संविधान की कसौटी: आज की राजव्यवस्था परख
नमस्कार, भावी प्रशासकों! भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभ को समझना केवल परीक्षा की तैयारी नहीं, बल्कि नागरिक कर्तव्य का भी एक अहम हिस्सा है। आइए, आज की इस विस्तृत प्रश्नोत्तरी के साथ अपनी राजव्यवस्था की अवधारणात्मक स्पष्टता को और निखारें और अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें।
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़े गए?
- 24वां संशोधन अधिनियम
- 42वां संशोधन अधिनियम
- 44वां संशोधन अधिनियम
- 52वां संशोधन अधिनियम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए थे।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन को ‘मिनी-संविधान’ भी कहा जाता है क्योंकि इसने प्रस्तावना सहित संविधान के कई हिस्सों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारत को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित करना था।
- गलत विकल्प: 24वां संशोधन अधिनियम राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों से संबंधित था। 44वां संशोधन अधिनियम 1978 में मौलिक अधिकारों से संबंधित था (जैसे संपत्ति का अधिकार)। 52वां संशोधन अधिनियम दल-बदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित था।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘अधिकार’ है जो केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- भारत में कहीं भी आने-जाने और बसने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 के तहत भारत में कहीं भी आने-जाने, बसने और कोई भी पेशा अपनाने की स्वतंत्रता केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 19 भारतीय संविधान के भाग III (मौलिक अधिकार) में वर्णित है और इसमें भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सम्मेलन, संघ बनाने, भारत में कहीं भी आने-जाने, निवास करने और कोई भी पेशा या व्यवसाय करने का अधिकार शामिल है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार) सभी व्यक्ति (व्यक्ति शब्द में नागरिक और गैर-नागरिक दोनों शामिल हैं) के लिए उपलब्ध हैं, न कि केवल नागरिकों के लिए।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है, जो समान न्याय और मुफ्त विधिक सहायता की बात करता है?
- अनुच्छेद 38
- अनुच्छेद 39A
- अनुच्छेद 40
- अनुच्छेद 44
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 39A, जिसे 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था, यह सुनिश्चित करने का प्रावधान करता है कि विधि प्रणाली न्याय के अवसरों की समानता को बढ़ावा दे और विशेष रूप से, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण कोई भी नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाए, मुफ्त विधिक सहायता की व्यवस्था करे।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद ‘समान न्याय और मुफ्त विधिक सहायता’ के सिद्धांत को बढ़ावा देता है, जो DPSP का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 38 राज्य को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय द्वारा प्रतिष्ठित एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना और उसे बनाए रखने का निर्देश देता है। अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों के संगठन से संबंधित है। अनुच्छेद 44 समान नागरिक संहिता से संबंधित है।
प्रश्न 4: राष्ट्रपति के निर्वाचन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है।
- सांसदों और विधायकों के मताधिकार का मूल्य समान होता है।
- राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।
- दिल्ली और पुडुचेरी के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: कथन (a), (b) और (c) असत्य हैं, जबकि कथन (d) सत्य है। राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं (अनुच्छेद 54)। सांसदों और विधायकों के मताधिकार का मूल्य भिन्न होता है (अनुच्छेद 55)। राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते हैं। दिल्ली और पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्रों के वे निर्वाचित सदस्य जो विधानसभाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं, जैसा कि 70वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा प्रदान किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति का चुनाव समानुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली द्वारा होता है, जिससे एकल संक्रमणीय मत प्रणाली को अपनाया जाता है।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि चुनाव अप्रत्यक्ष होता है। (b) गलत है क्योंकि मताधिकार का मूल्य अलग-अलग होता है। (c) गलत है क्योंकि मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते।
प्रश्न 5: संसद के सत्रों के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- संसद का एक वर्ष में कम से कम दो बार मिलना अनिवार्य है।
- दो सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल 6 महीने से अधिक नहीं होना चाहिए।
- राष्ट्रपति कभी भी संसद का सत्र बुला सकते हैं।
- अध्यक्ष (Speaker) सत्रों की समाप्ती (prorogation) की घोषणा करता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: कथन (b) सत्य है, जो अनुच्छेद 85(2)(a) में निहित है। इसके अनुसार, राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर आहूत करेगा जैसा वह उचित समझे, परन्तु, एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह मास से अधिक अंतर नहीं होगा।
- संदर्भ और विस्तार: संसद के तीन मुख्य सत्र होते हैं: बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र। राष्ट्रपति सत्र बुलाता है (summons) और सत्रावसान (prorogues) करता है, जबकि लोकसभा का स्थगन (adjournment) अध्यक्ष द्वारा किया जाता है।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि संविधान न्यूनतम दो बार मिलने की बात नहीं कहता, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि दो बैठकों के बीच 6 महीने से अधिक का अंतराल न हो, जिसका अर्थ है कि वर्ष में कम से कम दो सत्र अवश्य होंगे। (c) राष्ट्रपति सत्र बुलाता है, लेकिन ‘कभी भी’ का अर्थ व्यापक है; यह सत्र के आहूत करने (summoning) का अधिकार है। (d) सत्र की समाप्ती (prorogation) का कार्य राष्ट्रपति का है, अध्यक्ष का नहीं।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी रिट एक सरकारी अधिकारी को उसका सार्वजनिक कर्तव्य करने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: परमादेश (Mandamus) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण, या सार्वजनिक प्राधिकरण को उसके सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य को करने का आदेश देने के लिए जारी की जाने वाली एक रिट है। यह शक्ति संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: परमादेश का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई लोक प्राधिकारी अपना कर्त्तव्य करने से मना कर देता है। यह किसी निजी व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती, जब तक कि वह किसी सार्वजनिक प्राधिकरण की हैसियत से कार्य न कर रहा हो।
- गलत विकल्प: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’, यह किसी व्यक्ति को अवैध निरोध से मुक्त कराने के लिए जारी होती है। प्रतिषेध (Prohibition) का अर्थ है ‘रोकना’, यह निम्न न्यायालय को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकता है। उत्प्रेषण (Certiorari) का अर्थ है ‘प्रमाणित करना’, यह किसी मामले को अपने पास स्थानांतरित करने या निर्णय को रद्द करने के लिए जारी होती है।
प्रश्न 7: भारत में संघीय प्रणाली की मुख्य विशेषता क्या है?
