इतिहास की गहराइयों में उतरें: 25 प्रश्न – आपका दैनिक ज्ञान बूस्टर!
नमस्कार, इतिहास के जिज्ञासुओं! आज फिर हम समय के गलियारों में एक रोमांचक यात्रा पर निकल रहे हैं। आपकी तैयारी को नई धार देने और ज्ञान की प्यास बुझाने के लिए हम लाए हैं 25 चुनिंदा प्रश्न। क्या आप चुनौती के लिए तैयार हैं? आइए, देखें कि अतीत के पन्ने आपके लिए क्या रहस्य खोलते हैं!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस सिंधु घाटी सभ्यता स्थल से एक विशाल स्नानागार (Great Bath) प्राप्त हुआ है?
- लोथल
- हड़प्पा
- कालीबंगन
- मोहनजोदड़ो
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मोहनजोदड़ो, जो सिंधु नदी के तट पर स्थित है, एक विशाल स्नानागार के लिए प्रसिद्ध है। यह सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली संरचनाओं में से एक मानी जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह स्नानागार संभवतः अनुष्ठानिक स्नान के लिए उपयोग किया जाता था। इसकी बनावट और जलरोधन की तकनीक उस समय की वास्तुकला और इंजीनियरिंग कौशल का अद्भुत उदाहरण है। ईंटों से बनी यह संरचना आयताकार थी और इसके चारों ओर कमरे बने थे।
- गलत विकल्प: लोथल एक बंदरगाह शहर था, हड़प्पा पहला स्थल था जहां खुदाई हुई, और कालीबंगन कृषि से संबंधित महत्वपूर्ण प्रमाण प्रदान करता है, लेकिन इनमें विशाल स्नानागार नहीं मिला।
प्रश्न 2: ‘अष्टाध्यायी’ के रचयिता कौन थे?
- पतंजलि
- पाणिनि
- कात्यायन
- भारद्वाज
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘अष्टाध्यायी’ संस्कृत व्याकरण का एक उत्कृष्ट ग्रंथ है, जिसकी रचना महान विद्वान पाणिनि ने की थी। यह रचना भारतीय भाषा विज्ञान के इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: पाणिनि ने इस ग्रंथ में तत्कालीन संस्कृत भाषा के नियमों को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया। यह केवल व्याकरण का ग्रंथ नहीं है, बल्कि तत्कालीन समाज, संस्कृति और राजनीति की जानकारी का भी अमूल्य स्रोत है।
- गलत विकल्प: पतंजलि ने ‘महाभाष्य’ की रचना की, जो पाणिनि के ‘अष्टाध्यायी’ पर एक टीका है। कात्यायन ने ‘वार्तिक’ लिखे, और भारद्वाज ऋग्वेद के ऋषि थे।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से किस शासक ने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक नया धर्म शुरू किया था?
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में ‘दीन-ए-इलाही’ की शुरुआत की। यह विभिन्न धर्मों के तत्वों को मिलाकर एक सर्वधर्म समन्वय का प्रयास था, जिसका उद्देश्य धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देना था।
- संदर्भ और विस्तार: अकबर ने अपने शासनकाल में सभी प्रमुख धर्मों के विद्वानों से चर्चा की और विभिन्न धार्मिक विचारों को समझने का प्रयास किया। दीन-ए-इलाही को एक धर्म की बजाय एक जीवन शैली या नैतिक संहिता कहना अधिक उचित होगा, जिसे बहुत कम लोगों ने अपनाया।
- गलत विकल्प: जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब ने इस तरह की कोई नई धार्मिक व्यवस्था शुरू नहीं की थी; बल्कि औरंगजेब ने धार्मिक कट्टरता की नीतियों को अपनाया था।
प्रश्न 4: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले मुस्लिम अध्यक्ष कौन थे?
- सर सैयद अहमद खान
- बदरुद्दीन तैयबजी
- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
- रफी अहमद किदवई
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: बदरुद्दीन तैयबजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले मुस्लिम अध्यक्ष थे। उन्होंने 1887 में मद्रास में आयोजित कांग्रेस के तीसरे अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।
- संदर्भ और विस्तार: तैयबजी एक प्रसिद्ध वकील थे और उन्होंने कांग्रेस की स्थापना के शुरुआती वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका अध्यक्षीय भाषण राष्ट्रवाद और कांग्रेस के लक्ष्यों पर केंद्रित था।
- गलत विकल्प: सर सैयद अहमद खान ने कांग्रेस की स्थापना का विरोध किया था। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद सबसे लंबे समय तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। रफी अहमद किदवई भी एक महत्वपूर्ण कांग्रेसी नेता थे।
प्रश्न 5: ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना किसने की थी?
