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संविधान की महारत: आज की परीक्षा!

संविधान की महारत: आज की परीक्षा!

नमस्ते, भविष्य के प्रशासकों! भारत के जीवंत लोकतांत्रिक ढांचे की अपनी समझ को और गहरा करने के लिए तैयार हो जाइए। आज के इस विशेष प्रश्नोत्तरी में, हम आपके वैचारिक स्पष्टता को परखेंगे और आपको भारतीय राजनीति व संविधान के महत्वपूर्ण पहलुओं से रूबरू कराएंगे। आइए, अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले चलें!

भारतीय पॉलिटी और संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का क्या तात्पर्य है, जिसे मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति निदेशक तत्वों में शामिल किया गया है?

  1. केवल सामाजिक और आर्थिक न्याय
  2. सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक न्याय
  3. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
  4. केवल राजनीतिक और आर्थिक न्याय

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने का संकल्प लेती है। यह न्याय का व्यापक दृष्टिकोण है, जो नागरिकों के साथ सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करता है और उन्हें समान अवसर प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना में ‘सामाजिक न्याय’ का अर्थ है जाति, वर्ग, लिंग, धर्म आदि के आधार पर भेदभाव की अनुपस्थिति। ‘आर्थिक न्याय’ का अर्थ है धन, संपत्ति और आय का समान वितरण। ‘राजनीतिक न्याय’ का अर्थ है सभी नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने का समान अधिकार। यह तीनों, विशेषकर सामाजिक और आर्थिक न्याय, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (भाग IV) में विस्तार से वर्णित हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) केवल सामाजिक और आर्थिक न्याय को शामिल करता है, जबकि राजनीतिक न्याय भी प्रस्तावना का एक अभिन्न अंग है। विकल्प (b) धार्मिक न्याय को शामिल करता है, जो सीधे तौर पर प्रस्तावना में उल्लिखित ‘न्याय’ के तीन प्रकारों में से एक नहीं है (हालांकि धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के तहत समानता और स्वतंत्रता में अंतर्निहित है)। विकल्प (d) केवल राजनीतिक और आर्थिक न्याय पर जोर देता है, सामाजिक न्याय को छोड़ देता है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत ‘जीवन के अधिकार’ के विस्तारित अर्थ में शामिल नहीं है?

  1. गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार
  2. पर्याप्त जीवन स्तर का अधिकार
  3. निजता का अधिकार
  4. बिना उचित प्रक्रिया के किसी व्यक्ति को कारावास में डालना

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने समय के साथ ‘जीवन के अधिकार’ की व्याख्या को व्यापक बनाया है, जिसमें गरिमापूर्ण जीवन, स्वच्छ पर्यावरण, स्वास्थ्य, आजीविका, निजता का अधिकार आदि शामिल हैं। विकल्प (d) ‘बिना उचित प्रक्रिया के किसी व्यक्ति को कारावास में डालना’ अनुच्छेद 21 के प्रत्यक्ष उल्लंघन का मामला है, न कि इसके विस्तारित अर्थ का हिस्सा।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978)’ मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि ‘कानून की उचित प्रक्रिया’ (due process of law) अनुच्छेद 21 में निहित है, जिसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से केवल एक निष्पक्ष, उचित और तर्कसंगत कानूनी प्रक्रिया द्वारा ही वंचित किया जा सकता है। विकल्प (a), (b) और (c) सभी को सर्वोच्च न्यायालय ने जीवन के अधिकार का हिस्सा माना है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सभी को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) के महत्वपूर्ण घटक के रूप में मान्यता दी गई है। विकल्प (d) वास्तव में अनुच्छेद 21 द्वारा संरक्षित होने वाली चीज़ का प्रतिनिधित्व करता है, न कि उससे बाहर की चीज़ का।

प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।
  2. दिल्ली और पुडुचेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।

उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में केवल संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य (और संघ राज्य क्षेत्रों, जहां विधानसभाएँ हैं, उनके भी निर्वाचित सदस्य) भाग लेते हैं। यह अनुच्छेद 54 में वर्णित है।
  • संदर्भ और विस्तार: 70वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा दिल्ली और पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया। इसलिए, वर्तमान में, संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और 28 राज्यों और 3 संघ राज्य क्षेत्रों (दिल्ली, पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर) की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि राज्य विधानमंडल के *दोनों* सदनों के सदस्य भाग नहीं लेते; केवल विधानसभाओं (निचले सदन) के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं, विधान परिषदों (उच्च सदन) के नहीं। इसलिए, 1 और 2 दोनों (विकल्प c) भी गलत हो जाता है। विकल्प (d) गलत है क्योंकि कथन 2 सही है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी शक्ति मंत्रिपरिषद की सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत को सुदृढ़ करती है?

  1. अविश्वास प्रस्ताव
  2. धन विधेयक का अस्वीकरण
  3. राष्ट्रपति का अध्यादेश जारी करने की शक्ति
  4. न्यायिक पुनर्विलोकन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मंत्रिपरिषद, प्रधान मंत्री के नेतृत्व में, लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी है, जैसा कि अनुच्छेद 75(3) में प्रावधान है। अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) लोकसभा का वह उपकरण है जिसके द्वारा वह मंत्रिपरिषद में अपना विश्वास व्यक्त करती है। यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो पूरी सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि मंत्रिपरिषद नीतियों और कार्यों के लिए सामूहिक रूप से जिम्मेदार हो और सदन के विश्वास को बनाए रखे। अन्य विकल्प मंत्रिपरिषद के उत्तरदायित्व से सीधे संबंधित नहीं हैं।
  • गलत विकल्प: धन विधेयक का अस्वीकरण (विकल्प b) राष्ट्रपति का विशेषाधिकार है, और राष्ट्रपति ही इस पर निर्णय लेते हैं। राष्ट्रपति का अध्यादेश जारी करने की शक्ति (विकल्प c) अनुच्छेद 123 के तहत कार्यकारी शक्ति है। न्यायिक पुनर्विलोकन (विकल्प d) न्यायपालिका की शक्ति है जिसके तहत वह विधायी और कार्यकारी कार्यों की संवैधानिकता की जांच करती है।

प्रश्न 5: यदि कोई सदस्य, जो संसद का सदस्य नहीं है, किसी मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो उसे कितने समय के भीतर संसद के किसी भी सदन की सदस्यता प्राप्त करनी होगी?

  1. तीन माह
  2. छह माह
  3. नौ माह
  4. एक वर्ष

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 75(5) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति जो संसद का सदस्य नहीं है, राष्ट्रपति द्वारा मंत्री नियुक्त किया जाता है, तो वह उस नियुक्ति के छह महीने की अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा। इसलिए, उसे छह महीने के भीतर संसद के किसी भी सदन की सदस्यता प्राप्त करनी होगी।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि सरकार में बैठे व्यक्ति जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के प्रति जवाबदेह हों। यदि छह महीने के भीतर वह सदस्यता प्राप्त नहीं कर पाता है, तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) गलत हैं क्योंकि संविधान में निर्धारित समय-सीमा छह महीने है।

प्रश्न 6: भारत में संघीय प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण निम्नलिखित में से कौन सा है?

  1. लचीला संविधान
  2. एकल नागरिकता
  3. लिखित संविधान
  4. संविधान की सर्वोच्चता, शक्तियों का विभाजन और एक स्वतंत्र न्यायपालिका

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संघीय प्रणाली की प्रमुख विशेषता शक्तियों का केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संवैधानिक विभाजन है। संविधान की सर्वोच्चता और एक स्वतंत्र न्यायपालिका (जो यह सुनिश्चित करती है कि शक्तियों का विभाजन बना रहे) भी संघीय प्रणाली के अनिवार्य तत्व हैं। भारतीय संविधान इन तीनों का पालन करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत के संविधान में, सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची के माध्यम से विधायी शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया है। अनुच्छेद 131-133 सर्वोच्च न्यायालय को संविधान की व्याख्या करने और विवादों को निपटाने की शक्ति देते हैं, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता को रेखांकित करता है।
  • गलत विकल्प: लचीला संविधान (a) एकात्मक विशेषता है। एकल नागरिकता (b) भी एकात्मक विशेषता है। लिखित संविधान (c) संघीय और एकात्मक दोनों में हो सकता है, लेकिन यह स्वयं संघीय प्रणाली का ‘सबसे महत्वपूर्ण’ लक्षण नहीं है; शक्तियों का विभाजन अधिक महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 7: ‘अनुच्छेद 370’ का संबंध भारतीय संविधान के किस पहलू से था?

