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भारत के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव: 9 सितंबर की तारीख, 21 अगस्त तक नामांकन, और क्या यह पद मायने रखता है?

भारत के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव: 9 सितंबर की तारीख, 21 अगस्त तक नामांकन, और क्या यह पद मायने रखता है?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
भारत के उपराष्ट्रपति का पद, जो भारतीय गणराज्य का दूसरा सर्वोच्च पद है, एक बार फिर चर्चा में है। देश 9 सितंबर को अपने अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए तैयार है। इस महत्वपूर्ण चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने की अंतिम तिथि 21 अगस्त निर्धारित की गई है। वर्तमान उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़, ने 21 जुलाई को इस पद से अपना इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई। यह चुनाव न केवल एक नई राजनीतिक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के कामकाज और उपराष्ट्रपति की संवैधानिक भूमिका को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर भी प्रदान करता है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह घटनाक्रम भारतीय राजनीति, संविधान और चुनावी प्रक्रियाओं के गहन अध्ययन का एक महत्वपूर्ण बिंदु है।

इस विस्तृत विश्लेषण में, हम उपराष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया, आवश्यक योग्यताओं, इस पद के महत्व, और उपराष्ट्रपति के अधिकारों एवं कर्तव्यों पर गहराई से प्रकाश डालेंगे। हम यह भी देखेंगे कि यह चुनाव भारतीय राजनीतिक परिदृश्य को कैसे प्रभावित कर सकता है और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से कौन से महत्वपूर्ण पहलू हैं जिन पर ध्यान देना आवश्यक है।

उपराष्ट्रपति चुनाव: प्रक्रिया और समय-सीमा (The Vice-Presidential Election: Process and Timeline)

भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से एक विशेष निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 में वर्णित है। यह निर्वाचक मंडल संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – के सभी सदस्यों से मिलकर बनता है। इसमें मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं, जो राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते, लेकिन उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं। यह राष्ट्रपति चुनाव से एक महत्वपूर्ण अंतर है।

निर्वाचक मंडल (The Electoral College):

  • लोकसभा के सदस्य: सभी निर्वाचित और मनोनीत सदस्य।
  • राज्यसभा के सदस्य: सभी निर्वाचित और मनोनीत सदस्य।

महत्वपूर्ण बिंदु: निर्वाचक मंडल में कुल 790 सदस्य होते हैं (543 लोकसभा + 233 राज्यसभा + 12 मनोनीत राज्यसभा)।

चुनाव की घोषणा और अधिसूचना:

भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाती है। अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू होती है।

  • नामांकन की अंतिम तिथि: 21 अगस्त। इस तिथि तक उम्मीदवारों को अपने नामांकन पत्र चुनाव आयोग को जमा करने होते हैं।
  • नामांकन पत्रों की जांच: नामांकन पत्रों की जांच निर्दिष्ट तिथि को की जाती है।
  • उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि: इसके बाद उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी वापस ले सकते हैं।
  • मतदान तिथि: 9 सितंबर। यदि एक से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं, तो मतदान इसी दिन होता है।
  • मतगणना और परिणाम: मतदान के तुरंत बाद मतगणना की जाती है और परिणाम घोषित किए जाते हैं।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: यह प्रक्रिया ‘आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली’ के अनुसार संपन्न होती है। यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए एक निश्चित न्यूनतम मत (कोटा) प्राप्त करना होगा।

वर्तमान उपराष्ट्रपति का इस्तीफा (Resignation of the Current Vice-President):

श्री जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया। संविधान के अनुसार, जब उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है, तो नए उपराष्ट्रपति का चुनाव पद की रिक्ति की तारीख के छह महीने के भीतर किया जाना आवश्यक है। हालांकि, यदि रिक्ति कार्यकाल की समाप्ति के कारण होती है, तो चुनाव कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही करवा लिया जाता है। श्री धनखड़ के मामले में, उनका कार्यकाल अभी समाप्त नहीं हुआ था, और उनका इस्तीफा आगे की राजनीतिक भूमिकाओं के लिए मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से था, जिससे नए चुनाव की आवश्यकता उत्पन्न हुई।

उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्यताएं (Eligibility Criteria for the Post of Vice-President)

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 66(3) उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए निम्नलिखित योग्यताओं का निर्धारण करता है:

  • भारतीय नागरिकता: उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • आयु: उम्मीदवार की आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
  • मानसिक स्वास्थ्य: उम्मीदवार का मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है, यानी वह दिवालिया या विकृत चित्त का न हो।
  • संसदीय सदस्यता की योग्यता: उम्मीदवार को राज्यसभा का सदस्य चुने जाने के योग्य होना चाहिए। इसका अर्थ है कि उसे भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए, जब तक कि वह उस लाभ के पद के लिए अयोग्य न हो।
  • लाभ के पद का अपवाद: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संघ के मंत्री, या किसी राज्य के मंत्री लाभ के पद पर नहीं माने जाते हैं।

नामांकन के लिए अतिरिक्त आवश्यकताएं:

  • नामांकन पत्र दाखिल करने वाले उम्मीदवार का नाम निर्वाचक सूची में होना चाहिए।
  • प्रत्येक उम्मीदवार के लिए कम से कम 20 निर्वाचक प्रस्तावक (Proposers) और 20 अनुमोदक (Seconders) होने चाहिए, जो निर्वाचक मंडल के सदस्य हों।
  • जमा की जाने वाली जमानत राशि ₹15,000 है।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: यह सुनिश्चित करता है कि उम्मीदवार न केवल व्यक्तिगत रूप से योग्य हो, बल्कि उसे संसद सदस्यों का पर्याप्त समर्थन भी प्राप्त हो।

उपराष्ट्रपति के अधिकार और कर्तव्य (Rights and Duties of the Vice-President)

उपराष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान में एक अनूठी भूमिका निभाता है। यद्यपि उनके प्रत्यक्ष कार्यकारी अधिकार सीमित हैं, संवैधानिक रूप से उनके कुछ महत्वपूर्ण कर्तव्य और अधिकार हैं:

1. राज्यसभा के पदेन सभापति (Ex-officio Chairman of Rajya Sabha):

यह उपराष्ट्रपति का प्राथमिक और सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक कार्य है। संविधान के अनुच्छेद 64 के अनुसार, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।

  • सदन का संचालन: वे राज्यसभा की बैठकों की अध्यक्षता करते हैं, चर्चाओं को विनियमित करते हैं, और सदन के नियमों और प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करते हैं।
  • निर्णायक मत: यदि किसी मामले पर मतों की बराबरी होती है, तो सभापति अपना निर्णायक मत (Casting Vote) देते हैं (अनुच्छेद 100)।
  • संसदीय शिष्टाचार: वे सदन में अनुशासन और शिष्टाचार बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
  • विधेयकों पर निर्णय: किसी विधेयक के ‘धन विधेयक’ (Money Bill) होने या न होने पर उनका निर्णय अंतिम होता है (अनुच्छेद 110(3))। हालांकि, यह अधिकार लोकसभा अध्यक्ष का है, लेकिन राज्यसभा के सभापति के रूप में, वे विधेयकों के संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उपमा: राज्यसभा के सभापति के रूप में, उपराष्ट्रपति एक “रेफरी” की तरह होते हैं, जो सुनिश्चित करते हैं कि खेल (संसदीय बहस) निष्पक्ष और नियमों के अनुसार हो।

2. कार्यवाहक राष्ट्रपति (Acting President):

संविधान के अनुच्छेद 65 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति का पद मृत्यु, त्यागपत्र, या अन्य किसी कारण से रिक्त हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति उस समय तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेंगे जब तक कि नए राष्ट्रपति का चुनाव न हो जाए।

