दैनिक संविधान डोज: अपनी तैयारी परखें
हमारे लोकतंत्र की नींव को गहराई से समझना, हर सिविल सेवक के लिए अनिवार्य है। आज, हम भारतीय राजव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर आधारित 25 प्रश्नों के साथ आपकी वैचारिक स्पष्टता को चुनौती देने के लिए तैयार हैं। आइए, अपनी तैयारी को परखें और संवैधानिक ज्ञान के शिखर पर एक कदम और आगे बढ़ें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान के किस भाग में ‘गणराज्य’ शब्द का प्रयोग किया गया है?
- प्रस्तावना
- भाग I
- भाग III
- भाग IV
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का प्रयोग भारतीय संविधान की प्रस्तावना में किया गया है, जो यह बताता है कि राज्य का मुखिया वंशानुगत राजा न होकर जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाएगा।
- संदर्भ एवं विस्तार: प्रस्तावना संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह उसके मूल आदर्शों को दर्शाती है। ‘संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ भारत के स्वरूप को परिभाषित करते हैं।
- गलत विकल्प: भाग I संघ और उसके राज्य क्षेत्र से संबंधित है, भाग III मौलिक अधिकारों से और भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों से। इनमें प्रत्यक्ष रूप से ‘गणराज्य’ शब्द का उल्लेख उस संदर्भ में नहीं है जैसा प्रस्तावना में है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी रिट, किसी लोक प्राधिकारी को उसका कर्तव्य निभाने के लिए जारी की जाती है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- प्रतिषेध (Prohibition)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: परमादेश (Mandamus) का शाब्दिक अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह रिट किसी उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण या किसी लोक प्राधिकारी को उसका सार्वजनिक या कानूनी कर्तव्य करने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है। यह शक्ति संविधान के अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत प्राप्त है।
- संदर्भ एवं विस्तार: परमादेश केवल उन सार्वजनिक कर्तव्यों पर जारी किया जा सकता है जो कानूनी रूप से बाध्यकारी हों। यह किसी निजी व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती।
- गलत विकल्प: बंदी प्रत्यक्षीकरण किसी अवैध रूप से निरुद्ध व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए है। उत्प्रेषण किसी अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर पारित आदेश को रद्द करने के लिए है। प्रतिषेध किसी अधीनस्थ न्यायालय को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 3: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- संसदीय समिति
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है। इस समिति में प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), गृह मंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, लोकसभा में विपक्ष के नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं। (मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993)
- संदर्भ एवं विस्तार: यह एक वैधानिक निकाय है जिसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था। इसका उद्देश्य मानवाधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देना है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति नियुक्ति तो करते हैं, लेकिन चयन समिति की सिफारिश पर। भारत के मुख्य न्यायाधीश सीधे तौर पर नियुक्ति में शामिल नहीं होते, बल्कि वे चयन समिति का हिस्सा हो सकते हैं (यदि वे लोकसभा/राज्यसभा विपक्ष के नेता हों)। संसदीय समिति का कोई प्रावधान नहीं है।
प्रश्न 4: भारत के उपराष्ट्रपति को हटाने के प्रस्ताव पर विचार किस सदन में किया जा सकता है?