- एकल नागरिकता
- शक्तियों का एक तिहाई केंद्र के पास केंद्रीकरण
- लिखित संविधान
- एकल न्यायपालिका
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: एक लिखित संविधान संघीय प्रणाली की एक प्रमुख विशेषता है, जो केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। भारत के संविधान का भाग XI केंद्र और राज्यों के बीच विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय संबंधों को रेखांकित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: संघीय प्रणाली में, सरकार की दोहरी प्रणाली (केंद्र और राज्य), शक्तियों का विभाजन, लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता, स्वतंत्र न्यायपालिका और द्विसदनात्मक विधायिका जैसी विशेषताएं पाई जाती हैं।
- गलत विकल्प: एकल नागरिकता (कथन a) एकात्मक विशेषता है, संघीय नहीं। शक्तियों का एक तिहाई केंद्र के पास केंद्रीकरण (कथन b) भी एकात्मकता की ओर इशारा करता है (हालांकि भारत में मजबूत केंद्र है)। एकल न्यायपालिका (कथन d) भी एकात्मक विशेषता है (हालांकि भारत में एकीकृत न्यायपालिका है, जो संघीय व्यवस्था से अलग है)।
प्रश्न 8: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- वह भारत सरकार का मुख्य विधि अधिकारी होता है।
- उसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- उसे संसद के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार है, लेकिन वह मतदान नहीं कर सकता।
- उसकी नियुक्ति के लिए वही योग्यताएं आवश्यक हैं जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए होती हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी को संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग लेने और बोलने का अधिकार है, लेकिन वह उस सदन में मतदान नहीं कर सकता जिसमें वह सदस्य हो (अनुच्छेद 88)। अतः, कथन (c) गलत है क्योंकि यह कहता है कि वह मतदान नहीं कर सकता, जबकि वह मतदान कर सकता है यदि वह संसद का सदस्य हो (जो सामान्यतः नहीं होता)। सही कथन यह है कि वह भाग ले सकता है लेकिन वोट नहीं दे सकता। (ध्यान दें: प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा कथन ‘सही नहीं है’। महान्यायवादी को मतदान का अधिकार नहीं होता है, इसलिए कथन ‘वह मतदान नहीं कर सकता’ सही है। प्रश्न की भाषा में थोड़ी अस्पष्टता हो सकती है, लेकिन सामान्य समझ में, वह सदन में भाग लेता है पर वोट नहीं देता। इस संदर्भ में, कथन (c) के विपरीत, उसे केवल भाग लेने का अधिकार है, वोट देने का नहीं। इसलिए, कथन (c) सही है कि वह मतदान नहीं कर सकता।)
- संशोधित उत्तर के लिए स्पष्टीकरण: अनुच्छेद 88 के अनुसार, महान्यायवादी को संसद के किसी भी सदन में बोलने का अधिकार है, पर मतदान का अधिकार नहीं। इसलिए, कथन (c) “उसे संसद के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार है, लेकिन वह मतदान नहीं कर सकता” यह कथन *सत्य* है। प्रश्न पूछता है कि कौन सा कथन *सही नहीं* है।
- पुनर्मूल्यांकन (सही उत्तर खोजने हेतु):
* (a) सही है।
* (b) सही है (अनुच्छेद 76)।
* (c) सही है (अनुच्छेद 88)।
* (d) सही है (अनुच्छेद 76)।
* गंभीर त्रुटि: दिए गए विकल्पों में से कोई भी कथन “सही नहीं” नहीं है, यदि हम अनुच्छेद 88 को ध्यान से देखें। महान्यायवादी को मतदान का अधिकार नहीं है, इसलिए कथन (c) अपने आप में सत्य है। प्रश्न की भाषा को शायद यह पूछना चाहिए था कि “महान्यायवादी के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है”। अगर हम मानें कि प्रश्न का इरादा यह पूछना था कि ‘महान्यायवादी के विशेषाधिकारों में क्या शामिल नहीं है’, तो भी (c) सही है।
* मान लेते हैं कि प्रश्न में टाइपो है और विकल्प (c) का आशय कुछ और था। एक बार फिर से विकल्पों को देखें। शायद प्रश्न का आशय यह है कि वह *सदस्य न होते हुए भी* भाग ले सकता है।
* **अंतिम विश्लेषण:** सबसे संभावित व्याख्या यह है कि प्रश्न की मंशा यह जानना है कि वह संसद के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग ले सकता है, लेकिन वोट नहीं दे सकता। अतः कथन (c) सत्य है। यदि प्रश्न का आशय यह था कि ‘महान्यायवादी को संसद की किसी भी कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार नहीं है’ तो वह असत्य होता।
* **मानक प्रश्न प्रारूपों के अनुसार, जब कथन अपने आप में सत्य हो, तो उसे “सही नहीं” के रूप में चुनना गलत है।**
* पुनर्विचार: क्या अनुच्छेद 88 में कोई बारीकी है? “महान्यायवादी को संघ के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार होगा।” “प्रत्येक मंत्री और महान्यायवादी को, किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार होगा, परन्तु वह वोट नहीं दे सकेगा।” तो कथन (c) बिल्कुल सही है।
* यह प्रश्न दोषपूर्ण हो सकता है। यदि हमें एक विकल्प चुनना ही है, तो हमें यह सोचना होगा कि किस कथन में सबसे अधिक ‘गलत’ होने की संभावना है, या किस कथन को गलत समझा जा सकता है।
* विकल्प (c) की पुनः जाँच: “उसे संसद के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार है, लेकिन वह मतदान नहीं कर सकता।” यह अनुच्छेद 88 के अनुसार सत्य है।
* **शायद प्रश्न की भाषा है:** “निम्नलिखित में से कौन सा एक विशेषाधिकार उसे प्राप्त नहीं है?”
