इतिहास महा-अभ्यास: ज्ञान की कसौटी पर खरा उतरें!
प्रतियोगी परीक्षाओं के रणक्षेत्र में इतिहास के ज्ञान की गहराई मापना आज की सबसे बड़ी चुनौती है! आइए, समय की गलियों में एक रोमांचक यात्रा करें और अपने ज्ञान को परखने के लिए तैयार हो जाएँ। आज का यह विशेष सत्र आपको प्राचीन भारत से लेकर विश्व के महत्वपूर्ण मोड़ों तक ले जाएगा, तो कमर कस लीजिए और इतिहास के रहस्यों को उजागर करने के लिए तैयार हो जाइए!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस हड़प्पा स्थल से अग्नि वेदिकाएं (fire altars) प्राप्त हुई हैं?
- लोथल
- कालीबंगा
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कालीबंगा, जो वर्तमान राजस्थान में स्थित है, वह पुरातात्विक स्थल है जहाँ से अग्नि वेदिकाओं (fire altars) के प्रमाण मिले हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कालीबंगा से प्राप्त अग्नि वेदिकाएं सिंधु घाटी सभ्यता के धार्मिक जीवन की झलक प्रस्तुत करती हैं। इन वेदियों में अनुष्ठान किए जाने के संकेत मिलते हैं। इसके अतिरिक्त, कालीबंगा से जुते हुए खेत के प्राचीनतम साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं।
- गलत विकल्प: लोथल एक प्रमुख बंदरगाह था, हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण शहर थे, लेकिन वहां से स्पष्ट अग्नि वेदिकाओं के साक्ष्य कालीबंगा जितने प्रमुख नहीं मिले हैं।
प्रश्न 2: ‘त्रिपिटक’ किस धर्म का प्रमुख ग्रंथ है?
- हिन्दू धर्म
- बौद्ध धर्म
- जैन धर्म
- सिख धर्म
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: त्रिपिटक, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘तीन टोकरियाँ’, बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण धर्मग्रंथ है।
- संदर्भ और विस्तार: त्रिपिटक में बुद्ध की शिक्षाएँ, उनके उपदेश और भिक्षुओं के लिए बनाए गए नियम संग्रहित हैं। इसके तीन मुख्य भाग हैं: विनय पिटक (अनुशासन संबंधी नियम), सुत्त पिटक (धार्मिक उपदेश) और अभिधम्म पिटक (दर्शनशास्त्र)।
- गलत विकल्प: हिन्दू धर्म के प्रमुख ग्रंथ वेद, उपनिषद, पुराण आदि हैं। जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथ आगम सूत्र हैं। सिख धर्म का प्रमुख ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब है।
प्रश्न 3: मौर्य काल में ‘सीताध्यक्ष’ का क्या कार्य था?
- राजस्व एकत्र करना
- कृषि का निरीक्षण करना
- न्याय का संचालन करना
- सेना का नेतृत्व करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मौर्य काल में, ‘सीताध्यक्ष’ नामक अधिकारी कृषि का निरीक्षण करने और उससे संबंधित मामलों को देखने के लिए जिम्मेदार था।
- संदर्भ और विस्तार: ‘सीता’ से तात्पर्य राजकीय भूमि से था, और सीताध्यक्ष उस भूमि पर होने वाली कृषि उत्पादन और राजस्व की देखरेख करता था। यह पद राज्य की आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत होने के नाते काफी महत्वपूर्ण था।
- गलत विकल्प: राजस्व एकत्र करने का कार्य ‘समाहर्ता’ का था। न्याय का संचालन ‘न्यायाधीश’ करते थे, और सेना का नेतृत्व ‘सेनापति’ करते थे।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा शासक ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि से प्रसिद्ध था?
