संविधान के पारखी: आपकी दैनिक परीक्षा
स्वागत है, भविष्य के प्रशासकों! भारतीय लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने और अपने संवैधानिक ज्ञान को धार देने का समय आ गया है। आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में, हम भारतीय राजव्यवस्था और संविधान के 25 गहन प्रश्नों के माध्यम से आपकी अवधारणात्मक स्पष्टता को परखेंगे। आइए, अपनी तैयारी की दिशा को सुनिश्चित करें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था। इस संशोधन को ‘मिनी-कॉन्स्टीट्यूशन’ भी कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान का एक परिचय है और उसके उद्देश्यों तथा आदर्शों को दर्शाती है। यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान हुआ था।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दल-बदल विरोधी प्रावधान जोड़े। 73वें संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
- किसी भी अपराध के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण (अनुच्छेद 20)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, 16, 19, 29, और 30 केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी नागरिक के विरुद्ध विभेद का प्रतिषेध करता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण), और अनुच्छेद 22 (गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 20, और 21 भारतीय नागरिकों और विदेशियों दोनों को प्राप्त हैं, इसलिए वे इस प्रश्न के सही उत्तर नहीं हैं।
प्रश्न 3: राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा पद से हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 61
- अनुच्छेद 56
- अनुच्छेद 57
- अनुच्छेद 62
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 61 राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया का वर्णन करता है। यह एक अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया है जिसे संसद के किसी भी सदन द्वारा शुरू किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: महाभियोग का आधार ‘संविधान का उल्लंघन’ है। आरोप पत्र पर सदन के एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए और इसे पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 56 राष्ट्रपति के कार्यकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 57 राष्ट्रपति के पुनर्निर्वाचन की योग्यता से संबंधित है। अनुच्छेद 62 राष्ट्रपति के पद में रिक्ति को भरने के लिए चुनाव की अवधि से संबंधित है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कथन राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) के संबंध में सही नहीं है?
- ये सरकार के लिए निर्देशात्मक हैं, लेकिन न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं।
- ये संविधान के भाग IV में वर्णित हैं।
- ये मौलिक अधिकारों पर वरीयता रखते हैं।
- ये सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना चाहते हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: DPSP सरकार के लिए निर्देशात्मक हैं और न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37)। वे भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं। वे सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना का लक्ष्य रखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकार (भाग III) न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय हैं, जबकि DPSP नहीं। हालांकि, संविधान में संशोधन करके DPSP को प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है, जैसे 42वें संशोधन द्वारा अनुच्छेद 39(ख) और (ग) को अनुच्छेद 14, 19 और 31 पर वरीयता दी गई। लेकिन सामान्यतः, मौलिक अधिकार वरीयता रखते हैं, न कि DPSP।
- गलत विकल्प: कथन (c) गलत है क्योंकि मौलिक अधिकार आमतौर पर DPSP पर वरीयता रखते हैं, विशेषकर मिर्वा मिल्स मामले (1980) के बाद, जिसने मौलिक अधिकारों और DPSP के बीच संतुलन पर जोर दिया।
प्रश्न 5: भारतीय संसद का सत्र आहूत करने की शक्ति किसके पास है?
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- राज्यसभा के सभापति
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 85(1) के अनुसार, राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर आहूत करेगा जैसा वह उचित समझे, परन्तु उसके सत्र की अंतिम बैठक और उसकी अगली सत्र की प्रथम बैठक के बीच छह माह के अंतर से अधिक नहीं होना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: सत्र आहूत करने का अर्थ है सत्र का आरंभ करना। राष्ट्रपति सत्र का सत्रावसान भी कर सकता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सत्र के एजेंडे को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन औपचारिक रूप से सत्र आहूत राष्ट्रपति करता है। लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति सदन के पीठासीन अधिकारी होते हैं, न कि सत्र आहूत करने वाले।
प्रश्न 6: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया का उल्लेख किस विधि में किया गया है, न कि संविधान में?
