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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: 25 प्रश्नों के साथ अपनी समझ को परखें!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: 25 प्रश्नों के साथ अपनी समझ को परखें!

नमस्कार, भविष्य के समाजशास्त्री! अपनी संकल्पनात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को तेज करने के लिए तैयार हो जाइए। आज का यह विशेष सत्र आपको समाजशास्त्र के विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में गहराई से उतरने और अपनी तैयारी को एक नया आयाम देने का अवसर प्रदान करेगा। चलिए, परीक्षा के मैदान के लिए खुद को और अधिक सुसज्जित करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?

  1. ए. एल. क्रॉबर
  2. विलियम एफ. ओग्बर्न
  3. रॉबर्ट ई. पार्क
  4. ई. एस. बघेल्स

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: विलियम एफ. ओग्बर्न ने अपनी पुस्तक ‘सोशल चेंज’ (1922) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा पेश की। उनका तर्क था कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, मान्यताएँ, कानून) की तुलना में बहुत तेजी से बदलती है, जिससे समाज में एक प्रकार का सामंजस्यहीनता या विलंब उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ओग्बर्न के अनुसार, जब समाज की अभौतिक संस्कृति (non-material culture) भौतिक संस्कृति (material culture) में हुए परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने में पिछड़ जाती है, तो इसे ‘सांस्कृतिक विलंब’ कहते हैं। यह सामाजिक समस्याओं का एक प्रमुख कारण बनता है।
  • गलत विकल्प: ए. एल. क्रॉबर सांस्कृतिक परिवर्तन और सांस्कृतिक पैटर्न के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उन्होंने यह विशेष अवधारणा नहीं दी। रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल के प्रमुख समाजशास्त्री थे जिन्होंने शहरी समाजशास्त्र और आप्रवासन पर काम किया। ई. एस. बघेल्स भी समाजशास्त्रीय विचारक थे लेकिन यह अवधारणा उनकी नहीं है।

प्रश्न 2: समाज को एक ‘सामाजिक व्यवस्था’ के रूप में देखने का दृष्टिकोण किस समाजशास्त्री से प्रमुख रूप से जुड़ा है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. ईमाइल दुर्खीम
  3. ताल्कोट पार्सन्स
  4. मैक्स वेबर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ताल्कोट पार्सन्स को संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावाद (Structural-Functionalism) के प्रमुख प्रस्तावक के रूप में जाना जाता है, जिसमें समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखा जाता है जिसमें विभिन्न अंग (संस्थाएं) एक साथ काम करते हैं ताकि सामाजिक व्यवस्था बनी रहे।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने समाज के चार प्रमुख क्रियात्मक पूर्व-आवश्यकताओं (AGIL schema) का वर्णन किया: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य-प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration) और स्थायित्व/पुनरुत्पादन (Latency/Pattern Maintenance)। यह समाज को एक आत्मनिर्भर और स्थिर व्यवस्था के रूप में देखने पर बल देता है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स समाज को संघर्ष और परिवर्तन के लेंस से देखते हैं, न कि एक स्थिर व्यवस्था के रूप में। ईमाइल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (social solidarity) पर जोर दिया, लेकिन पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था के सिद्धांत को अधिक व्यवस्थित रूप से विकसित किया। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और शक्ति पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 3: दुर्खीम के अनुसार, उन समाजों में सामाजिक एकता (social solidarity) का कौन सा प्रकार पाया जाता है जहाँ श्रम का विभाजन अत्यधिक विकसित होता है?

  1. यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity)
  2. सांगठनिक एकता (Organic Solidarity)
  3. अलंकारिक एकता (Symbolic Solidarity)
  4. धार्मिक एकता (Religious Solidarity)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ईमाइल दुर्खीम ने ‘सांगठनिक एकता’ (Organic Solidarity) का वर्णन उन आधुनिक, औद्योगिक समाजों के लिए किया है जहाँ श्रम का विभाजन अत्यधिक विकसित होता है। इस प्रकार की एकता व्यक्तियों की परस्पर निर्भरता से उत्पन्न होती है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति विशेष भूमिकाएँ निभाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ में यांत्रिक एकता (जो पारंपरिक समाजों में समान विश्वासों और मूल्यों पर आधारित होती है) और सांगठनिक एकता के बीच अंतर बताया। सांगठनिक एकता में, लोग एक-दूसरे पर अपनी विशिष्ट विशेषज्ञताओं के कारण निर्भर होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मानव शरीर के अंग एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।
  • गलत विकल्प: यांत्रिक एकता पारंपरिक समाजों की विशेषता है। अलंकारिक और धार्मिक एकता दुर्खीम द्वारा वर्णित प्रमुख प्रकार नहीं हैं।

प्रश्न 4: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य सरोकार किससे है?