- चंद्रगुप्त मौर्य
- अशोक
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- समुद्रगुप्त
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: गुप्त वंश के शासक चंद्रगुप्त द्वितीय को ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि से जाना जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त द्वितीय (लगभग 375-415 ईस्वी) ने अपनी विजयों और अपने दरबार में विद्वानों के आश्रय के कारण यह उपाधि धारण की थी। उनके काल को गुप्त साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त मौर्य ने ‘चंद्रगुप्त’ नाम से शासन किया। अशोक ‘प्रियदर्शी’ जैसे उपाधियों के लिए जाने जाते हैं। समुद्रगुप्त को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है।
प्रश्न 5: ‘अमुक्तमाल्यद’ के रचयिता कौन थे?
- हरिहर
- बुक्का
- कृष्णदेवराय
- देवराय द्वितीय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक, कृष्णदेवराय ने ‘अमुक्तमाल्यद’ की रचना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: ‘अमुक्तमाल्यद’ तेलुगु भाषा में लिखा गया एक महाकाव्य है, जो वैष्णव संत अल्वार की कथा कहता है। कृष्णदेवराय स्वयं एक विद्वान और कवि थे और उनके दरबार में अष्टदिग्गज नामक आठ महान तेलुगु कवि सुशोभित थे।
- गलत विकल्प: हरिहर और बुक्का विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक थे। देवराय द्वितीय भी एक महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन अमुक्तमाल्यद उनकी कृति नहीं है।
प्रश्न 6: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-आमिल’ और ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ जैसे विभाग स्थापित किए?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- फिरोजशाह तुगलक
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: अलाउद्दीन खिलजी ने प्रशासनिक और राजस्व सुधारों के तहत ‘दीवान-ए-आमिल’ (जो लगान वसूली से संबंधित था) और ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ (जो बकाया लगान की वसूली के लिए था) जैसे विभाग स्थापित किए।
- संदर्भ और विस्तार: अलाउद्दीन खिलजी ने अपने राज्य को मजबूत करने और राजस्व बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक सुधार किए। उसने भू-राजस्व की दर बढ़ाई और बंजर भूमि को भी खेती योग्य बनाकर राजस्व में वृद्धि की।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘दीवान-ए-गुलाम’ (दास विभाग) और ‘दीवान-ए-आरिज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की। बलबन ने ‘दीवान-ए-आरिज’ को मजबूत किया। फिरोजशाह तुगलक ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ (दासों का विभाग) की स्थापना की।
प्रश्न 7: अकबर के शासनकाल में ‘भू-राजस्व’ की सबसे प्रचलित प्रणाली कौन सी थी?
- ISMA’s
- कान्कूत
- नस्क
- ज़ब्ती
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: अकबर के शासनकाल में भू-राजस्व निर्धारण की सबसे प्रचलित और व्यवस्थित प्रणाली ‘ज़ब्ती’ प्रणाली थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली का विकास टोडरमल की देखरेख में हुआ था। इसमें भूमि का सर्वेक्षण, वर्गीकरण और फिर उसके आधार पर लगान का निर्धारण किया जाता था। लगान की दर भूमि की उत्पादकता के आधार पर तय होती थी, जो औसतन 1/3 हिस्सा होती थी।
- गलत विकल्प: कांकूत अनुमान पर आधारित एक विधि थी। नस्क एक पुरानी अनुमानित प्रणाली थी। ISMA’s (इस्मा’स) कोई ज्ञात भू-राजस्व प्रणाली नहीं है।
प्रश्न 8: 1857 के विद्रोह को ‘किसने’ ‘ईसाई धर्म का एक साजिश’ कहा था?
- सर जॉन लॉरेंस
- कार्ल मार्क्स
- विलियम डर्बी
- पंडित सुंदरलाल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ब्रिटिश इतिहासकार विलियम डर्बी ने 1857 के विद्रोह को ‘ईसाई धर्म के विरुद्ध एक साजिश’ कहा था।
- संदर्भ और विस्तार: डर्बी जैसे कुछ तत्कालीन ब्रिटिश अधिकारियों ने विद्रोह के धार्मिक पहलुओं को उजागर करने की कोशिश की, हालांकि यह व्याख्या व्यापक रूप से स्वीकार्य नहीं है। उनका मानना था कि यह विद्रोह भारतीय धर्मों को बचाने का प्रयास था।
- गलत विकल्प: सर जॉन लॉरेंस ने इसे ‘फौजी विद्रोह’ कहा था। कार्ल मार्क्स ने इसे ‘भारतीय जनता की क्रांति’ कहा था। पंडित सुंदरलाल ने इसे ‘भारतीय क्रांति का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ कहा।
प्रश्न 9: ‘पुणे सार्वजनिक सभा’ की स्थापना कब हुई थी?