- जवाहरलाल नेहरू
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- सुभाष चंद्र बोस
- भगत सिंह
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सुभाष चंद्र बोस ने 1939 में कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ नामक एक नए राजनीतिक दल की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना बोस के समाजवादी और राष्ट्रवादी विचारों को आगे बढ़ाने के लिए की गई थी। इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन से भारत की तत्काल मुक्ति के लिए एक अधिक क्रांतिकारी और प्रत्यक्ष कार्रवाई की वकालत करना था।
- गलत विकल्प: जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल कांग्रेस के प्रमुख नेता थे। भगत सिंह एक महान क्रांतिकारी थे जिन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) से जुड़े थे।
प्रश्न 6: ईसा पूर्व छठी शताब्दी में किस महाजनपद की राजधानी ‘पाटलिपुत्र’ थी?
- कौशल
- अवंती
- मगध
- गौतम बुद्ध
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ईसा पूर्व छठी शताब्दी में मगध महाजनपद की राजधानी पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) थी। हर्यक वंश के शासक उदयन ने अपनी राजधानी को राजगृह से पाटलिपुत्र स्थानांतरित किया था।
- संदर्भ और विस्तार: मगध उस काल के सबसे शक्तिशाली महाजनपदों में से एक था और बाद में इसने भारत के अधिकांश हिस्सों पर अपना साम्राज्य स्थापित किया। पाटलिपुत्र का रणनीतिक स्थान (गंगा और सोन नदियों के संगम पर) इसके विकास के लिए महत्वपूर्ण था।
- गलत विकल्प: कौशल की राजधानी श्रावस्ती, अवंती की राजधानी उज्जैन या महिष्मती थी। गौतम बुद्ध किसी महाजनपद की राजधानी नहीं थे, बल्कि वे कोशल राज्य के लुम्बिनी में पैदा हुए थे।
प्रश्न 7: ‘तितली’ (The Butterfly) उपन्यास किसने लिखा है?
- प्रेमचंद
- जयशंकर प्रसाद
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
- महादेवी वर्मा
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रसिद्ध हिंदी कवि और लेखक सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ने ‘तितली’ उपन्यास की रचना की है। यह उपन्यास किसानों के जीवन और ग्रामीण परिवेश पर आधारित है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘तितली’ उपन्यास में निराला ने तत्कालीन भारतीय समाज की आर्थिक और सामाजिक बुराइयों, विशेष रूप से ग्रामीण ऋणग्रस्तता और जमींदारी व्यवस्था के शोषण को चित्रित किया है। यह उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है।
- गलत विकल्प: प्रेमचंद अपने ग्रामीण जीवन के यथार्थवादी चित्रण के लिए जाने जाते हैं, जयशंकर प्रसाद ने ‘कंकाल’ और ‘इरावती’ जैसे उपन्यास लिखे, और महादेवी वर्मा छायावादी युग की प्रमुख कवयित्री थीं।
प्रश्न 8: प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण क्या था?
- जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण
- ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फर्डिनेंड की हत्या
- जापान का पर्ल हार्बर पर हमला
- रूस की क्रांति
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण 28 जून, 1914 को साराजेवो में ऑस्ट्रिया-हंगरी के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी सोफी की हत्या थी। इस हत्या को सर्बियाई राष्ट्रवादी संगठन ‘ब्लैक हैंड’ से जुड़े गैवरिलो प्रिंसिप ने अंजाम दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस घटना ने यूरोप में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया, जिससे ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर युद्ध की घोषणा की। इसके बाद, विभिन्न देशों के बीच संधियों के कारण वे एक-एक करके युद्ध में शामिल होते चले गए।
- गलत विकल्प: जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण द्वितीय विश्व युद्ध का कारण था। जापान का पर्ल हार्बर पर हमला अमेरिका को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल करने का कारण बना। रूस की क्रांति 1917 में हुई थी, जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुई थी।
प्रश्न 9: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- इस दौरान सोने के सिक्के प्रचुर मात्रा में ढाले गए।
- कला, साहित्य, विज्ञान और वास्तुकला में अभूतपूर्व उन्नति हुई।
- साम्राज्य का विस्तार सबसे अधिक हुआ।
- धार्मिक सहिष्णुता अपने चरम पर थी।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) को ‘भारत का स्वर्ण युग’ कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में कला, साहित्य, विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान और वास्तुकला के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: इस काल में कालिदास जैसे महान कवियों, आर्यभट्ट जैसे गणितज्ञों और खगोलविदों का उदय हुआ। अजंता की गुफाओं की चित्रकला और सारनाथ के बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण भी इसी काल की देन है।
- गलत विकल्प: हालांकि सोने के सिक्के ढाले गए थे, यह मुख्य कारण नहीं है। साम्राज्य का विस्तार हुआ, लेकिन यह सबसे प्रमुख कारण नहीं है। धार्मिक सहिष्णुता भी थी, पर कला और विज्ञान की प्रगति अधिक विशिष्ट है।
प्रश्न 10: ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital) नामक प्रसिद्ध पुस्तक के लेखक कौन हैं?