- केवल लोकसभा
- केवल राज्यसभा
- दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में
- दोनों सदनों में से किसी भी सदन में
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 के अनुसार, उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने का संकल्प केवल राज्यसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है। इस संकल्प को पारित करने के लिए उस सदन के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत की आवश्यकता होती है, और तत्पश्चात लोकसभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत द्वारा समर्थित होना चाहिए।
- संदर्भ एवं विस्तार: उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है, इसलिए उसे हटाने का प्रस्ताव पहले उसी सदन में आता है। हालांकि, इसे अंतिम रूप से पारित करने के लिए लोकसभा का समर्थन भी आवश्यक है।
- गलत विकल्प: उपराष्ट्रपति पद राज्यसभा से जुड़ा होने के कारण प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही आता है, लोकसभा में नहीं। संयुक्त बैठक या दोनों सदनों में किसी में भी इसका प्रावधान नहीं है।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: अनुच्छेद 15, 16, 19, 29 और 30 में उल्लिखित अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं। अनुच्छेद 15 विशेष रूप से धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव का प्रतिषेध करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: ये अधिकार भारतीय नागरिकता की विशिष्टता को दर्शाते हैं, जैसे कि सार्वजनिक रोजगार के मामले में अवसर की समानता (अनुच्छेद 16), वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19), अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार (अनुच्छेद 29, 30)।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता), अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) ये सभी अधिकार भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों, चाहे वे नागरिक हों या विदेशी, को प्राप्त हैं।
प्रश्न 6: किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा ‘मूल कतव्यों’ को भारतीय संविधान में जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान के भाग IV-क के अंतर्गत अनुच्छेद 51-क को जोड़ा गया, जिसमें नागरिकों के दस मूल कर्तव्यों का उल्लेख है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह संशोधन स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर किया गया था। बाद में 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा एक और मूल कर्तव्य जोड़ा गया, जिससे इनकी संख्या 11 हो गई।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाने से संबंधित है। 52वां संशोधन दल-बदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है, और 61वां संशोधन मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करने से संबंधित है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के अंतर्गत नहीं आता?
- दंड को कम करना (Commutation)
- दंड के स्वरूप को बदलना (Remission)
- दंड को निलंबित करना (Reprieve)
- दंड को स्थगित करना (Suspension)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्तियां अनुच्छेद 72 के तहत वर्णित हैं। इनमें पांच प्रकार की क्षमादान शक्तियाँ शामिल हैं: क्षमा (Pardon), दंडादेश का परिहार (Commutation), लघुकरण (Remission), प्रविलंबन (Reprieve) और प्रतिलंबन (Suspension)। ‘दंड को स्थगित करना’ (Suspension) इन पांचों में से एक है, लेकिन ‘दंड को स्थगित करना’ (Suspension) शब्द को ‘प्रविलंबन’ (Reprieve) के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए, जो एक निश्चित अवधि के लिए दंड के निष्पादन को रोकता है। तकनीकी रूप से, ‘स्थगन’ (Suspension) शब्द क्षमादान के पांचों प्रकारों में से एक है। प्रश्न की शब्दावली के कारण यहां भ्रम हो सकता है। राष्ट्रपति की शक्तियां हैं: क्षमा, लघुकरण (Commutation), परिहार (Remission), प्रविलंबन (Reprieve), और प्रतिलंबन (Suspension)। ‘दंड को स्थगित करना’ (Suspension) प्रविलंबन (Reprieve) का ही एक रूप है। यदि प्रश्न की मंशा पांचों प्रकारों के भिन्न अर्थों को परखना हो, तो ‘स्थगित करना’ (Suspension) एक स्वतंत्र प्रकार के रूप में सामान्यतः सूचीबद्ध नहीं होता, बल्कि प्रविलंबन (Reprieve) का पर्याय या हिस्सा माना जाता है। हालांकि, विस्तृत रूप से राष्ट्रपति की शक्ति पांच प्रकार की होती है। यह प्रश्न शब्दावली की बारीकियों पर आधारित है। दिए गए विकल्पों में, ‘दंड को स्थगित करना’ (Suspension) अपने आप में एक अलग श्रेणी नहीं है, बल्कि प्रविलंबन (Reprieve) से संबंधित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रपति अपनी क्षमादान की शक्तियों का प्रयोग मंत्रीपरिषद की सलाह पर करते हैं। प्रविलंबन (Reprieve) अस्थायी रूप से दंड के निष्पादन को रोक देता है, जैसे कि दोषी व्यक्ति की मानसिक या शारीरिक जांच के लिए।
- गलत विकल्प: क्षमा (Pardon) पूर्णतः क्षमा कर देता है। दंड कम करना (Commutation) दंड को कठोर से कम कठोर में बदलता है। दंड के स्वरूप को बदलना (Remission) दंड की अवधि को कम करता है। प्रविलंबन (Reprieve) एक निश्चित अवधि के लिए दंड के निष्पादन को रोकता है।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन भारतीय संसद का अनन्य अधिकार नहीं है?