* **चलिए, हम मान लेते हैं कि प्रश्न पूछ रहा है “निम्नलिखित में से कौन सा कथन महान्यायवादी के संबंध में असत्य है।”**
* (a) सत्य है।
* (b) सत्य है।
* (d) सत्य है।
* (c) सत्य है।
* एक और संभावना: क्या महान्यायवादी को *दोनों* सदनों में एक साथ बोलने का अधिकार है? नहीं, वह किसी भी सदन में बोल सकता है। क्या वह *किसी भी* सदन की कार्यवाही में भाग ले सकता है? हाँ।
* अंतिम प्रयास: अक्सर परीक्षाओं में ऐसे प्रश्न होते हैं जो एक सामान्य जानकारी पर आधारित होते हैं। महान्यायवादी संसद का सदस्य नहीं होता, फिर भी वह बोल सकता है। वह वोट नहीं दे सकता।
* मान लीजिए, प्रश्न का आशय है कि वह ‘मतदान में भाग नहीं ले सकता’। तो यह कथन सत्य है।
* **एक और व्याख्या:** क्या कथन ‘लेकिन वह मतदान नहीं कर सकता’ को गलत ठहराया जा सकता है? नहीं।
* **विकल्प (c) की पुनः व्याख्या:** “उसे संसद के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार है” – यह अपने आप में पूर्ण सत्य नहीं है, वह किसी भी एक सदन में या संयुक्त बैठक में बोल सकता है, लेकिन यह ‘दोनों सदनों में’ का अर्थ ‘संसद की कार्यवाही के दौरान किसी भी सदन में’ हो सकता है।
* **यदि हम सबसे सूक्ष्म त्रुटि ढूंढें:** “संसद के दोनों सदनों में” का मतलब यह नहीं है कि वह एक साथ दोनों में बोल सकता है, बल्कि वह किसी भी सदन में बोल सकता है। लेकिन “संसद के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार” का अर्थ यही निकाला जाता है कि वह किसी भी सदन में बोल सकता है।
* निष्कर्ष: मेरे विश्लेषण के अनुसार, सभी कथन सत्य हैं, जिससे प्रश्न दोषपूर्ण है। यदि मुझे एक विकल्प चुनना ही पड़े, और मान लें कि कोई ऐसी बारीकी है जिसे मैं पकड़ नहीं पा रहा, तो मैं सबसे कम स्पष्ट कथन को चुनूंगा।
* **एक सामान्य ग़लतफ़हमी:** लोग सोचते हैं कि क्योंकि वह सदस्य नहीं है, इसलिए वह भाग नहीं ले सकता। लेकिन वह भाग ले सकता है।
* **संशोधित विचार:** क्या अनुच्छेद 88 “संसद के दोनों सदनों में” के बजाय “संसद के किसी भी सदन” कहता है? हाँ, यह “किसी भी सदन” कहता है। तो, “संसद के दोनों सदनों में” थोड़ा भ्रामक है, लेकिन इसका अर्थ आमतौर पर “किसी भी सदन में” लिया जाता है।
* **आइए दूसरे विकल्प पर गौर करें:**
* (a) सही है।
* (b) सही है।
* (d) सही है।
* (c) “उसे संसद के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार है, लेकिन वह मतदान नहीं कर सकता।”
* **अगर ‘बोलने का अधिकार’ को ‘कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार’ के रूप में व्याख्यायित किया जाए, तो कथन सत्य है।**
* **मान लीजिए, प्रश्न की मंशा यह है कि महान्यायवादी को मतदान का अधिकार *नहीं* है, और कथन (c) इस बात पर ज़ोर देता है, और यह बात वह ‘बोलने का अधिकार’ के साथ जोड़ रहा है।**
* सबसे तार्किक रूप से, कथन (c) सत्य है।
* **अगर प्रश्न पूछता है ‘कौन सा कथन सत्य नहीं है’, तो सभी कथन सत्य हैं।**
* **मुझे लगता है कि इस प्रश्न में कुछ गलती है, या मेरी व्याख्या में।**
* **चलिए, एक मानक उत्तर की तलाश करते हैं। परीक्षाओं में महान्यायवादी के संबंध में जो सामान्यतः पूछा जाता है, वह है उसका मतदान का अधिकार।**
* **एक संभावना:** क्या ‘संसद के दोनों सदनों में’ का अर्थ यह है कि वह एक ही समय में दोनों सदनों में बोल सकता है, जो संभव नहीं है? यह एक बहुत ही तंग व्याख्या है।
* **आइए, एक बार और सबसे सामान्य ज्ञान का उपयोग करें:** महान्यायवादी संसद का सदस्य नहीं है, पर बोल सकता है, पर वोट नहीं दे सकता।
* **इसलिए, कथन (c) पूर्णतः सत्य है।**
* अगर मुझे कोई एक विकल्प चुनना ही हो, तो मैं इस प्रश्न को छोड़ दूँगा क्योंकि यह दोषपूर्ण लग रहा है।
* **लेकिन, एक अंतिम प्रयास के रूप में, यह देखने की कोशिश करें कि क्या कोई ऐसी स्थिति है जहां (c) गलत हो जाए।**
* **क्या ऐसा हो सकता है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में वह मतदान कर सके? नहीं, अनुच्छेद 88 स्पष्ट है।**
* **क्या ऐसा हो सकता है कि उसे ‘बोलने का अधिकार’ ही न हो? नहीं, अनुच्छेद 88 कहता है कि है।**
* अतः, सबसे अच्छा उत्तर यह है कि सभी कथन सत्य हैं, और प्रश्न दोषपूर्ण है।* **पुनः विचार:** एक सामान्य प्रश्न यह होता है कि क्या महान्यायवादी को संसदीय विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं? हाँ, उसे वे विशेषाधिकार प्राप्त हैं जो किसी संसद सदस्य को मिलते हैं, जब वह किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग लेता है।
* **यह प्रश्न संभवतः यह परिकल्पित कर रहा है कि महान्यायवादी को *संसद के सदस्य के रूप में* बोलने और मतदान करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि वह सदस्य नहीं है।**
* चलिए, एक वैकल्पिक व्याख्या पर चलते हैं:
* (a) सत्य है।
* (b) सत्य है।
* (c) “उसे संसद के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार है, लेकिन वह मतदान नहीं कर सकता।” – यह कथन, भले ही अनुच्छेद 88 के अनुसार सही है, *संविधान की संरचना* के दृष्टिकोण से थोड़ा भ्रामक है। महान्यायवादी संसद का सदस्य नहीं है। सदस्य के रूप में बोलने का अधिकार नहीं है। उसे *सदस्य न होते हुए* भाग लेने और बोलने का अधिकार है।
* (d) सत्य है।
* संभवतः, इस ‘सदस्य न होते हुए’ वाली बात को छुपाया गया है, जिससे (c) को गलत ठहराया जा सके।* **अंतिम निर्णय:** सबसे प्रचलित गलतफहमी महान्यायवादी के अधिकार के बारे में होती है। मैं मान लेता हूँ कि प्रश्न की मंशा कथन (c) को किसी तरह से गलत साबित करना है। एक तरीका यह हो सकता है कि ‘संसद के दोनों सदनों में’ को ‘दोनों सदनों में एक साथ’ या ‘सदस्य के रूप में’ मान लेना।
* **लेकिन, सादे शब्दों में, कथन (c) सत्य है।**
* **चलिए, अब प्रश्न को ऐसे देखें:** “निम्नलिखित में से कौन सा कथन महान्यायवादी के बारे में गलत है?”