- लोकसभा और राज्यसभा में पारित प्रस्ताव
- राष्ट्रपति का आदेश
- प्रधानमंत्री की सिफारिश
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को दुर्व्यवहार या असमर्थता के आधार पर हटाया जा सकता है। यह प्रक्रिया अनुच्छेद 124(4) में उल्लिखित है, जो कहता है कि न्यायाधीश को साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर संसद के प्रत्येक सदन द्वारा, उस सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा और सदन की उपस्थित तथा मत देने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों द्वारा समर्थित समावेदन पर राष्ट्रपति द्वारा आदेश द्वारा हटाया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया राष्ट्रपति द्वारा महाभियोग के समान है। न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया को ‘संसदीय जांच अधिनियम, 1968’ द्वारा विनियमित किया जाता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति का आदेश अनुच्छेद 124(4) का परिणाम है, न कि कारण। प्रधानमंत्री की सिफारिश या CAG की रिपोर्ट सीधे तौर पर हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख नहीं करती है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से किस अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के संबंध में विशेष प्रावधान हैं?
- छठी अनुसूची
- पांचवी अनुसूची
- सातवीं अनुसूची
- आठवीं अनुसूची
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान की छठी अनुसूची (अनुच्छेद 244(2) और 275(1)) असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में विशेष प्रावधान करती है।
- संदर्भ और विस्तार: इन राज्यों में स्वायत्त जिलों और स्वायत्त क्षेत्रों की स्थापना की जाती है, जिनके पास विधायी और कार्यकारी शक्तियाँ होती हैं।
- गलत विकल्प: पांचवी अनुसूची में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में प्रावधान हैं, लेकिन यह पूर्वोत्तर के चार राज्यों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों पर लागू होती है। सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन करती है। आठवीं अनुसूची भाषाओं से संबंधित है।
प्रश्न 8: भारत में ‘अर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली’ (Semi-Presidential System) का क्या अर्थ है?
- एक राष्ट्रपति जो राष्ट्र का मुखिया होता है और एक प्रधानमंत्री जो सरकार का मुखिया होता है।
- एक राष्ट्रपति जो सरकार का मुखिया होता है और एक प्रधानमंत्री जो राष्ट्र का मुखिया होता है।
- एक राष्ट्रपति जो केवल औपचारिक भूमिका निभाता है।
- एक प्रधानमंत्री जो सभी कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ राष्ट्रपति (जो राष्ट्र का मुखिया होता है) और प्रधानमंत्री (जो सरकार का मुखिया होता है) दोनों के पास कार्यकारी शक्तियाँ होती हैं। भारत में, हालांकि हम एक संसदीय प्रणाली हैं, कुछ विद्वान राष्ट्रपति की स्थिति और उनके द्वारा प्रयोग की जाने वाली कुछ शक्तियों के कारण इसे अर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली की ओर झुकाव वाला मानते हैं, लेकिन यह पूर्णतः सही नहीं है। हमारी प्रणाली मूलतः संसदीय है।
- संदर्भ और विस्तार: फ्रांस में एक प्रसिद्ध अर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली है। भारत में, राष्ट्रपति औपचारिक रूप से राष्ट्र का मुखिया है, और प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी है, लेकिन कुछ परिस्थितियों में राष्ट्रपति को महत्वपूर्ण विवेकाधिकार प्राप्त होते हैं।
- गलत विकल्प: (b) और (d) गलत हैं क्योंकि ये हमारी प्रणाली की वास्तविकता को विकृत करते हैं। (c) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति के पास महत्वपूर्ण औपचारिक और कुछ विवेकाधीन शक्तियाँ हैं।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से किस अधिकार का संबंध ‘समान नागरिक संहिता’ से है?
- अनुच्छेद 44
- अनुच्छेद 45
- अनुच्छेद 40
- अनुच्छेद 42
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 44 राज्य को निर्देश देता है कि वह भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करे। यह राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का हिस्सा है।
- संदर्भ और विस्तार: समान नागरिक संहिता का उद्देश्य व्यक्तिगत कानूनों (जैसे विवाह, तलाक, विरासत) में धर्म, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त करना है। यह भारत में एक लंबे समय से चली आ रही बहस का विषय है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 45 प्रारंभिक शिक्षा और बालकों की देखभाल से संबंधित है। अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों के गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 42 काम की न्यायसंगत और मानवीय दशाओं तथा मातृत्व सहायता के प्रावधान से संबंधित है।
प्रश्न 10: कौन सा संवैधानिक निकाय संसद के विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों के निर्धारण के लिए उत्तरदायी है?