  1. सामाजिक संरचनाओं का अध्ययन
  2. व्यक्तियों के बीच होने वाली सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं का अध्ययन
  3. सामाजिक असमानता और वर्ग संघर्ष का विश्लेषण
  4. सामूहिक चेतना और सामाजिक तथ्यों का मापन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन जैसे विचारकों से जुड़ा है। यह सिद्धांत इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति कैसे प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ संवाद करते हैं और अर्थ का निर्माण करते हैं, और यह संवाद उनके आत्म-अवधारणा (self-concept) और सामाजिक दुनिया को कैसे आकार देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह उपागम समाज को स्थूल स्तर (macro-level) के बजाय सूक्ष्म स्तर (micro-level) पर देखता है। यह मानता है कि वास्तविकता व्यक्तिपरक होती है और सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से निरंतर निर्मित होती रहती है।
  • गलत विकल्प: सामाजिक संरचनाओं का अध्ययन प्रकार्यवादियों और मार्क्सवादियों का मुख्य सरोकार है। सामाजिक असमानता और वर्ग संघर्ष कार्ल मार्क्स के विचारों का मूल है। सामूहिक चेतना और सामाजिक तथ्य दुर्खीम के अध्ययन के केंद्रीय बिंदु हैं।

प्रश्न 5: मैक्स वेबर ने किस अवधारणा का उपयोग उन अनुष्ठानों और व्यवहारों का वर्णन करने के लिए किया जो अलौकिक शक्तियों से संबंधित हैं?

  1. जादू (Magic)
  2. धर्म (Religion)
  3. अलौकिक (Supernatural)
  4. ज्ञान (Gnosis)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने धर्म को एक ऐसे व्यवहार के रूप में परिभाषित किया जो अलौकिक शक्तियों में विश्वास से जुड़ा होता है। उन्होंने धर्म के विभिन्न रूपों और उनके सामाजिक प्रभावों का गहन विश्लेषण किया।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी रचनाओं, विशेष रूप से ‘The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism’ में, यह दिखाया कि कैसे कुछ धार्मिक मान्यताएं (जैसे प्रोटेस्टेंट ईश्वरवाद) ने आर्थिक व्यवहार को प्रभावित किया। उन्होंने धर्म को समाज में परिवर्तन और एकीकरण दोनों के स्रोत के रूप में देखा।
  • गलत विकल्प: ‘जादू’ (Magic) अक्सर व्यक्तिगत और प्रत्यक्ष परिणाम प्राप्त करने के लिए किया जाता है, जबकि धर्म अधिक संगठित और व्यापक विश्वास प्रणालियों से जुड़ा होता है। ‘अलौकिक’ (Supernatural) एक व्यापक शब्द है, जबकि ‘धर्म’ (Religion) एक विशिष्ट सामाजिक संस्था और विश्वास प्रणाली को संदर्भित करता है। ‘ज्ञान’ (Gnosis) का संबंध विशेष, गुप्त ज्ञान से होता है, न कि अलौकिक शक्तियों से जुड़े सामान्य अनुष्ठानों से।

प्रश्न 6: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) का संबंध किस प्रकार की बहिष्करण से है?