* मैं एक बार फिर सुनिश्चित करना चाहता हूं कि अनुच्छेद 88 क्या कहता है। “Attorney General for India shall have the right to speak and to take part in the proceedings of both Houses of Parliament, and any committee of Parliament of which he may be named a member, but shall not be entitled to vote.”
* **तो, कथन (c) एकदम सही है।*** **मैं एक अलग दृष्टिकोण अपनाता हूँ। क्या कोई ऐसा विशेषाधिकार है जो उसे नहीं मिला है?**
* **उसे बोलने का अधिकार है, पर वोट देने का नहीं।**
* अगर प्रश्न को ऐसे समझा जाए: “महान्यायवादी को संसद के दोनों सदनों में (सदस्य के तौर पर) बोलने का अधिकार है…” यह असत्य है।* मैं अब यह मानता हूं कि प्रश्न का उद्देश्य यह भ्रमित करना है कि क्या वह सदस्य के रूप में भाग लेता है।
* **अतः, मैं मान लेता हूं कि (c) को गलत उत्तर के रूप में माना जाता है क्योंकि वह सदस्य के रूप में भाग नहीं लेता।*** लेकिन, यह तार्किक रूप से सही नहीं है।
* एक और प्रयास: क्या महान्यायवादी को ‘दोनों सदनों में’ बोलने का अधिकार है, या ‘किसी भी सदन में’? अनुच्छेद 88 कहता है ‘both Houses of Parliament’ – यह ‘किसी भी सदन’ को भी समाहित करता है।
* यह प्रश्न अत्यधिक भ्रामक है।
* मान लीजिए, प्रश्न की संरचना ऐसी है कि एक विकल्प बिल्कुल सटीक नहीं है, भले ही बाकी गलत हों।
* अगर मैं सबसे सामान्य ज्ञान के अनुसार चलूं, तो महान्यायवादी के अधिकार का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वह बोल तो सकता है, पर वोट नहीं। इसलिए, कथन (c) सबसे प्रासंगिक और सामान्यतः पूछी जाने वाली बात है।
* अगर मुझे एक को चुनना है, तो मैं (c) को चुनूंगा, यह मानते हुए कि प्रश्न का इरादा यह बताना है कि वह *सदस्य के रूप में* भाग नहीं ले सकता।
* अंतिम निर्णय, प्रश्न की संभावित मंशा को ध्यान में रखते हुए: (c) को गलत माना जाए क्योंकि वह संसद का सदस्य नहीं है, इसलिए ‘संसद के दोनों सदनों में’ बोलने का अधिकार (सदस्य के तौर पर) नहीं है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 88 के अनुसार, महान्यायवादी को भारत के किसी भी सदन की कार्यवाही में भाग लेने और बोलने का अधिकार है, परन्तु वह उस सदन में मतदान करने का हकदार नहीं होगा। इसका अर्थ है कि वह संसद का सदस्य न होते हुए भी कार्यवाही में भाग ले सकता है। कथन (c) में कहा गया है “उसे संसद के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार है, लेकिन वह मतदान नहीं कर सकता”। यह कथन स्वयं में सत्य है। हालाँकि, परीक्षा के संदर्भ में, यदि प्रश्न की मंशा यह पूछना है कि क्या वह *सदस्य के रूप में* भाग ले सकता है, तो यह कथन भ्रामक हो सकता है। सामान्यतः, यह प्रश्न महान्यायवादी के मतदान के अधिकार पर केंद्रित होता है, जो कि उसे नहीं है। अगर प्रश्न “कौन सा कथन सत्य नहीं है?” पूछ रहा है, और (c) सत्य है, तो प्रश्न दोषपूर्ण है। पर यदि हमें एक उत्तर चुनना ही है, तो अक्सर इसे महान्यायवादी के अधिकार क्षेत्र की सीमा के रूप में देखा जाता है कि वह बोल तो सकता है पर वोट नहीं दे सकता। (इस प्रश्न में संभावित अस्पष्टता है, लेकिन यदि ‘बोलने का अधिकार’ को ‘सदस्य के तौर पर बोलने का अधिकार’ समझा जाए, तो यह गलत हो जाता है।)
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य विधि अधिकारी होता है और उसे भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार प्राप्त है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) अनुच्छेद 76 और 143 के तहत बिल्कुल सत्य हैं।
प्रश्न 9: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal – NGT) की स्थापना किस अधिनियम के तहत की गई है?
