पीएम मोदी की वाराणसी से ललकार: ‘भारत पर वार करने वाले पाताल में भी नहीं बचेंगे’, जानें यह कड़ा संदेश क्यों है महत्वपूर्ण!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी का दौरा किया। इस दौरे के दौरान, उन्होंने एक शक्तिशाली और निर्णायक संदेश देते हुए कहा, “भारत पर जो वार करेगा, वह पाताल में भी नहीं बचेगा।” यह बयान न केवल भारत की वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक स्पष्ट संकेत देता है कि भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। UPSC के उम्मीदवारों के लिए, यह बयान राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, कूटनीति और भारत की सामरिक सोच के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु है।
काशी की धरती से एक निर्णायक गर्जना (A Decisive Roar from the Land of Kashi):
वाराणसी, सिर्फ प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र ही नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी भी है। यह वही भूमि है जहाँ से अक्सर ऐसे ऐतिहासिक निर्णय और संदेश लिए जाते हैं जो देश की दिशा तय करते हैं। इस बार, काशी की पवित्र भूमि से, प्रधानमंत्री मोदी ने सीधे तौर पर उन ताकतों को चेतावनी दी है जो भारत की शांति और संप्रभुता को चुनौती देने की हिम्मत कर सकती हैं। “जो भारत पर वार करेगा, वो पाताल में भी नहीं बचेगा” – यह कोई सामान्य बयान नहीं है; यह एक रणनीतिक घोषणा है, जो भारत की ‘नो फर्स्ट स्ट्राइक’ नीति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को व्यक्त करने के तरीके को परिष्कृत करती है, लेकिन साथ ही यह भी दर्शाती है कि यदि उकसाया गया, तो भारत जवाबी कार्रवाई करने में कितना दृढ़ और सक्षम है।
यह वाक्यांश कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित करता है:
- अटल संकल्प: भारत अपनी सीमाओं और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर बिल्कुल भी समझौता नहीं करेगा।
- सर्वव्यापी क्षमता: दुश्मन चाहे जहाँ भी छिप जाए, भारत की प्रतिक्रिया उस तक पहुँचने में सक्षम होगी।
- निवारक प्रभाव: यह बयान संभावित दुश्मनों के लिए एक मजबूत निवारक के रूप में कार्य करेगा।
- राष्ट्रीय गौरव: यह देश के नागरिकों में सुरक्षा और गर्व की भावना को बढ़ाता है।
‘पाताल’ का क्या अर्थ है? – एक रणनीतिक व्याख्या (What Does ‘Patal’ Mean? – A Strategic Interpretation):
जब प्रधानमंत्री ‘पाताल’ का उल्लेख करते हैं, तो इसका अर्थ केवल एक भौगोलिक स्थान तक सीमित नहीं है। इसके कई गहन रणनीतिक और कूटनीतिक निहितार्थ हैं:
- भौगोलिक विस्तार: यह किसी भी छिपे हुए स्थान, चाहे वह सीमा पार हो, समुद्र के नीचे हो, या किसी दूरस्थ क्षेत्र में हो, का प्रतिनिधित्व करता है।
- साइबर स्पेस: आज के डिजिटल युग में, ‘पाताल’ का अर्थ साइबर स्पेस भी हो सकता है, जहाँ राष्ट्र-राज्यों द्वारा चोरी-छिपे हमले किए जा सकते हैं।
- गुप्त ठिकाने: यह उन आतंकवादी या शत्रुतापूर्ण तत्वों के गुप्त ठिकानों को भी संदर्भित कर सकता है जो राज्य-प्रायोजित गतिविधियों में लिप्त हैं।
- कूटनीतिक समर्थन: यह उन देशों को भी एक अप्रत्यक्ष चेतावनी हो सकती है जो शत्रुतापूर्ण तत्वों को पनाह देते हैं या उनका समर्थन करते हैं।
यह बयान भारत की ‘डिटरेंस’ (Deterrence) या निवारक क्षमता की अवधारणा को मजबूत करता है। डिटरेंस का अर्थ है किसी विरोधी को किसी कार्रवाई से रोकना, उसे उस कार्रवाई के संभावित नकारात्मक परिणामों का एहसास कराकर। प्रधानमंत्री का बयान उस निवारक को और अधिक प्रभावी बनाता है, यह कहते हुए कि परिणाम न केवल गंभीर होंगे, बल्कि अपरिहार्य और सर्वव्यापी भी होंगे।
राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में भारत का बदलता दृष्टिकोंण (India’s Evolving Perspective in National Security Policy):
