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भारतीय राजव्यवस्था का दैनिक अभ्यास: संकल्प को मजबूत करें।

भारतीय राजव्यवस्था का दैनिक अभ्यास: संकल्प को मजबूत करें।

नमस्कार, भावी अधिकारियों! आज हम भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभ, संविधान और राजव्यवस्था की गहरी समझ को परखने के लिए एक बार फिर हाजिर हैं। हर दिन अपने ज्ञान को पैना करना ही सफलता की कुंजी है। आइए, इन 25 चुनिंदा प्रश्नों के माध्यम से अपनी वैचारिक स्पष्टता और परीक्षा की तैयारी को एक नया आयाम दें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी रिट, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘हम आज्ञा देते हैं’ है, किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसका सार्वजनिक कर्तव्य करने का निर्देश देती है?

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. प्रतिषेध (Prohibition)
  4. उत्प्रेषण (Certiorari)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘हम आज्ञा देते हैं’। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण, या किसी सार्वजनिक प्राधिकरण को उसका सार्वजनिक या वैधानिक कर्तव्य करने का निर्देश देने वाली एक न्यायिक आदेश है। यह शक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: परमादेश का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई सार्वजनिक अधिकारी अपने कानूनी कर्तव्य का पालन करने से इनकार करता है। यह व्यक्तिगत आचरण के विरुद्ध जारी नहीं किया जा सकता, बल्कि एक सार्वजनिक पद पर आसीन व्यक्ति के विरुद्ध जारी किया जाता है।
  • गलत विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ किसी अवैध रूप से हिरासत में लिए गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश है। ‘प्रतिषेध’ किसी भी कार्यवाही को रोकने के लिए जारी की जाती है। ‘उत्प्रेषण’ किसी मामले को आगे की कार्यवाही के लिए उच्च न्यायालय में भेजने या निम्न न्यायालय के निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है।

प्रश्न 2: भारतीय संसद के किसी सदस्य की अयोग्यता, जो दल-बदल के आधार पर नहीं है, के संबंध में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास है?

  1. भारत के राष्ट्रपति, निर्वाचन आयोग की सलाह पर
  2. लोकसभा का अध्यक्ष
  3. राज्यसभा का सभापति
  4. भारत के राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय की सलाह पर

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 103 के अनुसार, संसद के किसी सदन का कोई सदस्य, राष्ट्रपति द्वारा अपने पद से तब तक नहीं हटाया जाएगा जब तक कि वह अनुच्छेद 102 के खंड (1) में उपबंधित किसी भी निहं (योग्यता) के लिए पात्र न हो। यदि यह प्रश्न उठता है कि कोई सदस्य ऐसी किसी भी निहं (योग्यता) के लिए पात्र हो गया है या नहीं, तो वह प्रश्न राष्ट्रपति को विनिश्चय के लिए निर्देशित किया जाएगा, और राष्ट्रपति उस पर निर्वाचन आयोग का मत लेगा और उसके मत के अनुसार कार्य करेगा।
  • संदर्भ और विस्तार: दल-बदल (10वीं अनुसूची) के आधार पर अयोग्यता का निर्णय लोकसभा में अध्यक्ष और राज्यसभा में सभापति द्वारा किया जाता है। अन्य आधारों पर अयोग्यता का निर्णय राष्ट्रपति द्वारा निर्वाचन आयोग की सलाह पर किया जाता है।
  • गलत विकल्प: लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति दल-बदल से संबंधित अयोग्यता पर निर्णय लेते हैं, न कि अन्य सामान्य अयोग्यताओं पर। राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय की सलाह पर कार्य करते हैं, न कि सीधे तौर पर।

प्रश्न 3: भारतीय संविधान में ‘समान नागरिक संहिता’ का प्रावधान किस भाग में किया गया है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग V
  4. भाग VI

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग IV में, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (Directive Principles of State Policy) के अंतर्गत अनुच्छेद 44 में किया गया है। यह राज्य को निर्देश देता है कि वह भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त करने का प्रयास करे।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक निदेशक सिद्धांत है, जिसका अर्थ है कि यह न्यायोचित नहीं है, अर्थात इसे न्यायालय में लागू नहीं कराया जा सकता। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत कानूनों को समेकित करके सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है, भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से, और भाग VI राज्यों की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है। समान नागरिक संहिता राज्य के नीति-निर्देशक तत्व के दायरे में आता है।