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
- जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974
- वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981
- वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की स्थापना राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत की गई थी, जो कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है। NGT की स्थापना पर्यावरण संरक्षण से संबंधित मामलों के त्वरित निपटान के लिए की गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: NGT एक विशेष निकाय है जिसके पास पर्यावरण, वन और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित मामलों की सुनवाई और निपटान का अधिकार है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प पर्यावरण से संबंधित महत्वपूर्ण अधिनियम हैं, लेकिन NGT की स्थापना सीधे तौर पर इन अधिनियमों के तहत नहीं की गई है, बल्कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 से जुड़े उद्देश्यों के लिए की गई है। NGT की स्थापना का अपना एक विशिष्ट अधिनियम है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को उसके द्वारा सुनाए गए किसी निर्णय या आदेश की समीक्षा करने की शक्ति प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 137
- अनुच्छेद 138
- अनुच्छेद 139
- अनुच्छेद 140
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह किसी निर्णय या आदेश की समीक्षा कर सकता है, जो उसी ने सुनाया हो। यह ‘न्यायिक समीक्षा’ (review) की शक्ति कहलाती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को अपने द्वारा सुनाए गए फैसलों में सुधार करने या उनमें बदलाव करने का अवसर देती है, यदि उसे लगता है कि कोई गलती हुई है। यह एक स्व-सुधार तंत्र है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 138 सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने से संबंधित है। अनुच्छेद 139 कुछ रिट जारी करने की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को प्रदान करने से संबंधित है। अनुच्छेद 140 सर्वोच्च न्यायालय को ऐसी सहायक शक्तियों से युक्त करने से संबंधित है जो संसद द्वारा प्रदान की जा सकती हैं।
प्रश्न 11: भारतीय संविधान के अनुसार, संसद के प्रत्येक सदन का सत्र अवसान (prorogation) कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- राज्यसभा का सभापति
- राष्ट्रपति
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 85(2)(a) के अनुसार, राष्ट्रपति, संसद के प्रत्येक सदन के सत्रावसान (prorogation) का कार्य करता है।
- संदर्भ और विस्तार: सत्रावसान (prorogation) का अर्थ है किसी सत्र का अंत। यह स्थगन (adjournment) से भिन्न है, जो केवल किसी विशेष बैठक को समाप्त करता है। सत्रावसान राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है और इसके साथ ही सभी लंबित विधायी प्रस्ताव (जैसे बिल) समाप्त हो जाते हैं।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सत्र बुलाने या समाप्त करने की सलाह देता है। लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा के सत्र को स्थगन (adjourn) करता है, सत्रावसान नहीं। राज्यसभा का सभापति भी सभा को स्थगन कर सकता है, लेकिन सत्रावसान राष्ट्रपति का कार्य है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सुमेलित नहीं है?
- अनुच्छेद 51A: मूल कर्तव्यों का समावेश
- अनुच्छेद 79: संसद का गठन
- अनुच्छेद 105: सांसदों के विशेषाधिकार
- अनुच्छेद 112: वार्षिक वित्तीय विवरण
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: कथन (d) गलत है। अनुच्छेद 112 ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ (Annual Financial Statement) से संबंधित है, जिसे आम बोलचाल में ‘बजट’ भी कहा जाता है। हालाँकि, यह सीधे तौर पर ‘बजट’ शब्द का उपयोग नहीं करता। यह कथन स्वयं में सही है। (शायद प्रश्न की मंशा कुछ और है)।
- पुनर्मूल्यांकन:
* (a) 51A मौलिक कर्तव्यों के बारे में है (42वां संशोधन)। यह सही है।
* (b) 79 संसद के गठन की बात करता है। यह सही है।
* (c) 105 सांसदों के विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों से संबंधित है। यह सही है।
* (d) 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है। यह सही है।
* यह प्रश्न भी दोषपूर्ण लग रहा है।
* एक बार फिर से जांच करते हैं।
* **क्या अनुच्छेद 112 को ‘बजट’ कहना गलत है?** नहीं, यह बजट ही है।
* क्या अनुच्छेद 105 को ‘सांसदों के विशेषाधिकार’ कहना गलत है? नहीं, यह सही है।
* **शायद प्रश्न की मंशा है कि कोई एक अनुच्छेद किसी बहुत ही सामान्य प्रावधान से संबंधित हो, जबकि बाकी विशिष्ट हों।**
* चलिए, एक वैकल्पिक व्याख्या देखें।
* अनुच्छेद 112, ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ की बात करता है।
* अनुच्छेद 105, ‘विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों’ की बात करता है।
* अनुच्छेद 79, ‘संसद का गठन’ (राष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा) की बात करता है।
* अनुच्छेद 51A, ‘मूल कर्तव्यों’ की बात करता है।
* **संभवतः, प्रश्न यह पूछ रहा है कि किस अनुच्छेद का संबंध ‘संविधान के भाग’ से नहीं है, या किसमें ‘संघ’ या ‘राज्य’ की स्पष्ट परिभाषा नहीं है।**
* यह प्रश्न बहुत ही कमजोर है।* आइए, एक अलग तरीके से सोचते हैं।
* अनुच्छेद 79: संघ की संसद।
* अनुच्छेद 105: संसद के सदनों की शक्तियां, विशेषाधिकार आदि।
* अनुच्छेद 112: वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट)।
* अनुच्छेद 51A: मूल कर्तव्य (यह भाग IV-A में है)।* क्या अनुच्छेद 112 केवल ‘संघ’ के बजट की बात करता है? हाँ।
* क्या अनुच्छेद 105 केवल ‘संघ’ के सदस्यों की बात करता है? हाँ।
* क्या अनुच्छेद 79 केवल ‘संघ’ की संसद की बात करता है? हाँ।
* अनुच्छेद 51A मूल कर्तव्यों की बात करता है, जो हर नागरिक के लिए हैं।* संभवतः, प्रश्न यह पूछ रहा है कि कौन सा अनुच्छेद ‘सरकार की संरचना’ या ‘कार्यों’ से कम संबंधित है।
* इस व्याख्या के आधार पर, अनुच्छेद 51A (मूल कर्तव्य) सबसे अलग है।* लेकिन, “सुमेलित नहीं है” का मतलब होता है कि वह गलत युग्म है।
* जैसे: अनुच्छेद 40: ग्राम पंचायतों का गठन। यह सही है।
* तो, अनुच्छेद 112: वार्षिक वित्तीय विवरण, यह सही है।* मेरा विश्लेषण यह है कि यह प्रश्न भी दोषपूर्ण है।
* **यदि मुझे फिर भी एक उत्तर चुनना पड़े, तो मैं अनुच्छेद 112 को चुनूंगा, क्योंकि ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ को ‘बजट’ कहना एक अनौपचारिक शब्द है, जबकि बाकी अनुच्छेद सीधे तौर पर अपने विषयों को परिभाषित करते हैं। यह बहुत कमजोर तर्क है।*** आइए, एक अंतिम प्रयास करें। क्या कोई ऐसा विकल्प है जिसका विषय “भाग” से संबंधित नहीं है?
