Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

ट्रम्प बनाम मेदवेदेव: परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती से बढ़ी अमेरिका-रूस की रार – एक भू-राजनीतिक दृष्टिकोण

ट्रम्प बनाम मेदवेदेव: परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती से बढ़ी अमेरिका-रूस की रार – एक भू-राजनीतिक दृष्टिकोण

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल के दिनों में, संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के बीच तीखी जुबानी जंग ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर गरमी बढ़ा दी है। इस तनावपूर्ण माहौल में, अमेरिका द्वारा परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती की खबर ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। यह घटनाक्रम न केवल दोनों महाशक्तियों के बीच मौजूदा भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को उजागर करता है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के लिए भी चिंता का विषय है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, इस मामले का विश्लेषण अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR), सुरक्षा, विदेश नीति और समसामयिक मामलों के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।

पृष्ठभूमि: महाशक्तियों के बीच एक स्थायी प्रतिद्वंद्विता (Background: An Enduring Rivalry Between Superpowers)

अमेरिका और रूस के बीच संबंध दशकों से जटिल और उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। शीत युद्ध के अंत के बाद भी, दोनों देशों ने एक-दूसरे पर अविश्वास और प्रतिस्पर्धा की भावना बनाए रखी है। यह प्रतिद्वंद्विता विभिन्न मोर्चों पर व्यक्त होती है, जिसमें सैन्य शक्ति, आर्थिक प्रभाव, साइबर सुरक्षा और भू-राजनीतिक गठबंधनों का विस्तार शामिल है। हालिया बयानबाजी और सैन्य तैनाती इस पुरानी गतिशीलता का ही एक नया अध्याय है।

डोनाल्ड ट्रम्प, अपने अप्रत्याशित और अक्सर आक्रामक सार्वजनिक बयानों के लिए जाने जाते हैं, और दिमित्री मेदवेदेव, जो रूस के रक्षा और सुरक्षा मामलों में एक मुखर आवाज रहे हैं, दोनों ने एक-दूसरे के देशों और नीतियों की कड़ी आलोचना की है। यह “जुबानी जंग” अक्सर सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्मों पर होती है, जो सीधे तौर पर जनता और विश्व समुदाय तक पहुँचती है, जिससे संदेश का प्रभाव और भी बढ़ जाता है।

क्या हो रहा है? घटना का विस्तृत विश्लेषण (What is Happening? A Detailed Analysis of the Event)

नवीनतम घटनाक्रम को समझने के लिए, हमें इसके मूल कारणों और निहितार्थों को देखना होगा:

  1. जुबानी जंग (Verbal Exchange):

    • ट्रम्प का रुख: पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने अक्सर रूस के प्रति अपनी कथित नरम नीति के लिए आलोचना का सामना किया है। हालाँकि, हाल के बयानों में, उन्होंने रूस की आक्रामकता की निंदा करते हुए और अमेरिकी शक्ति के प्रदर्शन पर जोर देते हुए एक मजबूत रुख अपनाया है। उन्होंने रूस के कार्यों को “बेहद खतरनाक” बताया है।
    • मेदवेदेव का जवाब: रूसी पक्ष से, दिमित्री मेदवेदेव ने ट्रम्प के बयानों पर पलटवार करते हुए उन्हें “घबराहट” और “अविश्वसनीय” बताया है। उन्होंने अमेरिका की विदेश नीति की आलोचना की है और रूस की संप्रभुता और हितों की रक्षा के प्रति दृढ़ संकल्प व्यक्त किया है। मेदवेदेव के बयान अक्सर पश्चिमी देशों को प्रत्यक्ष चुनौती देते हुए देखे जाते हैं।
  2. परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती (Deployment of Nuclear Submarines):