  1. आर्थिक बहिष्करण
  2. सामाजिक और धार्मिक बहिष्करण
  3. राजनीतिक बहिष्करण
  4. सांस्कृतिक बहिष्करण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: अस्पृश्यता, भारतीय जाति व्यवस्था का एक घृणित पहलू, विशेष रूप से दलित समुदायों के लिए सामाजिक और धार्मिक बहिष्करण से जुड़ा है। उन्हें पूजा स्थलों में प्रवेश, सार्वजनिक कुओं का उपयोग और उच्च जातियों के साथ सामाजिक संपर्क से वंचित किया जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह बहिष्करण विशुद्ध रूप से सामाजिक और धार्मिक शुद्धता (purity) और प्रदूषण (pollution) की अवधारणाओं पर आधारित था, जहाँ कुछ जातियों को ‘अशुद्ध’ माना जाता था। संविधान के अनुच्छेद 17 के तहत अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया गया है।
  • गलत विकल्प: यद्यपि अस्पृश्यता के आर्थिक परिणाम होते थे (जैसे कि उन्हें अनैच्छिक श्रम से जोड़ा जाना), इसका मूल सामाजिक और धार्मिक भेदभाव में निहित था। राजनीतिक और सांस्कृतिक बहिष्करण भी मौजूद थे, लेकिन अस्पृश्यता का सार सामाजिक-धार्मिक था।

प्रश्न 7: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संसकृति’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?

  1. पश्चिमीकरण की प्रक्रिया
  2. जाति पदानुक्रम में सामाजिक गतिशीलता का एक रूप
  3. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
  4. शहरीकरण का प्रभाव

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसकृति’ (Sanskritization) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है कि निम्न जातियों द्वारा उच्च, विशेष रूप से द्विजातियों (twice-born) के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, विश्वासों और जीवन शैली को अपनाना ताकि वे जाति पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठा सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार सामने आई। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक और सामाजिक गतिशीलता है, जहाँ निम्न समूह अपनी स्थिति सुधारने के लिए अनुकरण करते हैं।
  • गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) पश्चिमी संस्कृति को अपनाना है। ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें प्रौद्योगिकी, औद्योगीकरण और परिवर्तन शामिल हैं। ‘शहरीकरण’ (Urbanization) ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का स्थानांतरण है।

प्रश्न 8: दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

  1. जब सामाजिक नियम और मानक प्रभावी नहीं रह जाते
  2. जब आर्थिक असमानता अत्यधिक बढ़ जाती है
  3. जब लोग पारंपरिक मूल्यों को अधिक महत्व देते हैं
  4. जब समाज में तीव्र राजनीतिक उथल-पुथल होती है

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ईमाइल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) को सामाजिक नियमों और मानकों की अनुपस्थिति या क्षीणता की स्थिति के रूप में परिभाषित किया। यह तब होता है जब व्यक्तिगत व्यवहार को निर्देशित करने वाले कोई स्पष्ट नियम या मूल्य नहीं होते, जिससे व्यक्ति दिशाहीन और अनिश्चित महसूस करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह स्थिति अक्सर सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक संकटों या बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत दुर्घटनाओं के दौरान उत्पन्न हो सकती है। दुर्खीम ने आत्महत्या के कारणों का विश्लेषण करते समय ‘एनोमिक आत्महत्या’ का विशेष रूप से उल्लेख किया है।
  • गलत विकल्प: आर्थिक असमानता (b) सामाजिक तनाव पैदा कर सकती है, लेकिन एनोमी विशेष रूप से नियमों की कमी से संबंधित है। पारंपरिक मूल्यों को महत्व देना (c) एनोमी के विपरीत है। तीव्र राजनीतिक उथल-पुथल (d) एनोमी को जन्म दे सकती है, लेकिन एनोमी का सार नियमों का शिथिल पड़ना है।

प्रश्न 9: समाजशास्त्र में ‘तार्किकीकरण’ (Rationalization) की अवधारणा का श्रेय मुख्य रूप से किस समाजशास्त्री को दिया जाता है?

  1. ऑगस्ट कॉम्टे
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. जी.एच. मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘तार्किकीकरण’ (Rationalization) को आधुनिक पश्चिमी समाज की एक केंद्रीय विशेषता के रूप में पहचाना। इसका अर्थ है कि समाज के सभी पहलुओं, जैसे कि अर्थव्यवस्था, राजनीति, धर्म और कला, में दक्षता, पूर्वानुमान और नियंत्रण के लिए तर्कसंगत, गणनात्मक सिद्धांतों का बढ़ता अनुप्रयोग।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही (bureaucracy) को तार्किकीकरण का सबसे शुद्ध रूप माना। उनकी पुस्तक ‘The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism’ में, उन्होंने दिखाया कि कैसे प्रोटेस्टेंट नैतिकता ने पूंजीवाद के तार्किकीकरण में भूमिका निभाई।
  • गलत विकल्प: कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (positivism) का सिद्धांत दिया। दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और एकजुटता पर ध्यान केंद्रित किया। मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं।

प्रश्न 10: भारत में ‘पंथ’ (Sect) और ‘संप्रदाय’ (Church) के बीच के अंतर को समझने के लिए किस समाजशास्त्री का कार्य प्रासंगिक है?

