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संविधान का दैनिक रण: अपनी पॉलिटी क्षमता को परखें

संविधान का दैनिक रण: अपनी पॉलिटी क्षमता को परखें

नमस्कार, भावी सरकारी अधिकारियों! भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों और संविधान की बारीकियों को समझने का यह सबसे सुनहरा मौका है। आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखने और ज्ञान की धार को तेज़ करने के लिए हम लाए हैं 25 प्रश्नों का एक चुनौतीपूर्ण सेट। आइए, आज के इस दैनिक रणक्षेत्र में उतरें और देखें कि आप पॉलिटी के सवालों का सामना कैसे करते हैं!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक सरकार’ का सबसे अच्छा वर्णन करता है?

  1. एक सरकार जो वंशानुगत है
  2. एक सरकार जो लोकप्रिय संप्रभुता द्वारा सीमित है
  3. एक सरकार जो निरंकुश है
  4. एक सरकार जो अप्रत्यक्ष रूप से चुनी गई है

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: संवैधानिक सरकार का अर्थ है एक ऐसी सरकार जिसकी शक्तियाँ संविधान द्वारा सीमित होती हैं। यह सरकार कानून के शासन में विश्वास करती है और नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करती है। विकल्प (b) सबसे सटीक वर्णन है क्योंकि यह सीमित सरकार के विचार को दर्शाता है, जो लोकप्रिय संप्रभुता (जनता का शासन) द्वारा नियंत्रित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत का संविधान स्पष्ट रूप से ‘कानून के शासन’ (Rule of Law) की परिकल्पना करता है, जिसका अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है। यह सरकार की मनमानी शक्तियों को सीमित करता है।
  • गलत विकल्प: (a) वंशानुगत सरकार राजशाही का रूप है। (c) निरंकुश सरकार की शक्तियाँ असीमित होती हैं, जो संवैधानिक सरकार के विपरीत है। (d) अप्रत्यक्ष चुनाव सरकार के गठन का एक तरीका है, लेकिन यह स्वयं ‘संवैधानिक सरकार’ को परिभाषित नहीं करता, क्योंकि अप्रत्यक्ष रूप से चुनी गई सरकार भी निरंकुश हो सकती है।

प्रश्न 2: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़े गए?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ (Socialist) और ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे। इन शब्दों ने भारत के एक समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में चरित्र को और स्पष्ट किया।
  • संदर्भ और विस्तार: 42वें संशोधन को ‘लघु-संविधान’ भी कहा जाता है क्योंकि इसने प्रस्तावना सहित संविधान के कई हिस्सों में महत्वपूर्ण बदलाव किए। इसने ‘एकता’ शब्द को ‘एकता और अखंडता’ में भी बदला।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया और राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित कुछ सुरक्षा उपाय जोड़े। 52वां संशोधन (1985) दलबदल विरोधी प्रावधानों (10वीं अनुसूची) से संबंधित है। 73वां संशोधन (1992) पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है।

प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य शामिल होते हैं।
  2. दिल्ली और पुडुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों को निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया है।
  3. मतदान की प्रक्रिया आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होती है।
  4. राष्ट्रपति पद के लिए योग्यताएं निर्धारित की गई हैं, जैसे कि 35 वर्ष की आयु पूरी करना और लोक सभा के सदस्य के रूप में चुने जाने के योग्य होना।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: यह कथन सही नहीं है क्योंकि राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं, मनोनीत सदस्य नहीं। इसके अतिरिक्त, राज्यों की विधानसभाओं के केवल निर्वाचित सदस्य और दिल्ली व पुडुचेरी (अब जम्मू और कश्मीर भी, 70वें संशोधन से) की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। अनुच्छेद 54 राष्ट्रपति के चुनाव मंडल का वर्णन करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति का चुनाव भारत की एक अनूठी प्रक्रिया है जो एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पर आधारित है, जैसा कि अनुच्छेद 55 में निर्दिष्ट है। यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति को व्यापक विधायी समर्थन प्राप्त हो।
  • गलत विकल्प: (b) दिल्ली और पुडुचेरी के निर्वाचित सदस्य 70वें संशोधन (1992) द्वारा शामिल किए गए थे। (c) यह कथन सही है, मतदान आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल संक्रमणीय मत के अनुसार होता है। (d) ये राष्ट्रपति पद के लिए आवश्यक योग्यताएं हैं, जैसा कि अनुच्छेद 58 में वर्णित है।

प्रश्न 4: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत, संसद को संघ सूची के विषय पर विधि बनाने की शक्ति दी गई है, जब वह राष्ट्रहित में आवश्यक हो?

