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अमेरिका का दावा: क्या भारत रूस से तेल खरीदना बंद करेगा? भू-राजनीति और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

अमेरिका का दावा: क्या भारत रूस से तेल खरीदना बंद करेगा? भू-राजनीति और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बयान दिया जिसमें उन्होंने दावा किया कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करने वाला है। उन्होंने इस संभावित कदम को “अच्छा कदम” भी बताया। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत ऊर्जा सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय ले रहा है और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव आया है। ट्रम्प का यह बयान अंतरराष्ट्रीय संबंधों, ऊर्जा बाजारों और भारत की आर्थिक नीतियों पर संभावित प्रभाव को लेकर महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है।

पृष्ठभूमि: रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक ऊर्जा बाजार (Background: Russia-Ukraine War and the Global Energy Market):

रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों में अभूतपूर्व उथल-पुथल मचा दी है। रूस दुनिया के प्रमुख तेल और गैस उत्पादकों में से एक है। युद्ध के कारण पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र को लक्षित करने वाली कार्रवाइयां भी शामिल हैं। इन प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप, रूस ने अपने तेल और गैस की कीमतों में भारी छूट देनी शुरू कर दी, खासकर उन देशों को जो इन प्रतिबंधों में सीधे तौर पर शामिल नहीं थे।

भारत, जो अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का लगभग 85% आयात करता है, रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने के अवसर का लाभ उठाने में संकोच नहीं किया। यह कदम भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और आयात बिल को कम करने के लिए एक रणनीतिक निर्णय था। इस खरीद ने भारत को वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया, लेकिन साथ ही इसने पश्चिमी देशों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ कुछ कूटनीतिक चुनौतियों भी पेश कीं।

डोनाल्ड ट्रम्प का बयान: एक विश्लेषण (Donald Trump’s Statement: An Analysis):

डोनाल्ड ट्रम्प का यह दावा कि “भारत रूस से तेल खरीदना बंद करने वाला है” और इसे “अच्छा कदम” कहना, कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ट्रम्प अब अमेरिकी सरकार में कोई आधिकारिक पद पर नहीं हैं, इसलिए यह बयान व्यक्तिगत दृष्टिकोण को दर्शाता है। हालांकि, उनके पूर्व राष्ट्रपति होने के नाते, उनके विचारों का अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक निश्चित वजन होता है, खासकर रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के बीच।

संभावित इरादे (Potential Intentions):

  • अमेरिका का दबाव: ट्रम्प का बयान अमेरिका के उस रुख को प्रतिबिंबित कर सकता है कि वह रूस से तेल की खरीद को हतोत्साहित करना चाहता है, भले ही भारत सीधे तौर पर अमेरिका के प्रतिबंधों का हिस्सा न हो। अमेरिका चाहता है कि रूस को आर्थिक रूप से कमजोर किया जाए, और ऊर्जा निर्यात से होने वाली आय उसका एक प्रमुख स्रोत है।
  • ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा: ट्रम्प का “अच्छा कदम” वाला बयान उनके ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे के अनुरूप हो सकता है। यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि भारत अपने तेल की आपूर्ति के लिए अन्य स्रोतों पर निर्भर हो जाएगा, जिसमें शायद अमेरिका और उसके सहयोगी देश भी शामिल हों।
  • भू-राजनीतिक संकेत: यह एक संकेत हो सकता है कि अमेरिका या उसके सहयोगी भारत पर अपने ऊर्जा स्रोतों को विविधतापूर्ण बनाने और रूस पर निर्भरता कम करने के लिए दबाव बना रहे हैं।

भारत के लिए इसके क्या मायने हैं? (What Does This Mean for India?):

यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है, तो इसके भारतीय अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक स्थिति पर दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे।

1. ऊर्जा सुरक्षा पर प्रभाव (Impact on Energy Security):

