कश्मीर की सुरक्षा पर बड़ा एक्शन: कुलगाम में लश्कर का खात्मा, क्या यह पहलगाम हमले का बदला?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
जम्मू और कश्मीर के कुलगाम जिले में हाल ही में सुरक्षा बलों द्वारा एक बड़े सफल अभियान में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के एक प्रमुख आतंकवादी को मार गिराया गया। यह आतंकवादी, जो कथित तौर पर उन 14 स्थानीय आतंकवादियों की सूची में शामिल था, जिन्हें सुरक्षा बल निशाना बना रहे थे, 28 जुलाई को अनंतनाग जिले के पहलगाम में हुए दुखद आतंकी हमले में शामिल था, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के पांच जवान शहीद हो गए थे। इस घटना ने कश्मीर घाटी में आतंकवाद के खिलाफ जारी जंग में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया है, और सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता को रेखांकित किया है। यह एनकाउंटर न केवल स्थानीय युवाओं को आतंकवाद की ओर धकेलने वाले नेटवर्क पर एक चोट है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है जो शांति भंग करने की कोशिश करते हैं।
यह घटनाक्रम जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य की जटिलताओं, आतंकवाद के बदलते चेहरे, और सुरक्षा बलों द्वारा अपनाई जा रही रणनीतियों की एक विस्तृत तस्वीर प्रस्तुत करता है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह घटना राष्ट्रीय सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा, जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा, उग्रवाद, आतंकवाद के मूल कारण, और अंतर्राष्ट्रीय संबंध जैसे विषयों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1. कुलगाम एनकाउंटर: एक विस्तृत विश्लेषण (Kulgram Encounter: A Detailed Analysis)
कुलगाम, कश्मीर घाटी का एक ऐसा जिला रहा है जो पिछले कुछ वर्षों से आतंकवाद की गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है। यहां सुरक्षा बलों द्वारा की गई कार्रवाई, विशेष रूप से हालिया एनकाउंटर, आतंकवादियों के खिलाफ भारतीय सेना की दृढ़ता और बढ़ती प्रभावशीलता को दर्शाता है।
a) मारा गया आतंकवादी कौन था? (Who was the slain terrorist?)
- पहचान: मारे गए आतंकवादी की पहचान एक स्थानीय युवक के रूप में हुई है, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन से जुड़ा था।
- “14 लोकल टेररिस्ट्स की लिस्ट” का महत्व: सुरक्षा एजेंसियों द्वारा स्थानीय आतंकवादियों की एक सूची बनाए जाने का अर्थ है कि इन व्यक्तियों को विशेष रूप से ट्रैक किया जा रहा है। यह दर्शाता है कि सुरक्षा बल केवल बाहरी तत्वों पर ही नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर युवाओं को भर्ती करने और उन्हें गुमराह करने वाले नेटवर्क पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इन सूचियों का निर्माण अक्सर खुफिया जानकारी, पिछली आतंकवादी गतिविधियों में उनकी संलिप्तता और उनके प्रभाव के स्तर के आधार पर किया जाता है।
- पहलगाम हमले में संलिप्तता: 28 जुलाई को पहलगाम में सीआरपीएफ की एक टोली पर घात लगाकर किए गए हमले में पांच जवानों की शहादत एक बड़ा आघात था। इस हमले में संलिप्त आतंकवादियों में से तीन को सुरक्षा बलों ने इसके कुछ ही समय बाद मार गिराया था। कुलगाम में मारा गया आतंकवादी संभवतः उसी समूह का हिस्सा था या उस हमले की योजना और क्रियान्वयन में सहायक था। यह घटना सुरक्षा बलों के लिए एक प्राथमिकता बन गई थी।
b) एनकाउंटर कैसे हुआ? (How did the encounter happen?)