- 1867
- 1870
- 1875
- 1885
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पुणे सार्वजनिक सभा की स्थापना 1875 में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस सभा की स्थापना का मुख्य उद्देश्य जनता और सरकार के बीच एक सेतु का काम करना था, साथ ही जन कल्याण के कार्यों को बढ़ावा देना था। इसके प्रमुख संस्थापक सदस्य एम.जी. रानाडे, गणेश वासुदेव जोशी और शिवराम महादेव परांजपे थे।
- गलत विकल्प: 1867 में ‘पुणे नेटिव इलस्ट्रेटेड’ समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू हुआ। 1870 में ‘इंडियन रिफॉर्म एसोसिएशन’ की स्थापना हुई। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई।
प्रश्न 10: ‘बंगाल विभाजन’ के विरोध में कौन सा आंदोलन चला था?
- गांधी-इरविन समझौता
- भारत छोड़ो आंदोलन
- स्वदेशी आंदोलन
- असहयोग आंदोलन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: 1905 में हुए बंगाल विभाजन के विरोध में ‘स्वदेशी आंदोलन’ चलाया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड कर्जन द्वारा 1905 में बंगाल का विभाजन किया गया, जिसका उद्देश्य बंगाल में राष्ट्रवादी भावना को कमजोर करना था। इसके विरोध में भारतीयों ने विदेशी माल का बहिष्कार कर स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा दिया, साथ ही शिक्षा, कला और साहित्य के क्षेत्र में भी स्वदेशी को प्रोत्साहन दिया।
- गलत विकल्प: गांधी-इरविन समझौता 1931 में हुआ। भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में हुआ। असहयोग आंदोलन 1920 में शुरू हुआ।
प्रश्न 11: ‘चौरी-चौरा कांड’ की घटना कब हुई थी?
- 1919
- 1920
- 1922
- 1924
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: चौरी-चौरा कांड की घटना 5 फरवरी 1922 को हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा नामक स्थान पर असहयोग आंदोलन के प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने पुलिस थाने में आग लगा दी थी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे। इस हिंसक घटना के कारण महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया था।
- गलत विकल्प: 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था। 1920 में असहयोग आंदोलन प्रारंभ हुआ था। 1924 में काकोरी कांड हुआ था।
प्रश्न 12: ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ की शुरुआत निम्नलिखित में से किस ऐतिहासिक घटना से हुई?
- जलियांवाला बाग हत्याकांड
- साइमन कमीशन का आगमन
- दांडी मार्च
- पूर्ण स्वराज की घोषणा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी द्वारा दांडी मार्च से हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: गांधीजी ने गुजरात के साबरमती आश्रम से दांडी तक नमक कानून तोड़ने के लिए यह पदयात्रा की थी। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के अन्यायपूर्ण कानूनों का शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीके से विरोध करना था।
- गलत विकल्प: जलियांवाला बाग हत्याकांड 1919 में हुआ था। साइमन कमीशन 1928 में भारत आया था। पूर्ण स्वराज की घोषणा 1929 में हुई थी, जिसने सविनय अवज्ञा आंदोलन को नई दिशा दी, लेकिन शुरुआत दांडी मार्च से हुई।
प्रश्न 13: ‘हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ का गठन कब हुआ था?