  1. अनुच्छेद 249
  2. अनुच्छेद 250
  3. अनुच्छेद 252
  4. अनुच्छेद 253

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 249 के अनुसार, यदि राज्यसभा राष्ट्रीय हित में ऐसा करना आवश्यक समझती है, तो वह संकल्प पारित करके संसद को राज्य सूची के किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार दे सकती है। यह एक अपवाद है जहाँ संसद राज्य सूची में हस्तक्षेप करती है। (ध्यान दें, प्रश्न में संघ सूची पूछा गया है, जो थोड़ा भ्रमित करने वाला है। हालांकि, अनुच्छेद 249 राज्य सूची के विषय पर संसद को शक्ति देता है। प्रश्न की मूल भावना को समझते हुए, हम इसे राज्य सूची के संदर्भ में स्पष्ट करेंगे। यदि प्रश्न संघ सूची पर था, तो संसद को हमेशा ही उस पर कानून बनाने का अधिकार है। लेकिन, राष्ट्रीय हित में राज्य सूची पर कानून बनाने की शक्ति 249 में है। मान लेते हैं प्रश्न का आशय राज्य सूची से था।)
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 249 राज्य सूची के विषय पर संसद को अस्थायी रूप से कानून बनाने का अधिकार देता है, लेकिन यह कानून एक वर्ष से अधिक प्रभावी नहीं रह सकता जब तक कि राज्यसभा द्वारा एक नया संकल्प पारित न किया जाए। यह केंद्र को राष्ट्रीय महत्व के मामलों में हस्तक्षेप करने की शक्ति देता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 250 आपातकाल के दौरान राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की संसद की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 252 दो या अधिक राज्यों के लिए कानून बनाने की संसद की शक्ति से संबंधित है, यदि वे प्रस्ताव पारित करते हैं। अनुच्छेद 253 अंतर्राष्ट्रीय करार को लागू करने के लिए विधि बनाने की संसद की शक्ति से संबंधित है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय, भारत के राष्ट्रपति को उनके कार्यों के निष्पादन में सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद के गठन का आधार प्रदान करता है?

  1. संसद
  2. उपराष्ट्रपति
  3. महान्यायवादी
  4. कोई विशिष्ट निकाय नहीं, यह राष्ट्रपति का विवेक है

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74(1) के अनुसार, राष्ट्रपति को उनके कार्यों के निष्पादन में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा। इस मंत्रिपरिषद का गठन राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर किया जाता है, और प्रधानमंत्री की नियुक्ति स्वयं संसद (लोकसभा में बहुमत दल के नेता) की राय से होती है। इसलिए, अप्रत्यक्ष रूप से, संसद ही मंत्रिपरिषद के गठन का आधार प्रदान करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: मंत्रिपरिषद की सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी है, जैसा कि 44वें संशोधन द्वारा स्पष्ट किया गया था। राष्ट्रपति केवल एक बार मंत्रिपरिषद को सलाह पर पुनर्विचार करने के लिए कह सकते हैं।
  • गलत विकल्प: (b) उपराष्ट्रपति की भूमिका राष्ट्रपति के चुनाव या सलाह में प्रत्यक्ष नहीं है। (c) महान्यायवादी कानूनी सलाहकार होते हैं, मंत्रिपरिषद के गठन का आधार नहीं। (d) यह कथन गलत है क्योंकि संविधान स्पष्ट रूप से मंत्रिपरिषद के गठन की व्यवस्था करता है।

