समाजशास्त्र की दैनिक मैराथन: अपनी पकड़ मज़बूत करें!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। यहाँ हम समाजशास्त्र की गहराई में उतरेंगे और महत्वपूर्ण अवधारणाओं, विचारकों और सिद्धांतों पर अपनी समझ को परखेंगे। अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार हो जाइए!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘समूह-बाह्य’ (Out-group) की भावना को परिभाषित करने वाला समाजशास्त्री कौन है?
- चार्ल्स कूली
- विलियम ग्राहम समनर
- जॉर्ज सिमेल
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘फोल्कवेज़’ (Folkways) में ‘समूह-आंतरिक’ (In-group) और ‘समूह-बाह्य’ (Out-group) की अवधारणाओं को प्रस्तुत किया। समूह-बाह्य वे लोग होते हैं जिन्हें व्यक्ति अपने समूह से भिन्न या बाहरी मानता है, जिससे अक्सर अलगाव या शत्रुता की भावना उत्पन्न हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: समनर ने बताया कि समूह-आंतरिक के प्रति जहाँ ‘हम’ की भावना और वफादारी होती है, वहीं समूह-बाह्य के प्रति ‘वे’ की भावना, अविश्वास और कभी-कभी नकारात्मक रूढ़िवादिता पाई जाती है।
- गलत विकल्प: चार्ल्स कूली ने ‘प्राथमिक समूह’ (Primary group) की अवधारणा दी, जो घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित होती है। जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक अंतःक्रियाओं के ‘रूपों’ (Forms of social interaction) पर जोर दिया। एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकता’ (Social solidarity) और ‘एनोमी’ (Anomie) जैसी अवधारणाएं दीं।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा एमिल दुर्खीम द्वारा ‘एनोमी’ (Anomie) के विचार से सबसे निकटता से जुड़ी हुई है?
- पूंजीवाद का संकट
- सामाजिक विघटन
- वर्ग संघर्ष
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘एनोमी’ एक ऐसी स्थिति है जहाँ समाज के नियमों और मानदंडों का अभाव हो जाता है, जिससे व्यक्ति दिशाहीन और अनिश्चित महसूस करता है। यह स्थिति सामाजिक विघटन (Social disintegration) का परिणाम है, जहाँ सामाजिक नियंत्रण कमजोर पड़ जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ में ‘एनोमी’ का वर्णन किया, विशेषकर समाज में तीव्र परिवर्तन या आर्थिक संकट के समय। यह तब होता है जब व्यक्तिगत इच्छाएं अनियंत्रित हो जाती हैं क्योंकि सामाजिक नियम उनकी सीमा निर्धारित नहीं कर पाते।
- गलत विकल्प: ‘पूंजीवाद का संकट’ कार्ल मार्क्स की मुख्य अवधारणा है। ‘वर्ग संघर्ष’ भी मार्क्स का केंद्रीय विचार है। ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ जॉर्ज हर्बर्ट मीड और अन्य द्वारा विकसित एक दृष्टिकोण है।
प्रश्न 3: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का कौन सा सिद्धांत मानता है कि यह समाज के सुचारू संचालन के लिए कार्यात्मक (Functional) है?
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- कार्यात्मकतावाद (Functionalism)
- नार्वेजियन स्कूल (Norwegian School)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्यात्मकतावादी (Functionalist) दृष्टिकोण, विशेष रूप से किंग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर के काम में, तर्क देता है कि सामाजिक स्तरीकरण समाज के लिए आवश्यक है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि सबसे महत्वपूर्ण पदों को सबसे योग्य व्यक्तियों द्वारा भरा जाए, उन्हें उचित पुरस्कार (जैसे धन, प्रतिष्ठा) प्रदान करके प्रेरित किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि असमानता समाज की आवश्यकताओं को पूरा करती है। महत्वपूर्ण भूमिकाओं के लिए प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है, जिससे समाज को सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएं मिलती हैं।
- गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory), जैसे कि मार्क्सवाद, स्तरीकरण को शोषण और शक्ति के खेल के रूप में देखता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत स्तर पर सामाजिक व्यवहार और अर्थों पर ध्यान केंद्रित करता है, न कि वृहद संरचनाओं पर। नार्वेजियन स्कूल समाजशास्त्र में एक विशिष्ट प्रमुख सिद्धांत नहीं है।
प्रश्न 4: ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की अवधारणा किसने विकसित की, जिसे उन्होंने ‘भलाई के लिए अंत’ (End in itself) के रूप में वर्णित किया?
