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कुलगाम में लगातार दूसरे दिन सुरक्षा ऑपरेशन: पहलगाम हमले का बदला या नई रणनीति?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**

हाल ही में, जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन चलाया। यह ऑपरेशन लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा, जिसमें सुरक्षाबलों को एक आतंकवादी को ढेर करने में सफलता मिली। यह घटना विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह पहलगाम में पांच दिन पहले हुए एक आतंकवादी हमले के संदर्भ में हुई है, जिसमें तीन आतंकवादी मारे गए थे। कुलगाम में यह लगातार दूसरे दिन का ऑपरेशन, न केवल जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल खड़े करता है कि क्या यह पिछले हमले का सीधा परिणाम है, या फिर यह आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों की एक व्यापक और नई रणनीति का हिस्सा है।

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए आंतरिक सुरक्षा, जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति, आतंकवाद का विश्लेषण, सुरक्षा तंत्र की प्रभावशीलता और भारत की विदेश नीति के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण केस स्टडी प्रस्तुत करती है। आइए, इस घटना के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।

पृष्ठभूमि: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का स्याह इतिहास

जम्मू-कश्मीर, अपनी सुरम्य सुंदरता के बावजूद, दशकों से आतंकवाद से जूझ रहा है। सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद ने क्षेत्र की शांति और विकास को लगातार बाधित किया है। स्वतंत्रता के बाद से ही, पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद और कश्मीर मुद्दे ने क्षेत्र को अस्थिरता का केंद्र बना दिया है। आतंकवादियों ने स्थानीय आबादी को निशाना बनाने के साथ-साथ सुरक्षाबलों पर भी लगातार हमले किए हैं। इन हमलों का उद्देश्य घाटी में अस्थिरता पैदा करना, विकास की गति को रोकना और भारत की संप्रभुता को चुनौती देना रहा है।

हालिया घटनाओं, जैसे कि पहलगाम में अमरनाथ यात्रियों पर हमला और उसके बाद कुलगाम में सुरक्षाबलों का ऑपरेशन, इस बात का संकेत देते हैं कि आतंकवादियों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है या वे सुरक्षाबलों पर दबाव बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

कुलगाम ऑपरेशन: एक विस्तृत विश्लेषण

ऑपरेशन का प्रारंभ और क्रियान्वयन:

कुलगाम में ऑपरेशन की शुरुआत खुफिया जानकारी के आधार पर हुई थी। जब सुरक्षाबलों को इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली, तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई की। यह एक “कॉर्डन एंड सर्च” ऑपरेशन के रूप में शुरू हुआ, जिसका अर्थ है कि एक निश्चित क्षेत्र को घेर लिया जाता है और फिर आतंकवादियों की तलाश की जाती है।

“कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन” एक ऐसी रणनीति है जिसमें सुरक्षा बल किसी विशेष क्षेत्र को घेर लेते हैं और उसके भीतर छिपे आतंकवादियों की तलाश के लिए गहन तलाशी अभियान चलाते हैं। इसका उद्देश्य आतंकवादियों को पकड़ना या उन्हें मार गिराना होता है, जबकि स्थानीय आबादी को कम से कम नुकसान पहुंचाना होता है।

लगातार दूसरे दिन ऑपरेशन का जारी रहना इस बात का संकेत है कि आतंकवादी कड़े प्रतिरोध का सामना कर रहे थे या वे सुरक्षाबलों को चकमा देने की कोशिश कर रहे थे। ऐसे ऑपरेशन अक्सर जटिल होते हैं क्योंकि इनमें घनी आबादी वाले इलाके, संकरी गलियां और आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न छिपने की जगहें शामिल हो सकती हैं।

आतंकवादी का ढेर होना:

सुरक्षाबलों की कुशल योजना और सामरिक दृष्टिकोण के कारण, एक आतंकवादी को मार गिराने में सफलता मिली। यह एक बड़ी कामयाबी मानी जाती है क्योंकि यह आतंकवादियों की क्षमता को कमजोर करता है और भविष्य के हमलों को रोकने में मदद करता है। मारे गए आतंकवादी की पहचान और उसके संगठन की जानकारी, आगे की जांच के लिए महत्वपूर्ण होती है। यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि क्या वह किसी विशेष आतंकवादी समूह से जुड़ा था, उसका स्थानीय कनेक्शन क्या था, और क्या वह पिछले किसी हमले में शामिल था।

पहलगाम हमले से संबंध:

यह घटना 5 दिन पहले पहलगाम में हुए हमले के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। पहलगाम में, सुरक्षाबलों ने तीन आतंकवादियों को मार गिराया था। यह सवाल स्वाभाविक है कि क्या कुलगाम में चलाया गया ऑपरेशन पहलगाम हमले का सीधा जवाब था, या फिर दोनों घटनाओं के बीच कोई और संबंध है।