प्रश्न 4: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. राष्ट्रपति मृत्युदंड को निलंबित कर सकते हैं, परंतु समाप्त नहीं।
  2. राष्ट्रपति लष्करी न्यायालय द्वारा दिए गए दंड को भी क्षमा कर सकते हैं।
  3. राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान की शक्ति स्वविवेक पर आधारित है।
  4. राष्ट्रपति मार्शल लॉ के तहत दिए गए दंड को भी क्षमा कर सकते हैं।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति अनुच्छेद 72 के तहत दी गई है। इसमें दंड को क्षमा करना, दंड को परिहार (कम) करना, लघुकरण (कम प्रकार का दंड), प्रतिलंबन (स्थगन) और दंडादेश का उपशमन (सजा की मात्रा कम करना) शामिल है। राष्ट्रपति यह शक्ति अपनी मर्जी से नहीं, बल्कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सलाह पर प्रयोग करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 72(1)(c) के तहत, राष्ट्रपति मार्शल लॉ के तहत दिए गए किसी भी दंड को, या किसी ऐसे अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराए गए व्यक्ति को, जो मृत्युदंड से दंडनीय है, क्षमा प्रदान कर सकते हैं। वे मृत्युदंड को निलंबित (प्रतिलंबन) कर सकते हैं, लेकिन पूर्णतः समाप्त (क्षमा) भी कर सकते हैं।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति पूर्णतः स्वविवेक पर आधारित नहीं है; यह मंत्रिपरिषद की सलाह पर आधारित होती है। अन्य सभी कथन सही हैं।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संसदीय संप्रभुता’ को ‘संविधान के मूल ढांचे’ के अधीन माना?

  1. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  2. मेनका गांधी बनाम भारत संघ
  3. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
  4. ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि संसद संविधान के किसी भी भाग को, जिसमें मौलिक अधिकार भी शामिल हैं, संशोधित कर सकती है, परंतु वह संविधान के ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) को नहीं बदल सकती। इस निर्णय ने संसदीय संप्रभुता को संविधान के मूल ढांचे के अधीन कर दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस मामले में ‘मूल ढांचे’ की अवधारणा को पेश किया गया, जिसने संविधान की सर्वोच्चता और उसके मौलिक सिद्धांतों को सुरक्षित रखा।
  • गलत विकल्प: ‘मेनका गांधी’ मामले ने अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के दायरे का विस्तार किया। ‘गोलकनाथ’ मामले में यह कहा गया था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। ‘ए. के. गोपालन’ मामले में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की संकीर्ण व्याख्या की गई थी।

प्रश्न 6: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. इसका गठन मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था।
  2. यह एक संवैधानिक निकाय है।
  3. इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है।
  4. यह आयोग किसी भी ऐसे व्यक्ति की शिकायतें सुन सकता है जिसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ हो।

उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?

  1. 1, 3 और 4
  2. 1 और 2
  3. 2, 3 और 4
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) का गठन मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत एक वैधानिक (Statutory) निकाय के रूप में किया गया था, न कि संवैधानिक। इसलिए कथन 2 गलत है।
  • संदर्भ और विस्तार: NHRC के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री और लोकसभा व राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी शामिल होते हैं (कथन 3 सही है)। यह आयोग किसी भी ऐसे व्यक्ति की शिकायतें सुन सकता है जिसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ हो या जिसे किसी लोक सेवक द्वारा क्रूरता या अन्याय किया गया हो (कथन 4 सही है)। इसका गठन 1993 के अधिनियम के तहत हुआ था (कथन 1 सही है)।
  • गलत विकल्प: कथन 2 गलत है क्योंकि NHRC एक वैधानिक निकाय है, संवैधानिक नहीं। इसलिए, विकल्प B, C, और D गलत हैं।

प्रश्न 7: भारत मेंFEDERAL संरचना के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?