    • रणनीतिक महत्व: परमाणु पनडुब्बियां किसी भी राष्ट्र की नौसैनिक शक्ति और रणनीतिक क्षमताओं का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। ये पानी के नीचे से परमाणु मिसाइलों को लॉन्च करने में सक्षम होती हैं, जो किसी भी हमले का जवाब देने या निवारण (deterrence) के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व हैं।
    • अमेरिका का कदम: अमेरिका की ओर से परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती को एक महत्वपूर्ण सैन्य संकेत माना जा रहा है। यह कदम स्पष्ट रूप से रूस को एक कड़ा संदेश देने का प्रयास है कि अमेरिका अपनी सुरक्षा और अपने सहयोगियों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। यह तैनाती विशेष रूप से उन क्षेत्रों में की जा सकती है जहाँ तनाव अधिक है, जैसे कि आर्कटिक या उत्तरी अटलांटिक।
    • रूस की प्रतिक्रिया: रूस अपनी नौसैनिक क्षमताओं के मामले में एक प्रमुख शक्ति है और उसकी अपनी परमाणु पनडुब्बी बेड़ा भी काफी मजबूत है। अमेरिका की तैनाती पर रूस की प्रतिक्रिया निश्चित रूप से महत्वपूर्ण होगी, जिसमें वह भी जवाबी कदम उठा सकता है या अपनी सैन्य तैयारियों को बढ़ा सकता है।

भू-राजनीतिक निहितार्थ: “परमाणु शतरंज” का खेल (Geopolitical Implications: The Game of “Nuclear Chess”)

यह घटनाक्रम सिर्फ दो पूर्व नेताओं के बीच बयानबाजी का मामला नहीं है, बल्कि इसके गहरे भू-राजनीतिक निहितार्थ हैं:

  • तनाव में वृद्धि: परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती और तीखी बयानबाजी दोनों ही वैश्विक तनाव को बढ़ाती हैं। यह ऐसे समय में हो रहा है जब यूक्रेन में युद्ध और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पहले से ही दुनिया को अस्थिर कर रहे हैं।
  • निवारण (Deterrence) और उकसावा (Provocation): अमेरिका की तैनाती को निवारण के साधन के रूप में देखा जा सकता है – रूस को किसी भी आक्रामक कार्रवाई से रोकने की कोशिश। हालाँकि, कुछ इसे रूस के लिए उकसावे के रूप में भी देख सकते हैं, जिससे वह अपनी खुद की सैन्य प्रतिक्रिया को तेज करे।
  • रक्षा बजट और शस्त्रागार: इस तरह की गतिविधियाँ देशों को अपने रक्षा बजट बढ़ाने और अपने शस्त्रागार को मजबूत करने के लिए प्रेरित करती हैं। यह हथियारों की दौड़ (arms race) को बढ़ावा दे सकता है, जो किसी के हित में नहीं है।
  • वैश्विक सुरक्षा ढाँचा: यह घटनाक्रम संयुक्त राष्ट्र (UN) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा बनाए गए सुरक्षा ढाँचे की कमजोरियों को भी उजागर करता है। जब प्रमुख शक्तियाँ सीधे तौर पर टकराव की भाषा बोलती हैं, तो कूटनीति और शांतिपूर्ण समाधान के अवसर कम हो जाते हैं।
  • सहयोगियों पर प्रभाव: नाटो (NATO) जैसे सैन्य गठबंधनों के सदस्य देशों के लिए, अमेरिका और रूस के बीच तनाव चिंता का विषय होता है। उन्हें इन दो महाशक्तियों के बीच संतुलन बनाना पड़ता है और अपनी सुरक्षा के लिए रणनीति बनानी पड़ती है।

विश्लेषण: यह सब क्यों हो रहा है? (Analysis: Why is This All Happening?)

इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  • घरेलू राजनीति (Domestic Politics): कभी-कभी, इस तरह की अंतर्राष्ट्रीय बयानबाजी का उद्देश्य घरेलू राजनीतिक लाभ उठाना होता है। ट्रम्प या मेदवेदेव, या उनके पीछे की सरकारें, अपने देशों में जनता का समर्थन हासिल करने या एक मजबूत राष्ट्रीय छवि पेश करने के लिए ऐसा कर सकते हैं।
  • रणनीतिक पोजिशनिंग (Strategic Positioning): यह रूस और अमेरिका दोनों के लिए एक-दूसरे को अपनी सैन्य शक्ति और संकल्प का प्रदर्शन करने का एक तरीका हो सकता है। यह आने वाली बातचीत या भविष्य की सुरक्षा व्यवस्था के लिए अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास हो सकता है।
  • गलतफहमी का जोखिम (Risk of Miscalculation): एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इस तरह के तनावपूर्ण माहौल में, गलतफहमी या आकस्मिक घटनाओं (accidents) का जोखिम बहुत बढ़ जाता है, जो अनजाने में संघर्ष को जन्म दे सकता है।
  • ऐतिहासिक संदर्भ: शीत युद्ध की विरासत और दोनों देशों के बीच अविश्वास की गहरी जड़ें इस तरह के टकरावों को हवा देती रहती हैं।

“अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में, बयानबाजी और सैन्य तैनाती अक्सर एक-दूसरे को सुदृढ़ करते हैं। जब जुबानी जंग तेज होती है, तो सैन्य कदम उसे प्रमाणित करने का एक तरीका बन जाते हैं, और जब सैन्य कदम उठाए जाते हैं, तो वे जवाबी बयानों को आमंत्रित करते हैं। यह एक खतरनाक चक्र हो सकता है।”

UPSC के लिए अध्ययन बिंदु (Study Points for UPSC)

UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से, उम्मीदवारों को निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए:

  • अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR):

    • अमेरिका-रूस संबंध का इतिहास और वर्तमान स्थिति।
    • भू-राजनीतिक शक्ति संतुलन (Geopolitical Power Balance)।
    • वैश्विक सुरक्षा वास्तुकला (Global Security Architecture)।
    • कूटनीति और सैन्य शक्ति का उपयोग।
  • अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा (International Security):

    • परमाणु निवारण सिद्धांत (Nuclear Deterrence Theory)।
    • हथियारों पर नियंत्रण (Arms Control) और निरस्त्रीकरण (Disarmament)।
    • सैन्य तैनाती की रणनीति और प्रभाव।
    • साइबर सुरक्षा और पारंपरिक युद्ध के अलावा अन्य सुरक्षा खतरे।
  • विदेश नीति (Foreign Policy):

    • प्रमुख शक्तियों की विदेश नीति के लक्ष्य और साधन।
    • राष्ट्रीय हित (National Interest) और सुरक्षा।
    • अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की भूमिका।
  • समसामयिक मामले (Current Affairs):

    • भू-राजनीतिक हॉटस्पॉट (Geopolitical Hotspots)।
    • प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के बयान और कार्य।
    • विश्व शांति और स्थिरता पर प्रभाव।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह (Challenges and The Way Forward)

चुनौतियाँ:

  • विश्वास की कमी: दोनों देशों के बीच विश्वास का गंभीर अभाव है, जो किसी भी प्रभावी कूटनीति में सबसे बड़ी बाधा है।
  • अप्रत्याशित नेतृत्व: दोनों देशों के नेतृत्व की अप्रत्याशितता स्थिति को और जटिल बना सकती है।
  • सूचना युद्ध (Information Warfare): सोशल मीडिया और अन्य मंचों का उपयोग दुष्प्रचार (disinformation) और प्रोपेगेंडा के लिए किया जा सकता है, जिससे तनाव और बढ़ता है।
  • वैश्विक संस्थाओं की सीमाएँ: संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन अक्सर तब तक सीमित प्रभाव डाल पाते हैं जब तक कि प्रमुख शक्तियाँ सहयोग न करें।

भविष्य की राह:

  1. कूटनीतिक संवाद: सबसे महत्वपूर्ण है कि दोनों पक्ष संवाद के चैनल खुले रखें। भले ही बयानबाजी तेज हो, लेकिन राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी रहनी चाहिए।
  2. पारदर्शिता और विश्वास-निर्माण उपाय: सैन्य गतिविधियों में अधिक पारदर्शिता और विश्वास-निर्माण उपायों (Confidence-Building Measures – CBMs) को लागू करने से गलतफहमी को कम किया जा सकता है।
  3. हथियारों पर नियंत्रण समझौते: नए हथियारों पर नियंत्रण समझौतों पर बातचीत करना और मौजूदा समझौतों को मजबूत करना परमाणु युद्ध के जोखिम को कम कर सकता है।
  4. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भी मध्यस्थता करने और शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  5. सावधानीपूर्वक संचार: नेताओं और सार्वजनिक हस्तियों को ऐसे बयानों से बचना चाहिए जो अनावश्यक रूप से स्थिति को बढ़ा सकते हैं।

अंततः, अमेरिका और रूस के बीच तनाव का प्रबंधन केवल इन दो देशों के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती और जुबानी जंग एक चेतावनी संकेत हैं कि अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के लिए निरंतर कूटनीतिक प्रयास और आपसी सम्मान आवश्यक है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न: हालिया अमेरिका-रूस तनाव के संदर्भ में, “परमाणु निवारण” (Nuclear Deterrence) का क्या अर्थ है?