- 1906
- 1915
- 1920
- 1930
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के लखनऊ अधिवेशन के साथ ही 1916 में ‘हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ का गठन हुआ था। (प्रश्न में विकल्प 1916 नहीं है, सबसे निकटतम 1915 हो सकता है, लेकिन सही उत्तर 1916 है। दिए गए विकल्पों में कोई भी सही नहीं है। प्रश्न के ढांचे के अनुसार, सबसे निकटतम विकल्प का चयन किया जा सकता है, पर यहाँ स्पष्टता के लिए सही जानकारी देना महत्वपूर्ण है)। यदि हमें दिए गए विकल्पों में से चुनना हो, तो यह प्रश्न निर्माण में त्रुटि है। हालाँकि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच “लखनऊ समझौता” 1916 में हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप कुछ हद तक राष्ट्रीय एकता की भावना विकसित हुई। इस समय कोई बड़ी “हुर्रियत कॉन्फ्रेंस” का गठन नहीं हुआ था। संभवतः प्रश्न का आशय किसी अन्य संगठन से था या इसमें त्रुटि है। हम यहाँ उस संदर्भ में उत्तर दे रहे हैं जब यह प्रश्न बनाया गया था। (यहां दिए गए विकल्पों के आधार पर सही उत्तर नहीं है, इसलिए हम इसे छोड़ रहे हैं या एक काल्पनिक उत्तर दे रहे हैं।)
- (संशोधित उत्तर और स्पष्टीकरण, यदि प्रश्न का आशय ‘खिलाफत आंदोलन’ से है): यदि प्रश्न का आशय ‘खिलाफत आंदोलन’ से संबंधित किसी संगठन से है, तो खिलाफत आंदोलन 1919 में शुरू हुआ था और 1920 में इसका विस्तार हुआ। उस समय कुछ राष्ट्रीय मंचों की स्थापना हुई थी। दिए गए विकल्पों के अनुसार, 1920 या 1930 अधिक प्रासंगिक हो सकते हैं।
- (यदि हम एक विशिष्ट “हुर्रियत” का अनुमान लगाते हैं जो कश्मीर से संबंधित है, तो वह 1947 में बनी): कश्मीर हुर्रियत कॉन्फ्रेंस 1993 में बनी।
- (सबसे प्रासंगिक ऐतिहासिक संदर्भ, हालांकि विकल्पों से मेल नहीं खाता): 1916 में लखनऊ पैक्ट के समय कांग्रेस और लीग का एक साथ आना महत्वपूर्ण था।
- (दिए गए विकल्पों में से सबसे कम गलत): यदि प्रश्न का उद्देश्य किसी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के संदर्भ में एक संघटन बताना है, तो 1920 में असहयोग आंदोलन के दौरान कुछ प्रमुख राष्ट्रीय संस्थाओं का गठन या पुनर्गठन हुआ था।
- (एक संभावित व्याख्या): यदि प्रश्न ‘ऑल इंडिया मुस्लिम लीग’ के गठन के वर्ष (1906) से संबंधित है, तो यह भी एक विकल्प हो सकता है।
- (यहाँ, हम एक सामान्य भारतीय इतिहास प्रश्न के रूप में उत्तर दे रहे हैं, और मान रहे हैं कि प्रश्न का आशय कुछ राष्ट्रीय एकता से संबंधित है।)
- (नोट: प्रश्न में त्रुटि है, इसलिए कोई भी उत्तर सही नहीं होगा।)
प्रश्न 14: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का नारा क्या था?
- पूर्ण स्वराज
- करो या मरो
- जय हिन्द
- स्वदेशी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (1942) के दौरान महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ (Do or Die) का नारा दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को समाप्त करना था। गांधीजी ने यह नारा लोगों को अंतिम प्रयास करने के लिए प्रेरित करने हेतु दिया था। यह आंदोलन भारत की स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
- गलत विकल्प: ‘पूर्ण स्वराज’ का नारा 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में दिया गया था। ‘जय हिन्द’ का नारा सुभाष चंद्र बोस ने दिया था। ‘स्वदेशी’ का नारा बंगाल विभाजन (1905) के विरोध में दिया गया था।
प्रश्न 15: ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना किसने की थी?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- सुभाष चंद्र बोस
- सरदार वल्लभभाई पटेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना 1939 में सुभाष चंद्र बोस ने की थी।
- संदर्भ और विस्तार: कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद, सुभाष चंद्र बोस ने फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को अधिक क्रांतिकारी बनाना था। यह संगठन ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष करने और पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध था।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल कांग्रेस के प्रमुख नेता थे, लेकिन उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना नहीं की थी।
प्रश्न 16: ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा किसने दिया था?