  1. संविधान में कहीं भी ‘फेडरेशन’ शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है, बल्कि ‘राज्यों का संघ’ (Union of States) का प्रयोग किया गया है।
  2. भारत में एकल नागरिकता और एकल न्यायपालिका है।
  3. राज्यों के पास अपने स्वयं के संविधान होते हैं।
  4. केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में भारत को ‘राज्यों का संघ’ (Union of States) कहा गया है, न कि ‘फेडरेशन’। यह फेडरेशन की तुलना में अधिक एकात्मक प्रकृति का संकेत देता है। भारत में एकल नागरिकता और एकल न्यायपालिका (हालांकि विभिन्न स्तरों पर) है, जो इसे एक संघीय राज्य की तरह बनाती है। केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन सातवीं अनुसूची में स्पष्ट रूप से किया गया है (कथन 1, 2, और 4 सत्य हैं)।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान में राज्यों के पास अपने स्वयं के संविधान नहीं होते हैं। केवल एक ही संविधान है – भारत का संविधान। राज्यों के पास कार्यकारी और विधायी शक्तियाँ होती हैं, लेकिन उनका अधिकार क्षेत्र केंद्रीय संविधान द्वारा परिभाषित और सीमित होता है। यह अमेरिकी फेडरेशन से एक महत्वपूर्ण अंतर है जहाँ राज्यों के अपने संविधान होते हैं।
  • गलत विकल्प: कथन (c) असत्य है क्योंकि राज्यों के पास अपने स्वयं के संविधान नहीं होते हैं।

प्रश्न 8: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता’ का अधिकार प्रदान किया गया है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 15
  3. अनुच्छेद 16
  4. अनुच्छेद 17

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 16 ‘लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता’ का अधिकार प्रदान करता है। यह राज्य को यह निर्देश देता है कि वह नागरिकों को किसी भी सरकारी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता प्रदान करे।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 16(2) के अनुसार, राज्य किसी भी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान, निवास या इनमें से किसी के आधार पर विभेद नहीं करेगा। हालांकि, इसमें कुछ अपवाद भी हैं जैसे कि आरक्षण।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों का समान संरक्षण प्रदान करता है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता के उन्मूलन से संबंधित है।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा मूल अधिकार, आपातकाल के दौरान भी निलंबित नहीं किया जा सकता?

  1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
  2. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
  3. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
  4. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) को किसी भी आपातकाल की स्थिति में भी निलंबित नहीं किया जा सकता। यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 359 में उल्लिखित है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रताएँ, राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के दौरान राष्ट्रपति के आदेश द्वारा निलंबित की जा सकती हैं, यदि वे युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर घोषित की गई हो। लेकिन अनुच्छेद 20 और 21 अटूट हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 19, 20, 21, 22, 25, 26, 27, 28 आपातकाल में निलंबित किए जा सकते हैं (अनुच्छेद 19 को छोड़कर कुछ शर्तों के साथ)। केवल 20 और 21 ही अटूट हैं।

प्रश्न 10: यदि भारत के उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है, तो नया उपराष्ट्रपति कितनी अवधि के भीतर चुना जाना चाहिए?

  1. 90 दिन
  2. 180 दिन
  3. 6 महीने
  4. कोई निश्चित अवधि नहीं, संसद द्वारा तय की जाएगी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67 (1) कहता है कि उपराष्ट्रपति, अनुच्छेद 66 में अधिकथित अवधि के लिए पद धारण करेगा: बशर्ते कि वह, जैसा कि अनुच्छेद 67 के खंड (1) में उपबंधित है, पद के लिए जाने के पश्चात् अपने पद की अवधि की समाप्ति से पहले पदच्युत किया जा सकता है। हालांकि, उपराष्ट्रपति के पद के रिक्त होने की स्थिति में चुनाव कब होंगे, इसके लिए संविधान में कोई निश्चित समय-सीमा निर्धारित नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह लोकसभा के अध्यक्ष के चुनाव की तरह नहीं है, जिनके लिए 30 दिनों की अवधि निर्धारित है। उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया संसद के नियमों और परंपराओं के अनुसार तय की जाती है, और यह आवश्यक नहीं है कि वह तुरंत या किसी निश्चित समय-सीमा के भीतर हो।
  • गलत विकल्प: संविधान या संबंधित कानूनों में उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए कोई विशिष्ट समय-सीमा (जैसे 90 दिन, 180 दिन, या 6 महीने) निर्धारित नहीं की गई है।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता भारतीय संविधान को एकात्मक (Unitary) बनाती है?

