीकरण के सामाजिक प्रभावों पर केंद्रित है।
गलत विकल्प: बॉड्रिलार्ड उत्तर-आधुनिकता और अनुकरण (simulation) से जुड़े हैं, टॉफ्लर भविष्य और शॉक ऑफ द फ्यूचर से, और क्लार्क इन चर्चाओं में कम प्रमुख हैं।
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