प्रश्न 6: ‘विधायी प्रक्रिया’ के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. कोई भी धन विधेयक केवल लोक सभा में ही पेश किया जा सकता है।
  2. धन विधेयक के अलावा, सभी विधेयक संसद के किसी भी सदन में पेश किए जा सकते हैं।
  3. लोकसभा में पारित एक साधारण विधेयक को राज्यसभा द्वारा अस्वीकार किया जा सकता है, लेकिन वह उसे संशोधित नहीं कर सकती।
  4. एक साधारण विधेयक के पारित होने में गतिरोध की स्थिति में, संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 110 के अनुसार, कोई भी विधेयक धन विधेयक समझा जाएगा यदि उसमें केवल करों का अधिरोपण, उत्सादन, क्षमा, परिवर्तन या विनियमन, भारत की संचित निधि या भारत की आकस्मिकता निधि में धन जमा करना या उसमें से धन निकालना, भारत के लोक ऋण का या उसके द्वारा उपगत या किए जाने वाले प्रतिभूतियों का विनियमन, भारत की संचित निधि पर भारित व्यय, या ऐसे किसी व्यय के लेखाओं की संवीक्षा, या उपर्युक्त विषयों में से किसी के बारे में कोई बात या अनुषंगी मामले शामिल हों। धन विधेयक केवल लोक सभा में ही पेश किया जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: धन विधेयक के संबंध में, राज्यसभा के पास सीमित शक्तियाँ हैं। यह इसे पारित या अस्वीकार कर सकती है, या इसमें संशोधन कर सकती है, लेकिन यह विधेयक को 14 दिनों से अधिक समय तक रोक कर नहीं रख सकती। यदि 14 दिनों के भीतर पारित नहीं होता है, तो इसे दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है।
  • गलत विकल्प: (b) यह कथन सही है कि धन विधेयक के अलावा सभी विधेयक किसी भी सदन में पेश किए जा सकते हैं, लेकिन प्रश्न ‘विधायी प्रक्रिया’ के संबंध में सत्य कथन पूछ रहा है, और (a) एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण सत्य है। (c) राज्यसभा साधारण विधेयक को अस्वीकार करने के साथ-साथ संशोधित भी कर सकती है। (d) साधारण विधेयकों के संबंध में गतिरोध की स्थिति में अनुच्छेद 108 के तहत संयुक्त बैठक का प्रावधान है।

प्रश्न 7: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और वह 5 वर्ष के कार्यकाल के लिए पद धारण करता है।
  2. CAG को केवल कदाचार के आधार पर ही हटाया जा सकता है।
  3. CAG को भारत की संचित निधि से वेतन मिलता है।
  4. CAG केंद्र सरकार के व्यय का लेखा-परीक्षण नहीं करता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, लेकिन वह 6 वर्ष के कार्यकाल के लिए या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद धारण करता है (अनुच्छेद 148)। CAG का वेतन भारत की संचित निधि से दिया जाता है और यह संसद के अनुमोदन के अधीन नहीं होता, इसलिए यह उसके कार्यकाल के दौरान परिवर्तनीय नहीं है, जिससे उसकी स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है (अनुच्छेद 148(3))।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारत सरकार के सभी खातों और उन सभी सरकारी उपक्रमों, प्राधिकरणों और निकायों के खातों का लेखा-परीक्षण करता है जिनके व्यय भारत की संचित निधि से होते हैं। यह केंद्र और राज्यों दोनों के वित्तीय प्रशासन का प्रहरी है।
  • गलत विकल्प: (a) कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक है। (b) CAG को कदाचार और अक्षमता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा प्रस्तावित संकल्प पारित होने पर हटाया जा सकता है, जैसा कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया है (अनुच्छेद 148(1) और 124(4))। (d) CAG केंद्र सरकार के व्यय का विस्तृत लेखा-परीक्षण करता है।

प्रश्न 8: भारतीय संविधान के किस भाग में पंचायती राज संस्थाओं का उल्लेख है?

  1. भाग IV-A
  2. भाग IX
  3. भाग VII
  4. भाग VIII

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IX में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) का प्रावधान किया गया है। इसे 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था, जिसने संविधान में अनुच्छेद 243 से 243-O तक को शामिल किया।
  • संदर्भ और विस्तार: भाग IX पंचायती राज संस्थाओं के गठन, सदस्यों के चुनाव, उनकी शक्तियों, प्राधिकरणों और जिम्मेदारियों, उनके कार्यकाल, तथा वित्तीय मामलों आदि से संबंधित प्रावधानों को निर्धारित करता है। यह पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: भाग IV-A में मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख है (अनुच्छेद 51A)। भाग VII को सातवें संशोधन अधिनियम, 1956 द्वारा निरस्त कर दिया गया था। भाग VIII संघ राज्य क्षेत्रों से संबंधित है।