  1. ईमाइल दुर्खीम
  2. अर्नेस्ट ट्रोल्त्श
  3. मैक्स वेबर
  4. पीटर बर्जर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: अर्नेस्ट ट्रोल्त्श (Ernst Troeltsch) ने अपनी पुस्तक ‘The Social Teachings of the Christian Churches’ में, धार्मिक समूहों को ‘चर्च’ (Church) और ‘पंथ’ (Sect) में वर्गीकृत किया। चर्च बड़े, समावेशी, पदानुक्रमित और समाज से एकीकृत संगठन होते हैं, जबकि पंथ छोटे, अनन्य, स्वयंसेवी और अक्सर समाज से अलग-थलग समूह होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ट्रोल्त्श ने इन दोनों मॉडलों को समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण माना। उनके काम ने बाद में धार्मिक संगठनों के समाजशास्त्रीय अध्ययन को प्रभावित किया।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने धर्म को सामाजिक एकजुटता के स्रोत के रूप में देखा। वेबर ने धर्म और अर्थव्यवस्था के संबंध का अध्ययन किया। पीटर बर्जर ने धर्मशास्त्रीय समाजशास्त्र में योगदान दिया, लेकिन पंथ-चर्च विभाजन का मूल ट्रोल्त्श का है।

प्रश्न 11: ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) के अनुसार, समाज की मुख्य विशेषता क्या है?

  1. स्थिरता और सामंजस्य
  2. सहयोग और अनुकूलन
  3. असमानता और शक्ति का संघर्ष
  4. सामाजिक व्यवस्था और एकीकरण

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: संघर्ष सिद्धांत (जिसके प्रमुख प्रस्तावक कार्ल मार्क्स हैं) मानता है कि समाज की मूल विशेषता विभिन्न समूहों के बीच संसाधनों, शक्ति और स्थिति के लिए निरंतर संघर्ष है। यह सिद्धांत सामाजिक व्यवस्था को बल और प्रभुत्व का परिणाम मानता है, न कि सामान्य सहमति का।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, यह संघर्ष बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच है, जो उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण से उत्पन्न होता है। यह निरंतर संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन को गति प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: स्थिरता, सामंजस्य, सहयोग, अनुकूलन और सामाजिक व्यवस्था संघर्ष सिद्धांत के विपरीत, प्रकार्यात्मक सिद्धांतों (functional theories) की मुख्य विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 12: समाजशास्त्र में ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा किसने विकसित की?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. ऑगस्ट कॉम्टे
  4. ईमाइल दुर्खीम

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ईमाइल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को समाजशास्त्र के लिए केंद्रीय माना। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य वे व्यवहार करने, सोचने और महसूस करने के तरीके हैं जो व्यक्ति के लिए बाहरी होते हैं और उन पर एक बाध्यकारी शक्ति का प्रयोग करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Rules of Sociological Method’ में बताया कि सामाजिक तथ्यों को ‘वस्तुओं’ के रूप में देखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, कानून, रीति-रिवाज, नैतिक नियम, सामाजिक संस्थाएँ, जनसंख्या घनत्व आदि सामाजिक तथ्य हैं।
  • गलत विकल्प: मार्क्स समाज की भौतिक परिस्थितियों और वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे। वेबर सामाजिक क्रिया और अर्थ के अध्ययन पर बल देते थे। कॉम्टे ने समाजशास्त्र की नींव रखी लेकिन सामाजिक तथ्यों को परिभाषित नहीं किया।

प्रश्न 13: भारत में ‘जनजाति’ (Tribe) की अवधारणा को समझने के लिए, उनकी पहचान के मुख्य मानदंड क्या रहे हैं?