  1. जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा
  2. आपातकालीन प्रावधान
  3. नागरिकता का अधिकार
  4. वित्त आयोग की स्थापना

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 370, जिसे 2019 में निरस्त कर दिया गया था, जम्मू और कश्मीर राज्य को एक विशेष स्वायत्त दर्जा प्रदान करता था। यह अनुच्छेद भारत के संविधान के भाग XXI (अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध) का हिस्सा था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अनुच्छेद के तहत, जम्मू और कश्मीर राज्य को अपना स्वयं का संविधान, ध्वज और विधायिका बनाए रखने की अनुमति थी, और केंद्र सरकार के कई अधिनियम राज्य में सीधे लागू नहीं होते थे, जब तक कि राज्य सरकार की सहमति से न हों।
  • गलत विकल्प: आपातकालीन प्रावधान (b) भाग XVIII में अनुच्छेद 352, 356, 360 में हैं। नागरिकता (c) भाग II में अनुच्छेद 5-11 में है। वित्त आयोग की स्थापना (d) अनुच्छेद 280 में वर्णित है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी संवैधानिक संस्था संसद के समक्ष अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करती है?

  1. नीति आयोग (NITI Aayog)
  2. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC)
  3. भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
  4. केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अनुच्छेद 148 के तहत एक स्वतंत्र निकाय है। CAG अपनी ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जो बदले में उन्हें संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखता है (अनुच्छेद 151)।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG की रिपोर्टों की जांच लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee – PAC) और सार्वजनिक उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings – COPU) द्वारा की जाती है, जो वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • गलत विकल्प: नीति आयोग (a) एक गैर-संवैधानिक सलाहकार निकाय है और प्रधान मंत्री को रिपोर्ट करता है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (b) एक सांविधिक निकाय है जो अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जो उसे संसद के समक्ष रखते हैं, लेकिन CAG की तरह यह प्रत्यक्ष रूप से वित्तीय जवाबदेही से जुड़ा नहीं है। केंद्रीय सतर्कता आयोग (d) एक सांविधिक निकाय है जो अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 9: भारतीय संविधान में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. आयरलैंड
  4. ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) की प्रेरणा आयरलैंड के संविधान से ली गई है। यह भाग IV (अनुच्छेद 36-51) में वर्णित हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: आयरलैंड के संविधान ने अपने ‘निर्देशात्मक सिद्धांत’ (Directives Principles) की प्रेरणा स्पेनिश संविधान से ली थी। DPSP सकारात्मक निर्देश हैं जो राज्य को कानून बनाते समय पालन करने के लिए दिए जाते हैं, ताकि सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना की जा सके।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका (a) से मौलिक अधिकार लिए गए हैं। कनाडा (b) से संघवाद (मजबूत केंद्र के साथ) और अवशिष्ट शक्तियाँ ली गई हैं। ऑस्ट्रेलिया (d) से समवर्ती सूची और प्रस्तावना की भाषा ली गई है।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संसदीय संप्रभुता’ के सिद्धांत के बारे में गलत है?