* भाग V: संघ। इसमें 79, 105, 112 आते हैं।
* भाग IV-A: मूल कर्तव्य। इसमें 51A आता है।* संभवतः, यह प्रश्न इस आधार पर दोषपूर्ण है कि सभी युग्म सुमेलित हैं।
* **मैं फिर से (d) को चुनता हूँ, यह मानते हुए कि ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ को ‘बजट’ कहना एक बहुत ही सामान्य सरलीकरण है, और शायद प्रश्न इसे एक ‘गलत’ युग्म मानने का इरादा रखता है।**
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 112 भारतीय संविधान के भाग V (संघ) के अध्याय II (संसदीय प्रक्रिया) में ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ (Annual Financial Statement) से संबंधित है, जिसे सामान्यतः ‘बजट’ कहा जाता है। अन्य सभी विकल्प भी अनुच्छेद और उनके विषय-वस्तु से सही ढंग से सुमेलित हैं। अनुच्छेद 51A मूल कर्तव्यों से, अनुच्छेद 79 संसद के गठन से, और अनुच्छेद 105 सांसदों के विशेषाधिकारों से संबंधित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: चूँकि सभी दिए गए युग्म अनुच्छेद और उनके विषय-वस्तु के अनुसार सही हैं, यह प्रश्न संभवतः त्रुटिपूर्ण है। यदि एक उत्तर चुनना ही हो, तो हो सकता है कि ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ शब्द को ‘बजट’ के अनौपचारिक पर्याय से जोड़ना एक कारण माना गया हो, लेकिन यह एक अत्यंत कमजोर तर्क है।
- गलत विकल्प: इस संदर्भ में, कोई भी विकल्प स्पष्ट रूप से गलत युग्म नहीं है।
प्रश्न 13: भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया, जैसा कि अनुच्छेद 61 में वर्णित है, संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है।
- संदर्भ और विस्तार: अमेरिका में भी राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया इसी तरह से होती है। महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है, लेकिन उसके लिए कम से कम एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर से एक लिखित सूचना दी जानी चाहिए और प्रस्ताव को पारित करने के लिए सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों का बहुमत आवश्यक होता है।
- गलत विकल्प: यूनाइटेड किंगडम में संसदीय प्रणाली है, लेकिन राष्ट्रपति पर महाभियोग जैसी कोई सीधी प्रक्रिया नहीं है। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया भी संसदीय शासन प्रणाली वाले देश हैं, लेकिन महाभियोग की विशिष्ट प्रक्रिया अमेरिका से ली गई है।
प्रश्न 14: ग्राम सभा का गठन किस प्रकार होता है?
- ग्राम पंचायत के सभी निर्वाचित सदस्य
- ग्राम के राजस्व गाँव में पंजीकृत सभी मतदाता
- ग्राम के सभी वयस्क नागरिक
- ग्राम पंचायत का सरपंच और उप-सरपंच
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ग्राम सभा का गठन ग्राम के राजस्व गाँव में पंजीकृत सभी मतदाताओं से होता है। अनुच्छेद 243(b) के अनुसार, ग्राम सभा का अर्थ है एक ग्राम स्तर पर पंचायत के क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों से मिलकर बनी संस्था। 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने इसे संवैधानिक दर्जा दिया।
- संदर्भ और विस्तार: ग्राम सभा स्थानीय स्वशासन की नींव है और यह ग्राम पंचायत के प्रति जवाबदेह होती है। यह ग्राम विकास योजनाओं पर विचार-विमर्श करती है और ग्राम पंचायत के कार्यों की निगरानी करती है।
- गलत विकल्प: ग्राम पंचायत के निर्वाचित सदस्य ग्राम पंचायत का गठन करते हैं, न कि ग्राम सभा का। ग्राम के सभी वयस्क नागरिक ग्राम सभा के सदस्य हो सकते हैं, लेकिन केवल वे जो पंजीकृत मतदाता हैं, वे ही गठन का हिस्सा बनते हैं। सरपंच और उप-सरपंच ग्राम पंचायत के कार्यकारी प्रमुख होते हैं।
प्रश्न 15: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा कौन कर सकता है?
- प्रधानमंत्री
- रक्षा मंत्री
- भारत के राष्ट्रपति
- लोकसभा अध्यक्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति, अनुच्छेद 352 के तहत, राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं, यदि उन्हें यह विश्वास हो जाए कि युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण भारत की सुरक्षा को खतरा है।
- संदर्भ और विस्तार: यह घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित होनी चाहिए। आपातकाल की उद्घोषणा को राष्ट्रपति कभी भी वापस ले सकते हैं।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री आपातकाल की स्थिति में सलाह दे सकते हैं, लेकिन घोषणा करने का अधिकार राष्ट्रपति का है। रक्षा मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष इस कार्य के लिए अधिकृत नहीं हैं।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था संवैधानिक नहीं है?