- अधिकारों का कोई विशेष निकाय नहीं, यह संसद के नियमों और परंपराओं द्वारा तय होता है।
- वित्त आयोग
- संघ लोक सेवा आयोग
- चुनाव आयोग
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 105 में संसद और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों का उल्लेख है। हालांकि, ये विशेषाधिकार पूर्णतः परिभाषित नहीं हैं। संसद अपने विशेषाधिकारों को परिभाषित करने और सुरक्षित रखने के लिए अपनी प्रक्रिया के नियम और परंपराएं बनाती है।
- संदर्भ और विस्तार: ये विशेषाधिकार संसद की गरिमा, स्वतंत्रता और कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। संसद को संविधान के अनुच्छेद 105(3) के तहत अपने विशेषाधिकारों को परिभाषित करने का अधिकार है, जैसा कि वे ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स के पास उनके संविधान के अधिनियमन के समय थे।
- गलत विकल्प: वित्त आयोग, संघ लोक सेवा आयोग और चुनाव आयोग क्रमशः वित्तीय मामलों, भर्ती और चुनावों से संबंधित निकाय हैं, न कि संसद के विशेषाधिकारों से।
प्रश्न 11: किस मामले में उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का एक अभिन्न अंग है?
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
- शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ
- बेरुबारी यूनियन मामला
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, उच्चतम न्यायालय की एक पूर्ण पीठ ने ऐतिहासिक निर्णय दिया कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का एक अभिन्न अंग है।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने प्रस्तावना में संशोधन की शक्ति को स्वीकार किया, लेकिन यह भी कहा कि इसके मूल ढांचे (Basic Structure) को नहीं बदला जा सकता। यह निर्णय मौलिक अधिकारों और DPSP के बीच सामंजस्य स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण था।
- गलत विकल्प: बेरुबारी यूनियन मामले (1960) में, न्यायालय ने कहा था कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा नहीं है। गोलकनाथ मामले (1967) ने मौलिक अधिकारों में संशोधन की संसद की शक्ति को सीमित किया। शंकरी प्रसाद मामले (1951) में, न्यायालय ने माना कि संसद के पास मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग को संशोधित करने की शक्ति है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?
- नीति आयोग
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान) का गठन 1 जनवरी 2015 को एक कार्यकारी आदेश द्वारा किया गया था। यह एक गैर-संवैधानिक निकाय है।
- संदर्भ और विस्तार: यह योजना आयोग का स्थान लेगा। इसका उद्देश्य सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना और देश की विकासात्मक नीतियों में राज्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है।
- गलत विकल्प: CAG का उल्लेख अनुच्छेद 148 में है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक वैधानिक निकाय है जिसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत हुआ है। UPSC का उल्लेख अनुच्छेद 315 में है। ये सभी किसी न किसी रूप में संवैधानिक या वैधानिक रूप से स्थापित हैं।
प्रश्न 13: राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग लेता है?
- संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य
- संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य
- राज्यों की विधानसभाओं के सभी सदस्य
- राज्यों की विधान परिषदों के सभी सदस्य
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 54 के अनुसार, राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा गठित एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें संसद के मनोनीत सदस्य और राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य भाग नहीं लेते। दिल्ली और पुडुचेरी के विधानसभा सदस्य भी अब राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेते हैं (70वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992)।
- गलत विकल्प: (b) गलत है क्योंकि मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते। (c) गलत है क्योंकि इसमें राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य शामिल नहीं हैं। (d) गलत है क्योंकि केवल विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।
प्रश्न 14: ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) का क्या अर्थ है?