- इर्विंग गोफमैन
- चार्ल्स कूली
- रॉबर्ट रेडफील्ड
- एल्बर्ट एन्जेल
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: चार्ल्स कूली ने ‘Social Organization’ (1909) नामक पुस्तक में ‘प्राथमिक समूह’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने परिवार, मित्र समूह और पड़ोस को प्राथमिक समूह माना, जहाँ सदस्यों के बीच घनिष्ठ, आमने-सामने का संबंध होता है और जो व्यक्ति के व्यक्तित्व और सामाजिकरण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कूली के अनुसार, ये समूह व्यक्ति के लिए “भलाई के लिए अंत” (end in itself) होते हैं, न कि केवल किसी अन्य उद्देश्य की पूर्ति का माध्यम। वे सहानुभूति, सहयोग और साझा अनुभवों के माध्यम से एक मजबूत ‘हम’ की भावना विकसित करते हैं।
- गलत विकल्प: इर्विंग गोफमैन ने ‘सेल्फ- प्रेजेंटेशन’ (Self-presentation) और ‘ड्रैमैटर्जिकल एनालिसिस’ (Dramaturgical analysis) की अवधारणाएं दीं। रॉबर्ट रेडफील्ड ने ‘लोक समाज’ (Folk society) और ‘शहरी समाज’ (Urban society) के बीच अंतर किया। एल्बर्ट एन्जेल एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री नहीं हैं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा भारत में जाति व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण लक्षण नहीं है?
- अंतर्विवाह (Endogamy)
- पेशा की वंशानुगति (Hereditary Occupation)
- अस्पृश्यता (Untouchability)
- सभी व्यवसायों के लिए समान अवसर
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘सभी व्यवसायों के लिए समान अवसर’ भारत में जाति व्यवस्था का लक्षण नहीं है। वास्तव में, जाति व्यवस्था पारंपरिक रूप से पेशे को वंशानुगत बनाती थी और अक्सर निचले जातकों को कुछ व्यवसायों तक सीमित रखती थी, जबकि उच्च जातियों को विशिष्ट पेशे आवंटित थे।
- संदर्भ और विस्तार: अंतर्विवाह (एक ही जाति के भीतर विवाह) और पेशा की वंशानुगति जाति व्यवस्था की पहचान हैं। अस्पृश्यता (कुछ जातियों को अछूत मानना) भी ऐतिहासिक रूप से जाति व्यवस्था का एक क्रूर पहलू रहा है।
- गलत विकल्प: अंतर्विवाह, पेशा की वंशानुगति और अस्पृश्यता जाति व्यवस्था के मुख्य लक्षण रहे हैं, इसलिए वे सही उत्तर नहीं हैं।
प्रश्न 6: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘पैसों का महत्व’ (Protestant Ethic) का उदय किस आर्थिक व्यवस्था के विकास से जुड़ा है?
- सामंतवाद (Feudalism)
- समाजवाद (Socialism)
- पूंजीवाद (Capitalism)
- मर्केंटिलिज्म (Mercantilism)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism’ में तर्क दिया कि प्रोटेस्टेंट धर्म (विशेषकर केल्विनवाद) की कुछ मान्यताएं, जैसे कि परिश्रम, मितव्ययिता और सांसारिक सफलता को ईश्वर की कृपा का संकेत मानना, आधुनिक पूंजीवाद के विकास के लिए एक वैचारिक आधार प्रदान करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि यह “प्रोटेस्टेंट नैतिकता” ने लोगों को अनैतिक रूप से धन संचय करने के बजाय, व्यवस्थित और अनुशासित तरीके से धन कमाने और उसे पुनर्निवेश करने के लिए प्रेरित किया, जो पूंजीवाद के विकास के लिए महत्वपूर्ण था।
- गलत विकल्प: सामंतवाद, समाजवाद और मर्केंटिलिज्म वेबर द्वारा पूंजीवाद के उदय से सीधे तौर पर इस तरह से नहीं जोड़े गए थे।
प्रश्न 7: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘आत्मनिष्ठ अर्थ’ (Subjective Meaning) को समझने पर जोर देने वाली पद्धति को क्या कहा जाता है?