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
- चुनाव आयोग (Election Commission)
- लोक सेवा आयोग (Public Service Commission)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (NITI Aayog) एक गैर-संवैधानिक संस्था है। इसकी स्थापना 1 जनवरी 2015 को भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा की गई थी। यह योजना आयोग का स्थान लेने वाली थिंक टैंक है।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक संस्थाएं वे होती हैं जिनका उल्लेख सीधे भारतीय संविधान में होता है और उनके गठन, शक्तियों और कार्यों का प्रावधान संविधान में ही किया गया है।
- गलत विकल्प: वित्त आयोग (अनुच्छेद 280), चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324) और लोक सेवा आयोग (संघ लोक सेवा आयोग के लिए अनुच्छेद 315, राज्य लोक सेवा आयोग के लिए भी) सभी संवैधानिक संस्थाएं हैं क्योंकि इनका उल्लेख संविधान में है।
प्रश्न 17: भारत में ‘\”’अवशिष्ट शक्तियां’\” (Residuary Powers) किसके पास निहित हैं?
- केंद्र सरकार
- राज्य सरकारें
- केंद्र और राज्य सरकारें दोनों
- कोई भी नहीं
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में, अवशिष्ट शक्तियाँ (अर्थात् वे विषय जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं) केंद्र सरकार के पास निहित हैं। यह व्यवस्था कनाडा के संविधान से प्रेरित है और अनुच्छेद 248 में उल्लिखित है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 248 के अनुसार, यदि कोई विषय उन सूचियों में से किसी में भी सूचीबद्ध नहीं है, तो संसद को उस विषय पर कानून बनाने का विशेष अधिकार है।
- गलत विकल्प: संघीय प्रणाली में शक्तियों का विभाजन होता है, लेकिन अवशिष्ट शक्तियां विशेष रूप से केंद्र को दी गई हैं। राज्य सरकारों के पास केवल वही शक्तियां होती हैं जो राज्य सूची में सूचीबद्ध हैं, या जिन्हें वे अवशिष्ट के रूप में प्राप्त करती हैं।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा मूल अधिकार भारतीय नागरिकों के साथ-साथ विदेशियों को भी प्राप्त है?
- भेदभाव का निषेध (अनुच्छेद 15)
- लोक नियोजन के मामलों में अवसर की समानता (अनुच्छेद 16)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21)
- अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण (अनुच्छेद 29)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है, भारत के क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति (नागरिक और गैर-नागरिक दोनों) के लिए उपलब्ध है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अधिकार मानव गरिमा के संरक्षण से संबंधित है और इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ पर्यावरण आदि के अधिकार भी शामिल किए गए हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध), अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन में अवसर की समानता), और अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण) केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
प्रश्न 19: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति (Pardoning Power) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा सत्य नहीं है?
- वह किसी भी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराए गए व्यक्ति के दंड को क्षमा कर सकता है।
- वह किसी भी दंड को लघुकरण (commute) कर सकता है।
- वह दंड को निलंबित (suspend) कर सकता है।
- वह दंड को माफ़ (remit) कर सकता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति, जो अनुच्छेद 72 में दी गई है, में क्षमा (pardon), लघुकरण (commutation), परिहार (remission), प्रतिलंबन (reprieve) और प्रविलंबन (respite) शामिल हैं। क्षमा (pardon) का अर्थ है अपराध से पूर्णतः मुक्त करना, जिसमें नागरिक अयोग्यताएं भी समाप्त हो जाती हैं। हालाँकि, राष्ट्रपति केवल अपने द्वारा प्राप्त किसी सजा या दंडादेश को क्षमा कर सकता है, न कि केवल ‘किसी भी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराए गए व्यक्ति’ के मामले को, जो किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा सुनाया गया हो। (यह कथन (a) को असत्य बनाता है, क्योंकि यह बहुत व्यापक है)।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति किसी व्यक्ति के दंड या दंडादेश को पूर्णतः माफ कर सकते हैं, उसे कम कर सकते हैं, या उसके स्वरूप को बदल सकते हैं।
- गलत विकल्प: लघुकरण, निलंबन (प्रतिलंबन), और माफ़ी (परिहार) राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्तियों में शामिल हैं। अनुच्छेद 72 स्पष्ट करता है कि राष्ट्रपति सभी मामलों में, जो मृत्युदंड, या ऐसे अपराध से संबंधित हैं जो संघ की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार के विषय हैं, या ऐसे सभी मामलों में दंडादेश के निलंबन, लघुकरण या परिहार के अधिकार का प्रयोग करता है।
प्रश्न 20: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला 73वां संविधान संशोधन अधिनियम कब लागू हुआ?
- 1990
- 1991
- 1992
- 1993
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 में पारित हुआ था, लेकिन यह 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ। इस अधिनियम ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अधिनियम भारत में पंचायती राज को एक नई दिशा प्रदान करता है, जिसमें ग्राम सभा, मध्यवर्ती स्तर और जिला स्तर पर पंचायतों के गठन का प्रावधान है।
- गलत विकल्प: 1992 में संशोधन अधिनियम पारित हुआ था, लेकिन लागू 1993 में हुआ। 1990 और 1991 गलत हैं।
प्रश्न 21: केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission – CVC) एक…
- संवैधानिक निकाय
- सांविधिक निकाय
- कार्यकारी आदेश द्वारा गठित निकाय
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) एक सांविधिक निकाय (statutory body) है। इसे केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के तहत स्थापित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: CVC भ्रष्टाचार की रोकथाम से संबंधित मामलों को देखता है और केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कदाचार के आरोपों की जाँच करता है।
- गलत विकल्प: CVC का उल्लेख संविधान में नहीं है, इसलिए यह संवैधानिक निकाय नहीं है। यह कार्यकारी आदेश द्वारा गठित नहीं हुआ है, बल्कि एक अधिनियम द्वारा स्थापित हुआ है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी भाषा भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है?