  • कार्यवाहक भूमिका: इस अवधि के दौरान, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति की सभी शक्तियों और कार्यों का प्रयोग करते हैं।
  • उपराष्ट्रपतिक पद का निलंबन: जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रहे होते हैं, तो वे राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते। ऐसे में, राज्यसभा का उपसभापति या कोई अन्य व्यक्ति जिसे राज्यसभा द्वारा अधिकृत किया गया हो, सदन की अध्यक्षता करता है।

महत्व: यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि गणराज्य में किसी भी समय एक कार्यकारी प्रमुख मौजूद हो, जिससे शासन में निरंतरता बनी रहे।

3. अन्य भूमिकाएं:

  • राष्ट्रीय महत्व के अवसरों पर प्रतिनिधित्व: उपराष्ट्रपति अक्सर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • विशिष्ट समितियों का नेतृत्व: वे विभिन्न संसदीय समितियों के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में भी भूमिका निभा सकते हैं।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: उपराष्ट्रपति की भूमिका राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में एक ‘सुरक्षा जाल’ के रूप में कार्य करती है, जो संवैधानिक ढांचे की स्थिरता को बनाए रखती है।

उपराष्ट्रपति चुनाव का महत्व (Significance of the Vice-Presidential Election)

यह चुनाव कई कारणों से महत्वपूर्ण है:

  1. संवैधानिक निरंतरता: यह सुनिश्चित करता है कि भारत गणराज्य के दूसरे सर्वोच्च पद पर एक योग्य व्यक्ति आसीन हो, जो अप्रत्याशित परिस्थितियों में राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के लिए तैयार रहे।
  2. संसदीय कामकाज: एक सक्षम राज्यसभा सभापति विधायी प्रक्रिया को सुचारू और प्रभावी बनाता है। सभापति की निष्पक्षता और कुशलता सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
  3. राजनीतिक संकेत: उपराष्ट्रपति चुनाव अक्सर सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच शक्ति संतुलन और राजनीतिक समीकरणों का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। यह आगामी संसदीय सत्रों और नीतियों पर प्रभाव डाल सकता है।
  4. संवैधानिक मूल्यों का प्रतीक: यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता और संविधान के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जहाँ पद गरिमा और जिम्मेदारी के साथ संभाले जाते हैं।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: उम्मीदवार को यह समझना चाहिए कि यह चुनाव केवल एक व्यक्ति का चयन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संवैधानिक व्यवस्था के सुचारू संचालन और राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखने में भी योगदान देता है।

चुनौतियाँ और विचारणीय बिंदु (Challenges and Points to Consider)

उपराष्ट्रपति चुनाव, यद्यपि निर्वाचक मंडल की सीमित संख्या के कारण राष्ट्रपति चुनाव की तुलना में कम जटिल लगता है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है:

  • राजनीतिक ध्रुवीकरण: यदि चुनाव में मजबूत राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता हो, तो यह संसद के दोनों सदनों में राजनीतिक तनाव को बढ़ा सकता है।
  • निर्वाचक मंडल का गठन: लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों का बहुमत जिस भी दल के पास होगा, वह उपराष्ट्रपति चुनाव में अक्सर निर्णायक साबित होता है। यह उम्मीदवार के चयन को राजनीतिक एजेंडे से जोड़ता है।
  • पद की भूमिका पर बहस: कभी-कभी उपराष्ट्रपति की भूमिका की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए जाते हैं, खासकर जब वे राष्ट्रपति के रूप में कार्य नहीं कर रहे हों। हालाँकि, राज्यसभा सभापति के रूप में उनकी भूमिका निर्विवाद रूप से महत्वपूर्ण है।
  • आम सहमति का अभाव: यदि कोई सर्वसम्मत उम्मीदवार नहीं मिल पाता है, तो यह एक प्रतिस्पर्धी चुनाव का मार्ग प्रशस्त करता है, जो कभी-कभी व्यक्तिगत हमलों का कारण भी बन सकता है।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: उम्मीदवार को यह विश्लेषण करना चाहिए कि कैसे राजनीतिक दल इस पद के लिए अपने उम्मीदवारों का चयन करते हैं और यह चयन राष्ट्रीय राजनीति को कैसे प्रभावित करता है।