- तुलनात्मक विधि (Comparative Method)
- परिमाणात्मक विधि (Quantitative Method)
- व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) / वेर्स्टेहेन (Verstehen)
- प्रयोगात्मक विधि (Experimental Method)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology), जिसे मैक्स वेबर ने ‘वेर्स्टेहेन’ (Verstehen – जर्मन में ‘समझना’) कहा, समाजशास्त्रीय अनुसंधान में आत्मनिष्ठ अर्थों को समझने पर केंद्रित है। इसका अर्थ है कि समाजशास्त्रियों को केवल बाहरी व्यवहारों का अवलोकन नहीं करना चाहिए, बल्कि उन अर्थों को भी समझना चाहिए जो लोग अपने कार्यों और सामाजिक दुनिया को देते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण समाजशास्त्री को व्यक्ति के दृष्टिकोण से दुनिया को देखने और उसके कार्यों के पीछे के इरादों, विश्वासों और भावनाओं को समझने का प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- गलत विकल्प: परिमाणात्मक विधि डेटा को संख्याओं और सांख्यिकीय विश्लेषण पर निर्भर करती है। तुलनात्मक विधि विभिन्न समाजों या समूहों की तुलना करती है। प्रयोगात्मक विधि नियंत्रित परिस्थितियों में कारणों और प्रभावों का अध्ययन करती है।
प्रश्न 8: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?
- उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों को अपनाना
- निम्न जातियों या जनजातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों को अपनाकर उच्च सामाजिक स्थिति प्राप्त करने का प्रयास
- पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) पुस्तक में ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा दी। यह एक प्रक्रिया है जिसमें निम्न सामाजिक-जाति समूह (या जनजाति) उच्च-जाति समूहों के अनुष्ठानों, विश्वासों, जीवन शैली और कर्मकांडों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊंचा उठाने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संस्कृतिकरण सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है, लेकिन यह व्यक्तिगत या समूह गतिशीलता पर केंद्रित है, न कि संपूर्ण सामाजिक संरचना में परिवर्तन पर।
- गलत विकल्प: उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों को अपनाना इसका विपरीत है। पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) कहलाता है। आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन शामिल हैं।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा मार्क्स के अनुसार, समाज का आधार (Base) और अधिरचना (Superstructure) के मॉडल में ‘आधार’ का प्रतिनिधित्व करता है?
- राज्य और सरकार
- राजनीतिक व्यवस्था
- उत्पादन के तरीके (Modes of Production)
- धर्म और संस्कृति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) के अनुसार, समाज की आर्थिक व्यवस्था, जिसे वे ‘उत्पादन के तरीके’ (Modes of Production) कहते हैं, समाज का आधार (Base) बनाती है। इसमें उत्पादन की शक्तियाँ (जैसे श्रम, मशीनरी) और उत्पादन के संबंध (जैसे मालिक-मजदूर संबंध) शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि समाज की अधिरचना (Superstructure) – जिसमें कानून, राजनीति, धर्म, कला, साहित्य और विचारधाराएँ शामिल हैं – इस आर्थिक आधार पर ही निर्मित होती है और इसे बनाए रखने का काम करती है।
- गलत विकल्प: राज्य, सरकार, राजनीतिक व्यवस्था, धर्म और संस्कृति सभी अधिरचना (Superstructure) के हिस्से हैं, आधार (Base) नहीं।
प्रश्न 10: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?