यह बयान भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा सोच में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से, भारत एक रक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाता रहा है, जो मुख्य रूप से आक्रमण का जवाब देने पर केंद्रित था। हालांकि, हाल के वर्षों में, भारत ने एक अधिक सक्रिय और आक्रामक (लेकिन रणनीतिक रूप से) दृष्टिकोण अपनाया है, जिसे ‘प्रोएक्टिव डिफेंस’ या ‘प्रिवेंटिव स्ट्राइक’ भी कहा जा सकता है।
“भारत अब केवल प्रतिक्रिया देने वाला देश नहीं है, बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने में भी सक्षम है। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है जो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति को मजबूत करता है।”
सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक: केस स्टडी (Surgical Strikes and Balakot Airstrikes: Case Studies):
प्रधानमंत्री के इस बयान की पृष्ठभूमि में, 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसी कार्रवाइयाँ महत्वपूर्ण हैं।
- सर्जिकल स्ट्राइक (2016): उरी में भारतीय सेना के शिविर पर हुए आतंकवादी हमले के जवाब में, भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) पार करके आतंकवादी लॉन्च पैड पर सफल हमले किए। यह एक प्रत्यक्ष और स्पष्ट जवाबी कार्रवाई थी जिसने पाकिस्तान को संदेश दिया कि भारत सीमा पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा।
- बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019): पुलवामा हमले के जवाब में, भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर हवाई हमले किए। यह भारत की ‘क्रॉस-बॉर्डर’ क्षमता और आतंकवाद के खिलाफ ‘नो-टॉलरेंस’ नीति का एक और शक्तिशाली प्रदर्शन था।
ये दोनों घटनाएँ दर्शाती हैं कि भारत केवल कूटनीतिक चैनलों या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए ठोस कार्रवाई करने में भी सक्षम है। प्रधानमंत्री का नवीनतम बयान इन पिछली कार्रवाइयों की निरंतरता और सुदृढ़ीकरण है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam):
यह बयान UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है:
1. प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- राष्ट्रीय सुरक्षा: राष्ट्रीय सुरक्षा की परिभाषा, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, निवारक सुरक्षा (Deterrence)।
- विदेश नीति: भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति, आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति, क्षेत्रीय सुरक्षा।
- रक्षा अभ्यास: भारत के प्रमुख सैन्य अभ्यास, हाल की रक्षा खरीद और तकनीकी विकास।
- भू-राजनीति: दक्षिण एशिया की भू-राजनीति, भारत-पाकिस्तान संबंध, भारत-चीन संबंध।
2. मुख्य परीक्षा (Mains):
- GS-I (भारतीय समाज): राष्ट्रीय गौरव, नागरिक सुरक्षा।
- GS-II (शासन, राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध):
- भारत की विदेश नीति और उसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध।
- अंतर्राष्ट्रीय समझौते और भारत की भूमिका।
- वैश्विक आतंकवाद के मुद्दे और भारत का रुख।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले कारक।
- भारत की निवारक सुरक्षा क्षमताएं।
- GS-III (अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, आपदा प्रबंधन):
- रक्षा प्रौद्योगिकी और आधुनिकीकरण।
- साइबर सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा।
- भारत की रक्षा औद्योगिक क्षमता।
- आर्थिक विकास पर सुरक्षा का प्रभाव।
- निबंध (Essay): “राष्ट्रीय सुरक्षा: चुनौतियाँ और संभावनाएं”, “भारत की विदेश नीति: एक नया युग”, “विकास और सुरक्षा का अंतर्संबंध”।
कूटनीतिक और रणनीतिक निहितार्थ (Diplomatic and Strategic Implications):
प्रधानमंत्री के इस बयान के दूरगामी कूटनीतिक और रणनीतिक निहितार्थ हैं:
- पाकिस्तान के लिए संदेश: यह सीधे तौर पर पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश है कि सीमा पार आतंकवाद या भारत के विरुद्ध किसी भी प्रकार की आक्रामकता का गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा।
- चीन के लिए संकेत: यह अप्रत्यक्ष रूप से चीन को भी संकेत देता है कि भारत अपनी सीमाओं के प्रति दृढ़ है और किसी भी प्रकार की यथास्थिति बदलने की कोशिश का कड़ा जवाब दिया जाएगा।
- क्षेत्रीय स्थिरता: यह बयान एक ओर जहां क्षेत्रीय तनाव बढ़ा सकता है, वहीं दूसरी ओर यह एक स्थिर वातावरण बनाने में भी मदद कर सकता है, यदि विरोधी देश इसे गंभीरता से लेते हैं और आक्रामक गतिविधियों से परहेज करते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय विश्वास: ऐसे बयान भारत की ‘विश्वसनीयता’ (Credibility) को बढ़ाते हैं, यह दिखाते हुए कि भारत अपनी सुरक्षा के प्रति गंभीर है और वादे निभाने में सक्षम है।
चुनौतियाँ और विपक्ष (Challenges and Criticisms):
हालांकि यह बयान भारत के संकल्प को दर्शाता है, इसके कुछ संभावित नकारात्मक पहलू या चुनौतियाँ भी हो सकती हैं:
- तनाव में वृद्धि: इस तरह के कड़े बयान क्षेत्र में पहले से मौजूद तनाव को बढ़ा सकते हैं, जिससे अनजाने में संघर्ष का खतरा बढ़ सकता है।
- अति-राष्ट्रवाद की ओर झुकाव: कभी-कभी ऐसे बयान घरेलू राजनीति में अति-राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे सकते हैं, जो दीर्घकालिक नीति निर्माण के लिए हमेशा अच्छा नहीं होता।
- कूटनीतिक निष्ठा: जबकि निवारक क्षमता महत्वपूर्ण है, कूटनीतिक रास्ते और बातचीत भी संघर्ष को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं। केवल सैन्य शक्ति पर जोर देना दीर्घकालिक समाधान नहीं हो सकता।
- ‘पाताल’ की परिभाषित समस्या: ‘पाताल’ को परिभाषित करना और वास्तविक खतरों के प्रति प्रतिक्रिया को सटीक रूप से मापना हमेशा एक चुनौती रही है।
एक जिम्मेदार राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के लिए, ऐसे बयानों को कूटनीतिक संवाद, सैन्य आधुनिकीकरण और बुद्धिमत्तापूर्ण रणनीतिक योजना के साथ संतुलित करना आवश्यक है।
भविष्य की राह: भारत की सुरक्षा रणनीति (The Way Forward: India’s Security Strategy):
प्रधानमंत्री के वाराणसी से दिए गए इस संदेश को भारत की समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिसमें निम्नलिखित तत्व शामिल हैं:
- सैन्य आधुनिकीकरण: भारतीय सशस्त्र बलों को नवीनतम तकनीक और प्रशिक्षण से लैस करना।
- खुफिया तंत्र को मजबूत करना: खतरों की पहचान और रोकथाम के लिए खुफिया जानकारी का प्रभावी संग्रह और विश्लेषण।
- साइबर सुरक्षा: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए साइबर खतरों से निपटना और अपनी डिजिटल अवसंरचना की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- कूटनीतिक जुड़ाव: क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए अन्य देशों के साथ मजबूत राजनयिक संबंध बनाए रखना।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी: रक्षा उत्पादन और नवाचार में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना।
- रणनीतिक स्वायत्तता: अपनी विदेश और रक्षा नीतियों में निर्णय लेने की स्वतंत्रता बनाए रखना।
प्रधानमंत्री का यह बयान भारत के बढ़ते आत्मविश्वास और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि भारत न केवल शांति का समर्थक है, बल्कि अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। UPSC उम्मीदवारों को इस बयान के विभिन्न आयामों का विश्लेषण करते हुए, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति की वर्तमान स्थिति को समझना चाहिए।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा ‘पाताल में भी नहीं बचेगा’ जैसा बयान राष्ट्रीय सुरक्षा के किस पहलू पर जोर देता है?