  1. राज्यों के लिए एक ही संविधान
  2. संसदीय प्रणाली
  3. द्विसदनीय विधायिका
  4. मौलिक अधिकार

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान की यह विशेषता कि राज्यों के लिए एक ही संविधान है, इसे एकात्मक विशेषता प्रदान करती है। अधिकांश संघीय प्रणालियों (जैसे अमेरिका) में, राज्यों के अपने अलग-अलग संविधान होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: एकल संविधान, एकल नागरिकता, अखिल भारतीय सेवाएं, एक एकीकृत न्यायपालिका, राष्ट्रपति द्वारा राज्यपालों की नियुक्ति, और आपातकालीन प्रावधान जैसी विशेषताएं भारत को एक मजबूत केंद्र वाली एकात्मक या अर्ध-संघीय प्रणाली बनाती हैं।
  • गलत विकल्प: संसदीय प्रणाली, द्विसदनीय विधायिका (कुछ देशों में एकात्मक सरकारों में भी होती है), और मौलिक अधिकार संघीय और एकात्मक दोनों प्रकार की सरकारों में पाए जा सकते हैं। ये भारत की संघीय प्रकृति को दर्शाते हैं, लेकिन अकेले एकात्मकता की ओर संकेत नहीं करते।

प्रश्न 12: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) के पद का प्रावधान किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 148
  2. अनुच्छेद 149
  3. अनुच्छेद 150
  4. अनुच्छेद 151

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India – CAG) के पद की व्यवस्था करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारत सरकार और राज्य सरकारों के सभी खातों की लेखापरीक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि वे निर्धारित नियमों और विधियों के अनुसार रखे गए हैं। CAG की रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत की जाती है, जो लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के लिए महत्वपूर्ण होती है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 149 CAG के कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है। अनुच्छेद 150 खातों के प्रारूप से संबंधित है। अनुच्छेद 151 लेखापरीक्षा रिपोर्टों से संबंधित है।

प्रश्न 13: संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ के निम्नलिखित में से किस रूप का उल्लेख नहीं किया गया है?

  1. सामाजिक
  2. राजनीतिक
  3. आर्थिक
  4. धार्मिक

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में न्याय के तीन रूपों का उल्लेख है: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक। प्रस्तावना कहती है, “हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके सभी नागरिकों को…” और “न्याय: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक…”
  • संदर्भ और विस्तार: ‘धार्मिक न्याय’ का सीधा उल्लेख प्रस्तावना में नहीं है, यद्यपि ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द की उपस्थिति अप्रत्यक्ष रूप से सभी धर्मों के प्रति निष्पक्षता और सभी को धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25-28) का आश्वासन देती है।
  • गलत विकल्प: सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय का उल्लेख प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से किया गया है।

प्रश्न 14: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग लेता है?

  1. संसद के दोनों सदनों के केवल निर्वाचित सदस्य
  2. संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य
  3. राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
  4. राज्यों की विधान परिषदों के निर्वाचित सदस्य

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 54 के अनुसार, राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मनोनीत सदस्य (nominated members) राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते हैं। राष्ट्रपति की तरह, उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी संसद के दोनों सदनों के सदस्य भाग लेते हैं, लेकिन उसमें मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं।
  • गलत विकल्प: संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य (मनोनीत सहित) भाग नहीं लेते। राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य भी भाग नहीं लेते, और न ही राज्यों की विधानसभाओं के सभी सदस्य (केवल निर्वाचित)।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय संविधान की एक विशेषता है जो आयरलैंड के संविधान से ली गई है?

  1. मौलिक अधिकार
  2. राज्य के नीति निदेशक तत्व
  3. संसद का संयुक्त अधिवेशन
  4. संसदीय विशेषाधिकार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और स्रोत: भारतीय संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्व (Directive Principles of State Policy) आयरलैंड के संविधान से प्रेरित हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: आयरलैंड के संविधान ने इन तत्वों को ‘निर्देश’ (Instructions) कहा था। भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक इन तत्वों का वर्णन है। ये निदेशक तत्व राज्य को सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
  • गलत विकल्प: मौलिक अधिकार अमेरिका के संविधान से लिए गए हैं। संसद का संयुक्त अधिवेशन ऑस्ट्रेलिया के संविधान से लिया गया है। संसदीय विशेषाधिकार ब्रिटिश संविधान से लिए गए हैं।

प्रश्न 16: किस संशोधन द्वारा भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्यों’ को जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संशोधन: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान में एक नया भाग (भाग IV-क) जोड़ा गया, जिसमें अनुच्छेद 51-क के तहत नागरिकों के लिए दस मौलिक कर्तव्यों को शामिल किया गया।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर आधारित था। बाद में 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा एक और मौलिक कर्तव्य (शिक्षा का अधिकार) जोड़ा गया, जिससे इनकी संख्या 11 हो गई।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन ने मौलिक अधिकारों को अधिक सुरक्षा प्रदान की (संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाना)। 52वां संशोधन दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित है। 61वां संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक सरकार’ (Constitutional Government) का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है?