- न्यायालय द्वारा किसी विशेष सार्वजनिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाना।
- संसद द्वारा पारित कानूनों की व्याख्या करना।
- कार्यपालिका की नियुक्तियों की समीक्षा करना।
- सभी न्यायिक मामलों का त्वरित निपटारा करना।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक सक्रियता वह सिद्धांत है जिसमें न्यायपालिका, सार्वजनिक हितों की रक्षा या सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए, अपनी पारंपरिक भूमिका से आगे बढ़कर कार्यपालिका और विधायिका पर दबाव बनाती है या उन्हें सीधे निर्देश देती है। यह अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालयों की रिट अधिकारिता) के तहत संभव होता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य शासन में जवाबदेही सुनिश्चित करना और कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना है।
- गलत विकल्प: (b) और (c) न्यायपालिका की सामान्य भूमिकाओं का वर्णन करते हैं, लेकिन ‘सक्रियता’ का विशेष अर्थ नहीं बताते। (d) त्वरित निपटारे का लक्ष्य है, लेकिन सक्रियता का मुख्य बिंदु नहीं।
प्रश्न 15: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा निम्नलिखित में से किस संशोधन द्वारा प्रदान किया गया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संविधान की भाग IX (अनुच्छेद 243 से 243-O) में एक नया भाग जोड़कर संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और 11वीं अनुसूची जोड़ी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज को स्थानीय स्वशासन की एक इकाई के रूप में स्थापित किया, जिसमें ग्राम सभा, ग्राम पंचायत, मध्यवर्ती पंचायत और जिला पंचायत जैसी संरचनाएं शामिल हैं।
- गलत विकल्प: 74वें संशोधन ने शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा दिया। 64वें और 65वें संशोधन प्रस्तावों को पारित होने से पहले ही समाप्त कर दिया गया था।
प्रश्न 16: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- इसे केवल युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर घोषित किया जा सकता है।
- इसे सशस्त्र विद्रोह के आधार पर घोषित किया जा सकता है।
- यह छह महीने तक लागू रह सकता है, भले ही अनुमोदन न मिले।
- इसे लोकसभा द्वारा समाप्त करने का प्रस्ताव पारित करने से निलंबित किया जा सकता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मूल रूप से, राष्ट्रीय आपातकाल को युद्ध, बाहरी आक्रमण या ‘आंतरिक अशांति’ के आधार पर घोषित किया जा सकता था। 44वें संशोधन (1978) द्वारा ‘आंतरिक अशांति’ को ‘सशस्त्र विद्रोह’ से बदल दिया गया। इसलिए, विकल्प (a) मूल आधारों का उल्लेख करता है। विकल्प (b) भी सही है क्योंकि सशस्त्र विद्रोह भी एक आधार है। हालांकि, प्रश्न ‘सही है?’ पूछ रहा है और (a) भी एक आधार है। सबसे सटीक विकल्प (b) होगा यदि केवल एक चुनना हो, लेकिन (a) भी ऐतिहासिक रूप से और वर्तमान में भी मान्य है। (44वें संशोधन से पहले ‘आंतरिक अशांति’ आधार था, जिसे अब ‘सशस्त्र विद्रोह’ से बदल दिया गया है)। दिए गए विकल्पों में, (a) और (b) दोनों वर्तमान या ऐतिहासिक रूप से सही आधार बताते हैं। लेकिन यदि हम ‘आधार’ के रूप में देखें तो दोनों सही हैं। पर सामान्यतः, जब ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ की बात होती है तो युद्ध/आक्रमण प्रमुख होते हैं। 44वें संशोधन ने ‘आंतरिक अशांति’ को ‘सशस्त्र विद्रोह’ से बदल दिया, इसलिए (b) भी वर्तमान में सही है। लेकिन यदि प्रश्न का इरादा व्यापक आधारों को पूछना है, तो हमें दोनों पर विचार करना होगा। यहाँ, एक ही सही उत्तर होना चाहिए। आइए दोनों की व्याख्या करें।