- राजा राममोहन राय
- स्वामी दयानंद सरस्वती
- स्वामी विवेकानंद
- महात्मा ज्योतिबा फुले
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा स्वामी दयानंद सरस्वती ने दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: स्वामी दयानंद सरस्वती, जो आर्य समाज के संस्थापक थे, ने भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों का विरोध करते हुए प्राचीन वैदिक ज्ञान और सिद्धांतों पर लौटने का आह्वान किया। उनका मानना था कि वेद सच्चे ज्ञान के स्रोत हैं।
- गलत विकल्प: राजा राममोहन राय ‘ब्रह्म समाज’ के संस्थापक थे और उन्होंने एकेश्वरवाद का प्रचार किया। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की और ‘उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत’ का नारा दिया। महात्मा ज्योतिबा फुले ने समाज सुधार और शिक्षा पर जोर दिया।
प्रश्न 17: ‘कैबिनेट मिशन’ भारत कब आया था?
- 1942
- 1945
- 1946
- 1947
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कैबिनेट मिशन भारत में मार्च 1946 में आया था।
- संदर्भ और विस्तार: कैबिनेट मिशन का उद्देश्य भारत के लिए एक संविधान का मसौदा तैयार करना और भारत को सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को सुगम बनाना था। इस मिशन में तीन सदस्य थे: पैथिक लॉरेंस, स्टैफ़ोर्ड क्रिप्स और ए.वी. अलेक्जेंडर।
- गलत विकल्प: 1942 में क्रिप्स मिशन भारत आया था। 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ था। 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ था।
प्रश्न 18: ‘मुस्लिम लीग’ की स्थापना कहाँ हुई थी?
- दिल्ली
- लाहौर
- ढाका
- अलीगढ़
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना 30 दिसंबर 1906 को ढाका (जो अब बांग्लादेश में है) में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय मुसलमानों के राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करना और ब्रिटिश सरकार के प्रति उनके हितों को प्रस्तुत करना था। आगा खान इसके प्रथम स्थायी अध्यक्ष बने।
- गलत विकल्प: दिल्ली, लाहौर और अलीगढ़ महत्वपूर्ण शहर थे, लेकिन मुस्लिम लीग की स्थापना ढाका में हुई थी। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (पूर्व में एम.ए.ओ. कॉलेज) का मुस्लिम लीग की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान था, लेकिन स्थापना ढाका में ही हुई थी।
प्रश्न 19: ‘पुर्तगालियों का भारत में पहली कोठी’ कहाँ स्थापित हुई थी?
- कोचीन
- गोवा
- कालिकट
- मद्रास
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पुर्तगालियों ने भारत में अपनी पहली कोठी (व्यापारिक चौकी) 1503 में कोचीन में स्थापित की थी।
- संदर्भ और विस्तार: वास्को डी गामा के भारत आगमन के बाद, पुर्तगालियों ने कालीकट के पास कोचीन को अपना पहला प्रशासनिक और व्यापारिक केंद्र बनाया। बाद में, उन्होंने गोवा पर अधिकार कर लिया और उसे अपना प्रमुख केंद्र बनाया, लेकिन पहली कोठी कोचीन में ही स्थापित हुई थी।
- गलत विकल्प: गोवा पुर्तगालियों का प्रमुख केंद्र बना, लेकिन पहली कोठी नहीं थी। कालीकट वास्को डी गामा के आगमन का स्थान था, लेकिन वहां स्थायी कोठी पहले कोचीन में बनी। मद्रास बाद में ब्रिटिशों का महत्वपूर्ण केंद्र बना।
प्रश्न 20: ‘रॉलेट एक्ट’ कब पारित हुआ था?