जैसे किसी कुशल जासूस की तरह, सुरक्षा बल अपने लक्ष्यों को ट्रैक करने के लिए खुफिया जानकारी (Intelligence) का उपयोग करते हैं। इस मामले में भी, विशिष्ट खुफिया इनपुट के आधार पर, राष्ट्रीय राइफल्स (RR), जम्मू और कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (SOG), और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की संयुक्त टीमों ने कुलगाम में एक विशेष क्षेत्र में घेराबंदी और तलाशी अभियान (CASO – Cordon and Search Operation) शुरू किया।
“CASO एक ऐसी रणनीति है जिसमें किसी विशेष क्षेत्र को पूरी तरह से सील कर दिया जाता है और फिर सावधानीपूर्वक तलाशी ली जाती है ताकि छिपे हुए आतंकवादियों या उनके समर्थकों का पता लगाया जा सके। यह एक व्यवस्थित और समय लेने वाली प्रक्रिया है।”
आतंकवादियों ने घेराबंदी तोड़कर भागने का प्रयास किया, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा बलों के साथ भीषण गोलीबारी हुई। इस गोलीबारी में, आतंकवादी मारा गया, और उसने सुरक्षा बलों को भी हताहत करने का प्रयास किया, हालांकि इस विशेष ऑपरेशन में किसी भी जवान के हताहत होने की तत्काल खबर नहीं थी, जो सुरक्षा बलों की बेहतर योजना और निष्पादन को दर्शाता है।
2. आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीति: एक सतत संघर्ष (India’s Strategy Against Terrorism: A Continuous Struggle)
कुलगाम एनकाउंटर भारत की आतंकवाद के खिलाफ बहुआयामी रणनीति का एक हिस्सा है। यह रणनीति केवल सैन्य अभियानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें खुफिया जानकारी का एकीकरण, सीमा प्रबंधन, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सबसे महत्वपूर्ण, आतंकवाद के मूल कारणों को संबोधित करना शामिल है।
a) खुफिया-आधारित संचालन (Intelligence-Based Operations)
आज के आतंकवाद विरोधी अभियानों की सफलता काफी हद तक सटीक और समय पर खुफिया जानकारी पर निर्भर करती है। भारत ने अपनी खुफिया एजेंसियों, जैसे रॉ (RAW), आईबी (IB), और राज्य पुलिस की खुफिया शाखाओं को मजबूत किया है। ये एजेंसियां न केवल आतंकवादी समूहों की गतिविधियों पर नजर रखती हैं, बल्कि उनके भर्ती नेटवर्क, धन के स्रोतों और लॉजिस्टिक समर्थन को भी बाधित करने का प्रयास करती हैं।
b) शून्य-सहिष्णुता नीति (Zero-Tolerance Policy)
भारत की सरकार आतंकवाद के प्रति “शून्य-सहिष्णुता” की नीति का पालन करती है। इसका मतलब है कि किसी भी आतंकवादी कृत्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा। यह नीति सुरक्षा बलों को सख्त कार्रवाई करने का अधिकार देती है।
c) स्थानीय आतंकवादियों पर फोकस (Focus on Local Terrorists)
हाल के वर्षों में, जम्मू और कश्मीर में स्थानीय युवाओं द्वारा आतंकवाद में शामिल होने की प्रवृत्ति बढ़ी है। सुरक्षा एजेंसियों का 14 स्थानीय आतंकवादियों की सूची पर ध्यान केंद्रित करना इस बदलती गतिशीलता को दर्शाता है। सरकार इन युवाओं को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए परामर्श और पुनर्वास कार्यक्रम भी चला रही है, लेकिन साथ ही, जो लोग हिंसक रास्ता चुनते हैं, उन्हें बेअसर करने के लिए सैन्य कार्रवाई भी की जाती है।
d) सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला (Combating Cross-Border Terrorism)
भारत लगातार पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाता रहा है। पहलगाम जैसे हमले अक्सर सीमा पार से निर्देशित होते हैं। इसलिए, सीमा सुरक्षा को मजबूत करना और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाना भारत की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
3. पहलगाम हमला और उसके निहितार्थ (Pahalgham Attack and its Implications)