भविष्य की राह (Future Way Forward)

उपराष्ट्रपति चुनाव भारतीय लोकतंत्र की एक सतत प्रक्रिया है। भविष्य में, इस पद की भूमिका को और अधिक स्पष्ट करने और संसद के उच्च सदन के कामकाज को सुगम बनाने के लिए विचार-विमर्श किया जा सकता है।

  • तकनीकी नवाचार: चुनाव प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है।
  • बहस का मंच: उपराष्ट्रपति चुनाव को राजनीतिक एजेंडा सेटिंग और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस के लिए एक मंच के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
  • संविधान के प्रति निष्ठा: यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उपराष्ट्रपति का पद किसी भी राजनीतिक दल के प्रति निष्ठा से ऊपर उठकर, संविधान के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखे।

निष्कर्ष:

9 सितंबर को होने वाला उपराष्ट्रपति चुनाव सिर्फ एक संवैधानिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह भारत के विधायी और कार्यकारी ढांचे की निरंतरता और कार्यप्रणाली का एक महत्वपूर्ण पहलू है। उपराष्ट्रपति का पद, भले ही वह कार्यकारी प्रमुख न हो, राज्यसभा के सभापति के रूप में विधायी प्रक्रिया को सुचारू रखने और अप्रत्याशित परिस्थितियों में राष्ट्र का नेतृत्व करने की क्षमता के कारण अत्यधिक महत्व रखता है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस चुनाव से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों, चुनावी प्रक्रिया, और पद की भूमिका का गहन अध्ययन भारतीय शासन प्रणाली की गहरी समझ विकसित करने के लिए आवश्यक है। यह समझना कि ‘यह पद मायने रखता है’ केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: भारत के उपराष्ट्रपति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. उनका चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के अनुसार किया जाता है।
    2. वे राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।
    3. वे राष्ट्रपति के पद पर रिक्तता की स्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं।
    4. उनके चुनाव के लिए न्यूनतम आयु 35 वर्ष है।
    उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
    (a) केवल 1, 2 और 3
    (b) केवल 2, 3 और 4
    (c) केवल 1, 3 और 4
    (d) 1, 2, 3 और 4

    उत्तर: (d)
    व्याख्या: सभी कथन सही हैं। उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल (दोनों सदनों के सदस्य) द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से होता है। वे राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं और राष्ट्रपति के पद रिक्त होने पर कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं। उनकी न्यूनतम आयु 35 वर्ष है।

  2. प्रश्न 2: भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में कौन शामिल होते हैं?
    (a) केवल निर्वाचित लोकसभा सदस्य
    (b) केवल लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
    (c) संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत)
    (d) केवल संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सभी सदस्य शामिल होते हैं, चाहे वे निर्वाचित हों या मनोनीत।

  3. प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा कथन उपराष्ट्रपति के राज्यसभा के सभापति के रूप में अधिकार से संबंधित सही है?
    (a) वे केवल निर्णायक मत दे सकते हैं।
    (b) वे किसी विधेयक को धन विधेयक घोषित कर सकते हैं।
    (c) वे सदन के नियमों और प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करते हैं।
    (d) वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करते हैं।

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं और सदन के संचालन, नियमों और प्रक्रियाओं का पालन सुनिश्चित करते हैं। किसी विधेयक को धन विधेयक घोषित करने का अधिकार लोकसभा अध्यक्ष का है। वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत नहीं, बल्कि संसद के सदस्यों के बहुमत से चुने जाते हैं। वे केवल निर्णायक मत (casting vote) देते हैं जब मतों की बराबरी हो।

  4. प्रश्न 4: उपराष्ट्रपति के पद के लिए न्यूनतम आयु सीमा क्या है?
    (a) 25 वर्ष
    (b) 30 वर्ष
    (c) 35 वर्ष
    (d) 40 वर्ष