  • आपूर्ति स्रोतों में बदलाव: भारत को रूस से मिलने वाले तेल के विकल्प खोजने होंगे। वर्तमान में, भारत मध्य पूर्व (इराक, सऊदी अरब, यूएई), अफ्रीका (नाइजीरिया, अंगोला) और उत्तरी अमेरिका (अमेरिका, कनाडा) से भी तेल आयात करता है। रूस से खरीद बंद होने पर इन स्रोतों पर निर्भरता बढ़ जाएगी।
  • कीमतों पर प्रभाव: रूस से मिलने वाले रियायती तेल का लाभ समाप्त हो जाएगा। अन्य स्रोतों से तेल खरीदने पर कीमतें अधिक हो सकती हैं, जिससे भारत का आयात बिल बढ़ जाएगा।
  • रणनीतिक भंडार: भारत को अपने रणनीतिक तेल भंडारों (Strategic Petroleum Reserves – SPR) का प्रबंधन अधिक सावधानी से करना होगा।

2. आर्थिक प्रभाव (Economic Impact):

  • मुद्रास्फीति का दबाव: कच्चे तेल की ऊंची कीमतें सीधे तौर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों को प्रभावित करेंगी, जिससे परिवहन लागत बढ़ेगी और पूरे देश में मुद्रास्फीति (inflation) बढ़ने का खतरा होगा।
  • व्यापार घाटा (Trade Deficit): कच्चे तेल के आयात बिल में वृद्धि से भारत का व्यापार घाटा और बढ़ सकता है, जिससे रुपए पर दबाव आ सकता है।
  • आर्थिक विकास: यदि ऊर्जा की लागतें बढ़ती हैं, तो यह औद्योगिक उत्पादन और समग्र आर्थिक विकास को धीमा कर सकती है।

3. भू-राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव (Geopolitical and Diplomatic Impact):

  • पश्चिमी देशों के साथ संबंध: रूस से तेल खरीदना बंद करने से भारत के पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका के साथ संबंध और मजबूत हो सकते हैं। यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति के प्रति अमेरिका के दृष्टिकोण को भी प्रभावित कर सकता है।
  • रूस के साथ संबंध: रूस से तेल खरीद को कम करने या रोकने से भारत के रूस के साथ ऐतिहासिक रूप से मजबूत रणनीतिक और रक्षा संबंधों पर भी असर पड़ सकता है। भारत की ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) की नीति की परीक्षा होगी।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंच पर स्थिति: इस तरह का कदम भारत को वैश्विक मंच पर एक ऐसे देश के रूप में पेश कर सकता है जो पश्चिमी देशों की चिंताओं को संबोधित करने के लिए तैयार है, लेकिन यह रूस के साथ उसके दीर्घकालिक संबंधों को भी जटिल बना सकता है।

भारत की वर्तमान ऊर्जा कूटनीति (India’s Current Energy Diplomacy):

भारत ने हमेशा अपनी ऊर्जा सुरक्षा को राष्ट्रीय हित में सर्वोपरि रखा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान, भारत ने एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है।

  • ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ का सिद्धांत: भारत का मानना है कि उसे अपनी राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए अपने ऊर्जा स्रोतों को चुनने का अधिकार है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और संप्रभुता के सिद्धांतों पर आधारित है।
  • रियायती तेल का लाभ: रूस से मिलने वाले सस्ते तेल ने भारत को उच्च वैश्विक कीमतों से बचाने में मदद की। भारत ने यह तर्क दिया कि यह उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
  • विविधता पर जोर: हालांकि, भारत अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने के महत्व को भी समझता है। इसका मतलब है कि वह भविष्य में भी रूस के अलावा अन्य देशों से तेल और गैस का आयात जारी रखेगा।

“ऊर्जा सुरक्षा किसी भी देश की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा का आधार स्तंभ है। भारत, एक विकासशील राष्ट्र होने के नाते, अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सभी व्यवहार्य विकल्पों की तलाश करने के लिए बाध्य है।”

संभावित परिदृश्य और भारत के विकल्प (Potential Scenarios and India’s Options):

यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है, तो कई परिदृश्य संभव हैं:

परिदृश्य 1: अमेरिका और सहयोगियों की बढ़ती मांग (Scenario 1: Increasing Demand from the US and Allies):

  • यदि भारत रूस से दूरी बनाता है, तो अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश भारत को अपनी तेल आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
  • चुनौती: इन देशों से तेल की कीमतें रूस की तुलना में अधिक हो सकती हैं।

परिदृश्य 2: वैश्विक ऊर्जा कीमतों में अस्थिरता (Scenario 2: Volatility in Global Energy Prices):