28 जुलाई का पहलगाम हमला, जिसमें पांच सीआरपीएफ जवानों की शहादत हुई, एक अत्यंत संवेदनशील समय पर हुआ था। यह हमला अमरनाथ यात्रा के मौसम के दौरान हुआ था, जब यात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होती है।
a) हमले का तरीका (Modus Operandi)
यह हमला संभवतः “घात लगाकर” (ambush) किया गया था, जो आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक आम रणनीति है, खासकर जब वे सुरक्षा बलों की गश्त या आवाजाही के बारे में पहले से जानते हों। ऐसे हमलों का उद्देश्य आतंक फैलाना, सुरक्षा बलों का मनोबल गिराना और घाटी में अस्थिरता पैदा करना होता है।
b) राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव (Impact on National Security)
इस तरह के हमले राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करते हैं। वे न केवल मानव जीवन की हानि का कारण बनते हैं, बल्कि आर्थिक गतिविधियों, पर्यटन और सामान्य जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। सुरक्षा बलों को हमेशा हाई अलर्ट पर रहना पड़ता है, जिससे संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
c) “बदला” या “न्याय”? (Revenge or Justice?)
जब सुरक्षा बल आतंकवादियों को मार गिराते हैं, तो इसे अक्सर “बदला” कहा जाता है। हालांकि, सुरक्षा प्रतिष्ठान इसे “न्याय” या “सफल ऑपरेशन” के रूप में देखता है। इसका उद्देश्य उन आतंकवादियों को बेअसर करना है जो निर्दोष लोगों की जान लेते हैं और शांति को भंग करते हैं। कुलगाम में मारा गया आतंकवादी, यदि पहलगाम हमले में उसकी भूमिका की पुष्टि होती है, तो वह उन लोगों की सूची में था जिन्हें न्याय दिलाने के लिए ऑपरेशन चलाए जा रहे थे।
4. कश्मीर में आतंकवाद के मूल कारण और चुनौतियाँ (Root Causes of Terrorism in Kashmir and Challenges)
आतंकवाद की समस्या केवल बंदूकें और आतंकवादियों तक सीमित नहीं है। इसके पीछे गहरे सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारण भी हैं, जिन्हें समझना UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
- बाहरी तत्व और ISI की भूमिका: पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को अक्सर कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। वे धन, प्रशिक्षण और हथियार प्रदान करते हैं।
- विचारधारा का प्रभाव: कट्टरपंथी विचारधारा का प्रसार, जो विशेष रूप से युवा दिमागों को लक्षित करता है, आतंकवाद की एक बड़ी वजह है। सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग दुष्प्रचार फैलाने के लिए किया जाता है।
- आर्थिक और सामाजिक कारक: बेरोजगारी, शिक्षा की कमी, और विकास की धीमी गति कुछ ऐसे कारक हैं जो युवाओं को आतंकवाद की ओर आकर्षित कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि विकास के लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचें।
- राजनीतिक असंतोष: कुछ स्थानीय राजनीतिक असंतोष का दुरुपयोग आतंकवादी समूहों द्वारा अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- सूचना युद्ध (Information Warfare): आतंकवादियों के समर्थक और उनके समर्थक गलत सूचना और दुष्प्रचार फैलाकर जनता की राय को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। सुरक्षा बलों को भी एक प्रभावी सूचना युद्ध लड़ना होता है।
5. भविष्य की राह: आगे की चुनौतियाँ और समाधान (The Way Forward: Future Challenges and Solutions)
कुलगाम एनकाउंटर एक सफलता है, लेकिन कश्मीर में आतंकवाद का अंत अभी दूर है। आगे की राह चुनौतियों से भरी है:
- स्थानीय युवाओं को रोकना: यह सबसे बड़ी चुनौती है। युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए, उन्हें अच्छे शैक्षिक अवसर, रोजगार और एक समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने का मौका मिलना चाहिए।