a) केवल पारंपरिक युद्ध क्षमताओं पर
b) केवल कूटनीतिक दबाव पर
c) भारत की निवारक (Deterrence) क्षमता और निर्णायक जवाबी कार्रवाई पर
d) केवल अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर शिकायत पर
उत्तर: c) भारत की निवारक (Deterrence) क्षमता और निर्णायक जवाबी कार्रवाई पर
व्याख्या: यह बयान भारत की उस क्षमता को रेखांकित करता है कि वह किसी भी हमलावर को उसके छिपने के स्थान की परवाह किए बिना ढूंढ कर कार्रवाई कर सकता है, जो निवारक क्षमता और निर्णायक जवाबी कार्रवाई का ही एक रूप है।
2. ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ (2016) और ‘बालाकोट एयरस्ट्राइक’ (2019) के संदर्भ में, प्रधानमंत्री का बयान किससे प्रेरित है?
a) भारत की केवल शांतिपूर्ण प्रतिक्रिया की नीति
b) भारत की आक्रामक विस्तारवादी नीति
c) भारत की आतंकवाद के प्रति ‘शून्य सहिष्णुता’ (Zero Tolerance) और प्रभावी जवाबी कार्रवाई की नीति
d) केवल संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप की अपेक्षा
उत्तर: c) भारत की आतंकवाद के प्रति ‘शून्य सहिष्णुता’ (Zero Tolerance) और प्रभावी जवाबी कार्रवाई की नीति
व्याख्या: ये दोनों कार्रवाइयां भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने की क्षमता का प्रदर्शन थीं, जिसे प्रधानमंत्री के हालिया बयान में दोहराया गया है।
3. निम्नलिखित में से कौन सा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का एक प्रमुख घटक है?
a) केवल रक्षात्मक कूटनीति
b) केवल पारंपरिक सैन्य शक्ति
c) सैन्य आधुनिकीकरण, खुफिया तंत्र को मजबूत करना और कूटनीतिक जुड़ाव
d) केवल अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भरता
उत्तर: c) सैन्य आधुनिकीकरण, खुफिया तंत्र को मजबूत करना और कूटनीतिक जुड़ाव
व्याख्या: एक प्रभावी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में सैन्य, खुफिया और कूटनीतिक सभी पहलुओं का समन्वय आवश्यक है।
4. ‘साइबर स्पेस’ का उल्लेख करते समय, ‘पाताल’ शब्द का एक संभावित आधुनिक अर्थ क्या हो सकता है?
a) केवल पारंपरिक सैन्य ठिकाने
b) केवल भौगोलिक रूप से दूरस्थ क्षेत्र
c) राष्ट्र-राज्यों द्वारा किए जाने वाले गुप्त या दुर्भावनापूर्ण ऑनलाइन हमले
d) केवल अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक स्थान
उत्तर: c) राष्ट्र-राज्यों द्वारा किए जाने वाले गुप्त या दुर्भावनापूर्ण ऑनलाइन हमले
व्याख्या: आधुनिक युग में, साइबर स्पेस राष्ट्र-राज्यों द्वारा किए जाने वाले गुप्त हमलों के लिए एक ‘पाताल’ जैसा स्थान हो सकता है।
5. निवारक (Deterrence) का सिद्धांत क्या है?
a) किसी दुश्मन के हमले का इंतजार करना
b) किसी विरोधी को संभावित नकारात्मक परिणामों का एहसास कराकर किसी कार्रवाई से रोकना
c) केवल आत्मसमर्पण की रणनीति
d) किसी भी परिस्थिति में युद्ध से बचना
उत्तर: b) किसी विरोधी को संभावित नकारात्मक परिणामों का एहसास कराकर किसी कार्रवाई से रोकना
व्याख्या: निवारक का सीधा अर्थ है किसी को संभावित खतरे या कार्रवाई से रोकना।
6. प्रधानमंत्री के वाराणसी दौरे के दौरान दिए गए बयान का ‘निवारक प्रभाव’ (Deterrent Effect) किसके लिए सबसे अधिक प्रासंगिक है?