  1. सरकार की पूर्ण शक्ति
  2. संसद की सर्वोच्चता
  3. कानून का शासन
  4. जनता की सीधी भागीदारी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अवधारणा: संवैधानिक सरकार का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण ‘कानून का शासन’ (Rule of Law) है। इसका अर्थ है कि सरकार को संविधान द्वारा स्थापित सीमाओं और प्रक्रियाओं के अनुसार कार्य करना चाहिए, और कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक सरकार का उद्देश्य मनमानी शक्ति को रोकना और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है। कानून का शासन यह सुनिश्चित करता है कि सभी सरकारी कार्य कानून के अनुसार हों और कानून के प्रति जवाबदेह हों।
  • गलत विकल्प: सरकार की पूर्ण शक्ति संवैधानिक सरकार के विपरीत है। संसद की सर्वोच्चता (जैसा कि यूके में है) भारत में नहीं है, बल्कि संविधान की सर्वोच्चता है। जनता की सीधी भागीदारी (प्रत्यक्ष लोकतंत्र) कुछ देशों में होती है, लेकिन संवैधानिक सरकार का मुख्य लक्षण सीमित सरकार और कानून का शासन है।

प्रश्न 18: भारत में ‘संविधान की सर्वोच्चता’ के संबंध में कौन सा कथन सही है?

  1. संसद द्वारा पारित कोई भी कानून जो संविधान के विरुद्ध हो, अमान्य है।
  2. सर्वोच्च न्यायालय संविधान का अंतिम व्याख्याकार है।
  3. संविधान में संशोधन की प्रक्रिया संसद की इच्छा पर निर्भर करती है।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और सिद्धांत: संविधान की सर्वोच्चता का अर्थ है कि देश का संविधान सर्वोच्च कानून है और सरकार के सभी अंग (कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका) इसी के अधीन कार्य करते हैं। उपरोक्त सभी कथन संविधान की सर्वोच्चता के सिद्धांत को दर्शाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: (a) कोई भी कानून जो संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, वह न्यायिक समीक्षा के अधीन अमान्य घोषित किया जा सकता है (अनुच्छेद 13, 32, 226)। (b) सर्वोच्च न्यायालय के पास संविधान की व्याख्या करने की अंतिम शक्ति है (अनुच्छेद 137)। (c) संविधान में संशोधन की प्रक्रिया, विशेषकर मूल ढांचे से संबंधित, संसद की मनमानी को रोकती है (केशवानंद भारती मामला)।
  • गलत विकल्प: तीनों कथन संविधान की सर्वोच्चता के अनुरूप हैं, इसलिए विकल्प (d) सही है।

प्रश्न 19: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संशोधन: ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया था। इसी संशोधन द्वारा ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द भी जोड़े गए थे।
  • संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य की प्रकृति को और अधिक स्पष्ट करना था। ‘अखंडता’ शब्द राष्ट्र की एकता और अक्षुण्णता पर बल देता है।
  • गलत विकल्प: अन्य संशोधन अधिनियमों का प्रस्तावना से सीधा संबंध नहीं है, विशेषकर ‘अखंडता’ शब्द जोड़ने के संदर्भ में।

प्रश्न 20: पंचायती राज व्यवस्था को भारतीय संविधान की किस अनुसूची में शामिल किया गया है?