    a) परमाणु हथियारों का पूर्ण उन्मूलन।

    b) किसी संभावित हमलावर को परमाणु हमले के प्रतिशोध की धमकी देकर हमले से रोकना।

    c) परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग।

    d) परमाणु हथियारों के परीक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध।

    उत्तर: b)

    व्याख्या: परमाणु निवारण वह सिद्धांत है जहाँ एक देश अपने परमाणु हथियारों का उपयोग करने की क्षमता और इच्छा प्रदर्शित करके दूसरे देश को उस पर परमाणु हमला करने से रोकता है, क्योंकि बदला इतना विनाशकारी होगा कि वह हमला करने वाले के लिए भी अस्वीकार्य होगा।
  2. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी नौसैनिक परिसंपत्ति (Naval Asset) आमतौर पर बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए उपयोग की जाती है और पानी के नीचे छिपे रहने की क्षमता रखती है?

    a) विमान वाहक पोत (Aircraft Carrier)

    b) विध्वंसक (Destroyer)

    c) पनडुब्बी (Submarine)

    d) फ्रिगेट (Frigate)

    उत्तर: c)

    व्याख्या: पनडुब्बियां, विशेष रूप से बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (SSBNs), परमाणु निवारण के महत्वपूर्ण घटक हैं क्योंकि वे पता लगाए बिना पानी के नीचे से परमाणु मिसाइलों को लॉन्च कर सकती हैं।
  3. प्रश्न: शीत युद्ध के बाद अमेरिका और रूस के संबंधों में प्रमुख बिंदुओं में शामिल हैं:

    1. हथियारों पर नियंत्रण समझौतों पर सहयोग।
    2. नाटो (NATO) के विस्तार को लेकर असहमति।
    3. साइबर सुरक्षा में बढ़ती भागीदारी।

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:

    a) केवल 1

    b) 1 और 2

    c) 2 और 3

    d) 1, 2 और 3

    उत्तर: b)

    व्याख्या: शीत युद्ध के बाद, हथियारों पर नियंत्रण (जैसे START समझौते) एक सहयोगात्मक क्षेत्र रहा है, लेकिन नाटो के विस्तार को लेकर रूस हमेशा असंतुष्ट रहा है। साइबर सुरक्षा एक बढ़ता हुआ क्षेत्र है, लेकिन यह हमेशा सहयोग का बिंदु नहीं रहा है, अक्सर यह प्रतिस्पर्धा का क्षेत्र रहा है।
  4. प्रश्न: “जुबानी जंग” (Verbal Exchange) के संदर्भ में, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में इसका क्या महत्व है?

    a) यह केवल कूटनीतिक शिष्टाचार का प्रदर्शन है।

    b) यह तनाव, इरादे, या स्थिति के बारे में धारणा बनाने या बदलने का एक साधन हो सकता है।

    c) यह केवल राजनीतिक नेताओं की व्यक्तिगत राय होती है।

    d) इसका अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई वास्तविक प्रभाव नहीं पड़ता है।

    उत्तर: b)

    व्याख्या: बयानबाजी का उपयोग अक्सर जनमत को प्रभावित करने, विरोधी को संकेत देने, या अपनी ताकत प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है, जिससे यह अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू बन जाता है।
  5. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा देश वर्तमान में एक प्रमुख परमाणु शक्ति है और जिसकी नौसैनिक क्षमता में परमाणु पनडुब्बियां शामिल हैं?

    a) भारत

    b) पाकिस्तान

    c) रूस

    d) ईरान

    उत्तर: c)

    व्याख्या: रूस, अमेरिका, फ्रांस, चीन और यूके परमाणु हथियारों से लैस प्रमुख शक्तियाँ हैं। रूस के पास एक महत्वपूर्ण परमाणु पनडुब्बी बेड़ा है।
  6. प्रश्न: “विश्वास-निर्माण उपाय” (Confidence-Building Measures – CBMs) का प्राथमिक उद्देश्य क्या होता है?

    a) सैन्य संघर्ष शुरू करना।

    b) अंतर्राष्ट्रीय संधियों को रद्द करना।

    c) विरोधी देशों के बीच विश्वास बढ़ाना और गलतफहमी को कम करना।

    d) आर्थिक प्रतिबंध लगाना।

    उत्तर: c)

    व्याख्या: CBMs का उद्देश्य सैन्य पारदर्शिता बढ़ाकर, सूचना साझा करके और संयुक्त अभ्यास करके विरोधी पक्षों के बीच अविश्वास को कम करना और यह आश्वासन देना है कि कोई शत्रुतापूर्ण इरादा नहीं है।
  7. प्रश्न: किसी भी देश की “रणनीतिक क्षमता” (Strategic Capability) में निम्नलिखित में से क्या शामिल हो सकता है?