- संसदीय विशेषाधिकारों का निर्धारण
- संसद और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों की व्याख्या
- संसदीय समितियों का गठन
- किसी राज्य में विधान परिषद का निर्माण या उत्सादन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: संसद को अपने विशेषाधिकारों को परिभाषित करने का अधिकार है (अनुच्छेद 105)। राज्यों में विधान परिषद का निर्माण या उत्सादन संसद का एक महत्वपूर्ण विधायी कार्य है (अनुच्छेद 169)। संसदीय समितियों का गठन भी संसद के ही अधिकार क्षेत्र में आता है। हालांकि, ‘संसद और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों की व्याख्या’ का अंतिम अधिकार सर्वोच्च न्यायालय का भी हो सकता है, और यह विशुद्ध रूप से ‘अनन्य’ (exclusive) अधिकार नहीं है जैसा कि अन्य विकल्प हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 105, संसद के सदस्यों और समितियों को विशेष अधिकार और छूटें प्रदान करता है। अनुच्छेद 169, राज्य विधानमंडल के प्रस्ताव पर संसद को कानून बनाकर विधान परिषद बनाने या समाप्त करने की शक्ति देता है।
- गलत विकल्प: संसदीय विशेषाधिकारों का निर्धारण (a) संसद का अनन्य अधिकार है। संसदीय समितियों का गठन (c) भी संसद का ही अधिकार है। किसी राज्य में विधान परिषद का निर्माण या उत्सादन (d) विशेष रूप से संसद का अधिकार है। विकल्प (b) की व्याख्या में, हालांकि संसद विशेषाधिकारों का निर्धारण करती है, उनकी अंतिम व्याख्या या उन पर उठे विवादों में न्यायालय की भूमिका भी हो सकती है, जिससे यह कम ‘अनन्य’ हो जाता है।
प्रश्न 9: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह एक संवैधानिक निकाय है।
- इसका गठन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया गया है।
- यह पंचवर्षीय योजनाओं के अनुमोदन के लिए जिम्मेदार है।
- यह राज्यों के मुख्यमंत्री को इसका सदस्य बनने की अनुमति देता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) एक गैर-संवैधानिक और गैर-वैधानिक निकाय है। इसका गठन 1952 में प्रशासनिक निर्णय द्वारा किया गया था। इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं, और इसमें केंद्रीय मंत्री तथा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री शामिल होते हैं। इसका मुख्य कार्य पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम रूप देना और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अनुमोदित करना है।
- संदर्भ एवं विस्तार: NDC योजना आयोग (अब नीति आयोग) और राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि यह संवैधानिक निकाय नहीं है। (b) गलत है क्योंकि इसका गठन राष्ट्रपति द्वारा नहीं, बल्कि प्रशासनिक निर्णय से हुआ था। (d) राज्यों के मुख्यमंत्री इसके सदस्य होते हैं, यह कथन सही है, लेकिन प्रश्न में ‘अनुमोदन’ का कार्यNDC के संदर्भ में सबसे प्रासंगिक और विशिष्ट है, और कथन (c) यही बताता है। हालांकि, यदि प्रश्न अधिक सटीक होता तो यह अधिक स्पष्ट होता। पर NDC का मुख्य उद्देश्य पंचवर्षीय योजनाओं का अनुमोदन है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल नहीं है, जैसा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत वर्णित है?