  1. ब्रिटेन में संसदीय संप्रभुता का अर्थ है कि संसद कोई भी कानून बना सकती है, उसे बदल सकती है या निरस्त कर सकती है।
  2. भारतीय संसद को भी पूर्ण संप्रभुता प्राप्त है, ठीक ब्रिटेन की तरह।
  3. न्यायपालिका संसद द्वारा बनाए गए कानूनों की संवैधानिकता की समीक्षा कर सकती है।
  4. संसद मूल अधिकारों में संशोधन कर सकती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद की संप्रभुता ब्रिटेन की संसद की तरह पूर्ण नहीं है। भारत में, संविधान सर्वोच्च है (अनुच्छेद 13, 32, 226, 143 आदि)। संसद संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती (केशवानंद भारती मामला, 1973)।
  • संदर्भ और विस्तार: ब्रिटेन में, संसद संप्रभु है और अदालतों द्वारा उसके किसी भी कानून को रद्द नहीं किया जा सकता। भारत में, संसद संविधान में संशोधन (अनुच्छेद 368) कर सकती है, लेकिन यह संशोधन न्यायसंगत, निष्पक्ष और उचित होने चाहिए और संविधान के मूल ढांचे को प्रभावित नहीं करने चाहिए। न्यायिक पुनर्विलोकन (c) और मूल अधिकारों में संशोधन (d, हालांकि सीमित) संसद के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, लेकिन ये सभी संप्रभुता की अवधारणा को भारतीय संदर्भ में सीमित करते हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) गलत है क्योंकि भारतीय संसद ब्रिटेन की संसद की तरह पूर्णतः संप्रभु नहीं है। भारत में ‘संविधान की सर्वोच्चता’ है, न कि ‘संसद की सर्वोच्चता’।

प्रश्न 11: भारतीय संविधान के किस संशोधन को ‘लघु-संविधान’ (Mini-Constitution) कहा जाता है?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वां संशोधन अधिनियम, 1976 को ‘लघु-संविधान’ कहा जाता है क्योंकि इसने संविधान के लगभग हर भाग में व्यापक परिवर्तन किए। इसने प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’, ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़े, मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा (भाग IV-A, अनुच्छेद 51-A), राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य किया (अनुच्छेद 74(1)), और संसदीय सीटों की संख्या को 1971 की जनगणना के आधार पर 2000 तक स्थिर कर दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने मौलिक अधिकारों पर DPSP को प्राथमिकता दी और कई अन्य महत्वपूर्ण बदलाव किए।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन (b) ने 42वें संशोधन द्वारा किए गए कई अतिवादों को वापस लिया (जैसे, आंतरिक आपातकाल को ‘बाह्य आक्रमण’ या ‘सशस्त्र विद्रोह’ तक सीमित करना)। 73वां (c) और 74वां (d) संशोधन क्रमशः पंचायती राज और नगर पालिकाओं से संबंधित हैं।

प्रश्न 12: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा निम्नलिखित में से किस संशोधन द्वारा प्रदान किया गया?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 86वां संशोधन अधिनियम, 2002
  4. 97वां संशोधन अधिनियम, 2011

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को भारतीय संविधान में भाग IX (अनुच्छेद 243 से 243-O) और 11वीं अनुसूची जोड़कर संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने पंचायतों को स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक शक्तियाँ, अधिकार और उत्तरदायित्व प्रदान किए। इसने पंचायतों के लिए तीन-स्तरीय संरचना (गाँव, मध्यवर्ती और जिला स्तर) का प्रावधान किया।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन (b) ने शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) को संवैधानिक दर्जा दिया (भाग IX-A)। 86वां संशोधन (c) ने शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया (अनुच्छेद 21A)। 97वां संशोधन (d) ने सहकारी समितियों को संवैधानिक दर्जा दिया।

प्रश्न 13: भारतीय संविधान के भाग IV-A में कितने मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख है?

  1. 8
  2. 10
  3. 11
  4. 12

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV-A के अनुच्छेद 51-A में कुल 11 मौलिक कर्तव्यों को सूचीबद्ध किया गया है। ये कर्तव्य 42वें संशोधन, 1976 द्वारा जोड़े गए थे, जिनमें 10 कर्तव्य थे, और 86वें संशोधन, 2002 द्वारा 11वां कर्तव्य (6-14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना) जोड़ा गया।
  • संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्य नागरिकों को राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों की याद दिलाते हैं। ये न्यायोचित नहीं हैं, जिसका अर्थ है कि इनके उल्लंघन पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती।
  • गलत विकल्प: 8 (a) गलत है, 10 (b) 42वें संशोधन के बाद की संख्या थी, और 12 (d) कभी भी आधिकारिक संख्या नहीं रही।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत से संबंधित है, जो राज्य के नीति निदेशक तत्वों का हिस्सा है?