- अल्बर्ट श्मिट्स
- विलियम एफ. ओग्बर्न
- हर्बर्ट स्पेंसर
- ए.एल. क्रोएबर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम एफ. ओग्बर्न ने अपनी पुस्तक ‘Social Change’ (1922) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा दी। उनका मानना था कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे तकनीक, गैजेट्स) अभौतिक संस्कृति (जैसे नैतिकता, कानून, सामाजिक मानदंड) की तुलना में बहुत तेजी से बदलती है। यह अंतर ‘सांस्कृतिक विलंब’ पैदा करता है, जिससे सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, परमाणु ऊर्जा जैसी नई भौतिक प्रौद्योगिकी का विकास हो सकता है, लेकिन उस प्रौद्योगिकी के उपयोग को नियंत्रित करने वाले नैतिक और कानूनी नियम (अभौतिक संस्कृति) पीछे रह जाते हैं।
- गलत विकल्प: अल्बर्ट श्मिट्स और ए.एल. क्रोएबर ने संस्कृति पर काम किया है, लेकिन यह विशेष अवधारणा ओग्बर्न की है। हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के विकासवादी सिद्धांत दिए।
प्रश्न 11: सामाजिक संस्थाओं के संदर्भ में, ‘परिवार’ का प्राथमिक कार्य क्या माना जाता है?
- आर्थिक उत्पादन
- राजनीतिक शक्ति का वितरण
- प्रजनन और समाजीकरण
- मनोरंजन और अवकाश
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पारंपरिक समाजशास्त्रीय विश्लेषणों में, परिवार का प्राथमिक कार्य प्रजनन (Reproduction) और बच्चों का समाजीकरण (Socialization) माना जाता है। परिवार ही वह पहली इकाई है जो बच्चों को समाज के मानदंडों, मूल्यों और भूमिकाओं को सिखाती है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके अतिरिक्त, परिवार भावनात्मक सहायता, आर्थिक सहयोग (कभी-कभी), और यौन संतुष्टि जैसे कार्य भी करता है, लेकिन प्रजनन और समाजीकरण को अक्सर इसके मूल कार्य माना जाता है।
- गलत विकल्प: आर्थिक उत्पादन, राजनीतिक शक्ति का वितरण, और प्राथमिक मनोरंजन जैसे कार्य अन्य संस्थाओं (जैसे अर्थव्यवस्था, राज्य, मनोरंजन उद्योग) द्वारा भी किए जाते हैं, हालांकि परिवार में इनकी कुछ भूमिका हो सकती है।
प्रश्न 12: पैट्रीलिनियल (Patrilineal) वंशानुक्रम प्रणाली में, वंश का निर्धारण किस आधार पर होता है?
- माँ की ओर से
- पिता की ओर से
- दोनों ओर से समान रूप से
- माता-पिता दोनों की मृत्यु के बाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पैट्रीलिनियल (Patrilineal) वंशानुक्रम प्रणाली में, वंशानुगत संबंध और संपत्ति का हस्तांतरण पिता की ओर से होता है। बच्चे पिता के कबीले या वंश का हिस्सा माने जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, मैट्रिलिनियल (Matrilineal) प्रणाली में वंश माँ की ओर से चलता है। द्वि-रैखिक (Bilateral) प्रणाली में दोनों ओर से संबंध माने जाते हैं।
- गलत विकल्प: माँ की ओर से संबंध मैट्रिलिनियल प्रणाली को दर्शाता है। दोनों ओर से समान रूप से संबंध द्वि-रैखिक प्रणाली है। माता-पिता की मृत्यु का वंशानुक्रम से सीधा संबंध नहीं है।
प्रश्न 13: समाजशास्त्र में ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का क्या अर्थ है?