- भारत की संसद
- भारत का सर्वोच्च न्यायालय
- राज्य विधानमंडल
- कोई भी स्थानीय प्राधिकारी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ शब्द के अंतर्गत भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, तथा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) राज्य की परिभाषा में शामिल नहीं है।
- संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 12 की परिभाषा मौलिक अधिकारों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि मौलिक अधिकार राज्य के विरुद्ध ही लागू होते हैं।
- गलत विकल्प: भारत की संसद (a), राज्य विधानमंडल (c), और कोई भी स्थानीय प्राधिकारी (d) जैसे नगरपालिका, पंचायत, सार्वजनिक उपक्रम आदि सभी अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल हैं। सर्वोच्च न्यायालय (b) एक स्वतंत्र न्यायपालिका का हिस्सा है और राज्य की परिभाषा में नहीं आता।
प्रश्न 11: किस प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान ‘नौवीं अनुसूची’ को भारतीय संविधान में पहली बार जोड़ा गया?
- जवाहरलाल नेहरू
- लाल बहादुर शास्त्री
- इंदिरा गांधी
- मोरारजी देसाई
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: नौवीं अनुसूची को भारतीय संविधान में प्रथम संशोधन अधिनियम, 1951 द्वारा जोड़ा गया था। उस समय भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे।
- संदर्भ एवं विस्तार: नौवीं अनुसूची को भूमि सुधारों से संबंधित कुछ अधिनियमों को न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए जोड़ा गया था।
- गलत विकल्प: लाल बहादुर शास्त्री (b), इंदिरा गांधी (c), और मोरारजी देसाई (d) क्रमशः बाद के प्रधानमंत्रियों में से थे।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘प्रस्तावना’ के बारे में सही नहीं है?
- यह संविधान का एक भाग है।
- यह न्यायालय में प्रवर्तनीय है।
- यह न्याय योग्य नहीं है।
- यह संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि प्रस्तावना संविधान का एक भाग है, लेकिन यह ‘न्यायालय में प्रवर्तनीय’ (enforceable in a court of law) नहीं है। प्रस्तावना संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है और इसे संशोधित नहीं किया जा सकता, हालांकि संशोधन की शक्ति संसद के पास है।
- संदर्भ एवं विस्तार: प्रस्तावना संविधान की व्याख्या में सहायक होती है और उसके उद्देश्यों को स्पष्ट करती है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) सभी कथन सही हैं। प्रस्तावना संविधान का भाग है (बेरुबारी मामले में पहले कहा गया कि भाग नहीं है, लेकिन केशवानंद भारती मामले में बदला गया)। यह न्याय योग्य नहीं है, अर्थात् इसके आधार पर किसी नागरिक को अदालत में नहीं ले जाया जा सकता। यह संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है। इसलिए, (b) गलत है क्योंकि यह न्यायालय में प्रवर्तनीय है, यह कथन गलत है।
प्रश्न 13: किस अनुच्छेद के तहत संसद, राज्य सूची के किसी विषय पर कानून बना सकती है, यदि वह राष्ट्रीय हित में आवश्यक हो?
- अनुच्छेद 249
- अनुच्छेद 250
- अनुच्छेद 251
- अनुच्छेद 252
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: अनुच्छेद 249 के अनुसार, यदि राज्यसभा यह संकल्प पारित करे कि राज्य सूची का कोई विषय राष्ट्रीय हित में कानून बनाने के लिए आवश्यक है, तो संसद उस विषय पर कानून बना सकती है। ऐसे कानून एक वर्ष के लिए प्रभावी रहते हैं, जिसे आगे बढ़ाया जा सकता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद केंद्र-राज्य संबंधों में संसद को असाधारण शक्ति प्रदान करता है, खासकर जब राष्ट्रीय हित दांव पर हो।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 250 आपातकाल के दौरान राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 251 अनुच्छेद 249 और 250 के अधीन बनाए गए कानूनों और राज्यों द्वारा बनाए गए कानूनों के बीच असंगति की बात करता है। अनुच्छेद 252 दो या अधिक राज्यों के लिए उनकी सहमति से कानून बनाने की शक्ति देता है।
प्रश्न 14: भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में कौन सा कथन सही है?