  1. अनुच्छेद 39 (क)
  2. अनुच्छेद 39 (ख)
  3. अनुच्छेद 40
  4. अनुच्छेद 42

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 39 (क) राज्य को निर्देशित करता है कि वह यह सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करे कि पुरुष और महिला नागरिकों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले। यह राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का एक महत्वपूर्ण उपबंध है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने कई निर्णयों में इस सिद्धांत को मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 14 और 15) के विस्तार के रूप में भी व्याख्यायित किया है, जिसका अर्थ है कि यह कुछ हद तक न्यायसंगत हो सकता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 39 (ख) (c) भौतिक संसाधनों के समान वितरण से संबंधित है। अनुच्छेद 40 (d) ग्राम पंचायतों के गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 42 (d) काम की न्यायसंगत और मानवीय परिस्थितियों और मातृत्व राहत का प्रावधान करने से संबंधित है।

प्रश्न 15: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 365

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा अनुच्छेद 352 के तहत की जाती है। यह युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में लागू होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: 44वें संशोधन, 1978 से पहले, इसे ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ के बजाय ‘आपातकाल की घोषणा’ कहा जाता था और इसका आधार ‘आंतरिक गड़बड़ी’ भी हो सकता था। संशोधन के बाद, ‘सशस्त्र विद्रोह’ को जोड़ा गया और ‘आंतरिक गड़बड़ी’ को हटा दिया गया।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 (b) राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 (c) वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 365 (d) उन राज्यों पर लागू होता है जो केंद्रीय निर्देशों का पालन करने में विफल रहते हैं, जो अनुच्छेद 356 के लागू होने का एक कारण बन सकता है।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?

  1. निर्वाचन आयोग (Election Commission)
  2. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
  3. नीति आयोग (NITI Aayog)
  4. वित्त आयोग (Finance Commission)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (NITI Aayog) भारत सरकार का एक थिंक-टैंक है जिसे 2015 में स्थापित किया गया था। यह एक कार्यकारी प्रस्ताव द्वारा गठित किया गया था और इसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग योजना आयोग का स्थान लेता है और ‘सहकारी संघवाद’ को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है।
  • गलत विकल्प: निर्वाचन आयोग (a) अनुच्छेद 324 के तहत, संघ लोक सेवा आयोग (b) अनुच्छेद 315 के तहत, और वित्त आयोग (d) अनुच्छेद 280 के तहत संवैधानिक निकाय हैं।

प्रश्न 17: भारत का महान्यायवादी (Attorney General) कितने समय तक पद धारण करता है?

  1. राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत
  2. 5 वर्ष
  3. 6 वर्ष
  4. 70 वर्ष की आयु तक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का महान्यायवादी (Attorney General for India) अनुच्छेद 76 के तहत नियुक्त किया जाता है। संविधान में उसके कार्यकाल के बारे में कोई निश्चित अवधि नहीं बताई गई है। वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (at the pleasure of the President) पद धारण करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: व्यवहार में, महान्यायवादी आमतौर पर तब तक पद पर बना रहता है जब तक कि सरकार, जिसने उसे नियुक्त किया है, सत्ता में रहती है। वह किसी भी समय राष्ट्रपति को संबोधित करके अपना त्यागपत्र दे सकता है।
  • गलत विकल्प: 5 वर्ष (b), 6 वर्ष (c), और 70 वर्ष की आयु तक (d) CAG, न्यायाधीशों आदि के कार्यकाल से संबंधित हो सकते हैं, लेकिन महान्यायवादी के लिए नहीं।

प्रश्न 18: यदि भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों का पद रिक्त हो, तो राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन कौन करेगा?