  • रूस पर निर्भरता कम करने से भारत वैश्विक तेल बाजार में अधिक संवेदनशील हो जाएगा, जहाँ कीमतें भू-राजनीतिक घटनाओं से तेजी से प्रभावित होती हैं।
  • चुनौती: इससे अप्रत्याशित मूल्य वृद्धि का खतरा बढ़ सकता है।

परिदृश्य 3: वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का विकास (Scenario 3: Development of Alternative Energy Sources):

  • भारत नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे सौर और पवन ऊर्जा) और अन्य गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों में अपने निवेश को और तेज कर सकता है।
  • चुनौती: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत अभी भी पूर्ण रूप से मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, और संक्रमण काल के लिए जीवाश्म ईंधन आवश्यक हैं।

भारत के विकल्प (India’s Options):

  • रणनीतिक साझेदारी: भारत को अपने ऊर्जा आपूर्ति स्रोतों को सुरक्षित करने के लिए मध्य पूर्व, अमेरिका, कनाडा और अन्य तेल उत्पादक देशों के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना होगा।
  • दीर्घकालिक अनुबंध: मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, भारत को दीर्घकालिक तेल खरीद अनुबंधों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • ऊर्जा दक्षता और संरक्षण: ऊर्जा की मांग को कम करने के लिए ऊर्जा दक्षता और संरक्षण के उपायों को बढ़ावा देना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
  • पेट्रोलियम मंत्रालय की भूमिका: भारतीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को इन जटिल भू-राजनीतिक और आर्थिक समीकरणों को संतुलित करते हुए एक सक्रिय भूमिका निभानी होगी।

रूस के लिए क्या मायने हैं? (What Does This Mean for Russia?):

यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है, तो यह रूस की अर्थव्यवस्था पर भी कुछ प्रभाव डाल सकता है, हालांकि पश्चिम के प्रतिबंधों की तुलना में यह नगण्य हो सकता है।

  • निर्यात में कमी: भारत रूस का एक महत्वपूर्ण तेल खरीदार बन गया था। यदि भारत खरीद बंद कर देता है, तो रूस को उस मात्रा में बिक्री के लिए अन्य खरीदार खोजने होंगे।
  • छूट की आवश्यकता: रूस को शायद अन्य बाजारों को आकर्षित करने के लिए और भी अधिक छूट देनी पड़े।
  • भू-राजनीतिक प्रभाव: भारत जैसे प्रमुख देश का रूस से दूरी बनाना, रूस के लिए एक प्रतीकात्मक झटका हो सकता है, भले ही आर्थिक रूप से यह बड़ा बदलाव न लाए।

क्या भारत का यह कदम ‘अच्छा’ है? (Is India’s Move ‘Good’?):

डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा इसे “अच्छा कदम” कहना एक राय है। भारत के लिए, यह कदम “अच्छा” होगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और सामरिक हितों को कैसे प्रभावित करता है।

सकारात्मक पक्ष (Pros):

  • पश्चिमी देशों के साथ बेहतर संबंध: रूस से तेल खरीदना बंद करने से पश्चिमी देशों के साथ भारत के संबंध सुधर सकते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता के अनुरूप: कुछ लोग तर्क दे सकते हैं कि यह कदम रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय नैतिकता के अनुरूप है।
  • ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण: यह भारत को अपने ऊर्जा पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए मजबूर कर सकता है, जो दीर्घकालिक रूप से फायदेमंद हो सकता है।

नकारात्मक पक्ष (Cons):

  • आर्थिक लागत: उच्च आयात लागत और मुद्रास्फीति का खतरा।
  • भू-राजनीतिक जटिलताएं: रूस के साथ संबंधों में तनाव।
  • ऊर्जा आपूर्ति की अनिश्चितता: वैकल्पिक स्रोतों पर अधिक निर्भरता।

“किसी भी राष्ट्र के लिए, अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना एक नाजुक संतुलन का कार्य है, जो आर्थिक व्यवहार्यता, राष्ट्रीय सुरक्षा और भू-राजनीतिक प्राथमिकताओं से जुड़ा होता है।”

आगे की राह (Way Forward):

भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वह अपनी राष्ट्रीय रुचियों को सर्वोपरि रखते हुए इस मामले पर आगे बढ़े।

  1. समग्र विश्लेषण: भारत को रूस से तेल खरीद जारी रखने या बंद करने के दीर्घकालिक आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक प्रभावों का गहन विश्लेषण करना चाहिए।
  2. कूटनीतिक सक्रियता: भारत को तेल उत्पादक देशों और प्रमुख उपभोक्ता देशों के साथ अपनी कूटनीति को सक्रिय रखना चाहिए ताकि आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित किया जा सके और अनुकूल शर्तें प्राप्त की जा सकें।
  3. घरेलू उत्पादन और नवीकरणीय ऊर्जा: भारत को अपने घरेलू तेल उत्पादन को बढ़ाने और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश को तेजी से करने की आवश्यकता है, ताकि आयात पर निर्भरता कम हो सके।
  4. ऊर्जा बाजार की निगरानी: वैश्विक ऊर्जा बाजारों में होने वाले बदलावों पर बारीकी से नजर रखना और तदनुसार अपनी नीतियों को समायोजित करना महत्वपूर्ण है।

डोनाल्ड ट्रम्प का बयान एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक संकेत हो सकता है, लेकिन भारत को अपने निर्णय अपनी समझ और राष्ट्रीय हितों के आधार पर ही लेने होंगे। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत इस मामले में क्या रुख अपनाता है और इसके वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ते हैं।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न: रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, भारत ने रूस से तेल का आयात क्यों बढ़ाया?

    (a) रूस पर प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए
    (b) पश्चिमी देशों के साथ संबंध मजबूत करने के लिए
    (c) ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और रियायती दर का लाभ उठाने के लिए
    (d) भारत के तेल शोधन क्षमता को बढ़ाने के लिए

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: युद्ध के कारण रूस ने अपने तेल पर भारी छूट दी, जिससे भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और आयात लागत कम करने के लिए इसका लाभ उठाने में सक्षम हुआ।
  2. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा देश भारत के प्रमुख तेल आपूर्ति स्रोतों में से एक नहीं है?

    (a) इराक
    (b) कनाडा
    (c) वेनेजुएला
    (d) संयुक्त अरब अमीरात

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: वेनेजुएला पर अमेरिका के प्रतिबंधों के कारण भारत से उसका तेल आयात बहुत सीमित रहा है। भारत मुख्य रूप से मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका और अफ्रीका से तेल आयात करता है।
  3. प्रश्न: भारत की ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) नीति का क्या अर्थ है?

    (a) किसी भी देश के साथ गठबंधन न करना
    (b) अपनी विदेश नीति और रक्षा निर्णयों में स्वतंत्र रहना, किसी बाहरी दबाव से अप्रभावित
    (c) केवल संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन करना
    (d) केवल विकासशील देशों के साथ सहयोग करना

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: रणनीतिक स्वायत्तता का तात्पर्य है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए, किसी भी प्रमुख शक्ति के साथ गुटबद्ध हुए बिना, अपने निर्णय स्वयं लेता है।
  4. प्रश्न: यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है, तो निम्नलिखित में से कौन सा प्रभाव होने की सबसे अधिक संभावना है?

    (a) भारत का व्यापार घाटा कम हो जाएगा।
    (b) मुद्रास्फीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
    (c) कच्चे तेल के आयात की लागत बढ़ सकती है।
    (d) भारत की ऊर्जा सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: रूस से रियायती तेल की अनुपस्थिति में, भारत को अन्य, संभवतः अधिक महंगे, स्रोतों से तेल आयात करना होगा, जिससे लागत बढ़ सकती है।
  5. प्रश्न: भारत के रणनीतिक तेल भंडार (Strategic Petroleum Reserves – SPR) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    (a) घरेलू तेल उत्पादन को बढ़ावा देना
    (b) विदेशी तेल आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करना
    (c) आपूर्ति में व्यवधान की स्थिति में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना
    (d) तेल निर्यात से लाभ कमाना

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: SPR तेल की आपूर्ति में अप्रत्याशित व्यवधानों, जैसे युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं, के दौरान देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए बफर के रूप में कार्य करते हैं।
  6. प्रश्न: ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति का मुख्य प्रस्तावक कौन था?