- कार्ल मार्क्स
- फ्रेडरिक एंजल्स
- वी.आई. लेनिन
- रोसा लक्जमबर्ग
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘दास कैपिटल’ (Das Kapital), जिसे ‘पूंजी’ भी कहा जाता है, एक मौलिक राजनीतिक-आर्थिक ग्रंथ है जिसके लेखक कार्ल मार्क्स हैं। इसका पहला खंड 1867 में प्रकाशित हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में मार्क्स ने पूंजीवाद के विश्लेषण, उसके विकास के नियमों और सर्वहारा वर्ग के शोषण का विस्तृत वर्णन किया है। यह समाजवाद और साम्यवाद की विचारधारा के लिए एक आधारभूत ग्रंथ मानी जाती है।
- गलत विकल्प: फ्रेडरिक एंजल्स मार्क्स के घनिष्ठ सहयोगी थे और उन्होंने ‘दास कैपिटल’ के बाद के खंडों के संपादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेनिन और रोसा लक्जमबर्ग मार्क्सवादी विचारक थे, लेकिन उन्होंने ‘दास कैपिटल’ नहीं लिखी।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से किस युद्ध के बाद भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना को निर्णायक माना जाता है?
- प्लासी का युद्ध
- बक्सर का युद्ध
- पानीपत का प्रथम युद्ध
- पानीपत का द्वितीय युद्ध
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: बक्सर के युद्ध (1764) के बाद, जिसने मीर कासिम, अवध के नवाब और मुगल सम्राट की संयुक्त सेना को हराया, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की राजनीतिक शक्ति स्थापित हो गई और भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि प्लासी का युद्ध (1757) एक महत्वपूर्ण जीत थी, जिसने बंगाल पर नियंत्रण दिलाया, बक्सर के युद्ध ने कंपनी को एक सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित किया और उसे वास्तविक राजनीतिक अधिकार प्रदान किए, जैसे कि दीवानी (राजस्व वसूली) का अधिकार।
- गलत विकल्प: पानीपत के प्रथम (1526) और द्वितीय (1556) युद्ध क्रमशः मुगल साम्राज्य की स्थापना और हेमू की हार से संबंधित थे, न कि ब्रिटिश प्रभुत्व से।
प्रश्न 12: ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा किसने दिया था?
- स्वामी दयानंद सरस्वती
- स्वामी विवेकानंद
- राजा राम मोहन राय
- ईश्वर चंद्र विद्यासागर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘वेदों की ओर लौटो’ का प्रसिद्ध नारा आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: स्वामी दयानंद का मानना था कि वेद प्राचीन भारतीय ज्ञान के सर्वोत्तम स्रोत हैं और उनमें सभी समस्याओं का समाधान है। उन्होंने वेदों के शुद्ध रूप को अपनाने और आधुनिक समाज की बुराइयों से छुटकारा पाने के लिए यह नारा दिया। उन्होंने पाखंड, अंधविश्वासों और मूर्तिपूजा का विरोध किया।
- गलत विकल्प: स्वामी विवेकानंद ने ‘उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए’ जैसे प्रेरक वाक्य कहे। राजा राम मोहन राय ब्रह्म समाज के संस्थापक थे और उन्होंने सती प्रथा जैसी कुरीतियों का विरोध किया। ईश्वर चंद्र विद्यासागर भी एक महान समाज सुधारक थे।
प्रश्न 13: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई थी?