प्रश्न 9: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. लोकसभा के अध्यक्ष
  4. मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत गठित एक समिति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है। यह समिति भारत के प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), लोकसभा के अध्यक्ष, केंद्रीय गृह मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और केंद्रीय गृह सचिव से मिलकर बनती है।
  • संदर्भ और विस्तार: NHRC की स्थापना मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी। यह आयोग मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जाँच करता है और पीड़ित व्यक्तियों को मुआवजा देने की भी सिफारिश कर सकता है।
  • गलत विकल्प: (b) प्रधानमंत्री समिति के अध्यक्ष होते हैं, लेकिन वे अकेले नियुक्ति नहीं करते। (c) लोकसभा अध्यक्ष समिति के सदस्य हैं, लेकिन वे स्वयं नियुक्ति नहीं करते। (d) जबकि एक समिति नियुक्त करती है, वे राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी व्यक्ति को लोक पद धारण करने के लिए चुनौती देती है?

  1. हेबियस कॉर्पस
  2. मेंडेमस
  3. प्रोहिबिशन
  4. क्यू वारंटो

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: ‘क्यू वारंटो’ (Quo Warranto) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘किस अधिकार से’। यह रिट किसी व्यक्ति द्वारा अवैध रूप से धारण किए गए सार्वजनिक पद को चुनौती देने के लिए जारी की जाती है। यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 32 के तहत और हाई कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 226 के तहत जारी की जा सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस रिट के माध्यम से, न्यायालय यह सुनिश्चित करता है कि कोई व्यक्ति केवल उसी पद पर बना रहे जिसके लिए वह कानूनी रूप से योग्य है।
  • गलत विकल्प: ‘हेबियस कॉर्पस’ (Habeas Corpus) का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’, यह किसी बंदी व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश है। ‘मेंडेमस’ (Mandamus) का अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’, यह किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसके कर्तव्य का पालन करने का आदेश है। ‘प्रोहिबिशन’ (Prohibition) किसी उच्च न्यायालय द्वारा निम्न न्यायालय या न्यायाधिकरण को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी की जाती है।

प्रश्न 11: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का मुख्य कार्य क्या है?

  1. देश के लिए पंचवर्षीय योजनाओं का अनुमोदन करना
  2. पंचायती राज संस्थाओं के कामकाज की निगरानी करना
  3. राज्यों के बीच जल विवादों का निपटारा करना
  4. सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) भारत की पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम अनुमोदन प्रदान करने वाली सर्वोच्च संस्था है। यह योजनाओं की व्यवहार्यता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका गठन 1952 में हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: NDC में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक या प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह एक सलाहकार निकाय है जो राष्ट्रीय विकास के लिए महत्वपूर्ण नीतियों पर चर्चा करता है।
  • गलत विकल्प: (b) पंचायती राज संस्थाओं की निगरानी पंचायती राज मंत्रालय या राज्य सरकारों का कार्य है। (c) जल विवादों का निपटारा अनुच्छेद 262 के तहत संसद द्वारा स्थापित न्यायाधिकरणों द्वारा किया जाता है। (d) सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना सरकार की एक सामान्य जिम्मेदारी है, न कि NDC का विशिष्ट कार्य।

प्रश्न 12: भारत के संविधान का कौन सा भाग ‘आपातकालीन प्रावधानों’ से संबंधित है?

  1. भाग XIV
  2. भाग XVII
  3. भाग XVIII
  4. भाग XIX

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XVIII (अनुच्छेद 352 से 360) आपातकालीन प्रावधानों से संबंधित है। इसमें राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता (राष्ट्रपति शासन) (अनुच्छेद 356) और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) का वर्णन है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये प्रावधान भारत को युद्ध, बाहरी आक्रमण, सशस्त्र विद्रोह, राज्य के भीतर गंभीर अस्थिरता या वित्तीय संकट जैसी असाधारण परिस्थितियों से निपटने के लिए आवश्यक शक्तियाँ प्रदान करते हैं।
  • गलत विकल्प: भाग XIV सेवाओं से संबंधित है। भाग XVII आधिकारिक भाषा से संबंधित है। भाग XIX प्रकीर्ण (Miscellaneous) से संबंधित है।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के पद से संबंधित है?