  1. केवल भौगोलिक अलगाव
  2. स्थायी कृषि और शहरी निवास
  3. सामान्य भाषा, संस्कृति, और अक्सर भौगोलिक अलगाव
  4. उच्च जातीय स्थिति और संस्थागत धर्म

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारतीय जनजातियों की पहचान पारंपरिक रूप से सामान्य भाषा, विशिष्ट संस्कृति, रीति-रिवाजों, सामाजिक संगठन और अक्सर एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में निवास से जुड़ी रही है, जो उन्हें मुख्यधारा के समाज से कुछ हद तक अलग करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ‘जनजाति’ की परिभाषा गतिशील रही है और जनजातियों ने भी अन्य समुदायों के साथ संपर्क में परिवर्तन को अपनाया है। सरकारी वर्गीकरणों में भी कई मापदंडों का प्रयोग होता है।
  • गलत विकल्प: केवल भौगोलिक अलगाव (a) अपर्याप्त है क्योंकि अनेक जनजातियाँ मुख्यधारा में एकीकृत हो गई हैं। स्थायी कृषि और शहरी निवास (b) अक्सर जनजातियों की पहचान के विपरीत होते हैं, जो ऐतिहासिक रूप से कृषि या वन-आधारित अर्थव्यवस्थाओं से जुड़ी रही हैं। उच्च जातीय स्थिति (d) जनजातियों की विशेषता नहीं है।

प्रश्न 14: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का तात्पर्य समाज में व्यक्तियों और समूहों के…

  1. आपसी सहयोग के स्तर से
  2. संसाधनों और शक्ति के असमान वितरण से
  3. सांस्कृतिक मूल्यों और विश्वासों से
  4. जनसांख्यिकीय विशेषताओं से

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यक्तियों और समूहों के पदानुक्रमित विभाजन को दर्शाता है, जो उनकी आय, धन, शक्ति, प्रतिष्ठा, शिक्षा और अन्य सामाजिक-आर्थिक कारकों के आधार पर संसाधनों और विशेषाधिकारों के असमान वितरण से उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के विभिन्न रूप हैं, जैसे वर्ग (class), जाति (caste), लिंग (gender), और जातीयता (ethnicity), जो समाज के सदस्यों को विभिन्न स्तरों पर रखते हैं, जिससे असमान अवसर और जीवन शैली बनती है।
  • गलत विकल्प: सहयोग (a) सामाजिक संबंध का एक पहलू है, स्तरीकरण का नहीं। सांस्कृतिक मूल्य (c) स्तरीकरण को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन स्वयं स्तरीकरण नहीं हैं। जनसांख्यिकीय विशेषताएँ (d) (जैसे आयु, लिंग) स्तरीकरण में भूमिका निभा सकती हैं, लेकिन स्तरीकरण का मूल असमान वितरण है।

प्रश्न 15:अलगाव‘ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से पूंजीवाद के तहत श्रमिकों के अलगाव, किस विचारक से सबसे अधिक जुड़ी हुई है?

  1. ईमाइल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. कार्ल मार्क्स
  4. सिगमंड फ्रायड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा का गहन विश्लेषण किया, विशेष रूप से पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था में श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, सहकर्मियों और स्वयं से कैसे अलग-थलग महसूस करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के तहत, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद पर नियंत्रण नहीं रखते, वे अपने काम की प्रक्रिया से अलग हो जाते हैं (क्योंकि यह बाहरी है), वे अपने साथी श्रमिकों से भी अलग हो जाते हैं (क्योंकि प्रतिस्पर्धा है), और अंततः वे अपनी मानवीय प्रकृति (species-being) से ही अलग हो जाते हैं।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने एनोमी पर काम किया। वेबर ने तार्किकीकरण पर। फ्रायड एक मनोविश्लेषक थे और अलगाव का उनका विश्लेषण मनोवैज्ञानिक था, न कि मार्क्सवादी सामाजिक-आर्थिक।

प्रश्न 16: भारत में, ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) प्रणाली की प्रमुख विशेषता क्या है?