- 1915
- 1918
- 1919
- 1920
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: रॉलेट एक्ट 18 मार्च 1919 को ब्रिटिश सरकार द्वारा पारित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने सरकार को बिना किसी मुकदमे के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने और जेल में डालने का अधिकार दिया था। इसे ‘बिना दलील, बिना वकील, बिना अपील’ का कानून भी कहा जाता था। इसने भारतीयों के बीच भारी आक्रोश पैदा किया और जलियांवाला बाग हत्याकांड का मार्ग प्रशस्त किया।
- गलत विकल्प: 1915, 1918 और 1920 में अन्य महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं, लेकिन रॉलेट एक्ट 1919 में पारित हुआ था।
प्रश्न 21: ‘फ्रांसीसियों’ की भारत में पहली कोठी कहाँ स्थापित हुई थी?
- पांडिचेरी
- मद्रास
- सूरत
- कासिम बाजार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी पहली कोठी 1668 में सूरत में स्थापित की थी।
- संदर्भ और विस्तार: मुगल सम्राट औरंगजेब की अनुमति से फ्रांसीसी कंपनी के निदेशक फ्रांकोइस कैरोन ने सूरत में अपना पहला कारखाना स्थापित किया। बाद में, वे पांडिचेरी (1674) और चंद्रनगर में भी बस गए।
- गलत विकल्प: पांडिचेरी फ्रांसीसियों का प्रमुख केंद्र बना, लेकिन पहली कोठी सूरत में थी। मद्रास और कासिम बाजार अन्य महत्वपूर्ण स्थल थे, लेकिन पहली कोठी सूरत में स्थापित हुई।
प्रश्न 22: ‘टीपू सुल्तान’ को ‘मैसूर का शेर’ किसने कहा था?
- लॉर्ड वेलेजली
- लॉर्ड कार्नवालिस
- francés के गवर्नर
- ब्रिटिश अधिकारी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टीपू सुल्तान को ‘मैसूर का शेर’ (Tiger of Mysore) के रूप में ब्रिटिश अधिकारी और सैनिक जानते थे, क्योंकि वे अपनी बहादुरी और ब्रिटिशों के खिलाफ निरंतर प्रतिरोध के लिए प्रसिद्ध थे।
- संदर्भ और विस्तार: टीपू सुल्तान अपने पिता हैदर अली के उत्तराधिकारी थे और उन्होंने चार एंग्लो-मैसूर युद्धों में ब्रिटिशों का सफलतापूर्वक सामना किया। उनकी सैन्य रणनीति और अदम्य साहस ने उन्हें यह उपाधि दिलाई।
- गलत विकल्प: लॉर्ड वेलेजली और लॉर्ड कार्नवालिस ब्रिटिश गवर्नर जनरल थे जिन्होंने टीपू से युद्ध लड़े थे। फ्रांसीसी गवर्नर के साथ टीपू के संबंध थे, लेकिन ‘मैसूर का शेर’ उपनाम मुख्यतः ब्रिटिशों द्वारा उनकी वीरता को स्वीकार करते हुए दिया गया था।
प्रश्न 23: ‘पलासी का युद्ध’ कब हुआ था?
- 1757
- 1761
- 1764
- 1773
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पलासी का युद्ध 23 जून 1757 को हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में) और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की सेनाओं के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में सिराजुद्दौला की हार हुई, जिसके परिणामस्वरूप भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव पड़ी। मीर जाफर के विश्वासघात ने इस युद्ध के परिणाम को प्रभावित किया।
- गलत विकल्प: 1761 में पानीपत का तीसरा युद्ध हुआ था। 1764 में बक्सर का युद्ध हुआ था, जिसने पलासी के युद्ध के परिणामों को और मजबूत किया। 1773 में रेगुलेटिंग एक्ट पारित हुआ था।
प्रश्न 24: ‘प्रथम विश्व युद्ध’ में धुरी राष्ट्रों (Axis Powers) में कौन शामिल नहीं था?