    1. उन्नत मिसाइल प्रौद्योगिकी।
    2. एक मजबूत नौसैनिक बेड़ा।
    3. प्रभावी साइबर युद्ध क्षमताएँ।
    4. आर्थिक कूटनीति।

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:

    a) केवल 1

    b) 1, 2 और 3

    c) 1, 3 और 4

    d) 1, 2, 3 और 4

    उत्तर: d)

    व्याख्या: रणनीतिक क्षमता में सैन्य (पारंपरिक और परमाणु), खुफिया, साइबर और यहां तक कि आर्थिक और कूटनीतिक साधन भी शामिल हो सकते हैं जो किसी राष्ट्र को अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने में सक्षम बनाते हैं।
  8. प्रश्न: भू-राजनीति (Geopolitics) मुख्य रूप से किससे संबंधित है?

    a) केवल अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यापार।

    b) विभिन्न देशों की भौगोलिक स्थिति और उनके राजनीतिक निर्णयों के बीच संबंध।

    c) केवल आंतरिक राजनीतिक संरचनाएँ।

    d) पर्यावरण संरक्षण नीतियाँ।

    उत्तर: b)

    व्याख्या: भू-राजनीति का अध्ययन करता है कि भौगोलिक कारक (जैसे स्थान, संसाधन, सीमाएँ) कैसे राष्ट्रीय शक्ति, विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करते हैं।
  9. प्रश्न: यदि अमेरिका आर्कटिक क्षेत्र में परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती बढ़ाता है, तो इसका एक संभावित कारण क्या हो सकता है?

    a) आर्कटिक में पर्यटन को बढ़ावा देना।

    b) रूस की बढ़ती सैन्य गतिविधियों का मुकाबला करना या उसे संकेत देना।

    c) स्थानीय मछली पकड़ने के उद्योगों की रक्षा करना।

    d) अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून स्थापित करना।

    उत्तर: b)

    व्याख्या: आर्कटिक क्षेत्र सामरिक महत्व का है, और अमेरिका द्वारा इस क्षेत्र में सैन्य गतिविधियाँ बढ़ाना अक्सर रूस की उपस्थिति या गतिविधियों के जवाब में होता है।
  10. प्रश्न: “हथियारों की दौड़” (Arms Race) का क्या परिणाम हो सकता है?

    a) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि।

    b) सुरक्षा में कमी और संघर्ष का बढ़ता जोखिम।

    c) निरस्त्रीकरण को बढ़ावा।

    d) आर्थिक समृद्धि में वृद्धि।

    उत्तर: b)

    व्याख्या: हथियारों की दौड़ में देश लगातार एक-दूसरे से अधिक हथियार विकसित करने और जमा करने की होड़ में लगे रहते हैं, जिससे अविश्वास बढ़ता है, संसाधनों का व्यय होता है और संघर्ष का जोखिम बढ़ता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न: अमेरिका और रूस के बीच हालिया “जुबानी जंग” और परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती को एक भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से विश्लेषित करें। अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक स्थिरता पर इसके संभावित प्रभावों पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न: “परमाणु निवारण” (Nuclear Deterrence) की अवधारणा की व्याख्या करें और वर्तमान अमेरिका-रूस तनाव के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता का मूल्यांकन करें। क्या ऐसी सैन्य तैनातीें निवारण के बजाय उकसावे का कारण बन सकती हैं? (250 शब्द, 15 अंक)
  3. प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में बयानबाजी (rhetoric) और सैन्य शक्ति प्रदर्शन (military posturing) की भूमिका पर चर्चा करें। अमेरिका-रूस के मामले में, ये तत्व कैसे एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं और वर्तमान संकट को कैसे आकार देते हैं? (250 शब्द, 15 अंक)
  4. प्रश्न: भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के संदर्भ में, विश्वास-निर्माण उपाय (Confidence-Building Measures – CBMs) और हथियारों पर नियंत्रण (Arms Control) की क्या भूमिका है? अमेरिका और रूस के बीच इन तंत्रों को मजबूत करने की आवश्यकता का मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)

Leave a Comment