- यह शक्ति मंत्रीपरिषद की सलाह से स्वतंत्र है।
- यह शक्ति व्यक्तिगत विवेक पर आधारित है।
- यह शक्ति केवल मृत्युदंड के मामलों तक सीमित है।
- यह शक्ति मंत्रीपरिषद की सलाह पर प्रयोग की जाती है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति का प्रयोग सामान्यतः मंत्रीपरिषद की सलाह पर किया जाता है, न कि अपने व्यक्तिगत विवेक पर।
- संदर्भ एवं विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य (1974) मामले में स्पष्ट किया था कि राष्ट्रपति को अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग मंत्रीपरिषद की सलाह पर ही करना होता है।
- गलत विकल्प: (a) और (b) गलत हैं क्योंकि यह शक्ति व्यक्तिगत विवेक पर नहीं, बल्कि सलाह पर आधारित है। (c) भी गलत है क्योंकि राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति केवल मृत्युदंड तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सैन्य न्यायालयों द्वारा दिए गए दंड, और उन अपराधों पर भी लागू होती है जो संघ की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार के अंतर्गत आते हैं।
प्रश्न 15: ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) की नियुक्ति कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा का अध्यक्ष
- भारत के राष्ट्रपति
- वित्त मंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है और वह संसद के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। इसका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और वित्त मंत्री CAG की नियुक्ति नहीं करते हैं।
प्रश्न 16: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन द्वारा प्रदान किया गया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में भाग IX जोड़ा और अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के लिए प्रावधान किए, जिससे उन्हें संवैधानिक दर्जा मिला।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन ने पंचायती राज को त्रि-स्तरीय संरचना, सीटों का आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए), राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति आदि का प्रावधान किया।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएँ) से संबंधित है। 64वां और 65वां संशोधन पंचायती राज से संबंधित थे लेकिन वे पारित नहीं हो पाए थे।
प्रश्न 17: भारतीय संविधान के कौन से अनुच्छेद आपातकालीन प्रावधानों से संबंधित हैं?
- अनुच्छेद 350-360
- अनुच्छेद 352, 356, 360
- अनुच्छेद 340-350
- अनुच्छेद 330-342
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XVIII आपातकालीन प्रावधानों से संबंधित है। इसमें तीन प्रमुख अनुच्छेद हैं: अनुच्छेद 352 (राष्ट्रीय आपातकाल), अनुच्छेद 356 (राज्य आपातकाल या राष्ट्रपति शासन), और अनुच्छेद 360 (वित्तीय आपातकाल)।
- संदर्भ एवं विस्तार: ये अनुच्छेद भारत की संप्रभुता, सुरक्षा, और स्थिरता को बनाए रखने के लिए असाधारण परिस्थितियों में केंद्र सरकार को विशेष शक्तियाँ प्रदान करते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 350-360 में अन्य प्रशासनिक प्रावधान भी शामिल हैं। अनुच्छेद 340-350 राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और भाषाई अल्पसंख्यकों से संबंधित हैं। अनुच्छेद 330-342 अनुसूचित जातियों, जनजातियों और पिछड़े वर्गों से संबंधित विशेष प्रावधानों से संबंधित हैं।
प्रश्न 18: वित्तीय आपातकाल की घोषणा निम्नलिखित में से किस आधार पर की जा सकती है?
- राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा
- राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता
- भारत की वित्तीय स्थिरता या साख को खतरा
- देश में आंतरिक अशांति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: अनुच्छेद 360 के तहत, राष्ट्रपति भारत की वित्तीय स्थिरता या साख को खतरे में डालने वाली किसी भी स्थिति में वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: वित्तीय आपातकाल के दौरान, केंद्र सरकार राज्यों को वित्तीय अनुशासन के पालन के निर्देश दे सकती है, और राष्ट्रपति वेतन और भत्तों में कटौती के आदेश भी जारी कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा (a) राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) का आधार है। राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता (b) राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) का आधार है। देश में आंतरिक अशांति (d) भी राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) का आधार बन सकती है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा संसदीय विशेषाधिकार संसद सदस्यों को दी गई व्यक्तिगत छूटों (privileges) में से एक है?