a) आंतरिक राजनीतिक विरोधियों के लिए
b) सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले या भारत की संप्रभुता को चुनौती देने वाले तत्वों के लिए
c) केवल आर्थिक सहयोगियों के लिए
d) केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए
उत्तर: b) सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले या भारत की संप्रभुता को चुनौती देने वाले तत्वों के लिए
व्याख्या: यह बयान सीधे तौर पर उन लोगों को लक्षित करता है जो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं।
7. भारत की ‘नो फर्स्ट स्ट्राइक’ नीति का अर्थ क्या है?
a) भारत पहले हमला कभी नहीं करेगा, चाहे कुछ भी हो।
b) भारत पहले हमला केवल तब करेगा जब उसे उकसाया जाए या उस पर हमला हो।
c) भारत हमेशा पहले कूटनीतिक पहल करेगा।
d) भारत केवल परमाणु हथियारों के मामले में ‘नो फर्स्ट स्ट्राइक’ का पालन करता है।
उत्तर: d) भारत केवल परमाणु हथियारों के मामले में ‘नो फर्स्ट स्ट्राइक’ का पालन करता है।
व्याख्या: भारत की आधिकारिक ‘नो फर्स्ट स्ट्राइक’ नीति परमाणु हथियारों से संबंधित है, लेकिन हालिया बयान इसके पारंपरिक रक्षात्मक रुख से परे एक दृढ़ता का संकेत देते हैं।
8. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. प्रधानमंत्री का हालिया बयान भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ को मजबूत करता है।
2. यह बयान भारत के ‘हार्ड पावर’ (Hard Power) और ‘स्मार्ट पावर’ (Smart Power) के संयोजन को दर्शाता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
a) केवल 1
b) केवल 2
c) 1 और 2 दोनों
d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: b) केवल 2
व्याख्या: ‘पाताल में भी नहीं बचेगा’ जैसे बयान सैन्य क्षमता (हार्ड पावर) का संकेत हैं, जबकि कूटनीतिक और राजनीतिक संदर्भ (स्मार्ट पावर) भी इसमें निहित हैं। सॉफ्ट पावर आमतौर पर सांस्कृतिक या वैचारिक आकर्षण से संबंधित होती है।
9. ‘संप्रभुता’ (Sovereignty) का अर्थ क्या है?
a) किसी देश का आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की स्वतंत्रता
b) किसी देश का विदेशी शक्तियों से बिना किसी दबाव के अपने फैसले लेने की स्वतंत्रता
c) केवल आर्थिक स्वतंत्रता
d) केवल सांस्कृतिक स्वतंत्रता
उत्तर: b) किसी देश का विदेशी शक्तियों से बिना किसी दबाव के अपने फैसले लेने की स्वतंत्रता
व्याख्या: संप्रभुता का अर्थ है पूर्ण स्वतंत्रता और स्व-शासन का अधिकार।
10. किस शहर से प्रधानमंत्री ने यह महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा संदेश दिया?
a) नई दिल्ली
b) मुंबई
c) वाराणसी
d) लखनऊ
उत्तर: c) वाराणसी
व्याख्या: प्रश्न के अनुसार, बयान प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से दिया गया था।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए “भारत पर जो वार करेगा, वह पाताल में भी नहीं बचेगा” बयान का विश्लेषण करें। इस बयान के राष्ट्रीय सुरक्षा, कूटनीति और क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
2. भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के संदर्भ में, ‘निवारक क्षमता’ (Deterrence) की अवधारणा की व्याख्या करें। ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘बालाकोट एयरस्ट्राइक’ जैसी कार्रवाइयों ने इस क्षमता को कैसे प्रदर्शित किया है, और वर्तमान बयान के क्या निहितार्थ हैं? (250 शब्द, 15 अंक)
3. प्रधानमंत्री के बयान को भारत की विदेश नीति के विकास के रूप में देखें। यह बयान भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ और ‘हार्ड पावर’ की रणनीतियों के बीच संतुलन को कैसे दर्शाता है? (150 शब्द, 10 अंक)
4. “आधुनिक युग में, ‘पाताल’ का अर्थ केवल भौगोलिक स्थान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें साइबर स्पेस और अप्रत्यक्ष युद्ध के अन्य रूप भी शामिल हैं।” इस कथन के आलोक में, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उभरती हुई चुनौतियों और वर्तमान बयान की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालें। (200 शब्द, 10 अंक)