- समाज का पूर्णतः अनियंत्रित हो जाना
- समाज के सदस्यों द्वारा स्थापित नियमों और मानदंडों का पालन सुनिश्चित करने की प्रक्रिया
- केवल राज्य द्वारा लागू किए जाने वाले कानून
- व्यक्तियों के बीच अनौपचारिक बातचीत
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक नियंत्रण उन प्रक्रियाओं और तंत्रों का वर्णन करता है जिनके माध्यम से समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित (regulate) करता है ताकि वे समाज के मानदंडों, मूल्यों और अपेक्षाओं के अनुसार कार्य करें। यह औपचारिक (कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (परिवार, मित्र, सार्वजनिक राय) दोनों तरह का हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक नियंत्रण का उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था बनाए रखना और विचलन (deviance) को कम करना है।
- गलत विकल्प: समाज का अनियंत्रित होना ‘एनोमी’ या अराजकता है। केवल राज्य के कानून औपचारिक नियंत्रण का एक हिस्सा हैं, न कि पूरा सामाजिक नियंत्रण। व्यक्तियों की अनौपचारिक बातचीत सामाजिक नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन यह स्वयं नियंत्रण का अर्थ नहीं है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Type) की अवधारणा विकसित की, जो एक विश्लेषणात्मक उपकरण है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- अगस्त कॉम्ते
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Type) की अवधारणा को एक विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में विकसित किया। यह किसी सामाजिक घटना का एक वैचारिक (conceptual) निर्माण है जो वास्तविकता में मौजूद नहीं होता, बल्कि वास्तविक दुनिया में पाई जाने वाली विशेषताओं को व्यवस्थित और अतिरंजित (exaggerated) करके बनाया जाता है ताकि उस घटना का अध्ययन और तुलना की जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही, पूंजीवाद और धर्म के आदर्श प्रकारों का विश्लेषण किया। आदर्श प्रकार एक सांख्यिकीय औसत नहीं है, बल्कि एक तार्किक रूप से सुसंगत (logically consistent) मॉडल है।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ पर, दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकता’ पर, और कॉम्ते ने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) पर प्रमुखता से काम किया।
- इमारतें
- परंपराएं
- कपड़े
- उपकरण
- सही उत्तर: परंपराएं (Traditions) संस्कृति का अभौतिक घटक (Non-material component) हैं, जबकि इमारतें, कपड़े और उपकरण भौतिक घटक हैं जिन्हें छुआ और देखा जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: संस्कृति के दो मुख्य घटक होते हैं: भौतिक संस्कृति (Physical Culture), जिसमें मूर्त वस्तुएं शामिल होती हैं, और अभौतिक संस्कृति (Non-physical Culture), जिसमें गैर-मूर्त चीजें जैसे विचार, विश्वास, मूल्य, भाषा, कानून, रीति-रिवाज और परंपराएं शामिल होती हैं।
- गलत विकल्प: इमारतें, कपड़े और उपकरण सभी भौतिक वस्तुएं हैं, इसलिए वे भौतिक संस्कृति का हिस्सा हैं।
- उच्च-आय वाले आवासीय क्षेत्र
- व्यवसायियों के कार्यालय
- गरीबी, अपराध और प्रवासियों की उच्च सांद्रता
- शांत और समृद्ध उपनगरीय क्षेत्र
- सही उत्तर: शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों रॉबर्ट पार्क और अर्नेस्ट बर्गेस ने शहरी विकास के लिए ‘समकेंद्रित क्षेत्रों का सिद्धांत’ (Theory of Concentric Zones) प्रस्तुत किया। इस मॉडल में, ‘संक्रमण क्षेत्र’ (Zone of Transition) वह क्षेत्र है जो केंद्रीय व्यापार जिले (Central Business District) के ठीक बाहर स्थित होता है। यह क्षेत्र आमतौर पर औद्योगिक और मिश्रित-उपयोग (mixed-use) वाला होता है, और यहाँ अक्सर अप्रवासी, निम्न-आय वर्ग के लोग, और सामाजिक समस्याएं (जैसे अपराध, गरीबी, झुग्गी-बस्तियां) पाई जाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह क्षेत्र पुरानी इमारतों, कम किराये और सामाजिक अव्यवस्था का प्रतीक है।