  1. तीन पीढ़ियों का एक साथ रहना, समान निवास, रसोई और संपत्ति साझा करना
  2. विवाहित बच्चों का अपने माता-पिता से अलग रहना
  3. अविवाहित बच्चों का अपने माता-पिता के साथ रहना
  4. पति-पत्नी का एक इकाई के रूप में स्वतंत्र जीवन जीना

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारतीय समाजशास्त्र में, संयुक्त परिवार को अक्सर तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्यों के एक साथ रहने, समान निवास (घर), समान रसोई (भोजन) और सामान्य संपत्ति (धन) साझा करने के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें एक प्रमुख पुरुष (अक्सर सबसे बड़े सदस्य) का अधिकार होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण संस्थागत पहलू रहा है, जो सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक उत्पादन और सांस्कृतिक हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) एकल परिवार (nuclear family) या अन्य प्रकार के पारिवारिक संरचनाओं की विशेषताएँ हैं, न कि संयुक्त परिवार की।

प्रश्न 17:सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) से क्या तात्पर्य है?

  1. समाज के सदस्यों को एकजुट रखना
  2. समाज में अव्यवस्था और अराजकता फैलाना
  3. यह सुनिश्चित करना कि व्यक्ति सामाजिक मानदंडों और नियमों का पालन करें
  4. ज्ञान और सूचना का प्रसार करना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक नियंत्रण उन साधनों और प्रक्रियाओं को संदर्भित करता है जिनके द्वारा समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को निर्देशित करता है, यह सुनिश्चित करता है कि वे स्वीकृत सामाजिक मानदंडों, मूल्यों और नियमों का पालन करें, और विचलन (deviance) को कम करें।
  • संदर्भ और विस्तार: इसमें औपचारिक नियंत्रण (जैसे कानून, पुलिस, अदालतें) और अनौपचारिक नियंत्रण (जैसे परिवार, मित्र, समुदाय का दबाव, नैतिकता) दोनों शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: समाज को एकजुट रखना (a) सामाजिक नियंत्रण का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन यह स्वयं नियंत्रण नहीं है। अव्यवस्था फैलाना (b) नियंत्रण के विपरीत है। ज्ञान प्रसार (d) शिक्षा का कार्य है।

प्रश्न 18:सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ है:

  1. किसी व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाना
  2. लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास
  3. सामाजिक नियमों और संरचनाओं में परिवर्तन
  4. विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच संवाद

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक पदानुक्रम में स्थिति में होने वाले परिवर्तन को दर्शाती है। यह ऊर्ध्वाधर (vertical) हो सकती है (जैसे गरीब से अमीर बनना) या क्षैतिज (horizontal) (जैसे एक नौकरी से दूसरी समान पद की नौकरी में जाना)।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता एक समाज के खुलेपन और वर्ग संरचना की प्रकृति का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
  • गलत विकल्प: लोगों का प्रवास (b) भौगोलिक गतिशीलता है। सामाजिक परिवर्तन (c) एक व्यापक अवधारणा है। समूहों के बीच संवाद (d) सामाजिक अंतःक्रिया है।

प्रश्न 19:संस्कृति’ (Culture) को समाजशास्त्र में कैसे परिभाषित किया जाता है?

  1. केवल कला, संगीत और साहित्य का संग्रह
  2. समाज द्वारा अर्जित व्यवहार, ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताएँ और आदतें
  3. किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत गुण और प्रतिभाएँ
  4. आर्थिक उत्पादन की प्रणाली

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: समाजशास्त्र में, संस्कृति को एक व्यापक अर्थ में समझा जाता है, जिसमें समाज के सदस्यों द्वारा अर्जित सीखा हुआ व्यवहार, विचार और उत्पाद शामिल हैं। यह सीखा हुआ होता है, पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता है, और किसी समूह की पहचान का निर्माण करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ई.बी. टेलर की परिभाषा का प्रभाव यहाँ देखा जा सकता है, जो संस्कृति को ‘ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और किसी भी अन्य क्षमता और आदत के रूप में परिभाषित करते हैं, जिसे मनुष्य समाज के सदस्य के रूप में प्राप्त करता है।’
  • गलत विकल्प: संस्कृति केवल कला (a) तक सीमित नहीं है। यह व्यक्तिगत गुण (c) नहीं बल्कि सामूहिक रूप से सीखा गया है। आर्थिक प्रणाली (d) संस्कृति का एक हिस्सा हो सकती है, लेकिन स्वयं संस्कृति नहीं है।