- संसद सत्र के दौरान किसी भी दीवानी मामले में गिरफ्तारी से छूट
- संसद सत्र के दौरान किसी भी आपराधिक मामले में गिरफ्तारी से छूट
- संसद सत्र के दौरान गवाही देने से छूट
- संसद सत्र के दौरान किसी भी प्रकार के कर से छूट
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: अनुच्छेद 105 के तहत, संसद सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं। इनमें एक महत्वपूर्ण विशेषाधिकार यह है कि संसद सत्र के दौरान या सत्र आरंभ होने से 40 दिन पूर्व और सत्र समाप्त होने के 40 दिन पश्चात् किसी भी दीवानी मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह विशेषाधिकार सदस्यों को सदन की कार्यवाही में निर्बाध रूप से भाग लेने में सक्षम बनाने के लिए है। यह विशेषाधिकार आपराधिक मामलों में लागू नहीं होता।
- गलत विकल्प: (b) गलत है क्योंकि आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से छूट नहीं है। (c) और (d) गलत हैं क्योंकि गवाही देने या कर से छूट विशेषाधिकारों का हिस्सा नहीं हैं, हालांकि कुछ विशिष्ट मामलों में प्रक्रियात्मक छूट हो सकती है।
प्रश्न 20: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) की भूमिका के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- CAG केवल केंद्र सरकार के खातों की जांच करता है।
- CAG केवल राज्यों के खातों की जांच करता है।
- CAG केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के खातों की जांच करता है।
- CAG केवल विनिवेशित सार्वजनिक उपक्रमों के खातों की जांच करता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: अनुच्छेद 149 CAG को केंद्र और राज्यों दोनों सरकारों के खातों के लेखा-परीक्षा (audit) के लिए उत्तरदायी बनाता है। CAG अपनी ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रपति (केंद्र के लिए) और राज्यपाल (राज्यों के लिए) को सौंपता है, जो फिर उन्हें संसद या राज्य विधानमंडल के समक्ष रखते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: CAG का मुख्य कार्य सार्वजनिक व्यय की मितव्ययिता (economy), दक्षता (efficiency) और प्रभावशीलता (effectiveness) की जांच करना है।
- गलत विकल्प: (a) और (b) गलत हैं क्योंकि CAG दोनों के खातों की जांच करता है। (d) गलत है क्योंकि यह सार्वजनिक उपक्रमों के खातों की भी जांच करता है, न केवल विनिवेशित (disinvested) उपक्रमों की।
प्रश्न 21: राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों को पद से कौन हटा सकता है?
- राज्य के राज्यपाल
- राज्य के मुख्यमंत्री
- भारत के राष्ट्रपति
- उच्चतम न्यायालय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों को केवल भारत के राष्ट्रपति ही हटा सकते हैं, और वह भी उच्चतम न्यायालय की जांच के बाद, सिद्ध कदाचार या असमर्थता के आधार पर। (अनुच्छेद 317)
- संदर्भ एवं विस्तार: हालांकि राज्यपाल उनकी नियुक्ति करते हैं, लेकिन उन्हें हटाने की शक्ति राष्ट्रपति के पास है, जैसे संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सदस्यों के मामले में होता है।
- गलत विकल्प: राज्य के राज्यपाल (a) अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करते हैं, लेकिन हटा नहीं सकते। राज्य के मुख्यमंत्री (b) और उच्चतम न्यायालय (d) सीधे तौर पर हटाने की प्रक्रिया में नियुक्तिकर्ता के रूप में शामिल नहीं हैं (हालांकि न्यायालय जांच करता है)।
प्रश्न 22: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत का उल्लेख है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 39(d)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: अनुच्छेद 39 (राज्य के नीति निदेशक तत्व) के खंड (d) में कहा गया है कि राज्य अपनी नीति का इस प्रकार संचालन करेगा कि पुरुष और स्त्रियों सभी को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह मौलिक अधिकार नहीं है, बल्कि एक नीति निदेशक तत्व है, जिसका अर्थ है कि यह न्यायोचित (justiciable) नहीं है, लेकिन राज्य को इसे लागू करने का प्रयास करना चाहिए।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), अनुच्छेद 15 (भेदभाव का प्रतिषेध) और अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता) समानता के अधिकार से संबंधित हैं, लेकिन ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ का विशिष्ट सिद्धांत अनुच्छेद 39(d) में ही है।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान के निर्माता किन किन प्रमुख स्रोतों से प्रभावित थे?