  • बदला (Retaliation): यदि पहलगाम हमले के पीछे एक विशेष आतंकवादी समूह जिम्मेदार था, तो सुरक्षाबलों द्वारा कुलगाम में की गई कार्रवाई को उस समूह के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के रूप में देखा जा सकता है।
  • नेटवर्क का विघटन: यह भी संभव है कि दोनों हमलों के तार एक ही आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े हों। सुरक्षाबल इस नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए समन्वित प्रयास कर रहे हों, जिसमें कुलगाम और पहलगाम दोनों स्थानों पर कार्रवाई शामिल हो।
  • नई रणनीति (New Strategy): यह सुरक्षाबलों द्वारा अपनाई जा रही एक व्यापक रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य आतंकवादियों को लगातार दबाव में रखना और उन्हें सुरक्षित ठिकाने न बनाने देना।

सुरक्षाबलों की भूमिका और चुनौतियाँ

परिचालन क्षमता और सफलताएं:

भारतीय सेना, सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) और जम्मू-कश्मीर पुलिस मिलकर आतंकवाद विरोधी अभियानों को अंजाम देती हैं। इन अभियानों में उनका समन्वय, खुफिया जानकारी का संग्रह और क्रियान्वयन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

  • समन्वय: विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय, आतंकवादियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की कुंजी है।
  • खुफिया जानकारी: समय पर और सटीक खुफिया जानकारी, ऐसे ऑपरेशनों की सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसमें स्थानीय मुखबिरों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है।
  • तकनीकी सहायता: ड्रोन, निगरानी उपकरण और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग, ऑपरेशन को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाता है।

सामना की जाने वाली चुनौतियाँ:

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का मुकाबला करना सुरक्षाबलों के लिए एक बहुआयामी चुनौती है:

  • स्थानीय समर्थन: कुछ क्षेत्रों में आतंकवादियों को स्थानीय आबादी से मिलने वाला समर्थन, सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी बाधा है।
  • भूभाग: जम्मू-कश्मीर का पहाड़ी और दुर्गम भूभाग, आतंकवादियों को छिपने और भागने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान करता है।
  • सीमा पार घुसपैठ: पाकिस्तान से लगातार होने वाली घुसपैठ, आतंकवादियों के लिए नए सदस्यों और हथियारों की आपूर्ति सुनिश्चित करती है।
  • मनोवैज्ञानिक युद्ध: आतंकवादी अपनी गतिविधियों के माध्यम से जनता में भय और अनिश्चितता फैलाने की कोशिश करते हैं, जिसका मुकाबला करना भी एक चुनौती है।
  • नागरिकों की सुरक्षा: ऑपरेशनों के दौरान आम नागरिकों को नुकसान से बचाना, सुरक्षाबलों के लिए एक नैतिक और परिचालन संबंधी चुनौती है।

“ऑपरेशन ऑलआउट” के बाद, सरकार ने “ऑपरेशन सद्भावना” जैसी पहलों पर भी जोर दिया है, जिसका उद्देश्य स्थानीय आबादी का विश्वास जीतना और आतंकवादियों को मिलने वाले समर्थन को कम करना है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का व्यापक संदर्भ

कुलगाम और पहलगाम की घटनाएं केवल अलग-थलग घटनाएं नहीं हैं, बल्कि जम्मू-कश्मीर में व्याप्त व्यापक सुरक्षा स्थिति का हिस्सा हैं। हाल के वर्षों में, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, जैसे कि अनुच्छेद 370 का निरस्त किया जाना और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करना। इन कदमों का उद्देश्य क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देना, अलगाववाद को कम करना और सुरक्षा स्थिति में सुधार करना रहा है।

सरकार की नीतियां और रणनीतियाँ:

  • सख्त सुरक्षा ग्रिड: नियंत्रण रेखा (LoC) पर और आंतरिक इलाकों में सुरक्षा ग्रिड को मजबूत किया गया है।
  • खुफिया जानकारी का सुदृढ़ीकरण: विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान को बढ़ाया गया है।
  • आतंकवादी वित्तपोषण पर रोक: आतंकवादी समूहों को मिलने वाले धन और संसाधनों पर कार्रवाई की गई है।
  • स्थानीय युवाओं का पुनर्वास: जो युवा आतंकवाद की राह से वापस आना चाहते हैं, उनके लिए पुनर्वास की व्यवस्था की गई है।
  • विकास को बढ़ावा: क्षेत्र में आर्थिक विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर, युवाओं को आतंकवाद से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है।

चुनौतियाँ और आलोचनाएँ:

  • मानवाधिकारों का मुद्दा: आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप भी लगते रहे हैं, जो चिंता का विषय हैं।
  • राजनीतिक समाधान की आवश्यकता: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि केवल सैन्य कार्रवाई से आतंकवाद समाप्त नहीं हो सकता; एक स्थायी राजनीतिक समाधान भी आवश्यक है।
  • सुरक्षा स्थिति में उतार-चढ़ाव: यद्यपि समग्र स्थिति में सुधार हुआ है, फिर भी छिटपुट हमले और हिंसा की घटनाएं जारी हैं।

निष्कर्ष: भविष्य की राह

कुलगाम में सुरक्षाबलों द्वारा आतंकवादी को ढेर किया जाना और लगातार दूसरे दिन ऑपरेशन जारी रहना, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की जटिलता और निरंतरता को रेखांकित करता है। यह घटना, पहलगाम हमले के संदर्भ में, एक रणनीतिक सफलता का प्रतीक हो सकती है, लेकिन यह इस बात का भी संकेत देती है कि आतंकवादियों के नेटवर्क अभी भी सक्रिय हैं।

भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

  • कठोर सुरक्षा उपाय: आतंकवादियों के घुसपैठ को रोकना और उनके नेटवर्क को ध्वस्त करना जारी रखना होगा।
  • खुफिया क्षमताओं को बढ़ाना: प्रभावी खुफिया जानकारी, त्वरित प्रतिक्रिया की ओर ले जाती है।
  • विकास और शासन: जम्मू-कश्मीर में लोगों के बीच विश्वास पैदा करने के लिए समावेशी विकास और सुशासन आवश्यक है।
  • समाज का सहयोग: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में स्थानीय आबादी का सहयोग और विश्वास जीतना सबसे महत्वपूर्ण है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आवाज उठाना और सहयोग प्राप्त करना भी महत्वपूर्ण है।

कुलगाम का ऑपरेशन इस व्यापक तस्वीर का एक हिस्सा है। सुरक्षाबल लगातार अपनी जान जोखिम में डालकर देश की रक्षा कर रहे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम उनकी वीरता को याद रखें और आतंकवाद के मूल कारणों को संबोधित करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाएं, ताकि जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति और समृद्धि लाई जा सके।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. **निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:**
1. कुलगाम जिला जम्मू-कश्मीर के दक्षिणी कश्मीर क्षेत्र में स्थित है।
2. हालिया घटना में, सुरक्षाबलों ने लगातार दूसरे दिन ऑपरेशन चलाया।
3. पहलगाम हमला, जिसके संदर्भ में कुलगाम ऑपरेशन को देखा जा रहा है, घाटी के उत्तरी क्षेत्र में हुआ था।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (a)
व्याख्या: कथन 1 सही है क्योंकि कुलगाम दक्षिण कश्मीर में है। कथन 2 भी सही है क्योंकि समाचारों के अनुसार ऑपरेशन लगातार दूसरे दिन चला। कथन 3 गलत है क्योंकि पहलगाम पहलगाम जिले में स्थित है, जो अनंतनाग जिले का हिस्सा है और यह दक्षिण कश्मीर में आता है, न कि उत्तरी क्षेत्र में।

2. **”कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन” (CASO) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?**
(a) यह एक सुरक्षा रणनीति है जिसका उद्देश्य आतंकवादियों को खोजना और पकड़ना है।
(b) इसका मुख्य लक्ष्य केवल आतंकवादियों को मार गिराना होता है।
(c) इसे घनी आबादी वाले इलाकों में भी प्रभावी ढंग से अंजाम दिया जा सकता है।
(d) स्थानीय आबादी की सुरक्षा का ध्यान रखना इस ऑपरेशन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
उत्तर: (b)
व्याख्या: CASO का लक्ष्य केवल आतंकवादियों को मार गिराना नहीं होता, बल्कि उन्हें पकड़ना, सूचना एकत्र करना और क्षेत्र को सुरक्षित करना भी होता है।

3. **भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए चलाई गई पहलों में से एक कौन सी है, जिसका उद्देश्य स्थानीय लोगों का विश्वास जीतना है?**
(a) ऑपरेशन विजय
(b) ऑपरेशन रक्षक
(c) ऑपरेशन सद्भावना
(d) ऑपरेशन ब्लू स्टार
उत्तर: (c)
व्याख्या: ऑपरेशन सद्भावना, सेना द्वारा स्थानीय आबादी के कल्याण और विश्वास जीतने के लिए चलाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण पहल है।

4. **जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत, राज्य को किन दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया था?**
(a) जम्मू और कश्मीर, लद्दाख
(b) जम्मू, कश्मीर और लद्दाख
(c) जम्मू-कश्मीर और लद्दाख
(d) केवल जम्मू और कश्मीर
उत्तर: (c)
व्याख्या: अधिनियम के तहत, जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख में विभाजित किया गया था।