प्रश्न 20:नौकरशाही’ (Bureaucracy) के आदर्श मॉडल को किस समाजशास्त्री ने प्रस्तुत किया, जो उसकी दक्षता पर जोर देता था?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. अल्बर्ट आइंस्टीन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श-प्रारूप’ (Ideal Type) के रूप में नौकरशाही का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने इसे आधुनिक समाज में तर्कसंगतता और दक्षता का उच्चतम रूप माना, जो पदानुक्रम, नियमों, विशेषज्ञता और निष्पक्षता पर आधारित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, नौकरशाही निर्णय लेने में निष्पक्षता और पूर्वानुमान सुनिश्चित करती है, जो बड़े संगठनों के कुशल संचालन के लिए आवश्यक है। हालाँकि, उन्होंने इसके ‘लौह पिंजरे’ (iron cage) के संभावित नकारात्मक पहलुओं की भी चेतावनी दी।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों का अध्ययन किया। मार्क्स ने पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। आइंस्टीन एक भौतिक विज्ञानी थे।

प्रश्न 21:गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) की मुख्य विशेषता क्या है?

  1. बड़े डेटासेट का सांख्यिकीय विश्लेषण
  2. संख्याओं और सांख्यिकी पर जोर
  3. गहन साक्षात्कार, अवलोकन और केस स्टडी के माध्यम से अर्थ और व्याख्या को समझना
  4. प्रायोगिक नियंत्रण पर अत्यधिक निर्भरता

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: गुणात्मक अनुसंधान का उद्देश्य सामाजिक घटनाओं के पीछे के ‘क्यों’ और ‘कैसे’ को समझना है। इसमें अक्सर लोगों के अनुभवों, दृष्टिकोणों और व्यवहारों की गहराई से पड़ताल की जाती है, जिसमें साक्षात्कार, फोकस समूह, नृवंशविज्ञान (ethnography) और केस स्टडी जैसी विधियाँ शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुसंधान विषयों की व्याख्यात्मक समझ पर जोर देता है और अक्सर छोटी, गहन अध्ययन की गई इकाइयों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • गलत विकल्प: सांख्यिकीय विश्लेषण (a) और संख्याओं पर जोर (b) मात्रात्मक अनुसंधान (quantitative research) की विशेषताएँ हैं। प्रायोगिक नियंत्रण (d) भी मुख्य रूप से मात्रात्मक अनुसंधान से जुड़ा है।

प्रश्न 22:नातेदारी’ (Kinship) प्रणालियों के अध्ययन में, ‘गोत्र’ (Clan) को अक्सर कैसे परिभाषित किया जाता है?

  1. उन सभी लोगों का समूह जो एक ही गाँव में रहते हैं
  2. उन सभी लोगों का समूह जो एक काल्पनिक पूर्वज से वंशानुगत संबंध का दावा करते हैं, भले ही वे वास्तविक वंश को न जानते हों
  3. विवाहित जोड़ों का समूह
  4. भाई-बहनों का समूह

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: गोत्र (Clan) नातेदारी का एक समूह है जहाँ सदस्य एक सामान्य, अक्सर काल्पनिक, पूर्वज से अपने वंश का दावा करते हैं। यह वास्तविक रक्त संबंध के बजाय वंशानुक्रम के विश्वास पर आधारित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: गोत्र अक्सर कुल (lineage) से भिन्न होते हैं, जहाँ वंशानुक्रम को स्पष्ट रूप से ट्रैक किया जा सकता है। गोत्र सामाजिक और राजनीतिक संगठन में भूमिका निभा सकते हैं।
  • गलत विकल्प: गाँव में रहने वाले लोग (a) एक समुदाय हैं, गोत्र नहीं। विवाहित जोड़े (c) या भाई-बहन (d) केवल गोत्र के सदस्य हो सकते हैं, लेकिन गोत्र इन संकीर्ण परिभाषाओं से परे है।

प्रश्न 23:शहरी समाजशास्त्र’ (Urban Sociology) का मुख्य सरोकार क्या है?