  1. सातवीं अनुसूची
  2. आठवीं अनुसूची
  3. नौवीं अनुसूची
  4. ग्यारहवीं अनुसूची

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुसूची: पंचायती राज संस्थाओं को भारतीय संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची (Eleventh Schedule) में शामिल किया गया है। यह अनुसूची 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ी गई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: ग्यारहवीं अनुसूची में पंचायती राज संस्थाओं को 29 विषय दिए गए हैं जिन पर वे कानून बना सकती हैं और उनका कार्यान्वयन कर सकती हैं। इसका उद्देश्य स्थानीय स्वशासन को संवैधानिक दर्जा प्रदान करना था।
  • गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन से संबंधित है। आठवीं अनुसूची भाषाओं से संबंधित है। नौवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों और विनियमों के सत्यापन से संबंधित है।

प्रश्न 21: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. वह भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
  2. उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  3. वे संसद के दोनों सदनों में बोल सकते हैं।
  4. वे केवल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करते हैं।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति, कर्तव्य और अधिकार अनुच्छेद 76 में वर्णित हैं। वे भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं, और वे राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत (pleasure of the President) पद धारण करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी को संसद के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार है (अनुच्छेद 88), लेकिन वे मतदान नहीं कर सकते। वे निजी प्रैक्टिस भी कर सकते हैं, लेकिन सरकार के हितों के विरुद्ध नहीं।
  • गलत विकल्प: कथन (c) गलत है। महान्यायवादी को संसद के दोनों सदनों में बोलने का अधिकार तो है, लेकिन वे वहां कार्यवाही में भाग लेने या मतदान करने के लिए अधिकृत नहीं होते, जब तक कि वे संसद के सदस्य न हों।

प्रश्न 22: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने का अधिकार है?

  1. अनुच्छेद 123
  2. अनुच्छेद 131
  3. अनुच्छेद 132
  4. अनुच्छेद 143

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सलाह राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं है, और न ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई सलाह। यह राष्ट्रपति के स्वविवेक पर निर्भर करता है कि वे सलाह लें या नहीं, और यदि सलाह दी जाती है तो वे उस पर कार्य करें या नहीं। इस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति सार्वजनिक महत्व के प्रश्नों या किसी भी संवैधानिक कानून के प्रश्न पर सलाह मांग सकते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति के अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल अधिकार क्षेत्र से संबंधित है। अनुच्छेद 132 अपीलीय क्षेत्राधिकार से संबंधित है।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी आपातकालीन प्रावधान भारतीय संविधान में मौजूद नहीं है?

  1. राष्ट्रीय आपातकाल
  2. राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन)
  3. वित्तीय आपातकाल
  4. सांप्रदायिक आपातकाल

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद: भारतीय संविधान में तीन प्रकार के आपातकाल का प्रावधान है: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्य आपातकाल या राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356), और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘सांप्रदायिक आपातकाल’ (Communal Emergency) नाम से कोई विशेष आपातकालीन प्रावधान संविधान में मौजूद नहीं है। हालांकि, सांप्रदायिक दंगे या अशांति के दौरान शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य या राष्ट्रीय आपातकाल लागू किया जा सकता है।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रीय, राज्य और वित्तीय आपातकाल संविधान के अनुसार मौजूद हैं। ‘सांप्रदायिक आपातकाल’ एक संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त आपातकाल नहीं है।

प्रश्न 24: संविधान के किस संशोधन अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?

  1. 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
  2. 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
  3. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संशोधन: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा और पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसी अधिनियम द्वारा ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी गई।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज को त्रि-स्तरीय (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद) ढांचा देना, उनके कार्यकाल को निश्चित करना, और उन्हें संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करना था।
  • गलत विकल्प: 64वें और 65वें संशोधन पंचायती राज से संबंधित थे लेकिन वे पारित नहीं हो सके। 74वां संशोधन अधिनियम, 1992 शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है।

प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सी लोकपाल के संबंध में सही बात है?

  1. लोकपाल एक संवैधानिक निकाय है।
  2. यह केवल केंद्र सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करता है।
  3. इसका गठन भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए किया गया है।
  4. इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: लोकपाल एक वैधानिक निकाय है, न कि संवैधानिक, जिसका गठन लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत किया गया है। इसका प्राथमिक कार्य भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: लोकपाल केंद्र सरकार के मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों और कुछ सार्वजनिक पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करता है। इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और एक प्रख्यात विधिवेत्ता शामिल होते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि लोकपाल संवैधानिक नहीं, वैधानिक निकाय है। (b) गलत है क्योंकि लोकपाल केंद्र के साथ-साथ कुछ अन्य पदाधिकारियों के विरुद्ध भी जांच कर सकता है। (d) गलत है क्योंकि नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति की सिफारिश पर होती है, न कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा।

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