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति द्वारा घोषित आपातकाल को एक महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों का अनुमोदन प्राप्त होना चाहिए। अनुमोदन के बिना यह छह महीने से अधिक लागू नहीं रह सकता। आपातकाल को राष्ट्रपति किसी भी समय वापस ले सकते हैं, या लोकसभा द्वारा प्रस्ताव पारित करके इसे समाप्त किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: (c) गलत है क्योंकि बिना अनुमोदन के यह एक महीने से अधिक लागू नहीं रह सकता। (d) गलत है क्योंकि लोकसभा का प्रस्ताव आपातकाल को समाप्त करता है, निलंबित नहीं। 44वें संशोधन के बाद, केवल लोकसभा के साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित कर इसे समाप्त किया जा सकता है।
पुनः मूल्यांकन: प्रश्न 16 में, विकल्प (a) और (b) दोनों ही राष्ट्रीय आपातकाल के कारण हो सकते हैं (44वें संशोधन के बाद ‘सशस्त्र विद्रोह’ शब्द जोड़ा गया)। लेकिन यदि हम प्रश्न की भाषा पर ध्यान दें, तो ‘केवल’ शब्द (a) को गलत कर देता है क्योंकि अब ‘सशस्त्र विद्रोह’ भी एक कारण है। इसलिए, (b) अधिक सटीक है। हालांकि, अक्सर प्रश्न बनाते समय ऐतिहासिक संदर्भ को भी ध्यान में रखा जाता है। मान लेते हैं प्रश्न का आशय वर्तमान स्थिति से है।
सुधारित उत्तर: (b)**
सुधारित विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के अनुसार, राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है, यदि भारत की सुरक्षा को युद्ध, बाहरी आक्रमण या ‘सशस्त्र विद्रोह’ के कारण खतरा हो। 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 ने ‘आंतरिक अशांति’ शब्द को ‘सशस्त्र विद्रोह’ से प्रतिस्थापित किया। इसलिए, केवल युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर (विकल्प a) कहना अपूर्ण है, क्योंकि सशस्त्र विद्रोह भी एक आधार है।
- संदर्भ और विस्तार: आपातकाल की घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए, अन्यथा यह लागू नहीं रहेगा। एक बार अनुमोदित होने पर, यह छह महीने तक लागू रहता है, जिसे पुनः अनुमोदन द्वारा बढ़ाया जा सकता है। आपातकाल को राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय वापस लिया जा सकता है, या यदि लोकसभा साधारण बहुमत से एक प्रस्ताव पारित कर दे तो इसे समाप्त किया जा सकता है (44वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया)।
- गलत विकल्प: (c) गलत है क्योंकि अनुमोदन आवश्यक है और बिना अनुमोदन के यह एक महीने से अधिक लागू नहीं रह सकता। (d) गलत है क्योंकि लोकसभा का प्रस्ताव आपातकाल को समाप्त करता है, न कि निलंबित।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘राज्यों के पुनर्गठन’ की सिफारिश कर सकती है?
- वित्त आयोग
- चुनाव आयोग
- राज्य पुनर्गठन आयोग
- राष्ट्रीय विकास परिषद
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य पुनर्गठन आयोग, जिसे साइमन आयोग (1927) और फजल अली आयोग (1953) के रूप में भी जाना जाता है, राज्यों के पुनर्गठन के लिए स्थापित किए गए थे। फजल अली आयोग की सिफारिशों पर ही राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 पारित हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: राज्य पुनर्गठन आयोगों का मुख्य कार्य भाषा और सांस्कृतिक कारकों के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की सिफारिश करना था।
- गलत विकल्प: वित्त आयोग वित्तीय वितरण से संबंधित है। चुनाव आयोग चुनावों के संचालन से संबंधित है। राष्ट्रीय विकास परिषद पंचवर्षीय योजनाओं को मंजूरी देती है, न कि सीधे तौर पर राज्यों के पुनर्गठन की सिफारिश करती है।
प्रश्न 18: लोकपाल की नियुक्ति कौन करता है?