  1. लोकसभा का अध्यक्ष
  2. भारत का मुख्य न्यायाधीश
  3. राज्यसभा का उपसभापति
  4. संसद द्वारा नियुक्त कोई भी व्यक्ति

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 65 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति का पद अप्रत्याशित कारणों से रिक्त हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन करेगा। हालांकि, यदि उपराष्ट्रपति भी अनुपलब्ध या असमर्थ है, तो राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन भारत का मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) करेगा। यह व्यवस्था राष्ट्रपति (कर्तव्यों का निर्वहन) अधिनियम, 1969 में भी स्पष्ट की गई है।
  • संदर्भ और विस्तार: 1969 में, डॉ. जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद राष्ट्रपति का पद रिक्त हुआ और उपराष्ट्रपति वी. वी. गिरी ने कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाला। जब वी. वी. गिरी ने उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र दिया, तो मुख्य न्यायाधीश एम. हिदायतुल्ला ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
  • गलत विकल्प: लोकसभा अध्यक्ष (a), राज्यसभा उपसभापति (c) इस स्थिति में राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन नहीं करते। संसद द्वारा नियुक्त कोई भी व्यक्ति (d) केवल तभी हो सकता है जब कोई अन्य संवैधानिक प्रावधान न हो, जो कि यहाँ है।

प्रश्न 19: ‘सर्वोच्च न्यायालय’ की प्रारंभिक अधिकारिता (Original Jurisdiction) के तहत, किन विवादों को सीधे सर्वोच्च न्यायालय में ले जाया जा सकता है?

  1. किसी भी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
  2. केंद्र सरकार और किसी राज्य के बीच विवाद
  3. दो या अधिक राज्यों के बीच विवाद
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय की प्रारंभिक अधिकारिता, अनुच्छेद 131 के तहत, निम्नलिखित विवादों तक विस्तारित है: (i) केंद्र और एक या अधिक राज्यों के बीच विवाद; (ii) केंद्र और किसी राज्य या राज्यों के बीच विवाद, या (iii) दो या अधिक राज्यों के बीच विवाद। इसके अलावा, अनुच्छेद 32 के तहत, मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए नागरिकों को सीधे सर्वोच्च न्यायालय में जाने का अधिकार है, जो सर्वोच्च न्यायालय की प्रारंभिक अधिकारिता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रारंभिक अधिकारिता का अर्थ है कि ऐसे मामले सीधे सर्वोच्च न्यायालय में सुने जाते हैं, बजाय इसके कि वे किसी निचली अदालत से होकर आएं।
  • गलत विकल्प: चूंकि (i), (ii), और (iii) सभी प्रारंभिक अधिकारिता के अंतर्गत आते हैं, इसलिए (d) सही है।

प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सी जोड़ी सही ढंग से सुमेलित है?

  1. अनुच्छेद 76: राष्ट्रपति का क्षमादान
  2. अनुच्छेद 123: राज्यपाल द्वारा अध्यादेश
  3. अनुच्छेद 137: सर्वोच्च न्यायालय की अपीलीय अधिकारिता
  4. अनुच्छेद 155: राज्यपाल की नियुक्ति

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 155 स्पष्ट रूप से कहता है कि राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है, और वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 76 (a) भारत के महान्यायवादी से संबंधित है, न कि राष्ट्रपति के क्षमादान (अनुच्छेद 72)। अनुच्छेद 123 (b) राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है, न कि राज्यपाल द्वारा (जो अनुच्छेद 213 है)। अनुच्छेद 137 (c) सर्वोच्च न्यायालय की अपनी निर्णयों की समीक्षा करने की शक्ति (न्यायिक पुनर्विलोकन का एक रूप) से संबंधित है, न कि सीधे अपीलीय अधिकारिता से।

प्रश्न 21: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा पद ‘राज्य’ (State) की परिभाषा में शामिल है (अनुच्छेद 12)?

  1. भारतीय संसद
  2. भारत की सरकार और संसद
  3. किसी राज्य की सरकार और विधानमंडल
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 मौलिक अधिकारों के संदर्भ में ‘राज्य’ को परिभाषित करता है। इसके अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा महत्वपूर्ण है क्योंकि मौलिक अधिकार राज्य के खिलाफ होते हैं। इसलिए, यह जानना आवश्यक है कि कौन से निकाय ‘राज्य’ की परिभाषा में आते हैं।
  • गलत विकल्प: चूंकि अनुच्छेद 12 में भारतीय संसद, भारत की सरकार और संसद, और किसी राज्य की सरकार और विधानमंडल सभी शामिल हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।

प्रश्न 22: कौन सी अनुसूची ‘दल-बदल’ (Defection) के आधार पर किसी राज्य या संसद के किसी सदस्य की अयोग्यता से संबंधित है?