  1. ग्रामीण जीवन और कृषि पद्धतियाँ
  2. शहरी क्षेत्रों में सामाजिक जीवन, संरचनाओं और समस्याओं का अध्ययन
  3. आदिवासी समुदायों का अध्ययन
  4. पारंपरिक समाजों की संस्थाओं का विश्लेषण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: शहरी समाजशास्त्र शहरी वातावरण के भीतर सामाजिक घटनाओं, जैसे कि जनसंख्या घनत्व, सामाजिक संगठन, संस्थाएँ, सामाजिक समस्याएं (जैसे अपराध, मलिन बस्तियाँ), सांस्कृतिक परिवर्तन और शहरी जीवन की गतिशीलता का व्यवस्थित अध्ययन करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: रॉबर्ट पार्क जैसे शिकागो स्कूल के समाजशास्त्रियों ने शहरी जीवन को एक ‘सामाजिक प्रयोगशाला’ के रूप में अध्ययन किया, जिससे इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण दिशा मिली।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) ग्रामीण समाजशास्त्र, नृविज्ञान (anthropology) या पारंपरिक समाजशास्त्र के विषय हैं, न कि शहरी समाजशास्त्र के।

प्रश्न 24:सामाजिक समस्या’ (Social Problem) को समाजशास्त्र में कैसे परिभाषित किया जाता है?

  1. कोई भी व्यक्तिगत असुविधा
  2. समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से को नुकसान पहुँचाने वाली या प्रभावित करने वाली स्थिति, जिसे सामूहिक कार्रवाई से हल करने की आवश्यकता हो
  3. केवल कानून तोड़ने वाले व्यक्ति का व्यवहार
  4. सामाजिक मानदंडों के प्रति व्यक्तिगत असहमति

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एक सामाजिक समस्या वह स्थिति है जिसे समाज का एक महत्वपूर्ण वर्ग या हिस्सा नकारात्मक मानता है, जिससे सामाजिक जीवन में बाधा उत्पन्न होती है, और जिसके समाधान के लिए सामूहिक सामाजिक हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: गरीबी, अपराध, भेदभाव, प्रदूषण, बेरोजगारी जैसी स्थितियाँ सामाजिक समस्याएँ हैं क्योंकि वे समाज को प्रभावित करती हैं और उन्हें सामाजिक नीतियों या कार्यक्रमों के माध्यम से हल करने का प्रयास किया जाता है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत असुविधा (a) या असहमति (d) एक सामाजिक समस्या नहीं है जब तक कि वह व्यापक रूप से समाज को प्रभावित न करे। केवल कानून तोड़ना (c) अपराध है, जो एक सामाजिक समस्या हो सकती है, लेकिन सामाजिक समस्या की परिभाषा इससे कहीं अधिक व्यापक है।

प्रश्न 25:जाति’ (Caste) व्यवस्था भारत में किस प्रकार के सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रमुख उदाहरण है?

  1. खुला स्तरीकरण (Open Stratification)
  2. वर्जित स्तरीकरण (Closed Stratification)
  3. वर्ग-आधारित स्तरीकरण (Class-based Stratification)
  4. पेशा-आधारित स्तरीकरण (Occupation-based Stratification)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था को आमतौर पर ‘वर्जित स्तरीकरण’ (Closed Stratification) का एक उदाहरण माना जाता है। इसका अर्थ है कि व्यक्ति की सामाजिक स्थिति जन्म से निर्धारित होती है, और इसमें गतिशीलता (ऊपर या नीचे जाना) अत्यंत सीमित या असंभव होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति के नियमों में अक्सर अंतर्विवाह (endogamy), व्यावसायिक प्रतिबंध और खान-पान पर नियम शामिल होते हैं, जो विभिन्न जातियों के बीच अलगाव और पदानुक्रम को बनाए रखते हैं। हालाँकि, आधुनिकता और वैश्वीकरण के साथ इसमें कुछ बदलाव आए हैं।
  • गलत विकल्प: खुला स्तरीकरण (a) (जैसे वर्ग व्यवस्था) में गतिशीलता अधिक होती है। वर्ग-आधारित (c) या पेशा-आधारित (d) स्तरीकरण के तत्व जाति में मौजूद हो सकते हैं, लेकिन इसकी मुख्य विशेषता जन्म-आधारित और वर्जित प्रकृति है।

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