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय
- लोकसभा अध्यक्ष
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोकपाल एक वैधानिक निकाय है जिसका गठन लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत हुआ है। राष्ट्रपति, एक चयनित समिति की सिफारिशों के आधार पर, लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करता है।
- संदर्भ और विस्तार: चयनित समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, भारत के मुख्य न्यायाधीश (या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश), लोकसभा में विपक्ष का नेता, और एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा अध्यक्ष समिति का हिस्सा हैं, लेकिन अंतिम नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
- अनुच्छेद 280 – वित्त आयोग
- अनुच्छेद 324 – लोक सेवा आयोग
- अनुच्छेद 315 – संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग
- अनुच्छेद 263 – अंतर-राज्यीय परिषद
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 280 वित्त आयोग से संबंधित है, अनुच्छेद 315 संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग (UPSC/State PSC) से संबंधित है, और अनुच्छेद 263 अंतर-राज्यीय परिषद से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: ये सभी संवैधानिक निकाय हैं और उनके संबंधित अनुच्छेद सही हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 324 भारत के चुनाव आयोग (Election Commission of India) से संबंधित है, न कि लोक सेवा आयोग (Public Service Commission) से। लोक सेवा आयोग का अनुच्छेद 315 में उल्लेख है।
प्रश्न 20: ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) की नियुक्ति और कार्य का उल्लेख संविधान के किस भाग में है?
- भाग V
- भाग VI
- भाग X
- भाग XII
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) का पद और उसके कार्यों का उल्लेख संविधान के भाग V (संघ) के अध्याय V (भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) में, विशेष रूप से अनुच्छेद 148 से 151 तक में किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के लोक वित्त का संरक्षक है और उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वह केंद्र और राज्यों के खातों का लेखा-जोखा रखता है और संसद के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
- गलत विकल्प: भाग VI राज्यों से संबंधित है, भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से, और भाग XII वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद से संबंधित है, लेकिन CAG का मुख्य प्रावधान भाग V में है।
प्रश्न 21: किस संशोधन द्वारा लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण की अवधि दस वर्ष और बढ़ाई गई?
- 104वां संशोधन अधिनियम, 2019
- 101वां संशोधन अधिनियम, 2016
- 93वां संशोधन अधिनियम, 2005
- 97वां संशोधन अधिनियम, 2011
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 104वें संशोधन अधिनियम, 2019 ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए सीटों के आरक्षण की अवधि को 25 जनवरी, 2030 तक दस साल और बढ़ा दिया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने आंग्ल-भारतीय समुदाय के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में मनोनयन के प्रावधान को भी समाप्त कर दिया।
- गलत विकल्प: 101वां संशोधन GST से संबंधित था। 93वां संशोधन निजी शिक्षण संस्थानों में SC/ST के लिए आरक्षण से संबंधित था। 97वां संशोधन सहकारी समितियों से संबंधित था।
प्रश्न 22: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के संबंध में कौन सा कथन सत्य है?
- वह भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
- वह संसद की किसी भी कार्यवाही में भाग ले सकता है।
- वह केवल उसी न्यायालय में सुनवाई कर सकता है जिसमें उसे नियुक्त किया गया है।
- उसकी नियुक्ति केवल राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी (अनुच्छेद 76) भारत सरकार का सर्वोच्च विधि अधिकारी होता है और सरकार को कानूनी सलाह देता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 88 के अनुसार, वह संसद के किसी भी सदन की बैठक में भाग ले सकता है, बोल सकता है, लेकिन मत नहीं दे सकता। वह सभी भारतीय न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है। उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- गलत विकल्प: (b) सत्य है, लेकिन प्रश्न ‘कौन सा कथन सत्य है?’ पूछ रहा है और (a) भी सत्य है। यह एक अस्पष्ट प्रश्न हो सकता है यदि दो सही उत्तर हों। सामान्यतः, ‘मुख्य कानूनी सलाहकार’ उसकी प्राथमिक भूमिका है। (c) गलत है क्योंकि वह सभी न्यायालयों में सुनवाई कर सकता है। (d) उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है, यह सत्य है, लेकिन (a) उसकी मूलभूत भूमिका बताता है। इस प्रकार के प्रश्नों में, अक्सर प्राथमिक भूमिका को अधिक महत्व दिया जाता है। पुनः मूल्यांकन।
पुनः मूल्यांकन: प्रश्न 22 में, (a) और (b) दोनों सत्य हैं। लेकिन (a) महान्यायवादी की ‘भूमिका’ को परिभाषित करता है, जबकि (b) उसकी ‘कार्यवाही’ का अधिकार बताता है। यदि एक ही चुनना हो, तो (a) अधिक केंद्रीय है। प्रश्न की भाषा को ध्यान में रखते हुए, (a) महान्यायवादी की पहचान बताता है।
सुधारित उत्तर: (a)**
सुधारित विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76 महान्यायवादी (Attorney General for India) का पद प्रदान करता है। वह भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है, जो सरकार को कानूनी मामले पर सलाह देता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 88 महान्यायवादी को संसद के दोनों सदनों में बोलने और कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार देता है, हालांकि वह मत नहीं दे सकता। वह भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखता है। उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- गलत विकल्प: (c) गलत है क्योंकि वह सभी भारतीय न्यायालयों में सुनवाई कर सकता है। (d) यह सत्य है कि नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं, लेकिन (a) महान्यायवादी की परिभाषित भूमिका है, जो अधिक मौलिक है। (b) भी सत्य है, लेकिन (a) उसकी प्राथमिक उपाधि और कार्य को दर्शाता है।
प्रश्न 23: भारत में ‘राष्ट्रीय एकता परिषद’ (National Integration Council) का अध्यक्ष कौन होता है?