  1. अनुच्छेद 76
  2. अनुच्छेद 143
  3. अनुच्छेद 165
  4. अनुच्छेद 262

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी के पद से संबंधित है। यह अनुच्छेद महान्यायवादी की नियुक्ति, उसकी योग्यताएं, कर्तव्य और अधिकार आदि का वर्णन करता है। महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, और उसे उसी योग्यता का होना चाहिए जो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के लिए आवश्यक है। वह संसद की कार्यवाही में भाग ले सकता है (मतदान के अधिकार के बिना) और किसी भी न्यायालय में सुनवायी का अधिकार रखता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट से सलाह लेने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 165 राज्यों के महाधिवक्ता (Advocate General) के पद से संबंधित है। अनुच्छेद 262 अंतर-राज्यिक जल विवादों से संबंधित है।

प्रश्न 14: भारत में, ‘दल-बदल’ के आधार पर संसद या राज्य विधानमंडल के किसी सदस्य की अयोग्यता से संबंधित प्रावधान किस अनुसूची में दिए गए हैं?

  1. सातवीं अनुसूची
  2. नौवीं अनुसूची
  3. दसवीं अनुसूची
  4. बारहवीं अनुसूची

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: दल-बदल के आधार पर अयोग्यता से संबंधित प्रावधान भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची में दिए गए हैं। इसे 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: दसवीं अनुसूची का उद्देश्य सांसदों और विधायकों को एक पार्टी से दूसरी पार्टी में दल-बदल करने से रोकना है, जिससे राजनीतिक स्थिरता बनी रहे। इसमें दल-बदल को परिभाषित किया गया है और अयोग्यता के नियम निर्धारित किए गए हैं।
  • गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण (संघ, राज्य और समवर्ती सूचियाँ) से संबंधित है। नौवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों और विनियमों का सत्यापन करती है, जिन्हें न्यायिक समीक्षा से छूट प्राप्त है। बारहवीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों की शक्तियों, प्राधिकारों और जिम्मेदारियों से संबंधित है।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संविधान के संशोधन’ के बारे में गलत है?

  1. संसद अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में संशोधन कर सकती है।
  2. कुछ प्रावधानों को केवल संसद के विशेष बहुमत से संशोधित किया जा सकता है।
  3. कुछ प्रावधानों को संसद के विशेष बहुमत और आधे से अधिक राज्यों के अनुसमर्थन से संशोधित किया जा सकता है।
  4. संविधान के मूल ढांचे को किसी भी संशोधन द्वारा बदला जा सकता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 के अनुसार, संसद संविधान के किसी भी प्रावधान को संशोधित कर सकती है। हालाँकि, केशवानंद भारती मामले (1973) में सुप्रीम कोर्ट ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure) के सिद्धांत को प्रतिपादित किया। इसके अनुसार, संसद अनुच्छेद 368 का प्रयोग करके भी संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती। इसलिए, कथन (d) गलत है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन के लिए तीन विधियाँ प्रदान करता है: (i) साधारण बहुमत, (ii) संसद का विशेष बहुमत, और (iii) संसद का विशेष बहुमत और आधे से अधिक राज्यों के विधानमंडलों का अनुसमर्थन।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) अनुच्छेद 368 में वर्णित संशोधन की विधियों के सही विवरण हैं।

प्रश्न 16: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का आदर्श किन विभिन्न रूपों में व्यक्त किया गया है?

  1. सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक
  2. केवल सामाजिक और राजनीतिक
  3. केवल आर्थिक और धार्मिक
  4. सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना यह उपबंध करती है कि भारत के सभी नागरिकों को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित किया जाएगा। यह स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों के साथ भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का संकल्प लेती है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, धर्म, लिंग, नस्ल आदि के आधार पर कोई भेदभाव न होना। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को राजनीतिक अधिकार (जैसे मतदान, चुनाव लड़ना) समान रूप से प्राप्त हों। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और आय का समान वितरण, ताकि गरीबी और अमीरी के बीच की खाई को कम किया जा सके।
  • गलत विकल्प: प्रस्तावना में ‘धार्मिक न्याय’ का सीधा उल्लेख नहीं है, हालांकि धर्मनिरपेक्षता (Secularism) सुनिश्चित करती है कि सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार हो।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन से मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं?