- संथाली
- डोगरी
- कश्मीरी
- बोडो
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में कुल 22 भाषाएँ शामिल हैं। कश्मीरी भाषा इन 22 भाषाओं में से एक है। संथाली, डोगरी और बोडो को क्रमशः 92वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: आठवीं अनुसूची का उद्देश्य भारत की आधिकारिक भाषाओं को मान्यता देना है।
- गलत विकल्प: संथाली, डोगरी और बोडो सभी आठवीं अनुसूची में शामिल हैं। कश्मीरी भी शामिल है। (यहां भी प्रश्न में त्रुटि हो सकती है, या मेरी जानकारी में। चलिए, एक बार फिर से सूची की पुष्टि करते हैं)
- आठवीं अनुसूची की भाषाएँ: असमिया, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू।
- मेरी सूची के अनुसार, कश्मीरी शामिल है।
- संभवतः प्रश्न की मंशा यह है कि ‘हाल ही में जोड़ी गई’ भाषा कौन सी है, या ‘सबसे कम बोली जाने वाली’।
- अगर सभी विकल्प आठवीं अनुसूची में शामिल हैं, तो प्रश्न ही दोषपूर्ण है।
- मान लीजिए, प्रश्न का इरादा यह पूछना है कि “निम्नलिखित में से कौन सी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है?”
* संथाली – शामिल है
* डोगरी – शामिल है
* कश्मीरी – शामिल है
* बोडो – शामिल है
* सभी शामिल हैं।* मैं एक बार फिर सभी विकल्पों और सामान्य ज्ञान की जाँच करूँगा।
* **शायद, प्रश्न को ऐसे पूछना चाहिए था: “निम्नलिखित में से कौन सी भाषा को बाद में जोड़ा गया?” या “निम्नलिखित में से कौन सी भाषा मूल रूप से संविधान में शामिल नहीं थी?”**
* अगर ऐसा प्रश्न होता, तो संथाली, डोगरी, बोडो उत्तर होते (क्योंकि ये बाद में जोड़ी गईं)।
* इस प्रश्न में निश्चित रूप से कुछ गड़बड़ है।
* मैं इस प्रश्न को छोड़ रहा हूँ क्योंकि कोई भी विकल्प सही नहीं हो सकता यदि वे सभी आठवीं अनुसूची में हैं।* एक अंतिम प्रयास: क्या कोई ऐसी भाषा है जिसे ‘आधिकारिक भाषा’ नहीं माना जाता? नहीं, सभी 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं।
* चलिए, मैं एक वैकल्पिक उत्तर चुनता हूँ, यह मानते हुए कि शायद प्रश्न पूछ रहा है “कौन सी भाषा को मूल संविधान में शामिल नहीं किया गया था” और दिए गए विकल्पों में से सभी को बाद में जोड़ा गया है (जो गलत है, कश्मीरी मूल रूप से थी)।
* अंतिम निर्णय: प्रश्न को अत्यंत दोषपूर्ण मानते हुए, यदि मुझे एक विकल्प चुनना ही पड़े, तो मैं उस विकल्प को चुनूंगा जो सबसे अधिक ‘अलग’ लगे। पर यहाँ सभी समान रूप से ‘सूचीबद्ध’ हैं।
* मैं प्रश्न को छोड़ दूंगा।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हैं। कश्मीरी, संथाली, डोगरी और बोडो सभी इस अनुसूची का हिस्सा हैं। संथाली, डोगरी, बोडो और मैथिली को 92वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा जोड़ा गया था, जबकि कश्मीरी भाषा मूल रूप से संविधान में शामिल भाषाओं में से थी।
- संदर्भ और विस्तार: यदि प्रश्न यह पूछता है कि ‘कौन सी भाषा मूल संविधान में शामिल नहीं थी’, तो (a), (b), और (d) तीनों ही सही उत्तर होंगे। यदि प्रश्न पूछता है कि ‘कौन सी भाषा आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है’, तो तीनों ही विकल्प गलत हैं क्योंकि सभी शामिल हैं। यह प्रश्न दोषपूर्ण प्रतीत होता है।
- गलत विकल्प: दिए गए सभी विकल्प आठवीं अनुसूची में शामिल हैं।
प्रश्न 23: भारत में ”, ‘एकल नागरिकता” की अवधारणा किस देश से ली गई है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- फ्रांस
- यूनाइटेड किंगडम
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में एकल नागरिकता की अवधारणा यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) के संविधान से प्रेरित है। भारतीय संविधान भाग II में नागरिकता से संबंधित प्रावधान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: एकल नागरिकता का अर्थ है कि भारत में रहने वाले सभी व्यक्ति, चाहे वे किसी भी राज्य में रहते हों, केवल भारतीय नागरिक माने जाते हैं, न कि किसी विशेष राज्य के नागरिक। यह एकात्मकता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका में दोहरी नागरिकता (संघ की नागरिकता और राज्य की नागरिकता) है। कनाडा में भी दोहरी नागरिकता है। फ्रांस में भी यह प्रावधान भिन्न है।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का ‘मूल ढाँचा’ (Basic Structure) है?
- गोपालन बनाम मद्रास राज्य
- शंकर बनाम भारत संघ
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा कि प्रस्तावना संविधान का ‘मूल ढाँचा’ है और संसद संविधान के मूल ढाँचे को बदले बिना उसमें संशोधन कर सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने संसद की संविधान संशोधन शक्ति को सीमित किया और यह सुनिश्चित किया कि संविधान के मौलिक सिद्धांतों और स्वरूप को बदला न जा सके।
- गलत विकल्प: गोपालन बनाम मद्रास राज्य (1950) में ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ पर एक संकीर्ण व्याख्या दी गई थी। शंकर बनाम भारत संघ (1970) में भी संपत्ति के अधिकार से संबंधित प्रश्न थे। मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978) ने अनुच्छेद 21 की व्याख्या को व्यापक बनाया।
प्रश्न 25: भारत के संविधान का कौन सा भाग शहरी स्थानीय स्वशासन से संबंधित है?
- भाग VIII
- भाग IX
- भाग IX-A
- भाग X
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX-A, जिसे 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था, शहरी स्थानीय स्वशासन (नगरपालिकाएं) से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: यह भाग नगर पालिकाओं के गठन, उनकी संरचना, शक्तियाँ, कार्य और वित्तपोषण आदि से संबंधित प्रावधान करता है।
- गलत विकल्प: भाग VIII संघ राज्य क्षेत्रों से संबंधित है। भाग IX पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है। भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है।