- प्रधानमंत्री
- राष्ट्रपति
- गृह मंत्री
- रक्षा मंत्री
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय एकता परिषद का गठन 1961 में किया गया था, और इसके पदेन अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं। यह एक सलाहकार निकाय है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य सांप्रदायिकता, जातिवाद और क्षेत्रवाद जैसी राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने वाली ताकतों का मुकाबला करने के उपायों पर विचार-विमर्श करना है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति, गृह मंत्री या रक्षा मंत्री इस परिषद के पदेन अध्यक्ष नहीं होते हैं।
प्रश्न 24: ‘अस्पृश्यता’ का अंत किस अनुच्छेद द्वारा किया गया है?
- अनुच्छेद 17
- अनुच्छेद 18
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का उन्मूलन करता है और किसी भी रूप में इसके आचरण को निषिद्ध करता है। इसका उल्लंघन विधि द्वारा दंडनीय होगा।
- संदर्भ और विस्तार: अस्पृश्यता से उपजी किसी भी अक्षमता को लागू करना भी अपराध है। यह मौलिक अधिकारों के तहत आता है और केवल नागरिकों को ही नहीं, बल्कि सभी व्यक्तियों को प्राप्त है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 18 उपाधियों के अंत से संबंधित है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के मामलों में अवसर की समानता प्रदान करता है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सी संवैधानिक संशोधन प्रक्रिया, अन्य से भिन्न है?
- अनुच्छेद 368(2) के तहत राज्यों के अनुसमर्थन की आवश्यकता वाली प्रक्रिया।
- अनुच्छेद 368(2) के तहत केवल संसद के साधारण बहुमत से होने वाली प्रक्रिया।
- अनुच्छेद 368(2) के तहत संसद के विशेष बहुमत से होने वाली प्रक्रिया।
- अनुच्छेद 368(2) के तहत संसद के विशेष बहुमत और आधे राज्यों के अनुसमर्थन से होने वाली प्रक्रिया।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 368(2) के अनुसार, संविधान के कुछ उपबंधों को संशोधित करने के लिए संसद के विशेष बहुमत (उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई) और आधे से अधिक राज्यों के विधानमंडलों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होती है। कुछ अन्य उपबंधों को केवल संसद के विशेष बहुमत से संशोधित किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: साधारण बहुमत (विकल्प b) का प्रयोग अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन के लिए नहीं किया जाता, बल्कि सामान्य विधायी कार्यों के लिए किया जाता है। इसलिए, यह प्रक्रिया संविधान संशोधन की प्रक्रिया से भिन्न है।
- गलत विकल्प: (a) यह सही है कि राज्यों के अनुसमर्थन की आवश्यकता होती है। (c) यह विशेष बहुमत से होने वाली प्रक्रिया है। (d) यह विशेष बहुमत और आधे राज्यों के अनुसमर्थन वाली प्रक्रिया का एक उदाहरण है। ये सभी अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन की विधियाँ हैं, जबकि (b) नहीं है।