- खुफिया नेटवर्क को मजबूत करना: जमीनी स्तर पर सूचना जुटाने के लिए स्थानीय लोगों का विश्वास जीतना और उन्हें मुखबिर बनाना महत्वपूर्ण है।
- सीमा पार घुसपैठ पर अंकुश: नियंत्रण रेखा (LoC) पर सुरक्षा को अभेद्य बनाना और पाकिस्तान पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाए रखना आवश्यक है।
- कट्टरता के खिलाफ जागरूकता: स्कूलों, मदरसों और सामुदायिक स्तर पर कट्टरपंथी विचारधाराओं के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।
- आर्थिक विकास को गति देना: कश्मीर के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, विशेष रूप से पर्यटन, कृषि और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में, युवाओं को वैध आजीविका के अवसर प्रदान कर सकता है।
- मानवाधिकारों का सम्मान: आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान मानवाधिकारों का पूर्ण सम्मान सुनिश्चित करना, ताकि स्थानीय आबादी का विश्वास बना रहे।
कुलगाम एनकाउंटर, पहलगाम हमले के जवाब में सुरक्षा बलों की सक्रियता का एक शक्तिशाली उदाहरण है। यह दर्शाता है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में दृढ़ है, और किसी भी तरह के खतरे से निपटने के लिए तैयार है। UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को इन घटनाओं को केवल एक समाचार के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, शासन और सामाजिक-आर्थिक विकास के व्यापक संदर्भ में देखना चाहिए।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: हाल ही में कुलगाम में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. वह 14 स्थानीय आतंकवादियों की उस सूची में शामिल था जिसे सुरक्षा बल निशाना बना रहे थे।
2. वह 28 जुलाई को पहलगाम हमले में शामिल था जिसमें पाँच CRPF जवान शहीद हुए थे।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c) 1 और 2 दोनों
व्याख्या: समाचार के अनुसार, मारा गया आतंकवादी 14 स्थानीय आतंकवादियों की सूची में था और पहलगाम हमले में भी उसकी संलिप्तता की पुष्टि की गई है। - प्रश्न 2: जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के संदर्भ में “CASO” का क्या अर्थ है?
(a) Counter-Assault Special Operation
(b) Cordon and Search Operation
(c) Civilian Aid and Security Organization
(d) Centralised Anti-Terrorism Strategy
उत्तर: (b) Cordon and Search Operation
व्याख्या: CASO का अर्थ Cordon and Search Operation है, जो आतंकवादियों का पता लगाने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा की जाने वाली एक मानक तलाशी अभियान रणनीति है। - प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा संगठन कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों से प्रमुख रूप से जुड़ा हुआ है, जिसका उल्लेख समाचार में किया गया है?
(a) हिजबुल मुजाहिदीन
(b) जैश-ए-मोहम्मद
(c) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
(d) अल-बद्र
उत्तर: (c) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
व्याख्या: समाचार सीधे तौर पर लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का उल्लेख करता है। - प्रश्न 4: 28 जुलाई को पहलगाम में आतंकवादी हमले में किस सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए थे?
(a) भारतीय सेना
(b) केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)
(c) राष्ट्रीय राइफल्स (RR)
(d) जम्मू और कश्मीर पुलिस
उत्तर: (b) केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)
व्याख्या: समाचार स्पष्ट रूप से बताता है कि पहलगाम हमले में CRPF के पाँच जवान शहीद हुए थे। - प्रश्न 5: भारत सरकार आतंकवाद के प्रति किस नीति का पालन करती है?