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: भारत के संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद के लिए न्यूनतम आयु 35 वर्ष है।

  5. प्रश्न 5: जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, तो वे:
    1. राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करना जारी रखते हैं।
    2. राष्ट्रपति के रूप में सभी शक्तियों और कार्यों का प्रयोग करते हैं।
    3. राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते।
    उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
    (a) केवल 1 और 2
    (b) केवल 2 और 3
    (c) केवल 2
    (d) केवल 3

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, तो वे राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते हैं। इस अवधि में, राज्यसभा का उपसभापति या कोई अन्य व्यक्ति सदन की अध्यक्षता करता है। वे राष्ट्रपति के रूप में सभी शक्तियों और कार्यों का प्रयोग करते हैं।

  6. प्रश्न 6: भारत का उपराष्ट्रपति बनने के लिए, व्यक्ति को निम्नलिखित में से किस एक सदन का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए?
    (a) लोकसभा
    (b) राज्यसभा
    (c) राज्य विधान परिषद
    (d) उपरोक्त में से कोई नहीं

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को राज्यसभा का सदस्य चुने जाने के योग्य होना चाहिए।

  7. प्रश्न 7: उपराष्ट्रपति चुनाव में जमानत राशि कितनी है?
    (a) ₹1,000
    (b) ₹5,000
    (c) ₹10,000
    (d) ₹15,000

    उत्तर: (d)
    व्याख्या: उपराष्ट्रपति चुनाव में नामांकन के लिए ₹15,000 की जमानत राशि निर्धारित है।

  8. प्रश्न 8: निम्नलिखित में से किस संवैधानिक अनुच्छेद के तहत उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं?
    (a) अनुच्छेद 63
    (b) अनुच्छेद 64
    (c) अनुच्छेद 65
    (d) अनुच्छेद 66

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: अनुच्छेद 64 के अनुसार, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।

  9. प्रश्न 9: उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित विवादों का निपटारा किसके द्वारा किया जाता है?
    (a) भारत का सर्वोच्च न्यायालय
    (b) भारत का चुनाव आयोग
    (c) संसद का संयुक्त सत्र
    (d) राष्ट्रपति

    उत्तर: (a)
    व्याख्या: उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित सभी विवादों की जांच और निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है।

  10. प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा पद उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की अवधि से संबंधित है?
    (a) 4 वर्ष
    (b) 5 वर्ष
    (c) 6 वर्ष
    (d) राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष होता है, जब तक कि वे अपने पद से त्यागपत्र न दे दें या उन्हें पद से हटा न दिया जाए।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: भारत के उपराष्ट्रपति के पद की संवैधानिक स्थिति का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। राष्ट्रपति चुनाव से उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया में भिन्नताओं पर प्रकाश डालें और राज्यसभा के सभापति के रूप में उनके महत्व की व्याख्या करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न 2: भारतीय संसदीय प्रणाली में उपराष्ट्रपति की भूमिका केवल ‘अतिरिक्त’ या ‘आरक्षित’ पद की नहीं है, बल्कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस कथन के आलोक में, कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में उपराष्ट्रपति की भूमिका और राज्यसभा के सभापति के रूप में उनके अधिकार एवं उत्तरदायित्वों का विश्लेषण करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  3. प्रश्न 3: हालिया उपराष्ट्रपति चुनाव के संदर्भ में, भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव प्रणाली की प्रमुख विशेषताओं, योग्यताओं और चुनौतियों की विवेचना करें। यह चुनाव भारतीय राजनीति को कैसे प्रभावित करता है? (200 शब्द, 10 अंक)
  4. प्रश्न 4: “उपराष्ट्रपति का पद भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो विधायी कामकाज में संतुलन और कार्यकारी निरंतरता सुनिश्चित करता है।” इस कथन पर टिप्पणी करें और राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति की शक्ति और सीमाओं की चर्चा करें। (150 शब्द, 10 अंक)

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