  1. अनुच्छेद 15, 16, 19, 20, 21
  2. अनुच्छेद 14, 15, 16, 17, 18
  3. अनुच्छेद 19, 20, 21, 22, 23
  4. अनुच्छेद 15, 16, 19, 20, 21, 22

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान केवल नागरिकों को अनुच्छेद 15 (भेदभाव का निषेध), अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन में अवसर की समानता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सम्मेलन, संघ बनाने, संचरण की स्वतंत्रता, निवास की स्वतंत्रता, पेशा, व्यवसाय, धंधा करने की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण) प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: कुछ मौलिक अधिकार (जैसे अनुच्छेद 14, 20, 21, 22, 25, 26, 27, 28) विदेशियों को भी उपलब्ध हैं, जबकि बाकी केवल भारतीय नागरिकों को।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) विदेशियों को भी प्राप्त है। अनुच्छेद 22 (गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण) भी विदेशियों को प्राप्त है।

प्रश्न 18: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. ये न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
  2. ये देश के शासन में मूलभूत माने जाते हैं।
  3. ये कल्याणकारी राज्य की स्थापना का लक्ष्य रखते हैं।
  4. इनका उद्देश्य मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाना है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP) संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं। अनुच्छेद 37 स्पष्ट रूप से कहता है कि ये सिद्धांत न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे। हालांकि, ये देश के शासन में मूलभूत हैं और राज्य का यह कर्तव्य है कि वह नीति निर्माण में इन सिद्धांतों को लागू करे। (d) असत्य है क्योंकि DPSP का उद्देश्य सरकार को सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र स्थापित करने के लिए निर्देशित करना है, न कि सीधे तौर पर मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाना। कुछ मामलों में, DPSP और मौलिक अधिकारों के बीच संघर्ष की स्थिति में, सुप्रीम कोर्ट ने DPSP को मौलिक अधिकारों से उच्च माना है (जैसे मिनर्वा मिल्स मामले में)।
  • संदर्भ और विस्तार: DPSP गैर-न्यायिक (non-justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि इनका उल्लंघन होने पर कोई भी नागरिक सीधे न्यायालय की शरण नहीं ले सकता। फिर भी, ये भारत के शासन के लिए ‘मूलभूत’ हैं और राज्य पर इन्हें लागू करने का कर्तव्य डालते हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) DPSP के संबंध में सत्य कथन हैं।

प्रश्न 19: भारतीय संसद को संविधान के भाग III में वर्णित किसी भी मौलिक अधिकार को संशोधित करने की शक्ति किस वाद में उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई थी?

  1. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
  2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  3. शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ
  4. चम्पकम दोराईराजन बनाम मद्रास राज्य

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967) के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि संसद मौलिक अधिकारों में कटौती या उन्हें निरस्त नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 368 के तहत संसद की संशोधन शक्ति सीमित है और यह मौलिक अधिकारों को प्रभावित नहीं कर सकती। यह निर्णय बाद में केशवानंद भारती मामले में पलट दिया गया। (यहाँ प्रश्न में थोड़ा अस्पष्टता है। यदि प्रश्न यह पूछ रहा है कि किस वाद में यह शक्ति ‘दी गई थी’ (पहले), तो गोलकनाथ होगा। यदि यह पूछ रहा है कि किस वाद में यह शक्ति ‘पुनर्स्थापित’ हुई, तो केशवानंद होगा। दिए गए विकल्पों में, गोलकनाथ ने इस शक्ति को ‘प्रतिबंधित’ किया था, जबकि शंकर प्रसाद ने इसे ‘अनुमति’ दी थी। प्रश्न पूछ रहा है कि ‘शक्ति दी गई थी’, इसका मतलब है वह वाद जहाँ यह शक्ति मानी गई। शंकर प्रसाद (1951) में यह शक्ति दी गई थी, गोलकनाथ (1967) ने इसे वापस ले लिया, और केशवानंद (1973) ने इसे मूल ढांचे के सिद्धांत के साथ सीमित किया। इसलिए, सबसे पहले शक्ति शंकर प्रसाद में मानी गई।)
  • संदर्भ और विस्तार: शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ (1951) में, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अनुच्छेद 368 के तहत संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग को संशोधित करने की शक्ति है। गोलकनाथ मामले में यह निर्णय पलट दिया गया था।
  • गलत विकल्प: केशवानंद भारती मामले (1973) ने मूल ढांचे के सिद्धांत को स्थापित किया, जिसने संशोधन की शक्ति को सीमित कर दिया। चम्पकम दोराईराजन मामले (1951) में, कोर्ट ने कहा कि DPSP मौलिक अधिकारों के अधीन हैं, जिसने मौलिक अधिकारों को वरीयता दी।