- ब्रिटिश संविधान
- अमेरिकी संविधान
- आयरिश संविधान
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं भाग संदर्भ: भारतीय संविधान निर्माताओं ने दुनिया भर के कई संविधानों से प्रेरणा ली, जिनमें ब्रिटिश संविधान (संसदीय सरकार, विधि का शासन), अमेरिकी संविधान (मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनर्विलोकन, उपराष्ट्रपति का पद) और आयरिश संविधान (राज्य नीति निदेशक तत्व, राष्ट्रपति चुनाव की विधि) प्रमुख हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: भारतीय संविधान को ‘उधारों का थैला’ (bag of borrowings) भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें विभिन्न संविधानों की सर्वश्रेष्ठ विशेषताओं को समाहित किया गया है।
- गलत विकल्प: चूंकि यह सभी (a, b, c) स्रोतों से प्रभावित था, इसलिए यह विकल्प सही है।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा आयोग या निकाय संवैधानिक नहीं है?
- चुनाव आयोग
- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग
- नीति आयोग
- वित्त आयोग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (अब संवैधानिक निकाय – अनुच्छेद 338B, पूर्व में वैधानिक) और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि इनका प्रावधान सीधे संविधान में है। नीति आयोग (NITI Aayog) एक कार्यकारी आदेश द्वारा 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर गठित एक गैर-संवैधानिक (non-constitutional) और गैर-वैधानिक (non-statutory) निकाय है।
- संदर्भ एवं विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनका उल्लेख संविधान में होता है, जबकि वैधानिक निकाय संसद द्वारा पारित अधिनियम से बनते हैं। नीति आयोग सिर्फ सरकार के एक प्रस्ताव (resolution) का परिणाम है।
- गलत विकल्प: चुनाव आयोग, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (वर्तमान में संवैधानिक) और वित्त आयोग संवैधानिक निकाय हैं।
प्रश्न 25: भारत में ‘सर्वोच्च न्यायालय’ की वह शक्ति जिसके द्वारा वह किसी विधि या कार्यकारी आदेश की संवैधानिकता की जाँच कर सकता है, क्या कहलाती है?
- संसदीय सर्वोच्चता
- न्यायिक पुनर्विलोकन
- कानून का शासन
- विधायी वीटो
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता एवं अनुच्छेद/भाग संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय (और उच्च न्यायालय) के पास यह शक्ति है कि वह किसी भी विधि या कार्यकारी आदेश की संवैधानिकता की जाँच कर सके और यदि वह संविधान के विरुद्ध पाया जाता है तो उसे अमान्य घोषित कर सके। यह शक्ति ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) कहलाती है। यह शक्ति अनुच्छेद 13, 32, 226 आदि में निहित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: न्यायिक पुनर्विलोकन भारतीय संविधान की एक महत्वपूर्ण विशेषता है, जो मौलिक अधिकारों की सुरक्षा और संविधान की सर्वोच्चता सुनिश्चित करती है। यह अमेरिकी संविधान से प्रेरित है।
- गलत विकल्प: संसदीय सर्वोच्चता (a) का सिद्धांत ब्रिटेन में लागू होता है, भारत में नहीं, जहाँ संविधान सर्वोच्च है। कानून का शासन (c) एक व्यापक सिद्धांत है जिसमें कानून के समक्ष समानता और विधियों का समान अनुप्रयोग शामिल है, लेकिन यह विशेष रूप से संवैधानिक वैधता की जाँच से संबंधित नहीं है। विधायी वीटो (d) राष्ट्रपति या राज्यपाल के पास विधियों को अस्वीकार करने की शक्ति है, न कि उनकी संवैधानिकता की जाँच की।