- 1336 ईस्वी
- 1526 ईस्वी
- 1498 ईस्वी
- 1347 ईस्वी
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम नामक दो भाइयों ने की थी, जो तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित था।
- संदर्भ और विस्तार: इस साम्राज्य ने लगभग 250 वर्षों तक दक्षिण भारत में शासन किया और कला, साहित्य, वास्तुकला तथा व्यापार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कृष्णदेवराय इस साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध शासकों में से एक थे।
- गलत विकल्प: 1526 ईस्वी में पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ, 1498 में वास्को डी गामा भारत आया, और 1347 ईस्वी में बहमनी सल्तनत की स्थापना हुई थी।
प्रश्न 14: ‘गदर’ आंदोलन का मुख्यालय कहाँ स्थित था?
- लंदन
- सैन फ्रांसिस्को
- न्यूयॉर्क
- बर्लिन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘गदर’ आंदोलन, जिसका उद्देश्य भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांति लाना था, का मुख्यालय अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में स्थित था।
- संदर्भ और विस्तार: इस आंदोलन को ‘हिन्द संघ’ (Hindustan Association) के नाम से भी जाना जाता था और इसके सदस्य मुख्य रूप से प्रवासी भारतीय थे। गदर पार्टी ने ‘गदर’ नामक एक साप्ताहिक समाचार पत्र भी प्रकाशित किया, जो इसके राजनीतिक प्रचार का प्रमुख माध्यम बना।
- गलत विकल्प: लंदन में भी भारतीय राष्ट्रवादी गतिविधियाँ होती थीं, लेकिन गदर आंदोलन का मुख्य केंद्र सैन फ्रांसिस्को था। न्यूयॉर्क और बर्लिन भी प्रवासी भारतीयों के सक्रिय केंद्र थे, लेकिन गदर पार्टी का मुख्य संचालन सैन फ्रांसिस्को से होता था।
प्रश्न 15: चंपारण सत्याग्रह (1917) किसके विरोध में किया गया था?
- नमक कानून
- तिन-कठिया प्रथा
- साइमन कमीशन
- रौलट एक्ट
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: महात्मा गांधी द्वारा 1917 में चंपारण, बिहार में किया गया सत्याग्रह, वहाँ प्रचलित ‘तिन-कठिया प्रथा’ के विरोध में था। इस प्रथा के तहत किसानों को अपनी भूमि के 3/20वें हिस्से पर नील की खेती करना अनिवार्य था।
- संदर्भ और विस्तार: किसानों को अत्यधिक लगान और जबरन नील की खेती से उत्पन्न दुर्दशा के कारण यह आंदोलन शुरू हुआ। यह भारत में गांधीजी का पहला सफल जन सत्याग्रह था, जिसने उनकी नेतृत्व क्षमता को स्थापित किया।
- गलत विकल्प: नमक कानून का विरोध दांडी मार्च (1930) में किया गया था। साइमन कमीशन का बहिष्कार 1928 में हुआ था, और रौलट एक्ट का विरोध 1919 में किया गया था।
प्रश्न 16: भारत में ‘स्थायी बंदोबस्त’ (Permanent Settlement) कब लागू किया गया था?
- 1793
- 1853
- 1765
- 1805
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: लॉर्ड कार्नवालिस के शासनकाल में 1793 ईस्वी में बंगाल, बिहार, उड़ीसा और मद्रास के कुछ हिस्सों में ‘स्थायी बंदोबस्त’ लागू किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस बंदोबस्त के तहत, जमींदारों को भूमि का मालिक माना गया और उनसे भूमि राजस्व का एक निश्चित हिस्सा वसूलने का अधिकार दिया गया, जिसे तय कर दिया गया था। इसका उद्देश्य राजस्व व्यवस्था को स्थिर करना और जमींदारों को अपनी भूमि में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करना था, लेकिन इससे किसानों पर भार बढ़ा।
- गलत विकल्प: 1765 ईस्वी में रॉबर्ट क्लाइव ने बंगाल में द्वैध शासन लागू किया था। 1853 ईस्वी में रेलवे का विस्तार हुआ और वुड का डिस्पैच आया। 1805 ईस्वी में लॉर्ड वेलेजली ने सहायक संधि का विस्तार किया था।
प्रश्न 17: ऋग्वेद में ‘अघन्य’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?