संशोधित उत्तर के लिए स्पष्टीकरण: प्रश्न की सटीक भाषा “किस वाद में उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई थी?” को देखते हुए, सबसे उपयुक्त उत्तर (c) शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ (1951) है, जहाँ संसद को मौलिक अधिकारों सहित संविधान में संशोधन करने की शक्ति सबसे पहले प्रदान की गई थी। गोलकनाथ ने इसे सीमित किया, और केशवानंद ने मूल ढांचे के सिद्धांत के साथ और सीमित किया। दिए गए विकल्पों में, शंकर प्रसाद सबसे पहले शक्ति का स्रोत है। (पुनः जाँच करने पर, प्रश्न पूछ रहा है “किस वाद में…शक्ति दी गई थी?”। यह प्रश्न थोड़ा भ्रामक है। यदि इसका अर्थ है कि संसद को मौलिक अधिकार सहित संविधान को संशोधित करने की ‘असीमित’ शक्ति कब दी गई, तो शंकर प्रसाद। यदि इसका अर्थ है कि मौलिक अधिकारों को संशोधित करने की शक्ति को ‘पुनर्स्थापित’ कब किया गया, तो केशवानंद। चूँकि ‘दी गई थी’ एक बार के कार्य का संकेत देता है, शंकर प्रसाद सही है। लेकिन अक्सर ऐसे प्रश्न केशवानंद भारती के संदर्भ में पूछे जाते हैं जहाँ इस शक्ति की सीमाएं तय हुईं। दिए गए विकल्पों में, यदि हम ‘संशोधन करने की शक्ति’ को देखें, तो शंकर प्रसाद सही है। लेकिन यदि हम ‘मौलिक अधिकार’ पर जोर दें, तो गोलकनाथ के बाद केशवानंद ने शक्ति को ‘पुनः परिभाषित’ किया। अक्सर ऐसे प्रश्न केशवानंद भारती के इर्द-गिर्द घूमते हैं।)

अंतिम निर्णय: प्रश्न का भाव “संसद को मौलिक अधिकार संशोधित करने की शक्ति कब मिली?” है, जिसका उत्तर सबसे पहले शंकर प्रसाद मामले में मिला। हालांकि, प्रश्न को केशवानंद भारती के रूप में व्याख्यायित करना भी सामान्य है जहाँ शक्ति को ‘स्थापित’ (limited) किया गया। इस दुविधा को दूर करने के लिए, हम प्रश्न को “संसद को मौलिक अधिकारों को संशोधित करने की शक्ति कब प्रदान की गई?” मानते हुए उत्तर (c) शंकर प्रसाद को सही मानते हैं।


प्रश्न 20: भारत के राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर, उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर सकता है। यह अधिकतम कितने समय तक?

  1. 6 महीने
  2. 1 वर्ष
  3. 3 महीने
  4. जब तक नया राष्ट्रपति निर्वाचित न हो जाए

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 65 के अनुसार, जब राष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्यागपत्र या अन्य कारणों से रिक्त हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है। यह अधिकतम 6 महीने की अवधि के लिए हो सकता है, जिसके भीतर राष्ट्रपति का चुनाव हो जाना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: यदि उपराष्ट्रपति भी अनुपस्थित या असमर्थ है, तो भारत का मुख्य न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर सकता है, या मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में, सुप्रीम कोर्ट का कोई अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश।
  • गलत विकल्प: 1 वर्ष, 3 महीने या जब तक नया राष्ट्रपति निर्वाचित न हो जाए (बिना 6 महीने की सीमा के) गलत हैं क्योंकि संविधान 6 महीने की अधिकतम सीमा निर्धारित करता है।

प्रश्न 21: भारत के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा ______ की सलाह पर की जाती है।

  1. भारत के महान्यायवादी
  2. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  3. मंत्रिपरिषद
  4. संसद

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की ‘सलाह’ पर की जाती है (अनुच्छेद 124)। यह ‘कॉलेजियम प्रणाली’ के तहत होता है, जिसमें CJI और चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: 99वें संशोधन अधिनियम (2014) ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) की स्थापना की थी, लेकिन इसे 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया था। इसलिए, वर्तमान में नियुक्ति प्रक्रिया मूल कॉलेजियम प्रणाली पर आधारित है।
  • गलत विकल्प: महान्यायवादी, मंत्रिपरिषद या संसद की प्रत्यक्ष सलाह पर नियुक्ति नहीं होती है, हालांकि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य कर सकते हैं। कॉलेजियम प्रणाली का प्रभाव महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?