  1. सातवीं अनुसूची
  2. आठवीं अनुसूची
  3. नौवीं अनुसूची
  4. दसवीं अनुसूची

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: दसवीं अनुसूची, जिसे 52वें संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया था, दल-बदल विरोधी कानून को शामिल करती है। यह संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुसूची किसी सदस्य को तब अयोग्य घोषित करने के प्रावधान करती है जब वह अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है, या उस पार्टी के निर्देशों के विरुद्ध मतदान करता है।
  • गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची (a) केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन से संबंधित है। आठवीं अनुसूची (b) मान्यता प्राप्त भारतीय भाषाओं से संबंधित है। नौवीं अनुसूची (c) भूमि सुधारों से संबंधित कानूनों को न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए है।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘विशेषाधिकार रिट’ (Prerogative Writ) का एक रूप नहीं है?

  1. बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
  4. अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकारों की सुरक्षा

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 (भारतीय संविधान का ‘हृदय और आत्मा’) सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट जारी करने की शक्ति प्रदान करता है। ये रिट हैं: हेबियस कॉर्पस, परमादेश, प्रतिषेध (Prohibition), उत्प्रेषण (Certiorari) और अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)। ये सभी ‘विशेषाधिकार रिट’ के रूप हैं। मौलिक अधिकारों की सुरक्षा एक *संपूर्ण अधिकार* है, न कि रिट का एक प्रकार।
  • संदर्भ और विस्तार: रिट किसी व्यक्ति या निकाय को कुछ करने या न करने का आदेश देने के लिए अदालतों द्वारा जारी किए जाते हैं। वे मौलिक अधिकारों को लागू करने के साधन हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी विशेषाधिकार रिट के प्रकार हैं। विकल्प (d) वह *अधिकार* है जिसे लागू करने के लिए रिट का उपयोग किया जाता है, न कि स्वयं रिट।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure of the Constitution) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया?

  1. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
  2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
  3. मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978)
  4. एस. आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की एक पूर्ण पीठ ने ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा कि संसद के पास संविधान के किसी भी भाग को संशोधित करने की शक्ति है, लेकिन वह ‘संविधान के मूल ढांचे’ को संशोधित या नष्ट नहीं कर सकती।
  • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत ने संसद की संशोधन शक्ति को सीमित कर दिया और संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखा। मूल ढांचे में न्यायपालिका की स्वतंत्रता, मौलिक अधिकार, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद आदि शामिल हो सकते हैं, हालांकि इसकी कोई निश्चित सूची नहीं है।
  • गलत विकल्प: गोलकनाथ मामले (a) ने पहले संसद की संशोधन शक्ति को सीमित करने का प्रयास किया था, लेकिन केशवानंद मामले ने इसे और स्पष्ट किया। मेनका गांधी (c) ने अनुच्छेद 21 का दायरा बढ़ाया। एस. आर. बोम्मई (d) ने अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) के दुरुपयोग के खिलाफ दिशानिर्देश दिए।

प्रश्न 25: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) की नियुक्ति निम्नलिखित में से किसके द्वारा की जाती है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. लोकसभा के अध्यक्ष
  4. राज्यसभा के सभापति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) अनुच्छेद 148 के तहत एक संवैधानिक पद है। इसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG एक स्वतंत्र प्राधिकरण है जो भारत सरकार और राज्य सरकारों के लेखाओं के ऑडिट के लिए जिम्मेदार है। वे भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग के प्रमुख हैं।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री (b) सरकार के प्रमुख हैं लेकिन CAG की नियुक्ति नहीं करते। लोकसभा अध्यक्ष (c) और राज्यसभा सभापति (d) विधायी निकायों के प्रमुख हैं और उनकी नियुक्ति प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं निभाते।

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