    (a) जो बाइडेन
    (b) बराक ओबामा
    (c) डोनाल्ड ट्रम्प
    (d) जॉर्ज डब्ल्यू बुश

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी अध्यक्षता के दौरान ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति को प्रमुखता दी, जिसका उद्देश्य अमेरिकी हितों को अन्य देशों पर प्राथमिकता देना था।
  7. प्रश्न: रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण निम्नलिखित में से किस पर सबसे अधिक वैश्विक प्रभाव पड़ा है?

    (a) खाद्य सुरक्षा
    (b) ऊर्जा बाजार
    (c) वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला
    (d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)
    व्याख्या: युद्ध ने रूस और यूक्रेन दोनों के वैश्विक खाद्य, ऊर्जा और आपूर्ति श्रृंखलाओं में महत्वपूर्ण योगदान को बाधित किया है, जिससे व्यापक प्रभाव पड़ा है।
  8. प्रश्न: भारत की ऊर्जा आयात निर्भरता (ऊर्जा की कुल मांग का कितना प्रतिशत आयात किया जाता है) लगभग कितनी है?

    (a) 20%
    (b) 50%
    (c) 85%
    (d) 95%

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का एक बड़ा हिस्सा, लगभग 85%, आयात के माध्यम से पूरा करता है, जिससे यह वैश्विक ऊर्जा कीमतों और आपूर्ति के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
  9. प्रश्न: यदि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है, तो निम्नलिखित में से कौन सा देश भारत के लिए एक संभावित वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता बन सकता है?

    (a) ब्राजील
    (b) अर्जेंटीना
    (c) नाइजीरिया
    (d) दक्षिण कोरिया

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: नाइजीरिया भारत के प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। अन्य विकल्प (ब्राजील, अर्जेंटीना, दक्षिण कोरिया) वर्तमान में भारत के प्रमुख आपूर्तिकर्ता नहीं हैं।
  10. प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

    1. भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए विविध स्रोतों पर निर्भर है।
    2. भारत ने रूस से तेल आयात कम करने के पश्चिमी देशों के आग्रह को सीधे तौर पर स्वीकार किया है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल 1
    (b) केवल 2
    (c) 1 और 2 दोनों
    (d) न तो 1 और न ही 2

    उत्तर: (a)
    व्याख्या: कथन 1 सही है क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न देशों से तेल आयात करता है। कथन 2 गलत है क्योंकि भारत ने पश्चिमी देशों के आग्रह को स्वीकार करने के बजाय अपनी ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ के तहत अपने निर्णय लिए हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न: रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक ऊर्जा बाजार में अभूतपूर्व अस्थिरता पैदा की है। भारत, अपनी उच्च आयात निर्भरता को देखते हुए, इस स्थिति से कैसे प्रभावित हुआ है? भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उसकी कूटनीति और भविष्य की राह का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द)
  2. प्रश्न: डोनाल्ड ट्रम्प का यह दावा कि “भारत रूस से तेल खरीदना बंद करने वाला है” और इसे “अच्छा कदम” बताना, भारत की ऊर्जा कूटनीति और भू-राजनीतिक स्थिति को कैसे प्रभावित कर सकता है? इस संदर्भ में भारत के ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ सिद्धांत पर चर्चा करें। (250 शब्द)
  3. प्रश्न: किसी भी देश की आर्थिक विकास दर उसकी ऊर्जा सुरक्षा से अविभाज्य रूप से जुड़ी होती है। भारत के मामले में, ऊर्जा स्रोतों के विविधीकरण और नवीकरणीय ऊर्जा में संक्रमण के महत्व पर प्रकाश डालें, विशेष रूप से वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के संदर्भ में। (150 शब्द)
  4. प्रश्न: रूस से तेल की खरीद के संबंध में भारत की स्थिति को अक्सर पश्चिमी देशों द्वारा आलोचना का सामना करना पड़ा है। उन प्रमुख आर्थिक और भू-राजनीतिक तर्कों का विश्लेषण करें जिनके आधार पर भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखा है, और इस निर्णय के संभावित अंतरराष्ट्रीय निहितार्थों पर चर्चा करें। (150 शब्द)

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