(a) बातचीत की नीति
(b) सहिष्णुता की नीति
(c) शून्य-सहिष्णुता नीति
(d) नियंत्रण की नीति
उत्तर: (c) शून्य-सहिष्णुता नीति
व्याख्या: भारत सरकार आतंकवाद के प्रति “शून्य-सहिष्णुता” की नीति पर अडिग है। - प्रश्न 6: कश्मीर घाटी में आतंकवाद के पनपने के पीछे निम्नलिखित में से कौन सा एक कारण नहीं है?
(a) बाहरी तत्वों द्वारा प्रायोजन
(b) आर्थिक असमानताएँ
(c) युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार के अवसर
(d) कट्टरपंथी विचारधारा का प्रसार
उत्तर: (c) युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार के अवसर
व्याख्या: युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार के अवसरों की कमी आतंकवाद के पनपने का कारण बन सकती है, जबकि उनकी उपलब्धता इसे रोकने में मदद करती है। - प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसी भारत की प्रमुख आंतरिक खुफिया एजेंसियों में से एक है?
(a) रॉ (RAW)
(b) आईबी (IB)
(c) एनआईए (NIA)
(d) आईबी और एनआईए दोनों
उत्तर: (b) आईबी (IB)
व्याख्या: इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) भारत की प्रमुख आंतरिक खुफिया एजेंसी है। रॉ (RAW) बाहरी खुफिया एजेंसी है, और NIA एक आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है। - प्रश्न 8: सीमा पार आतंकवाद को रोकने के लिए भारत द्वारा अपनाई जाने वाली एक प्रमुख रणनीति क्या है?
(a) केवल राजनयिक संबंध मजबूत करना
(b) नियंत्रण रेखा (LoC) पर सुरक्षा को मजबूत करना
(c) अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की आलोचना
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: ये सभी रणनीतियाँ सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत द्वारा अपनाई जाती हैं। - प्रश्न 9: पहलगाम जैसे आतंकवादी हमले का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
1. सुरक्षा बलों का मनोबल गिराना
2. घाटी में अस्थिरता पैदा करना
3. पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बाधित करना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: पहलगाम जैसे हमले इन सभी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किए जाते हैं। - प्रश्न 10: “स्थानीय आतंकवादियों की सूची” बनाने का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करना
(b) उन व्यक्तियों को लक्षित करना और बेअसर करना जो स्थानीय स्तर पर आतंकवाद में सक्रिय हैं
(c) आम नागरिकों की पहचान करना
(d) केवल निगरानी रखना, कार्रवाई नहीं करना
उत्तर: (b) उन व्यक्तियों को लक्षित करना और बेअसर करना जो स्थानीय स्तर पर आतंकवाद में सक्रिय हैं
व्याख्या: ऐसी सूचियों का उपयोग उन स्थानीय युवाओं को ट्रैक करने और बेअसर करने के लिए किया जाता है जो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के संदर्भ में, “स्थानीय आतंकवादियों” की बढ़ती संख्या के पीछे के सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक कारणों का विश्लेषण करें। इन युवा दिमागों को कट्टरपंथी विचारधारा से दूर कर मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की प्रभावशीलता का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 2: भारत की आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के विभिन्न घटकों पर चर्चा करें। कुलगाम एनकाउंटर जैसी हालिया घटनाओं को इस व्यापक रणनीति के हिस्से के रूप में कैसे देखा जा सकता है? सीमा पार आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए क्या अतिरिक्त उपाय किए जाने चाहिए? (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 3: पहलगाम हमले जैसी घटनाओं का जम्मू और कश्मीर में पर्यटन, स्थानीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने पर क्या प्रभाव पड़ता है? इन नकारात्मक प्रभावों को कम करने और क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की भूमिका पर प्रकाश डालें। (150 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न 4: “सूचना युद्ध” (Information Warfare) और दुष्प्रचार (Disinformation) आज के आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए किस प्रकार एक महत्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करते हैं? सुरक्षा बलों और सरकार को इस खतरे से निपटने के लिए क्या रणनीतियाँ अपनानी चाहिए? (150 शब्द, 10 अंक)