  1. चुनाव आयोग
  2. संघ लोक सेवा आयोग
  3. नीति आयोग
  4. वित्त आयोग

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग) एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है। इसे भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा 1 जनवरी 2015 को स्थापित किया गया था। यह एक कार्यकारी निकाय है।
  • संदर्भ और विस्तार: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) भारतीय संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, जिनके कार्यों और शक्तियों का संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है।
  • गलत विकल्प: चुनाव आयोग, संघ लोक सेवा आयोग और वित्त आयोग तीनों ही संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि इनका उल्लेख संविधान में है।

प्रश्न 23: ‘सांप्रदायिक निर्वाचक मंडल’ (Communal Electorate) की व्यवस्था किस अधिनियम द्वारा भारत में प्रारम्भ की गई?

  1. भारतीय परिषद अधिनियम, 1861
  2. भारतीय परिषद अधिनियम, 1892
  3. भारत सरकार अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार)
  4. भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: सांप्रदायिक निर्वाचक मंडल की व्यवस्था भारत सरकार अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार) द्वारा प्रारम्भ की गई थी। इस अधिनियम ने मुस्लिमों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल की शुरुआत की, जिसमें वे केवल मुस्लिम मतदाताओं द्वारा चुने जा सकते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: इस व्यवस्था का उद्देश्य भारतीय समाज में ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति को बढ़ावा देना था और इसने आगे चलकर राजनीतिक अलगाववाद को बढ़ावा दिया।
  • गलत विकल्प: 1861 का अधिनियम भारतीयों को विधायी परिषदों में शामिल करने की दिशा में एक कदम था। 1892 का अधिनियम अप्रत्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया को थोड़ा विस्तार देता था। 1919 का अधिनियम द्वैध शासन (dyarchy) की शुरुआत करता था और सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व का विस्तार करता था, लेकिन इसकी शुरुआत 1909 में हुई थी।

प्रश्न 24: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत को सुनिश्चित करता है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 39(d)
  3. अनुच्छेद 41
  4. अनुच्छेद 42

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 39(d) राज्य को यह निर्देश देता है कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए काम करे कि पुरुषों और स्त्रियों दोनों के लिए समान कार्य का समान वेतन हो। यह राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) में शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: यद्यपि यह एक DPSP है और सीधे तौर पर प्रवर्तनीय नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न निर्णयों में इसे अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत भी व्याख्यायित किया है, जिससे इसे व्यावहारिक महत्व मिला है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता की बात करता है। अनुच्छेद 41 काम, शिक्षा और कुछ मामलों में लोक सहायता के अधिकार से संबंधित है। अनुच्छेद 42 काम की न्यायसंगत और मानवीय परिस्थितियों और मातृत्व सहायता के प्रावधान से संबंधित है।

प्रश्न 25: संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति के बारे में सही है?

  1. कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है।
  2. कार्यपालिका शक्ति प्रधानमंत्री में निहित है।
  3. कार्यपालिका शक्ति मंत्रिपरिषद में निहित है।
  4. कार्यपालिका शक्ति केवल संसद में निहित है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 53(1) के अनुसार, संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और वह इसका प्रयोग या तो स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा।
  • संदर्भ और विस्तार: यद्यपि कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है, अनुच्छेद 74(1) के अनुसार, राष्ट्रपति अपने इन कार्यों का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है, जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होता है। इसलिए, वास्तविक कार्यकारी शक्ति प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास होती है, लेकिन संवैधानिक रूप से यह राष्ट्रपति में निहित है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करते हैं, लेकिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति हैं। संसद विधायी शक्ति का प्रयोग करती है, कार्यपालिका का नहीं।

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