- घोड़ा
- गाय
- हाथी
- बैल
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ऋग्वेद में ‘अघन्य’ शब्द गाय के लिए प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है ‘जिसे मारा न जाए’।
- संदर्भ और विस्तार: प्राचीन भारतीय समाज में गाय को अत्यंत पवित्र और मूल्यवान माना जाता था। यह धन का प्रतीक थी और इसके दूध, दही, घी जैसे उत्पाद उपयोगी थे। इसलिए, ऋग्वेदिक काल में गायों की हत्या की अनुमति नहीं थी।
- गलत विकल्प: घोड़ा, हाथी और बैल उपयोगी थे, लेकिन ‘अघन्य’ विशेष रूप से गाय के लिए प्रयुक्त हुआ था।
प्रश्न 18: ब्रिटिश भारत में ‘कॉटन किंग’ किसे कहा जाता था?
- जमशेदजी जीजीभाई
- सेठ हुकुमचंद
- बलरामदास
- रामदास
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सेठ हुकुमचंद को ‘कॉटन किंग’ (Cotton King) के नाम से जाना जाता था, जो भारत के एक प्रमुख उद्योगपति थे और उन्होंने कपास व्यापार तथा मिलों में महत्वपूर्ण निवेश किया था।
- संदर्भ और विस्तार: सेठ हुकुमचंद का जन्म इंदौर में हुआ था और वे कपड़ा उद्योग के अग्रणी थे। उन्होंने विदेशी कपड़ों के बहिष्कार और स्वदेशी उद्योग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: जमशेदजी जीजीभाई एक अन्य प्रमुख उद्योगपति थे, लेकिन उन्हें ‘कॉटन किंग’ नहीं कहा जाता था। बलरामदास और रामदास इस उपाधि से संबंधित नहीं थे।
प्रश्न 19: ‘सहायक संधि’ (Subsidiary Alliance) की नीति किसने लागू की थी?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड वेलेजली
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: सहायक संधि की नीति को लॉर्ड वेलेजली ने लागू किया था, जो 1798 से 1805 तक भारत के गवर्नर-जनरल रहे।
- संदर्भ और विस्तार: इस संधि के तहत, भारतीय शासकों को कंपनी की सेना अपने राज्य में रखनी पड़ती थी, जिसके लिए उन्हें भुगतान करना पड़ता था। इसके बदले में, कंपनी उनके राज्य की बाहरी सुरक्षा की गारंटी देती थी और उनके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का वचन देती थी (हालांकि यह वचन अक्सर नहीं निभाया जाता था)। इस संधि ने ब्रिटिश शक्ति को विस्तार देने में मदद की।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत के सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कर्जन ने 1905 में बंगाल का विभाजन किया था। लॉर्ड विलियम बेंटिंक को भारतीय समाज सुधारों के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 20: प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन किस स्थान पर हुआ था?
- वैशाली
- पाटलिपुत्र
- राजगृह
- कुंडलवन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन राजगृह (वर्तमान राजगीर) में हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह संगीति ईसा पूर्व 483 में, बुद्ध की महापरिनिर्वाण के तुरंत बाद, मगध के शासक अजातशत्रु के संरक्षण में आयोजित की गई थी। इसका उद्देश्य बुद्ध की शिक्षाओं को संकलित करना था। इसमें आनंद ने सुत्त पिटक और उपाली ने विनय पिटक का पाठ किया था।
- गलत विकल्प: वैशाली में दूसरी बौद्ध संगीति, पाटलिपुत्र में तीसरी और कुंडलवन (कश्मीर) में चौथी बौद्ध संगीति आयोजित हुई थी।
प्रश्न 21: ‘संथाल विद्रोह’ का नेतृत्व किसने किया था?
- बिरसा मुंडा
- तिलक manjhi
- सिधु और कान्हू
- रानी लक्ष्मीबाई
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: 1855-56 का संथाल विद्रोह, जो पूर्वी भारत में हुआ था, का नेतृत्व संथाल भाइयों सिधु और कान्हू ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह विद्रोह साहूकारों, जमींदारों और औपनिवेशिक सरकार के उत्पीड़न के खिलाफ आदिवासियों का एक बड़ा विद्रोह था। सिधु और कान्हू ने संथालों को संगठित किया और ब्रिटिश सरकार को चुनौती दी।
- गलत विकल्प: बिरसा मुंडा मुंडा विद्रोह (उलगुलान) के नेता थे। तिलक manjhi ने 1770 के दशक में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था। रानी लक्ष्मीबाई 1857 के विद्रोह की एक प्रमुख हस्ती थीं।
प्रश्न 22: किस गुप्त शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?