5. **निम्नलिखित में से कौन सी एजेंसी मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भारतीय सेना के साथ मिलकर काम करती है?**
(a) राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)
(b) केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)
(c) सीमा सुरक्षा बल (BSF)
(d) इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)
उत्तर: (b)
व्याख्या: CRPF, जम्मू-कश्मीर में आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों में सेना और पुलिस के साथ एक प्रमुख भूमिका निभाती है। NIA जांच करती है, BSF सीमा पर तैनात होती है, और IB खुफिया जानकारी एकत्र करती है।

6. **नियंत्रण रेखा (Line of Control – LoC) का संबंध मुख्य रूप से निम्नलिखित में से किस क्षेत्र से है?**
(a) भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा
(b) भारत और चीन के बीच सीमा
(c) भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा
(d) भारत और म्यांमार के बीच सीमा
उत्तर: (a)
व्याख्या: नियंत्रण रेखा (LoC) वह सैन्य सीमांकन रेखा है जो जम्मू और कश्मीर के भारतीय प्रशासित हिस्से को पाकिस्तानी प्रशासित हिस्से से अलग करती है।

7. **हालिया घटनाओं के संदर्भ में, “ऑपरेशन ऑलआउट” का क्या उद्देश्य था?**
(a) कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देना
(b) जम्मू-कश्मीर से आतंकवादियों का सफाया करना
(c) स्थानीय चुनावों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
(d) सीमा पार घुसपैठ को रोकना
उत्तर: (b)
व्याख्या: ऑपरेशन ऑलआउट, जम्मू-कश्मीर से आतंकवादियों को निकालने और क्षेत्र में सुरक्षा बहाल करने की एक व्यापक सैन्य रणनीति थी।

8. **निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:**
1. आतंकवाद के मूल कारणों में आर्थिक पिछड़ापन, राजनीतिक अलगाव और बाहरी समर्थन शामिल हो सकते हैं।
2. आतंकवाद से निपटने के लिए केवल सैन्य समाधान पर्याप्त नहीं है; विकास और सुलह भी महत्वपूर्ण हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c)
व्याख्या: दोनों कथन सही हैं। आतंकवाद एक जटिल समस्या है जिसके बहुआयामी समाधान की आवश्यकता होती है।

9. **जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की भूमिका क्या है?**
(a) सीमा पार आतंकवादियों से लड़ना
(b) आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच करना
(c) स्थानीय पुलिस की सहायता करना
(d) सैन्य अभियानों का नेतृत्व करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: NIA भारत में आतंकवाद और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित गंभीर अपराधों की जांच करने वाली एक संघीय एजेंसी है।

10. **पहलगाम, जो हालिया घटनाओं के संदर्भ में चर्चा में रहा, किस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में स्थित है?**
(a) हिमाचल प्रदेश
(b) उत्तराखंड
(c) जम्मू और कश्मीर
(d) लद्दाख
उत्तर: (c)
व्याख्या: पहलगाम जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. **जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के बदलते स्वरूप और सुरक्षाबलों द्वारा अपनाई जा रही रणनीतियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। कुलगाम और पहलगाम जैसे हालिया घटनाक्रमों के आलोक में, भारत की आंतरिक सुरक्षा के समक्ष मौजूद चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करें।**
*(यह प्रश्न आतंकवाद के इतिहास, वर्तमान स्वरूप, सुरक्षा एजेंसियों की रणनीतियों, सरकार की नीतियों और भविष्य की राह पर एक व्यापक विश्लेषण की मांग करता है।)*

2. **”कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशंस” (CASO) आतंकवाद विरोधी अभियानों में एक महत्वपूर्ण उपकरण हैं, लेकिन वे नागरिक आबादी के लिए चुनौतियाँ भी पैदा करते हैं। CASO की प्रभावशीलता, इसमें आने वाली बाधाओं और नागरिक-सुरक्षा बलों के बीच विश्वास कायम करने के उपायों पर विस्तृत चर्चा करें।**
*(इस प्रश्न में CASO के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं का विश्लेषण करना होगा, जिसमें मानवीय पहलू पर भी ध्यान देना होगा।)*

3. **जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता लाने के लिए केवल सैन्य और सुरक्षा उपायों के अलावा अन्य किन बहुआयामी दृष्टिकोणों (जैसे आर्थिक विकास, राजनीतिक समाधान, सामाजिक समावेशन) की आवश्यकता है? हालिया घटनाओं के संदर्भ में इस पर अपने विचार प्रस्तुत करें।**
*(यह प्रश्न सुरक्षा के अलावा अन्य गैर-सैन्य समाधानों पर केंद्रित है, जो समस्या के मूल कारणों को संबोधित करने में मदद कर सकते हैं।)*

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