- जर्मनी
- ऑस्ट्रिया-हंगरी
- इटली
- तुर्की
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में धुरी राष्ट्रों (Axis Powers) का गठन नहीं हुआ था, बल्कि मित्र राष्ट्र (Allied Powers) और केंद्रीय शक्तियाँ (Central Powers) थीं। प्रश्न में ‘प्रथम विश्व युद्ध’ का उल्लेख है, लेकिन ‘धुरी राष्ट्र’ द्वितीय विश्व युद्ध की शब्दावली है। यदि प्रश्न का आशय ‘केंद्रीय शक्तियों’ से है, तो ऑस्ट्रिया-हंगरी केंद्रीय शक्तियों में शामिल था। लेकिन यदि प्रश्न को जैसा लिखा गया है, वैसे ही लें, तो यह शब्दावली गलत है। हम यहाँ द्वितीय विश्व युद्ध के संदर्भ में धुरी राष्ट्रों के बारे में बता रहे हैं, जो संभवतः लेखक का इरादा हो सकता था, या प्रश्न निर्माण में एक गंभीर त्रुटि है।
- (द्वितीय विश्व युद्ध के संदर्भ में स्पष्टीकरण): द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) में धुरी राष्ट्रों में जर्मनी, इटली और जापान प्रमुख थे। तुर्की प्रथम विश्व युद्ध में केंद्रीय शक्तियों के साथ था। ऑस्ट्रिया-हंगरी प्रथम विश्व युद्ध में केंद्रीय शक्तियों का एक प्रमुख सदस्य था।
- (प्रश्न की त्रुटि पर ध्यान दें): प्रश्न गलत है क्योंकि ‘धुरी राष्ट्र’ प्रथम विश्व युद्ध की शब्दावली नहीं है। प्रथम विश्व युद्ध में ‘केंद्रीय शक्तियाँ’ थीं जिनमें जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, तुर्की और बुल्गारिया शामिल थे। मित्र राष्ट्रों में फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, इटली (बाद में शामिल) और अमेरिका (बाद में शामिल) थे।
- (दिए गए विकल्पों में से सबसे कम गलत को चुनना, यदि मूल प्रश्न में त्रुटि है): यदि प्रश्न का आशय प्रथम विश्व युद्ध की ‘केंद्रीय शक्तियों’ के बारे में पूछ रहा है, और ‘धुरी राष्ट्र’ को गलती से इस्तेमाल किया गया है, तो ऑस्ट्रिया-हंगरी निश्चित रूप से केंद्रीय शक्तियों का हिस्सा था। इटली शुरू में तटस्थ रहा और बाद में मित्र राष्ट्रों में शामिल हो गया। तुर्की केंद्रीय शक्तियों के साथ था। इस स्थिति में, प्रश्न का उत्तर देना कठिन है क्योंकि सभी विकल्प प्रथम विश्व युद्ध से जुड़े हुए हैं।
- (विकल्पों को द्वितीय विश्व युद्ध के अनुसार देखें): यदि प्रश्न का आशय द्वितीय विश्व युद्ध से है, तो ऑस्ट्रिया-हंगरी (जो प्रथम विश्व युद्ध में विघटित हो गया था) इस युद्ध में शामिल नहीं था। जर्मनी और इटली धुरी राष्ट्र थे। तुर्की तटस्थ रहा।
- (निष्कर्ष: प्रश्न में त्रुटि है।)
प्रश्न 25: ‘फ्रांसीसी क्रांति’ का प्रमुख नारा क्या था?
- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
- एक राष्ट्र, एक नेता, एक भाग्य
- शांति, भूमि, रोटी
- राष्ट्रवाद, सैन्यवाद, साम्राज्यवाद
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) का प्रमुख नारा ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ (Liberté, égalité, fraternité) था।
- संदर्भ और विस्तार: यह नारा फ्रांसीसी गणराज्य के आदर्शों और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है, जो क्रांति के दौरान स्थापित किए गए थे। इसने दुनिया भर में लोकतांत्रिक और राष्ट्रवादी आंदोलनों को प्रेरित किया।
- गलत विकल्प: ‘एक राष्ट्र, एक नेता, एक भाग्य’ नाजी जर्मनी का नारा था। ‘शांति, भूमि, रोटी’ 1917 की रूसी क्रांति का नारा था। ‘राष्ट्रवाद, सैन्यवाद, साम्राज्यवाद’ 20वीं सदी की शुरुआत में कुछ यूरोपीय देशों की नीतियों का प्रतिनिधित्व करता है।