- चंद्रगुप्त प्रथम
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- स्कंदगुप्त
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त को उनकी विजयों और सैन्य अभियानों के कारण ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। यह उपाधि इतिहासकार वी. ए. स्मिथ ने उन्हें दी थी।
- संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त (शासनकाल लगभग 335-380 ईस्वी) ने उत्तर भारत के कई राज्यों को जीता और दक्षिण भारत में भी सैन्य अभियान चलाए। उसके प्रयाग स्तंभ लेख में उसकी विजयों का विस्तृत वर्णन मिलता है।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का संस्थापक था, चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) कला और साहित्य का संरक्षक था, और स्कंदगुप्त ने हूणों के आक्रमण का सफलतापूर्वक सामना किया था।
प्रश्न 23: ‘किताब-उल-हिंद’ (Tahqiq-i-Hind) नामक पुस्तक किसने लिखी है?
- अल-बिरूनी
- इब्न बतूता
- अल-मसूदी
- सुलेमान
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: ‘किताब-उल-हिंद’ (जिसे ‘तहकीक-ए-हिंद’ या ‘भारत का वृत्तांत’ भी कहा जाता है) नामक महत्वपूर्ण ग्रंथ फारसी विद्वान अल-बिरूनी ने लिखा था।
- संदर्भ और विस्तार: अल-बिरूनी 11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी के साथ भारत आया था। उसने भारत के समाज, धर्म, संस्कृति, भूगोल और विज्ञान का विस्तृत और निष्पक्ष अध्ययन प्रस्तुत किया। उसकी पुस्तक भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए एक अमूल्य स्रोत है।
- गलत विकल्प: इब्न बतूता मोरक्को का यात्री था जिसने ‘रेहला’ लिखी। अल-मसूदी और सुलेमान अन्य महत्वपूर्ण मुस्लिम यात्री और इतिहासकार थे जिन्होंने भारत के बारे में लिखा, लेकिन ‘किताब-उल-हिंद’ अल-बिरूनी की रचना है।
प्रश्न 24: किस वर्ष में ब्रिटिश संसद ने भारत के लिए एक अलग ‘भारत परिषद’ (Council for India) की स्थापना की?
- 1858
- 1861
- 1873
- 1909
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: 1858 के भारत सरकार अधिनियम (Government of India Act, 1858) द्वारा ब्रिटिश संसद ने भारत के लिए एक अलग ‘भारत परिषद’ (Council for India) की स्थापना की।
- संदर्भ और विस्तार: 1857 के विद्रोह के बाद, ब्रिटिश क्राउन ने भारत का शासन सीधे अपने हाथों में ले लिया। इस अधिनियम ने भारत के गवर्नर-जनरल का पद बदलकर ‘वायसराय’ कर दिया और भारत के राज्य सचिव (Secretary of State for India) के पद का सृजन किया, जिसकी सहायता के लिए यह 15 सदस्यीय भारत परिषद बनाई गई।
- गलत विकल्प: 1861 का भारतीय परिषद अधिनियम विधान परिषदों को शक्तियाँ प्रदान करता है। 1873 का अधिनियम ब्रिटिश सत्ता को मजबूती देता है। 1909 का मार्ले-मिंटो सुधार पृथक निर्वाचक मंडल का प्रावधान लाया।
प्रश्न 25: ‘मनसबदारी प्रथा’ किस मुगल सम्राट द्वारा शुरू की गई थी?
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता: मनसबदारी प्रथा को मुगल सम्राट अकबर ने अपने शासनकाल के 11वें वर्ष (1577 ईस्वी) में लागू किया था।
- संदर्भ और विस्तार: मनसबदारी एक ऐसी व्यवस्था थी जिसके तहत सरकारी अधिकारियों और सैनिकों को एक ‘मनसब’ (पद) दिया जाता था। यह पद दो भागों – ‘जात’ (व्यक्तिगत स्थिति) और ‘सवार’ (घुड़सवारों की संख्या) – में विभाजित होता था। इसके द्वारा सैन्य और नागरिक प्रशासन का संगठन किया जाता था, जिससे सम्राट को साम्राज्य के सैन्य और प्रशासनिक संसाधनों पर नियंत्रण रहता था।
- गलत विकल्प: जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब ने इस प्रथा को जारी रखा और इसमें कुछ संशोधन किए, लेकिन इसकी शुरुआत अकबर ने की थी।