- गलत विकल्प: उच्च-आय वाले क्षेत्र, व्यावसायिक कार्यालय और उपनगरीय क्षेत्र मॉडल के अन्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, न कि संक्रमण क्षेत्र का।
- टालकॉट पार्सन्स
- गैतानो मोस्का
- रॉबर्ट मर्टन
- हरबर्ट ब्लूमर
- सही उत्तर: गैतानो मोस्का (Gaetano Mosca) इतालवी समाजशास्त्री थे जिन्होंने ‘शासन करने वाले वर्ग’ (Ruling Class) के सिद्धांत को विकसित किया। उनका तर्क था कि किसी भी समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, एक अल्पसंख्यक संगठित वर्ग (अभिजात वर्ग) होता है जो शक्ति और संसाधनों पर नियंत्रण रखता है, जबकि बहुसंख्यक शासित वर्ग पर शासन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी पुस्तक ‘The Ruling Class’ (1896) में इस विचार का विस्तार से वर्णन किया। विल्फ्रेडो परेटो और रॉबर्ट मिशेल्स (लॉ ऑफ ओलिगार्की) भी अभिजात वर्ग सिद्धांत से जुड़े प्रमुख विचारक हैं।
- गलत विकल्प: टालकॉट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन कार्यात्मकतावाद से जुड़े हैं। हरबर्ट ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं।
- किसी व्यक्ति का अपने कर्मकांडों को अत्यधिक महत्व देना
- किसी व्यक्ति का कर्मकांडों को यंत्रवत् करना और उनके अर्थ या महत्व को भूल जाना
- अनुष्ठानों को छोड़ देना
- अनुष्ठानों में भाग लेने से इनकार करना
- सही उत्तर: ‘अनुष्ठानिक अलगाव’ (Ritualistic Alienation) एक ऐसी स्थिति है जहाँ व्यक्ति या समूह अनुष्ठानों (rituals) को यांत्रिक रूप से, बिना सोचे-समझे, या उनके गहरे अर्थ और उद्देश्य को समझे करते रहते हैं। यह अर्थहीनता और अलगाव की भावना पैदा कर सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा अक्सर उन समाजों में देखी जाती है जहाँ पारंपरिक अनुष्ठान अपना महत्व खो देते हैं या जहाँ लोग सिर्फ ‘दिखावे’ के लिए अनुष्ठान करते हैं।
- गलत विकल्प: किसी व्यक्ति का कर्मकांडों को अत्यधिक महत्व देना या उन्हें छोड़ देना या इनकार करना अनुष्ठानिक अलगाव नहीं है।
- महिलाओं द्वारा मतदान का अधिकार
- महिलाओं का कार्यबल में प्रवेश
- वंश का निर्धारण पिता की ओर से होना और परिवार के मुखिया के रूप में पुरुष की प्रमुखता
- सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की उपस्थिति
- सही उत्तर: पित्रसत्ता एक सामाजिक व्यवस्था है जहाँ पुरुष (विशेषकर पिता) शक्ति, अधिकार और संपत्ति के अधिकांश साधनों को नियंत्रित करते हैं, और वंश का निर्धारण पिता की ओर से (paternal line) होता है। भारतीय समाज में, वंशानुक्रम पिता से पुत्र को, और परिवार का मुखिया पिता या सबसे बड़े पुरुष सदस्य का होना पित्रसत्ता का प्रमुख संकेत है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि महिलाओं को वोट देने और काम करने का अधिकार है, और वे सार्वजनिक जीवन में भी सक्रिय हैं, पित्रसत्तात्मक संरचनाएं पारिवारिक अधिकार, निर्णय लेने और वंशानुगत संबंधों में पुरुषों को प्रमुखता देती हैं।
- गलत विकल्प: महिलाओं का मतदान का अधिकार, कार्यबल में प्रवेश और सार्वजनिक स्थानों पर उपस्थिति पित्रसत्ता के पतन या परिवर्तन के संकेत हो सकते हैं, न कि इसके स्पष्ट संकेत।
- समाज का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना
- समाज में व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर जाना
- सामाजिक संरचना का परिवर्तन
- समूहों के बीच संघर्ष
- सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) का तात्पर्य व्यक्ति या समूहों द्वारा एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाने की प्रक्रिया से है। यह ऊर्ध्वाधर (vertical – ऊपर या नीचे जाना) या क्षैतिज (horizontal – समान स्तर पर एक भूमिका से दूसरी भूमिका में जाना) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो समाज में समानता और अवसरों का विश्लेषण करने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: समाज का स्थान बदलना, सामाजिक संरचना का परिवर्तन (जो एक व्यापक अवधारणा है), या समूहों के बीच संघर्ष, सामाजिक गतिशीलता के सीधे अर्थ नहीं हैं।
- अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, गुप्तता
- अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, स्थायित्व
- अनुकूलन, संघर्ष, एकीकरण, सामंजस्य
- लक्ष्य प्राप्ति, शोषण, नियंत्रण, प्रतिस्थापन
- सही उत्तर: टालकॉट पार्सन्स ने AGIL मॉडल (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) प्रस्तुत किया, जो समाज की चार मुख्य कार्यात्मक आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करता है। ये आवश्यकताएं सभी जीवित प्रणालियों (जीवित जीवों से लेकर समाजों तक) के लिए आवश्यक हैं ताकि वे अस्तित्व बनाए रख सकें और कार्य कर सकें।
- संदर्भ और विस्तार:
- अनुकूलन (Adaptation): बाहरी वातावरण से संसाधनों को प्राप्त करना।
- लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment): समाज के लक्ष्यों को निर्धारित करना और उन्हें प्राप्त करना।
- एकीकरण (Integration): समाज के विभिन्न भागों के बीच सामंजस्य और समन्वय बनाए रखना।
- गुप्तता (Latency/Pattern Maintenance): समाज के मूल्यों और मानदंडों को बनाए रखना और सदस्यों को उन्हें अपनाने के लिए प्रेरित करना।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प या तो पूरी तरह से गलत हैं या एक या अधिक सही तत्वों को छोड़ देते हैं और गलत तत्वों को जोड़ते हैं (जैसे ‘स्थायित्व’ या ‘गुप्तता’ की जगह ‘अवसाद’ या ‘नियंत्रण’)।
- लिखित संविधान और न्यायपालिका
- एक समान आर्थिक और राजनीतिक संरचना
- जाति आधारित सामाजिक स्तरीकरण
- अपनी अलग संस्कृति, विशिष्ट भाषा, और अक्सर एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र
- सही उत्तर: आदिवासी समाजों की प्रमुख पहचान उनकी अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाजों, और अक्सर एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र में निवास करना है, जो उन्हें मुख्यधारा के समाज से अलग करती है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि भारत में कई जनजातियों पर मुख्यधारा के समाज का प्रभाव पड़ा है, उनकी अपनी सांस्कृतिक पहचान बनी हुई है।
- गलत विकल्प: लिखित संविधान और न्यायपालिका एक राष्ट्र-राज्य की विशेषताएं हैं, न कि केवल आदिवासी समाजों की। समान आर्थिक और राजनीतिक संरचनाएं भी मुख्यधारा के समाजों में अधिक पाई जाती हैं। आदिवासी समाजों में जाति-आधारित स्तरीकरण आमतौर पर अनुपस्थित या भिन्न होता है।
- धर्म
- आर्थिक व्यवस्था
- जाति व्यवस्था
- राजनीतिक व्यवस्था
- सही उत्तर: ‘असंतुलित विवाह’ या ‘अनुलोम विवाह’ (Anuloma Marriage) भारतीय जाति व्यवस्था से संबंधित एक प्रथा है। इसमें उच्च जाति का पुरुष निम्न जाति की स्त्री से विवाह करता था।
- संदर्भ और विस्तार: इसका विपरीत, ‘प्रतिलोम विवाह’ (Pratiloma Marriage) में निम्न जाति का पुरुष उच्च जाति की स्त्री से विवाह करता था, जिसे अधिक निंदनीय माना जाता था। ये दोनों ही अंतर-जातीय विवाह के रूप हैं, जो पारंपरिक रूप से वर्जित थे।
- गलत विकल्प: यह अवधारणा धर्म, आर्थिक या राजनीतिक व्यवस्था से सीधे तौर पर नहीं जुड़ी है, बल्कि सामाजिक स्तरीकरण की एक प्रमुख अभिव्यक्ति है।
- ‘मैं’ आंतरिक है और ‘मुझे’ बाहरी है।
- ‘मैं’ सामाजिक है और ‘मुझे’ व्यक्तिगत है।
- ‘मैं’ प्रतिक्रियाशील है और ‘मुझे’ सामाजिकीकृत है।
- ‘मैं’ जन्मजात है और ‘मुझे’ सीखा हुआ है।
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख प्रणेता थे, ने ‘स्व’ (Self) के विकास को सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से समझाया। उन्होंने ‘स्व’ के दो भाग बताए: ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me)। ‘मैं’ व्यक्ति की प्रतिक्रियाशील, तात्कालिक और अनूठी ओर है, जबकि ‘मुझे’ समाज द्वारा स्वीकृत भूमिकाओं, दृष्टिकोणों और अपेक्षाओं का आंतरिककरण (internalization) है (यानी, ‘समान्यीकृत अन्य’ – Generalized Other)। ‘स्व’ इन दोनों के बीच निरंतर संवाद और संतुलन से विकसित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘मैं’ वह हिस्सा है जो यह तय करता है कि हम किसी स्थिति पर कैसे प्रतिक्रिया करेंगे, जबकि ‘मुझे’ वह हिस्सा है जो हमें समाज के अनुसार व्यवहार करने के लिए मार्गदर्शन करता है।
- गलत विकल्प: ‘मैं’ आंतरिक और ‘मुझे’ बाहरी कहना पूरी तरह सही नहीं है, क्योंकि दोनों ही व्यक्ति की चेतना का हिस्सा हैं। ‘मैं’ सामाजिक है और ‘मुझे’ व्यक्तिगत कहना भी विपरीत है। ‘मैं’ जन्मजात और ‘मुझे’ सीखा हुआ कहना एक अतिसरलीकरण है, जबकि दोनों ही विकास की प्रक्रिया का हिस्सा हैं, लेकिन ‘मैं’ अधिक सहज प्रतिक्रिया है और ‘मुझे’ समाज द्वारा सिखाई गई भूमिका है।
- किसी व्यक्ति की शिक्षा का स्तर
- किसी व्यक्ति के पास मौजूद वित्तीय संपत्ति
- किसी व्यक्ति के सामाजिक नेटवर्क और उनमें मौजूद विश्वास और सहयोग
- किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी (Social Capital) का तात्पर्य उन सामाजिक संसाधनों से है जो व्यक्तियों या समूहों को उनके सामाजिक नेटवर्क (रिश्तों, सहयोग, विश्वास) के माध्यम से उपलब्ध होते हैं। किसी व्यक्ति के सामाजिक नेटवर्क, परिवार, मित्रों और सहकर्मियों के साथ उसके संबंध, और उन संबंधों में मौजूद आपसी विश्वास और सहयोग, सामाजिक पूंजी के उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इन नेटवर्कों का उपयोग जानकारी प्राप्त करने, अवसर खोजने, या सहायता प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा को लोकप्रिय बनाया।
- गलत विकल्प: शिक्षा का स्तर ‘मानव पूंजी’ (Human Capital) का हिस्सा है। वित्तीय संपत्ति ‘आर्थिक पूंजी’ (Economic Capital) है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति एक व्यक्तिगत विशेषता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 15: किसी समाज की ‘संस्कृति’ (Culture) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘भौतिक घटक’ (Material Component) नहीं है?
उत्तर: (b)
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प्रश्न 16: रॉबर्ट पार्क और अर्नेस्ट बर्गेस द्वारा प्रस्तावित ‘शहरी क्षेत्रीकरण मॉडल’ (Urban Zonation Model) में, ‘संक्रमण क्षेत्र’ (Zone of Transition) की विशेषता क्या है?
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 17: समाजशास्त्र में ‘अभिजात वर्ग’ (Elite) के सिद्धांत से कौन सा विचारक सबसे अधिक जुड़ा हुआ है?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 18: ‘अनुष्ठानिक अलगाव’ (Ritualistic Alienation) का क्या अर्थ है?
उत्तर: (b)
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प्रश्न 19: भारतीय समाज में ‘पित्रसत्ता’ (Patriarchy) का सबसे स्पष्ट संकेत क्या है?
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 20: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ क्या है?
उत्तर: (b)
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प्रश्न 21: टालकॉट पार्सन्स के ‘संरचनात्मक कार्यात्मकतावाद’ (Structural Functionalism) के अनुसार, समाज के चार प्रमुख ‘कार्यात्मक आवश्यकताएं’ (Functional Imperatives) क्या हैं?
उत्तर: (a)
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प्रश्न 22: भारत में ‘आदिवासी समाज’ (Tribal Society) की एक मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर: (d)
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प्रश्न 23: ‘असंतुलित विवाह’ (Anuloma Marriage) की अवधारणा किस सामाजिक व्यवस्था से संबंधित है?
उत्तर: (c)
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प्रश्न 24: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के अनुसार, ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के बीच क्या संबंध है, जो ‘स्व’ (Self) के विकास में योगदान करते हैं?
उत्तर: (c)
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प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) का एक उदाहरण है?
उत्तर: (c)
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